उत्तराखंड में 5G सेवा शुरू होते ही मोबाइल टॉवर लगाना होगा आसान..
उत्तराखंड: प्रदेश में जल्द ही 5जी नेटवर्क सेवा की तैयारी शुरू हो गई है, जिसके बाद मोबाइल कनेक्टिविटी पहले से भी बेहतर हो जाएगी। प्रदेश सरकार ने इसके लिए भी तैयारी शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि अगले साल मध्य तक 5 जी सेवा शुरू हो सकती है। 5 जी सेवा के लिए प्लान बनाया गया है। 5जी में यूजर को ज्यादा स्पीड और फ्लेक्सिबिलिटी देखने को मिलेगी।
बता दे कि देश के चुनिंदा शहरों में 5जी की सेवा जल्द शुरू हो सकती है, उत्तराखंड में दूसरे चरण में यह सेवा उपलब्ध होगी। उत्तराखंड में 5 जी सेवा शुरू करने के लिए शासन की ओर से आईटीडीए से पूछा गया है कि 5 जी सेवा के लिए राज्य सरकार के स्तर पर क्या- क्या कदम उठाए जाने हैं। वहीं बीएसएनएल से नेटवर्क विहीन क्षेत्रों में 1246 मोबाइल टावर लगाने के लिए भी रोडमैप मांगा गया है।
बताया जा रहा है कि प्रदेश सरकार मोबाइल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए टॉवर लगाने के नियमों को आसान करने जा रही है। इसके तहत जिन भवनों का नक्शा पास होगा, उनमें बिना किसी अतिरिक्त मंजूरी के मोबाइल टॉवर स्थापित हो सकेगा। साथ ही खाली जमीन पर भी बिना अनुमति टॉवर लगाया जा सकेगा।गौरतलब है कि केंद्र सरकार मोबाइल टॉवरों के लिए नई राइट पॉलिसी जारी कर चुकी है। प्रदेश सरकार भी इसी पॉलिसी को अपने यहां अपना रही है। उत्तराखंड के 15 हजार में से 700 गांवों में अभी कोई भी मोबाइल नेटवर्क नहीं है। 3739 गांव अभी 2जी या 3जी से ही काम चला रहे हैं। इस कारण 5जी नेटवर्क उपलब्ध कराना चुनौतीपूर्ण होने जा रहा है।
इन पांच वेब सीरीज को देखकर याद आएगा आपको कॉलेज के दिन..
देश-विदेश: डिजिटल दौर में ओटीटी प्लेटफार्म का चलन बहुत तेजी से बढ़ा है। आज हर किसी के हाथ में उनके फोन में चलता फिरता सिनेमा मौजूद है। तमाम ओटीटी हैं, जिन पर दर्शकों को हर रोज नया और फ्रेश कंटेंट अपनी पसंद के हिसाब से मिल जाता है। अपने कॉलेज के दिन और प्यार इश्क मोहब्बत तो हर कोई मिस करता है। ऐसी ही कुछ वेब सीरीज हैं जो आपको कॉलेज के दिनों की इश्क मोहब्बत याद दिला देंगी। फुर्सत के पलों में इन सीरीज को देखा जा सकता है।
कोटा फैक्ट्री
वेब सीरीज ‘कोटा फैक्ट्री’ आपको आईआईटी के स्टूडेट्स की लाइफ के बारे में जानने का मौका देती है और अगर आप भी आईआईटी स्टूडेंट्स करहे हैं तो यह आपकी यादों को ताजा कर देगी। कॉलेज डेज पर आधारित इस वेब सीरीज में लव एंगल भी डाला गया है जो इसे दिलचस्प बनाता है।
इंदौरी इश्क
जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है कि यह काफी दिलचस्प सीरीज है। इंदौरी इश्क में टीनएज के प्यार और उसे पाने का जूनून किस कदर होता है। वह बखूबी दिखाया गया है। इस सीरीज को काफी पसंद किया गया था।
फ्लेम्स
कॉलेज टाइम की मस्ती से लेकर पढ़ा और परिवार व शरारतों से भरपूर ये सीरीज आपको अपने कॉलेज के दिनों के किसी साथी की याद जरूर दिला देगी। इस सीरीज में कच्ची उम्र के प्यार को दिखाया गया है। इसके अब तक तीन सीजन आ चुके हैं।
स्कूल डेज
स्कूल डेज आपको बचपन के दिनों के स्कूल के दिनों की याद दिलाती है। इस सीरीज में कम उम्र में होने वाले आकर्षण को दिखाया गया है। कि किस तरह से एक लड़की को क्लास के दो लड़कों से प्यार हो जाता है। इसके बाद सीरीज में ट्विस्ट टर्न्स डाले गए हैं।
कॉलेज रोमांस
जैसा इसका नाम है, इस सीरीज में उसी के हिसाब से पूरी कहानी बुनी गई है। कॉलेज रोमांस की कहानी कॉलेज के दौरान स्टूडेंट्स के बीच प्यार मस्ती आदि खूब दिखाया गया है। यह सीरीज आपको कॉलेज के दोस्तों की दुनिया में ले जाएगी।
डायबिटिस को नियंत्रित करने को अपनाएं ये सूत्र..
उत्तराखंड: प्रदेश में शुगर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उत्तराखंड की 12 फीसदी आबादी मधुमेह से पीड़ित है। विश्व मधुमेह दिवस के मौके पर विशेषज्ञ डॉक्टरों ने जिंदगी में तीन सूत्र अपनाकर शुगर को नियंत्रित करने की सलाह दी है। खानपान सही करने, बेहतर दिनचर्या और डॉक्टर की सलाह पर सही तरीके से दवा लेने को शुगर के खिलाफ बेहतर हथियार मानते हैं।
दून मेडिकल कॉलेज के मेडिसन एचओडी डा. नारायणजीत सिंह, वरिष्ठ फिजीशियन डा. केसी पंत का कहना हैं कि मधुमेह हार्ट और किडनी के मरीजों की समस्या बढ़ा रहा है। मधुमेह के रोगी का ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित न होने के कारण हृदय रोगियों व किडनी के रोगियों की जटिलताएं बढ़ रही हैं। ऐसे रोगियों में मृत्यु दर काफी अधिक होती है।
बच्चों में शुगर चिंताजनक शुगर की समस्या अब छोटे बच्चों को भी परेशान कर रही है। पांच साल से छोटे बच्चों को भी शुगर की बीमारी घेर रही है। दून अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डा. विशाल कौशिक, डा. आयशा इमरान का कहना हैं कि दो से पांच साल तक के बच्चों में भी शुगर की समस्या देखी जा रही है। उन्हें कई बार इंसुलिन तक की जरूरत पड़ रही है।
ऑटो इम्यून डिजीज इसका प्रमुख कारण है। यह समस्या क्यों बढ़ रही है। विशेषज्ञ इस पर विस्तृत शोध की वकालत करते हैं और बच्चों की भूख, उसके सुस्त रहने आदि पर नजर रखने की सलाह देते हैं।
ये हैं शुगर नियंत्रित करने के सूत्र
खानपान गेहूं के साथ चने, ज्वार, जौ, जई और दालों से बने आटे का प्रयोग करें। सब्जियों में लौकी, तुरई, टिंडा, पालक, परवल, खीरा, ककड़ी और करेले का प्रयोग करें। अमरूद, जामुन, पपीते जैसे फलों का सेवन भी लाभकारी है। अंकुरित दालों और अनाज का प्रयोग भी शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करता है। प्रोसैस्ड फूड, जंक फूड और फास्ट फूड को छोड़कर ही मधुमेह को रोका जा सकता है। शुगर के मरीज चीनी, मिठाई समेत आलू, चावल न खाएं।