शुरू हुआ अग्निवीरों का प्रशिक्षण, चेहरे पर दिखा देश सेवा का जज्बा..
उत्तराखंड: देश में पहली बार सेना की अग्निपथ योजना के तहत भर्ती हुए 796 अग्निवीरों का प्रशिक्षण शुरू हो गया है। कुमाऊं रेजीमेंट सेंटर के ऐतिहासिक सोमनाथ मैदान में एक जनवरी से पहले बैच का प्रशिक्षण चल रहा है। अग्निवीरों को भी पहले की रिक्रूटों की भांति प्रशिक्षण दिया जा रहा है लेकिन प्रशिक्षण की अवधि नौ से घटाकर छह महीने कर दी गई है।
मंगलवार को केआरसी कमांडेंट ब्रिगेडियर आईएस सम्याल ने प्रशिक्षण का जायजा लिया। सैन्य अधिकारियों ने पत्रकारों को विभिन्न प्रशिक्षण सुविधाओं स्थलों का निरीक्षण कराया। अग्निवीरों को विशेष तकनीकी प्रशिक्षण, एथलेटिक निर्देश और हथियारों के उपयोग से जुड़े अभ्यास प्राप्त करते हैं। हालांकि कुछ बदलाव के साथ अग्निवीरों को भी पहले के रिक्रूटों की तरह ही प्रशिक्षित किया जा रहा है।
बटालियन कमांडर कर्नल विक्रमजीत सिंह ने फायरिंग की नई तकनीक, अग्निवीरों के रहन-सहन की परिस्थितियों और अन्य विषयों पर बात की। उनका कहना हैं कि अग्निवीरों के पहले बैच ने 25 से 31 दिसंबर के बीच विभिन्न भर्ती कार्यालयों से यहां केआरसी में उपस्थिति दर्ज कराई। पहले बैच के अग्निवीरों को सेना के कुशल प्रशिक्षक ड्रिल, फिजिकल, फायरिंग, कमांडो ट्रेनिंग दे रहे हैं। बता दे कि प्रशिक्षण के दौरान रिक्रूटों के चेहरे पर देश सेवा का जज्बा भी साफ देखा जा रहा था। एक हफ्ते के प्रशिक्षण के बाद ही रिक्रूटों में काफी बदलाव देखने के लिए मिला।
दूसरा बैच मार्च में लेगा प्रशिक्षण : कमांडेंट साम्याल..
केआरसी के कमांडेंट ब्रिगेडियर आईएस साम्याल का कहना हैं कि इस साल कुल 1,150 अग्निवीरों को प्रशिक्षण लेना है जबकि पहले बैच में 796 रिक्रूटों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। नई तकनीक पर आधारित प्रशिक्षण देने के प्रयास चल रहे हैं। मार्च में दूसरे बैच का प्रशिक्षण शुरू होगा। प्रशिक्षण के बाद अग्निवीरों को उनकी इकाइयों में भेजा जाएगा।
CS ने मोबाइल टावर सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने के दिए निर्देश..
उत्तराखंड: जिन स्थानों पर प्रभावित परिवारों को रखा गया है, उन स्थानों पर उनके रहने खाने की उचित व्यवस्था हो। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाए कि प्रभावित नागरिकों एवं शासन प्रशासन के मध्य किसी प्रकार का संवादहीनता न हो। उच्चाधिकारी भी लगातार प्रभावित परिवारों के संपर्क रहें, और परिस्थितियों पर नजर बनाए रखें। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि भू-धंसाव के कारण मोबाइल नेटवर्क भी प्रभावित हो सकता है। मोबाइल टावर अन्यत्र सुरक्षित स्थान में शिफ्ट कर अथवा नए टावर लगाकर संचार व्यवस्था को मजबूत बनाया जाए।
उनका कहना हैं कि स्थानीय लोगों को साथ लेकर एक आकलन समिति बनाई जाए। प्रतिदिन पूरे क्षेत्र में टीम भेज कर निरीक्षण करवाया जाए कि पिछले 24 घंटे में क्षेत्र में किस प्रकार का और कितना परिवर्तन हुआ हुआ है। जो भवन अधिक प्रभावित हैं उन्हें प्राथमिकता पर ध्वस्त किया जाए। बैठक में अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोशीमठ से सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव नितेश कुमार झा, अरविंद सिंह ह्यांकी, डॉ. रंजीत सिन्हा एवं बृजेश कुमार संत सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयुक्त गढ़वाल सुशील कुमार एवं जिलाधिकारी चमोली हिमांशु खुराना सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।
ड्रेनेज और सीवरेज प्लान पर काम शुरू करें..
जोशीमठ के स्थिर क्षेत्र के लिए ड्रेनेज और सीवेज प्लान पर भी काम शुरू किया जाए। भवनों को ध्वस्त करने में विशेषज्ञों का सहयोग लिया जाए ताकि ध्वस्तीकरण में कोई अन्य हानि न हो। साथ ही, कंट्रोल रूम को 24 घंटे एक्टिव मोड पर रखा जाए और आमजन को किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में संपर्क करने के लिए प्रचार किया जाए।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने सीएम पुष्कर सिंह धामी से जोशीमठ में भू-धंसाव की स्थिति की जानकारी ली। उनका कहना हैं कि भू-धंसाव से प्रभावित क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा सबसे अहम है, जिसे ध्यान में रखते हुए प्रभावितों के अस्थायी पुनर्वास का उचित प्रबंध किया जाए। सीएम ने मंगलवार को राजभवन में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह से मुलाकात की। सीएम ने जोशीमठ में भू-धंसाव क्षेत्र में चलाए जा रहे राहत एवं बचाव कार्यों की जानकारी दी। कहा, नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं। प्रभावितों की सुरक्षा एवं पुनर्वास के लिए तात्कालिक एवं दीर्घकालिक कार्य योजना पर काम किया जा रहा है। राज्यपाल ने कहा, प्रभावित हुए लोगों को ठंड एवं खराब मौसम में किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। इससे पहले राज्यपाल से मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने भी मुलाकात कर जोशीमठ में भू-धंसाव क्षेत्र में चलाए जा रहे राहत एवं बचाव कार्यों की जानकारी दी। राज्यपाल ने कहा कि राहत और बचाव से जुड़ी सभी एजेंसियों का समन्वय सुनिश्चित किया जाए। नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है। इस दौरान राज्यपाल ने मुख्य सचिव से अन्य कई विषयों पर भी वार्ता की।