देशभर में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Targeted Public Distribution System, TPDS)में प्रौद्योगिकी का प्रयोग और इसके आधुनिकीकरण से एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। वर्ष 2013 से 2020 की अवधि तक देशभर में लगभग 4.39 करोड़ अपात्र अथवा फर्जी राशन कार्ड रद्द किए गए।
केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (Department of Food & Public Distribution) द्वारा शुक्रवार को जारी एक वक्तव्य में यह जानकारी दी गई है। केंद्र सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार लाने के लिए एक लक्षित अभियान के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act, NFSA) को लागू करने की तैयारी की। इस दौरान पीडीएस को आधुनिक बनाने और इसके परिचालन में पादर्शिता व कुशलता लाने का प्रयास किया गया। राशन कार्ड और लाभार्थियों के डाटाबेस का डिजिटाइजेशन किया गया। उन्हें आधार से जोड़ कर अपात्र व फर्जी राशन कार्डों की पहचान की गई है।
इस क्रम में डिजिटाइज किए गए डाटा से दोहराव को रोकने के साथ-साथ कई लाभार्थियों के अन्यत्र चले जाने अथवा मौत हो जाने के मामलों की पहचान की गई। केंद्र सरकार की इस कवायद के बाद राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकारों ने वर्ष 2013 से 2020 तक की अवधि में देश में कुल करीब 4.39 करोड़ अपात्र अथवा फर्जी राशन कार्डों को रद्द किया है।
सरकारी वक्तव्य के अनुसार NFSA कवरेज के तहत जारी किया जा रहा कोटा, संबंधित प्रदेश सरकारों द्वारा नियमित रूप से लाभार्थियों की ‘सही पहचान’ कर पहुंचाया जा रहा है। NFSA के तहत पात्र लाभार्थियों व परिवारों को शामिल करने और उन्हें नए राशन कार्ड जारी करने का काम जारी है। यह कार्य NFSA के तहत प्रत्येक राज्य व केन्द्र शासित प्रदेश के लिए परिभाषित सीमा के भीतर किया जा रहा है।
केंद्र सरकार द्वारा NFSA के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए 81.35 करोड़ लोगों को बेहद कम कीमत में खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है, जो कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुरूप देश की जनसंख्या का दो तिहाई है। केन्द्र द्वारा हर माह बेहद रियायती दरों- तीन रुपये, दो रुपये और एक रुपये प्रति किलोग्राम की दर से क्रमशः चावल, गेहूं और अन्य मोटा अनाज उपलब्ध कराया जा रहा है।