जल जीवन मिशन में पिछड़े जिलों की विशेष निगरानी, हर सप्ताह शासन को भेजनी होगी रिपोर्ट..
उत्तराखंड: प्रदेश में जल जीवन मिशन के कार्यों में पिछड़े हुए जिलों की विशेष निगरानी होगी। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के निर्देश पर जिलाधिकारियों को निगरानी सौंप दी गई है। वे हर सप्ताह मिशन कार्यों की रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराएंगे। जल जीवन मिशन के निर्माण कार्यों को लेकर कुछ जिलों ने तो अच्छा काम किया है लेकिन कुछ जिले ऐसे हैं, जिनका काम संतोषजनक नहीं है। पिछले दिनों मुख्य सचिव ने बैठक में सख्त नाराजगी जताई थी। सभी मुख्य विकास अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि वे मौके पर जाएं और निर्माण कार्यों की रिपोर्ट तैयार करें।
अब मुख्य सचिव के निर्देश पर ही जिलाधिकारियों ने जेजेएम कार्यों की निगरानी शुरू कर दी है। वे हर सप्ताह समीक्षा बैठक करके अपनी रिपोर्ट शासन को भेजेंगे। इसके साथ ही संबंधित पेयजल निगम या जल संस्थान से प्रगति रिपोर्ट भी लेंगे। एक बड़ा मुद्दा हर घर जल प्रमाणीकरण का भी है, जिसके लिए प्रदेशभर की रिपोर्ट तैयार हो रही है। प्रदेश में अब तक 10 हजार ऐसे गांव हैं, जिनमें नल 100 फीसदी लग चुके हैं लेकिन इनमें से पूर्ण पेयजल आपूर्ति का प्रमाणपत्र छह हजार जिलों का ही है। जल जीवन मिशन के कई कार्यों में बजट या वन विभाग की अनुमति भी रोड़ा बन रही है। इन परियोजनाओं की अलग से सूची तैयार की जा रही है। ताकि राज्य स्तर के जो काम हैं, उन पर शासन तत्परता से निर्णय ले सके। संबंधित कार्य के लिए विभाग या मंत्रालय से पत्राचार कर सके।