ब्रिक्स द्वारा ईरान-इस्राइल मसले पर अमेरिका की आलोचना के बाद ट्रंप की तीखी प्रतिक्रिया, ट्रुथ सोशल पर दी चेतावनी
वाशिंगटन। ब्राजील में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बीच वैश्विक मंच पर कूटनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि अमेरिका विरोधी रुख अपनाने वाले देशों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। ट्रंप की यह प्रतिक्रिया ब्रिक्स द्वारा ईरान और इस्राइल के संघर्ष पर अमेरिका की नीतियों की आलोचना के बाद सामने आई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर बयान जारी करते हुए लिखा कि “जो भी देश अमेरिका विरोधी ब्रिक्स नीतियों का समर्थन करेगा, उस पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इस फैसले में कोई अपवाद नहीं होगा।” ट्रंप ने यह भी जोड़ा कि यह चेतावनी उन सभी देशों के लिए है जो वैश्विक व्यापार के नाम पर अमेरिका के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं।
इससे पहले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे देशों ने अमेरिका का नाम लिए बिना ईरान पर सैन्य हमले और बढ़ते व्यापार शुल्क (टैरिफ) की आलोचना की थी। इस्राइल की ओर से मध्य-पूर्व में जारी सैन्य कार्रवाइयों की भी निंदा की गई। ब्रिक्स नेताओं ने अपने संयुक्त वक्तव्य में कहा कि विवादों को कूटनीतिक बातचीत से सुलझाना चाहिए, न कि सैन्य टकराव या आर्थिक दमन से।
ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने भी कहा कि “शांति की तुलना में युद्ध में निवेश करना आसान होता है, लेकिन इसका दायरा सीमित और विनाशकारी होता है।” उन्होंने नाटो देशों द्वारा सैन्य खर्च बढ़ाने पर सवाल उठाया और वैश्विक स्थायित्व के लिए कूटनीतिक पहल को जरूरी बताया।
इस बीच, अमेरिका में टैरिफ निलंबन की समयसीमा 9 जुलाई को समाप्त होने जा रही है, जिसके चलते दुनिया भर में व्यापारिक हलकों में चिंता का माहौल है। ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि वे अधिकांश देशों के लिए टैरिफ में राहत की अवधि नहीं बढ़ाएंगे और पहले ही 10-12 देशों को नए शुल्क की सूचना देने वाले पत्रों पर हस्ताक्षर कर चुके हैं।
ब्रिक्स सम्मेलन की थीम और भागीदारी:
इस बार ब्रिक्स सम्मेलन ब्राजील की मेजबानी में हुआ, जिसमें पुराने 5 देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) के अलावा नए सदस्य देशों मिस्र, इथियोपिया, ईरान, यूएई और इंडोनेशिया ने हिस्सा लिया। ब्राजील ने 1 जनवरी 2025 को ब्रिक्स की अध्यक्षता संभाली थी। इस बार की थीम रही- समावेशी और टिकाऊ वैश्विक शासन के लिए ग्लोबल साउथ का सहयोग मजबूत करना।