बात-बेबात के मुद्दों को लेकर हो-हल्ला मचाने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता व स्वराज पार्टी के नेता प्रशांत भूषण गैंग को गुरुवार को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी। उच्चतम न्यायालय ने कुछ पूर्व अधिकारियों की तरफ से प्रशांत भूषण के माध्यम से दाखिल एक याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में केंद्र सरकार पर समय रहते लॉकडाउन लागू नहीं किए जाने और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम के आयोजन के दौरान कोविड-19 के मानकों का ध्यान नहीं रखे जाने के आरोप लगाए गए थे और इसकी जांच के लिए एक आयोग गठित करने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। यह मुद्दे सार्वजनिक बहस के हो सकते हैं। मगर अदालत की बहस के नहीं। 6 पूर्व अधिकारियों की ओर से दायर की गई इस याचिका में कहा गया था कि केंद्र सरकार कोविड-19 के प्रबन्धन में पूरी तरह असफल रही। सरकार के पास लॉकडाउन को लेकर कोई योजना नहीं थी। सरकार कोरोना महामारी को रोकने में नाकाम साबित हुई है। अर्थ व्यवस्था चरमरा गई है।
याचिका में कहा गया कि नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम के दौरान लाखों लोग एक साथ एकत्र हुए थे। जबकि उससे पहले गृह मंत्रालय एडवाइजरी जारी कर चुका था कि बड़ी संख्या में लोग एक जगह एकत्र ना हों। याचिका में मांग की गई कि इन मुद्दों की जांच के लिए एक स्वतंत्र जांच आयोग गठित किया जाए। मगर न्यायालय प्रशांत भूषण के तर्कों से सहमत नहीं हुआ और याचिका को खारिज कर दिया।