शहरी क्षेत्रों में कुत्तों के भोजन, देखभाल और गोद लेने की प्रक्रिया अब होगी पूरी तरह नियमित
देहरादून। अब शहरों की गलियों और कॉलोनियों में घूमने वाले निराश्रित कुत्तों के लिए बेहतर व्यवस्था की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। शहरी विकास विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में नई नियमावली जारी करते हुए सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों को हर वार्ड में समर्पित ‘डॉग फीडिंग ज़ोन’ (भोजन स्थल) बनाने के आदेश दिए हैं।
इस नियम के तहत अब कोई भी व्यक्ति निर्धारित स्थानों के अलावा कहीं और कुत्तों को भोजन नहीं करा सकेगा। वहीं पशु प्रेमियों के लिए यह सुविधा भी दी गई है कि वे नगर निकाय में आवेदन कर इन कुत्तों को गोद ले सकेंगे। गोद लेने के बाद उस कुत्ते को चिन्हित कर संबंधित व्यक्ति को उसकी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
शासन ने जारी की विस्तृत गाइडलाइन
अपर सचिव संतोष बडोनी की ओर से जारी निर्देशों में कहा गया है कि प्रत्येक नगर वार्ड में निराश्रित कुत्तों की संख्या और उनकी आवाजाही को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त स्थानों पर भोजन स्थल बनाए जाएं। इन स्थलों के आसपास बच्चों और बुजुर्गों की अधिक आवाजाही न हो, इसका भी ध्यान रखना होगा।
हर भोजन स्थल पर सूचना पट्ट लगाए जाएंगे, जिन पर स्पष्ट रूप से लिखा होगा कि कुत्तों को केवल वहीं भोजन कराया जा सकता है। नियम तोड़ने वालों के खिलाफ नगर निकाय कार्रवाई करेंगे।
स्वच्छता और जनजागरूकता पर भी रहेगा फोकस
नगर निकायों को इन भोजन स्थलों की स्वच्छता, अपशिष्ट निस्तारण और पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। साथ ही, नागरिकों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान हेल्पलाइन नंबर भी सार्वजनिक किए जाएंगे। तब तक लोग अपनी शिकायतें सीएम हेल्पलाइन 1905 पर दर्ज करा सकेंगे।
गोद लिए गए कुत्तों का अभिलेख तैयार होगा
गोद लिए गए कुत्तों को चिह्नित किया जाएगा और उनका पूरा रिकॉर्ड नगर निकाय के पास रखा जाएगा। एक बार गोद लेने के बाद उन्हें दोबारा सड़क पर नहीं छोड़ा जा सकेगा। वहीं, हिंसक या रैबीज ग्रस्त कुत्तों को निगरानी में रखने और उनके उपचार की व्यवस्था की जाएगी।
सामान्य प्रवृत्ति वाले कुत्तों का बधियाकरण और एंटी-रैबीज टीकाकरण कर उन्हें उनके क्षेत्र में ही वापस छोड़ा जाएगा।
एनजीओ और शिक्षण संस्थानों से भी लिया जाएगा सहयोग
नियमावली में कहा गया है कि नगर निकाय स्थानीय एनजीओ, पशु प्रेमियों और शिक्षण संस्थानों के सहयोग से इस व्यवस्था को सफल बनाने में भूमिका निभाएंगे।
साथ ही प्रशिक्षित डॉग हैंडलरों की टीम तैयार की जाएगी, जो पकड़ने और रेस्क्यू कार्य को सुरक्षित ढंग से अंजाम देगी।






