जौहर विश्वविद्यालय की भूमि से संबंधित मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खां को शनिवार को रामपुर के एडीएम कोर्ट से करारा झटका लगा। कोर्ट ने जौहर विवि की 70.05 हेक्टेयर जमीन उत्तर प्रदेश सरकार के नाम दर्ज करने का आदेश दिया है। यह जमीन अभी तक आजम खां के जौहर ट्रस्ट के नाम पर थी।
जौहर ट्रस्ट के नाम पर 2005 से लेकर अब तक लगभग 75.0563 हेक्टेयर जमीन खरीदी गई थी। मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार ने कैबिनेट के फैसले में जौहर ट्रस्ट द्वारा खरीदे जाने वाली जमीन पर स्टांप शुल्क से छूट दी थी। ट्रस्ट के नाम पर जो 70.005 हेक्टेयर जमीन खरीदी गई, उसके लिए स्टांप शुल्क का भुगतान नहीं किया गया। कैबिनेट से पारित प्रस्ताव में शर्त थी कि ट्रस्ट की ओर से लोकहित से जुड़े कार्य कराने होंगे। अल्पसंख्यक, गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा देनी होगी। लेकिन, शर्तों का उल्लंघन हुआ।
करीब साल भर पहले रामपुर डीएम के आदेश पर एसडीएम सदर ने जौहर ट्रस्ट की इस जमीन की जांच की, जिसमें पाया गया कि जौहर ट्रस्ट ने जौहर विवि के लिए खरीदी 70.005 हेक्टेयर जमीन में शासन की शर्तों का उल्लंघन किया है। कोर्ट में जौहर ट्रस्ट की ओर से उनके अधिवक्ता ने दलील दी थी कि आरोप निराधार हैं।
जिला शासकीय अधिवक्ता अजय तिवारी ने बताया कि वर्ष 2005 में शासनादेश के तहत साढ़े बारह एकड़ से अधिक भूमि खरीदने की अनुमति सरकार ने प्रदान की थी। शासनादेश में जो शर्तें थीं, उसमें एक शर्त यह भी थी कि शासनादेश की किसी शर्त का उलंघन किया जाता है तो यह भूमि राज्य सरकार में निहित मानी जाएगी। एसडीएम की जांच में शासनादेश में दी गई शर्तों का उल्लंघन पाया गया।
अजय तिवारी ने बताया कि जमीन की खरीद के लिए शर्त थी कि इसका उपयोग चैरिटी के कार्यों के लिए होगा, जिसका उल्लंघन हुआ। इस मामले में एडीएम कोर्ट ने संबंधित भूमि राज्य सरकार में निहित करने के आदेश दिए हैं। एसडीएम सदर को आदेश दिए हैं कि वह इस भूमि पर कब्जा लेकर इसे अभिलेखों में इंद्राज कराएं।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, जौहर ट्रस्ट की इस जमीन पर जौहर विश्वविद्यालय का काम चल रहा है, लेकिन पिछले दस वर्षों में चैरिटी का कोई कार्य न होने की बात भी सामने आई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ट्रस्ट को एक सीमा के तहत ही जमीन आवंटित की जा सकती है, लेकिन इस मामले में नियम-कायदों का उल्लंघन किया गया। तत्कालीन एसडीएम सदर ने जौहर ट्रस्ट मामले में जांच की थी। इस पर एडीएम कोर्ट में वाद दायर कराया गया था।