राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ ने कोविड सम्मान प्रशस्ति पत्र एवं सम्मान राशि देने में सरकार पर आयुष चिकित्सकों एवं कार्मिकों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है। संघ का कहना है कि सरकार द्वारा सिर्फ़ एलोपैथिक विभाग के कार्मिकों के लिए ही कोविड सम्मान प्रशस्ति पत्र एवं कोविड सम्मान राशि के रूप में 11 हजार रूपये देने की घोषणा की गई है।
राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ, उत्तराखण्ड (पंजीकृत) के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ० डी० सी० पसबोला ने कहा कि कोरोना काल में प्रत्येक आयुष चिकित्सक एवं स्टाफ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रोगियों को ओपीडी में देखने, सैंपल लेने से लेकर कोरोना के खौफ से डरे लोगों को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने हेतु काउंसलिंग तक के कामों में आयुष चिकित्सक व कार्मिक भी जुटे रहे। यहां तक कि चैक पोस्टों में बाहर से आने वाले यात्रियों का परीक्षण, आईशोलेशन केंद्रों और होम आईशोलेशन में भी उनके द्वारा योगदान दिया गया।
उन्होंने कहा कि बावजूद इसके सरकार द्वारा कोविड सम्मान राशि देते समय फ्रंटलाइन आयुष चिकित्सकों एवं कर्मचारियों के योगदान को भुला देना दुर्भाग्यपूर्ण तो है ही, साथ में उनके मनोबल को भी गिराने वाला कदम है। आयुष प्रदेश में सरकार के इस भेदभावपूर्ण निर्णय से समस्त आयुष चिकित्सकों एवं कर्मचारियों में आक्रोश एवं हताशा व्याप्त है।
डॉ० पसबोला द्वारा बताया गया कि इस सम्बन्ध में संघ के प्रान्तीय अध्यक्ष डॉ० के० एस० नपलच्याल द्वारा निदेशक, आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं डॉ० वाई० एस० रावत को पत्र लिखकर आयुर्वेदिक चिकित्सकों एवं कर्मचारियों को भी कोविड सम्मान पत्र एवं राशि प्रदान किए जाने की मांग की है। जिसकी प्रतियां आयुष सचिव, आयुष मंत्री डॉ० हरक सिंह रावत एवं मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को भी भेजी गयी है।
सरकार के इस पक्षपात पूर्ण निर्णय की उपाध्यक्ष डॉ० अजय चमोला द्वारा भी कठोर शब्दों में भर्त्सना की गयी। वहीं महासचिव डॉ० हरदेव रावत द्वारा भी इस सम्बन्ध में आगे कार्यवाही करने की बात कही गयी है।
प्रान्तीय होम्योपैथिक संघ द्वारा भी सरकार के इस निर्णय का विरोध किया गया है एवं शासन को पत्र लिखा गया है।