मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को सचिवालय में डिजिटल माध्यम से त्रिस्तरीय पंचायतों (ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत एवं जिला पंचायत) को 15वें वित्त आयोग के टाईड अनुदान की कुल 143.50 करोड़ धनराशि का डिजिटल हस्तान्तरण किया। यह धनराशि उत्तराखण्ड की 7791 ग्राम पंचायतों, 95 क्षेत्र पंचायतों एवं 13 जिला पंचायतों को दी गई।
मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि पंचायतों को धनराशि का डिजिटल स्थानान्तरण होने से कार्यों में तेजी व पारदर्शिता आयेगी। सरकारी सिस्टम के प्रति लोगों का विश्वास भी बढ़ेगा। राज्य सरकार ग्रोथ सेंटर को बढ़ावा देने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही है। इसमें पंचायतों एवं पंचायतीराज विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। राज्य सरकार का प्रयास है कि न्याय पंचायतों पर जो भी ग्रोथ सेंटर बने, उनकी अपनी अलग पहचान हो। प्रत्येक ग्रोथ सेंटर के उत्पादों की अच्छी ब्रांडिंग हो।
मुख्यमंत्री ने पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि पंचायतों में जो भी कार्य हो रहे हैं, उनकी जियो टैगिंग एवं जीआईएस मैपिंग की जाय। सभी कार्यों में मानकों एवं डिजायन का विशेष ध्यान रखा जाय। कार्यों की नियमित माॅनिटरिंग की जाय। यह सुनिश्चित किया जाय कि पचायतों की दी जाने वाली धनराशि का सही उपयोग हो। पंचायतों में पथ प्रकाश की व्यवस्था का ध्यान रखा जाय। जल संरक्षण से संबधित कार्यों में विशेषज्ञों से भी राय ली जाय। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि भारत सरकार द्वारा लागू प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना डिजिटल इंडिया प्रोग्राम का उद्देश्य सरकारी सेवाओं को उन्नत करना, सरकारी योजनाओं की जानकारी ऑनलाइन पंहुचाना एवं ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देना है।
पंचायती राज विभाग के निदेशक एच.सी.सेमवाल ने बताया कि सभी त्रिस्तरीय पंचायतों को अपनी कार्य योजना ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर अपलोड करनी है और इसी पोर्टल के अनुरूप जियो टैगिंग व अन्य कार्य संपादित करने हैं। उन्होंने जानकारी दी कि वर्तमान में 7791 ग्राम पंचायतों में से 6773 ग्राम पंचायतों में ई-ग्राम स्वराज पोर्टल क्रियाशील हो चुकी हैं। 3554 ग्राम पंचायतों ने ऑनलाइन पेमेण्ट प्रारम्भ कर दिया है। इस पोर्टल के माध्यम से पंचायत को केन्द्रीय वित्त, राज्य वित्त व अन्य श्रोतों से प्राप्त धनराशि और पंचायत में कराये जा रहे विकास कार्यों की प्रगति के साथ-साथ अन्य जानकारी प्राप्त की जा सकती है।