भारतीय वायु सेना के इतिहास में 27 जुलाई की तिथि एक नए अध्याय के रूप में जुड़ गयी है, जब आज अत्याधुनिक मिसाइलों और घातक बमों से लैस पांच राफेल लड़ाकू विमान फ्रांस से भारत के लिए रवाना हुए। राफेल लड़ाकू विमानों ने आज सुबह फ्रांस के मेरिग्नैक स्थित दसॉल्ट एविएशन फैसिलिटी से भारत के लिए उड़ान भरी है। इन पांच विमानों में तीन सिंगल सीटर विमान और दो ट्विन सीटर विमान शामिल हैं। भारत ने सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ 60 हजार करोड़ रुपये में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की डील की थी। ये पांच विमान भारत और फ्रांस के बीच हुई 36 विमानों के समझौते की पहली खेप है।
भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट 7000 किलोमीटर की हवाई दूरी तय कर इन विमानों को बुधवार को अंबाला एयरबेस पहुंचाएंगे। राफेल भारतीय वायु सेना के 17 वें स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरोज’ का हिस्सा बनेगा, जो राफेल विमान से सुसज्जित पहला स्क्वाड्रन है। राफेल को औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में अगस्त में शामिल किया जाएगा।
इन विमानों का आगमन दो चरणों में करने की योजना बनाई गई है। विमानों को वहां से लाने की जिम्मेदारी भारतीय वायुसेना के पायलटों को दी गई है जिन्होंने इन विमानों को उड़ाने का व्यापक प्रशिक्षण लिया है। वहां से आगमन के पहले चरण के दौरान हवा से हवा में ईंधन भरने का काम भी यही पायलट करेंगे। फ्रांसीसी वायु सेना द्वारा उपलब्ध कराए गए विशेष टैंकर की सहायता से यह काम सफलतापूर्वक किया जाएगा।
भारत को ये विमान पहले मई में मिलने वाले थे, लेकिन कोरोना के कारण इनके मिलने में दो महीने की देरी हो गई। राफेल विमानों की पहली खेप में छह जेट भारत को मिलने हैं। पहले राफेल विमान को अक्टुबर 2019 में भारत को सौंपा गया था। इन विमानों के भारतीय वायुसेना में शामिल होने से देश की सामरिक शक्ति में जबरदस्त इजाफा होगा। भारत आने वाले 5 वीं जेनरेशन के इन राफेल फाइटर जेट्स में दुनिया की सबसे आधुनिक हवा से हवा में मार करने वाली मीटिआर मिसाइल भी लगी होंगी।