पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्म-निर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना के तहत ऋण देने की प्रक्रिया के शुरू होने के 41 दिनों के भीतर पांच लाख लोगों ने ऋण के लिए आवेदन किया है, जबकि एक लाख लोगों को ऋण उपलब्ध कराया जा चूका है। पीएम स्वनिधि योजना को केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने ‘आत्म-निर्भर भारत अभियान’ के तहत लॉन्च किया था।
आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के अनुसार इस योजना के तहत २ जुलाई से ऋण देने की प्रक्रिया शुरू की गयी थी। इसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों और उसके आसपास के अर्द्ध-शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 50 लाख स्ट्रीट वेंडर (रेहड़ी वाले छोटे व्यापारियों) को कोविड-19 लॉकडाउन के बाद फिर से अपना कारोबार शुरू करने के लिए बिना किसी की गारंटी के एक साल की अवधि के लिए 10,000 रुपये तक के कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा देना है। इसके तहत ऋण के नियमित किश्त चुकाने पर प्रोत्साहन के रूप में प्रति वर्ष 7 प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी दी जाएगी। इसके आलावा निर्धारित डिजिटल लेनदेन करने पर सालाना 1,200रुपये तक का कैशबैक और आगे फिर से ऋण पाने की पात्रता भी प्रदान की गई है।
पीएम स्वनिधि योजना में व्यावसायिक बैंकों- सार्वजनिक एवं निजी, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों, स्वयं सहायता समूह (SHG) बैंकों आदि के अलावा ऋण देने वाली संस्थाओं के रूप में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC)और लघु वित्तीय संस्थानों (MFI) को योजना से जोड़कर इन छोटे उद्यमियों के द्वार तक बैंकों की सेवाएं पहुंचाने का विचार किया गया है। डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म पर इन विक्रेताओं को लाना इनके क्रेडिट प्रोफाइल का निर्माण करने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है ताकि इन्हें औपचारिक शहरी अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनने में मदद मिल सके।
इस योजना को लागू करने की जिम्मेदारी भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDB) को दी गई है। रेहड़ी-खोमचे वालों को उधार देने के लिए इन ऋणदाता संस्थानों को लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMS) के माध्यम से प्रोत्साहित करने हेतु इनके पोर्टफोलियो के आधार पर एक ग्रेडेड गारंटी कवर प्रदान किया जाता है।
सड़कों पर रेहड़ी लगाकर व्यापार करने वाले ज्यादातर विक्रेता बहुत कम लाभ पर अपना व्यवसाय करते हैं। इस योजना के तहत ऐसे विक्रेताओं को लघु ऋण से न केवल बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है,बल्कि उन्हें आर्थिक प्रगति करने में भी मदद मिलेगी।