उत्तराखंड। श्री बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति में नए मुख्य कार्याधिकारी (CEO) की नियुक्ति चर्चाओं का केंद्र बन गयी है। सेवा नियमावली को ताक पर रख कर नए सीईओ के रूप में उत्तराखंड मंडी परिषद के सचिव विजय थपलियाल की नियुक्ति के बाद शासन की मंशा पर भी सवाल उठने लग गए हैं।
गौरतलब है कि मंदिर समिति द्वारा कुछ माह पूर्व अपने कार्मिकों के लिए सेवा नियमावली तैयार कर प्रदेश कैबिनेट से पारित कराई गयी थी। वर्ष 1939 में गठित मंदिर समिति में सेवा नियमावली के बनने को एक उपलब्धि के रूप में प्रचारित किया गया था। सेवा नियमावली में अन्य बातों के अलावा सीईओ पद के लिए प्रथम श्रेणी का राजपत्रित अधिकारी होना अनिवार्य अहर्ता रखी गयी है। इसके साथ ही उक्त अधिकारी को प्रशासनिक कार्यों का अनुभव जरुरी माना गया है। मंदिर समिति में गत वर्ष शासन द्वारा अतिरिक्त मुख्य कार्याधिकारी (ACEO) का पद भी सृजित किया गया था। ACEO पद पर शासन ने पीसीएस अधिकारी की नियुक्ति का शासनादेश जारी किया है।
इसका स्पष्ट तात्पर्य है कि सीईओ पद पर वरिष्ठ PCS अथवा जूनियर आईएएस अफसर की तैनाती ही होनी थी। किन्तु शासन ने सेवा नियमावली और शासनदेशों को ताक पर रखकर मंडी समिती में सचिव स्तर के अधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल को मन्दिर समिती का सीईओ नियुक्त कर दिया। मंडी समिती सचिव पद पर समूह ग के माध्यम से नियुक्ति होती है। विभागीय पदोन्नति के बाद थपलियाल के वेतनमान में भले ही वृद्धि हुई हो, किंतु वे राजपत्रित अधिकारी की श्रेणी में नहीं हैं।
थपलियाल को सीईओ नियुक्त करने से मन्दिर समिति को कई प्रकार के अंतर्विरोधों का सामना करना पड़ रहा है। थपलियाल की कनिष्ठता और स्तर को देखते हुए अपर मुख्य कार्याधिकारी के पद पर कोई भी PCS अफसर आने को तैयार नहीं है।
यही नहीं मन्दिर समिति में पूर्व से तैनात अफसरों को भी शासन के इस निर्णय के कारण असमंजस की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। मंदिर समिति में वर्तमान में मुख्य वित्त अधिकारी के पद पर तैनात अधिकारी प्रदेश वित्त सेवा के अधिकारी हैं और थपलियाल से कई स्तर ऊपर हैं। इसी प्रकार समिति के विशेष कार्याधिकारी सचिवालय में अनु सचिव स्तर के अधिकारी हैं।
बीकेटीसी में थपलियाल की नियुक्ति शुरु दिन से ही विवादों और चर्चाओं का केंद्र बनी रही है। धर्मस्व व संस्कृति विभाग के सचिव हरिश्चंद सेमवाल ने विगत माह 29 जुलाई को 3 वर्ष के लिए थपलियाल को प्रति नियुक्ति पर सीईओ नियुक्त करने के आदेश जारी किए। इसके बाद 30 जुलाई को मंडी परिषद के प्रबंध निदेशक बीएस चलाल ने थपलियाल को अनापत्ति प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया था। मगर आश्चर्यजनक ढंग से चार घंटे के भीतर ही मंडी परिषद ने शासन के निर्देश पर थपलियाल के अनापत्ति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया।
मंडी परिषद द्वारा आनन- फानन में अनापत्ति प्रमाण पत्र निरस्त किये जाने के करीब एक सप्ताह बाद 8 अगस्त को दुबारा से थपलियाल को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया और फिर थपलियाल ने सीईओ का कार्यभार संभाला। बहरहाल, थपलियाल की नियुक्ति को लेकर तमाम तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। इस संबंध में संपर्क किये जाने पर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि सेवा नियमावली का पालन करना और देखना शासन में धर्मस्व व संस्कृति विभाग का काम है। धर्मस्व विभाग ही इस बारे में बता सकता है। उधर, इस मामले में सचिव धर्मस्व व संस्कृति हरिश्चंद्र सेमवाल से भी बात करने की कोशिश की गई, किंतु उनसे संपर्क नहीं हो सका।