भूदेव एप से मिलेगी भूकंप की पूर्व चेतावनी, आईआईटी रुड़की की अनूठी तकनीक..
उत्तराखंड: आईआईटी रुड़की के सहयोग से उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग ने एक उन्नत भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित की है। यह प्रणाली भूकंप की प्रारंभिक (प्राथमिक) तरंगों का पता लगाएगी, जो हानिकारक (सेकेंडरी) तरंगों के आने से पहले उत्पन्न होती हैं। वैज्ञानिक विधि से भूकंप का पहले ही आभास कर लिया जाएगा। इसके बाद भूदेव एप और सायरन के माध्यम से लोगों को 15 से 30 सेकंड पहले सतर्क किया जा सकेगा। इस पूर्व चेतावनी से लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने का मौका मिलेगा। जिससे भूकंप के दौरान होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा। यह प्रणाली भूकंप संवेदनशील उत्तराखंड जैसे राज्यों के लिए वरदान साबित होगी।
आईआईटी रुड़की के भूविज्ञान केंद्र और आपदा जोखिम एवं न्यूनीकरण विभाग के प्रो. कमल कहते हैं कि भूकंप का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है। पर भूकंप से कैसे लोगों को सुरक्षित किया जा सकता है, इसको लेकर वर्ष-2017 में राज्य सरकार ने संस्थान को जिम्मेदारी सौंपी थी, जिसके तहत काम किया जा रहा था। इसी के तहत भूदेव एप को विकसित किया गया है। प्रो. कमल का कहना हैं कि राज्य में अलग-अलग जगहों पर 169 सेंसर और 112 सायरन लगाए गए हैं। जब भूकंप आता है तो उसमें दो तरह की प्राइमरी और सेकेंडरी तरंग निकलती है। इसमें सेकेंडरी तरंग घातक होती है। प्राइमरी तरंग तेज होती है और सेकेंडरी तरंग की गति तुलनात्मक तौर पर गति कम होती है।
भूदेव एप को प्ले स्टोर व एप स्टोर के माध्यम से डाउन लोड कर सकते..
उत्तराखंड में आईआईटी रुड़की और आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा विकसित भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली के तहत राज्यभर में लगे सेंसर भूकंप की प्राथमिक (P-Waves) तरंगों का तुरंत पता लगाएंगे। भूकंप आते ही सेंसर इसकी प्रारंभिक तरंगों को पकड़ लेंगे। यह डेटा तुरंत प्रोसेस होकर इंटरनेट के माध्यम से प्रसारित होगा। भूदेव एप और विभिन्न स्थानों पर लगे सायरनों तक यह सूचना तत्काल पहुंचाई जाएगी। इससे लोगों को 15-30 सेकंड पहले सतर्क कर सुरक्षित स्थानों पर जाने का अवसर मिलेगा। जिससे जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकेगा। पर यह चेतावनी रियेक्टर स्केल पर 5 से अधिक तीव्रता का भूकंप आने पर मिलेगी। यह भूदेव राज्य के भीतर ही काम करेगा। इस भूदेव एप को प्ले स्टोर व एप स्टोर के माध्यम से डाउन लोड कर सकते हैं। इससे बड़े भूकंपों के दौरान लोगों को समय रहते बचाव का मौका मिलेगा। साथ ही आपदा प्रबंधन की क्षमता में उल्लेखनीय सुधार होगा।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को भेजा प्रस्ताव..
राज्य में राष्ट्रीय भूकंप जोखिम न्यूनीकरण योजना के तहत 169 सेंसर लगे हैं, इनकी संख्या बढ़ाकर 500 करने और सायरनाें की संख्या एक हजार तक करने की योजना है। इसके लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को 150 करोड़ से अधिक का प्रस्ताव भेजा है।
गंगोत्री धाम कपाटोद्घाटन की तिथि घोषित, 30 अप्रैल को खुलेंगे कपाट..
उत्तराखंड: हिंदू नववर्ष और चैत्र प्रतिपदा के शुभ अवसर पर गंगोत्री धाम मंदिर समिति ने कपाटोद्घाटन की तिथि और समय निश्चित कर लिया है। गंगोत्री धाम के कपाट 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन सुबह 10:30 बजे विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। हर साल लाखों श्रद्धालु गंगा माता के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गंगोत्री धाम की यात्रा करते हैं। कपाटोद्घाटन के साथ ही चारधाम यात्रा का शुभारंभ हो जाएगा।
गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल का कहना हैं कि पंचांग गणना के अनुसार कपाटोद्घाटन की तिथि और समय निर्धारित किया गया है। 29 अप्रैल दोपहर में माँ गंगा की विग्रह डोली शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव से विधिवत पूजा-पाठ के साथ गंगोत्री धाम के लिए रवाना होगी। भैरों घाटी स्थित भैरव मंदिर में डोली का रात्रि प्रवास होगा। 30 अप्रैल सुबह डोली गंगोत्री धाम पहुंचेगी और सुबह 10:30 बजे कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। बता दे कि चारधाम यात्रा की आधिकारिक शुरुआत गंगोत्री धाम और यमुनोत्री धाम के कपाटोद्घाटन से होती हैं, जिसे लेकर श्रद्धालुओं में भी भारी उत्साह रहता है।
यमुना जयंती पर तय होगा यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने का समय..
यमुनोत्री धाम के कपाट भी अक्षय तृतीय के अवसर पर ही खुलेंगे। यमुनोत्री मंदिर समिति के कोषाध्यक्ष प्रदीप उनियाल ने कहा कि यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने का समय आगामी तीन अप्रैल को यमुना जंयती के अवसर पर निश्चित किया जाएगा।
CAG रिपोर्ट में उजागर हुई CAMPA कार्यों में अनियमितताएँ, सरकार उठाएगी सख्त कदम..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA) के तहत किए जाने वाले कार्यों की सहयोग और निगरानी के लिए बाहरी एजेंसी की मदद लेने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए शासन से अनुमति मिलने के बाद प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। आपको बता दे कि कैंपा के तहत हर साल लगभग 300 करोड़ तक के कार्य किए जाते हैं। इसके लिए बाहरी एजेंसी की भूमिका निगरानी, मूल्यांकन और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी।जिससे वृक्षारोपण, वन संरक्षण और पुनर्वनीकरण से जुड़े कार्यों में गुणवत्ता और प्रभावशीलता बढ़ेगी। राज्य सरकार का यह कदम पर्यावरण संरक्षण और वन प्रबंधन को और अधिक मजबूत करने में मदद करेगा
उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र में कैग (CAG) रिपोर्ट के माध्यम से प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA) के कार्यों में अनियमितताओं का जिक्र हुआ था। इसके साथ कैंपा के अंतर्गत पौधरोपण जैसे कार्याें में खड़ी ढलान जैसे स्थानों का चयन, पौधरोपण के लिए 10 साल के लिए राशि लेने के साथ देखभाल पांच साल करने जैसी कई अनियमितता की बात सामने आई थी।
साथ ही राशि से आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज खरीदने के आरोप थे। रिपोर्ट आने के बाद से विभाग में खलबली मच गई थी। मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था। अब कैंपा के कामों और बेहतर ढंग से करने के साथ निगरानी तंत्र को मजबूत करने के साथ बाहरी संस्था की मदद लेने का फैसला किया गया है।
चारधाम यात्रा- यात्रियों का ‘अतिथि देवो भव’ की तर्ज पर किया जाएगा स्वागत..
उत्तराखंड: 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ चारधाम यात्रा का शुभारंभ हो जाएगा। यात्रियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने व्यापक तैयारियां कर ली हैं। यात्रियों के लिए विशेष स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध रहेंगी। साथ ही यात्रा मार्गों पर मेडिकल कैंप और मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयां तैनात रहेंगी। यात्रियों का ‘अतिथि देवो भव’ की तर्ज पर स्वागत किया जाएगा। सुरक्षित और यादगार यात्रा अनुभव सुनिश्चित करने के लिए हर स्तर पर इंतजाम किये गए हैं।
आगामी चारधाम यात्रा की शुरुआत होने जा रही है और टिहरी जिला चारधाम यात्रा का मुख्य केंद्र है। जो भी देश विदेश के श्रद्धालु चारधाम की यात्रा पर आता है, उसे केदारनाथ बद्रीनाथ जाने के लिए टिहरी जिले के ऋषिकेश-देवप्रयाग-कीर्तिनगर-श्रीनगर होते हुए जाना पड़ता है। गंगोत्री, यमनोत्री जाने के लिए टिहरी जिले के ऋषिकेश-चम्बा-धरासू से गुजरना पड़ता है। ऐसे में यात्रियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस ली है।
टिहरी सीएमओ डॉ. श्याम विजय का कहना हैं कि चारधाम यात्रा को लेकर 29 एम्बुलेंस, जिसमें 13 एम्बुलेंस 108 सेवा की और 16 एम्बुलेंस स्वास्थ्य की तैनात रहेंगी। इसके साथ ही 20 स्वास्थ्य केंद्र इकाई हैं, जिसमें सभी डॉक्टर, स्टाफ औषधियों समेत पूरी सुविधाओं के साथ तैनात रहेंगे। विभाग ने यात्रा मार्गों पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए हर 20 किलोमीटर की दूरी पर टोल फ्री नंबर के साथ बड़े-बड़े होर्डिंग, बैनर लगाए हैं, जिससे यात्रियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सके। स्वास्थ्य विभाग की कोशिश रहेगी कि सभी श्रद्धालुओं को ‘अतिथि देवो भव’ के तहत अच्छी स्वास्थ्य सेवा मिल सके और वो अच्छा संदेश लेकर जाए। वहीं दुर्घटना होने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम एम्बुलेंस के साथ 15 मिनट के अंदर घटनास्थल पर पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा मार्ग पर 76 चिकित्साधिकारी, 21 फार्मासिस्ट, 29 नर्सिंग अधिकारी, 38 कक्ष सेवक और 28 स्वच्छक समेत टोटल 192 कर्मचारियों का स्टाफ तैनात रहेगा. 29 एम्बुलेंस यात्रा मार्ग पर तैनात की गई हैं।
नंदा गौरा योजना- सीएम धामी ने डीबीटी के माध्यम से वितरित की धनराशि..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को डीबीटी (डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर) के माध्यम से नंदा गौरा योजना की धनराशि जारी की। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 40,504 लाभार्थियों को 1 अरब 72 करोड़ 44 लाख 04 हजार रुपये का वितरण किया गया। इस योजना से पिछले 5 वर्षों में 2,84,559 लाभार्थियों को लाभ मिला। अब तक कुल 9 अरब 68 करोड़ 64 लाख 51 हजार रुपये वितरित किए गए। इस योजना का उद्देश्य बालिकाओं को आर्थिक सहायता प्रदान कर उनके शिक्षा और सशक्तिकरण को बढ़ावा देना।
नंदा गौरा योजना के अंतर्गत उत्तराखंड में कन्या के जन्म पर 11 हजार एवं 12वीं उत्तीर्ण करने पर 51 हजार रुपए की धनराशि प्रदान की जा रही है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लाभार्थियों में जन्म पर आठ हजार 616 बालिकाओं को नौ करोड़ 81 लाख 16 हजार की धनराशि और 12वीं पास करने वाली 31 हजार 888 बालिकाओं को एक अरब 62 करोड़ 62 लाख 88 हजार की धनराशि मुख्यमंत्री द्वारा डीबीटी के माध्यम से हस्तांतरित की गई। सीएम धामी का कहना हैं कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की दिशा में राज्य सरकार द्वारा अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। नंदा गौरा योजना से बड़ी संख्या में राज्य के गरीब परिवारों की बालिकाएं लाभान्वित हो रही हैं। उत्तराखण्ड में बालिका शिक्षा प्रोत्साहन योजना, मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट योजना जैसी महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई जा रही है।
चारधाम होटल एसोसिएशन की मांग, यात्रियों की सीमित संख्या की बाध्यता समाप्त करे सरकार..
उत्तराखंड: चारधाम होटल एसोसिएशन ने सरकार से चारधाम यात्रा में यात्रियों की संख्या पर लगी सीमा हटाने की मांग की है। एसोसिएशन ने सीएम धामी को ज्ञापन भेजकर यह अपील की है कि यात्रियों और होटल व्यवसायियों के हित में यह निर्णय लिया जाए। होटल एसोसिएशन का कहना हैं कि सीमित संख्या के कारण होटल, गेस्ट हाउस और रेस्तरां व्यवसाय प्रभावित हो रहे हैं। इससे यात्रा से जुड़े व्यवसायों जैसे ट्रांसपोर्ट, गाइड, दुकानें और स्थानीय सेवाओं पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ रहा है। एसोसिएशन का मानना है कि सुव्यवस्थित प्रबंधन के जरिए ज्यादा यात्रियों को समायोजित किया जा सकता है। कहा कि चारधाम यात्रा पर प्रतिदिन यात्रियों की संख्या सीमित करने से श्रद्धालुओं को असुविधा होती है। स्थानीय होटल, धर्मशालाओं एवं अन्य व्यवसायों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने यात्रा के लिए स्व: घोषणापत्र की अनिवार्यता भी खत्म करने की मांग की।
कहा कि अधिकांश यात्री एडवांस बुकिंग नहीं करते। ऐसे में यह बाध्यता यात्रियों और होटल व्यवसायियों के लिए परेशानी उत्पन्न हो जाती है। चारधाम होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश मेहता एवं यमुनोत्री घाटी यमुनोत्री धाम होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष शोभन सिंह राणा ने बताया कि यात्रा सरल और सुगम हो, इसके लिए सभी लोगों को सामूहिक प्रयास करना होगा।
एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश मेहता और यमुनोत्री धाम होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष शोभन सिंह राणा का कहना हैं कि यात्रा को सरल और सुगम बनाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। बता दे कि अधिकांश यात्री एडवांस बुकिंग नहीं करते, ऐसे में यह बाध्यता श्रद्धालुओं और होटल व्यवसायियों दोनों के लिए परेशानी का कारण बन रही है। संख्या सीमा के कारण यात्री असुविधा महसूस कर रहे हैं, जिससे होटल, धर्मशालाओं और अन्य व्यवसायों को भी आर्थिक नुकसान हो रहा है। कहा कि अन्य राज्यों के व्यावसायिक वाहन चालकों के लिए एंडोर्समेंट परीक्षा की बाध्यता समाप्त की जानी चाहिए। यह अनिवार्यता बाहरी राज्यों के वाहन चालकों के लिए कठिनाई उत्पन्न कर रही है।
10 अप्रैल के बाद केदारनाथ पहुंचेगा बीकेटीसी दल, कपाटोद्घाटन की तैयारियां जोरों पर
उत्तराखंड: केदारनाथ मंदिर के कपाट खोलने और पूजा व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति का अग्रिम दल 10 अप्रैल के बाद केदारनाथ धाम के लिए रवाना होगा। ये दल कपाटोद्घाटन तक धाम में रहेगा और सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करेगा। केदारनाथ धाम की यात्रा को सफल और सुगम बनाने के लिए मंदिर समिति, प्रशासन और अन्य विभाग मिलकर तैयारियों को समय पर पूरा करने में जुटे हैं। बीकेटीसी के मुख्य कार्यधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल का कहना हैं कि 2 मई से शुरू हो रही केदारनाथ यात्रा को लेकर सभी तैयारियां समय पर पूरी कर दी जाएंगी।
श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति का अग्रिम दल 10 अप्रैल के बाद केदारनाथ धाम पहुंचेगा। यह दल बर्फ से हुई क्षति का आकलन करेगा और मंदिर परिसर की सफाई, रंग-रोगन और अन्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त करेगा। साथ ही भोग मंडी की सफाई, रावल, मुख्य पुजारी और कर्मचारी आवास की साफ-सफाई कर व्यवस्था सुधारेगा। उन्होंने कहा कि इस साल बाबा के भक्तों और मंदिर समिति के कर्मचारियों के लिए व्यवस्थाएं और अधिक सुचारू और बेहतर की जाएंगी ताकि यात्रा को सुगम बनाया जा सके।
चारधाम यात्रा में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, रेंज कार्यालय में विशेष निगरानी सेल गठित..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए आईजी रेंज कार्यालय में एक विशेष निगरानी सेल बनाई गई है। डीआईजी रैंक के इसके प्रभारी रहेंगे जो हर समय यात्रा मार्ग की निगरानी करेंगे। इसके साथ ही प्रमुख पड़ावों पर एएसपी स्तर के अधिकारियों को नियुक्त किया जाएगा। ताकि किसी भी समस्या के तत्काल निराकरण के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इस पहल से यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को प्राथमिकता मिलेगी, जिससे चारधाम यात्रा अधिक सुगम और संरक्षित होगी।
आईजी गढ़वाल रेंज राजीव स्वरूप ने जानकारी दी कि चारधाम यात्रा के दौरान सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। जिसके तहत हर प्रमुख ठहराव स्थल पर एक एएसपी रैंक के अधिकारी की तैनाती होगी। यात्रा मार्गों की निगरानी और समन्वय के लिए आईजी रेंज कार्यालय में विशेष सेल का गठन किया गया हैं। डीआईजी रैंक के अधिकारी चौबीसों घंटे यात्रा की सुरक्षा और संसाधनों की निगरानी करेंगे। इन प्रयासों से यात्रा अधिक सुरक्षित और सुव्यवस्थित होगी, जिससे श्रद्धालुओं को किसी भी आपात स्थिति में त्वरित सहायता मिल सकेगी।
इस सेल के इंचार्ज डीआईजी (उप महानिरीक्षक) रैंक के अधिकारी होंगे। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान सुरक्षा, ट्रैफिक प्रबंधन और तीर्थयात्रियों की सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे यात्रा मार्गों पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सतर्क रहें और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तैयारी रखें।
मेडिकल शिक्षा को बढ़ावा- हल्द्वानी और पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेजों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की नियुक्ति..
मेडिकल शिक्षा को बढ़ावा- हल्द्वानी और पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेजों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की नियुक्ति..
चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को मिलेगा बढ़ावा..
उत्तराखंड: प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में शिक्षक और प्रशिक्षण व्यवस्था को मजबूत करने के लिए आधा दर्जन स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की नियुक्ति की जाएगी। संविदा के आधार पर चयनित इन डॉक्टरों में से चार फैकल्टी की नियुक्ति राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी जबकि दो फैकल्टी पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज में तैनात की जाएगी। इससे मेडिकल कॉलेजों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर सुधरेगा, जिससे छात्रों और मरीजों दोनों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बयान जारी कर कहा कि राजकीय मेडिकल कॉलेजों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के पदों को भरने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। ताकि मेडिकल कॉलेजों में शिक्षण और प्रशिक्षण व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हो सके। साथ ही मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाए। स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की नियुक्ति से चिकित्सा शिक्षा और उपचार सेवाओं में सुधार हो। सरकार द्वारा लिए गए इन फैसलों से राज्य में मेडिकल शिक्षा को और अधिक सुदृढ़ करने के साथ-साथ जनसाधारण को उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
स्वास्थ्य मंत्री का कहना हैं कि राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी और पिथौरागढ़ में आधा दर्जन और विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति कर दी गई। फैकल्टी की नियुक्ति होने से दोनों मेडिकल कॉलेज में आधुनिक चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही मरीजों को बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध होगी। धन सिंह रावत का कहना है कि राज्य सरकार का लक्ष्य सभी मेडिकल कॉलेजों में 100 प्रतिशत फैकल्टी की तैनाती करना है। ताकि राजकीय मेडिकल कॉलेजों में उच्च स्तरीय शिक्षक प्रशिक्षण रिसर्च और क्लीनिकल सेवाएं मिल सके।
उत्तराखंड सरकार ने राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी और पिथौरागढ़ में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति कर मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त करने की दिशा में अहम कदम उठाया है। हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में साइट्रिक विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में डॉ. निकिता देउपा का चयन हुआ हैं। जबकि जनरल मेडिसिन विभाग में डॉ. रवि सिंह और डॉ. सुधीर कुमार वर्मा को असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति मिली हैं। बाल रोग विभाग में डॉ. सत्येंद्र गुप्ता को असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया। पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज में अस्थि रोग विभाग में डॉ. योगेश कुमार को असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्त किया गया। जबकि डेंटल रोग विभाग में डॉ. समीर पांडे का चयन असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में हुआ। इन सभी स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की नियुक्ति सिलेक्शन कमेटी की ओर से वॉक इन इंटरव्यू के माध्यम से की गई है। फैकल्टी की नियुक्ति संविदा के आधार पर अगले तीन वर्षों के लिए की गई है।
पत्रकार कल्याण कोष समिति की सिफारिश, 6 पत्रकारों को मिलेगी 30 लाख की आर्थिक सहायता..
उत्तराखंड: पत्रकार कल्याण कोष समिति ने 6 पत्रकारों को कुल 30 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की सिफारिश की है। इस सिफारिश को सीएम पुष्कर सिंह धामी, जो समिति के अध्यक्ष भी हैं, के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। बैठक में कुल 11 मामलों पर विचार किया गया। जिसमें 6 पत्रकारों को आर्थिक सहायता दिए जाने की सिफारिश की गई। यह सहायता उन पत्रकारों के लिए संजीवनी साबित होगी, जो आर्थिक संकट या कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। आर्थिक सहायता वाले प्रकरणों में एक प्रकरण पिछले माह दिवंगत हुए पत्रकार मंजुल सिंह माजिला के परिवार को भी आर्थिक सहायता की सिफारिश की गई है। सोमवार को सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी की अध्यक्षता में हुई समिति की बैठक में शेष पांच प्रकरणों में अभिलेख अपूर्ण पाए गए।
डीजी सूचना ने निर्देश दिए हैं कि शेष रह गए प्रकरणों को निपटाने के लिए आवेदकों को एक और मौका दिया जाए। इसके लिए जिला सूचना अधिकारियों को संबंधित दस्तावेज पूरा कराने के निर्देश दिए गए हैं। बता दे कि मुख्यमंत्री पत्रकार सम्मान पेंशन योजना पर समिति की बैठक आयोजित हुई। बैठक में एक प्रकरण को समिति के समक्ष रखा गया। सरकार पत्रकारों के कल्याण के लिए आर्थिक सहायता और पेंशन योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करने की दिशा में कार्य कर रही है। आवश्यक अभिलेख न होने के कारण प्रकरण के मामले में निर्णय नहीं लिया गया। बैठक में पत्रकार कल्याण कोष समिति के गैर सरकारी सदस्य पत्रकार प्रतिनिधि बीडी शर्मा, डॉ. डीडी मित्तल, निशा रस्तोगी, दिनेश जोशी सहित सूचना विभाग के अपर निदेशक, आशिष कुमार त्रिपाठी तथा संयुक्त निदेशक केएस चौहान उपस्थित थे।