ऋषिकेश-शिवपुरी बायपास सहित कई अहम परियोजनाओं पर समयबद्ध कार्रवाई के निर्देश
देहरादून। मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय स्थित अपने सभागार में प्रदेश के भीतर सभी राष्ट्रीय राजमार्गों की समीक्षा की। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने प्रदेश के अंतर्गत एनएच पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई की सड़कों की स्थिति और प्रगति की विस्तार से जानकारी ली।
मुख्य सचिव ने एनएच पीडब्ल्यूडी की सड़कों की बॉटल नेक की जानकारी लेते हुए उन्हें दुरुस्त किए जाने के लिए शीघ्र योजना तैयार किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने वन एवं वन्यजीव संस्तुतियों के लिए लगातार केन्द्र एवं राज्य स्तरीय सम्बन्धित विभागों से अनुवर्तन करते रहने की बात भी कही। कहा कि एनएच पीडब्ल्यूडी द्वारा लम्बित मामलों में सम्बन्धित जिलाधिकारियों और फारेस्ट के साथ लगातार बैठकें आयोजित करते हुए लम्बित प्रकरणों का निस्तारण किया जाए।
मुख्य सचिव ने ऋषिकेश बाईपास में बायपास को ऋषिकेश से शिवपुरी तक बढ़ाए जाने हेतु कार्यवाही शुरू किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि केंद्र के स्तर से प्राप्त होने वाली स्वीकृतियों के लिए लगातार प्रयास किए जाएँ। उन्होंने कलियासौड़ रिअलाइनमेंट और जोशीमठ बाईपास रिअलाइनमेंट कार्य पूर्ण किए जाने के लिए टाईमलाइन निर्धारित किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि कार्यों को निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत पूर्ण किए जाने के लिए लगातार उच्च स्तरीय मॉनिटरिंग की जाए। उन्होंने कार्यों को समय से पूरा किए जाने के लिए जिन कार्यों को समानान्तर शुरू किया जा सकता है, उन्हें शुरू कर लिया जाए।
मुख्य सचिव ने एनएचएआई के अंतर्गत बन रही सड़कों की प्रगति की भी समीक्षा की। उन्होंने एनएचएआई के बल्लुपुर पोंवटा साहिब पैकेज 1 और 2, झाझरा-आशारोड़ी 4 लेन, हरिद्वार बायपास सहित विभिन्न स्तरों पर चल रहे प्रोजेक्टों की विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने कार्यों को निर्धारित समयसीमा के अंतर्गत पूर्ण किए जाएं।
सचिव डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय ने बताया कि प्रदेश के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्गाें की कुल लम्बाई 3589.99 किमी है, जो एनएच पीडब्ल्यूडी के पास 2028.19 किमी, बीआरओ के पास 986.8 किमी, एनएचआईडीसीएल के पास 130 किमी और एनएचएआई के पास 445 किमी है। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा मार्ग के कुल 53 कार्य होने हैं, जिनमें से 47 को स्वीकृति प्राप्त है। 42 कार्य अवार्ड किए जा चुके हैं, जिनमें से 30 कार्य पूर्ण हो चुके हैं। 12 कार्यों पर कार्य गतिमान है। 5 कार्य अवार्ड होने बाकी हैं और 6 कार्य स्वीकृत होने बाकी हैं।
इस अवसर पर अपर सचिव विनीत कुमार एवं रीजनल ऑफिसर एनएचएआई विशाल गुप्ता एवं पीडी एनएचएआई पंकज भी उपस्थित थे।
गुणवत्तापूर्ण सेवाओं एवं विकास के लिए मानकीकरण अत्यंत आवश्यक-सीएम धामी
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुख्यमंत्री आवास में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) देहरादून शाखा के निदेशक एवं प्रमुख सौरभ तिवारी के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने शिष्टाचार भेंट की | इस प्रतिनिधिमंडल में शिक्षा क्षेत्र, उद्योग जगत एवं उपभोक्ता संगठनों के प्रतिनिधि सम्मिलित थे।
मुख्यमंत्री धामी से भारतीय मानक ब्यूरो के प्रतिनिधिमंडल ने राज्य में मानकीकरण से संबंधित विविध पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्देश दिए कि सरकारी खरीद प्रक्रिया में भारतीय मानकों (IS) का अनिवार्य समावेश सुनिश्चित किया जाए | उन्होंने विभागीय अधिकारियों हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए | मुख्यमंत्री ने भवन निर्माण में IS आधारित विनियमों (SP 73:2023) को अपनाने तथा विभिन्न सरकारी विभागों में प्रबंधन प्रणाली मानकों (जैसे IS 15700, ISO 9001, ISO 21001) के प्रभावी क्रियान्वयन के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने प्रतिनिधित्वमंडल को उत्तराखंड में मानकीकरण को सुदृढ़ आधार प्रदान करने हेतु संबंधित विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाने का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण सेवाओं एवं विकास के लिए मानकीकरण अत्यंत आवश्यक है तथा यह पहल ‘विकसित उत्तराखंड’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगी।
बैठक में अपर सचिव मा मुख्यमंत्री बंशीधर तिवारी, भारतीय मानक ब्यूरो के अधिकारी मौजूद रहे |
समाज कल्याण विभाग हर तीन माह में नए दिव्यांग मतदाताओं की सूची कराए उपलब्ध- सीईओ
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने ली सुगम मतदान हेतु राज्य स्तरीय प्रचालन समिति की बैठक
जिला स्तर पर पीडब्ल्यूडी आईकॉन किए जाएं चिन्हित
देहरादून। मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम की अध्यक्षता में गुरुवार को सचिवालय में सुगम मतदान हेतु राज्य स्तरीय प्रचालन समिति “स्टेट स्टेयरिंग कमेटी ऑन एक्सेसिबल इलेक्शन“ की बैठक आयोजित की गई। बैठक में समिति के सदस्यों आयुक्त, निःशक्त जन, निदेशक समाज कल्याण, निदेशक शिक्षा, मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग,महानिदेशक सूचना एवं विभिन्न एनजीओ के प्रतिनिधियों से विभिन्न बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चा की गई।
बैठक में मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने विस्तृत दिशा निर्देश देते हुए कहा कि प्रदेश के सभी पोलिंग बूथों पर आयोग द्वारा दी जाने वाली न्यूनतम सभी सुविधाओं ”एश्योर मिनिमम फैसेलिटी” (एएमएफ) को सुनिश्चित करने के लिए हर सम्भव प्रयास किए जाएं। उन्होंने समाज कल्याण विभाग को निर्देश दिए कि विभाग में दर्ज दिव्यांग पेंशनधारकों को मतदाता सूची में शत प्रतिशत पीडब्ल्यूडी श्रेणी में शामिल कराने के दृष्टिगत 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर की अर्हता तिथि के आधार पर हर तीन माह में अपडेटेड सूची निर्वाचन विभाग को उपलब्ध करा दी जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि आगामी विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम (SSR) में इस पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि पीडब्ल्यूडी मतदाताओं का चिन्हिकरण कर उनके पोलिंग बूथ के अनुसार उन्हें एएमएफ सुविधा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने निर्देश दिए कि जिला स्तर पर डिस्ट्रिक स्वीप पीडब्ल्यूडी आईकॉन चिन्हित किए जाएं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने एनआईईपीवीडी को ब्रेल आधारित मतदाता जागरुकता सम्बंधी प्रचार सामग्री तैयार करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
बैठक में अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ विजय कुमार जोगदंडे ने “स्टेट स्टेयरिंग कमेटी ऑन एक्सेसिबल इलेक्शन“ के सम्बंध में विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि आयोग के निर्देशानुसार वर्ष-2018 से राज्य में कुल 03 प्रकार की समीतियां गठित हैं जिनमें राज्य,जनपद एवं विधान सभा स्तर पर समय-समय पर बैठक आयोजित की जाती हैं। प्रस्तुतीकरण में अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि राज्य में 30-39 आयु वर्ग के दिव्यांग जनों का प्रतिशत सर्वाधिक है। उन्होंने बताया कि आयोग का मुख्य उद्ेश्य दिव्यांगजनों द्वारा पोलिंग बूथों पर दी जाने वाली न्यूनतम सुविधा जैसे – रैम्प, व्हील चेयर, सुविधानुसार शौचालय, पीने का पानी, शेड, बैठने की सुविधा आदि के आभाव को दूर करना है।
बैठक में उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी किशन सिंह नेगी,सहायक मुख्य निर्वाचन अधिकारी मस्तू दास अपर जिलाधिकारी, देहरादून जय भारत सिंह, संयुक्त निदेशक, उच्च शिक्षा डा एएस उनियाल,संयुक्त निदेशक, समाज कल्याण गीता राम नौटियाल,उप निदेशक, सूचना रवि बिजारनियां,संयुक्त निदेशक, लेपोरेसी, जितेन्द्र नेगी सहित माध्यमिक शिक्षा, लोक निर्माण विभाग एनआईईपीवीडी, सर्व कल्याण विकास समिति, दिव्य एजुकेशनल सोसाईटी, नन्ही दुनिया, अरूणिमा फाउन्डेशन, चशायर होम, बाल वनिता आश्रम के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
दिग्विजय सिंह और एसटी हसन के बयानों पर भाजपा ने किया तीखा पलटवार
नई दिल्ली। कांवड़ यात्रा के साथ एक बार फिर देश की सियासत गर्मा गई है। यात्रा के दौरान कुछ घटनाओं को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं के बयानों पर भारतीय जनता पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने यात्रा में ‘नफरत फैलाने’ की आशंका जताई, जबकि समाजवादी पार्टी के नेता एसटी हसन ने धार्मिक पहचान पूछे जाने की घटनाओं की तुलना ‘आतंकवाद’ से कर दी। इन बयानों को भाजपा ने हिंदू आस्था का अपमान बताया है।
दिग्विजय सिंह और एसटी हसन के बयान बने सियासत का केंद्र
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि राज्य सरकारें अगर कांवड़ यात्रा के लिए सुविधाएं देती हैं तो यह स्वागत योग्य है, लेकिन जब इसका इस्तेमाल किसी समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए किया जाए तो यह चिंताजनक हो जाता है। उन्होंने कहा, “किसी भी सभ्य समाज में नफरत फैलाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।”
वहीं, एसटी हसन ने दावा किया कि उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा के दौरान कुछ दुकानदारों और होटल कर्मचारियों की धार्मिक पहचान पूछी जा रही है। उन्होंने इसे ‘धार्मिक आतंकवाद’ जैसा बताते हुए कहा, “धर्म पूछकर कपड़े उतरवाना या नाम पूछना, यह वैसा ही है जैसा आतंकवादी करते हैं।”
भाजपा का कड़ा पलटवार
भाजपा सांसद और प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इन बयानों को हिंदू विरोधी मानसिकता करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह वही सोच है जिसमें ओसामा बिन लादेन को ‘ओसामा जी’, और हाफिज सईद को ‘हाफिज साहब’ कहा जाता है, जबकि कांवड़ यात्रा में ही इन्हें सांप्रदायिकता नजर आती है। त्रिवेदी ने यह भी कहा कि राहुल गांधी ‘डिस्मैंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ जैसी बैठकों में शामिल होते हैं और कांग्रेस की सोच उसी दिशा में जा रही है।
एसटी हसन ने राज्य सरकार पर लगाए आरोप
एसटी हसन ने उत्तराखंड सरकार पर आरोप लगाया कि वह इन घटनाओं पर आंखें मूंदे बैठी है और अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें समर्थन दे रही है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से इन घटनाओं पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
हर साल बनता है राजनीतिक मुद्दा
हर साल सावन के महीने में आयोजित होने वाली कांवड़ यात्रा को लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी आम बात हो गई है। जहां भाजपा और हिंदू संगठन इसे श्रद्धा और आस्था का पर्व मानते हैं, वहीं विपक्ष इसे धार्मिक ध्रुवीकरण का माध्यम बताकर आलोचना करता है। इस बार भी स्थिति कुछ अलग नहीं है।
डाबर च्यवनप्राश की छवि खराब करने के आरोप पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
नई दिल्ली — दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ कथित अपमानजनक विज्ञापन चलाने से तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की एकल पीठ ने डाबर की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश जारी किया।
डाबर की याचिका में आरोप लगाया गया था कि पतंजलि का “स्पेशल च्यवनप्राश” विज्ञापन न सिर्फ उनके उत्पाद बल्कि सभी अन्य ब्रांड्स के च्यवनप्राश को “साधारण” और “गैर-प्रामाणिक” दिखाने का प्रयास कर रहा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि विज्ञापन में यह दावा किया गया है कि “किसी अन्य निर्माता को च्यवनप्राश बनाने का ज्ञान नहीं है”, जो सीधे तौर पर डाबर सहित अन्य कंपनियों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है।
डाबर की ओर से पेश अधिवक्ता जवाहर लाला और मेघना कुमार ने दलील दी कि पतंजलि के विज्ञापन में किए गए दावे न केवल भ्रामक हैं, बल्कि आयुर्वेदिक औषधियों को लेकर उपभोक्ताओं में गलतफहमी पैदा कर सकते हैं। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को तय की है।
पुराने विवादों का सिलसिला
यह पहला मौका नहीं है जब पतंजलि भ्रामक विज्ञापन को लेकर अदालत के घेरे में आई हो। अगस्त 2022 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि पतंजलि कोविड समेत अन्य बीमारियों के इलाज के झूठे दावे कर रही है।
नवंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को भ्रामक प्रचार पर रोक लगाने का आदेश दिया था, लेकिन इसके बावजूद कंपनी ने विज्ञापन प्रसारण जारी रखा। फरवरी 2024 में कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को व्यक्तिगत रूप से तलब किया। मार्च-अप्रैल में अवमानना की चेतावनी के बाद अंततः 2025 में दोनों ने माफीनामा दाखिल किया, जिसके बाद मामला समाप्त हुआ।
शरबत विवाद में भी अदालत की फटकार
इससे पहले भी दिल्ली हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव की ‘शरबत जिहाद’ संबंधी टिप्पणी पर कड़ी नाराजगी जताई थी। हमदर्द कंपनी के शरबत को लेकर की गई विवादित टिप्पणी के चलते कोर्ट ने उन्हें भविष्य में ऐसे किसी भी बयान या वीडियो से बचने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि “रामदेव किसी के नियंत्रण में नहीं हैं और अपनी ही दुनिया में रहते हैं।”
सौंदर्यीकरण कार्यों के लिए 10 करोड़ की धनराशि स्वीकृत
चौराहों पर लोक परंपरा और राज्य आंदोलनकारियों की स्मृतियों को दी जा रही पहचान
देहरादून। जिलाधिकारी सविन बंसल के कुशल नेतृत्व और सतत प्रयासों से राजधानी देहरादून में विकास कार्यों ने गति पकड़ ली है। शहर की कई योजनाएं अब ज़मीन पर उतर चुकी हैं और नागरिकों को समस्याओं से त्वरित राहत मिल रही है।
शहर को पौराणिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से संवारने की दिशा में साई मंदिर जंक्शन, कुठालगेट और दिलाराम चौक का पहाड़ी शैली में सौंदर्यीकरण अंतिम चरण में है। इन स्थलों पर उत्तराखंड की पारंपरिक कलाओं के माध्यम से सजावट की जा रही है, जिससे पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों को राज्य की सांस्कृतिक पहचान से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रेरणा से जिला प्रशासन यातायात प्रबंधन को भी प्राथमिकता दे रहा है। कुठालगेट और साई मंदिर पर नई स्लिप रोड और राउंडअबाउट का निर्माण तेजी से हो रहा है। साथ ही, शहर के प्रमुख चौकों को पारंपरिक शैली में विकसित किया जा रहा है।
स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत जिलाधिकारी द्वारा 10 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। इसके तहत न केवल सौंदर्यीकरण कार्य हो रहे हैं, बल्कि लोक संस्कृति, धार्मिक स्थलों की कलाकृतियों और राज्य आंदोलनकारियों की स्मृतियों को चौराहों और प्रमुख मार्गों पर उकेरा जा रहा है।
सुरक्षित यातायात के लिए ठोस कदम:
डीएम के निर्देश पर देहरादून के 11 प्रमुख जंक्शनों पर ट्रैफिक लाइट लगाने का कार्य पूर्ण हो चुका है। महाराणा प्रताप चौक, नालापानी, मोथोरावाला, आईटी पार्क और ट्रांसपोर्ट नगर में ये व्यवस्था लागू की जा चुकी है, जबकि प्रेमनगर, सुधोवाला, रांगड़वाला, धूलकोट, सेलाकुई बाजार और डाकपत्थर तिराहे पर यह कार्य शीघ्र पूर्ण किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, पांच वर्षों में पहली बार शहर के प्रमुख चौराहों पर लगे पुलिस सीसीटीवी कैमरों को इंटीग्रेट कर दिया गया है, जिससे यातायात की मॉनिटरिंग और भी सुदृढ़ हो गई है।
जिलाधिकारी सविन बंसल के नेतृत्व में देहरादून अब एक स्मार्ट, सुरक्षित और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है।
महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा को लेकर साझा की गई आयोग की गतिविधियाँ
“देवभूमि की महिलाओं की रक्षा को प्रतिबद्ध है आयोग”- कुसुम कण्डवाल
देहरादून। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को राज्य महिला आयोग के द्वारा किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी।
अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने आयोग द्वारा निपटारा किए गए केसों की जानकारी साझा करते हुए कहा कि आज हमारे राज्य की मातृशक्ति जाग्रत हो रही है, वो अपने हर अधिकार के लिए जागरूक है एवं सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं का लाभ ले कर सशक्त हो रही है। साथ ही अपने साथ होने वाले अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाना जान गई है। अब दूरस्थ क्षेत्रों की पीड़ित महिलाएं भी फोन के माध्यम से आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करा देती है तथा उन्हें उसी जगह पर नजदीकी थाने या चौकी के माध्यम से सहायता पहुंचाई जा रही है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री व आयोग अध्यक्ष के बीच आयोग में दर्ज विभिन्न प्रमुख केसों के बारे में भी विस्तार से चर्चा की गई जिसके लिए सरकार के सहयोग से अपराधियों को सजा दिलाना अत्यंत आवश्यक है।
अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने कहा कि देवभूमि की महिलाओं के सशक्तिकरण व अधिकारों की रक्षा के लिए उत्तराखण्ड राज्य महिला आयोग प्रतिबद्ध है, और महिला हितों की सुरक्षा के लिए आयोग हर संभव प्रयास कर रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व धन्यवाद किया और कहा कि आपके नेतृत्व में सरकार व प्रशासन के सहयोग से अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिल रही है।
अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम के प्रस्ताव पर भारत की ओर से कूटनीतिक संवाद जारी
नई दिल्ली/वॉशिंगटन। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर इन दिनों अमेरिका दौरे पर हैं, जहां उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमेरिका के सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा प्रस्तावित रूस प्रतिबंध विधेयक पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत इस विधेयक के संभावित प्रभावों को लेकर सजग है और भारतीय दूतावास इस संबंध में अमेरिकी सांसदों से लगातार संपर्क में है।
जयशंकर ने कहा कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा एक प्राथमिक चिंता है और इस विषय पर सीनेटर ग्राहम को भारत का पक्ष स्पष्ट रूप से बताया गया है। उन्होंने कहा, “हम इस मुद्दे पर उनकी समझ बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल यह देखना होगा कि विधेयक वास्तव में पास होता है या नहीं।”
भारत को क्यों है चिंता
सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा लाए जा रहे विधेयक में रूस से तेल, गैस, यूरेनियम और अन्य ऊर्जा उत्पाद खरीदने वाले देशों से आने वाले सामान पर अमेरिका में 500 प्रतिशत टैरिफ लगाने का प्रस्ताव है। यदि यह विधेयक पारित होता है, तो भारत जैसे देशों के लिए भारी आर्थिक दबाव उत्पन्न हो सकता है, जो रूस से तेल की खरीद पर काफी हद तक निर्भर हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत ने खाड़ी देशों की तुलना में रूस से अधिक मात्रा में कच्चा तेल आयात करना शुरू किया है। ऐसे में इस प्रस्तावित विधेयक को भारत अपनी ऊर्जा नीति के लिए एक गंभीर चुनौती के रूप में देख रहा है।
राजनयिक संपर्क और संवाद जारी
डॉ. जयशंकर ने बताया कि भारतीय राजदूत और वॉशिंगटन स्थित दूतावास लगातार सीनेटर ग्राहम और अन्य अमेरिकी सांसदों के साथ संवाद बनाए हुए हैं। भारत ने अपनी चिंताओं को अमेरिका के समक्ष स्पष्ट रूप से रखा है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भारत परिस्थिति के अनुसार अपनी रणनीति तय करेगा, लेकिन फिलहाल संवाद और राजनयिक प्रयासों पर जोर दिया जा रहा है।
उत्तराखंड में भाजपा के सबसे लंबे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री बने धामी, रचा इतिहास
जनता से भावनात्मक जुड़ाव बना धामी की सबसे बड़ी ताकत
भाजपा आलाकमान के साथ ही जनता की पहली पंसद हैं सीएम धामी
देहरादून। उत्तराखंड की राजनीति में नेतृत्व हमेशा अस्थिरता का शिकार रहा है, लेकिन जब बात पुष्कर सिंह धामी की आती है, तो तस्वीर कुछ और ही दिखती है। धामी भाजपा के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो लंबे समय से राज्य के सीएम हैं। इससे पहले कांग्रेस के एनडी तिवारी ही ऐसे मुख्यमंत्री थे जो पूरे पांच साल तक उत्तराखंड के सीएम रहे। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर धामी को जनता और पार्टी नेतृत्व ने क्यों लगातार चार सालों तक भरोसेमंद नेतृत्व के तौर पर स्वीकार किया।
04 जुलाई 2021… वो दिन जब भाजपा नेतृत्व ने उत्तराखंड की कमान युवा नेता पुष्कर सिंह धामी को सौंपी। उस समय राज्य में राजनीतिक अस्थिरता थी—लेकिन जैसे ही धामी ने कमान संभाली, उन्होंने न सिर्फ माहौल बदला, बल्कि जनभावनाओं को भी अपने पक्ष में मोड़ दिया। 2022 के विधानसभा चुनावों में जब भाजपा ने ऐतिहासिक वापसी की, तो यह साफ हो गया कि धामी ने जनता का विश्वास जीत लिया है।
इन चार वर्षों में धामी की सबसे बड़ी ताकत रही है—उनकी जनसंपर्क शैली। वह कभी आपदा में अभिभावक की भूमिका में दिखे, तो कभी युवाओं के साथ दोस्त की तरह संवाद करते नज़र आए। महिलाओं के कार्यक्रमों में वे कभी बेटे तो कभी भाई के रूप में मंच साझा करते रहे। यह वही भावनात्मक जुड़ाव है, जिसने उन्हें जनता का मुख्यमंत्री बना दिया।
नीतिगत फैसलों की बात करें तो सीएम धामी ने कई ऐतिहासिक निर्णय लिए। समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बना। महिलाओं को तीन मुफ्त गैस सिलेंडर, सरकारी नौकरियों में 30% और सहकारी समितियों में 33% आरक्षण, महालक्ष्मी योजना, लखपति दीदी, नारी सशक्तिकरण योजना जैसी पहलों ने नारी सम्मान और आत्मनिर्भरता को नई पहचान दी।
धामी ने पूर्व सैनिकों और शहीद परिवारों के लिए भी बड़े कदम उठाए। शहीदों के परिजनों को मिलने वाली अनुग्रह राशि ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹50 लाख कर दी गई, वहीं आश्रितों को सरकारी नौकरी के लिए आवेदन की सीमा बढ़ा दी गई। उपनल के कर्मचारियों को बीमा और सुविधाओं में समानता दी गई, जिससे उन्हें भी सुरक्षा और सम्मान मिला।
राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों के विकास की बात करें तो पलायन को रोकने के लिए ‘एप्पल मिशन’ और ‘कीवी मिशन’ की शुरुआत की गई। हाउस ऑफ हिमालयाज के ज़रिए पहाड़ी उत्पादों को देश-दुनिया में पहचान दिलाई जा रही है। साथ ही नकल विरोधी कानून, सख्त भू कानून, और ‘लव-लैंड-थूक जिहाद’ पर कठोर रुख ने धामी को एक मजबूत फैसले लेने वाले मुख्यमंत्री की छवि दी है। सीएम धामी ने प्रदेश में राष्ट्रीय खेलों के आयोजन और जी-20 देशों की बैठकों के आयोजन से प्रदेश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी एक नई पहचान दिलाने का काम किया। इसके साथ ही एसडीजी इंडेक्स में उत्तराखंड ने पहला स्थान प्राप्त किया।
23 हजार सरकारी पदों पर सीधी भर्तियां, शीतकालीन यात्रा, मानसखंड मंदिरमाला मिशन, महासू मंदिर हनोल विकास, GEP इंडेक्स में शानदार प्रदर्शन, और SDG इंडेक्स में उत्तराखंड का पहला स्थान – ये सभी उपलब्धियाँ धामी के कुशल नेतृत्व को प्रमाणित करती हैं।
सीएम धामी के नेतृत्व में सड़कों से लेकर रेल और हवाई संपर्क तक उत्तराखंड आज विकास की रफ्तार से दौड़ रहा है। योजनाओं के ज़रिए लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, इसके लिए धामी खुद ज़मीन पर उतरकर मॉनिटरिंग करते हैं। शायद यही वजह है कि भाजपा हाईकमान से लेकर बुजुर्गों, महिलाओं, युवाओं और बच्चों तक उन्हें पसंद करते हैं।
चार साल पहले जब धामी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब किसी को अंदाजा नहीं था कि यह युवा नेता न सिर्फ स्थायित्व लाएगा, बल्कि एक उम्मीद का प्रतीक बनेगा। आज जब उत्तराखंड उन्हें ‘धाकड़ धामी’ कहता है, तो यह सिर्फ उपाधि नहीं… बल्कि उन फैसलों, उस समर्पण और उस भरोसे की पहचान है, जो उन्होंने प्रदेश को दिया।
सभी स्थायी व अस्थायी कार्य 31 अक्टूबर 2026 तक पूर्ण करने के निर्देश
देहरादून। मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने कुंभ मेले की तैयारियों के संबंध में संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक ली। मुख्य सचिव ने कहा कि 2027 में आयोजित होने वाले कुम्भ मेले के दृष्टिगत सभी प्रकार के स्थायी एवं अस्थायी प्रकृति के कार्य 31 अक्टूबर, 2026 तक पूर्ण कर लिए जाएं। उन्होंने कहा कि कार्य समाप्ति की अंतिम तिथि को गम्भीरता से लेते हुए सभी कार्यों को समय से पूर्ण कराना सुनिश्चित किया जाए।
मुख्य सचिव ने सभी विभागों के नोडल अधिकारी शीघ्र नामित किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने प्रमुख स्नान पर्वों पर श्रद्धालुओं की अधिकतम संख्या का आंकलन कर उसके अनुरूप व्यवस्थाएं सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की भीड़ के अनुरूप ही घाटों की संख्या भी बढ़ाई जाए। उन्होंने मेलाधिकारी को सभी हितधारकों से लगातार संवाद करते हुए सभी प्रकार की व्यवस्थाएं किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि टेक्निकल ऑडिट कमिटी और थर्ड पार्टी क्वालिटी कंट्रोल की व्यवस्था तत्काल सुनिश्चित की जाए।
मुख्य सचिव ने कुम्भ मेले के लिए सभी प्रकार के कार्यों की प्राथमिकता निर्धारित करते हुए ए, बी, सी श्रेणियों में बांटे जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जिन कार्यों को प्रत्येक स्थिति में कराया ही कराया जाना है, ऐसे कार्यों के लिए तत्काल कार्यवाही शुरू की जाए। उन्होंने कहा कि दीर्घावधि के कार्यों को भी प्राथमिकता पर लिया जाए, ताकि वे समय से पूर्ण हो सकें। उन्होंने अस्थायी प्रकृति के कार्याें को समयावधि के अनुरूप कराए जाने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि जिन-जिन विभागों एवं संस्थाओं को कुम्भ मेला क्षेत्र में स्थान आबंटित किया जाता है, उन स्थानों पर यदि अतिक्रमण हो रखा है तो, अतिक्रमण हटाते हुए विभागों को आबंटित किया जाए। उन्होंने कुम्भ मेला क्षेत्र में सभी प्रकार के अतिक्रमण हटाए जाने के भी निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव ने एसपी हरिद्वार को कुम्भ मेले के दौरान यातायात एवं पार्किंग प्लान 20 अगस्त, 2025 तक मेलाधिकारी को उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग, पेयजल एवं विद्युत विभाग सहित अन्य सभी ऐसे विभागों, जो कुम्भ मेले के दौरान सेवाएं देते हैं, को अपनी कार्ययोजना भी 20 अगस्त, 2025 तक उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश द्वारा मरम्मत के लिए नहर बंदी के समय जो कुम्भ मेले से सम्बन्धित कार्य उत्तराखण्ड द्वारा कराए जाने हैं, उसके लिए पूर्व से ही सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं, ताकि नहरबंदी के दौरान तत्काल कार्य कराया जा सके।
मुख्य सचिव ने कुम्भ मेला क्षेत्र को बढ़ाए जाने की सम्भावनाएं तलाशे जाने पर बल दिया। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी प्रकार की सड़कों की मरम्मत और निर्माण कार्यों को समय से पूर्ण कराए जाने हेतु उच्चाधिकारियों को क्षेत्रीय भ्रमण कर समय से कार्य पूर्ण कराए जाएं। मुख्य सचिव ने रानीपुर मोड़, रेलवे पुल से ज्वालापुर तक जल भराव की समस्या का भी हल निकाले जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं और आमजन की सुरक्षा के दृष्टिगत कुम्भ मेला क्षेत्र में अन्य सुरक्षा व्यवस्थाओं के साथ ही विभिन्न जगहों पर फायर हाइड्रेंट भी स्थापित किए जाएं।
इस अवसर पर मेलाधिकारी श्रीमती सोनिका ने कुम्भ मेले के सम्बन्ध में विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया।
इस अवसर पर डीजीपी दीपम सेठ, प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव नितेश कुमार झा, बृजेश कुमार संत, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, विनय शंकर पाण्डेय, धीराज सिंह गर्ब्याल, युगल किशोर पंत एवं डॉ . रणवीर सिंह चौहान सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम जिलाधिकारी हरिद्वार, देहरादून, टिहरी और पौड़ी भी उपस्थित थे।