वैज्ञानिकों ने जताई 7.0 तीव्रता वाले भूकंप की आशंका
देहरादून समेत 169 स्थानों पर लगे भूकंप अलर्ट सेंसर
देहरादून। उत्तराखंड और पूरे हिमालयी क्षेत्र में भूकंप का बड़ा खतरा मंडरा रहा है। देश के अग्रणी भूवैज्ञानिकों ने ताजा अध्ययनों में यह आशंका जताई है कि क्षेत्र में दो भूगर्भीय प्लेटों के टकराव और “लॉकिंग जोन” के कारण अब किसी भी वक्त तीव्रता 7.0 या उससे ऊपर का भूकंप आ सकता है। जून में देहरादून में हुए भूवैज्ञानिक सम्मेलनों में इस बात पर गंभीर मंथन हुआ, जहां वाडिया इंस्टिट्यूट और एफआरआई में “हिमालयन अर्थक्वेक्स” और “रिस्क असेसमेंट” जैसे विषयों पर चर्चा की गई।
भूगर्भीय वैज्ञानिकों ने बताया कि कमजोर झटकों की बढ़ती आवृत्ति किसी बड़े भूकंप की चेतावनी हो सकती है। 4.0 तीव्रता के मुकाबले 5.0 तीव्रता वाला भूकंप 32 गुना ज्यादा ऊर्जा छोड़ता है, और यही ऊर्जा फिलहाल धरती के अंदर लगातार जमा हो रही है।
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार, बीते छह महीनों में उत्तराखंड में 22 बार हल्के भूकंप आ चुके हैं, जिनका केंद्र चमोली, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी और बागेश्वर जैसे संवेदनशील ज़िलों में रहा।
कब, कहां और कितना – भूकंप के रहस्य
भूकंप से जुड़ी तीन अहम बातें – समय, स्थान और तीव्रता – में से वैज्ञानिक फिलहाल सिर्फ संभावित क्षेत्र का अनुमान ही लगा सकते हैं। उत्तराखंड के अलग-अलग हिस्सों में लगाए गए जीपीएस डिवाइस यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि किस क्षेत्र में ऊर्जा का जमाव सबसे अधिक है। हालाँकि, वैज्ञानिकों की मानें तो अनुमान लगाना अभी भी बेहद जटिल प्रक्रिया है।
मैदानी इलाकों में ज़्यादा तबाही की आशंका
वाडिया में हुई कार्यशाला में बताया गया कि यदि पहाड़ और मैदान दोनों में एक जैसी तीव्रता के भूकंप आते हैं, तो मैदानों में ज्यादा तबाही होगी। इसकी वजह यह है कि अधिकांश बड़े भूकंप धरती की सतह से केवल 10 किलोमीटर गहराई में आते हैं और इस वजह से उनकी प्रभावशीलता अधिक होती है।
देहरादून की ज़मीन पर विशेष अध्ययन
केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के प्रमुख शहरों में ज़मीन की संरचना और मजबूती का विशेष अध्ययन कराने का निर्णय लिया है, जिसकी जिम्मेदारी सीएसआईआर बेंगलूरू को दी गई है। देहरादून का चयन इस परियोजना में इसलिए हुआ है क्योंकि यह भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है।
बचाव के लिए सतर्कता जरूरी
आपदा प्रबंधन विभाग ने प्रदेश में 169 स्थानों पर अर्ली वॉर्निंग सेंसर लगाए हैं, जो 5.0 तीव्रता से अधिक भूकंप आने की स्थिति में 15 से 30 सेकंड पहले अलर्ट जारी कर देंगे। लोगों को मोबाइल पर “भूदेव एप” के जरिए चेतावनी मिल सकेगी।
वैज्ञानिकों की राय
“उत्तराखंड में भूगर्भीय प्लेटें लॉक हो चुकी हैं, जिससे अंदर टेक्टोनिक तनाव बढ़ रहा है। यह वही स्थिति है जो नेपाल में विनाशकारी भूकंप से पहले देखी गई थी।”
— डॉ. विनीत गहलोत, निदेशक, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी
“पूरे हिमालयी क्षेत्र में बड़ी मात्रा में ऊर्जा एकत्र है, जो कभी भी अचानक निकल सकती है। यह भविष्यवाणी करना बेहद कठिन है कि यह कब होगा।”
— डॉ. इम्तियाज परवेज, वरिष्ठ वैज्ञानिक, सीएसआईआर, बेंगलूरू
गैरसैंण को लेकर हरीश रावत का बड़ा वादा
देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत ने गैरसैंण को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा है कि अगर जनता 2027 में कांग्रेस को सत्ता में लाती है, तो गैरसैंण को स्थायी राजधानी बना दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन में ही गैरसैंण में आधारभूत ढांचा विकसित किया गया था, जहां कभी रात में 20 लोग भी नहीं ठहर सकते थे, आज वहां 2500 लोगों के ठहरने की व्यवस्था हो चुकी है।
हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से कहा, “जो लोग पूछते हैं कि मेरे पास मौका था तो राजधानी क्यों नहीं बनाई, उनसे कहना चाहता हूं कि 2027 में कांग्रेस को मौका दीजिए, गैरसैंण को राजधानी बना कर दिखाऊंगा।”
उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद राज्य को संकट से उबारने के साथ-साथ गैरसैंण के विकास पर भी काम हुआ। कांग्रेस सरकार ने भराड़ीसैंण में विधानसभा भवन की आधारशिला रखी और 57 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत कर निर्माण कार्य शुरू कराया। यहां पांच हजार लोगों की आवासीय क्षमता का प्रोजेक्ट भी शुरू हुआ।
पूर्व मुख्यमंत्री ने तंज कसते हुए राज्य सरकार को गन्ना मूल्य पर घेरा। उन्होंने कहा कि पहले मूल्य निर्धारण में देरी होती थी, लेकिन इस बार तो सरकार ने अब तक पिछली फसल का ही रेट तय नहीं किया है। उन्होंने चेताया कि बरसात के बाद गन्ने की कटाई शुरू हो जाएगी, लेकिन किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा।
उन्होंने बताया कि सरकार चीनी मिलों को पुराने रेट पर भुगतान करने का निर्देश दे रही है, जबकि किसान 450 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान की मांग कर रहे हैं।
चार बेटियों की मां को बीमित ऋण के बावजूद बैंक कर रहा था प्रताड़ित
देहरादून। जिला प्रशासन देहरादून आमजन के अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार कठोर और त्वरित फैसले ले रहा है। इसी क्रम में एक ताजा मामला प्रकाश में आया है, जिसमें एक विधवा महिला को बीमित ऋण के बावजूद बैंक द्वारा परेशान किया जा रहा था। जिलाधिकारी सविन बंसल के संज्ञान में आए इस प्रकरण में प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए संबंधित बैंक प्रबंधक के विरुद्ध 6.50 लाख रुपये की वसूली प्रमाण पत्र (RC) जारी कर दी है। तय समयसीमा में धनराशि जमा न करने की स्थिति में बैंक शाखा को सील कर वसूली की जाएगी।
मामला प्रिया नामक विधवा महिला से जुड़ा है, जिनके पति स्व. विकास कुमार ने सीएसएल फाइनेंस लिमिटेड से गृह ऋण लिया था। ऋण के साथ टाटा एआईए इंश्योरेंस कंपनी से बीमा भी कराया गया था। सभी मेडिकल जांच और औपचारिकताएं पूरी कर बीमा स्वीकृत किया गया था। लेकिन 12 जुलाई 2024 को विकास कुमार की मृत्यु हो जाने के बावजूद बैंक और बीमा कंपनी ने न तो बीमा क्लेम पास किया और न ही ऋण माफ किया। इसके उलट, बैंक ने विधवा महिला को लगातार मानसिक प्रताड़ना दी।
प्रिया की ओर से जिलाधिकारी को की गई शिकायत पर संज्ञान लेते हुए डीएम सविन बंसल ने तुरंत कार्रवाई करते हुए बैंक प्रबंधक की 6.50 लाख रुपये की आरसी जारी की। साथ ही चेतावनी दी गई है कि यदि राशि निर्धारित समय में जमा नहीं की गई, तो बैंक की कुर्की एवं सीलिंग की कार्रवाई की जाएगी।
इससे पूर्व भी प्रशासन ने शिवानी गुप्ता नामक एक पीड़िता के मामले में बैंक की मनमानी पर सख्त कार्रवाई करते हुए 15.50 लाख की आरसी जारी कर बैंक को सील किया था, जिसके बाद बैंक अधिकारी स्वयं पीड़िता के घर संपत्ति के कागजात लौटाने पहुंचे थे।
अब प्रिया के मामले में भी प्रशासनिक तेवर से बैंकिंग संस्थानों में हड़कंप मच गया है। चार बेटियों की मां प्रिया पिछले एक वर्ष से न्याय के लिए दर-दर भटक रही थीं, लेकिन अब उन्हें जिला प्रशासन का सहारा मिला है।
जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा कि, “मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जनहितकारी नीतियों से प्रेरित होकर जिला प्रशासन जनमानस को अनावश्यक रूप से प्रताड़ित करने वालों पर कठोर कार्रवाई करने के लिए संकल्पित है। अब कमजोर व असहाय लोगों की आवाज को दबाया नहीं जा सकेगा।”
मुख्यमंत्री ने बल्लीवाला में आयोजित सम्मान समारोह में दिलाई भ्रष्टाचार विरोधी शपथ
मुख्यमंत्री ने बताया – भ्रष्टाचार, लव जिहाद, लैंड जिहाद और नकली पहचान पर सरकार की सख्त कार्रवाई जारी
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को बल्लीवाला, देहरादून में ‘भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड’ के लिए मुख्यमंत्री द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सभी को भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड की शपथ भी दिलाई।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश को भ्रष्टाचार से मुक्त बनाने की दिशा में उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी और जनता के समर्थन को इस अभियान की सबसे बड़ी ताकत बताया। उन्होंने कहा कि यह अभिनंदन समारोह केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि उत्तराखंड को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के सपने को साकार करने का उत्सव है। यह सम्मान उत्तराखंड की सवा करोड़ जनता का है, जो ईमानदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही के मूल्यों के साथ राज्य के विकास की दिशा में अग्रसर है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध की जा रही कार्रवाई व्यक्तिगत विजय नहीं, बल्कि यह जनता के विश्वास, ईमानदारी की ताकत और युवाओं की उम्मीदों की जीत है। राज्य सरकार ने ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति के तहत पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए तकनीक का व्यापक उपयोग किया है, जिसमें ऑनलाइन ट्रांसफर प्रक्रिया, परीक्षा प्रणाली की निगरानी और जन शिकायत निवारण के लिए सीएम हेल्पलाइन 1905 और भ्रष्टाचार की शिकायतों के लिए 1064 जैसी व्यवस्थाएं शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भर्ती परीक्षाओं में अनियमितता, ट्रांसफर-पोस्टिंग में भ्रष्टाचार और योजनाओं में कमीशनखोरी जैसे मामलों में कठोर कार्रवाई की गई। पिछले तीन वर्षों में भ्रष्टाचार में लिप्त 200 से अधिक लोगों को जेल भेजा गया है। पिछले चार वर्षों में राज्य में 24 हजार से अधिक लोगों को सरकारी नौकरी प्रदान की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने, सख्त नकल विरोधी कानून बनाने, लैंड जिहाद व लव जिहाद के विरुद्ध कार्रवाई तथा धर्मांतरण और दंगारोधी कानूनों के माध्यम से शासन व्यवस्था को मज़बूती प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि इन कदमों ने यह प्रमाणित किया है कि यदि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो किसी भी चुनौती का सामना सफलतापूर्वक किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में छद्म वेशधारियों की मूल पहचान उजागर करने के लिए “ऑपरेशन कालनेमि” चलाया जा रहा है। अब तक 200 से अधिक संदिग्धों को पकड़ा गया है, जिनमें कुछ बांग्लादेशी घुसपैठिए भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने जनता से अपील की कि ऐसे तत्वों की जानकारी तुरंत पुलिस को दें। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “ना खाऊँगा, ना खाने दूँगा” के मंत्र को अपनाते हुए राज्य सरकार पारदर्शी, जवाबदेह और जनहितकारी शासन व्यवस्था के निर्माण के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त, सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने की दिशा में निरंतर कार्य किया जा रहा है।
इस अवसर पर विधायक खजान दास, स्वामी चिदानंद सरस्वती, किशन गिरी महाराज, राकेश ऑबेरॉय, पंकज गुप्ता एवं विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।
अगर एकता नहीं बनी, तो मुंबई अदाणी-लोढ़ा के हाथों में चली जाएगी- राज्यसभा सांसद संजय राऊत
मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर ठाकरे परिवार की एकजुटता की संभावनाओं ने जोर पकड़ा है। शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राऊत ने संकेत दिए हैं कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का एक मंच पर आना न केवल मराठी अस्मिता की वापसी का प्रतीक हो सकता है, बल्कि राज्य की दिशा भी बदल सकता है।
रविवार को सामना के साप्ताहिक कॉलम ‘रोक-ठोक’ में संजय राऊत ने लिखा कि अगर ठाकरे बंधु एक होते हैं, तो यह महाराष्ट्र के लिए नई शुरुआत होगी। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि “पहले मुंबई को लूटो, फिर उसे केंद्रशासित प्रदेश बनाओ और अंततः विदर्भ को अलग राज्य घोषित कर महाराष्ट्र की एकता को तोड़ो” — यही भाजपा की रणनीति है। राऊत का दावा है कि भाजपा को न महाराष्ट्र की एकता की परवाह है, न ही मराठी पहचान की।
संजय राऊत ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधते हुए कहा कि वे पहले नागपुर में ‘विदर्भ मेरा राज्य है’ जैसे बैनर के साथ प्रदर्शन कर चुके हैं। उन्होंने चेताया कि अगर ठाकरे भाइयों की एकता अब नहीं बनी, तो मुंबई अदाणी और लोढ़ा जैसे उद्योगपतियों के हाथों में चली जाएगी और एक दिन महाराष्ट्र से भी अलग हो जाएगी।
उन्होंने ठाकरे भाइयों की एकता को मराठी जनता के लिए “आशा की किरण” बताया, लेकिन साथ ही आगाह किया कि यह केवल शुरुआत है। गठबंधन की औपचारिक घोषणा अब तक नहीं हुई है, लेकिन इसे जल्द होना चाहिए ताकि महाराष्ट्र को सही दिशा मिल सके।
राऊत ने कहा कि मराठी जनता को सबसे पहले मुंबई और ठाणे को बचाने की लड़ाई लड़नी होगी, खासकर आगामी नगर निकाय चुनावों को देखते हुए। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग सोचते हैं कि ठाकरे दबाव में आ जाएंगे, वे भ्रम में हैं।
गौरतलब है कि 5 जुलाई को दोनों भाई करीब दो दशकों बाद एक मंच पर आए थे, जब राज्य सरकार ने स्कूलों में हिंदी थोपने से जुड़े दो आदेश वापस लिए। इस मौके पर उद्धव ठाकरे ने कहा, “हम साथ आए हैं और साथ ही रहेंगे,” जिससे मराठी राजनीति में हलचल तेज हो गई है।
देहरादून। प्रदेशभर के पूर्व सैनिकों से आव्हान करते हुए सैनिक कल्याण मंत्री ने कहा कि वे हरेला पर्व के वृक्षारोपण अभियान में सक्रिय सहभागिता निभाएं और पर्यावरण संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभाएं। इस बाबत उन्होंने रविवार को पूर्व सैनिकों के साथ हरेला पर्व के संबंध में बैठक की।
सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि इस बार हरेला पर्व के अवसर पर पूर्व सैनिकों द्वारा प्रदेशभर में दो लाख से अधिक पौधे रोपे जाएंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की इस पारंपरिक पर्व को न केवल सांस्कृतिक पहचान से जोड़ना है, बल्कि इसे हरियाली और पर्यावरण जागरूकता का सशक्त माध्यम भी बनाना है। इस दौरान सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने 16 जुलाई को हरेला पर्व के अवसर पर एक पेड़ मां के नाम अभियान के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रमों में अधिक से अधिक संख्या में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने का आव्हान भी किया।
उन्होंने कहा कि यह अभियान सामाजिक चेतना, पर्यावरण सरंक्षण और राष्ट्र सेवा का प्रतीक बनेगा। मंत्री ने कहा कि पूर्व सैनिकों ने राष्ट्र की रक्षा के लिए जो सेवा दी है, अब उसी समर्पण भाव से वे प्रकृति की रक्षा के लिए भी आगे आ रहे हैं। उन्होंने सभी से हरेला पर्व को हरित क्रांति के रूप में बदलने का संकल्प हम सभी को लेना होगा।
बैठक में सैनिक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष कर्नल (सेनि) रघुवीर सिंह भंडारी, कर्नल (सेनि) रविन्द्र सिंह रांगडा, पीबीआरओ अध्यक्ष शमशेर सिंह बिष्ट, सूबेदार राकेश प्रसाद, हवलदार विक्रम सिंह, सोबन सिंह रावत, जसपाल, राजे सिंह रावत सहित कई पूर्व सैनिक उपस्थित रहे।
किचन में रोज़ाना इस्तेमाल होने वाला आलू सिर्फ खाने का स्वाद नहीं बढ़ाता, बल्कि ये आपकी स्किन के लिए भी एक नेचुरल ब्यूटी ट्रीटमेंट हो सकता है। जी हां, चेहरे की चमक बढ़ाने और दाग-धब्बों को हल्का करने में भी आलू कमाल कर सकता है। अगर अब तक आपने इसे सिर्फ सब्जी, पराठे या स्नैक्स तक ही सीमित रखा है, तो अब वक्त है इसे अपनी स्किन केयर रूटीन में शामिल करने का। आइए जानते हैं कि आलू का इस्तेमाल चेहरे पर कैसे किया जा सकता है।
सीधा चेहरे पर करें अप्लाई
यदि आपके पास ज्यादा समय नहीं होता है, तो आलू के रस को सीधा ही अपने चेहरे पर लगा सकते हैं। इसके लिए आलू को घिसकर उसका रस निकालें और कॉटन की मदद से चेहरे पर लगाएं। इसे 30 मिनट ऐसे ही लगा रहने दें। 20 मिनट के बाद चेहरे को धो लें। इसका इस्तेमाल आप हर रोज कर सकते हैं।
आलू और शहद
इस पैक को बनाने के लिए सबसे पहले तो आलू को कद्दूकस करके उसका रस निकाल लें। इसके बाद इसमें एक चम्मच शहद मिक्स करें। दोनों चीजों को सही से मिलाने के बाद अपने चेहरे पर ब्रश की सहायता से लगाएं। 20 मिनट के बाद चेहरे को सादा पानी से धो लें और फिर एक हफ्ते में इसका असर देखें। ये पैक त्वचा को नमी भी देता है और ग्लो बढ़ाता है
आलू और नींबू का रस
आलू के रस में नींबू का रस मिक्स करके भी आप अपने चेहरे को चमका सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले तो एक कटोरी में आलू का रस निकाल लें और फिर उसमें आधा नींबू निचोड़ लें। अब इसे रुई की मदद से चेहरे पर अप्लाई करें। यदि इसके इस्तेमाल के समय चेहरे पर हल्की भी खुजली हो रही है तो तत्काल इसे साफ करें, क्योंरि नींबू हर किसी को सूट नहीं करता है।
आलू और बेसन
बेसन चेहरे को निखारने का काम करता है। इसमें आप आलू का रस मिक्स करके चेहरे पर अप्लाई कर सकते हैं। ये एक अच्छे स्क्रब की तरह भी काम करता है। इस्तेमाल के लिए पहले चेहरे को साफ करें और फिर ये पेस्ट अप्लाई करें। आधे घंटे के बाद चेहरा धो लें और फिर असर देखें।
आलू और दही
ये दोनों चीजें भी चेहरे की नमी बरकरार रखती हैं और चेहरे को साफ करती हैं। इसके इस्तेमाल के लिए सबसे पहले 2 चम्मच आलू का रस और 1 चम्मच दही चेहरे पर मिलाएं। अब इसे चेहरे पर लगाएं और 15–20 मिनट बाद धो लें।”
(साभार)
दक्षिण भारतीय सिनेमा ने खोया एक अनमोल सितारा, अभिनेता कोटा श्रीनिवास राव का 83 वर्ष की उम्र में निधन
750 से अधिक फिल्मों में निभाई यादगार भूमिकाएं
हैदराबाद। दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के चर्चित और बहुआयामी अभिनेता कोटा श्रीनिवास राव अब हमारे बीच नहीं रहे। 83 वर्ष की उम्र में उनके निधन की खबर से पूरे फिल्म जगत और उनके चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ गई है। अभिनेता ने चार दशक से भी ज्यादा लंबे करियर में 750 से अधिक फिल्मों में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई और दर्शकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी।
उनके निधन पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “कोटा श्रीनिवास राव की कलात्मक यात्रा अविस्मरणीय है। उनका जाना तेलुगु सिनेमा के लिए एक अपूरणीय क्षति है।” नायडू ने यह भी याद किया कि राव न सिर्फ कला क्षेत्र में बल्कि राजनीति में भी सक्रिय रहे और 1999 में विधायक के रूप में विजयवाड़ा की जनता की सेवा की।
कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर कोटा श्रीनिवास की एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें वे बेहद कमजोर नजर आए थे। उनके पैर में चोट के निशान और पट्टी बंधी हुई थी, जिससे उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता गहराने लगी थी।
सिनेमा का बहुमुखी चेहरा
1978 में फिल्म ‘प्राणम खरीदु’ से अभिनय की शुरुआत करने वाले राव ने विलेन, कॉमेडियन और चरित्र अभिनेता के रूप में हर रोल में अपनी छाप छोड़ी। उन्हें नौ बार नंदी अवॉर्ड और 2015 में पद्म श्री से नवाजा गया। उनकी यादगार फिल्मों में ‘दम्मू’, ‘सन ऑफ सत्यमूर्ति’ और ‘डेंजरस खिलाड़ी’ जैसी हिट फिल्में शामिल हैं।
राजनीतिक जीवन भी रहा प्रभावशाली
कोटा श्रीनिवास राव ने 1999 से 2004 तक आंध्र प्रदेश विधानसभा में विजयवाड़ा ईस्ट सीट से बतौर विधायक अपनी सेवाएं दीं। जनता के बीच उनकी सादगी और स्पष्टवादिता को खूब सराहा गया।
चारों नामित व्यक्तित्वों के योगदान को बताया अनुकरणीय और प्रेरणास्रोत
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को मनोनीत किया, जिनमें पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम, केरल के समाजसेवी सी. सदानंदन मास्टर और इतिहासकार मीनाक्षी जैन शामिल हैं। इन नामों की घोषणा गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में की गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चारों नामित सदस्यों को शुभकामनाएं देते हुए उन्हें अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाला बताया। उन्होंने कहा कि ये नामांकन न केवल व्यक्तिगत सम्मान हैं, बल्कि भारत के समृद्ध लोकतंत्र में विविध अनुभव और दृष्टिकोण को शामिल करने का प्रतीक भी हैं।
चारों नामित सदस्यों पर पीएम मोदी की प्रतिक्रियाएं:
उज्ज्वल निकम – प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें एक प्रखर विधिवेत्ता बताया जो कानून और संविधान के प्रति पूरी निष्ठा रखते हैं। 26/11 जैसे मामलों में उनके योगदान को याद करते हुए उन्होंने कहा, “न्याय की प्राप्ति में उनकी भूमिका अनुकरणीय रही है।”
हर्षवर्धन श्रृंगला – पीएम मोदी ने उन्हें एक श्रेष्ठ कूटनीतिज्ञ और रणनीतिक सोच वाला व्यक्तित्व बताया। उन्होंने कहा कि विदेश नीति में श्रृंगला का अनुभव राज्यसभा को वैश्विक मुद्दों पर नई दृष्टि देगा।
सी. सदानंदन मास्टर – प्रधानमंत्री ने उनके जीवन को साहस, सेवा और शिक्षा का प्रतीक बताया। दोनों पैर खोने के बावजूद समाजसेवा का मार्ग न छोड़ना, उन्हें असाधारण बनाता है।
मीनाक्षी जैन – पीएम मोदी ने उन्हें गंभीर शोधकर्ता और इतिहासविद के रूप में सम्मानित किया और कहा कि उनका राज्यसभा में होना भारत की शैक्षणिक और बौद्धिक संपदा को मजबूती देगा।
संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत हुआ नामांकन
राष्ट्रपति मुर्मू ने यह नामांकन संविधान के अनुच्छेद 80(1)(क) के खंड (3) के तहत किया है, जिसके अंतर्गत विशिष्ट क्षेत्रों में अनुभव रखने वाले व्यक्तियों को राज्यसभा में मनोनीत किया जाता है। ये नामांकन पूर्व सदस्यों की सेवानिवृत्ति के बाद रिक्त हुई सीटों के स्थान पर किए गए हैं।
दमकल की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद पाया आग पर काबू, लाखों का हुआ नुकसान
मसूरी। पहाड़ों की रानी मसूरी में सोमवार सुबह उस समय अफरा-तफरी मच गई जब मॉल रोड पर स्थित गढ़वाल टैरेस रेस्टोरेंट के सामने एक आइसक्रीम की दुकान में अचानक भीषण आग लग गई। कुछ ही मिनटों में आग ने विकराल रूप धारण कर लिया और मॉल रोड धुएं के गुबार और लपटों से घिर गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक आग इतनी तेजी से फैली कि दुकान में रखा सारा सामान पलभर में जलकर राख हो गया। आसपास की दुकानों को भी इससे नुकसान पहुंचा। स्थानीय व्यापारियों ने तत्काल फायर ब्रिगेड और पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद मसूरी पुलिस और अग्निशमन विभाग की टीमें मौके पर पहुंचीं। करीब तीन घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद आग पर काबू पाया जा सका।
फायर ब्रिगेड अधिकारियों का कहना है कि आग का प्राथमिक कारण शॉर्ट सर्किट प्रतीत हो रहा है, हालांकि विस्तृत जांच जारी है। अधिकारियों ने बताया कि जब तक दमकल की गाड़ियां पहुंचीं, तब तक दुकान पूरी तरह से खाक हो चुकी थी।
दुकान में फ्रिज, कूलर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और भारी मात्रा में खाद्य सामग्री मौजूद थी, जो सब कुछ जल गया। दुकान मालिक के अनुसार, आग से लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। फिलहाल प्रशासन नुकसान के आकलन में जुटा हुआ है।
स्थानीय व्यापारियों ने प्रशासन से मांग की है कि मॉल रोड जैसे संवेदनशील क्षेत्र में अग्निशमन व्यवस्था को और बेहतर किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।