अनामिका, मैत्री व क्रियांश ने साउथ एशियन कराटे चैंपियनशिप में जीते पदक
देहरादून/ नई दिल्ली। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में राज्य के तीन होनहार कराटे चैंपियंस को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सम्मानित किए जा रहे सभी प्रतिभाशाली खिलाड़ी राज्य के उज्ज्वल भविष्य की नींव हैं। उन्होंने कहा, इन खिलाडियों ने अपनी खेल प्रतिभा से अपने माता-पिता के साथ ही उत्तराखंड का मान भी बढ़ाया है। तीनों खिलाड़ियों अनामिका, मैत्री व क्रियांश ने 5-6 जुलाई 2025 को कोलंबो, श्रीलंका में आयोजित 9वीं साउथ एशियन कराटे चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए रजत, कांस्य व कांस्य पदक जीते है, मुख्यमंत्री ने इन खिलाडियों के उज्जवल भविष्य की कामना की तथा भविष्य के आयोजनों में सफलता के लिये शुभकामनाये भी दी।
इन खिलाड़ियों का चयन कराटे इंडिया ऑर्गेनाइजेशन द्वारा देहरादून में आयोजित राष्ट्रीय कराटे चैंपियनशिप में उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर किया गया था। जिसमें अनामिका बिष्ट, पुत्री हरीश बिष्ट, जिला चंपावत – रजत पदक, मैत्री बलूनी, पुत्री कैलाश बलूनी, डोईवाला, जिला देहरादून – कांस्य पदक तथा क्रियांश कौशिक, पुत्र सुमंता शर्मा, जिला देहरादून – कांस्य पदक प्राप्त किया गया है।
हिमाचल में अतिवृष्टि से उत्पन्न स्थितियों से निपटने के तौर-तरीकों का अध्ययन करेगा विशेषज्ञ दल
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सचिव आपदा प्रबंधन को दिए निर्देश
एसईओसी पहुंचे मुख्य सचिव, मौसम तथा मानसून की ली जानकारी
देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का एक विशेषज्ञ दल हिमाचल प्रदेश में अतिवृष्टि के चलते उत्पन्न स्थितियों तथा इन हालातों से निपटने के लिए हिमाचल में शासन-प्रशासन द्वारा किए जा रहे कार्यों को देखने तथा उनका अध्ययन करने के लिए जाएगा। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन को इसके निर्देश दिए हैं।
उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में प्रदेश में वर्षा से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा कि उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश न सिर्फ पड़ोसी राज्य हैं, बल्कि दोनों प्रदेशों की भौगोलिक परिस्थितियां भी एक जैसी हैं। इस वर्ष हिमाचल प्रदेश में बारिश से काफी नुकसान हुआ है। इन स्थितियों से निपटने के लिए हिमाचल प्रदेश में किस प्रकार आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में कार्य किया जा रहा है, शासन-प्रशासन द्वारा किस तरह इन स्थितियों में प्रतिक्रिया की जा रही है, इसे जानने और समझने की आवश्यकता है ताकि अगर ऐसे ही हालात उत्तराखण्ड में भी उत्पन्न हों तो हिमाचल के अनुभवों के आधार पर एक प्रभावी रणनीति बनाई जा सके।
मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन ने राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचकर प्रदेश में हो रही वर्षा से उत्पन्न स्थिति की जानकारी ली तथा आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने वर्तमान में प्रदेश में मानसून की स्थिति, आने वाले दिनों में मौसम का पूर्वानुमान, अब तक हुई बारिश तथा प्रदेश भर में भूस्खलन के चलते बंद सड़कों की समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिए कि बंद सड़कों को जल्द से जल्द खोलने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में सभी आवश्यक संसाधन तथा उपकरण तैनात किए जाएं। यह सुनिश्चित किया जाए की 15 मिनट के भीतर जेसीबी तथा अन्य सभी आवश्यक उपकरण घटनास्थल पर पहुंच जाए। उन्होंने ग्रामीण सड़कों को भी तत्परता के साथ खोलने के निर्देश दिए।
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने बताया कि देहरादून, नैनीताल तथा बागेश्वर में मौमस विभाग द्वारा ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। सात दिवसीय पूर्वानुमान के अनुसार सभी जनपदों में बुधवार से येलो अलर्ट है। उन्होंने बताया कि जून में सामान्य से कम बारिश हुई थी, जबकि जुलाई में सामान्य से अधिक वर्षा का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है। पूरे मानसून सीजन में सामान्य से 108 फीसदी अधिक वर्षा का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक प्रदेशभर में 317.1 मिमी बारिश हुई है। सबसे अधिक बागेश्वर में 765.5, चमोली में 428.2, रुद्रप्रयाग 388.8 तथा देहरादून 380.4 मिमी बारिश हो चुकी है।
इस अवसर पर सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो0 ओबैदुल्लाह अंसारी, ड्यूटी आफिसर उप सचिव आलोक कुमार, यूएसडीएमए के विशेषज्ञ मनीष भगत, रोहित कुमार, डॉ. पूजा राणा, डॉ, वेदिका पंत, हेमंत बिष्ट तथा सुश्री तंद्रीला सरकार आदि उपस्थित थे।
2853 परिवारों का पुनर्वास
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने बताया कि राज्य में वर्ष 2012 से वर्तमान में दिनांक 08.07.2025 तक प्राकृतिक आपदा से प्रभावित कुल 258 ग्रामों के 2853 परिवारों का पुनर्वास किया गया। विस्थापन हेतु कुल बजट प्राविधान रु0 20.00 करोड़ रुपये है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में आपदा प्रभावित ग्रामों के पुनर्वास/विस्थापन हेतु कुल बजट प्राविधान रूपये बीस करोड़ के सापेक्ष वर्तमान तक 24 ग्रामों के कुल 337 आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास/विस्थापन हेतु कुल रू0 12,16,70,300/- की धनराशि निर्गत की गयी है। उन्होंने बताया कि राज्य आपदा मोचन निधि तथा राज्य सेक्टर से कुल 175.50 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की जा चुकी है। राज्य आपदा मोचन निधि से जनपदों को कुल 165 करोड़ की धनराशि आवंटित की गई है।
सचेत ऐप, 112, 1070, 1077 हों सभी के फोन में
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा कि सचेत एप आपदाओं से बचाव की दिशा में काफी मददगार साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा ऐप है, जिसमें न सिर्फ मौसम तथा बारिश के एलर्ट प्राप्त होते हैं बल्कि आपदाओं से बचाव की भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने राज्य के सभी नागरिकों से इस एप को डाउनलोड करने की अपील की है। साथ ही उन्होंने सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन को ईआरएसस 112, 1070, 1077 का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ये तीन नंबर सभी लोगों के फोन में होने चाहिए ताकि आपदा के समय या किसी मुश्किल घड़ी में लोग इन नम्बरों पर कॉल कर मदद मांग सकें।
तहसील स्तर पर व्हाट्सएप ग्रुप बनाने के निर्देश
मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन ने कहा कि आम जनता तक मौसम संबंधी विभिन्न प्रकार की चेतावनियों तथा अन्य जानकारियों को कम से कम समय में पहुंचाया जाए, ताकि लोग समय रहते सुरक्षात्मक कदम उठा सकें। उन्होंने कहा कि विभिन्न अलर्ट जारी करने वाले एजेंसियों से जो भी अलर्ट मिलते हैं, वह एसईओसी तथा डीईओसी के माध्यम से 15 मिनट के भीतर लोगों तक पहुंच जाएं। उन्होंने कहा कि सूचनाओं तथा चेतावनियों के आदान-प्रदान में बिलकुल भी विलंब नहीं होना चाहिए। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति तक अलर्ट तथा अन्य सूचनाओं को पहुंचाने के लिए तहसील स्तर पर व्हाट्सएप ग्रुप बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि रियल टाइम सूचनाओं का आदान-प्रदान कुशल तथा प्रभावी आपदा प्रबंधन के लिए बेहद जरूरी है। इस अवसर पर उन्होंने एसईओसी में विभिन्न विभागों के वायरलेस सेटों, सेटेलाइट फोन की सक्रियता भी परखी।
एसईओसी की अपनी एसओपी बनेगी
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने राज्य तथा जनपद आपातकालीन परिचालन केंद्र की अपनी स्वयं की एसओपी बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कंट्रोल रूम में किस अधिकारी/कर्मचारी की क्या भूमिका तथा दायित्व हैं, इसमें किसी भी प्रकार भ्रम की स्थिति नहीं रहनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कंट्रोल रूम की भी मॉक ड्रिल कराने के निर्देश दिए।
72 घंटे में दी जाए अहेतुक सहायता
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने आपदा प्रभावितों को अहेतुक सहायता वितरित करने में विलंब न करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रभावित को हर हाल में 72 घंटे के भीतर अहेतुक सहायता उपलब्ध करा दी जाए। साथ ही उन्होंने आपदा में क्षतिग्रस्त संपत्ति के नुकसान का सर्वे भी शीघ्रता से करने के निर्देश दिए ताकि प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द सहायता मिल जाए और वह दोबारा सामान्य जीवन की ओर अग्रसर हो सकें।
अभी तक यातायात हेतु 30 सड़कें खोली गई
देहरादून। राज्य में मानसून सीजन 2025-26 में बरसात एवं भूस्खलन के कारण 154 सड़कें अवरुद्ध हैं इनमें से 30 सड़कें यातायात हेतु खोली जा चुकी हैं जबकि अन्य 124 सड़कों को खोलने का कार्य युद्धस्तर पर जारी है।
उक्त जानकारी देते हुए प्रदेश के लोकनिर्माण मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि राज्य में मानसून सीजन में अत्यधिक बरसात एवं भूस्खलन के कारण प्रदेश के विभिन्न जनपदों में लोनिवि की 67 सड़कें बंद थी जिनमें से 12 को खोल दिया गया है और 55 सड़कों को खोलने का काम चल रहा है। इसी प्रकार राज्य में एनएच की 02, बीआरओ की 01, एनएचआईडीसीएल की 01 सड़क बंद है। जबकि पीएमजीएसवाई की 83 सड़कों में से 16 सड़कों को खोल दिया गया है। प्रदेश की अवरुद्ध 154 सड़कों में से 30 सड़कों को यातायात हेतु खोल दिया गया है। जबकि अन्य 124 सड़कों को खोलने के लिए 644 मशीनें युद्धस्तर पर कार्य कर रही हैं।
लोनिवि मंत्री महाराज ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मानसून के दौरान सभी अपने-अपने फोन एवं मोबाइल अवश्य उठायें ताकि मार्ग अवरुद्ध होने की सटीक जानकारी लोगों को समय से प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि यात्रियों की परेशानियों को देखते हुए सड़कों को खोलने में बिल्कुल भी कोताही नहीं होनी चाहिए। मानसून के दौरान यदि कोई सड़क बंद होती है तो उसकी पूर्व सूचना यात्रियों को पहले ही उनके पूर्ववर्ती स्टेशन पर मिल जानी चाहिए और उनसे वैकल्पिक मार्गों की भी जानकारी साझा करनी चाहिए ताकि वह अपने गंतव्य तक आसानी से पहुंच सकें।
सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने किया उद्घाटन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और स्वरोजगार को मिलेगी नई दिशा
देहरादून। अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025 के उपलक्ष्य में देहरादून स्थित भारतीय वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) में दो दिवसीय कार्यशाला ‘सहकार मंथन-2025’ का भव्य शुभारंभ मंगलवार को हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन उत्तराखंड सरकार के सहकारिता, उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने किया। कार्यशाला का उद्देश्य सहकारिता क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर सृजित करना है।
उद्घाटन भाषण में डॉ. रावत ने कहा कि सहकारिता के माध्यम से उत्तराखंड को आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य सरकार पूरी प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। उन्होंने केंद्र सरकार के मार्गदर्शन और सहकारिता मंत्रालय की स्थापना को मील का पत्थर बताते हुए कहा कि इससे राज्यों को नई दिशा और ऊर्जा मिली है।
डॉ. रावत ने बताया कि प्रत्येक 300–400 की ग्रामीण आबादी या दो–तीन गांवों के समूह के लिए बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियां गठित की जाएंगी ताकि 670 मौजूदा एम-पैक्स को और अधिक सशक्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह मंथन केवल भाषणों तक सीमित न रहकर धरातल पर परिणाम देने वाला होना चाहिए।
उत्तराखंड सहकारिता की उपलब्धियां और योजनाएं
डॉ. रावत ने बताया कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने 2017 से सहकारी बैंकों में आईबीपीएस के माध्यम से पारदर्शी और मेरिट आधारित भर्तियां शुरू कीं, जिसका अनुसरण अब छह अन्य राज्य कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना की राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हो रही है और कई राज्य इसे अपनाने की प्रक्रिया में हैं।
कार्यशाला में सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण, ऋण वितरण में सुधार, ग्रामीण उत्पादों के बेहतर विपणन और ‘एक पेड़ माँ के नाम’ जैसे अभियानों पर भी चर्चा हुई। नर्सरियों के जरिये हरित उत्तराखंड बनाने पर जोर दिया गया।
विशेष प्रतिभागिता और तकनीकी सत्र
कार्यशाला में सहकारिता सचिव डॉ. वीबीआरसी पुरुषोत्तम, निबंधक डॉ. मेहरबान बिष्ट, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक पंकज तिवारी, प्रो. अरुण त्यागी, श्रीमती ईरा उप्रेती, आनंद शुक्ल और कई अन्य विशेषज्ञों ने विचार साझा किए। कार्यक्रम का संचालन मंगला त्रिपाठी ने किया।
SDRF ने किया शव बरामद
बागेश्वर। सामा-मुनस्यारी मार्ग पर मंगलवार सुबह एक दर्दनाक हादसे में 20 वर्षीय युवक की जान चली गई। जिला नियंत्रण कक्ष बागेश्वर से मिली सूचना के अनुसार, हरियाणा के पानीपत जिले के महेंद्रगढ़ निवासी यश शर्मा, जो वर्तमान में क्षेत्रीय डाकघर में पोस्टमास्टर के पद पर कार्यरत था, डाक लेकर साइकिल से जा रहा था। इसी दौरान अचानक एक जंगली भालू ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया।
भालू को देखकर घबराए यश की साइकिल अनियंत्रित हो गई और वह गहरी खाई में जा गिरा। SDRF टीम पोस्ट कपकोट से उप निरीक्षक राजेन्द्र सिंह के नेतृत्व में तत्काल रेस्क्यू उपकरणों के साथ मौके के लिए रवाना हुई।
घटना स्थल पर पहुंची टीम को जानकारी मिली कि गिरने के बाद युवक पर भालू ने हमला कर दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। SDRF जवानों ने खाई में उतरकर शव को स्ट्रेचर की मदद से मुख्य मार्ग तक लाया और उसे जिला पुलिस को आवश्यक कार्रवाई हेतु सुपुर्द किया।
घटना के बाद इलाके में दहशत का माहौल है। स्थानीय प्रशासन ने वन विभाग को क्षेत्र में गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।
ऋषिकेश में मौनपालन कार्यालय का उद्घाटन, मंत्री गणेश जोशी ने बढ़ाया किसानों का हौसला
ऋषिकेश। कृषि एवं उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने ऋषिकेश स्थित हनुमंतपुरम गंगा नगर में प्रदेशीय मौनपालन परिषद के उपाध्यक्ष गिरीश डोभाल के कार्यालय का विधिवत उद्घाटन किया। इस दौरान मंत्री गणेश जोशी ने राज्यमंत्री गिरीश डोभाल को बधाई दी और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित किया। उन्होंने ‘एक पेड़ मां के नाम‘ अभियान के तहत एक फलदार पौधे का रोपण भी किया।
इस अवसर पर कृषि मंत्री गणेश जोशी ने अपने संबोधन में कहा कि मौनपालन किसानों के लिए आय बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम बन रहा है। शहद और इसके सह-उत्पादों से जहां कास्तकारों को अतिरिक्त आमदनी हो रही है, वहीं पर-परागण के माध्यम से बागवानी फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से मौनपालन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उत्तराखंड का 65 प्रतिशत से अधिक भूभाग वनाच्छादित होने के कारण यहां मौनपालन की अपार संभावनाएं हैं। यह केवल शहद उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कृषि उत्पादकता को भी बढ़ाता है और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उत्पन्न करता है। इस दौरान मंत्री गणेश जोशी ने केंद्रीय मंत्री द्वारा प्रदेश की कृषि संबंधी योजनाओं हेतु लगभग रुपये 3,800 करोड़ की सैद्धांतिक सहमति प्रदान करने पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार प्रकट किया।
कृषि मंत्री ने कहा कि वर्तमान में उत्तराखंड में लगभग 8000 मधुमक्खी पालक, 95000 कॉलोनियों का संचालन कर रहे हैं, जिससे 1900 टन वार्षिक शहद उत्पादन हो रहा है। बद्रीनाथ के वन तुलसी के शहद की अधिक डिमांड बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि शहद उत्पादन में उत्तराखंड का देश में 9वां स्थान है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशनके अंतर्गत वैज्ञानिक पद्धतियों से मौनपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसानों को सब्सिडी पर बी-बॉक्स और उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं, और प्रशिक्षण शिविरों में महिलाओं व लघु कृषकों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि मौनपालन को डिजीटल प्लेटफार्म पर ले जाकर इसकी सम्पूर्ण जानकारी एकत्रित करने जैसे कार्यो पर भी भविष्य में जोर दिया जाऐगा।
कार्यक्रम के दौरान पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं ऋषिकेश विधायक प्रेमचंद्र अग्रवाल, मेयर शंभु पासवान, राज्यमंत्री गिरीश डोभाल, निदेशक बागवानी मिशन महेंद्र पाल, संयुक्त निदेशक डॉ रतन कुमार, पूर्व जिलाध्यक्ष रविन्द्र राणा, बृजेश शर्मा, मंडल अध्यक्ष मनोज ध्यानी, मोनू शर्मा, पंकज गुप्ता, सुमित पंवार सहित कई लोग उपस्थित रहे।
उत्तराखण्ड की पारंपरिक धरोहर और जैविक उत्पादों को राष्ट्रीय राजधानी में मिला नया मंच
देहरादून/ नई दिल्ली। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली स्थित उत्तराखण्ड निवास परिसर में ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ के आउटलेट का उद्घाटन किया। यह आउटलेट उत्तराखण्ड की पारंपरिक धरोहर और जैविक उत्पादों को राष्ट्रीय राजधानी में संगठित रूप में प्रस्तुत करने का एक सशक्त माध्यम बनेगा। इसके माध्यम से न केवल राज्य की समृद्ध लोकसंस्कृति को देश के सामने लाया जाएगा, बल्कि स्थानीय उत्पादों को नए बाजार भी प्राप्त होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहल राज्य सरकार की उस दूरदृष्टि का परिणाम है, जिसका उद्देश्य पर्वतीय अंचलों में उत्पादित प्राकृतिक और हस्तनिर्मित वस्तुओं को वैश्विक पहचान दिलाना है। यह कदम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा और साथ ही स्थानीय कारीगरों व शिल्पकारों को नए अवसर प्रदान करेगा।
चारधाम यात्रा को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा स्थानीय उत्पादों की ब्रिकी को बढ़ावा देने हेतु 13 से अधिक प्रमुख स्थानों पर आकर्षक फ्लोर स्टैंडिंग यूनिट्स और रिटेल कार्ट्स नैनी सैनी एयरपोर्ट, पंतनगर एयरपोर्ट, देहरादून हेलीपैड, जीएमवीएन श्री केदारनाथ, बद्रीनाथ, हर्षिल, गुप्तकाशी, कौडियाला, मसूरी, परमार्थ निकेतन (ऋषिकेश), स्नो क्रेस्ट (बद्रीनाथ), एटीआई (नैनीताल) एवं सेंट्रिया मॉल जैसे तीर्थ और पर्यटक स्थलों पर स्थापित किए गए हैं। ये रिटेल कार्ट्स श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। इसके अतिरिक्त, मैरियट मसूरी, ताज देहरादून, एफआरआई व एलबीएसएनएए एवं राष्ट्रीय राजधानी स्थित दिल्ली हाट जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी रिटेल कार्ट्स की स्थापना प्रक्रिया प्रगति पर है। यह पहल न केवल स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिला रही है, बल्कि उत्तराखण्ड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और शिल्प कौशल को भी सशक्त रूप से प्रस्तुत कर रही है।
सचिव ग्रामीण विकास श्रीमती राधिका झा ने बताया कि ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड ने कम समय में अपनी गुणवत्ता के बल पर विशेष पहचान बनाई है। इसके उत्पाद houseofhimalayas.com के साथ-साथ अमेज़न और ब्लिंकिट जैसे प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध हैं। अब यह ब्रांड प्रमुख होटल श्रृंखलाओं में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक और पारंपरिक पहचान को बढ़ावा देने तथा उच्च श्रेणी के पर्यटकों को स्थानीय उत्पादों से जोड़ने के उद्देश्य से ताज (ऋषिकेश, रामनगर), हयात सेंट्रिक, हयात रीजेंसी (देहरादून), मैरियट (रामनगर), वेस्टिन (नरेन्द्रनगर) और जेपी ग्रुप (मसूरी) जैसे प्रतिष्ठित होटलों के साथ रणनीतिक साझेदारी की गई है। इस पहल के तहत राज्य के विभिन्न प्रमुख होटलों में ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ के रिटेल कार्ट्स स्थापित किए गए हैं, जो पर्यटकों को उत्तराखण्ड के विशिष्ट हस्तनिर्मित एवं जैविक उत्पादों की सीधी उपलब्धता प्रदान कर रहे हैं। यह कदम न केवल स्थानीय उत्पादकों और कारीगरों को आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में प्रोत्साहित कर रहा है, बल्कि सतत पर्यटन और आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड की ओर भी एक महत्वपूर्ण पहल है।
‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड की अवधारणा को पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के दौरान प्रस्तुत किया गया था। इस ब्रांड के अंतर्गत उत्तराखण्ड के विशिष्ट उत्पाद जैसे बुरांश का शरबत, जंगली शहद, पहाड़ी दालें, पारंपरिक मसाले, हस्तनिर्मित वस्त्र एवं अन्य जैविक सामग्री अब एक सुव्यवस्थित रूप में देश के प्रमुख शहरों तक पहुंच सकेंगी।
इस अवसर पर सचिव ग्रामीण विकास श्रीमती राधिका झा, उत्तराखण्ड के स्थानिक आयुक्त श्री अजय मिश्रा आदि अधिकारीगण उपस्थित रहे।
मुख्य सचिव आनंद बर्धन ने सभी विभागों को यूनिक इनिशिएटिव्स का प्रेजेंटेशन तैयार करने के दिए निर्देश
देहरादून। मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में सचिवालय सभागार में सचिव स्तर की बैठक आयोजित की गई। मुख्य सचिव ने बैठक में सभी अधिकारियों को उनके बेहतर विभागीय कार्यों की बेस्ट प्रैक्टिसेज (सफलता की कहानियां) तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बेस्ट प्रैक्टिसेज में ऐसा यूनिक इनिशिएटिव हो जो किसी भी राज्य द्वारा नहीं किया गया हो अथवा जो अन्य से अलग हो। बेस्ट प्रैक्टिसेज संस्थागत अथवा व्यक्तिगत जिस स्तर का भी हो उसका प्रेजेंटेशन तैयार करें।
उन्होंने सभी सचिवों से उनके विभागों में हो रहे बेहतरीन कार्यों की जानकारी लेते हुए उनका बेस्ट प्रैक्टिसेज के रूप में संकलन तैयार करने के निर्देश दिए। जिससे लोगों को बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिल सके। मुख्य सचिव ने कहा कि आईटी, कृषि, उद्यान, बाल विकास, पंचायती राज, ग्राम्य विकास, सहकारिता, पशुपालन, वन विभाग, शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, हायर एजुकेशन, आयुष इत्यादि विभागों में बेस्ट प्रैक्टिसेज की अधिक संभावना है।
मुख्य सचिव ने सभी सचिवों को निर्देशित किया कि विभिन्न विकास कार्यों, सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों का बेहतर तरीके से इंप्लीमेंटेशन करें ताकि जनमानस को उसका अधिक – से – अधिक लाभ प्राप्त हो सके। उन्होंने सभी विभागों को अपनी विभागीय कार्यप्रणाली को अधिक – से – अधिक ऑनलाइन माध्यम से संचालित करने पर जोर देने के निर्देश दिए। जिससे एक खुली, पारदर्शी, सहज और व्यवस्थित कार्यप्रणाली और व्यवस्था डेवलप हो सके। माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण – पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 का गंभीरता से अनुपालन कराएं
मुख्य सचिव ने संबंधित सचिवों को निर्देशित किया कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण – पोषण और कल्याण अधिनियम – 2007 का गंभीरता से अनुपालन कराएं ताकि ज्ञान और अनुभव की पूंजी हमारे वरिष्ठ नागरिक अपनी वृद्धावस्था को सम्मानपूर्वक जी सके। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों से इस एक्ट का कड़ाई से अनुपालन करवाने के निर्देश दिए।
बैठक में प्रमुख सचिव आर के सुधांशु, एल एल फैनई व प्रदीप पंत, सचिव अमित सिन्हा, नीतेश कुमार झा, रविनाथ रमन, डॉ. पंकज कुमार पांडेय, डॉ रंजीत कुमार सिन्हा, डॉ. श्रीधर बाबू आद्यंकी, चंद्रेश यादव, डॉ आर राजेश कुमार, दीपेंद्र कुमार चौधरी, विनोद कुमार सुमन, रणवीर सिंह चौहान, धीरज सिंह गब्बर्याल उपस्थित थे।
भीड़ नियंत्रण से लेकर आतंकी खतरे तक, हर पहलू पर रहेगा प्रशासन का फोकस
तीन दिन में स्थलीय निरीक्षण और तैयारियों की रिपोर्ट दें सभी विभाग: सीएम धामी
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आगामी कांवड़ मेला-2025 की तैयारियों को लेकर प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। मुख्यमंत्री ने पूर्व वर्षों की व्यवस्थाओं की समीक्षा कर कानून व्यवस्था की दृष्टि से उत्पन्न हुई चुनौतियों का विश्लेषण कर सुधारात्मक कदम सुनिश्चित करने को कहा, ताकि इस वर्ष किसी भी प्रकार की पुनरावृत्ति न हो। उन्होंने कह कि इस विशाल धार्मिक आयोजन में किसी भी प्रकार की तोड़फोड़, उपद्रव या अन्य अवांछनीय घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी भीड़ नियंत्रण, यातायात प्रबंधन और सुरक्षा इंतजाम सुनिश्चित किए जाएं। शिविर संचालकों, कार्यरत व्यक्तियों, वॉलंटियर और होटल/धर्मशालाओं में ठहरने वाले व्यक्तियों का पूर्ण सत्यापन कराया जाए।
मुख्यमंत्री ने सभी प्रमुख स्थलों पर एक्सरे सिस्टम, अग्निशमन यंत्र, फायर टेंडर एवं कर्मियों की तैनाती सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही खाद्य व पेय पदार्थों की गुणवत्ता पर विशेष निगरानी और जलजनित बीमारियों की रोकथाम के लिए पुख्ता इंतजाम करने को कहा। भीड़ प्रबंधन में वॉलंटियर्स की मदद लेने, सीसीटीवी व ड्रोन से निरंतर निगरानी और अभिसूचना तंत्र को सक्रिय रखने पर बल दिया। बेहतर यातायात व्यवस्था अलग से प्लान बनाकर उसका व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए ताकि श्रद्धालुओं को असुविधा न हो। आतंकवादी खतरों को मद्देनजर रखते हुए एटीएस और विशेष सुरक्षा बलों की तैनाती सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए।
मुख्यमंत्री ने हरिद्वार के घाटों, नीलकंठ महादेव मंदिर अन्य प्रमुखस्थलों पर एम्बुलेंस व बैकअप की व्यवस्था करने, सादे वस्त्रों में महिला व पुरुष सुरक्षाकर्मियों की पर्याप्त तैनाती करने और आपदा राहत उपकरणों से युक्त गोताखोरों व जल पुलिस को अलर्ट मोड पर रखने को कहा। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि यात्रा मार्गों पर तेज ध्वनि विस्तारक यंत्रों, डीजे व लाउडस्पीकर के उपयोग को नियमबद्ध किया जाए। दुर्घटनाओं की रोकथाम हेतु ब्लैक स्पॉट चिन्हित कर सुधारात्मक कार्य किए जाएं। कांवड़ यात्रियों को ‘क्या करें और क्या न करें’ की जानकारी पेम्फलेट, होर्डिंग, पब्लिक अनाउंसमेंट और सोशल मीडिया के माध्यम से दी जाए।
मुख्यमंत्री ने कांवड़ियों को लाठी, डंडा, नुकीली वस्तुएं आदि ले जाने से रोकने हेतु प्रचार अभियान चलाने को कहा। यात्रा मार्गों में मादक पदार्थों, शराब एवं मांस की बिक्री पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने और समुचित बिजली, पानी, चिकित्सा जैसी आधारभूत सुविधाओं को सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए। महिला कांवड़ियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उनकी सुरक्षा के लिए महिला घाटों और धर्मशालाओं में विशेष पुलिस प्रबंध सुनिश्चित करने को कहा गया। अंतर्राज्यीय समन्वय बढ़ाकर सूचनाओं का तत्काल आदान-प्रदान करने, सोशल मीडिया पर निगरानी रखते हुए अफवाह फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई करने और संबंधित पोस्टों का तत्काल खंडन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने सभी विभागीय सचिवों और पुलिस महानिरीक्षकों को आगामी तीन दिनों में कांवड़ मेला क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण कर तैयारियों की समीक्षा करने व अपने-अपने विभागों की कार्य योजनाओं को अंतिम रूप देने के निर्देश दिए।
बैठक में गृह सचिव शैलेश बगोली, पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ, आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन, गढ़वाल व कुमाऊं आयुक्त सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
सरकारी स्कूलों में जल्द होगी 2000 शिक्षकों की भर्ती
देहरादून। उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों की गिरती साख और घटती छात्र संख्या को देखते हुए शिक्षा विभाग ने बड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है। राज्य के प्रत्येक ब्लॉक में कम से कम एक आकर्षक और संसाधनयुक्त अंग्रेजी माध्यम विद्यालय शुरू किया जाएगा। यह घोषणा प्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने एससीईआरटी परिसर में हुए एक कार्यक्रम में की।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि विभाग को यह जानकारी मिली है कि कई अभिभावक अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाना चाहते हैं। साथ ही, उन्होंने स्कूलों में सभी विषयों के शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की भी बात कही। इसी क्रम में विभाग से सरकारी स्कूलों में घटती नामांकन संख्या पर विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी गई है।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. रावत ने लगभग 4.86 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले निर्माण कार्यों का शिलान्यास किया, जिसमें एससीईआरटी परिसर में आवासीय भवन और शिक्षा निदेशालय का नया प्रवेश द्वार शामिल है।
उन्होंने आगे बताया कि जल्द ही विभाग में 2,000 शिक्षकों की नई भर्ती की जाएगी। साथ ही अब शिक्षकों की तरह शिक्षा विभाग के अधिकारियों की ऑनलाइन उपस्थिति भी अनिवार्य कर दी जाएगी, जिससे जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
इस मौके पर विधायक उमेश शर्मा ‘काऊ’, एससीईआरटी निदेशक वंदना गब्र्याल, माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल सती, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक अजय नौटियाल, संस्कृत शिक्षा निदेशक आनंद भारद्वाज और पदमेंद्र सकलानी सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे।