उत्तराखंड को रेल कनेक्टिविटी में नया आयाम, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना का तेजी से निर्माण..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में 125 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना अब तेजी से आकार ले रही है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के दुर्गम हिमालयी क्षेत्रों को रेल के माध्यम से जोड़ना है, जिससे राज्य में यातायात और आर्थिक गतिविधियां बेहतर होंगी। अब तक इस परियोजना के तहत 11 मुख्य सुरंगों और 8 बड़े पुलों का निर्माण पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। इसके साथ ही शेष कार्य तीव्र गति से चल रहा है और उम्मीद की जा रही है कि इस परियोजना का काम जल्द ही पूरा होगा। यह परियोजना न केवल क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देगी, बल्कि इससे पर्यटन और स्थानीय व्यापार को भी लाभ होगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत 1996 में तत्कालीन रेल मंत्री सतपाल महाराज द्वारा सर्वेक्षण के साथ हुई थी। 2011 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा आधारशिला रखी गई, लेकिन राजनीतिक मतभेदों के कारण कार्य में देरी हुई।
गढ़वाल रीजन में रेलवे निर्माण का कार्य शुरू किया गया..
2015 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इसे प्राथमिकता देते हुए निर्माण कार्य तेज किया। 2018 में वीरभद्र रेलवे स्टेशन से योग नगरी ऋषिकेश तक पहले ब्लॉक सेक्शन का काम शुरू हुआ और 2020 में पूरा हुआ। पहाड़ में सुरंग और पुल निर्माण के लिये डिजाइन अनुबंध 2019 में किये गये। इसके बाद गढ़वाल रीजन में रेलवे निर्माण का कार्य शुरू किया गया।
2015 में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में इस परियोजना को प्राथमिकता देते हुए इसके निर्माण कार्य को तेज किया। 2018 में वीरभद्र रेलवे स्टेशन से योग नगरी ऋषिकेश तक पहले ब्लॉक सेक्शन का काम शुरू हुआ, जो 2020 में पूरा हुआ। इसके बाद पहाड़ी क्षेत्र में सुरंगों और पुलों के निर्माण के लिए डिजाइन अनुबंध 2019 में किए गए थे। इसके परिणामस्वरूप गढ़वाल रीजन में रेलवे निर्माण कार्य का शुभारंभ हुआ। इस परियोजना का लक्ष्य केवल राज्य के दुर्गम क्षेत्रों को जोड़ना नहीं है, बल्कि पर्यटन, व्यापार, और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करना भी है। इस परियोजना में कुल 35 पुलों में से 19 प्रमुख पुलों का निर्माण किया जाना है, जिनमें से 8 पहले ही तैयार हो चुके हैं। यह लाइन ऋषिकेश (385 मीटर ऊँचाई) से शुरू होकर कर्णप्रयाग (825 मीटर ऊँचाई) तक जाएगी और इसमें 12 नए स्टेशन बनेंगे। जिनमें योग नगरी ऋषिकेश पहला रेलवे स्टेशन बन चुका है अब मुनिकी रेती, शिवपुरी, मंजिलगाँव, सकनी, देवप्रयाग, कीर्तिनगर, श्रीनगर, धारी देवी, घोलतीर, गौचर, और कर्णप्रयाग शामिल हैं।
सीएम धामी ने उच्च शिक्षा की समीक्षा बैठक में दिए अहम निर्देश..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को सचिवालय में उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक की। इस बैठक में सीएम ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि राज्य में उच्च शिक्षा का स्तर केवल डिग्री तक सीमित न रह जाए, बल्कि इसे युवाओं को सीधे रोजगार से जोड़ने वाली दिशा में विकसित किया जाए। सीएम धामी का कहना हैं कि राज्य के उच्च शिक्षा संस्थानों को इस दिशा में काम करना होगा ताकि युवाओं को न केवल उच्च शिक्षा मिले, बल्कि वे पढ़ाई के बाद रोजगार के लिए भी तैयार हों। इसके लिए उन्होंने शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को शामिल करने की बात की, ताकि युवा बेहतर कैरियर विकल्प चुन सकें और राज्य में रोजगार की स्थिति भी मजबूत हो।
सीएम धामी ने गुरुवार को उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में एक अहम निर्देश दिया। उन्होंने अधिकारियों को कहा कि विदेशों में मानव संसाधन की बढ़ती मांग के अनुरूप उत्तराखंड के युवाओं को प्रशिक्षित किया जाए। इसके लिए उन्हें विदेशी भाषाओं का ज्ञान और कौशल प्रशिक्षण भी दिया जाए, ताकि उत्तराखंड का युवा वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में खड़ा हो सके। राज्य को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए युवाओं को विभिन्न भाषाओं और तकनीकी कौशल में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने अधिकारियों को यह निर्देश भी दिए कि विदेशी दूतावासों से संपर्क स्थापित किया जाए और विभिन्न देशों की मांग के अनुरूप प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किए जाएं।
प्रोफेसर को दिया जाए तकनीक आधारित प्रशिक्षण..
बैठक में सीएम धामी ने यह भी कहा कि उच्च शिक्षा को गुणवत्तापरक बनाने के लिए प्रोफेसर को आधुनिक तकनीक आधारित प्रशिक्षण दिया जाए। शिक्षण को रोचक बनाने के लिए टूल्स, डिजिटल सामग्री और सहायक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की लाइब्रेरी में पर्याप्त किताबें हों और प्रयोगशालाओं में सभी आवश्यक उपकरण मौजूद रहें, यह भी सुनिश्चित किया जाए।
सीएम ने राज्य सरकार की भारत दर्शन योजना का ज़िक्र करते हुए कहा कि मेधावी छात्रों को देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों का भ्रमण कराया जाए ताकि वे उच्चतर शैक्षणिक व व्यावसायिक अवसरों से परिचित हो सकें। सीएम ने नैक ग्रेडिंग सिस्टम के तहत राज्य के अधिकतम कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को लाने के निर्देश भी दिए और कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप उच्च शिक्षा को तेजी से अपग्रेड किया जाए।
चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों को मिलेगा रियल-टाइम अपडेट,मदद के लिए एक्टिव होगा कंट्रोल रूम..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं को इस बार बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। बुधवार को डीजीपी दीपम सेठ ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर यात्रा तैयारियों की समीक्षा की। बैठक में बताया गया कि तीर्थयात्रियों को मोबाइल पर यात्रा से जुड़ी सभी गतिविधियों का रियल-टाइम अपडेट उपलब्ध कराया जाएगा। इस अपडेट में यातायात व्यवस्था, मौसम, मार्ग की स्थिति और भीड़ नियंत्रण से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी शामिल रहेगी। इससे श्रद्धालु अपनी यात्रा को और अधिक सुरक्षित व व्यवस्थित बना सकेंगे। पुलिस विभाग यात्रा मार्गों पर सुरक्षा, संचार और सुविधा व्यवस्थाओं को मजबूत करने में जुटा है ताकि यात्रा अनुभव को बेहतर बनाया जा सके।
ये जानकारियां भी दीं
– गढ़वाल रेंज कार्यालय में स्थापित चारधाम कंट्रोल रूम को जल्द शुरू करने के निर्देश दिए।
– यात्रा मार्गों की ट्रैफिक योजना, भीड़ नियंत्रण, पार्किंग और सुरक्षा व्यवस्था को अंतिम रूप दिया जाए।
– उत्तराखंड पुलिस मोबाइल एप में रियल-टाइम अपडेट, इमरजेंसी हेल्पलाइन और रूट अपडेट जैसी सेवाएं सक्रिय की जाएं।
केदारनाथ यात्रा- शटल सेवा में टैक्सी-मैक्सी चालकों के लिए ग्रीन कार्ड अनिवार्य..
उत्तराखंड: आगामी 2 मई से शुरू हो रही केदारनाथ यात्रा के दौरान शटल सेवा के तहत चलने वाले सभी टैक्सी-मैक्सी चालकों के लिए ग्रीन कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है। ग्रीन कार्ड के बिना किसी भी वाहन का पंजीकरण नहीं किया जाएगा। परिवहन विभाग ने जिले में संचालित सभी टैक्सी-मैक्सी यूनियनों से वाहनों की जानकारी मांगी है, ताकि उनका संचालन रोटेशन सिस्टम के आधार पर किया जा सके। इसका उद्देश्य यह है कि अधिक से अधिक स्थानीय चालकों को रोजगार का अवसर मिले और यात्रा व्यवस्था भी सुव्यवस्थित बनी रहे।
गौरीकुंड राजमार्ग पर सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक संचालित शटल सेवा को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए परिवहन विभाग ने नई कार्ययोजना तैयार की है। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी कुलवंत सिंह चौहान का कहना हैं कि इस बार शटल सेवा के संचालन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से जिले की सभी टैक्सी-मैक्सी यूनियनों से वाहनों की जानकारी मांगी गई है। इन वाहनों का संचालन रोटेशन प्रणाली के तहत किया जाएगा, ताकि हर चालक को रोजगार का अवसर मिल सके।
इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि शटल सेवा में भाग लेने वाले सभी वाहन चालकों के लिए ‘ग्रीन कार्ड’ अनिवार्य कर दिया गया है। बिना ग्रीन कार्ड के किसी भी वाहन का पंजीकरण नहीं होगा और उसे सेवा में शामिल नहीं किया जाएगा। परिवहन विभाग का लक्ष्य है कि केदारनाथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को सुरक्षित, सुगम और व्यवस्थित आवागमन की सुविधा मिले, साथ ही स्थानीय चालकों को अधिकतम रोजगार भी सुनिश्चित किया जा सके। यात्रा के पहले चरण में रोटेशन व्यवस्था एक-एक सप्ताह के लिए होगी। यात्रियों को शटल सेवा से एक तरफा 50 रुपये सवारी किराया देना होगा। रोटेशन के तहत सभी को काम मिल सकेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में वाहनों का संचालन होता रहेगा।
उत्तराखंड में 1 मई से अनिवार्य होगी बायोमेट्रिक उपस्थिति, संपत्ति विवरण भी अब होगा जरूरी..
उत्तराखंड: सरकारी विभागों में अब कर्मचारियों की उपस्थिति और नैतिक जवाबदेही को और सख्ती से लागू किया जाएगा। मंगलवार को मुख्य सचिव आनंद वर्धन की अध्यक्षता में सचिव समिति की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। 1 मई 2025 से सभी विभागों में अधिकारियों व कर्मचारियों की उपस्थिति बायोमेट्रिक प्रणाली से ही दर्ज होगी। सभी विभागों को बायोमेट्रिक मशीनें और व्यवस्था तत्काल सुनिश्चित करने के निर्देश। सरकारी विभागों में अधिकारी और कर्मचारी अब मनमाने तरीके से ना तो आ सकेंगे और ना ही जा सकेंगे। इसके लिए सभी विभागों में बायोमेट्रिक की सुविधा को व्यवस्थित कर लिया जाए। इसके साथ ही सीएस ने सभी अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए हैं कि सालाना अपने अचल संपत्तियों की जानकारी देना अनिवार्य होगा।क्योंकि प्रमोशन के समय यह देखा जाएगा कि कार्मिक की ओर से अचल संपत्ति का विवरण दिया गया है या नहीं।
बैठक के दौरान सीएस ने सभी विभागों को निर्देश दिए कि विभागों की ओर से जनहित और राज्यहित में महत्त्वपूर्ण और प्राथमिकता वाली योजनाओं की सूची तैयार कर लें ।जिससे जनहित से जुड़ी योजनाओं के लिए धनराशि की व्यवस्था की जा सके। साथ ही उन योजनाओं की स्वीकृति के लिए भी कार्रवाई की जा सके ।सीएस ने सभी विभागीय अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए हैं कि योजनाओं की सूची नियोजन विभाग और मुख्य सचिव कार्यालय को उपलब्ध कराए। मुख्य सचिव ने एक करोड़ से अधिक लागत की परियोजनाओं की समीक्षा पीएम गतिशक्ति पोर्टल के जरिए किए जाने के भी निर्देश दिए हैं। इसके लिए सभी विभागों को आवश्यक तैयारी किए जाने की बात कही है। भविष्य में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होने वाली ईएफसी पीएम गतिशक्ति पोर्टल के जरिए की जाएगी। विभागीय सचिवगणों से भी विभागीय ईएफसी पीएम गतिशक्ति पोर्टल के जरिए कराए जाने के निर्देश दिए हैं।
ई-डीपीआर तैयार करने के निर्देश..
इसके साथ ही उन्होंने सभी विभागों की ओर से तैयार की जाने वाली विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को ई-डीपीआर के रूप में तैयार किए जाने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि इससे योजनाओं को लागू करने में गति आएगी। कुछ राज्यों में ई-डीपीआर बनाए जाने का कार्य किया जा रहा है। एनआईसी के जरिए इसका अध्ययन कराते हुए भविष्य में परियोजनाओं के लिए ई-डीपीआर बनाए जाने के लिए व्यवस्था की जाए। इसके साथ ही सभी विभागीय सचिव को सचिवालय प्रशासन विभाग की ओर से दिए गए निर्देशों के आधार पर साल में कम से कम एक बार अनुभागाों का विस्तृत निरीक्षण करें।
विभाग पोर्टल पर अपलोड करेंगे परिसंपत्ति का विवरण..
इसी तरह का निरीक्षण रोस्टर के आधार पर अपर सचिवों, संयुक्त सचिवों, उप सचिवों और अनुसचिवों को किए जाने के निर्देश दिए हैं। बैठक में सभी अधिकारियों को अपने विभाग से संबंधित तमाम प्रकार के कामों के लिए एनुअल वर्क प्लान बनाए जाने के निर्देश दिए हैं। ताकि सभी प्रकार के विभागीय कार्यों को समय से पूरा किया जा सके और देरी से बचा जा सके। मुख्य सचिव ने सभी विभागों को अपनी-अपनी परिसम्पत्तियों की सूची तैयार कर इसके लिए बनाए गए पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, तमाम विभागों की ओर से अपनी विभागीय परिसम्पत्तियों की सूची पहले गवर्नमेंट एसेट्स इन्वेंटरी (Government Assets Inventory) पर अपलोड किया गया था। लेकिन सभी विभागों को अपनी-अपनी परिसम्पत्तियों की सूची इस पोर्टल पर अपलोड किए जाने के निर्देश दिए गए।
आईएएस देंगे अचल संपत्ति का ब्योरा..
अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि के बारे में जानकारी देते समय अनिवार्य रूप से अचल संपत्ति का विवरण भी देना अनिवार्य होगा। बैठक के दौरान यह संज्ञान में लाया गया कि कई विभागीय अधिकारियों की ओर से समय से अपनी वार्षिक अचल संपत्ति का विवरण अपने विभागों को उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। वार्षिक गोपनीय आख्या के बारे में विवरण देते समय अचल संपत्ति का विवरण घोषित किए जाने को अनिवार्य बनाए जाने के लिए व्यवस्था बनाए जाने के निर्देश दिए हैं। पदोन्नति के समय यह देखा जाएगा कि कार्मिक की ओर से अचल संपत्ति का विवरण दिया गया है या नहीं।
बैठक में देहरादून में राज्य संग्रहालय की आवश्यकता बताई गई है। इसके लिए प्रस्ताव जमा किए जाने के निर्देश दिए गए। कोलागढ़ में स्थित हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र का अधिक से अधिक उपयोग किए जाने के लिए कार्ययोजना बनाए जाने के निर्देश दिए हैं। संस्कृति विभाग में पंजीकृत तमाम तरह के सांस्कृतिक दलों की आपस में प्रतियोगिता कराते हुए पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से इनको श्रेणी ए, बी, सी आदि में रखे जाने के निर्देश दिए गए। ताकि आवश्यकतानुसार इनका उपयोग किया जा सके।
उत्तराखंड सरकार का बड़ा फैसला, छात्रों को अब मुफ्त में मिलेंगी नोटबुक..
उत्तराखंड: राज्य सरकार ने राज्य के छात्रों के हित में एक बड़ा निर्णय लिया है। अब प्रदेश के राजकीय और सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों में कक्षा 1 से 12वीं तक के सभी विद्यार्थियों को निशुल्क नोटबुक (कॉपी) भी उपलब्ध कराई जाएगी। यह निर्णय हाल ही में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया, जिसमें शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव को कैबिनेट की स्वीकृति मिल गई। योजना को आगामी शैक्षणिक सत्र 2025-26 से लागू किया जाएगा। लगभग 10 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को इस योजना से होगा सीधा लाभ। राज्य सरकार की यह योजना “गेम चेंजर” मानी जा रही है, जिससे छात्रों को पढ़ाई के लिए जरूरी संसाधन बिना आर्थिक बोझ के मिलेंगे।
उत्तराखंड सरकार कक्षा 1 से 12वीं तक के विद्यार्थियों को निशुल्क पुस्तक और ड्रेस उपलब्ध करा रही है. ऐसे में अब उन्हें निशुल्क कॉपियां भी उपलब्ध कराई जाएगी। धामी मंत्रिमंडल की ओर से लिए गए निर्णय के अनुसार, कक्षा 1 से कक्षा 2 के विद्यार्थियों को 100 पेजों का एक नोटबुक दिया जाएगा। इसी तरह कक्षा 3 से कक्षा 5 तक के विद्यार्थियों को 100 पेजों का तीन नोटबुक, कक्षा 6 से कक्षा 8 तक के विद्यार्थियों को 100 पेजों का पांच नोटबुक और कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के विद्यार्थियों को 120 पेजों का पांच नोटबुक दिया जाएगा।
उत्तराखंड सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में एक “गेम चेंजर” योजना की घोषणा की है। आगामी शैक्षणिक सत्र 2025-26 से प्रदेश के राजकीय और सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा 1 से 12वीं तक के सभी छात्र-छात्राओं को हर वर्ष निशुल्क नोटबुक (कॉपी) उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही विद्यार्थियों को नोटबुक खरीदने के लिए DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के ज़रिए राशि सीधे उनके खातों में दी जाएगी। करीब 10 लाख से अधिक विद्यार्थी इस योजना से लाभान्वित होंगे। शिक्षा विभाग इस योजना पर लंबे समय से काम कर रहा था। अब जब मंत्रिमंडल ने प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है, तो इसके क्रियान्वयन की प्रक्रिया में तेजी लाई जा रही है।
वेद-पुराण की शिक्षा का नया केंद्र, दून विश्वविद्यालय में शुरू होगा हिंदू स्टडीज सेंटर..
उत्तराखंड: उत्तराखंड की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को वैश्विक स्तर पर मजबूती देने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि दून विश्वविद्यालय में जल्द ही ‘सेंटर फॉर हिंदू स्टडीज’ की स्थापना की जाएगी। यह केंद्र हिंदू सभ्यता, संस्कृति, साहित्य और दर्शन पर केंद्रित शिक्षण व शोध कार्यों का प्रमुख केंद्र बनेगा। इस का उद्देश्य छात्रों को हिंदू दर्शन, वेद, उपनिषद, पुराण, स्मृतियां और इतिहास पर गहन अध्ययन और शोध कराना होगा।
सीएम धामी का कहना हैं कि दून विश्वविद्यालय में बनने वाला सेंटर फॉर हिंदू स्टडीज पूरी तरह शोध और अध्यात्म को समर्पित होगा। इसमें वैदिक साहित्य, भारतीय दर्शन, संस्कृति, योग, आयुर्वेद, कला और शास्त्रों पर आधुनिक और पारंपरिक दोनों पद्धतियों से अध्ययन कराया जाएगा। सीएम ने कहा कि उत्तराखंड पहला राज्य है जिसने समान नागरिक संहिता (UCC) लागू किया है। इसके ज़रिए हमने जाति, धर्म और लिंग के आधार पर होने वाले कानूनी भेदभाव को खत्म कर दिया है।
सीएम धामी ने की विदेश नीति की सराहना..
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पृथ्वी – एक परिवार – एक भविष्य की भावना को पूरी दुनिया में पहुंचाया है। चाहे कोविड वैक्सीन वितरण हो या म्यांमार में भूकंप राहत, भारत ने हर मौके पर मानवता को प्राथमिकता दी है।
कैंसर मरीजों के लिए राहत की खबर, एम्स में PET-CT और PACS सुविधा शुरू होने को तैयार..
उत्तराखंड: एम्स ऋषिकेश के पांचवें दीक्षांत समारोह के बाद संस्थान में कई अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाएं शुरू होने जा रही हैं। इनमें सबसे खास है पीईटी-सीटी मशीन, जो विशेष रूप से कैंसर की शुरुआती और सटीक पहचान में मददगार होगी। यह तकनीक पारंपरिक एमआरआई की तुलना में अधिक कारगर और तेज मानी जाती है। पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (PET) और कम्प्यूटेड टोमोग्राफी (CT) को मिलाकर तैयार यह मशीन शरीर में कैंसर कोशिकाओं की सक्रियता को पहचानने में सक्षम है। यह तकनीक कैंसर की स्टेजिंग, ट्रीटमेंट प्लानिंग और रिकरेंस मॉनिटरिंग में अहम भूमिका निभाती है। अब कैंसर मरीजों को जांच के लिए दिल्ली या दूसरे बड़े शहरों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा।
मंगलवार को दीक्षांत समारोह के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा एम्स के एयरोमेडिकल सेवाओं का दौरा करेंगे। इसके साथ ही ट्रॉमा सेंटर में पिक्चर आर्काइविंग एंड कम्युनिकेशन सिस्टम (पीएसीएस) का उद्घाटन करेंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री पीईटी सीटी सुविधा और उन्नत बाल चिकित्सा हेतु नवनिर्मित सेंटर फॉर एडवांस्ड पीडियाट्रिक्स का भी लोकार्पण भी करेंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री धामी आयुष भवन में एकीकृत चिकित्सा विभाग, आयुष एकीकृत कल्याण पथ और योग स्टूडियो का भी उद्घाटन करेंगे।
पीईटी सीटी, सिर्फ कैंसर से प्रभावित कोशिक को करती है टारगेट..
अब एम्स ऋषिकेश में प्रारंभिक चरण में ही कैंसर रोग की पहचान हो सकेगी। मंगलवार से यहां पीईटी सीटी मशीन (पॉजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी और कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी) से कैंसर रोग की जांच व उपचार हो सकेगी। उक्त अत्याधुनिक मशीन को लगाने और खरीदने की परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड मुंबई से एम्स प्रशासन को अनुमति मिल चुकी थी। इस मशीन से कैंसर के रोगियों की जांच व उपचार करने वाला एम्स उत्तराखंड का पहला सरकारी चिकित्सा संस्थान होगा। अभी तक यहां कैंसर रोगियों की जांच के लिए एमआरआई व सीटी स्कैन का सहारा लिया जाता है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि एमआरआई व सीटी स्कैन की जांच में 40 से 45 फीसदी मरीजों में प्रारंभिक चरण में कैंसर का पता नहीं लग पाता है। पीईटी सीटी मशीन प्रारंभिक चरण में कैंसर का पता लगाने में मदद करता है। इस मशीन से एमआरआई की अपेक्षा कैंसर की जांच व पहचान जल्दी होती है। साथ ही यह उपचार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस मशीन से उपचार का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह मशीन उपचार के दौरान केवल उसी कोशिका को टारगेट करती है, जो कैंसर से प्रभावित है। अन्य अंगों या कोशिकाओं पर यह कोई प्रभाव नहीं डालती है। जिससे इसके दुष्परिणाम नहीं होते हैं। जबकि कैंसर के अन्य उपचार विधियों में प्रभवित अंगों के साथ ही अन्य अंग या कोशिकाएं प्रभावित होती हैं।
क्या है पैक्स..
पिक्चर आर्काइविंग एंड कम्युनिकेशन सिस्टम (पैक्स) एक मेडिकल इमेजिंग तकनीक है जो चिकित्सा छवियों को संग्रहीत, एक्सेस और वितरित करने के लिए एक केंद्रीकृत सिस्टम प्रदान करती है। यह सिस्टम अलग-अलग इमेजिंग उपकरणों (जैसे एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड) से छवियों को प्राप्त करता है और उन्हें एक सुरक्षित और सुलभ तरीके से संग्रहीत करता है।
हर साल फीस में उछाल, लेकिन शिक्षक रह गए बेहाल, ये है निजी स्कूलों का हाल..
उत्तराखंड: प्रदेश के निजी स्कूल एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है शिक्षकों को मिलने वाला कम वेतन, जबकि दूसरी ओर अभिभावकों से बढ़ी हुई फीस और गैरज़रूरी चार्ज के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है। सवाल उठता है कि जिन स्कूलों में लाखों रुपये की फीस ली जाती है, वहीं शिक्षकों की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर क्यों है? अभिभावकों का कहना है कि वे हर महीने भारी-भरकम फीस भरते हैं, जिसमें ट्यूशन फीस, स्मार्ट क्लास चार्ज, डेवलपमेंट फीस और एडमिनिस्ट्रेशन फीस जैसी कई मदें शामिल होती हैं। इसके बावजूद शिक्षकों को मानदेय के नाम पर न्यूनतम वेतन से भी कम राशि दी जाती है। बात करें प्राथमिक कक्षाओं की तो कई स्कूलों में शिक्षकों को 5 से 8 हजार रुपये प्रति माह तक पर काम कराया जा रहा है। वहीं उच्च कक्षाओं के शिक्षक भी मुश्किल से 15 से 20 हजार के दायरे में सिमटे हुए हैं। इससे उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ रहा है। शिक्षक संगठनों और कुछ अभिभावक संघों ने इस पर नाराजगी जताते हुए सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि स्कूल भारी-भरकम फीस वसूल रहे हैं, तो उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शिक्षकों को सम्मानजनक वेतन मिले
अभिभावकों से अक्सर तर्क दिया जाता है कि स्कूल फीस इसलिए बढ़ाते हैं क्योंकि हर साल शिक्षकों की तनख्वाह भी बढ़ाई जाती है. लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। आज भी प्रदेश के सैकड़ों निजी स्कूलों में शिक्षक और कर्मचारी बेहद कम वेतन में काम करने को मजबूर हैं। दिलचस्प बात ये है कि सरकार ने पहले ही इस पर एक स्पष्ट आदेश जारी कर रखा है। आपको बता दे कि 26 जून 2007 को तत्कालीन शिक्षा सचिव डीके कोटिया ने निर्देश दिए थे कि राज्य के आईसीएसई और सीबीएसई स्कूलों को शिक्षकों और कर्मियों को वेतन और भत्ते उसी स्तर पर देने होंगे, जैसे सरकार सहायता प्राप्त स्कूलों में देती है। लेकिन आज भी ये आदेश शिक्षा विभाग की फाइलों में धूल फांक रहा है।
स्कूल प्रबंधन अपने हिसाब से तय करता है शिक्षकों का वेतन..
2018 में सीबीएसई ने अपने एफिलिएशन बायलॉज के अध्याय-5 में साफ कर दिया था कि निजी स्कूलों को अपने स्टाफ को सरकार द्वारा तय मानकों के अनुरूप वेतन देना होगा। इस आदेश के बाद भी अधिकांश स्कूल प्रबंधन अपने हिसाब से शिक्षकों का वेतन तय करते हैं। जिसकी न कोई तय नीति है, न पारदर्शिता।
चारधाम यात्रा में पहली बार तैनात होंगे पीजी डॉक्टर, तीर्थयात्रियों को मिलेगा मजबूत स्वास्थ्य सुरक्षा कवच..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा को लेकर इस बार राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की अनुमति के बाद यात्रा मार्गों पर पहली बार पीजी (पोस्ट ग्रेजुएट) डॉक्टरों की तैनाती की जा रही है। इस कदम से यात्रा में शामिल लाखों श्रद्धालुओं को बेहतर और विशेषज्ञ स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकेंगी। NMC की घोषणा के बाद देशभर के मेडिकल कॉलेजों से पीजी डॉक्टर यात्रा में स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए संपर्क कर रहे हैं। उत्तराखंड शासन ने स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देते हुए इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है। बता दे कि अब तक चारधाम यात्रा के दौरान अधिकतर जगहों पर प्राथमिक उपचार या सामान्य चिकित्सा सेवा ही उपलब्ध होती थी। लेकिन इस बार विशेषज्ञ डॉक्टरों की मौजूदगी से जटिल और आकस्मिक स्थितियों से भी प्रभावी तरीके से निपटा जा सकेगा। राज्य सरकार की मंशा है कि केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री जैसे उच्च हिमालयी क्षेत्रों में यात्रा के दौरान स्वास्थ्य सेवाएं पहले से कहीं अधिक सशक्त और भरोसेमंद हों। देश के अलग-अलग राज्यों से पीजी डॉक्टर इस सेवा के लिए आगे आ रहे हैं। यह न केवल श्रद्धालुओं के लिए लाभदायक होगा, बल्कि पीजी डॉक्टरों को वास्तविक परिस्थितियों में कार्य अनुभव भी मिलेगा। यह व्यवस्था मेडिकल शिक्षा और सामाजिक सेवा दोनों के लिहाज़ से एक मिसाल बनने जा रही है।
एमडी, एमएस व डीएनबी पीजी डॉक्टर चारधाम यात्रा में सेवा देकर डिस्ट्रिक्ट रेजीडेंसी प्रोग्राम (डीआरपी) प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकेंगे। एनएमसी ने स्पष्ट किया है कि यात्रा के दौरान दी गई सेवाएं क्लीनिकल रोटेशन या डीआरपी के तहत मान्य होंगी। डॉक्टरों को इसके लिए अलग से तीन माह की ट्रेनिंग नहीं करनी पड़ेगी।
तीर्थयात्रियों को विशेषज्ञ सेवाएं मिलेगी..
प्रदेश सरकार ने चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए एनएमसी से पीजी डॉक्टरों की स्वैच्छिक तैनाती की अनुमति मांगी थी। एनएमसी की मंजूरी के बाद अब देश भर के मेडिकल कॉलेजों से पीजी कर रहे डॉक्टरों से यात्रा में सेवाएं देने के लिए सकारात्मक प्रक्रिया मिल रही है।स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार का कहना हैं कि पीजी डॉक्टरों की यात्रा में तैनाती के निर्णय से तीर्थयात्रियों को विशेषज्ञ सेवाएं मिलेगी। इसके साथ ही प्रशिक्षु डॉक्टरों को उच्च हिमालयी चिकित्सा और आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने का व्यावहारिक अनुभव भी मिलेगा।