मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शनिवार को शासन के वरिष्ठ अधिकारियों और जिलाधिकारियों के साथ सचिवालय में वीडियो कांफ्रेंसिग के द्वारा प्रदेश में कोविड की रोकथाम और बचाव कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने ऐसे बच्चों के लिए विशेष योजना बनाने के निर्देश दिये जिनके माता-पिता या परिवार के मुखिया की मृत्यु कोविड के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों की सहायता की जा सके, इसके लिये जल्द से जल्द इनका चिन्हीकरण सुनिश्चित किया जाए।
उन्होंने कहा कि कोविड की तीसरी लहर के लिये तैयारियों को शीघ्रता से धरातल पर लागू किया जाए। वर्तमान में कोविड के मामलों में कमी देखने को मिल रही है, फिर भी हमें पूरी तरह से सावधान रहना है। किसी तरह की ढिलाई नहीं होनी चाहिए। तीसरी लहर में बच्चों पर फोकस करना है। जिला व ब्लॉक स्तर तक इसकी मैपिंग हो। फील्ड में काम करने वालों को मालूम होना चाहिए कि किसी तरह की परिस्थिति में उन्हें क्या करना है। उन्होंने ने कहा कि मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन और कालाबाजारी करने वालों पर जरूरी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि ई-संजीवनी का अच्छा रेस्पोंस मिल रहा है। इसे और अधिक सुदृढ़ और प्रचारित किया जाए।
मैंने निर्देशित किया हैं कि ऐसे बच्चों के लिए विशेष योजना बनाई जाए, जिनके माता-पिता या परिवार के मुखिया की मृत्यु कोविड के कारण हुई है। इसके लिये जल्द से जल्द इनका चिन्हीकरण सुनिश्चित किया जाए। pic.twitter.com/0pC3FyvTfh
— Tirath Singh Rawat (मोदी का परिवार) (@TIRATHSRAWAT) May 22, 2021
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड को लेकर अधिक ध्यान देना है। इसके लिए विकेंद्रीकृत योजना का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। आशा, एएनएम की सही तरीके से ट्रेनिंग हो। पीएचसी व सीएचसी स्तर तक तैयारियां हों। हर ब्लाॅक में कन्ट्रोल रूम हों। ग्राम सभाओं का सहयोग लिया जाए। जहाँ तक सम्भव हो दूरस्थ क्षेत्रों के लिए मोबाईल टेस्टिंग वैन, मोबाईल लैब, सेम्पलिंग वैन की व्यवस्था हो। गांव-गांव, घर- घर तक जरूरी मेडिकल किट व दवाओं की उपलब्धता हो। गांवों में क्वारेंटाईन सेंटर चिन्हित कर उन्हें जरूरी सुविधाओं से युक्त किया जाए।
उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन में धन की कमी नहीं है। इसके लिये हर सम्भव प्रयास कर वैक्सीनैशन की प्रक्रिया में तेजी लानी है। प्रस्तावित और निर्माणाधीन ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट को जल्द पूरा किया जाए। ऑक्सीजन आपूर्ति में बहुत सुधार हुआ है। इसे आगे भी बनाये रखना है। हमारे सभी आईसीयू संचालित होने चाहिए। कोविड से सम्बंधित सूचनाओं की रियल टाईम डाटा एन्ट्री सुनिश्चित की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डेंगू को लेकर भी तैयारियां की जाएं। इसके बचाव के संबंध में जनजागरूकता अभियान चलाए जाएं। यह देख लिया जाए कि हमारे कोविड अस्पताल और कोविड केयर सेंटर के आस-पास पानी एकत्र न हो।
बैठक में मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार शत्रुघ्न सिंह, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, डीजीपी अशोक कुमार, अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार, सचिव अमित नेगी, डॉ पंकज कुमार पाण्डेय सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
- प्रह्लाद सबनानी
आर्थिक मामलों के जानकार और बैंकिग सेवा के पूर्व अधिकारी
कोरोना महामारी के बीच एक अंतरराष्ट्रीय संस्था ट्रैस इंटरनेशनल (TRACE International) ने विश्व के 197 देशों में व्यापार रिश्वतखोरी जोखिम के स्तर पर एक प्रतिवेदन जारी किया था। चूंकि भारत में कोरोना की दूसरी लहर जारी है। अतः इस प्रतिवेदन पर शायद किसी की नजर ही नहीं गई। इस प्रतिवेदन के अनुसार विश्व के 197 देशों में से भारत में व्यापार रिश्वतखोरी जोखिम का स्तर बहुत तेजी से कम हुआ है। विश्व के 197 देशों की इस सूची में वर्ष 2014 में भारत का स्थान 185वां था जो वर्ष 2020 में 77वें स्थान पर पहुंच गया है। अर्थात 6 वर्षों के दौरान भारत ने 108 स्थानों की लम्बी छलांग लगाई है।
भारत के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है और इसे प्राप्त करने के लिए देश में कई प्रयास किए गए हैं। भारत में व्यापार भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी जोखिम के स्तर में इतना बड़ा सुधार मुख्य रूप से इसलिए देखने में आया है क्योंकि देश में केंद्र सरकार ने समाज के सभी क्षेत्रों से भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी को हटाने का अभियान छेड़ दिया था। साथ ही, केंद्र सरकार द्वारा भ्रष्टाचार रोकथाम एवं निवारण कानून, 1988 में, 30 वर्षों के बाद, बहुत संशोधन करते हुए इसे कठोर बनाया गया है, जिसके तहत अब रिश्वत देने वाला एवं रिश्वत लेने वाला दोनों ही दोषी माने गए हैं। साथ ही, सरकार ने अपने दैनिक कार्यों में तकनीक के उपयोग को भी बढ़ाया है। ई-टेंडरिंग, ई- प्रोक्योरमेंट एवं विपरीत नीलामी जैसे नियमों को लागू करने से भी बहुत फर्क पड़ा है और इससे अभिशासन में पारदर्शिता बढ़ी है।
अब अधिकतर सरकारी काम डिजिटल प्लेटफॉर्म पर किया जाने लगा है। जिसके कारण अब अधिकारियों/कर्मचारियों एवं जनता के बीच सीधा-सीधा सम्पर्क कम ही रह गया है। फिर चाहे वह आयकर विभाग हो अथवा नगर निगम एवं नगर पालिकाएं, बिजली प्रदान करने वाली कम्पनियां भी अब ऑनलाइन बिल जारी करती हैं। देश में सबसे बड़ा अभियान तो जन-धन योजना के अंतर्गत चलाया गया जिसके अंतर्गत करोड़ों देशवासियों के विभिन्न बैकों में 40 करोड़ से अधिक जमा खाते खोले गए हैं, इनमे 22 करोड़ महिलाओं के खाते भी शामिल हैं।
इन जमा खातों में आज विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत प्रदान की जाने वाली लगभग सभी प्रकार की सहायता राशियां एवं सब्सिडी का पैसा केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा सीधे ही हस्तांतरित किया जा रहा है। मनरेगा योजना की बात हो अथवा केंद्र सरकार की अन्य योजनाओं की बात हो, पहिले ऐसा कहा जाता था कि केंद्र से चले 100 रुपए में से शायद केवल 8 रुपए से 16 रुपए तक ही अंतिम हितग्राही तक पहुंच पाते हैं, परंतु आज हितग्राहियों के खातों में सीधे ही राशि के जमा करने के कारण बिचोलियों की भूमिका एकदम समाप्त हो गई है और हितग्राहियों को पूरा का पूरा 100 प्रतिशत पैसा उनके खातों में सीधे ही जमा हो रहा है। साथ ही आज, मनरेगा योजना के अंतर्गत हजारों करोड़ रुपए की राशि भी ग्रामीण इलाकों में मजदूरों के खातों में सीधे ही हस्तांतरित की जा रही है। इस तरह के प्रयासों से भ्रष्टाचार पर सीधे ही अंकुश लगा है।
भारत में व्यापार रिश्वतखोरी जोखिम में हुए सुधार के चलते अब केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के द्वारा भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी के मामलों में सीधे ही की जाने वाली कार्यवाही की संख्या में भी कमी देखने में आई है। वर्ष 2015 में जहां 3,592 प्रकरणों में केंद्रीय सतर्कता आयोग ने सीधे ही कार्यवाही की थी वहीं वर्ष 2019 में केवल 1,508 प्रकरणों में सीधी कार्यवाही की गई थी। इसी प्रकार, इस दौरान बाहरी संस्थानों से भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी से सम्बंधित प्राप्त शिकायतों की संख्या में भी कमी आई है। वर्ष 2014 में केंद्रीय सतर्कता आयोग को भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी से सम्बंधित 62,362 शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जो वर्ष 2019 में घटकर 32,579 रह गईं थीं।
प्रायः यह भी पाया गया है कि व्यापार भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी जोखिम का स्तर यदि किसी देश में अधिक रहता है तो उस देश के सरकारी खजाने में आय कम हो जाती है क्योंकि भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी के माध्यम से उस रकम का कुछ हिस्सा कुछ अधिकारियों की जेब में पहुंच जाता है। इससे उस देश द्वारा विकास कार्यों पर ख़र्च की जाने वाली रकम पर विपरीत असर पड़ता है और उस देश की विकास दर भी प्रभावित होने लगती है।
भारत में व्यापार भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी जोखिम के स्तर में कमी का फायदा जीएसटी संग्रहण में लगातार हो रही वृद्धि के रूप में भी देखने में आया है। माह अप्रेल 2021 के दौरान देश में जीएसटी संग्रहण, पिछले सारे रिकार्ड को पार करते हुए, एक नए रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है। माह अप्रेल 2021 में 141,384 करोड़ रुपए का जीएसटी संग्रहण हुआ है। यह मार्च 2021 माह में संग्रहित की गई राशि से 14 प्रतिशत अधिक है। पिछले 7 माह से लगातार जीएसटी संग्रहण न केवल एक लाख रुपए की राशि से अधिक बना हुआ है, बल्कि इसमें लगातार वृद्धि दृष्टिगोचर हो रही है। यह भी देश में भ्रष्टाचार के स्तर में कमी होने का एक संकेत माना जा सकता है।
जिन देशों में व्यापार भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी जोखिम कम है उन देशों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बहुत तेजी से बढ़ता है क्योंकि इससे विदेशी निवेशकों का विश्वास उस देश की अर्थव्यवस्था में बढ़ता है। भारत भी इसका अपवाद नहीं हैं। भारत में शुद्ध विदेशी निवेश, वर्ष 2013-14 में, 2,200 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रहा था, जो वर्ष 2019-20 में बढ़कर 4,300 करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो गया है। वर्ष 2010-11 में तो यह मात्र 1,180 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ही था। वर्ष 2010-11 एवं 2019-20 के बीच देश में शुद्ध विदेशी निवेश में 263 प्रतिशत की वृद्धि आंकी की गई है।
हालांकि, व्यापार भ्रष्टाचार एवं रिश्वतख़ोरी जोखिम के स्तर एवं देश के सकल घरेलू उत्पाद में कोई सीधा सम्बंध तो पता नहीं चलता है। जब इसका आंकलन कई देशों के व्यापार भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी जोखिम के स्तर को उस देश के सकल घरेलू उत्पाद में हो रही वृद्धि दर से जोड़कर देखा गया तो पाया गया है कि जिन-जिन देशों में व्यापार भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी जोखिम का स्तर कम है उन देशों की अर्थव्यवस्था में विकास की दर अधिक रही है। भारत में भी यह दृष्टिगोचर है। विश्व के अन्य देशों यथा- ब्रिटेन, ईजिप्ट, ग्रीस, इटली आदि देशों में भी व्यापार भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी जोखिम के स्तर में कमी देखी गई है तो उसी अवधि में इन देशों की अर्थव्यवस्था में विकास की दर तेज हुई है। वहीं दूसरी ओर चीन, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, तुर्की, रूस जैसे देशों में व्यापार भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी जोखिम के स्तर में बढ़ोतरी देखी गई है तो उसी अवधि में इन देशों की अर्थव्यवस्था में विकास की दर भी कम हुई है।
भारत में व्यापार भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी जोखिम कम होते जाने का तात्पर्य यह कदाचित नहीं है कि देश में भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी समाप्त हो गई है। हां, इस सूचकांक में लगातार हो रहे सुधार का आशय यह जरूर है कि अन्य देशों की तुलना में भारत में भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी कम हो रही है। परंतु अभी भी पूरे विश्व में 76 देश ऐसे हैं जहां भारत की तुलना में भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी कम है।
- प्रशांत पोळ
विचारक व लेखक
इस दुनिया में मात्र दो ही देश धर्म के नाम पर अलग हुए हैं। या यूं कहे, धर्म के नाम पर नए बने हैं। वे हैं – पाकिस्तान और इजराइल। दोनों के बीच महज कुछ ही महीनों का अंतर हैं। पाकिस्तान बना 14 अगस्त, 1947 के दिन। इसके ठीक नौ महीने के बाद, अर्थात 14 मई, 1948 को इजराइल की राष्ट्र के रूप में घोषणा हुई।
पाकिस्तान मुस्लिम धर्म के नाम पर बना, तो इजराइल यहुदियों (ज्यू धर्मियों) के लिए था। किन्तु दोनों देशों में जमीन – आसमान का अंतर हैं। पाकिस्तान ने विगत 73 वर्षों में धर्म के नाम पर राजनीति की। अमेरिका जैसी महाशक्ति से मदद लेना जारी रखा। आतंकवाद को प्रश्रय दिया। और इन सब के बीच अपने देश के विकास का डिब्बा गुल किया। कटोरी लेकर खड़ा हुआ देश ऐसा पाकिस्तान का यथार्थ वर्णन किया जाता हैं। इसके ठीक विपरीत, एक करोड़ से भी कम लोकसंख्या के इजराइल ने इतने ही समय में ऐसी दमखम दिखाई, की विश्व की राजनीति इजराइल के बगैर पूरी हो ही नहीं सकती।
ज्यू धर्म प्राचीन हैं। ईसाईयत के पहले भी इसका अस्तित्व था। ईसा के पहले हजार–डेढ़ हजार वर्षों तक यहूदियों के उल्लेख इतिहास में मिलते हैं। यहूदी (ज्यू समुदाय) यह इतिहास में सबसे ज्यादा सताया गया समाज हैं। दो–सवा दो हजार वर्ष पहले उन्हें अपनी भूमि से भगाया गया था। चूंकि स्वभावतः ज्यू मेहनती एवम होशियार होते हैं। वे जहां भी गए, वहां तरक्की कर गए। स्वाभाविकतः अन्य लोगों के ईर्ष्या की बलि चढ़े।
दुनिया भर के सताए हुए (भारत अपवाद रहा) यहुदियों के मन में अपने मातृभूमि को लौटने की इच्छा प्रबल थी। इसे झायोनिस्ट विचारधारा कहा गया। इसी विचारधारा के चलते, बीसवी शताब्दी के प्रारंभ में, प्रथम विश्व युद्ध के पहले, लगभग चालीस हजार यहुदी, इजराइल में जा बसे।
बाद में दूसरे विश्व युद्ध में जर्मन नाजियों ने इन यहूदियों का अभूतपूर्व नरसंहार किया। साठ लाख से ज्यादा ज्यू धर्मियों को गैस चैम्बर या अन्य यातनाएं देकर मारा गया। इसके कारण पूरी दुनिया में ज्यू समुदाय के प्रति सहानुभूति उमड़ पडी। वैश्विक समुदाय ने इन यहूदियों को बसने के लिए दो स्थान प्रस्तावित किए। एक था युगांडा देश का एक हिस्सा और दूसरा वह, जो उनकी मातृभूमि था – इजराइल।
स्वाभाविक रूप से ज्यू समुदाय ने अपनी मातृभूमि का पर्याय स्वीकार किया। इजराइल का भाग्य कुछ ऐसा रहा की अपने निर्माण काल से ही उसे शत्रुओं से जूझना पड़ा। चूंकि मूल इजराइल की भूमि पर मुस्लिम आक्रान्ताओं ने सैकड़ों वर्षों से कब्जा कर रखा था। अतः उस भूमि पर इजराइल का बनना, यह पड़ोसी इजिप्त, सीरिया, जॉर्डन आदि देशों को नागवार गुजरा। जन्म लेते इजराइल को इजिप्त, सीरिया, जॉर्डन, लेबनोन और ईराक से युध्द लड़ना पड़ा। यह युद्ध, 1948 का अरब – इजराइल युद्ध नाम से इतिहास में जाना जाता हैं। इस युद्ध में नई नवेली इजराइली सेना ने अरब देशों को अपनी ताकत दिखा दी और इस युद्ध के बाद इजराइल की भूमि में 26% की बढ़ोतरी हुई।
आगे भी यही सिलसिला चलता रहा। इजराइल ने जितने भी युद्ध लड़े, लगभग सभी युद्धों के बाद उसके क्षेत्रफल में वृद्धि होती गई। इजराइल की इस ताकत और प्रगति को देखकर पड़ोसी अरब राष्ट्रों को काफी तकलीफ हो रही थी। जून 1967 में इजिप्त ने कुछ ऐसे हालात निर्माण किए की इजराइल को युद्ध के अलावा दूसरा कोई पर्याय ही नहीं बचा। 5 जून, 1967 को प्रारंभ हुआ यह युद्ध, मात्र छह दिनों में समाप्त हुआ। इसे सिक्स-डे-वॉर नाम से इतिहास में जाना जाता है।
इस युद्ध में छोटे से इजराइल ने निर्णायक जीत हासिल की थी। युद्ध में इजराइल ने इजिप्त से गाझा पट्टी और सिनाई पेनिन्सुला प्रदेश जीता, तो जॉर्डन से वेस्ट बैंक का क्षेत्र हथिया लिया। सीरिया को भी अपना गोलन हाइट्स का क्षेत्र इजराइल से गवाना पड़ा। कुल मिलाकर इजराइल इस युद्ध से भारी फायदे में रहा। उसके लगभग 800 सैनिक मारे गए। लेकिन इजिप्त, जॉर्डन,और सीरिया के हजारों सैनिक मारे गए। इस युद्ध के बाद अरब देशों में इजराइल की इतनी दहशत हो गई कि तब से आज तक, कुछ छुट-पुट घटनाएं छोड़ दे, तो एक भी बड़ा युद्ध उन्होंने इजराइल के विरुद्ध नहीं लड़ा है।
जब युद्ध में इजराइल को नहीं हरा सकते यह ध्यान में आया तो अरब राष्ट्रों और इस्लामी आतंकवादियों ने इजराइली नागरिकों पर हमले चालू किए। 1974 में जर्मनी के म्यूनिख में संपन्न हुए ओलिंपिक में इस्लामी आतंकवादियों ने इजराइली खिलाड़ियों को अगुवा कर लिया और एक-एक करके सबको समाप्त कर दिया। इस हमले से सारी दुनिया दहल गई, किन्तु आतंकवाद की इस धमकी के आगे न झुकते हुए इजराइली गुप्तचर संस्था मोसाद ने इस हत्याकांड में शामिल सभी आतंकियों को एक-एक करके मौत के घाट उतारा।
मोसाद ने ऐसे और भी अनेक चमत्कारिक ऑपरेशन्स किए हैं। दूसरे विश्व युद्ध में जर्मनी के जिस नाजी सैनिक अधिकारी ने ज्यू समुदाय को बर्बरतापूर्वक मौत के घाट उतारा था, वह युद्ध के बाद फरार हो गया था। मोसाद ने उसे सन 1961 में, अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में ढूंढ निकाला। अडोल्फ़ आईशमन नाम का यह हिटलर का साथी वहां नाम और भेष बदलकर रह रहा था। मोसाद के लोगों ने उसे वहां से उठाया। इजराइल पहुचाया। और उस पर कानूनी कार्रवाई की। इजराइल के न्यायालय ने उसे मृत्युदंड की सजा सुनाई।
ऐसा ही एक अद्भुत वाकया हैं, ऑपरेशन एंटेबी । 27 जून, 1976 को मुस्लिम आतंकियों ने एयर फ्रांस का एक हवाई जहाज हाईजैक किया, जिसमें लगभग आधे यात्री ज्यू समुदाय के थे। इस विमान को वो आतंकी, युगांडा के एंटेबी में ले गए। उनकी मांग थी, इजराइल के जेलों में बंद चालीस इस्लामी आतंकियों को रिहा किया जाए। इजराइल ने इसका जबरदस्त जवाब दिया। दुनिया के इतिहास में पहली बार हवाई अपहरण की घटना में आतंकी पूर्णतः परास्त हुए। इजराइल डिफेन्स फोर्सेज (आईडीएफ) ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 4 जुलाई, 1976 को अपने 106 यात्रियों में से 102 यात्रियों की सकुशल रिहाई कराई। इस ऑपरेशन में सभी 7 आतंकी मारे गए। उनको प्रश्रय देने वाले 45 युगांडन सैनिक भी मारे गए। युगांडा के एयर फोर्स के लगभग 30 फाईटर जहाज नष्ट किए। इजराइल का मात्र एक सैनिक मारा गया, वो था उनका कैप्टेन – योहन नेतान्याहू। इजराइल के प्रधानमंत्री, बेंजामिन नेतान्याहू का सगा भाई।
ऐसे अनेक, असंभव लगने वाले कारनामे, इज़राइल की सेना ने और उसकी गुप्तचर संस्था मोसाद ने कर दिखाएं हैं। सत्तर के दशक में इराक ने, फ्रांस की मदद से परमाणु बम बनाने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई थी। अगर यह बम बन जाता, तो इज़राइल का अस्तित्व निश्चित रूप से खतरे में आता। इसलिए इजराइल के तत्कालीन प्रधानमंत्री मेनशेन बेगीन ने मोसाद को इन परमाणु भट्टियों को नष्ट करने के आदेश दिए। उन दिनों इज़राइल को F-16 युद्धक विमान, नए–नए मिले थे। इज़राइल ने इन्ही विमानों का प्रयोग कर, 7 जून, 1981 को अत्यंत गोपनीय पद्धति से, बम गिराकर इन भट्टियों को नष्ट किया ! सारा अरब जगत देखता रह गया, पर कुछ कर न सका।
युद्ध का अद्भुत कौशल, सुरक्षा में चुस्त, जासूसी में दुनिया में अव्वल यह सब तो इजराइल की विशेषता हैं ही, किन्तु इजराइल इनके परे भी हैं। इजराइल तकनीकी में अग्रेसर राष्ट्र है। यह अत्याधुनिक तकनीक का न सिर्फ प्रयोग करता हैं, वरना निर्माण भी करता हैं। इजराइल को ठीक से समझने के लिए इजराइल को पास से देखना जरूरी हैं।
मैं तीन बार इजराइल गया हूं। तीनों बार अलग-अलग रास्तों से। पहली बार लंदन से गया था। दूसरी बार पेरिस से। लेकिन तीसरी बार मुझे जाने का अवसर मिला, पड़ोसी राष्ट्र जॉर्डन से। राजधानी अम्मान से, रॉयल जॉर्डन एयरलाइन्स के छोटे से एयरक्राफ्ट से तेल अवीव की दूरी मात्र चालीस मिनट की है। मुझे खिड़की की सीट मिली और हवाई जहाज छोटा होने से, तुलना में काफी नीचे से उड़ रहा था। आसमान साफ था। मैं नीचे देख रहा था। मटमैले, कत्थे और भूरे रंग का अथाह फैला रेगिस्तान दिख रहा था। पायलट ने घोषणा की, कि – थोड़ी ही देर में हम नीचे उतरने लगेंगे। और अचानक नीचे का दृश्य बदलने लगा। मटमैले, कत्थे और भूरे रंग का स्थान हरे रंग ने लिया। अपनी अनेक छटाओं को समेटा हरा रंग।
रेगिस्तान तो वही था। मिटटी भी वही थी। लेकिन जॉर्डन की सीमा का इजराइल को स्पर्श होते ही मिटटी ने रंग बदलना प्रारंभ किया। यह कमाल इजराइल का है। उनके मेहनत और जज्बे का है। रेगिस्तान में खेती करने वाला इजराइल आज दुनिया को उन्नत कृषि तकनीकी निर्यात कर रहा है। रोज टनों से फूल और सब्जियां यूरोप को भेज रहा है। आज सारी दुनिया जिस ‘ड्रिप इरीगेशन सिस्टम’ को अपना रही है वह इजराइल की ही देन है।
मात्र अस्सी लाख जनसंख्या का यह देश। तीन से चार घंटे में देश के एक कोने से दूसरे कोने की यात्रा संपन्न होती है। मात्र दो प्रतिशत पानी के भण्डार वाला देश। प्राकृतिक संसाधन नहीं के बराबर। ईश्वर ने भी थोड़ा अन्याय ही किया है। आजु-बाजू के अरब देशों में तेल निकलता है, लेकिन इजराइल में वह भी नहीं।
इजराइल राजनीतिक जीवंतता और समझ की पराकाष्ठा का देश है। इस छोटे से देश में कुल 12 दल हैं। आज तक कोई भी दल अपने बलबूते पर सरकार नहीं बना पाया है। पर एक बात हैं – देश की सुरक्षा, देश का सम्मान, देश का स्वाभिमान और देश हित, इन मुद्दों पर पूर्ण एका है। इन मुद्दों पर कोई भी दल न समझौता करता है, और न ही सरकार गिराने की धमकी देता है। इजराइल का अपना नेशनल एजेंडा, जिसका सम्मान सभी दल करते हैं।
जब इजराइल बना, तब दुनिया के सभी देशों से यहूदी (ज्यू) वहां आये थे। अनेक देशों से आने वाले लोगों की बोली भाषाएं भी अलग-अलग थी। अब प्रश्न उठा की देश की भाषा क्या होना चाहिए ? उनकी अपनी हिब्रू भाषा तो पिछले दो हजार वर्षों से मृतवत पड़ी थी। बहुत कम लोग हिब्रू जानते थे। इस भाषा में साहित्य बहुत कम था। अतः किसी ने सुझाव दिया की अंग्रेजी को देश की संपर्क भाषा बनाई जाए। पर स्वाभिमानी ज्यू इसे कैसे बर्दाश्त करते ? उन्होंने कहा, ‘हमारी अपनी हिब्रू भाषा ही इस देश के बोलचाल की राष्ट्रीय भाषा बनेगी।’
इजराइल सरकार ने मात्र दो महीने में हिब्रू सिखाने का पाठ्यक्रम बनाया। और फिर शुरू हुआ, दुनिया का एक बड़ा भाषाई अभियान। और मात्र पाँच वर्षों में सारा इजराइल हिब्रू के मामले में शत-प्रतिशत साक्षर हो चुका था। आज हिब्रू में अनेक शोध प्रबंध लिखे जा चुके हैं। इतने छोटे से राष्ट्र में इंजीनियरिंग और मेडिकल से लेकर सारी उच्च शिक्षा हिब्रू में होती है। इजराइल को समझने के लिए बाहर के छात्र हिब्रू पढने लगे हैं।
ये है इजराइल.. जीवटता, जिजीविषा और स्वाभिमान का जीवंत प्रतीक..!
- सिद्धार्थ शंकर गौतम
लेखक व पत्रकार
जिस मलेरकोटला की रक्षा का वचन गुरु गोविन्द सिंह जी ने स्वयं दिया था उसी को पंजाब के कांग्रेसी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ईद के अगले दिन ही पंजाब का 23 वां व एकमात्र मुस्लिम बहुल जिला बनाकर मुस्लिमों को ईदी का तोहफा दिया है। नए बने जिले में मलेरकोटला शहर, अमरगढ़ और अहमदगढ़ सीमा में आएंगे। गौरतलब है कि 1941 में मलेरकोटला में 38 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की थी जबकि सिख 34 प्रतिशत और हिंदू 27 प्रतिशत थे। पूर्व में संगरूर जिले में आने वाला और अब नया जिला बना मलेरकोटला आज मुस्लिम बहुल हो चुका है।
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर कहा कि यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि ईद-उल-फितर के पाक मौके पर मेरी सरकार ने घोषणा की है कि मलेरकोटला राज्य का नवीनतम जिला होगा। 23वें जिले का विशाल ऐतिहासिक महत्व है। जिला प्रशासनिक परिसर के लिए उचित स्थान का तत्काल पता लगान का आदेश दिया है। मलेरकोटला को जिला का दर्जा देना कांग्रेस का चुनाव से पहले किया गया एक वादा था। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के वक्त पंजाब में 13 जिले थे। इस दौरान उन्होंने मलेरकोटला में 500 करोड़ रुपए की लागत से मेडिकल कॉलेज, एक महिला कॉलेज, एक नया बस स्टैंड और एक महिला पुलिस थाना बनाने की भी घोषणा की। मेडिकल कॉलेज के लिए वक्फ बोर्ड ने 25 एकड़ जमीन दी है जबकि लड़कियों के कॉलेज के लिए 12 करोड़ और बस स्टैंड के लिए 10 रुपए आवंटित करने की घोषणा भी की गई।
दरअसल, अमरिंदर सिंह ने मुस्लिम बहुल मलेरकोटला को जिला बनाकर कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति को ही आगे बढ़ाया है। इससे पूर्व 1990 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन्नाथ प्रसाद मिश्र ने मुस्लिम बहुल किशनगंज को जिला बनाकर एक नए विवाद को जन्म दिया था। आज यह क्षेत्र बांग्लादेशी मुस्लिम अवैध घुसपैठियों के लिए स्वर्ग है। इसी प्रकार 2005 में हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने मेवात को जिला बनाकर इस क्षेत्र को मिनी पाकिस्तान बना डाला। अभी एक साल पहले तक मेवात में हिन्दुओं के ऊपर हुए अत्याचारों व उनके पलायन की ख़बरों ने देश को झकझोर दिया था।
देखा जाए तो पंजाब की कांग्रेस सरकार ने मुस्लिम बहुल मलेरकोटला को जिला बनाकर अपनी वाम समर्थित विचारधारा का ही परिचय दिया है। बिना वाम विचारधारा के कांग्रेस कुछ नहीं है। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि 1969 में वरिष्ठ वामपंथी और केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ई.एम.एस.नम्बूदिरीपाद ने मुस्लिम बहुलता के आधार पर पहली बार मललप्पुरम जिले का गठन किया था जो आज कट्टरवादी मुस्लिमों के संगठन पीएफआई की आतंकी गतिविधियों का गढ़ बन चुका है।
कुल मिलाकर कांग्रेस सदा से ही हिंदुत्व को लेकर असहज रही है और 2014 के बाद राष्ट्रीय फलक पर नरेन्द्र मोदी के आने से उसके सॉफ्ट हिंदुत्व को झटका लगा है। मुस्लिमों के एकजुट वोट बैंक को लेकर उसकी राजनीति हमेशा से ही मुस्लिमों के इर्द-गिर्द चलती रही है। याद कीजिये मनमोहन सिंह सरकार के समय की सच्चर समिति की उस रिपोर्ट को जिसमें कहा गया था कि मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में प्रशासनिक अधिकारी से लेकर अन्य शासकीय नियुक्तियां मुस्लिम होना चाहिए ताकि वहां की बहुसंख्यक आबादी उनके साथ सहज हो। ऐसा होना प्रारंभ भी हुआ था किन्तु नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस प्रथा पर रोक लगी।
मुस्लिम समाज भी ऐसा चाहता है कि जहां उसकी बहुतायत हो वहां उन्हीं की कौम के अधिकारी रहें, जबकि यह संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है किन्तु इतिहास गवाह है कि कांग्रेस ने कभी संविधान के हिसाब से चलना स्वीकार नहीं किया है। अब जबकि हिन्दू कांग्रेस की मुस्लिमपरस्ती को समझ चुका है वह एक बार पुनः मुस्लिम वोट बैंक के सहारे देश में धर्म के नाम पर विभेद पैदा कर राज करने की मंशा पाले बैठी है। मुस्लिम बहुल मलेरकोटला को जिला बनाने का निर्णय हमें इसी परिपेक्ष्य में देखने की आवश्यकता है।
अब सवाल यह है कि मुस्लिम बहुल जिलों के इतिहास को देखते हुए क्या मलेरकोटला शांत रह पायेगा? क्या यहाँ रहने वाले सिख और हिन्दू भाई-बहन सुरक्षित रहेंगे? क्या फतेहगढ़ साहिब गुरुद्वारा (जिस स्थान पर गुरु गोविन्द सिंह जी के दोनों बेटों को दीवार में जिन्दा चुनवा दिया गया था उन्हीं की याद में बनाया गया) और किसी अशांति का गवाह नहीं बनेगा? क्या कांग्रेस भारत में अन्दर ही अन्दर कई पाकिस्तान बनाने का प्रयास कर रही है? प्रश्न कई हैं जिनका उत्तर भविष्य के गर्भ में है। फिलहाल तो सिख-मुस्लिम भाई-भाई के नारे पर चढ़कर पंजाब की कांग्रेस सरकार सेकुलरिज्म की नई मिसाल पेश कर रही है।
धारा-144 के बीच शुक्रवार को बाबा केदार की पंचमुखी चल उत्सव विग्रह डोली ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर से सादगीपूर्वक केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान कर गई। डोली अपने पहले पड़ाव गौरीकुंड पहुंच गई है। वहां से डोली शनिवार को केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगी। केदारनाथ मंदिर के कपाट 17 मई को खोले जाएंगे।
ऐतिहासिक ओंकारेश्वर मंदिर में परम्पराओं व वैदिक विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना के बाद बाबा केदार की डोली ने आज पूर्वाह्न केदारनाथ के लिए प्रस्थान किया। कोरोना महामारी के चलते डोली के दर्शनों के लिए लोगों की भीड़ ना जुटने पाए, इसके लिए रुद्रप्रयाग के जिला प्रशासन ने कर्फ्यू के साथ-साथ ऊखीमठ समेत पूरे यात्रा मार्ग पर धारा-144 लागू की हुई है।

ओंकारेश्वर मंदिर परिसर में बाबा केदार की डोली
डोली के साथ केदारनाथ जाने के लिए प्रशासन ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के 14 अधिकारी/ कर्मचारी और 14 हक़-हकूकधारियों को ही अनुमति दी गई है। इस अवसर पर रावल भीमाशंकर लिंग, उप जिलाधिकारी जितेंद्र वर्मा, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी. सिंह, कार्याधिकारी एनपी जमलोकी, पुजारी बागेश लिंग, डोली प्रभारी युद्धवीर पुष्पवान आदि उपस्थित थे।
देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि 17 मई को प्रात:पांच बजे श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलेंगे। प्रदेश सरकार ने कोरोना के चलते फिलहाल के लिए चारधाम यात्रा को स्थगित रखा है। लिहाजा, केवल मंदिर के कपाट खोले जाएंगे और मंदिर के पुजारी ही नियमित पूजा- अर्चना करेंगे।
यमुनोत्री के कपाट खुले
अक्षय तृतीया के अवसर पर शुक्रवार को ही अभिजीत मुहुर्त 12 बजकर 15 मिनट पर श्री यमुनोत्री धाम के कपाट खोले गए। आज प्रात: श्री यमुनोत्री जी की चलविग्रह डोली ने शीतकालीन गद्दीस्थल खरशाली( खुशीमठ) से प्रस्थान किया। उनको विदा करने छोटे भाई शनिदेव महाराज यमुनोत्री धाम पहुंचे।
यमुनोत्री धाम के कपाट भी चुनिंदा तीर्थ पुरोहितो व पुलिस -प्रशासन के अधिकारियों की उपस्थिति में खुले। इस अवसर पर मंदिर समिति अध्यक्ष व बड़कोट के उपजिलाधिकारी चतरसिंह चौहान, सचिव सुरेश उनियाल, पवन उनियाल, कृतेश्वर उनियाल आदि मौजूद रहे।

कपाट खुलने के अवसर पर यमुनोत्री धाम
कल खुलेंगे गंगोत्री के कपाट
मां गंगा की चलविग्रह डोली ने आज दोपहर शीतकालीन गद्दीस्थल मुखवा (मुखीमठ) से गंगोत्री धाम के लिए प्रस्थान किया। डोली आज रात्रि प्रवास हेतु भैरव घाटी पहुंचेगी और कल सुबह गंगोत्री धाम पहुंचेगी। शनिवार 15 मई को प्रात: 7 बजकर 31 मिनट पर श्री गंगोत्री धाम के कपाट खुलेंगे। इस अवसर पर भटवाड़ी के उप जिलाधिकारी देवेन्द्र सिंह नेगी, देवस्थानम बोर्ड के विशेष कार्याधिकारी राकेश सेमवाल, गंगोत्री मंदिर समिति अध्यक्ष सुरेश सेमवाल, सचिव दीपक सेमवाल आदि उपस्थित थे।
18 मई को खुलेंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट
हिन्दुओं के एक अन्य विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट मंगलवार १८ मई को प्रात: 4 बजकर 15 मिनट पर खुलेंगे। इससे पहले 16 मई को आदिगुरु शंकराचार्य जी की गद्दी के साथ बद्रीनाथ के रावल ईश्वरीप्रसाद नंबूदरी पांडुकेश्वर स्थित श्री योगध्यान बदरी मंदिर पहुंचेगे और वहां से 17 मई की शाम को श्री बद्रीनाथ धाम पहुंचेगे।
घर बैठे दर्शन कर सकेंगे श्रद्धालु
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण प्रदेश सरकार द्वारा श्रद्धालुओं के लिए चारधाम यात्रा पर रोक लगायी गयी है। स्थिति सामान्य होते ही चारधाम यात्रा शुरू हो सकेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द स्थितियां सामान्य होंगी। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं को चारों धामों के वर्चुअल दर्शन कराने हेतु देवस्थानम बोर्ड को कहा गया है। देवस्थानम बोर्ड शीघ्र ही वर्चुअल दर्शन की व्यवस्था करेगा।
,… श्री केदारनाथ तथा श्री बद्रीनाथ धाम के वर्चुअल दर्शन कराएंगे। जहां तक अनुमति होती है, भक्तगण वहां तक इन धामों के दर्शनों का लाभ घर बैठे ही प्राप्त कर सकेंगे। वर्तमान समय में सच्ची देशभक्ति यही है कि आप सभी वैक्सीन अवश्य लगाएं और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। 2/3
— Satpal Maharaj (@satpalmaharaj) May 13, 2021
उत्तराखंड सरकार ने विदेशों से वैक्सीन का आयात करने का लिया निर्णय लिया है। इसके लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। राज्य सरकार अगले दो महीने में स्पूतनिक वैक्सीन के 20 लाख डोज का आयात करेगी।
राजधानी में आयोजित नियमित प्रेस ब्रीफिंग में बुधवार को मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि भारत सरकार से हम लगातार वार्ता कर रहे हैं। जितनी वैक्सीन अभी मिली है, वे अपेक्षाकृत कम है। केंद्र सरकार से इस महीने हमें 8 लाख और अगले महीने 9 लाख वैक्सीन मिल पाएगी, उसमें भी यह शर्त है कि जिन्हें वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है, उन्हें सेकंड डोज दी जाए।
जो हॉस्पिटल या दवा विक्रेता ओवर चार्जिंग और दवाइयों की कालाबाजारी कर रहे हैं या नकली दवाओं को बेच रहे हैं, उनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जाएगी। : मुख्य सचिव, श्री ओम प्रकाश#UttarakhandFightsCorona pic.twitter.com/DUxU4MhD9L
— Department Of Health(Uttarakhand) (@MinOfHealthUK) May 12, 2021
उन्होंने बताया कि देश की प्रमुख वैक्सीन कंपनियों से भी हमारी बातचीत चल रही है कि वे केंद्र सरकार के अतिरिक्त हमें भी वैक्सीन दे। कुछ वैक्सीन हमें मिल भी चुकी है और कुछ मिलनी बाकी है। राज्य की जरूरतों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने विदेश से भी वैक्सीन आयात करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि हम अगले दो महीने में स्पूतनिक वैक्सीन के 20 लाख डोज का आयात करेंगे। इसके लिए समिति गठित हो गई है और धनराशि की भी व्यवस्था हो गई है।
मुख्य सचिव ने कहा कि जो हाॅस्पिटल एवं दवा विक्रेता ओवर चार्जिंग कर रहे हैं या दवा की कालाबाजारी कर रहे हैं या वास्तविक दवा न देकर नकली दवाइयां दे रहे हैं, उनके खिलाफ सख्ती से प्रभावी कार्रवाई की जाएगी।
पूर्व दायित्वधारी व भाजपा नेता अजेंद्र अजय ने स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी से दूरभाष पर बात कर रुद्रप्रयाग जिले की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की और उन्हें एक पत्र भी प्रेषित किया।
दूरभाष पर बातचीत में अजेंद्र ने स्वास्थ्य सचिव को बताया कि जनपद रुद्रप्रयाग में कोविड रोगियों के लिए कोटेश्वर में कोविड हेल्थ केयर सेंटर स्थापित किया गया है। कोविड सेंटर में रोगियों के लिए भोजन, पानी आदि की समुचित सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने कोविड रोगियों को समय पर समुचित पौष्टिक भोजन इत्यादि की तत्काल स्थायी व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की। स्वास्थ्य सचिव ने इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग से बातचीत कर तत्काल भोजन आदि की व्यवस्था शुरू करने का आश्वासन दिया।
भाजपा नेता ने स्वास्थ्य सचिव को अवगत कराया कि कहा कि मौसम में लगातार भारी बदलाव और शादी-विवाह समारोह के चलते पर्वतीय ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बुखार -जुखाम आदि की शिकायत से पीड़ित हैं। मगर कई लोग कोरोना बीमारी के भय से अथवा टेस्टिंग सेंटर दूर होने के कारण जांच कराने में हिचकिचा रहे हैं। इससे संक्रमण के अधिक फैलाव की आशंका है। लिहाजा, ग्राम प्रधानों आदि के माध्यम से उनके गांवों में बुखार आदि से पीड़ित लोगों की जानकारी जुटा कर टेस्ट अथवा उपचार की प्रक्रिया शुरू करवाई जानी चाहिए।
इसके साथ ही अजेंद्र ने होम आइसोलेशन में रह रहे ग्रामीणों के स्वास्थ्य की निरंतर निगरानी के लिए प्रत्येक गांव में कम से कम 2 -3 ऑक्सीमीटर और 2-3 थर्मामीटर की व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग भी रखी। उन्होंने कई निजी एम्बुलेंस मालिकों द्वारा मानवीय संवेदनाओं को ताक पर रख कर लोगों से मनमाने रूपये वसूले जाने के मामले की चर्चा करते हुए का एम्बुलेंस किराया निश्चित करने और उल्लंघन करने की दशा में कठोर कार्रवाई का प्रावधान करने की मांग भी उठाई।
उन्होंने स्वास्थ्य सचिव से रुद्रप्रयाग जिले में पर्याप्त चिकित्साधिकारियों की नियुक्ति और वैक्सीनेशन सेंटर जनता की सहूलियतों को ध्यान में रख कर निर्धारित करने की मांग भी उठाई। स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने सभी मुद्दों पर समुचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।
कोरोना से बढ़ती मौतों को देखते हुए राज्य सरकार ने जनता से कोविड के लक्षण दिखते ही उपचार शुरू करने की अपील की है। साथ ही राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि जो भी टेस्ट करवाएगा, उसे तुरंत दवाई दे देंगे। रिजल्ट का इंतजार नहीं किया जाएगा। सरकार के अनुसार यह व्यवस्था हर जनपद में लागू हो गई है और कोविड किट बंटना शुरू हो गई है।
प्रदेश के मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने जनता से अपील की कि जब भी लक्षण दिखना शुरू हो, तो तत्काल उपचार करवाएं। उन्होंने कहा कि तत्काल उपचार शुरू होने से कोविड के मामलों और मौत के आंकड़ों में कमी आ सकती है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को आईसीयू की जरूरत नहीं है और अगर वे इसका उपयोग कर रहे हैं, उनकी निगरानी के लिए एक समिति गठित की गई है, जो हाॅस्पिटल्स की मॉनिटरिंग करेगी।
सोमवार को सचिवालय में एक प्रेस कांफ्रेंस में मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश को एक लाख वैक्सीनेशन प्रतिदिन के हिसाब से आवश्यकता है। हमने भारत सरकार को लिखा है कि राज्य सरकार अगर बाहर से सीधे वैक्सीन आयात कर सकती है तो उसके लिए हमें अनुज्ञा दी जाए। बहुत जल्द हम मोबाइल टेस्टिंग वैन भी शुरू करेंगे, जो दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में जाकर मरीजों की पहचान करेगी और वहीं उनकी जांच करेगी। इससे उन्हें उपचार के लिए शहर आने की आवश्यकता नहीं होगी।
सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा एक साल में लगातार स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। राज्य में मार्च 2020 में ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड्स 673 थे जो कि वर्तमान में 5500 से अधिक हैं। इसी प्रकार आईसीयू 216 के मुकाबले, अब 1390 है। वेंटिलेटर्स 116 से बढ़ कर अब 876 हो गये हैं। ऑक्सीजन सिलेंडर्स 1193 थे जो कि वर्तमान में 9900 हो गये हैं। ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर्स 275 के मुकाबले अब 1293 हैं। वर्तमान में एंबुलेंस 307 और 64 टूनाड मशीन हैं। वहीं मार्च 2020 में केवल एक टेस्टिंग लैब थी, वर्तमान मे 10 सरकारी लैब और 26 प्राइवेट लैब हैं।
उन्होंने बताया कि हाॅस्पिटल्स को निर्देश दिए हैं कि ऑक्सीजन बेड की उपलब्धता की स्थिति को लगातार अपडेट करते रहें। पब्लिक को परेशानी न हो, इसके लिए अस्पतालों की वेबसाइट पर लिखे गए सभी पीआरओ के नंबर भी अपडेट किए जाने चाहिए। हमने एक टास्क फोर्स का भी गठन किया है, जिसमें डीएम, पुलिस, मेडिकल डिपार्टमेंट के स्पेशलिस्ट होंगे, जो सभी शिकायतों पर संज्ञान लेकर आगे कार्रवाई करेंगे।
प्रभारी सचिव पंकज पांडे ने बताया कि टेस्टिंग और रिजल्ट में अंतर आने को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि जो भी टेस्ट करवाएगा, उसे तुरंत दवाई दे देंगे, उसके लिए रिजल्ट का इंतजार नहीं करेंगे। यह व्यवस्था हर जनपद में लागू हो गई है और किट बंटना शुरू हो गई है। यह कार्य चरणबद्ध तरीके से चल रहा है। राज्य सरकार का प्रमुख लक्ष्य मौत के आंकड़ों को कम करना है।
उन्होंने बताया कि रेमडिसिविर के भाव भारत सरकार ने तय किए हैं। जितने रूपए में सरकार को यह उपलब्ध हो रहा है, उतने ही रूपयों में निजी अस्पतालों को भी ट्रांसफर हो रहा है। हमने निजी अस्पतालों को भी निर्देश दिए हैं कि जनता को भी उतने ही रूपए में रेमडिसिविर उपलब्ध करवाए जाएं, जितने में हमने उन्हें दिया है।
- प्रहलाद सबनानी
बैंकिंग सेवा के पूर्व अधिकारी और आर्थिक मामलों के जानकार
देश में कोरोना महामारी के दूसरे चरण के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत बने रहने के संकेत मिले हैं। विगत अप्रैल माह के दौरान देश में जीएसटी संग्रहण, पिछले सारे रिकॉर्ड को पार करते हुए, एक नए स्तर पर पहुंच गया। अप्रैल में 141,384 करोड़ रुपए का जीएसटी संग्रहण हुआ है। यह इसी मार्च माह में संग्रहित की गई राशि से 14 प्रतिशत अधिक है। पिछले 7 माह से लगातार जीएसटी संग्रहण न केवल एक लाख रुपए की राशि से अधिक बना हुआ है बल्कि इसमें लगातार वृद्धि दृष्टिगोचर हो रही है।
इसी प्रकार, वित्त वर्ष 2020-21 में सकल व्यक्तिगत आयकर (रिफंड सहित) में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। आयकर संग्रह में वृद्धि तब हुई है, जब केलेंडर वर्ष 2020 में अधिकतर समय पूरे देश में तालाबंदी लगी हुई थी। वित्त वर्ष 2020-21 में रिकॉर्ड रिफंड जारी किए गए। इसके बावजूद शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रहण 9.5 लाख करोड़ रुपये का रहा है। पिछले चार सालों में पहली बार कुल प्रत्यक्ष कर संग्रहण संशोधित अनुमान से ज्यादा रहा है। हालांकि, निगमित कर संग्रह 6.4 लाख करोड़ रुपये रहा, जो वित्तीय वर्ष 2019-20 के कर संग्रहण 6.7 लाख करोड़ रुपये से कुछ ही कम है।
2.34 करोड़ व्यक्तिगत करदाताओं को करीब 87,749 करोड़ रुपये का आयकर रिफंड किया गया, जबकि निगमित कर के मामलों में 1.74 लाख करोड़ रुपये के रिफंड किए गए। उल्लेखनीय है कि 94 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में करदाताओं का स्पष्टीकरण मान लिया गया है और अतिरिक्त कर या जुर्माना नहीं लगाया गया। सिर्फ 1600 मामलों में यह माना गया है कि आय कम करके दिखाई गई है। उक्त कारणों के चलते वर्ष 2020-21 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में कुछ कमी इसलिए भी आई है, क्योंकि अर्थव्यवस्था पर महामारी का नकारात्मक प्रभाव देखकर सरकार द्वारा रिफंड के मामलों का एक निश्चित समय-सीमा के अंदर निपटारा किया गया है।
सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 12.1 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के 12.33 लाख करोड़ रुपये के करीब है। माना जा रहा है कि अग्रिम कर में उल्लेखनीय वृद्धि से व्यक्तिगत आयकर संग्रह में वृद्धि हुई है। सकल व्यक्तिगत आयकर संग्रहण वित्तीय वर्ष 2019-20 के 5.55 लाख करोड़ रुपये की तुलना में वित्तीय वर्ष 2020-21 में करीब 5.7 लाख करोड़ रुपये रहा है। बावजूद इसके कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रत्यक्ष कर रिफंड पिछले साल की तुलना में 43.3 प्रतिशत अधिक है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 2.38 करोड़ से ज्यादा करदाताओं को 2.62 लाख करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए हैं। पिछले साल 1.83 लाख करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए थे।
जीएसटी एवं प्रत्यक्ष कर संग्रहण के इत्तर अगर हाल ही के समय में उद्योग क्षेत्र में दर्ज की गई वृद्धि दर की बात की जाय तो मार्च 2021 में 8 कोर क्षेत्र के उद्योगों द्वारा 6.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। सीमेंट उत्पादन में तो रिकार्ड 32.5 की वृद्धि दृष्टिगोचर हुई है। यह वृद्धि दर इन उद्योगों द्वारा उपयोग की गई ऋण की राशि में भी हुई वृद्धि दर से मिलान दिखाती नजर आ रही है। मार्च 2021 माह में मध्यम उद्योगों द्वारा उपयोग की गई ऋण की राशि में 28.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है जबकि मार्च 2020 के दौरान इन उद्योगों के ऋण की राशि में 0.7 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि दर रही थी।
विदेशी व्यापार के क्षेत्र में भी अच्छी खबर आई है। भारत द्वारा विदेशों को किए जाने वाले निर्यात की राशि में भी बहुत अच्छी वृद्धि दर्ज की गई है। जनवरी-मार्च 2021 तिमाही के दौरान भारत के निर्यात में 20 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज हुई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्यात करने वाले सबसे बड़े देशों के बीच यह वृद्धि दर चीन के बाद दूसरे नम्बर पर आती है। विश्व व्यापार संगठन द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, केलेंडर वर्ष 2021 के दौरान, वैश्विक स्तर पर भी विदेशी व्यापार में 8 प्रतिशत की असरदार वृद्धि दर रह सकती है, जबकि इसमें केलेंडर वर्ष 2020 के दौरान 5.3 प्रतिशत की कमी दृष्टिगोचर हुई थी।
मुख्यतः कपड़ा उद्योग, जेम्स एवं ज्वेलरी उद्योग, पेपर उद्योग, लेदर उद्योग, ग्लास उद्योग, लकड़ी उद्योग एवं खाद्य पदार्थ प्रसंस्करण उद्योग द्वारा उपयोग किए गए ऋण की राशि में, माह मार्च 2021 में, माह मार्च 2020 की तुलना में, वृद्धि दर अधिक रही है। कृषि क्षेत्र द्वारा उपयोग की गई ऋण की राशि में भी माह मार्च 2021 के दौरान 12.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है जबकि माह मार्च 2020 में यह वृद्धि दर मात्र 4.2 प्रातिशत की रही थी। उक्त उद्योगों द्वारा ऋण की अधिक राशि का उपयोग करने का आशय यह है कि इन उद्योगों में उत्पादन गतिवधियों का स्तर बढ़ रहा है।
कृषि क्षेत्र एवं विभिन उद्योगों में बढ़ते उत्पादन के स्तर को देखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने भी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान 10.5 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 में देश के सकल घरेलू उत्पाद में 8 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी। भारतीय रिज़र्व बैंक के ही अनुमान के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 की प्रथम तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद में 26.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज होगी, वहीं द्वितीय तिमाही में यह वृद्धि दर 8.3 प्रतिशत की रह सकती है, तृतीय तिमाही में यह दर 5.3 प्रतिशत की रह सकती है और चतुर्थ तिमाही में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि दर रह सकती है।
वित्तीय वर्ष 2020-21 के प्रथम माह अप्रेल 2021 माह में जीएसटी का शानदार संग्रहण, मध्यम उद्योग एवं कृषि क्षेत्र द्वारा ऋणों का अधिक उपयोग, निर्यात के क्षेत्र में आई तेजी एवं देश में कोरोना महामारी को रोकने के उद्देश्य से तेजी से चल रहे टीकाकरण से यह विश्वास हो चला है कि कोरोना महामारी के दूसरे दौर के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान तेज गति से आगे बढ़ने की ओर तत्पर दिखाई दे रही है।
उत्तराखंड सरकार 18 से 44 आयु वर्ग के नागरिकों के लिए 10 मई से टीकाकरण का कार्य शुरू करेगी। टीकाकरण के लिए राज्य सरकार द्वारा कोविड वैक्सीन खरीदी जा रही है। वैक्सीन निर्माता कंपनी द्वारा वैक्सीन की आंशिक आपूर्ति कर दी गई है।
प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने बताया कि शनिवार को कोविशील्ड वैक्सीन की 1 लाख डोज इंडिगो एयरलाईन की उड़ान जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंची, जहां से उसे राजधानी के चंद्रनगर स्थित राज्य औषधि भंडार केंद्र के कोल्ड स्टोर/वॉक इन कूलर में रख दिया गया है। वहां से सभी जनपदों को आपूर्ति की जा रही है।
अमित नेगी ने बताया कि यह वैक्सीन 18 से 44 आयु वर्ग के नागरिकों के लिए है और अब राज्य में 10 मई से टीकाकरण का कार्य आरम्भ कर दिया जाएगा। नेगी के अनुसार कोविड-19 टीकाकरण अभियान के इस आयु वर्ग के अन्तर्गत उत्तराखण्ड के लगभग 50 लाख लोगों को निःशुल्क वैक्सीन दी जाएगी। यह टीकाकरण केन्द्रों पर होगा जिसकी जानकारी कोविन पोर्टल पर लाभार्थियों को मिलेगी।
मुख्यमंत्री श्री @TIRATHSRAWAT जी ने आज डिजिटल माध्यम से प्रदेश में #COVID19 की स्थिति और वैक्सीनेशन की समीक्षा की तथा अधिकारियों को #Vaccination में और तेजी लाने व 18 से 44 वर्ष तक की आयु के लोगों हेतु कोविड वैक्सीन की पहली खेप आते ही वैक्सीनेशन शुरू करने के निर्देश दिए। pic.twitter.com/s2iaoainNI
— Department Of Health(Uttarakhand) (@MinOfHealthUK) May 8, 2021
ज्ञातव्य है कि टीकाकरण के लिए 18 से 44 आयु वर्ग के लाभार्थियों हेतु विगत माह 28 अप्रैल से कोविन पोर्टल और आरोग्य सेतू एप पर रजिस्ट्रेशन की सुविधा शुरू हो गई थी। रजिस्ट्रेशन कराने वाले साभार्थियों को टीकाकरण कराने से पूर्व ऑनलाईन अपॉइंटमेंट लेना अनिवार्य है। लाभार्थियों को अपॉइंटमेंट प्राप्त होने के पश्चात् ही टीकाकरण केन्द्रों पर वैक्सीनेशन के लिए जाना होगा।
वैक्सीन केवल कोविन पोर्टल या आरोग्य सेतु के माध्यम से स्व पंजीकरण एवं अग्रिम अपॉइंटमेंट के बाद दी जाएगी। पंजीकरण के लिए selfregistration.cowin.gov.in पर लॉगइन करना आवश्यक है। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया कोविन पोर्टल पर उपलब्ध है।