कांग्रेस के दिग्गज नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamalnath) द्वारा प्रदेश की महिला व बाल विकास मंत्री और भाजपा प्रत्याशी इमरती देवी (Imarti Devi) को ‘आइटम’ कहने के मामले ने तूल पकड़ दिया है। भाजपा के साथ-साथ बसपा नेत्री मायावती भी इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर हमलावर हो गई है। भाजपा ने जहां सोमवार को बयान के विरोध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भोपाल में मौन व्रत रखा, वहीं मायावती ने ट्वीट कर दलित महिला पर की गई टिप्पणी को लेकर कांग्रेस हाई कमान से सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगने को कहा। इधर, इमरती देवी ने कमलनाथ को पागल कहा है।
ये है मामला
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश की 28 विधान सभा सीटों के लिए 3 नवम्बर को उप चुनाव होने जा रहे हैं। इस क्रम में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रविवार को डबरा विधानसभा क्षेत्र में आयोजित एक जनसभा को संबोधित किया। अपने सम्बोधन के दौरान कमलनाथ ने इस सीट से भाजपा प्रत्याशी इमरती देवी पर अभद्र टिप्पणी कर दी और उन्हें ‘आइटम’ कहा।
ये क्या आइटम है ? ये क्या आइटम है ?
कमलनाथ ने कहा – सुरेश राजे जी हमारे उम्मीदवार हैं। सरल-स्वाभाव सीधे-साधे हैं। ये तो करेंगे ही। ये उसके जैसे नहीं हैं। भीड़ की तरफ सवाल उछालते हुए कमलनाथ पूछते हैं। क्या है उसका नाम ? भीड़ से आवाज आती है इमरती देवी। फिर कमलनाथ बोलते हैं – मैं क्या उसका नाम लूं ? आप तो उसको मेरे से ज्यादा पहचानते हैं। आपको तो मुझे पहले ही सावधान कर देना चाहिए था। फिर कमलनाथ ठहाके मारते हुए कहते हैं – ये क्या आइटम है ? ये क्या आइटम है ? और फिर कमल नाथ जोर से अट्टहास करते हैं। भीड़ भी उनके साथ ठहाके लगाने व शोर मचाने लगती है।
मुख्यमंत्री शिवराज ने व्यक्त की कड़ी प्रतिक्रिया
कमलनाथ की टिप्पणी सामने आते ही भाजपा ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा – आज कमलनाथ जी, आज आपने अपने ओछे बयान के द्वारा कांग्रेस की विकृत और घृणित मानसिकता का फिर परिचय दिया। आपने श्रीमती इमारती देवी ही नहीं, ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की एक-एक बेटी और बहन का अपमान किया है! कमलनाथ जी, आपको किसी भी महिला के सम्मान के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार किसने दिया?
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भाजपा ने रखा मौन व्रत
मुख्यमंत्री शिवराज समेत मध्य प्रदेश के तमाम वरिष्ठ नेताओं ने कमलनाथ के बयान के विरोध में सोमवार को अलग-अलग स्थानों पर मौन व्रत रखा। शिवराज ने ट्ववीट कर कहा – मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कल एक महिला के लिए जिन शब्दों का इस्तेमाल किया, उससे मैं आहत हूँ, शर्मिंदा हूँ। आज बापू के चरणों में उनके लिए प्रायश्चित करने हेतु बैठा हूँ। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया इंदौर में मौन उपवास पर बैठे।
मायावती ने कहा कांग्रेस आलाकमान मांगे माफ़ी
बसपा नेत्री सोमवार को ट्वीट कर कहा – मध्यप्रदेश में ग्वालियर की डाबरा रिजर्व विधानसभा सीट पर उपचुनाव लड़ रही दलित महिला के बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व सीएम द्वारा की गई घोर महिला-विरोधी अभद्र टिप्पणी अति-शर्मनाक व अति-निन्दनीय। इसका संज्ञान लेकर कांग्रेस आलाकमान को सार्वजनिक तौर पर माफी माँगनी चाहिए।
मायावती ने कांग्रेस को सबक सीखाने को कहा
अपने दूर ट्वीट में मायावती ने कहा – साथ ही, कांग्रेस पार्टी को इसका सबक सिखाने व आगे महिला अपमान करने से रोकने आदि के लिए भी खासकर दलित समाज के लोगों से अपील है कि वे एम.पी. में विधानसभा की सभी 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में अपना वोट एकतरफा तौर पर केवल बी.एस.पी. उम्मीदवारों को ही दें तो यह बेहतर होगा।
इमरती देवी ने भी कमलनाथ को उसी अंदाज में दिया जवाब
बयान से मचे बवाल के बीच इमरती देवी ने भी उसी अंदाज में कमलनाथ को जवाब दिया है। कमलनाथ की ही तर्ज पर इमरती ने कहा है कि वह क्या जाने महिलाओं की इज्जत कैसे की जाती है। इमरती ने कमलनाथ से सवाल भी किया कि वह आइटम का मतलब बता दें। साथ में यह भी कहा कि उसकी मां-बहन बंगाल की आइटम होंगी। मंत्री ने कहा कि कमलनाथ मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद पागल हो गया है। वह अभिनेत्रियों के कमर में हाथ डालकर फोटो खिंचाता है।
कौन है इमरती देवी
इमरती देवी अनुसूचित जाति से सम्बन्ध रखती हैं। वर्ष 2018 में वे कमलनाथ सरकार में महिला व बाल विकास मंत्री बनी थीं। वे ज्योतिरादित्य सिंधिया की समर्थक मानी जाती हैं। इस वर्ष मार्च में वह कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में सम्मिलित हो गई थीं। उन्होंने कांग्रेस छोड़ने पर विधानसभा की सदस्यता से भी त्यागपत्र दे दिया था। जुलाई में शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार होने पर इमरती देवी को फिर से महिला व बाल विकास मंत्री बनाया गया। इमरती देवी द्वारा त्यागपत्र देने के बाद रिक्त हुई सीट पर अब उप चुनाव हो रहे हैं।
उत्तराखंड में आजकल सौर ऊर्जा की खेती चर्चा में है। प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार ने कोरोना काल में घर वापस लौटे प्रवासियों व अन्य बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना शुरु की है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद जिस तरह से इस योजना की अक्सर चर्चा कर रहे हैं, उससे यह अंदाज लगाना कठिन नहीं है कि वो खुद इसको लेकर कितने उत्साहित हैं। मुख्यमंत्री निरंतर इस योजना की प्रगति पर नजर रखे हुए हैं और उन्होंने इसे अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया हुआ है। अगर योजना वास्तविक धरातल पर उतरती है, तो यह स्वरोजगार के साधन उपलब्ध कराने के साथ-साथ सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी।
योजना की खास बात
प्रदेश सरकार ने विगत दिवस 8 अक्टूबर को इस योजना का औपचारिक शुभारम्भ किया। प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल इस योजना को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के एक अंग के रूप में संचालित किया जा रहा है। इस योजना के तहत प्रदेश सरकार ने 10 हजार युवाओं व उद्यमियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित करने का लक्ष्य रखा है। राज्य के स्थायी निवासी अपनी निजी या लीज की भूमि पर सोलर पॉवर प्लांट स्थापित कर सकते हैं। कोई भी उद्यमशील युवा, बेरोजगार, किसान इस योजना के लिए पात्र होगा। सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित करने के लिए डेढ़ से दो नाली यानी 300 वर्ग मीटर भूमि की जरुरत होगी।
योजना पर व्यय
25 किलोवाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयत्र पर लगभग दस लाख रुपये का खर्च होगा। योजना की कुल लगत का 70 प्रतिशत तक लाभार्थी को ऋण के रूप में मिलेगा। शेष 30 प्रतिशत की राशि लाभार्थी को मार्जिन मनी के रूप में वहन करना होगा। चयनित लाभार्थियों को सहकारी बैंकों के माध्यम से आठ प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। यह ऋण 15 वर्ष की अवधि के लिए होगा। योजना का आवंटन जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी।
प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना योजना का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में मिलने वाले सभी लाभ इस योजना के विकासकर्ताओं को भी अनुमन्य होंगे। – त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री
प्रतिवर्ष 38 हजार यूनिट बिजली उत्पादन
राज्य में औसतन धूप की उपलब्धता के आधार पर 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र से पूरे वर्ष में लगभग 38 हजार यूनिट प्रतिवर्ष विद्युत उत्पादन हो सकता है। इस योजना के अंतर्गत यूपीसीएल द्वारा स्थापित 63 केवीए और इससे अधिक क्षमता के स्थापित ट्रांसफार्मर्स से पर्वतीय क्षेत्रों में 300 मीटर और मैदानी क्षेत्रों में 100 मीटर की हवाई दूरी (एरियल डिस्टेंस) तक सोलर पावर प्लांट आवंटित किए जाएंगे। इन ट्रांसफार्मर्स की सूची आनलाईन उपलब्ध कराई जा रही है।
प्रतिमाह 15 हजार रूपये की आय होगी
योजना के अंतर्गत आवंटित परियेाजना से उत्पादित बिजली को उत्तराखंड ऊर्जा कार्पोरेशन (UPCL) द्वारा निर्धारित दरों पर 25 वर्षों तक खरीदी जाएगी। इसके लिए संबंधित लाभार्थी के साथ बिजली खरीद अनुबंध (PPA) किया जाएगा। ऊर्जा निगम लाभार्थियों से साढ़े चार रुपए की दर पर बिजली खरीदेगा। इस प्रकार लाभार्थी को 15 हजार रूपये प्रतिमाह तक का आर्थिक लाभ हो सकेगा।
सोलर फार्मिंग से एग्रो फार्मिंग
सरकार ने सोलर फार्मिंग को एग्रो फार्मिंग से जोड़ा है। प्लांट लगाने वाली भूमि पर जलवायु के अनुकूल जड़ी-बूटी व सगंध पौधों के बीज निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके साथ ही मधुमक्खी पालन, अदरक आदि का उत्पादन किया जा सकता है। इससे जहां बंजर खेतों में फिर से हरियाली लहलहाने लगेगी, वहीं रोजगार के अवसर बढ़ने से पलायन पर भी अंकुश लग सकेगा।
जिलाधिकारियों की जवाबदेही तय
योजना के शुभारम्भ के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना में बैंकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। जिलाधिकारी बैंकों से लगातार सम्पर्क और समन्वय बनाए रखेंगे। इसके साथ ही भू-परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक नहीं लगना चाहिए। इससे अधिक समय लगने पर संबंधित के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
केंद्रीय खेल मंत्रालय ने खेलो इंडिया योजना के तहत सात राज्यों व दो केंद्र शासित प्रदेशों के विभिन्न खेल केंद्रों को खेलो इंडिया राज्य उत्कृष्टता केंद्र (Khelo India State Center of Excellence, KISCE) के रूप में चयनित किया है। इन प्रदेशों में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पुडुचेरी, त्रिपुरा व जम्मू और कश्मीर शामिल हैं। खेल मंत्रालय अब 23 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 24 केंद्रों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में चयनित कर चुका है।
एक आधिकारिक बयान में केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री किरेन रिजिजु ने इस फैसले के बारे में कहा, “सरकार दो तरफा दृष्टिकोण को ले कर आगे बढ़ रही है, जिसमें एक तरफ जमीनी स्तर के बुनियादी ढांचे को विकसित करना और दूसरी तरफ खेल उत्कृष्टता के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने का कार्य किया जा रहा है। KISCE में विश्व स्तर की सुविधाएं होंगी, जहां पूरे देश की सर्वश्रेष्ठ खेल प्रतिभाओं को भारत के ओलंपिक के सपनों को आगे बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।”
बयान के अनुसार इन केंद्रों की अपने पिछले प्रदर्शनों, राज्य में बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता, प्रबंधन और खेल-संस्कृति आदि के आधार पर पहचान की गई है। इस वर्ष के प्रारंभ में, मंत्रालय ने कुल 14 केंद्रों को KISCE के रूप में उन्नत करने के लिये पहचान की थी। कुल मिलाकर अब 23 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 24 KISCE हैं। इन केंद्रों को खेल उपकरण, कुशल प्रबंधक, कोच, खेल वैज्ञानिक, तकनीकी सहायता आदि में सहायता प्रदान की जाएगी।
इन केंद्रों के चयन के लिए केंद्रीय खेल मंत्रालय ने राज्य सरकारों से कहा था कि वो अपने-अपने प्रदेशों में स्वयं की या उनकी किसी एजेंसी द्वारा संचालित अच्छे खेल केंद्रों की पहचान कर बताएं, ताकि उनमें विश्व स्तरीय खेल सुविधाओं का विकास किया जा सके।
केंद्रीय खेल मंत्रालय ने अब तक KISCE के रूप में जिन राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को चयनित किया गया है, उनमें असम, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मेघालय, सिक्किम, कर्नाटक, ओडिशा, केरल, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिज़ोरम, नागालैंड, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, दादर- नगर हवेली और दमन-दीव, पुद्दुचेरी व जम्मू-कश्मीर शामिल हैं।
देशभर में सामाजिक कार्यों में जुटे हंस फाउंडेशन की प्रेरक माता मंगला के जन्मदिन पर उत्तराखंड को 105 करोड़ की योजनाओं की सौगात मिली है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने सरकारी आवास में हंस फाउंडेशन की इन विभिन्न परियोजनाओं का शुभारंभ किया।
हंस फाउंडेशन द्वारा माता मंगला के जन्मदिन के अवसर पर शुरू की गई इन योजनाओं में ‘हंस जल धारा’ के तहत लगभग 200 गांव में शुद्ध पेयजल पहुंचाने की योजना प्रमुख है। जिसकी लागत लगभग 50 करोड़ रूपये है। इस योजना को दो से तीन साल में पूरा किया जाना है।
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कोविड-19 संक्रमण के चलते बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तराखंडी पहाड़ लौटे हैं। इन लोगों के लिए हंस फाउंडेशन द्वारा 25 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है, जिसके माध्यम से पहाड़ लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध करवाने में मदद की जाएगी। इसी के साथ राज्य में लगभग 200 गांव में आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण किया जाना है। जिनकी लागत लगभग 30 करोड़ रूपये है।
मुख्यमंत्री ने की सुदीर्घ जीवन की कामना
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने माता मंगला के सुदीर्घ जीवन की कामना की। उन्होंने कहा कि माता मंगला के जीवन संघर्ष और उनकी सेवा भाव की विचारधारा हम सभी को प्रेरित करती है। उनका जीवन गरीबों की निस्वार्थ सेवा में समर्पित है। राज्य सरकार को भी हमेशा उनका सहयोग मिला है। माता मंगला व भोले महाराज समाज सेवा की भारतीय संस्कृति की महान परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। जिससे लाखों लोगों के जीवन में रोशनी फैल रही है।
आज राज्य को माता मंगला के जन्मदिवस पर 105 करोड़ रुपये की योजनाओं की सौगात मिली है। यह निश्चित तौर पर हमारे राज्य को विकास के पथ पर लेकर जाएगा। इससे पहले हंस फाउंडेशन राज्य को भोले जी महाराज के जन्मदिवस पर 100 करोड़ रूपये की योजनाओं का तोहफा दे चुका है।
रुद्रप्रयाग जिला चिकित्सालय को एंबुलेंस दी
माता मंगला के जन्मदिन के अवसर पर हंस फाउंडेशन ने रूद्रप्रयाग के जिला अस्पताल को एम्बुलेंस (टाटा विंगर), सक्शन मशीन, नेबुलिज़र मशीन, लाइफ सपोर्ट डिवाइस डिफाइब्रिलेटर मशीन, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर,एक्स रे मशीन एवं ईसीजी मशीन प्रदान की है।
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हरिद्वार में भी आयोजित हुआ कार्यक्रम
उधर, हरिद्वार में भारत माता मंदिर में भी आध्यात्म और सेवा की प्रतिमूर्ति माता मंगला का जन्मोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर श्रीमहंत ललिता नंद गिरि महाराज ने कहा कि माता मंगला आध्यात्मिक विभूति हैं और निरंतर सेवा भाव से मानव मात्र की सेवा कर रही है। उनका आशीर्वाद एवं उनकी प्रेरणा हम सभी को निरंतर मिलती रहे, यह हमारे लिए प्रसन्नता का विषय है। अनेक वर्षों से पूरे देश में भोले जी महाराज व माता मंगला की प्रेरणा से हंस फाउंडेशन जनसेवा का कार्य कर रहा है।
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार को कांग्रेस ने अपने 49 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। इस सूची में सबसे चौंकाने वाला नाम मोतिहारी के गोविंदगंज सीट से घोषित प्रत्यासी ब्रजेश पांडेय का है। ब्रजेश पांडेय एनडीटीवी के चर्चित पत्रकार रवीश कुमार के सगे बड़े भाई हैं। ब्रजेश का परिचय केवल इतना ही नहीं है। वो बिहार कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष रह चुके हैं। वर्ष 2015 में भी वो विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और हार गए थे। ब्रजेश पांडेय तब चर्चाओं में आये थे, जब एक दलित नाबालिक लड़की ने उन पर यौन शोषण और सेक्स रेकैट चलने का आरोप लगाया था।
वर्ष 2017 में बिहार कांग्रेस के एक अनुसूचित जाती के नेता की नाबालिग बेटी ने ब्रजेश पांडेय व एक पूर्व आइएएस अधिकारी के बेटे निखिल प्रियदर्शी पर यौन शोषण व सेक्स रैकेट संचालित करने का आरोप लगाया था। इन आरोपों के बाद बिहार की राजनीती में भूचाल आ गया था। ब्रजेश पर लगे आरोपों के बाद कांग्रेस ने उनसे दूरी बना ली थी। ब्रजेश ने पार्टी से त्याग-पत्र दे दिया था। सोशल मीडिया में इस मामले को लेकर जबरदस्त हलचल रही। सोशल मीडिया में लोगों ने इस मुद्दे पर ब्रजेश के छोटे भाई व पत्रकार रवीश कुमार पर भी जम कर निशाना साधा और सवालों की बौछार कर दी। लोगों ने रविश कुमार से मामले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने को कहा। प्राइम टाइम में डिबेट करने की मांग उठाई।
सोशल मीडिया में तब यह भी आरोप लगते रहे कि रवीश कुमार के प्रभाव के चलते मुख्यधारा के मीडिया ने इस समाचार को छिपा दिया। कोर्ट में ब्रजेश पांडेय के बचाव में कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल जैसे वकीलों की टीम उतरी थी। बहरहाल, गुरुवार को बिहार कांग्रेस के प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद एक बार फिर यह प्रकरण सोशल मीडिया पर चर्चाओं में है। यूजर्स हाथरस प्रकरण को लेकर हो-हल्ला मचाने वाली कांग्रेस के साथ-साथ रवीश कुमार को भी इस मुद्दे पर निशाने पर ले रहे हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश सरकार द्वारा स्वरोजगार के लिए संचालित की जा रही विभिन्न योजनाओं के सफल क्रियान्वयन पर जोर दिया है। उन्होंने इस सम्बन्ध में गुरुवार को प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की और उन्हें कई निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सरकार की इन महत्वाकांक्षी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में जिलाधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने बिजली चोरी को रोकने के लिए सभी जनपदों में सघन अभियान चलाने को कहा और दोषियों के विरुद्ध सख्त कारवाई के निर्देश दिए।
त्रिवेंद्र ने अधिकारियों को कहा कि मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना, सौर ऊर्जा व पिरूल ऊर्जा नीति से रोजगार के अवसर बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाए। एलईडी ग्राम लाईट योजना के तहत जिन स्थानों पर प्रोडक्शन का कार्य शुरु हो चुका है, उन स्थानों पर जिलों के मुख्य विकास अधिकारी एवं सबंधित विभागीय अधिकारी जाकर महिला स्वयं सहायता समूहों से उनको कार्य करने में आ रही समस्याओं की जानकारी लें। इससे उनकी समस्याओं का शीघ्रता से निवारण हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि एलईडी ग्राम लाईट योजना के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को उचित प्रशिक्षण, राॅ मेटिरियल एवं सप्लाई चेन की व्यवस्था करनी होगी। इसके लिए राज्य में कुछ क्षेत्र हब के रूप में विकसित करने होंगे। स्थानीय स्तर पर लोगों की आय में वृद्धि के लिए सुनियोजित तरीके से कार्य किए जाएं। त्योहारों के सीजन के दृष्टिगत स्थानीय स्तर पर निर्मित सामग्री की मार्केंटिंग के लिए स्वयं सहायता समूहों को सहयोग दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पिरूल नीति से 40 हजार से अधिक लोगों के आय के संसाधन बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इस नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए जिलाधिकारियों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इससे बिजली उत्पादन के साथ ही अनेक पर्यावरणीय लाभ भी हैं। पिरूल एकत्रीकरण से स्थानीय स्तर पर महिलाओं के आय के संसाधन बढ़े हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने विद्युत विभाग की भी समीक्षा की। उन्होंने बिजली चोरी को रोकने के लिए सभी जनपदों में सघन अभियान चलाने को कहा और निर्देश दिए कि दोषियों पर सख्त कारवाई की जाए। साथ ही इसमें विद्युत विभाग के अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय की जाए। उन्होंने विद्युत लाईनों की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ठोस योजना बनाने को भी कहा और निर्देश दिए कि विद्युत लाईनों की नियमित जांच तथा आवश्यकतानुसार अंडर ग्राउण्ड केबलिंग की व्यवस्था की जाए।
उन्होंने विद्युत लाईनों की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं पर निर्धारित मानकों के अनुरूप क्षतिपूर्ति एक सप्ताह के अन्दर देने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बरदाश्त नहीं की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाए कि दुर्घटना के कारणों की जांच रिपोर्ट सबंधित क्षेत्र के विद्युत विभाग के अधिकारियों से शीघ्र उपलब्ध हो। बिजली के बिल की रशीद लोगों तक नियमित रूप से पहुंचे।
सचिव ऊर्जा राधिका झा ने कहा कि विभागों को की-परफार्मेंस इंडिकेटर दिए जाने से ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से प्रगति हुई है। विद्युत उत्पादन में वृद्धि हुई है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत उपलब्धता की स्थिति बहुत अच्छी है। इस अवसर पर एमडी यूपीसीएल डाॅ. नीरज खैरवाल, अपर सचिव कैप्टन आलोक शेखर तिवारी आदि उपस्थित थे।
भारत आज दुनिया भर में जेनेरिक दवाओं के सबसे बड़े निर्माताओं और निर्यातकों में शामिल है। कोविड-19 के प्रारंभिक चरण में इसके उपचार के लिए आपातकालीन मामलों में एचसीक्यू और एज़िथ्रोमाइसिन दवाओं को चिह्नित किया गया था। दुनिया भर में 120 से अधिक देशों में भारत द्वारा इन दवाओं की आपूर्ति की गई और भारत ने दवाओं के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में ख्याति अर्जित की है। वर्तमान में भारत में रसायन और पेट्रो केमिकल्स क्षेत्र के बाजार का कारोबार लगभग 165 बिलियन डॉलर है, जिसकी 2025 तक बढ़कर 300 बिलियन डॉलर होने की संभावना है।
यह जानकारी केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने FICCI द्वारा आयोजित LEADS 2020 के दौरान ‘रीइमेजनिंग डिस्टेंस’ पर वर्चुअल सत्र को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने कहा, “हमने हाल ही में देश भर में सात मेगा पार्क- तीन बल्क ड्रग पार्क और चार मेडिकल डिवाइस पार्क विकसित करने की योजनाएं शुरू की हैं। नए निर्माता प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के लिए पात्र होंगे। उन्होंने कहा कि भारत में फार्मा क्षेत्र में निवेश करने और विनिर्माण का आधार स्थापित करने का यह बहुत अच्छा समय है।
गौड़ा ने यह भी कहा कि भारत में रसायन और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र के बाजार का कारोबार लगभग 165 बिलियन डॉलर है। वर्ष 2025 तक यह कारोबार बढ़कर 300 बिलियन डॉलर तक होने की संभावना है। यह भारत के रासायनिक क्षेत्र में एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करता है। उदाहरण के लिए, बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत को 2025 तक 5 सफल उद्योगों और 2040 तक अतिरिक्त 14 सफल उद्योगों की आवश्यकता होगी। केवल इन उद्योगों को 65 बिलियन डॉलर के कुल निवेश की आवश्यकता होगी।
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उन्होंने कहा कि विदेशी भागीदारी को आकर्षित करने के लिए, भारत सरकार रासायनिक और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र के लिए नीतियों पर फिर से विचार कर रही है। गौड़ा ने कहा, “हम अपने फार्मास्युटिकल क्षेत्र में बिक्री के आधार पर वित्तीय प्रोत्साहन देने के बारे में विचार कर रहे हैं। हम अपने रासायनिक औद्योगिक क्लस्टर को मजबूत करने के लिए अपनी नीतियों को भी बदल रहे हैं, जिसे हम पीसीपीआईआर और प्लास्टिक पार्क कहते हैं। साथ ही, जहां तक रसायन और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र का संबंध है, सरकार की इन सहायक नीतियों से भारत में कारोबार करने के लिए सबसे अच्छे वातावरण तैयार होगा।
रसायन एवं उर्वरक मंत्री ने कहा कि भारत में उर्वरक क्षेत्र भी एक आकर्षक क्षेत्र है। हमारे किसानों द्वारा हर साल उर्वरकों की भारी मांग है। हालांकि, घरेलू उत्पादन खुद उर्वरकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। हम यूरिया, और P&K उर्वरकों के बड़े आयातक हैं। उदाहरण के लिए, 2018-19 में, भारत ने 7.5 मिलियन टन यूरिया, 6.6 मिलियन टन डीएपी, 3 मिलियन टन एमओपी और 0.5 मिली टन एनपीके उर्वरक का आयात किया।
गायों व गौवंश के संरक्षण, सुरक्षा, विकास और पशु विकास कार्यक्रम को दिशा प्रदान करने के लिए मोदी सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने दीपावली में गाय के गोबर व पंचगव्य से बने उत्पादों के व्यापक उपयोग के अभियान शुरू कर दिया है। अभियान को कामधेनु दीपावली अभियान नाम दिया गया है।
अभियान के दौरान गोबर आधारित दीयों, धूप, अगरबत्ती, हवन सामग्री, भगवान गणेश व देवी लक्ष्मी की मूर्तियों, शुभ-लाभ व स्वास्तिक के चिह्नों आदि के उपयोग को बढ़ावा देने वाले कदम उठाये जाएंगे। अभियान के द्वारा आयोग दीपावली में प्रयोग होने वाली बिजली लाइट्स की माला बनाने वाली चीनी कंपनियों को झटका देने की तैयारी में है।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व आयोग गणेश महोत्सव के समय गौमाया गणेश अभियान संचालित कर चुका है। आयोग के प्रयासों से गणेश महोत्सव के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने गणेश की मूर्तियों के निर्माण में पर्यावरण अनुकूल सामग्री के रूप में गाय के गोबर का उपयोग किया था। आयोग ने गौमाया गणेश अभियान को मिली प्रतिक्रिया से उत्साहित होकर दीपावली के लिए भी अभियान शुरू कर दिया है।
एक आधिकारिक वक्तव्य में कहा गया है कि आयोग का लक्ष्य इस वर्ष दीपावली त्योहार के दौरान 11 करोड़ परिवारों में गाय के गोबर से बने 33 करोड़ दीयों को प्रज्वलित करना है। लगभग 3 लाख दीयों को केवल पवित्र शहर अयोध्या में ही प्रज्वलित किया जाएगा और 1 लाख दीये पवित्र शहर वाराणसी में जलाए जाएंगे।
आयोग के इस अभियान से हजारों गाय आधारित किसानों व महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। यह गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद करेगा और चीन निर्मित दीयों का पर्यावरण अनुकूल विकल्प प्रदान करेगा। इससे पर्यावरणीय क्षति में कमी के साथ-साथ स्वदेशी आंदोलन को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
आयोग अपने अभियान को गति देने के लिए वेबिनार की एक श्रृंखला के माध्यम से विभिन्न हितधारकों के साथ बातचीत कर रहा है। आयोग ने देश भर में गौशालाओं में दीपावली से संबंधित वस्तुओं के उत्पादन और सुविधा के साथ विपणन योजना के लिए पूरे देश के हर जिले में अपने सहयोगियों के माध्यम से अपनी उपस्थिति बढ़ाई है। आयोग किसानों, निर्माताओं, गायों, गौशालाओं और अन्य संबंधित पक्षों को इस अभियान से जोड़ने में लगा हुआ है।
नवम्बर में उत्तर प्रदेश की 10 और उत्तराखंड की खाली होने वाली 1 राज्यसभा सीटों के लिए मंगलवार को केंद्रीय चुनाव आयोग ने कार्यक्रम घोषित कर दिया है। राज्य सभा के द्विवार्षिक चुनावों के लिए 20 अक्टूबर को अधिसूचना होगी। नामांकन पत्र भरने की अंतिम तिथि 27 अक्टूबर, मतदान की तिथि 9 नवंबर और 11 नवंबर तक चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि 25 नवम्बर को उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से राज्य सभा के 11 सदस्य सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इनमें केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, कांग्रेस नेता पी.एल. पुनिया, अरुण सिंह, राम रामगोपाल यादव जैसे दिग्गज नेता उत्तर प्रदेश से हैं। उत्तराखंड से फिल्म अभिनेता व कांग्रेस नेता राज बब्बर सेवानिवृत हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश से सेवानिवृत होने वाले अन्य सदस्यों में डॉ चंद्रपाल सिंह यादव, जावेद अली खान, नीरज शेखर, रवि प्रकाश वर्मा, राजा राम व वीर सिंह शामिल हैं।
भारत निर्वाचन आयोग के अवर सचिव प्रफुल्ल अवस्थी द्वारा जारी बयान में जानकारी दी गई है कि इन द्विवार्षिक चुनावों के लिए 20 अक्टूबर को अधिसूचना जारी की जाएगी। नामांकन पत्र भरने की अंतिम तिथि 27 अक्टूबर होगी। 28 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच और 2 नवम्बर नाम वापसी की अंतिम तिथि रहेगी। यदि आवश्यक होगा तो मतदान 9 नवम्बर को प्रातः 9 बजे से 4 बजे तक होगा और मतपत्रों की गिनती भी उसी दिन होगी। 11 नवम्बर तक चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न हो जाएगी।
चुनाव आयोग के अनुसार मतदान के समय बैलेट पेपर पर वरीयता (अंक) को चिह्नित करने के लिए रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा दिए गए एकीकृत वायलेट कलर स्केच पेन का ही उपयोग किया जाएगा। किसी भी परिस्थिति में मतदाता दूसरे किसी पेन का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।
चुनाव आयोग ने राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिए हैं कि वे चुनाव के दौरान कोविड-19 से बचाव व रोकथाम के निर्देशों का पालन कराने के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी की तैनाती सुनिश्चित करें। आयोग ने इसके लिए विस्तृत निर्देश पूर्व में भी जारी किये हैं। आयोग ने संबंधित राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को इन चुनावों के लिए पर्यवेक्षक के रूप में तैनात किया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से स्वामित्व योजना के तहत संपत्ति कार्ड के वितरण का शुभारंभ किया। मोदी ने छः राज्यों हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के 763 गांवो 1 लाख ग्रामीणों को प्रोपर्टी कार्ड वितरित किए। इनमें उत्तराखण्ड के 50 गांवों के 6800 लोग शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम में कुछ लाभार्थियों से बात भी की।
गोदा गांव के सुरेश ने कही अपनी बात
उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल के विकास खण्ड खिर्सू के ग्राम गोदा के सुरेश चंद्र को भी प्रधानमंत्री के सम्मुख अपनी बात रखने का अवसर मिला। सुरेश ने प्रधानमंत्री का धन्यवाद देते हुए कहा कि पूरी प्रक्रिया पूर्ण पारदर्शिता से सम्पन्न हुई है। इसमें किसी तरह का कोई विवाद नहीं हुआ। प्रापर्टी के कागज मिलने से अब बैंक से ऋण भी मिल सकेगा। सुरेश ने बताया कि उनके गांव से चौखम्भा आदि हिमालयी पर्वत शिखरों के दर्शन होते हैं और निकट ही प्रसिद्ध धार्मिक स्थल भी हैं। गांव के लोग प्रापर्टी कार्ड मिलने के बाद अपने घरों में होम स्टे बनाना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री ने उच्च शिक्षा मंत्री को दिए यह निर्देश
प्रधानमंत्री ने सुरेश को बधाई देते हुए कहा कि वे स्वयं उत्तराखण्ड के हिमालय क्षेत्र में काफी रहे हैं। उन्होंने सुरेश से कहा कि उनका गांव प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। सुरेश भाग्यशाली हैं कि वे ऐसे स्थान पर रहते हैं जहां से पवित्र पर्वतों के दर्शन होते हैं। उन्होंने कहा कि उनका गांव लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। प्रधानमंत्री ने सुरेश के साथ में कार्यक्रम में उपस्थित प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.धन सिंह रावत से कहा कि कहा कि होम स्टे के फोटोग्राफ, कान्टेक्ट नम्बर सहित सारा विवरण वेबसाइट पर उपलब्ध हो, ताकि पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को जानकारी मिल सके। इससे होम स्टे का काम बढ़िया तरीके से आगे बढ़ सकता है।
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गांवों में होगा ऐतिहासिक बदलाव
इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने स्वामित्व योजना के लाभार्थियों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि अब लाभार्थियों के पास अपने घरों के मालिक होने का एक कानूनी दस्तावेज होगा। यह योजना देश के गांवों में ऐतिहासिक बदलाव लाने जा रही है। उन्होंने कहा कि देश ने एक अति महत्वाकांक्षी भारत की ओर एक और बड़ा कदम उठाया है, क्योंकि इस योजना से ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी।
अगले 3-4 वर्षों में सबको मिलेगा संपत्ति कार्ड
उन्होंने कहा कि हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के एक लाख लाभार्थियों को आज उनके घरों के कानूनी कागजात सौंप दिए गए हैं और अगले तीन-चार वर्षों में देश के प्रत्येक गांव में हर परिवार को ऐसे संपत्ति कार्ड देने का वादा किया।
विपक्ष की आलोचना
विपक्ष की आलोचना करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग नहीं चाहते हैं कि हमारे किसान आत्मनिर्भर बनें, उन्हें कृषि क्षेत्र में सुधारों से समस्याएं हैं। छोटे किसानों, गौपालकों और मछुआरों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड शुरू करने से दलालों और बिचौलियों को परेशानी हो रही है, क्योंकि उनकी अवैध आय रुक गई है।
गांव तथा गरीबों की आत्मनिर्भरता के लिए अभियान जारी
उन्होंने यूरिया की नीम कोटिंग, किसानों के बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण इत्यादि पहलों के बारे में भी बताया, जो भ्रष्टाचार को रोकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे प्रभावित लोग आज कृषि सुधारों के विरोध में हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के कारण देश में विकास रुकने वाला नहीं है और गांव तथा गरीबों को आत्मनिर्भर बनाना जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि इस संकल्प की सिद्धि के लिए स्वामित्व योजना की भूमिका भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
केंद्रीय पंचायतराज मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री अलग-अलग स्थानों से कार्यक्रम से जुड़े हुए थे।