ग्रुप-बी (गैर-राजपत्रित) और समूह-सी की नौकरियों के लिए साक्षात्कार समाप्त करने की केंद्र सरकार की नीति पर 23 राज्यों व 8 केंद्र शासित प्रदेशों ने भी अपनी मुहर लगा दी है। 15 अगस्त 2015 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साक्षात्कार की प्रक्रिया को समाप्त करने और नौकरी के लिए चयन पूरी तरह से लिखित परीक्षा के आधार पर करने का सुझाव दिया था। प्रधानमंत्री के सुझाव पर त्वरित रूप से अमल करते हुए केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने तीन महीने के भीतर 1 जनवरी, 2016 को केंद्र सरकार की भर्तियों में साक्षात्कार की प्रक्रिया की समाप्ति कर दी थी। मोदी सरकार ने सभी राज्य सरकारों व केंद्र सरकारों को भी इस पर अमल करने के लिए कहा था।
महाराष्ट्र और गुजरात ने दिखाई तेजी
केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत व प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक आधिकारिक बयान में बताया कि अब तक देश के 23 राज्यों 8 केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा नौकरियों में साक्षात्कार की प्रक्रिया समाप्त कर दी गयी है। इसे सुधारवादी कदम बताते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि जहां महाराष्ट्र और गुजरात जैसे कुछ राज्यों ने इस नियम को लागू करने में तेजी दिखायी, वहीं कुछ राज्य ऐसे भी थे जो नौकरियों के लिए साक्षात्कार प्रक्रिया के आयोजन को समाप्त करने के लिए बेहद अनिच्छुक थे।
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लिखित परीक्षा के अंक होंगे योग्यता का पैमाना
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि कुछ राज्य सरकारों को काफी समझाने और बार-बार याद दिलाने के बाद देश के सभी 8 केंद्र शासित प्रदेशों और 28 राज्यों में से 23 में साक्षात्कार आयोजित करने की प्रथा बंद कर दी गई है। इसमें जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख भी शामिल है। डॉ. सिंह ने कहा कि अतीत में कुछ पसंदीदा उम्मीदवारों की मदद के लिए साक्षात्कार में अंकों के बारे में शिकायतें, आपत्तियां और आरोप दर्ज होते थे। साक्षात्कार की समाप्ति के बाद चयन के लिए केवल लिखित परीक्षा के अंकों को योग्यता का पैमाना मानने से सभी उम्मीदवारों के लिए चयन के समान अवसर उपलब्ध होंगे।
सरकारी खजाने में भी बचत
डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि इस कदम की वजह से भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित हुई है। कई राज्यों से सरकारी खजाने में भारी बचत की सूचना भी मिली है, क्योंकि अक्सर हजारों की संख्या में उम्मीदवारों के साक्षात्कार के आयोजन में काफी खर्च हो जाता था और साक्षात्कार की यह प्रक्रिया कई दिनों तक जारी रहती थी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि स्थानीय संसाधनों को आधार मानकर आगे बढ़ेंगे, तो आत्मनिर्भर बनने में सुविधा होगी। प्रकृति ने देवभूमि उत्तराखण्ड को बहुत कुछ दिया है। प्रदेश जैव विविधता की दृष्टि से संपन्न है। स्वरोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में राज्य सरकार द्वारा अनेक कार्य किए जा रहे हैं।
यह विचार मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए युवा उद्यमियों के साथ व्यक्त किए। त्रिवेंद्र ने बताया कि इन्वेस्टर समिट के दौरान राज्य में 01 लाख 25 हजार करोड़ रूपये के एमओयू हुए, जिसमें से 25 हजार करोड़ रूपये के कार्यों की ग्राउंडिंग हो चुकी है। राज्य बनने से औद्योगिक क्षेत्र में 2017 तक राज्य में 40 हजार करोड़ रूपये का निवेश हुआ, जबकि पिछले साढ़े तीन सालों में 25 हजार करोड़ रूपये का निवेश हो चुका है।
उन्होंने कहा कि राज्य में चीड़ की पत्तियों से बिजली एवं चारकोल बनाने के कार्य शुरू किए गए हैं। प्रदेश के 27 प्रतिशत वन क्षेत्र में चीड़ के वृक्ष होते हैं। चीड़ की पत्तियों से वनाग्नि की समस्या बनी रहती है। उन्होंने कहा कि चीड़ की पत्तियों का सदुपयोग कर स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार के अवसर उलब्ध कराने में यह योजना कारगर साबित होगी। इससे 40 हजार लोगों को रोजगार दिया जा सकता है और पर्यावरणीय लाभ भी होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए हर न्याय पंचायत में रूरल ग्रोथ सेंटर बनाए जा रहे हैं। अभी तक 100 से अधिक ग्रोथ सेंटरों को स्वीकृति दी जा चुकी है। अलग-अलग थीम पर ग्रोथ सेंटर बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार स्थानीय उत्पादों को हिमालयी ब्रांड से पहचान दिलाने की दिशा में कार्य कर रही है।
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उन्होंने बताया उनकी सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 150 तरह के कार्य किए जा सकते हैं। राज्य में मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना शुरू की गई है। इसके तहत 10 हजार युवाओं एवं उद्यामियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित की जाएंगी। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए काफी कारगर साबित होगी। होम स्टे को राज्य में बढ़ावा दिया जा रहा है। अभी तक 2200 से अधिक होम स्टे रजिस्टर्ड हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर सामाजिक उद्यमिता के क्षेत्र में कार्य करने वाले विभिन्न लोगों से बात की। उन्होंने मशरूम उत्पादक प्रीति भंडारी, हेल्थ एवं पर्सनल केयर प्रोडक्ट के क्षेत्र में कार्यरत हर्षपाल चौधरी, ईको टूरिज्म एवं स्थानीय संस्कृति के क्षेत्र में कार्य कर रही नूपुर अग्रवाल, होम स्टे संचालिका निवेदिता कार्की, आर्टिफिशल इन्टेलीजेंसी के क्षेत्र में कार्य कर रही प्रेक्षा कपरवाण आदि से बात की।
कार्यक्रम की मॉडरेटर उच्च शिक्षा उन्नयन समिति की उपाध्यक्ष दीप्ति रावत थीं। कार्यक्रम में ऊर्जा सचिव राधिका झा, पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस.नेगी, मुख्यमंत्री के तकनीकि सलाहकार डॉ. नरेन्द्र सिंह, आईटी सलाहकार रविन्द्र दत्त, निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल, अखिलेश रावत आदि उपस्थित थे।
सोलर फार्मिंग द्वारा स्वरोजगार के लिए उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना का विधिवत शुभारम्भ हो गया है। गुरुवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में आयोजित एक कार्यक्रम में योजना की औपचारिक शुरुआत की। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के एक अंग के रूप में संचालित इस योजना में 10 हजार युवाओं व उद्यमियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित की जाएंगी। प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना योजना का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में मिलने वाले सभी लाभ इस योजना के विकासकर्ताओं को भी अनुमन्य होंगे।
बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका, जिलाधिकारी बैंकों से समन्वय बनाएं
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना में बैंकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। जिलाधिकारी बैंकों से लगातार सम्पर्क और समन्वय बनाए रखें। स्वरोजगार योजनाओं को सकारात्मक तरीके से लिए जाने की जरूरत है। डीएलसीसी बैठकों में स्वरोजगार योजनाओं की समीक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता से हो। हम सभी का दायित्व है कि युवा बिना किसी परेशानी के स्वरोजगार योजनाओं से लाभ उठा सकें।
भू-परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक समय न लगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना के आवेदन की प्रक्रिया को सरलतम रखा जाए। भू- परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक नहीं लगना चाहिए। इससे अधिक समय लगने पर संबंधित के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। जो टार्गेट तय किए जाते हैं, वे निर्धारित समयावधि में जरूर पूरे हो जाने चाहिए। संबंधित अधिकारी योजना के प्रति पूरी तरह से समर्पित होकर काम करें। कोविड के कारण व्यर्थ चले गए चार माह की भरपाई अगले आठ माह में करनी है। इसलिए दोगुनी ऊर्जा से काम करना होगा।
स्वरोजगार और हरित ऊर्जा का उत्पादन मुख्य उद्देश्य
सचिव ऊर्जा श्रीमती राधिका झा ने बताया कि प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना, योजना का लक्ष्य है। इसमें 25 किलोवाट क्षमता के ही सोलर प्लांट अनुमन्य किए जाएंगे। राज्य के स्थाई निवासी अपनी निजी भूमि या लीज पर भूमि लेकर सोलर पावर प्लांट की स्थापना कर सकते हैं।
इंटीग्रेटेड फार्मिंग से होगी आय
इंटीग्रेटेड फार्मिंग की इस योजना में सोलर पैनल लगाने के साथ उसी भूमि पर मौन पालन, फल, सब्जी और जड़ी-बूटी आदि का उत्पादन भी किया जा सकता है। संयंत्र स्थापित की जाने वाली भूमि पर जलवायु आधारित औषधीय और स्कन्ध पादपों के बीज निशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। योजना में 10 हजार परियोजनाएं पात्र आवेदकों को आवंटित किए जाने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए वर्षवार और जिलावार लक्ष्यों का निर्धारण एमएसएमई के सहयोग से किया जा रहा है। इसमें एमएसएमई की मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत अनुमन्य अनुदान और मार्जिन मनी व लाभ मिल सकेंगे। एमएसएमई के आनलाईन पोर्टल के माध्यम से इच्छुक पात्र व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं। इसमें शैक्षिक योग्यता की कोई बाध्यता नहीं होगी। योजना का क्रियान्वयन उरेडा द्वारा किया जाएगा।
परियोजना के तकनीकी मानक
तकनीकी मानकों की जानकारी देते हुए बताया गया कि 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र आवंटित किए जाएंगे। इसके लिए लगभग 1.5 से 2 नाली भूमि की आवश्यकता होगी। 40 हजार रूपए प्रति किलोवाट की दर से कुल लागत लगभग 10 लाख रूपए सम्भावित है। राज्य में औसतन धूप की उपलब्धता के आधार पर 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र से पूरे वर्ष में लगभग 38 हजार यूनिट प्रतिवर्ष विद्युत उत्पादन हो सकता है। इस योजना के अंतर्गत यूपीसीएल द्वारा स्थापित 63 केवीए और इससे अधिक क्षमता के स्थापित ट्रांसफार्मर्स से पर्वतीय क्षेत्रों में 300 मीटर और मैदानी क्षेत्रों में 100 मीटर की हवाई दूरी (एरियल डिस्टेंस) तक सोलर पावर प्लांट आवंटित किए जाएंगे। इन ट्रांसफार्मर्स की सूची आनलाईन उपलब्ध कराई जा रही है। योजना के अंतर्गत आवंटित परियेाजना से उत्पादित बिजली को यूपीसीएल द्वारा निर्धारित दरों पर 25 वर्षों तक खरीदी जाएगी। इसके लिए संबंधित लाभार्थी के साथ बिजली खरीद अनुबंध (पीपीए) किया जाएगा।
यूपीसीएल के साथ विद्युत क्रय अनुबंध
लाभार्थी सहकारी या किसी राष्ट्रीयकृत बैंक से ऋण ले सकता है। सहकारी बैंक द्वारा इस योजना के लिए 8 प्रतिशत की ब्याज दर पर 15 वर्षों के लिए ऋण दिया जाएगा। चयनित लाभार्थी को अपनी भूमि के भू-परिवर्तन के बाद मोर्टगेज करने के लिए लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी पर 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी। तकनीकी समिति द्वारा उपयुक्त पाए गए आवेदकों को परियोजना का आवंटन जिला स्तर पर करने के लिए जिलाधिकरी की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है। पूरी प्रक्रिया में समय सीमा का विशेष ध्यान रखा गया है। परियोजना आवंटन पत्र मिलने के बाद लाभार्थी द्वारा यूपीसीएल के साथ विद्युत क्रय अनुबंध किया जाएगा। लाभार्थी द्वारा परियेाजना आवंटन पत्र, यूपीसीएल के साथ अनुबंध की प्रति, और अन्य आवश्यक अभिलेख जमा कराने के सात दिन के भीतर महाप्रबंधक, जिला उद्योग संबंधित बैंक शाखा को अग्रसारित कर देंगे। इसके 15 दिनों के भीतर बैंक शाखा से स्वीकृति या अस्वीकृति सूचना लाभार्थी को बता दी जाएगी।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूङी, मनीषा पंवार, सचिव अमित नेगी, हरबंस सिंह चुघ, अपर सचिव नीरज खैरवाल, महानिदेशक सूचना डाॅ मेहरबान सिंह बिष्ट व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
प्रसिद्ध उद्योगपति व रिलायंस समूह के मुखिया मुकेश अंबानी के पुत्र एवं श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व सदस्य अनंत अंबानी ने कोरोना काल के आर्थिक हालात को देखते हुए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् बोर्ड हेतु 5 करोड़ की धनराशि दान दी है। धनराशि का चेक बुधवार को चारधाम विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं व देवस्थानम् बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंपा।
उल्लेखनीय है कि अंबानी परिवार की श्री बदरीनाथ एवं केदारनाथ सहित उत्तराखंड के चारों धामों में अपार आस्था है। पहले भी उनके द्वारा करोड़ों रुपये का दान श्री बदरीनाथ-केदारनाथ धाम को दिया जाता रहा है। कोरोना महामारी से इस यात्रा वर्ष देवस्थानम् बोर्ड की आर्थिकी भी प्रभावित हुई है। इसके मद्देनजर अंबानी परिवार द्वारा 5 करोड़ रुपये देवस्थानम् बोर्ड को दान स्वरूप दिये हैं।
देवस्थानम् बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन तथा अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी.सिंह ने अंबानी परिवार का आभार जताया है।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को सिनेमा हाॅल के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी है। यह एसओपी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ परामर्श करके तैयार की गई है।
एसओपी जारी करते हुए केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि गृह मंत्रालय के निर्णय के अनुसार 15 अक्टूबर से सिनेमा हॉल फिर से खुलेंगे। इसके लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने यह एसओपी तैयार की है। SOP में सभी दर्शकों व कर्मचारियों की थर्मल स्क्रिनिंग, पर्याप्त शारीरिक दूरी, मास्क का प्रयोग, बार-बार हाथ धोना, हैंड सैनिटाइजर का प्रावधान आदि किया गया है।
मंत्रालय ने शारीरिक दूरी, नामित क्यूमार्कर्स के साथ प्रवेश और निकास, सैनिटाइजेशन, कर्मचारियों की सुरक्षा, न्यूनतम संपर्क सहित इस क्षेत्र में अधिसूचित अंतर्राष्ट्रीय प्रक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए यह सामान्य एसओपी तैयार की है।
बैठने की व्यवस्था कुल क्षमता की 50 प्रतिशत तक सीमित रहेगी। मल्टीप्लेक्स शो की टाइमिंग इस प्रकार विभाजित की जाएगी, ताकि उनके शो शुरू होने और समाप्त होने के समय अलग-अलग रहें। तापमान सेटिंग 24 डिग्री से 30 डिग्री सेंटीग्रेड की सीमा में रहेगी।
जावड़ेकर के अनुसार फिल्म प्रदर्शन एक प्रमुख आर्थिक गतिविधि है और इसने देश के सकल घरेलू उत्पाद में काफी योगदान दिया है। मौजूदा कोविड-19 महामारी को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है कि फिल्म प्रदर्शन गतिविधियों से जुड़े लोग अपने संचालन और गतिविधियां पुन: शुरू करते समय महामारी के प्रसार को रोकने के लिए उचित उपाय करें।
गृह मंत्रालय ने अपने 30 सितम्बर के आदेश द्वारा 15 अक्टूबर से कंटेनमेंट जोन से बाहर के क्षेत्रों में 50 प्रतिशत बैठने की क्षमता के साथ सिनेमा घरों, थियेटरों और मल्टीप्लेक्स को फिर से खोलने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक ब्लाॅक में दो-दो अटल आदर्श विद्यालय स्थापित किए जाएं। राज्य की नई खेल नीति के बारे में खेल विशेषज्ञों, खिलाड़ियों, और आम जन से सुझाव प्राप्त किए जाएं और जल्द से जल्द से कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाए। खेल में तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए खेल विज्ञान केंद्र की स्थापना की जाए। खेल विकास निधि बनाई जाए। बच्चे कम उम्र से ही खेलों में प्रतिभाग के लिए प्रोत्साहित हों, इसके लिए मुख्यमंत्री खिलाड़ी उन्नयन छात्रवृत्ति दी जाए।
अटल आदर्श विद्यालयों में हिंदी व अंग्रेजी दोनो माध्यम का विकल्प हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि अटल आदर्श विद्यालयों की स्थापना, उच्च गुणवत्ता की शिक्षा के सभी मानक पूरे करते हुए की जाए। इनसे ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा के समान अवसर मिल सकेंगे। इन विद्यालयों में हिंदी व अंग्रेजी दोनों माध्यमों का विकल्प बच्चों को उपलब्ध हो। स्पोकन इंग्लिश पर विशेष ध्यान दिया जाए। विज्ञान की प्रयोगशाला, सभी आवश्यक उपकरणों से सुसज्जित हो।
174 विद्यालय किए गए अटल आदर्श विद्यालय हेतु चिन्हित
बैठक में बताया गया कि 174 विद्यालयों को अटल आदर्श विद्यालय के रूप में विकसित करने के लिए चिन्हित कर लिया गया है। इनमें से 108 विद्यालयों में वर्चुअल क्लास की सुविधा उपलब्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां भी अटल आदर्श विद्यालय बनाए जाएं वहां स्थानीय स्थापत्य और सामग्री का प्रयोग किया जाए। बैठक में थानो में प्रस्तावित अटल आदर्श विद्यालय की डिजायन आदि से भी अवगत कराया गया।
ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को प्रेरित करे नई खेल नीति
मुख्यमंत्री ने राज्य की नई खेल नीति के बारे में खेल विशेषज्ञों, खिलाड़ियों, और आम जन से सुझाव प्राप्त कर जल्द से जल्द से कैबिनेट में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। खेल नीति इस प्रकार की हो जिससे ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ने के अधिक अवसर मिलें।
खेल अवस्थापना के लिए प्राईवेट सेक्टर केा प्रोत्साहित किया जाए
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राईवेट सेक्टर को खेल के क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। बच्चे टीवी, मोबाईल की दुनिया से बाहर निकलकर खेल के मैदान में आएं। खेलों में तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए खेल विज्ञान केंद्र की स्थापना की जाए।
खेल नीति में बाालिकाओं के लिए हों विशेष प्रावधान
मुख्यमंत्री ने कहा कि खेल कुम्भ में नए खेल शामिल किए जाएं। बालिकाओं के लिए खेल नीति में विशेष प्रावधान किए जाएं। नेशनल लेवल और इंटरनेशनल लेवल पर प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों को सुविधाएं दी जाएं। खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेल विकास निधि का निर्माण किया जाए। दिव्यांग खिलाड़ियों की आर्थिक सहायता के लिए व्यवस्था की जाए।
खिलाड़ियो की समस्याओं के निस्तारण के सिंगल विंडो सिस्टम
मुख्यमंत्री ने आठ वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों के लिए मुख्यमंत्री खिलाड़ी उन्नयन छात्रवृत्ति की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। खिलाड़ियों की समस्याओं के समाधान के लिए सिंगल विंडो सिस्टम विकसित किया जाए। व्यावसायिक शिक्षा संस्थानों और राजकीय विभागों में उत्कृष्ट खिलाड़ियों के लिए कोटा इस प्रकार का हो जिससे खिलाड़ियों को प्रोत्साहन मिले।
बैठक में विद्यालयी शिक्षा एवं खेल मंत्री अरविंद पाण्डेय, सचिव आर मीनाक्षी सुन्दरम, बृजेश कुमार संत, निदेशक शिक्षा आर के कुंवर सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड भाजपा की कोर कमेटी की रविवार को आयोजित बैठक में विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई और सरकार व संगठन की दृष्टि से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
राजधानी देहरादून के बीजापुर अतिथि गृह में आयोजित कोर कमेटी की बैठक भाजपा के राष्ट्रीय सह-महामंत्री (संगठन) शिव प्रकाश, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार समेत कोर कमेटी के सभी सदस्य उपस्थित थे।
बैठक के बाद भाजपा अध्यक्ष भगत ने पत्रकारों को बताया कि पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्यों व मोर्चों के प्रदेश पदाधिकारियों व जिलाध्यक्षों की घोषणा अगले तीन दिन के भीतर कर दी जाएगी। पार्टी ने 16 अक्टूबर को जिला स्तर पर गठित होने वाली समन्यव समितियों के सदस्यों का एक दिवसीय प्रशिक्षण देहरादून में तय किया है। इन समितियों में सम्बंधित जिले के अध्यक्ष, महामंत्री, एक वरिष्ठ कार्यकर्त्ता, सम्बंधित विधायक व सांसद सदस्य होंगे। यह समितियां जिलों में पार्टी कार्यकर्ताओं व आम जनता से जुड़ी समस्याओं के निराकरण के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय के लिए गठित की गई हैं।
भाजपा द्वारा राजधानी में मसूरी रिंग रोड पर नए प्रदेश कार्यालय का निर्माण प्रस्तावित है। पार्टी नवरात्रि में 17 अक्टूबर को इसका भूमि पूजन व शिलान्यास करेगी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इस कार्यक्रम की वर्चुअल माध्यम से औपचारिक शुरुआत करेंगे।
भाजपा अध्यक्ष भगत ने पत्रकारों के सवालों का उत्तर देते हुए कहा कि बैठक में यह साफ़ निर्देश दिए गए हैं कि मंत्री, विधायक या पदाधिकारी कोई भी मामला होने पर उसे पहले पार्टी फ़ोरम पर कहेंगे न कि किसी अन्य स्थान पर। यदि इस बात का उल्लंघन किया जाता है तो वह अनुशासनहीनता की श्रेणी में माना जाएगा। विधायक पूरण फर्त्याल के प्रकरण में भगत ने कहा कि सांसद अजय भट्ट व अजय टम्टा उनसे बात करेंगे ।
भगत ने यह भी बताया कि जिलों के प्रभारी मंत्रियों से कहा गया है कि वे माह में कम से कम एक बार अपने प्रभार के जिलों का दौरा करें और वहां रात्रि विश्राम करें। साथ ही जिला समन्वय कमेटी की बैठकों में भाग लें। कार्यकर्ताओं से मिलें। इसके बाद वे प्रशासनिक बैठक करें।
कोर कमेटी की बैठक में सांसद अजय भट्ट, महारानी राज्य लक्ष्मी शाह, अजय टम्टा, तीरथ सिंह रावत, प्रदेश सरकार के मंत्री मदन कौशिक, डॉ धन सिंह रावत, महामंत्री राजेंद्र भंडारी, कुलदीप कुमार, पूर्व महामंत्री नरेश बंसल भी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत कुम्हार कला के लिए विद्युत चालित चाक वितरित किए। मुख्यमंत्री ने कहा कि माटी कला के लिए प्रदेश में एक प्रशिक्षण केन्द्र खोला जाएगा। माटी कला बोर्ड को मिट्टी गूंथने वाली 200 मशीने दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि मिट्टी के कार्यों से जुड़े शिल्पकारों का एक डाटा बेस बनना चाहिए। ऐसे स्थान चिन्हित किये जाएं, जहां पर इस शिल्प पर आधारित कार्य अधिक हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने राजधानी देहरादून में माटी कला बोर्ड के कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि तकनीक के साथ इस शिल्प को कैसे और उभारा जा सकता है, इस दिशा में प्रयासों की जरूरत है। युवा पीढ़ी आधुनिक तकनीक के कार्यों के महत्व को जानती है। हमें अपनी विशेषज्ञता वाले कार्यों से अपनी पहचान को बढ़ाना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्लास्टिक प्रतिबंधित होने से मिट्टी के उपकरणों की डिमांड बढ़ी है। त्योहारों का सीजन और उसके बाद हरिद्वार कुंभ में मिट्टी के उपकरणों की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ेगी। बाजार की मांग के हिसाब से पूर्ति की व्यवस्था हो। उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यालयों में भी मिट्टी के उपकरणों एवं गमलों के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
धर्मपुर के विधायक विनोद चमोली ने कहा कि माटी के कार्य से जुड़े लोगों के जीवन स्तर में सुधार की दिशा में सरकार कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि इन कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न मेलों में माटी कला बोर्ड के स्टाॅल लगने चाहिए। जिससे इस कार्य से जुड़े लोगों को अपने उत्पादों को बेचने में मदद मिलेगी।
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माटी कला बोर्ड के उपाध्यक्ष शोभाराम प्रजापति ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जो भी जन कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, सभी योजनाओं में गरीबों के हितों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने मिट्टी के कार्य से जुड़े लोगों की प्रमुख समस्याओं के बारे में जानकारी दी।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय, मेयर सुनील उनियाल गामा, भाजपा के महानगर अध्यक्ष सीताराम भट्ट, उद्योग निदेशक सुधीर नौटियाल आदि उपस्थित थे।
सांस के जरिए जल्द ही उस बैक्टीरिया का पता लगाने में मदद मिल सकती है, जो पेट को संक्रमित करते हुए गैस्ट्रेटिस के विभिन्न रूप और अंततः गैस्ट्रिक कैंसर पैदा करता है। वैज्ञानिकों ने सांस में पाए जाने वाला ‘ब्रेथप्रिंट’ नामक एक बायोमार्कर की मदद से एक बैक्टीरिया का शीघ्र पता लगाने का तरीका खोज निकाला है। यह बैक्टीरिया पेप्टिक अल्सर का कारण बनता है।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में जानकारी दी गई है कि भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान एस.एन.बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज, कोलकाता में डॉ.माणिक प्रधान एवं उनकी शोध टीम ने हाल ही में हेलिकोबैक्टर पाइलोरी का पता लगाने के लिए मानव द्वारा छोड़े गये सांस में अर्ध-भारी पानी (एचडीओ) में इस नए बायोमार्कर को देखा है। इस टीम ने मानव सांस में विभिन्न जल आण्विक प्रजातियों के अध्ययन का उपयोग किया है। इसे मानव द्वारा छोड़े गये सांस में अलग-अलग जल समस्थानिकों का पता लगाने की ‘ब्रीथोमिक्स’ विधि भी कहा जाता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा समर्थित तथा तकनीकी अनुसंधान केंद्र (टीआरसी) द्वारा वित्त पोषित यह शोध हाल ही में अमेरिकन केमिकल सोसाइटी (एसीएस) के ‘एनालिटिकल केमिस्ट्री’ जर्नल में प्रकाशित हुआ था।
हेलिकोबैक्टर पाइलोरी, एक आम संक्रमण है। इसका जल्दी इलाज नहीं कराए जाने पर यह गंभीर हो सकता है। आमतौर पर पारंपरिक एवं दर्दनाक एंडोस्कोपी तथा बायोप्सी परीक्षणों द्वारा इसका पता लगाया जाता है। इसे प्रारंभिक निदान (early diagnosis) एवं फॉलोअप के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। हमारा गैस्ट्रोइन्स्टेस्टाईनल (जीआई) ट्रैक शरीर में पानी के उपापचय (metabolism) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रकृति में पानी चार समस्थानिकों के रूप में मौजूद है। यह माना जाता है कि हमारे जीआई ट्रैक में किसी भी प्रकार का खराब या असामान्य जल-अवशोषण विभिन्न गैस्ट्रिक विकारों या अल्सर, गैस्ट्रेटिस, एरोशन तथा सूजन जैसी असामान्यताओं से जुड़ा हो सकता है। लेकिन अभी तक इसकी पुष्टि करने के लिए कोई स्पष्ट प्रायोगिक साक्ष्य नहीं मिला है।
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इस टीम के प्रयोगों ने व्यक्ति के पानी के सेवन की आदत के संदर्भ में मानव शरीर में अनोखे समस्थानिक-विशिष्ट जल- उपापचय (isotopic-specific water metabolism) के प्रत्यक्ष प्रमाण दिखाए हैं। उन्होंने दिखाया है कि मानव श्वसन की प्रक्रिया के दौरान छोड़े गये जलवाष्प के अलग-अलग समस्थानिक विभिन्न गैस्ट्रिक विकारों से दृढ़ता के साथ जुड़े होते हैं।
डॉ.माणिक प्रधान व उनकी टीम में शामिल शोध छात्रों मिथुन पाल व सयोनी भट्टाचार्य, वैज्ञानिक डॉ.अभिजीत मैती ने एएमआरआई अस्पताल, कोलकाता के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. सुजीत चौधरी के सहयोग से यह दिखाया कि जीआई ट्रैक्ट में असामान्य जल अवशोषण के समस्थानिक हस्ताक्षर विभिन्न विकारों की शुरुआत का पता लगा सकते हैं। इस टीम ने पहले ही विभिन्न गैस्ट्रिक विकारों तथा एच. पाइलोरी संक्रमण के निदान के लिए एक पेटेंट प्राप्त ‘पायरो-ब्रेथ’ उपकरण विकसित किया है, जिसके प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की प्रक्रिया चल रही है।
प्रदेश सरकार ने शनिवार को प्रदेश के नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायतों में पार्षदों का मनोनयन कर दिया है। मनोनीत पार्षदों की सूची इस प्रकार है –
नगर पालिका परिषद, कर्णप्रयाग -सुभाष चमोला
नगर पालिका परिषद, गोपेश्वर -त्रिलोक सिंह राणा, हरि प्रसाद ममगाईं
नगर पालिका परिषद, जोशीमठ – अंशुल भुजवाण
नगर पंचायत, नंदप्रयाग – आनंद सिंह झिंकवान
नगर पालिका परिषद, गौचर – प्रकाश शैली
नगर पंचायत,पोखरी – वत्सला सती
नगर पंचायत, गैरसैंण – लाजवती गौड़
नगर पंचायत, पिपलकोटी – कन्हैया लाल शाह
नगर पंचायत, थराली – नंदू बहुगुणा
नगर पालिका, रुद्रप्रयाग – सुनील नौटियाल
नगर पंचायत, अगस्त्यमुनि – चंद्रशेखर बेंजवाल
नगर पंचायत, उखीमठ – राजन सेमवाल
नगर पंचायत, तिलवाड़ा – उषा देवी रावत
नगर निगम, देहरादून– प्रशांत खरोला, विजेंद्र रावत, सुनीता थापा, मंजू कौशिक, भूपेंद्र ढौंडियाल, विमलेश ठाकुर, विनय रावत, सरला थापा, अनिल रस्तोगी, सतीश कपूर, स्वर्ण सिंह चौहान, राजकुमार कक्कड़, राकेश जुयाल, संजय खंडूरी, योगेंद्र नेगी, मनमोहन चमोली, सुंदर सिंह कोठाल, राजेश शंकर बिट्टू, विपिन राणा व संजय सिंघल
नगर पालिका, बागेश्वर– मोहन उप्रेती व मुन्ना पांडे
नगर पंचायत, कपकोट– दयाल सिंह ऐठानी
नगर निगम, रुद्रपुर– धीरेश गुप्ता, सुनील यादव, शलनी बोरा, मयंक कक्कड़, महावीर कश्यप, अजय मोर्य, राजकुमार कोली, बल्लबी विश्वास
नगर पंचायत, गूलरभोज– तरुण दुबे
नगर पंचायत, नानकमत्ता– धर्म सिंह बिष्ट
नगर पंचायत, शक्तिगढ़ – सुबल विश्वास
नगर पंचायत, केलाखेड़ा– महेंद्र कालरा
नगर पंचायत, दिनेशपुर – हिमांशु सरकार
नगर पंचायत, सुल्तानपुर पट्टी – राजेश सैनी
नगर पालिका परिषद, महुआखेड़ा गंज – शिवनाथ सिंह
नगर पालिका परिषद, उत्तरकाशी – पवना सेमवाल, मनोज चौहान
नगर पालिका परिषद, बड़कोट – मुकेश टम्टा
नगर पंचायत, पुरोला – बलदेव सिंह रावत
नगर पालिका परिषद, चिन्यालीसौड़ – सुरेन्द्र कुमार
नगर पंचायत, नौगांव – विजय सिंह रावत
नगर पालिका परिषद, टिहरी – गोपी राम चमोली, मीना सेमवाल
नगर पालिका परिषद, नरेंद्रनगर – भारत सिंह राणा
नगर पालिका परिषद, चंबा – अंकित सजवाण
नगर पालिका परिषद, देवप्रयाग – अतुल कोठियाल
नगर पंचायत, कीर्तिनगर – प्रेम प्रकाश मेहता
नगर पालिका परिषद, मुनिकीरेती – किशोर राणा , शोबिता भंडारी
नगर पंचायत, घनशाली – दरमियान सिंह रावत
नगर पंचायत, गजा – जोत सिंह चौहान
नगर पंचायत, लंबगांव – ममता पंवार
नगर पंचायत, चमियाला – नागचन्द पंवार
नगर पालिका परिषद, पिथौरागढ़ – रविंद्र बसेड़ा, रविंद्र जग, जीतेन्द्र नगरकोटी, विक्रम वाल्मीकि
नगर पालिका परिषद, धारचूला – राधा मर्तोलिया
नगर पंचायत, गंगोलीहाट – नीमा परगाई
नगर पालिका परिषद, डीडीहाट – मनोहर चुफाल
नगर पंचायत, बेरीनाग – मनीष पंत
नगर पालिका परिषद, रानीखेत – मदन सिंह कुवार्बी
नगर पंचायत, द्वाराहाट – तातीराम
नगर पालिका परिषद, अल्मोड़ा – अर्जुन बिष्ट, दीपक वर्मा
नगर पंचायत, भिकियासैंण – संजय अग्रवाल
नगर पालिका परिषद, टनकपुर – केदार जोशी, कलावती कापड़ी
नगर पालिका परिषद, चम्पावत – कैलाश चंद्र पांडे
नगर पंचायत, लोहाघाट – रेनू गड़कोटी
नगर पंचायत, बनबसा – संजय ठाकुर
नगर पालिका, नैनीताल – मनोज जोशी, राहुल पुजारी, तारा राणा
नगर पालिका, रामनगर – राम भरोसे लाल, सरिता महरा, औंकार सिंह, राकेश अग्रवाल
नगर पालिका, भवाली – नंदकिशोर पांडेय
नगर पंचायत, कालाढूंगी – गोधन सिंह सैनी
नगर निगम, हल्द्वानी -देवीदयाल उपाध्याय, प्रकाश पटवाल, मनीष ढींगरा, रेनू टंडन, देवेश अग्रवाल, गोविन्द सिंह बरती, बी डी जोशी, राधिका जोशी
नगर पंचायत, लालकुंआ – संजय अरोरा
नगर पंचायत, भीमताल – धर्मानंद जोशी
नगर पालिका, डोईवाला – नीलम नेगी, लच्छी राम लोधी, रोहित क्षेत्री, अनूप सोलंकी
नगर पालिका, हरबर्टपुर – प्रमोद गुप्ता
नगर पालिका, विकासनगर – राकेश जॉन, राजकुमार रोहिला
नगर निगम, ऋषिकेश – प्रमोद शर्मा, कमला गुनसोला, कमलेश जैन, अनीता प्रधान, प्रदीप कोहली, ऋषिकांत गुप्ता, संजीव पाल, राजू नरसीमा
नगर पालिका , पौड़ी – मोहन सिंह नेगी, पूनम नेगी
नगर पालिका, श्रीनगर – कुशाल सिंह, अनुसूया पटवाल
नगर पालिका, खटीमा – रेनू भंडारी, प्रदीप सचिन अग्रवाल, नीरज रस्तोगी, विमला बिष्ट
नगर पालिका,सितारगंज – अशोक रस्तोगी, डाल चंद राजपूत
नगर पालिका, किच्छा – सरन संधू, देवेंद्र शर्मा, सचिन जायसवाल, राजीव सक्सेना
नगर पालिका, बाजपुर – विमल शर्मा, रघुवीर सहोता
नगर पालिका, जसपुर – विमल चौहान, विमल वर्मा, कुलवंत सिंह, धर्मेंद्र जोशी
नगर निगम, काशीपुर – तेजबहादुर गुप्ता, मंजू यादव, पुष्कर बिष्ट, तेजवीर चौहान, रीती नागर, पंकज कांबोज, सुशील शर्मा, अजय कुमार
नगर पालिका, गदरपुर – सुरेश खुराना, संदीप बत्रा
नगर निगम, कोटद्वार – पंकज भाटिया, परशुराम, मालती बिष्ट, आशा डबराल, सुभाष केष्टवाल, गजेंद्र मोहन धस्माना, मंजुल डबराल, नन्द किशोर कुकरेती
नगर पंचायत, सतपुली – भगवती रावत
नगर पंचायत, जौंक – प्रेम चंद्र अवस्थी
नगर पालिका, दुगड्डा – राधेश्याम अग्रवाल