कोरोना महामारी के भीषण दौर में कई प्राइवेट अस्पतालों की लूट-खसोट और संवेदनहीनता के किस्से लगातार सुनाई दे रहे हैं। ये अस्पताल डॉक्टर को भगवान मानने के सिद्धांत के विपरीत मरीजों को हलाल का बकरा समझ रहे हैं। चिकित्सा को सेवा का माध्यम मानने के बजाय इन अस्पतालों में अक्सर मरीजों के साथ अमानवीय व संवेदनाओं को ताक पर रख कर व्यवहार किया जाता है। कई निजी अस्पताल मरीजों को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना व स्टेट गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम के तहत निःशुल्क इलाज तक नहीं दे रहे हैं।
ताजा प्रकरण राजधानी देहरादून स्थित अरिहंत एडवांस सर्जरी एण्ड फर्टिलिटी सेंटर से जुड़ा है। विगत दिवस यह अस्पताल तब चर्चाओं में आया था, जब राजधानी पुलिस ने ऑक्सीजन की अवैध रिफिलिंग का भंडाफोड़ करते हुए अरिहंत अस्पताल के मैनेजर इंद्रवीर सिंह राणा की इसमें संलिप्तता पाते हुए मुकदमा दर्ज किया। अब राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने इस अस्पताल के मालिक डॉ.अभिषेक जैन को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई), अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना (एएयूवाई) और स्टेट गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (एसजीएचएस) के अन्तर्गत सूचीबद्ध होने के बावजूद कोरोना मरीजों को निशुल्क (कैशलेस) उपचार न देने के मामले में नोटिस जारी कर अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने की चेतावनी दी है।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के निदेशक (हास्पिटल मैंनेजमेंट) डा.एके गोयल की ओर से भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि कई लोगों की ओर से शिकायत मिली है कि अरिहन्त एडवांस सर्जरी एण्ड फर्टिलिटी सेंटर सरकार की विभिन्न योजनाओं पीएमजेएवाई, एएयूवाई और एसजीएचएस में सूचीबद्ध् होने के बावजूद कोरोना के मरीजों को निशुल्क कैशलेस उपचार मुहैया नहीं करवा रहा है, जबकि राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट आदेश हैं कि इन योजनाओं के सूचीबद्ध अस्पतालों में कोरोना मरीजों का उपचार निःशुल्क किया जाना है।
नोटिस में कहा गया है कि जब राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अधिकारी इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन से मोबाइल फोन पर सम्पर्क करते हैं तो कोई प्रतिउत्तर नहीं दिया जाता। पत्र में कहा गया है कि यदि अस्पताल ने आगे पीएमजेएवाई, एएयूवाई और एसजीएचएस योजनाओं के तहत कोरोना मरीजों को उपचार निशुल्क नहीं किया तो अस्पताल की सूचीबद्धता समाप्त करने के साथ ही अस्पताल के खिलाफ क्लीनिकल इस्टेबलिश्मेंट एक्ट के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसकी जिम्मेदारी अस्पताल प्रबंधन की होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप श्री बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट आध्यात्मिक नगरी के रूप में विकसित करने के लिए भारत सरकार के तेल व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सार्वजनिक प्रतिष्ठानों और उत्तराखंड सरकार के श्री केदारनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट के बीच गुरूवार को लगभग 100 करोड़ के कार्यों के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए।
वर्चुअल माध्यम से आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय तेल व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। तेल व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सार्वजनिक प्रतिष्ठान – इंडियन आयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, ओएनजीसी तथा गैस ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया द्वारा बद्रीनाथ धाम में पहले चरण की विकास गतिविधियों में 99.60 करोड़ रूपये की धनराशि दी जाएगी।
Oil PSUs have committed ₹100 crore towards the Badrinath development master plan and will be undertaking several works for the beautification of the temple & its surroundings, including pilgrim and environment-friendly amenities, water supply, sewage management among others. pic.twitter.com/UINWqsZola
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) May 6, 2021
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि उत्तराखंड स्थित चार धाम आध्यात्मिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक कारणों से लाखों लोगों के हृदय के निकट है। उन्होंने कहा कि तेल और गैस क्षेत्र के सार्वजनिक प्रतिष्ठान न केवल बद्रीनाथ का विकास कार्य करेंगे, बल्कि केदारनाथ, उत्तरकाशी, यमुनोत्री तथा गंगोत्री के विकास का हिस्सा भी बनेंगे।
तेल और गैस क्षेत्र के सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के प्रयासों की सराहना करते हुए प्रधान ने कहा कि ये प्रतिष्ठान बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट आध्यात्मिक नगर के रूप में विकसित करने के प्रधानमंत्री मोदी के विजन को साकार करने के लिए आगे आए हैं। पर्यटन प्रमुख उद्योग है, जो राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बद्रीनाथ जैसे स्थलों के विकास से और अधिक संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री तीरथ ने कहा प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा व मार्गदर्शन में वर्ष 2013 में आई आपदा के बाद केदारनाथ में पुनर्निर्माण के कार्य शुरू हुए थे जो कि अब अपने अंतिम चरणों में हैं। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री ने बद्रीनाथ धाम के कायाकल्प का भी निर्णय लिया। बद्रीनाथ में आगामी 100 वर्षों की आवश्यकताओं के मद्देनजर सुविधाओं का विकास चरणबद्ध तरीके से किया जाना है। उन्होंने बद्रीनाथ धाम के विकास में सहयोग के लिए केंद्र सरकार का आभार भी जताया।
प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि श्री बद्रीनाथ धाम का धार्मिक के साथ ही आर्थिक महत्व भी है। यहां से हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता है। उन्होंने कहा कि पुनर्निर्माण कार्यो के दौरान हमें इस बात का भी ध्यान रखना है कि यहां पर पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के पश्चात प्रारंभ हुई हिंसा का आलम यह है कि देश की सीमाओं पर तैनात रक्षकों के घरों को भी नहीं बख्शा गया है। सीमा पर तैनात रक्षकों के घरों पर भी हमले हो रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के गुंडों ने दो अलग-अलग स्थानों पर बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) के जवानों के घरों पर हमले किए और तोड़फोड़, आगजनी व मारपीट की घटना को अंजाम दिया। जवानों या उनके घरवालों पर हमला किया गया। उनका कसूर केवल इतना, कि परिवार ने भाजपा का समर्थन किया।
वरिष्ठ पत्रकार बृजेश कुमार सिंह ने घटनाओं के संबंध में सिलसिलेवार ट्वीट किए हैं। पहला मामला जलपाईगुड़ी जिले के रानीरहाट क्षेत्र का है, जहां छुट्टी पर आए बीएसएफ के जवान कमल सेन के घर पर टीएमसी से जुड़े गुंडों ने हमला बोला। कमल और परिवार वालों के साथ मारपीट कर उन्हें घायल किया। घर, ट्रैक्टर और बाइक में आग लगा दी। घायल जवान सिलिगुड़ी के अस्पताल में भर्ती है।
सरहद की रक्षा करने वाली @BSF_India के जवान सुशांत बर्मन के कूचबिहार वाले घर की ये तस्वीरें है, जहां जमकर तोड़फोड़ की गई है, लूट मचाई गई है। सुशांत का भाई बीजेपी का समर्थक है, इसलिए टीएमसी के हिंसक कार्यकर्ताओं के तांडव का शिकार उसका परिवार हुआ है और घर छोड़कर भागने को मजबूर है। https://t.co/mNOqcLRxHV pic.twitter.com/oFk6MbFnJq
— Brajesh Kumar Singh (@brajeshksingh) May 5, 2021
दूसरी घटना कूचबिहार की है, जहां सुशांत बर्मन नामक बीएसएफ जवान के घर पर हमला किया गया है और लूटपाट की गई है। इस कारण जवान के परिवार के सदस्य जान बचाने के लिए घर छोड़कर चले गए हैं, उनकी जान को ख़तरा है। हमले का कारण यह था कि जवान का भाई भाजपा समर्थक है, इसलिए ये हमला किया गया। इस मामले में शिकायत भी दर्ज हुई है।
दोनों घटनाएं ये बताने के लिए काफी हैं कि पश्चिम बंगाल में हालात क्या हैं। अगर सीमा पर तैनात रक्षकों का परिवार और मकान ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम आदमी की कौन सुनेगा। सीमा पर तैनात जवान लफंगों, गुंडों और घुसपैठियों से देश को बचाते हैं, पर आज उनके अपने घर सुरक्षित नहीं हैं।
बृजेश कुमार सिंह के अनुसार बीएसएफ के उच्चाधिकारियों ने दोनों ही मामलों में स्थानीय प्रशासन और पुलिस से कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। देखना ये होगा कि ममता बनर्जी के बंगाल में खुद सीमा रक्षकों के परिवारों को न्याय मिलेगा या नहीं, वो भी अगर हमले करने वाले उनकी खुद की पार्टी TMC के कार्यकर्ता हों।
- सुभाष चमोली
उत्तराखंड की सल्ट विधानसभा के प्रतिष्ठापूर्ण उपचुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बाजी मार ली। रविवार को हुई मतगणना में भाजपा प्रत्याशी महेश जीना ने कांग्रेस प्रत्याशी गंगा पंचोली को 4697 मतों से पराजित किया।
चुनाव में भाजपा प्रत्याशी जीना को 21,874 जबकि कांग्रेस की गंगा को 17,177 मत प्राप्त हुए। उप चुनाव में भाजपा, कांग्रेस समेत कुल सात प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। इस सीट पर मतदान 17 अप्रैल को हुआ था। चुनाव में कुल 43.28 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।

महेश जीना
भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के मृत्यु के बाद खाली हुई इस सीट पर पार्टी ने उनके बड़े भाई महेश जीना को अपना प्रत्याशी बनाया था, जबकि कांग्रेस पार्टी ने विगत विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दे चुकीं गंगा पंचोली को फिर से मैदान में उतारा था।
उत्तराखंड में अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में सल्ट विधानसभा उपचुनाव दोनों ही पार्टियों भाजपा व कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ था। उपचुनाव प्रदेश के नव नियुक्त मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के लिए इम्तिहान भी था। उनके नेतृत्व में यह कोई भी पहला चुनाव था। सल्ट के परिणामों ने उनके नेतृत्व पर मोहर मार दी और कोरोना काल में उन्हें घेर रहे विपक्ष को भी बड़ा झटका दे दिया है।

गंगा पंचोली
उधर, सत्ता में वापसी के लिए छटपटा रही कांग्रेस के लिए सल्ट उपचुनाव के परिणाम किसी सदमे से कम नहीं है। सल्ट में कांग्रेस ही नहीं, अपितु पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की साख भी दांव पर लगी थी। कांग्रेस प्रत्याशी गंगा पंचोली को हरीश रावत के गुट का माना जाता है। इन चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस की राजनीति में नेतृत्व की लड़ाई के और तेज होने के आसार हैं।
उल्लेखनीय है कि हरीश रावत अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की बात उठा चुके हैं। इसके बाद हरीश रावत के समर्थकों द्वारा लगातार उनके नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ाई जाने की मांग की जा रही थी। मगर सल्ट उपचुनावों से उनकी इस मुहिम को निश्चित ही धक्का पहुंचा है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सीएम राहत कोष से आशा कार्यकत्रियों को एक-एक हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही शादियों में 25 लोगों से अधिक को अनुमति नहीं होगी।
यह निर्देश मुख्यमंत्री ने शनिवार को सचिवालय में कोविड -19 को लेकर एक बैठक में दिए। बैठक में शासन के उच्च अधिकारियों के अलावा वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से सभी जिलों के जिलाधिकारी भी जुड़े हुए थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार खुलने के समय को जिलाधिकारी अपने अनुसार घटा सकते हैं। उन्होंने डोर-टू-डोर सर्वे के भी निर्देश दिए।
इसके साथ ही 104, सीएम हेल्पलाइन व पुलिस विभाग के कॉल सेंटर में फोन लाईनों की संख्या बढ़ाने को कहा। उन्होंने कहा कि कॉल सेंटर और हेल्पलाईन पूरी तरह से सक्रिय रहें और बेड, इंजेक्शन सम्बंधी जानकारी भी अपडेट रखें।
उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन के सिलेंडरों की संख्या बढ़ाने के लिये हर सम्भव कोशिश की जाए। इसमें विभिन्न संगठनों, उद्योगों की सहायता भी ली जा सकती है। कोविड अस्पतालों में भर्ती मरीजों को भोजन, पानी जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने में कोई ढिलाई न हो। इसके साथ ही छोटे- छोटे स्थानों में भी सेनेटाइजेशन का काम किया जाए, जहां संक्रमण की अधिक सम्भावनाएं हैं ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड टेस्ट की रिपोर्ट में समय न लगे। टेस्ट होते ही तुरंत सभी को कोविड किट दिया जाए। ई-संजीवनी पोर्टल को और प्रभावी बनाते हुए प्रचारित किया जाए ताकि जन सामान्य उसका अधिक लाभ उठा सके। होम आइसोलेशन में रहने वालों को मालूम होना चाहिए कि उन्हें किन बातों का ध्यान रखना है।
सीएम ने कहा कि सरकारी व निजी अस्पतालों में कोविड मरीजों की व्यवस्था को लगातार क्रास चैक करवाया जाए। संबंधित मरीजों और उनके परिजनों से इसका फीड बैक लिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कोविड मरीज़ों हेतु एम्बुलेंस की दरें निर्धारित करने और ओवररेटिंग जैसी शिकायतों को दूर करने के लिए कहा। दवाओं की कालाबाजारी को रोकने के लिए 147 एसटीएफ टीमें बनाई गई हैं।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार, डीजीपी अशोक कुमार, सचिव अमित नेगी, शैलेश बगोली, डाॅ पंकज कुमार पाण्डेय, सूचना महानिदेशक रणबीर सिंह चौहान सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
- सुयश त्यागी
स्वतंत्र पत्रकार व लेखक
सोशल मीडिया का उदय कुछ लोगों के लिए सिर्फ मनोरंजन का एक साधन हो सकता है, पर जब हम वैश्विक पटल पर इसका प्रभाव देखेंगे तो किसी भी लोकतांत्रिक देश के संविधान में दी हुई अभिव्यक्ति की आजादी की कल्पना के वास्तविक स्वरूप इसके उदय के बाद ही बल मिला है। आज हर व्यक्ति के पास समाज के समक्ष अपनी बात रखने की एक ताकत है, एक आवाज है और ना जाने कब उसकी आवाज, एक सामूहिक आवाज का रूप बन जाये, उसकी कल्पना करना भी मुश्किल है।
देश में कई प्रतिभाशाली लोगों को सोशल मीडिया के माध्यम एक ऐसा मंच मिला है, जिसके चलते उनमें छुपी रचनात्मकता व सृजनशीलता का समाज से परिचय हुआ है। आज समाज में ऐसे ही होनहार कई सोशल मीडिया सेलेब्स ने अपना एक खास स्थान बना रखा है। आज एक वर्ग ऐसा भी है, जो ना ही कोई न्यूज़ देखता और ना ही कोई अखबार पढ़ता है पर इन सोशल मीडिया की जानी-मानी हस्तियों से अनेक प्लेटफार्म पर देश भर की गतिविधियों की जानकारी प्राप्त कर लेता है। यहां तक देश के कई पीड़ितों को सोशल मीडिया पर आंदोलन खड़े करने से ही परिणाम मिले हैं।
कभी एक दौर हुआ करता था, जब टी.वी और अखबार पर आने वाली सभी खबरों को सच माना जाता था। किसी भी व्यक्ति के पास उस पर विश्वास करने के अलावा कोई विकल्प ना था। उसकी प्रमाणिकता जांचने का कोई माध्यम ही ना था। पर आज हर व्यक्ति के पास सही-गलत तय करने की एक ताकत है और यही निष्पक्ष ताकत कभी-कभी देश में बड़े सकारात्मक बदलाव लेकर आती है।
हाल हीं में सोशल मीडिया पर एक खबर चली। भारत के लोगों को वैक्सीन उपलब्ध नही हो रही और सरकार विदेशों में निर्यात कर रही है। वास्तव में आधा सत्य कभी-कभी झूठ से भी अधिक घातक होता है और इस वाकये पर कई पोस्ट आपने जरूर देखी होगी, किसी ना किसी व्यक्ति ने अज्ञानवश या अपने तय एजेंडा तहत ये पोस्ट की ही होगी, जो आपके फ़ेसबुक, ट्विटर या इंस्टाग्राम से होकर एक ना एक बार जरूर गुजरी होगी। हम क्यों खबरों को ऊपरी सतह पर ही परखकर सत्य मान लेते है, आखिर गूगल पर फैक्ट चेक करने में समय ही कितना लगता है ? हम एकाउंट से गलत खबर चला देंगे पर थोड़ा समय निकालकर उसकी प्रमाणिकता नही देखेंगे।
वैक्सीन के विषय में बात करें, तो अभी हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने एक साक्षात्कार में बताया वैश्विक स्तर पर देशों के बीच अनेक करार होते है और देशों के बीच का व्यापार वैश्विक बाजार की शर्तों पर होता है ना कि घरेलू शर्तों। वैक्सीन बनाने के लिए लगने वाला कच्चा माल कई देशों से लिया जा रहा, उसके तहत उत्पादन के बाद उन्हें कुछ वैक्सीन देने का करार हुआ था, जिसके तहत ये निर्यात हुए है। अगर हम करार तोड़ेंगे तो विदेशों से आने वाला कच्चा माल रुक जाएगा और वैक्सीन के उत्पादन के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
पहले जब वैक्सीन लगवाने लोग आ नही रहे थे। उत्पादन लगातार बढ़ रहा था तब एक-दो देशों को वैक्सीन दी भी गई। पर जब से भारत के लोगों में वैक्सीन लगवाने के लिए जागरूकता आई है, लगभग पूरा उत्पादन भारत में ही लगाया जा रहा है। ऐसी भ्रामक खबरे चलाने वाला यह वही वर्ग है जो कुछ समय पूर्व देश में वैक्सीन के कारगर ना होने का आरोप लगा रहा था। जगह-जगह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जनता से वैक्सीन ना लगवाने का आग्रह कर रहा था और आज फिर करार के तहत हो रहे निर्यात पर प्रश्न उठाकर भारत की छवि धूमिल कर रहा है। यह वही वर्ग है जिसने समाजवाद और साम्यवाद का चोला ओढ़कर उद्योगों और मशीनों का विरोध कर सालों तक भारत को सुविधा और तकनीक विहीन रखा और आज ऑक्सीजन की आपूर्ति कर रहे उद्योगों पर भी मनमानी का दोषरोपण कर राजनीति का निष्कृष्ट रूप प्रस्तुत कर रहा है।
भारत की जनता को फिजूल के मुद्दों पर उलझाकर देश में एक नकारात्मक वातावरण बनाना ही इनका एक मात्र लक्ष्य है। ये वर्ग आपको अपने वर्षों तक रहे कार्यकाल पर सवाल नही करने देगा। वह यह नही बताएगा आजादी के इतने वर्ष बाद भी स्वास्थ्य और शिक्षा की बात करने वाले दल ने कितने एम्स और शैक्षिक संस्थान खोले। वह यह भी नही बताएगा कि अफजल की फांसी से लेकर बाटला हाउस एनकाउन्टर पर आंसू बहाने की जगह अगर समय रहते देश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर ही गंभीरता से ध्यान दिया जाता तो शायद आज ये हालात ना होते। वर्तमान में महाराष्ट्र में सौ करोड़ की मासिक वसूली का प्रसंग हो या फिर 2014 के पहले हो रहे लाखों करोड़ों के घोटालों का, आपको ये वर्ग बस जातीय ध्रुवीकरण व सामाजिक तुष्टिकरण का ही गलत स्वरूप दिखाता रहेगा और देश व समाज को विभिन्न वर्गों में बांटने का प्रयास करता रहेगा।
हाल ही में एक जाने माने पत्रकार ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट से एक टेंट के नीचे लेटे कुछ मरीजों की फोटो साझा की, जिन्हें बॉटल व ऑक्सीजन लगी हुई थी। उस पर हेडिंग दी गुजरात का स्वास्थ्य मॉडल। उनकी उसी पोस्ट पर एक दूसरे पत्रकार ने पूछा आखिर गुजरात के किस जिले की खबर है? उन्होंने जवाब दिया – जिला तापी गुजरात। कुछ देर बाद दूसरे पत्रकार ने उस चित्र से जुड़ा एक वीडियो शेयर किया और उस पर लिखा – ये मेरे द्वारा की हुई रिपोर्टिंग है और ये तस्वीर नवापूर महाराष्ट्र से है, ना कि गुजरात से। अपनी किरकिरी होते देख मजबूरन पत्रकार महोदय को अपनी पोस्ट हटानी पड़ी।
ऐसे एजेंडा आधारित प्रसंगों को देख आज सोशल मीडिया की बढ़ती ताकत के साथ उसके दुरुपयोग की भी अधिक चिंता है। देश के प्रत्येक नागरिक का जागरूक व टेक्नोलॉजी से यूजर फ्रेंडली होना आज डिजिटल दुनिया के युग में एक बड़ी जिम्मेदारी है। इस बढ़ती जिम्मेदारी के साथ हमारा देश आज एक महामारी से भी गुजर रहा है। ऐसे में जब व्यक्ति घरों में बंद हो, करने को कोई काम ना हो, हर तरफ दहशत का मौहाल हो, तो जाहिर सी बात है, यही उसका मनोरंजन का अंतिम व आसान विकल्प होगा। ऐसे में फेक न्यूज़ की मंडियां भी अपने जोरों पर है। कब वहां से कोई फेक न्यूज़ पढ़कर वो अपने परिचितों को भेज दे, उसे कुछ खबर ही नही होती।
आज देश की अधिकांश जनता इन भ्रामक खबरों के चलते कोरोना एक्सपर्ट भी बन बैठी है, जो कभी-कभी अपने घर पर ही किसी कोरोना से पीड़ित मरीज का व्हाट्सएप्प के माध्यम से प्राप्त जानकारी के आधार पर ही उपचार शुरू कर देती हैं। इन नादानियों से आज हमें स्वयं भी बचना है व समाज को भी बचाना है। सभी राज्य व केंद्र की सरकार व अनेक सामाजिक संस्थाओं द्वारा विशषज्ञों के नंबर लगातार जारी किये जा रहे हैं। बिना सोचे समझे और डॉक्टर के परामर्श के बिना हमें किसी भी प्रकार के प्रयोग से बचना चाहिए और शासन द्वारा जारी किये गए निर्देशों का ही पूर्ण रूप से पालन कर देश व समाज की भलाई में अपना योगदान देना चाहिए।
भारत सरकार ने देश में रेमेडिसविर की कमी को दूर करने के लिए दूसरे देशों से इस महत्वपूर्ण दवा का आयात शुरू किया है। इसके तहत शुक्रवार को रेमेडिसविर की 75,000 शीशियों की पहली खेप भारत पहुंचेगी।
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में जानकारी गई है कि भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड ने अमेरिका के मेसर्स गिलियड साइंसेज इंक और मिस्र की मेसर्स ईवीए फार्मा को रेमेडिसविर की 4,50,000 शीशियां बनाने का ऑर्डर दिया है। अमेरिका से अगले एक या दो दिनों में 75,000 से 1,00,000 शीशियां भारत पहुंचेगी। इसके अलावा 15 मई से पहले एक लाख शीशियों की आपूर्ति की जाएगी। साथ ही ईवीए फार्मा शुरुआत में लगभग 10,000 शीशियों की आपूर्ति करेगी, जिसके बाद हर 15 दिन या जुलाई तक 50,000 शीशियां मिलेंगी।
https://twitter.com/DVSadanandGowda/status/1388069953547374594
सरकार ने देश में भी रेमेडिसविर की उत्पादन क्षमता को बढ़ा दिया है। 27 अप्रैल तक सात लाइसेंस प्राप्त घरेलू निर्माताओं की उत्पादन क्षमता प्रति माह 38 लाख शीशियों से बढ़कर 1.03 करोड़ शीशियों प्रति माह हो गई। पिछले सात दिनों में दवा कंपनियों द्वारा देश भर में कुल 13.73 लाख शीशियों की आपूर्ति की गई है। दैनिक आपूर्ति 11 अप्रैल को 67,900 शीशियों से बढ़कर 28 अप्रैल को 2.09 लाख शीशियों तक पहुंच गई है। गृह मंत्रालय द्वारा रेमेडिसविर आपूर्ति को सुचारू रूप से करने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एडवाजरी जारी की गई थी।
सरकार ने भारत में इसकी उपलब्धता बढ़ाने के लिए रेमेडिसविर के निर्यात पर भी रोक लगा दी। आम लोगों के बीच इंजेक्शन की लाभप्रदता सुनिश्चित करने के लिए, एनपीपीए ने इस माह 17 अप्रैल को संशोधित अधिकतम खुदरा मूल्य जारी किया, जिससे सभी प्रमुख ब्रांडों की लागत 3500 रुपये प्रति शीशी से नीचे आ गई।
रेमेडिसविर के उत्पादन तेजी से बढ़ाने और उपलब्धता को आसानी से सुनिश्चित बनाने के लिए, राजस्व विभाग ने 20 अप्रैल को अधिसूचना जारी कर रेमेडिसविर इंजेक्शन पर सीमा शुल्क की पूरी तरह से खत्म करने का ऐलान किया था। इसके साथ ही रेमेडिसविर के निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले एपीआई और बीटा साइक्लोडोडेक्सट्रिन पर भी यह छूट दी गई थी। सीमा शुल्क में यह छूट इस वर्ष 31 अक्टूबर तक लागू रहेगी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसस) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि कोरोना के क्रूर प्रहार से देश के कई हिस्से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस महामारी से निपटने में समाज के सभी लोगों का सहयोग आवश्यक है। कोरोना के प्रकोप पर शासन-प्रशासन व समाज के समन्वित प्रयास से ही भारत विजय प्राप्त करेगा।
आंबेकर ने नयी दिल्ली में डिजिटल माध्यम से आयोजित प्रेस वार्ता में संघ तथा सेवा भारती द्वारा चलाए जा रहे सेवा कार्यों के संबंध में जानकारी दी और कहा कि हमेशा की तरह संघ व सेवाभारती सहित अन्य संगठन व संस्थाएं प्रभावित क्षेत्रों व परिवारों में राहत पहुंचाने के काम में जुटे हैं। संघ की पहल पर आवश्यकता के अनुसार अभी बारह प्रकार के कार्य प्राथमिकता से प्रारंभ हुए हैं।
उन्होंने कहा कि कोविड के संभावित लोगों हेतु आइसोलेशन केंद्र व पॉज़िटिव रोगियों हेतु कोविड केअर (सेवा) केंद्र, सरकारी कोविड केंद्र व अस्पतालों में सहायता, सहायता हेतु दूरभाष (हेल्पलाइन नंबर), रक्तदान, प्लाज्मादान, अंतिम संस्कार के कार्य, आयुर्वेदिक काढ़ा वितरण, समुपदेशन (काउंसलिंग), ऑक्सीजन आपूर्ति व एम्बुलेंस सेवा, भोजन, राशन व मास्क तथा टीकाकरण अभियान व जागरूकता जैसे आवश्यक कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर तत्काल कई प्रांतों में स्वयंसेवकों द्वारा प्रारंभ किया गया है। स्थानीय प्रशासन की भी हर संभव सहायता की जा रही है ताकि सभी मिलकर इस चुनौती पर विजय प्राप्त कर सकें।
उन्होंने बताया कि इंदौर में संघ की पहल पर शासन, निजी अस्पताल, राधा स्वामी संत्संग आदि के सहयोग से दो हज़ार बिस्तर का कोविड केंद्र शासन व समाज के समन्वित कार्य का उत्कृष्ट उदाहरण बन गया है। संघ के स्वयंसेवकों द्वारा अभी 43 प्रमुख शहरों में कोविड सेवा केंद्र चलाए जा रहे हैं तथा अन्य 219 स्थानों पर कोविड अस्पतालों में प्रशासन का सहयोग किया जा रहा है। टीकाकरण हेतु दस हजार से अधिक स्थानों पर जागरूकता अभियान के साथ 2442 टीकाकरण केंद्र अभी तक प्रारंभ किए गए हैं।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि आवश्यकता के अनुसार प्लाज्मा व रक्तदान में सहयोग किया जा रहा है। कुछ स्थानों पर संभावितों की सूची भी बनी है। दिल्ली में रक्तदाताओं की सूची उपलब्ध है। पूणे में जनजागरण अभियान के माध्यम से 600 लोगों ने प्लाज्मा डोनेट किया, जिससे 1500 लोगों का जीवन बचाने में सहायता मिली। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि विभिन्न शहरों में बुजुर्गों व अकेले रहने वालों को ध्यान में रखते हुए हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं। इनके माध्यम से जरूरतमंदों को आवश्यक सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि संघ कोरोना की महामारी में दिवंगत सभी को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों, ऑक्सीजन आदि सामग्री की आपूर्ति में लगे कर्मचारी, सुरक्षा व स्वच्छता कर्मियों सहित सभी कोरोना योद्धाओं का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमारे समाज की संवेदना व सक्रियता अद्भुत है। अपनी जान जोखिम में डालकर संकट की स्थिति में कार्य कर रहे हैं। परिस्थिति भले ही विकट हो, भारत में समाज की शक्ति भी विशाल है।
उत्तराखंड में कोविड के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा को स्थगित करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि धामों के कपाट निर्धारित समय पर ही खुलेंगे और तीर्थ-पुरोहित मंदिरों में नियमित रूप से पूजा-पाठ करेंगे। लेकिन श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर चारधाम यात्रा को स्थगित रखने का निर्णय लिया गया है।
उल्लेखनीय है की प्रदेश में स्थित चारधामों बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री की यात्रा अगले माह 14 मई से शुरू होनी थी। परंपरानुसार 14 मई को गंगोत्री व यमुनोत्री, 17 मई को केदारनाथ तथा 18 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने हैं। मगर इस बार कोविड की परिस्थितियों के मद्देनजर राज्य सरकार ने चारधामों के कपाट निर्धारित तिथियों पर खोलने की घोषणा के साथ यात्रा पर आम श्रद्धालुओं के लिए प्रतिबंध लगा दिया है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखंड में भी लगातार कोविड के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। लोगों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। राज्य सरकार की ओर से कोविड-19 से लड़ाई के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) April 29, 2021
गुरूवार को अपने कैंप कार्यालय में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम यात्रा को स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा की किसी को अनुमति नहीं होगी। केवल तीर्थ पुरोहितों को ही नियमित पूजा-पाठ की अनुमति होगी। स्थानीय लोग भी मंदिरों में पूजा-पाठ के लिए नहीं जा सकेंगे।
उन्होंने कहा कि चारधाम के पट नियमित समय पर ही खुलेंगे और तीर्थ-पुरोहित ही पूजा करेंगे। बाकी देश के लोगों के लिए चारधाम यात्रा अभी बंद है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में इस समय कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। उत्तराखण्ड में भी लगातार कोविड के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे समय में सरकार पूरी तरह से सजग है और इसी क्रम में तय हुआ है कि अभी चारधाम यात्रा को स्थगित रखा जाए। उन्होंने कहा कि लोगों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। राज्य सरकार की ओर से कोविड-19 से लड़ाई में हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने गुरुवार को गढ़ी कैंट स्थित कैम्प कार्यालय से 108 सेवा के 132 वाहनों को विभिन्न जिलों के लिए रवाना किया।
प्रदेश सरकार द्वारा यूडीआरपी-एफ के माध्यम से 132 एम्बुलेन्स को स्वास्थ्य महानिदेशालय को फरवरी एवं मार्च माह में उपलब्ध कराया गया था। सरकार द्वारा इन 132 नवीन एम्बुलेंस को 108 के बेड़े में शामिल कर कुंभ मेला 2021 में संचालित किया जा रहा था।
मुख्यमंत्री ने अपने कैम्प कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में इन वाहनों को झंडी दिखाकर 13 जनपदों के लिए रवाना किया। 132 एम्बुलेंस में 36 एडवांस लाइफ सपोर्ट एवं 96 बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस हैं।
इनमें अल्मोड़ा को 10, बागेश्वर को 5, चमोली को 9, चंपावत को 5, देहरादून को 13, हरिद्वार को 20, नैनीताल को 10, पौड़ी को 11, पिथौरागढ़ को 9, रुद्रप्रयाग को 5, टिहरी को 9, उधमसिंहनगर को 17 व उत्तरकाशी को 9 एम्बुलेंस उपलब्ध कराई गई हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता को चाहिए कि वे कोविड गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन करें। मास्क लगाने के साथ ही दो गज की दूरी का पालन करें और समय-समय पर हाथों को साबुन से धोते रहें। उन्होंने कहा कि बीमारी के लक्षण आते ही सजग रहने की जरूरत है और कोविड अनुरूप व्यवहार अपनाकर अपना इलाज कराएं।
तीरथ ने कहा कि प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। जिस किसी अस्पताल को ऑक्सीजन की आवश्यकता हो रही है वहां तत्काल ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि इसके लिए नोडल अधिकारी भी नामित कर दिए गए हैं। जनता को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश को दो दिन पहले 7500 रेमिडीसीवीर इंजेक्शन की आपूर्ति हो चुकी है और इससे पहले भी 3500 रेमिडीसीवीर इंजेक्शन की आपूर्ति हुई थी। सरकार पूरी तरह से हालातों पर नजर बनाए हुए है। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी भी मौजूद रहे।