भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मानवधिकार संगठन ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया’ के रुख और बयान को दुर्भाग्यपूर्ण, अतिश्योक्तिपूर्ण और सच्चाई से परे बताया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि संगठन द्वारा मानवीय कार्य और सत्य की ताकत को लेकर की जा रही बयानबाजी सिर्फ अपनी गतिविधियों से ध्यान हटाने की चाल है। मंत्रालय ने कहा कि संगठन स्पष्ट रूप से भारतीय कानूनों की अवहेलना में लिप्त रहा है। एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा पिछले कुछ वर्षों में बरती गईं अनियमितताओं और अवैध कार्यों की कई एजेंसियां जांच कर रही हैं। ऐसे बयान देकर वह जांच को प्रभावित करने के प्रयास भी कर रहा है।
घरेलू मामलों में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार शाम को बयान जारी कर कहा कि संगठन भारत में मानवीय कार्य जारी रखने के लिए स्वतंत्र है, जिस तरह से अन्य संगठन कर रहे हैं। भारत के कानून विदेशी चंदे से वित्त पोषित संस्थाओं को घरेलू राजनीतिक बहस में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं देते हैं। यह कानून सभी पर समान रूप से लागू होता है और इसी तरह एमनेस्टी इंटरनेशनल पर भी लागू होगा।
कई बार आवेदन के बावजूद FCRA की अनुमति नहीं
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि एमनेस्टी इंटरनेशनल को विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (Foreign Contribution (Regulation) Act, FCRA) के अंतर्गत सिर्फ एक बार और वह भी 20 साल पहले दिसंबर, 2000 में स्वीकृति दी गई थी। तब से अभी तक एमनेस्टी इंटरनेशनल के कई बार आवेदन करने के बावजूद पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा FCRA स्वीकृति से इनकार किया जाता रहा है, क्योंकि कानून के तहत वह इस स्वीकृति को हासिल करने के लिए पात्र नहीं है। एमनेस्टी के प्रति अलग-अलग सरकारों का यह कानूनी दृष्टिकोण स्पष्ट करता है कि अपने कामकाज के लिए पैंसा हासिल करने की उसकी प्रक्रिया संदिग्ध है।
गैर कानूनी तरीके से हासिल किया विदेशी फंड
केंद्र सरकार के अनुसार FCRA नियमों को दरकिनार करते हुए एमनेस्टी यूके ने भारत में पंजीकृत चार संस्थाओं को बड़ी मात्रा में धनराशि भेजी और इसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के रूप में दिखाया गया। इसके अलावा एमनेस्टी इंडिया को FCRA के तहत गृह मंत्रालय की मंजूरी के बिना बड़ी मात्रा में विदेशी धन प्रेषित किया गया। गलत रास्ते से धन भेज कर कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन किया गया।
केंद्र सरकार के प्रति अभूतपूर्व भरोसा
गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत मुक्त प्रेस, स्वतंत्र न्यायपालिका और जीवंत घरेलू बहस के साथ संपन्न और बहुलतावादी लोकतांत्रिक संस्कृति वाला देश है। भारत के लोगों ने वर्तमान सरकार में अभूतपूर्व भरोसा दिखाया है। गृह मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कानूनों के पालन करने में विफल रहने के बाद एमनेस्टी को भारत के लोकतांत्रिक और बहुलतावादी स्वभाव पर टिप्पणियां करने का अधिकार नहीं मिल जाता है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत में बंद किया कामकाज
इससे पहले, एमनेस्टी इंटरनेशनल की भारत स्थित इकाई ने मंगलवार सुबह अपनी वेबसाइट पर एक बयान जारी कर बताया कि उसने देश में अपना कामकाज रोक दिया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक अविनाश कुमार ने कहा कि भारत सरकार द्वारा एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के बैंक खातों को पूरी तरह से फ्रीज कर दिया गया है, जिसकी जानकारी 10 सितंबर 2020 को हुई। इससे संगठन द्वारा किए जा रहे सभी काम पूरी तरह से ठप हो गए हैं। एमनेस्टी ने इसे सरकार की ओर बदले की कार्रवाई बताया और कहा कि सरकार उसके पीछे पड़ गई है। उसने दावा किया कि उसके द्वारा सरकार के काम-काज में पारदर्शिता के लिए आवाज उठाई गई। लिहाजा, सरकार उसे प्रताड़ित कर रही है।
क्या है एमनेस्टी इंटरनेशनल
एमनेस्टी इंटरनेशनल लंदन स्थित एक गैर-सरकारी संगठन है। यह विश्व भर में मानवधिकारों के लिए काम करता है। संगठन के घोषित उद्देश्यों में इसे मानवधिकारों पर अनुसंधान करने और उन लोगों के लिए न्याय की मांग करने वाला बताया गया है, जिनके अधिकारों का हनन किया जा रहा हो। भारत में एमनेस्टी इंटरनेशनल का पंजीकृत कार्यालय बंगलुरु में स्थित है।
विवादों से नाता
एमनेस्टी इंटरनेशनल भारत में कई बार विवादों के घेरे में रहा है। जैसा कि गृह मंत्रालय के बयान में भी संगठन पर अवैध गतिविधियों में संलिप्त रहने की बात कही गई है। एमनेस्टी इंटरनेशनल तब काफी चर्चाओं में रहा था, जब वर्ष 2019 में उसने अमरीका की विदेश मामलों की एक समिति के सामने दक्षिण एशिया ख़ास कर जम्मू-कश्मीर पर केंद्रित अपनी एक रिपोर्ट को रखा था। तब उस पर देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगा था। कश्मीर में धारा-370 की समाप्ति के बाद संगठन ने वहां मानवधिकारों के हनन की बात कही। यही नहीं इस वर्ष फरवरी में CAA के विरोध में दिल्ली में हुए साम्प्रदायिक दंगों को लेकर भी एमनेस्टी की रिपोर्ट विवादों में रही।
डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी हुई कार्रवाई
विदेशी फंडिंग हासिल करने के मामले में इस संगठन के विरुद्ध केंद्र सरकार की कई एजेंसियां जांच कर रही हैं। वर्ष 2009 में डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी संगठन पर कार्रवाई हुई थी। तब भी उसने अपना कामकाज बंद कर दिया था। एमनेस्टी पर जब भी सरकार कोई कार्रवाई करती है तो वह सरकार पर आरोप लगाती है। उसका आरोप होता है कि सरकार मानवधिकारों की आवाज को कुचलना चाहती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे के अंतर्गत उत्तराखण्ड में 521 करोड़ रूपये की 6 मेगा परियोजनाओं का वर्चुअल लोकार्पण किया। इन परियोजनाओं के शुरू होने से प्रदेश से अब प्रतिदिन 15.2 करोड़ लीटर दूषित पानी गंगा नदी में नहीं बहेगा। लोकार्पित किए गए प्रोजेक्ट में जगजीतपुर (हरिद्वार) में 230 करोड़ रूपये की लागत से बना 68 एमएलडी क्षमता का एसटीपी व 20 करोड़ की लागत से बना 27 एमएलडी क्षमता का अपग्रेडेड एसटीपी, सराय (हरिद्वार) में 13 करोड़ की लागत से बना 18 एमएलडी क्षमता का अपग्रेडेड एसटीपी, चंडी घाट (हरिद्वार) में गंगा के संरक्षण और जैव विविधता को प्रदर्शित करता ‘गंगा संग्रहालय’, लक्कड़ घाट (ऋषिकेश) में 158 करोड़ की लागत से बना 26 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, चंद्रेश्वर नगर-मुनि की रेती में 41 करोड़ की लागत से बना 7.5 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, चोरपानी (मुनि की रेती) में 39 करोड़ की लागत से बना 5 एमएलडी क्षमता का एसटीपी और बद्रीनाथ में 19 करोड़ की लागत से बना 1.01 एमएलडी क्षमता का एसटीपी शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने रोविंग डाउन द गंगेज (rowing down the ganges) व ग्राम पंचायतों और पानी समितियों के लिए बनाई गई मार्गदर्शिका का भी विमोचन किया। उन्होंने जल जीवन मिशन के लोगो (प्रतीक चिह्न) का भी अनावरण किया।
नई सोच व नई एप्रोच से नमामि गंगे में मिली सफलता
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि मां गंगा हमारे सांस्कृतिक वैभव और आस्था से तो जुड़ी ही है, साथ ही लगभग आधी आबादी को आर्थिक रूप से समृद्ध भी करती है। नमामि गंगे मिशन, नई सोच और नई एप्रोच के साथ शुरू किया गया। यह देश का सबसे बड़ा नदी संरक्षण अभियान है। इसमें समन्वित रूप से काम किए गए। गंगा जी में गंदा पानी गिरने से रोकने के लिए एसटीपी का निर्माण किया गया या किया जा रहा है, अगले 15 वर्षों की आवश्यकता के अनुसार एसटीपी कीे क्षमता रखी गई, गंगा के किनारे लगभग 100 शहरों और 5 हजार गांवों को खुले में शौच से मुक्त किया गया है और गंगा की सहायक नदियों को भी प्रदूषण से मुक्त रखने का काम किया जा रहा है।
उत्तराखण्ड में 6 साल में सीवरेज ट्रीटमेंट क्षमता चार गुना हुई
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में नमामि गंगे के अंतर्गत लगभग सभी प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं। राज्य में 6 साल में सीवेज ट्रीटमेंट की क्षमता को 4 गुना कर दिया गया है। लगभग सभी नालों को टैप कर दिया गया है। इनमें चंद्रेश्वर नाला भी शामिल है। यहां देश का पहला 4 मंजिला एसटीपी शुरू हो चुका है। अगले वर्ष हरिद्वार कुम्भ मेले में श्रद्धालु गंगा की निर्मलता का अनुभव लेंगे। सैकड़ों घाटों का सौंदर्यीकरण किया गया है। साथ ही रिवर फ्रंट भी बनकर तैयार है। गंगा म्यूजियम से हरिद्वार आने वाले लोग गंगा से जुड़ी विरासत को समझ पाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा के निकटवर्ती पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर फोकस किया जा रहा है। यहां जैविक खेती और औषधीय पौधों की खेती की योजना है। आर्गेनिक फार्मिंग काॅरिडोर विकसित किया जा रहा है। मिशन डाॅल्फिन से डाॅल्फिन संवर्धन में मदद मिलेगी।
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जल जीवन मिशन में त्रिवेंद्र सरकार एक कदम आगे
प्रधानमंत्री ने कहा कि पानी की महत्ता को माता-बहनों से अधिक कौन समझ सकता है। हमने जल से जुड़े मंत्रालयों को एक कर जलशक्ति मंत्रालय का गठन किया। जल जीवन मिशन के तहत हर घर को नल से जल का लक्ष्य लिया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में उत्तराखण्ड सरकार एक कदम और आगे बढ़ी है। उन्होंने केवल एक रूपए में पानी का कनेक्शन देने का बीड़ा उठाया है। वर्ष 2022 तक हर घर नल से जल देने का लक्ष्य रखा गया है। उत्तराखण्ड में कोरोना काल में भी पिछले 4-5 माह में 50 हजार परिवारों को पानी का कनेक्शन दिया गया है, जो कि उत्तराखण्ड सरकार के संकल्प को दर्शाता है।
सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल के लिए 2 अक्टूबर से अभियान
जल जीवन मिशन ने गांवों में पानी की समस्या से मुक्त करने का अवसर दिया है। 2 अक्टूबर से जल जीवन मिशन के तहत अभियान चलाकर 100 दिनों में सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल सुनिश्चित किया जाएगा। वर्ष 2014 के बाद देश हित में बहुत से बड़े काम किए गए। इनमें कृषि विधेयक, डिजीटल इण्डिया, जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन शामिल हैं। वन रैंक वन पेंशन से उत्तराखण्ड के एक लाख से अधिक पूर्व सैनिक लाभान्वित हुए हैं। सर्जिकल स्ट्राइक से आतंकवाद को चोट पहुंचाई गई। राफेल से वायुसेना की ताकत काफी बढ़ी है। सरदार पटेल की मूर्ति राष्ट्रीय एकता और अखण्डता की प्रतीक है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से सारी दुनिया योग के महत्व से परिचित हुई। अयोध्या में रामजन्म भूमि मंदिर का भूमि पूजन किया गया। देश को ताकतवार बनाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया गया है।
सीएम ने कहा गंगा किनारे जैविक व औषधीय खेती को प्रोत्साहन
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता के चिन्हित 16 नगरों हेतु स्वीकृत 19 योजनाओं में से 15 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं। शेष कुम्भ से पहले पूरी हो जाएंगी। इन नगरों में चिन्हित किए गए 135 नालों में से 128 टैप किए गए हैं। शेष को कुम्भ से पहले टैप कर लिया जाएगा। गंगा किनारे उत्तराखण्ड राज्य के विभिन्न स्थानों पर 21 स्नान घाटों जिसमें भव्य चंडी घाट भी शामिल है और 23 मोक्षधामों का निर्माण किया गया है। गंगा नदी के कैचमेंट एरिया में जो कार्य कराए गए हैं, उनका लाभ आने वाले समय में अवश्य मिलेगा। गंगा के दोनों किनारों पर 5 से 7 किलोमीटर के क्षेत्र में जैविक खेती को विकसित करते हुए स्थाई कृषि प्रथाओं को भी नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत प्रोत्साहन दिया जा रहा है। नमामि गंगे कार्यक्रम में निर्मित एसटीपी से निकलने वाले शोधित जल को भी कृषकों को सिंचाई हेतु उपलब्ध कराया जा रहा है। गंगा जी की निर्मलता और अविरलता के लिए प्रधानमंत्री मोदी के भगीरथ प्रयासों के परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। यहां तक की गंगा मे डाल्फिन और महाशिर मछलियां भी पुनः दिखने लगी हैं। गंगा के किनारे आर्गेनिक खेती व औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
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शेखावत बोले हरिद्वार कुम्भ में गंगा का जल होगा आचमन योग्य
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जल संचय व जल संरक्षण को लेकर जनचेतना का संचार हुआ है। यह आंदोलन जन-जन का विषय बनने लगा है। वर्ष 2014 से नमामि गंगे एक मिशन मोड में काम कर रहा है। इसके लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था की गई। समन्वित एप्रोच पर काम किया गया। गंगा प्रवाह क्षेत्र में 315 परियोजनाएं अभी तक इसमें ली गई हैं। कुल 28854 करोड़ की स्वीकृति दी जा चुकी है। इनमें से 9 हजार करोड़ की परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। इनके स्पष्ट परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं। हाईब्रिड एन्यूटी प्रणाली अपनाई गई है। गंगा प्रहरी और अनेक संगठनों के माध्यम से नमामि गंगे को जन अभियान बनाया गया है। गंगा की शुचिता के साथ ही अविरलता पर भी ध्यान दिया गया है। इसके लिए ई-फ्लो अधिसूचना जारी की गई। अगले वर्ष हरिद्वार में कुम्भ मेले के समय गंगा जल आचमन योग्य होगा। रिसाईकिल पानी को रियूज करने का भी प्रयास किया जा रहा है। गंगा की सहायक नदियों पर भी प्रभावी काम कर रहे हैं।
कार्यक्रम में ये रहे जुड़े
इस वर्चुअल कार्यक्रम में उत्तराखण्ड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया के अलावा प्रदेश के केबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, मदन कौशिक, सांसद तीरथ सिंह रावत, ऋषिकेश की मेयर अनीता ममगाईं, विधायक आदेश चौहान आदि भी जुड़े थे।
खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) की सख्त कार्रवाई से एमेजॉन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील जैसे अन्य ई-कॉमर्स पोर्टल्स ने ‘खादी’ ब्रांड नाम के तहत उत्पादों की बिक्री करने वाले अपने 160 से अधिक वेब लिंक को हटा दिया है। KVIC ने एक बयान में कहा कि उसने ने 1,000 से अधिक उन कंपनियों को कानूनी नोटिस भेजा था, जो अपने उत्पादों को बेचने के लिए ‘खादी इंडिया’ ब्रांड नाम का उपयोग कर रही थीं। इस प्रकार वे खादी की प्रतिष्ठा को धूमिल कर रही थीं और खादी कारीगरों को काम का नुकसान पहुंचा रही थीं। KVIC के उसी नोटिस के बाद ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों ने यह पहल की है।
KVIC ने यह भी कहा है कि उसके द्वारा भेजे गए कानूनी नोटिस के बाद खादी ग्लोबल ने भी अपनी वेबसाइट www.khadiglobalstore.com से उन्हें बाहर कर दिया है और ट्विटर, फेसबुक एवं इंस्टाग्राम पर अपने सोशल मीडिया पेजों को भी हटा दिया है। साथ ही उसने ऐसी सभी सामग्री और उत्पाद को हटाने के लिए 10 दिन का समय मांगा है जो ‘खादी’ ब्रांड नाम का उपयोग कर रहे थे। KVIC की इस कार्रवाई से देश भर में ऐसे कई स्टोर बंद हो गए हैं जो नकली खादी उत्पादों को बेच रहे थे।
ये ई-कॉमर्स पोर्टल खादी मास्क, हर्बल साबुन, शैंपू, सौंदर्य प्रसाधन, हर्बल मेहंदी, जैकेट, कुर्ता और ‘खादी’ ब्रांड नाम का इस्तेमाल करने वाले विभिन्न विक्रेताओं के ऐसे तमाम उत्पादों की बिक्री कर रहे थे। इससे ऑनलाइन खरीदारों के बीच गलत धारणा बनाई जा रही थी कि ये वस्तुएं असली ‘खादी’ उत्पाद थे। KVIC ने यह भी कहा है कि हटाए गए अधिकतर उत्पादों की बिक्री एक आयुष ई-ट्रेडर्स द्वारा की जा रही थी। इस फर्म ने KVIC को पुष्टि की है कि उसने विभिन्न उत्पादों के लिए 140 लिंक हटा दिए हैं जिन्हें ‘वागड़ के खादी उत्पाद’ के तौर पर बेचा जा रहा है।
KVIC ने कहा कि खादी उत्पादों को खरीदने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा की गई अपील के बाद हाल के वर्षों में खादी की लोकप्रियता में कई गुना वृद्धि हुई है और ऐसे में खादी ट्रेडमार्क के उल्लंघन के मामले भी बढ़े हैं। इस अवसर का फायदा उठाने के लिए कई ऑनलाइन विक्रेताओं ने खादी के नाम पर विभिन्न उत्पादों की बिक्री शुरू कर दी। इसके अलावा विभिन्न शहरों में ऐसे सैकड़ों स्टोर खुल गए जो नकली खादी उतापदों की बिक्री कर रहे थे। हाल के महीनों में, खासकर कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान इस तरह के फर्जी ऑनलाइन विक्रेताओं में काफी तेजी आई थी। हालांकि, ऑनलाइन ग्राहकों को असली खादी उत्पादों की खरीदारी करने में समर्थ बनाने के लिए KVIC ने www.kviconline.gov.in/khadimask पर 300 उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री के लिए अपना ई-पोर्टल लॉन्च किया है।
KVIC के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि फर्जी खादी उत्पादों की बिक्री करने वालों से कहा है कि वे खादी के नाम पर उत्पादों को बेचना बंद करें अथवा भारी क्षतिपूर्ति के लिए उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी। सक्सेना ने कहा, ‘खादी कारीगरों के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक तौर पर विभिन्न फर्मों को कानूनी नोटिस जारी किए गए हैं। इस ट्रेडमार्क के उल्लंघन का सीधा असर हमारे कारीगरों की आजीविका पर पड़ता है जो असली दस्तकारी के साथ खादी उत्पाद बना रहे हैं।’
KVIC ने ‘खादी इंडिया’ ट्रेडमार्क अधिकारों की प्रभावी तौर पर निगरानी करने के लिए एक दमदार ऑनलाइन प्रवर्तन योजना तैयार की है। इसके लिए उसने एक कानूनी टीम तैनात की है, जिसके माध्यम से खादी के नाम पर बेचे जाने वाले अनधिकृत उत्पादों की मानव और तकनीकी उपकरणों की मदद से लगातार निगरानी की जा रही है।
KVIC खादी उत्पादों के विनिर्माण में लगे सभी पंजीकृत खादी संस्थानों को भी शिक्षित कर रहा है कि केवल KVIC के साथ उनके पंजीकरण से उन्हें यह अधिकार नहीं मिल जाता कि वे ‘खादी’ ट्रेडमार्क या ‘खादी इंडिया’ लोगों का उपयोग करने के लिए किसी अन्य को अधिकृत कर सकें। बल्कि इसके लिए कंपनी को KVIC से बकायदा लाइसेंस हासिल करने की आवश्यकता होगी।
पिछले महीने KVIC ने खादी के नाम से अनधिकृत तौर पर सौंदर्य प्रसाधनों एवं अन्य उत्पादों की बिक्री करने के लिए दो फर्मों- खादी इसेंशियल और खादी ग्लोबल- को कानूनी नोटिस जारी किया था। बयान में कहा गया है कि KVIC ने फैबइंडिया से 500 करोड़ रुपये का हर्जाना भी मांगा है जिसके लिए मामला फिलहाल मुंबई उच्च न्यायालय में लंबित है।
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी व मध्य प्रदेश के विशेष महानिदेशक (लोक अभियोजन) पुरुषोत्तम शर्मा का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वो अपनी पत्नी की निर्मम तरीके से पिटाई कर रहे हैं। वीडियो के वायरल होने के बाद हड़कंप मच गया है। वीडियो का राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी संज्ञान ले लिया है। आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने ट्वीट कर मामले में कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इस संबंध में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखने की बात कही है।
वायरल हो रहे इस वीडियो में एक शख्स एक महिला को बुरी तरह से पीट रहा है। वीडियो के बारे में कहा जा रहा है कि यह वर्ष 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा का है। कहा जा रहा है कि उनकी पत्नी ने उन्हें किसी अन्य महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया था, जिसके बाद पति-पत्नी के बीच वाद-विवाद हुआ और शर्मा ने पत्नी की जम कर पिटाई कर दी।
बताया जा रहा है कि घटना के बाद यह वीडियो शर्मा के भारतीय राजस्व सेवा (IRS) पुत्र ने मध्य प्रदेश के उच्चाधिकारियों को स्वयं भेजा और अपने पिता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। पुरुषोत्तम शर्मा पहले भी विवादों में घिरे रहे हैं। मध्य प्रदेश के चर्चित हनी ट्रैप मामले में भी उनका नाम आया था।
उधर, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने ट्वीट कर कहा कि पुरुषोत्तम शर्मा को सेवा से बाहर कर दिया जाना चाहिए और उन्हें सलाखों के पीछे जाना चाहिए। इस बारे में वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिख रही हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से विस्तार हुआ है। प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में धार्मिक एवं अन्य पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। कोविड के कारण पर्यटन गतिविधियों में जरूर कमी आई है। मगर स्थिति सामान्य होने पर पर्यटन की स्थिति में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में प्रत्येक जनपद में थीम आधारित पर्यटन स्थल विकसित किये जा रहे हैं। पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें उत्तराखंड में रोजगार की बहुत संभावनाएं हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रविवार को विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड विभिन्न जैव विविधताओं वाला राज्य है। बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाएं, बुग्याल, विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तु एवं अच्छा मानव संसाधन देवभूमि उत्तराखण्ड की ओर पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करता है। उन्होंने बताया कि उत्तरकाशी जनपद में स्नो लेपर्ड पार्क बनाया जा रहा है। प्रदेश में पर्यटन पर आधारित गतिविधियां पूरे साल हो, इसके लिए सरकार द्वारा प्रयास किये जा रहे हैं। क्याकिंग, राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग जैसी गतिविधियों के लिए उत्तराखण्ड में अनुकूल वातावरण है।
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उन्होंने कहा कि राज्य में होम स्टे को बढ़ावा दिया जा रहा है। अभी 2200 से अधिक होम स्टे रजिस्टर्ड हो चुके हैं। अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, पौड़ी में काफी अच्छे होम स्टे बनाये गये हैं। होम स्टे के प्रति लोगों का रूझान भी बढ़ा है। होम स्टे पर्यटकों को आकर्षित तो करता ही है। साथ ही यहां के लोगों के लिए रोजगार के भी अच्छे अवसर उपलब्ध करा रहा है।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि पर्यटन क्षेत्र का उत्तराखण्ड की जीडीपी में अहम योगदान रहा है। हम पर्यावरण हित पर्यटन की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। पर्यटन एवं तीर्थाटन के माध्यम से स्थानीय लोगों की आजीविका बढ़ाने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। हमारा प्रयास आपदा को अवसर में बदलने का है। विश्व पर्यटन की इस वर्ष की थीम ‘पर्यटन और ग्रामीण विकास है’। ग्रामीण विकास के साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। आने वाले दिनों में हमारे समग्र प्रयास से फिर उत्तराखण्ड की तस्वीर बदलेगी, पर्यटन गतिविधियों से लोगों की आजीविका में सुधार होगा।
वेबिनार में फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी, सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर, मनीषा पाण्डे, डॉ. शिवम मणि, मनदीप सिंह, धनुष सिंह आदि पर्यटन गतिविधियों से जुड़े जानकारों ने अपने सुझाव दिये।
हल्द्वानी में विगत दिवस हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से साईकिल सवार औषधीय संयोजक (कंपाउंडर) की झुलसने से हुई मौत के मामले में ऊर्जा विभाग की लापरवाही को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने काफी गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री ने घटना पर गहरा दुख जताया और ऊर्जा सचिव राधिका झा को पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। साथ ही जिम्मेदार लापरवाह अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा है।
ऊर्जा सचिव राधिका झा ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद सीनियर स्तर के अधिकारी मुख्य अभियंता एमएल प्रसाद को जांच अधिकारी नामित कर उनसे रिपोर्ट मांगी है। प्रसाद मौके पर पहुंचकर जांच में जुट गए हैं। अधिशासी अभियंता (ग्रामीण) अमित आनंद की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय जांच कमेटी की प्रथमदृटया रिपोर्ट में एसएसओ की लापरवाही प्रतीत हुई है। फाइनल रिपोर्ट मिलने पर इस घटना के लिए जिम्मेदार लापरवाह अफसर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए निचले स्तर के तकनीकि अधिकारियों को तकनीकी रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा। घटना में मृतक आश्रित को तत्काल चार लाख मुआवजा दिया जा रहा है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से भी सहायता की कोशिश की जाएगी।
गौरतलब है कि हल्द्वानी निवासी कमल रावत (29) पुत्र एमएस रावत मंगल पड़ाव स्थित एक क्लीनिक में कंपाउंडर था। गत शुक्रवार को कमल साइकिल से ड्यूटी पर जा रहा था। सुबह करीब नौ बजे कमल जैसे ही वॉक मॉल के पास पहुंचा, तभी वहां हाइटेंशन लाइन का तार टूटने से उसकी चपेट में आ गया और करंट से झुलसकर कमल की मौके पर ही मौत हो गई।
A delegation of Ladakhi veteran leaders, Venerable former MP, Rajya Sabha Thiksay Rinpoche , former MP, Loksabha Thupstan Chhewang and former Minister, J & K Chhering Dorje Lakrook, on behalf of the people of Leh, Ladakh, met with the Union Home Minister, Amit Shah on Saturday. Union Minister of State for Home G Kishan Reddy, Union Sports Minister Kiren Rijiju and Union Home Secretary Ajay Bhalla were also present during the meeting.
The delegation was assured that all issues related to language, demography, ethnicity, land and jobs will be considered positively/ taken care of. A dialogue between a larger Ladakhi delegation comprising of representatives from Leh and Kargil Districts under the aegis of “Peoples Movement for Constitutional safeguard under VIth Schedule” and Union Home Ministry would commence after 15 days of the culmination of LAHDC, Leh elections. Any decision so reached in this connection would be in consultation with the representatives from Leh and Kargil.
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Union Home Minister assured the delegation that Government of India is committed to empower the LAHDC of Leh and Kargil and would safeguard interests of the people of the UT of Ladakh. It would explore all avenues towards this objective.
The Government of India is open to discuss protection available under the 6th Schedule of Constitution of India while looking into issues related to Ladakhi people.
The delegation has agreed to withdraw it’s call for the boycott of the ensuing LAHDC, Leh elections and promised it’s wholesome support to the smooth conduct of these elections.
पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा की वरिष्ठ नेत्री साध्वी उमा भारती कोरोना पॉजिटिव पाई गई हैं। यह जानकारी उन्होंने स्वयं ट्वीट करके दी है।
साध्वी उमा भारती विगत 21 सितम्बर को श्री केदारनाथ धाम के दर्शनों को पहुंची थीं। इसके पश्चात वे श्री बदरीनाथ की यात्रा पर गयी थीं। पहाड़ की यात्रा से लौटने के बाद उन्होंने कोरोना टेस्ट कराया। उन्होंने ट्वीटर पर बताया कि अपनी पहाड़ की यात्रा के समाप्ति के अन्तिम दिन प्रशासन से आग्रह करके कोरोना टेस्ट के लिए टीम को बुलवाया, क्योंकि उन्हें 3 दिन से हल्का बुख़ार था। उन्होंने कहा कि हिमालय की अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने कोविड-19 को लेकर सभी निर्देशों एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया। फिर भी वह कोरोना पॉजिटिव निकली हैं।
साध्वी उमा भारती ने जानकारी दी है कि वे अभी हरिद्वार के निकट दिव्य प्रेम सेवा मिशन द्वारा संचालित ‘वन्देमातरम कुञ्ज’ में क्वॉरंटीन हैं। 4 दिन बाद वह फिर से टेस्ट कराएंगी और डॉक्टरों के परामर्श के अनुसार निर्णय लेंगी। उन्होंने इस दौरान उनके संपर्क में आए सभी लोगों से अपील की है कि वे भी अपना टेस्ट कराएं और पूरी सावधानी बरतें।