मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आज वीरांगना तीलू रौतेली के जन्म दिवस के अवसर पर प्रदेश की 21 महिलाओं व किशोरियों को राज्य स्त्री शक्ति तीलू रौतेली पुरुस्कार तथा 22 आंगनवाड़ी कार्यकर्तियों को सम्मानित किया।
महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विकास विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में देहरादून जनपद के पुरस्कार पाने वाले को मुख्यमंत्री ने स्वयं सम्मानित किया। जबकि अन्य को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बन्धित जनपदों में विधायक गणों एवं जिलाधिकारियों की उपस्थिति में यह पुरस्कार प्रदान किये गये। इस मोके पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड देव भूमि के साथ ही वीर भूमि भी है। देश की आजादी के पहले और बाद में देश की सुरक्षा एवं अखण्डता लिये बलिदान देने वाला हर छठा बलिदानी उत्तराखण्ड का है। इसी के दृष्टिगत प्रधानमंत्री ने उत्तराखण्ड में चार धामों के अतिरिक्त पाँचवां धाम सैन्य धाम भी बताया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विकास में महिलाओं की अहम भूमिका रही है। महिलाओं को घर और बाहर की दोहरी जिम्मेदारीरियों का निर्वहन करना पड़ता है। महिलाओं के आर्थिक स्वावलम्बन के लिये केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा अनेक योजनायें संचालित की जा रही हैं। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि अगले वर्ष से राज्य स्त्री शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार की धनराशि 21 हजार से बढ़ाकर 31 हजार तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ती पुरस्कार की धनराशि 11 हजार से बढ़ाकर 21 हजार की जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं की आर्थिक स्थिति की मजबूती के लिये महिला किसानों एवं स्वयं सहायता समूहों को 05 लाख तक बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि खेती की बेहतरी के लिये पहले महिलाओं को 2 प्रतिशत ब्याज पर ऋण दिया जा रहा था। इस क्षेत्र में उनके बेहतर कार्य को देखते हुए अब 3 लाख की धनराशि उन्हें बिना ब्याज के उपलब्ध करायी जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अनाथ व निराश्रित बेटियों के लिये राज्य सरकार द्वारा देश में अपनी तरह की पहल कर सरकारी सेवाओं में 5 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है।
महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने वीरांगना तीलू रौतेली की वीरगाथा का परिचय देते हुए कहा कि प्रदेश के गढ़वाल क्षेत्र की तीलू रौतेली एक ऐसी वीरांगना थी जो मात्र 15 साल की उम्र में ही रणभूमि में कूद गई थी। उन्होंने सात साल तक दुश्मन राजाओं को कड़ी चुनौती दी थी। मात्र 15 से 20 साल की उम्र में सात युद्ध लड़ने वाली तीलू रौतेली की जयंती पर प्रदेश सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कार्य करने वाली महिलाओं को हर साल पुरस्कृत किया जाता है। इसमें वे महिला शामिल हैं जिन्होंने शिक्षण, समाज सेवा, साहसिक कार्य, खेल, कला, क्राफ्ट, संस्कृति, पर्यावरण एवं कृषि आदि क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया हो। इसके साथ ही कोरोना वारियर के रूप में उल्लेखनीय कार्य करने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्तियों को भी सम्मानित किया जा रहा है।
इन्हें मिला राज्य स्त्री शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार
उन्नति बिष्ट, संगीता थपलियाल, गीता मार्य, प्रीती भण्डारी, शिवानी आर्या, गुंजन बाला, जानकी चन्द, शशि देवली, डॉ. पुष्पांजलि अग्रवाल, कंचन भण्डारी, मालविका माया उपाध्याय, सुमन वर्मा, शीतल, मधु खुगशाल, कीर्ति कुमारी, बबीता रावत, ज्योति उप्रेति, मीनू लता गुप्ता, हर्षा रावत, सुमति थपलियाल, चन्द्रकला राय
इन्हें मिला आंगनवाड़ी कार्यकर्ती पुरस्कार
सुधा, सीमा, फातिमा, नीता गोस्वामी, गीता देवी, पुष्पा हरड़िया, हेमा बोरा, अंजना रावत, पूनम, आसमा, सुमनलता यादव, गंगा बिष्ट, समारोज, निर्मला पाण्डेय, चन्द्रकला चन्द्र, अर्चना देवी, रोशनी, सुशीला देवी, लक्ष्मी देवी, ललिता देवी, कुसुम मेहर, बीना चौहान
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आज कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए अधिकारियों को सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि कोविड से बचाव के लिए फिजिकल डिस्टेंसिंग एवं मास्क के उपयोग पर विशेष ध्यान दिया जाय। यह सुनिश्चित किया जाय गाईडलाईन का पूर्णतया अनुपालन हो। नियमों का उल्लंघन करने वालो पर कारवाई की जाय।
मुख्यमंत्री ने शनिवार को सचिवालय में कोविड-19 के संक्रमण तथा बचाव हेतु स्वास्थ्य विभाग एवं जिलाधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा के दौरान यह निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मास्क का प्रयोग न करने वालों पर जुर्माना तो लगाया जाय। इसके अलावा जुर्माने के साथ ही उन्हें 4-4 वाॅशेबल मास्क भी उपलब्ध कराये जाए। सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का उपयोग न करने एवं नियमों का उल्लंघन करने पर पहली बार में 200 एवं दूसरी बार में 500 रूपये का जुर्माना लगाया जायेगा। हाई रिस्क ऐरिया से या अन्य राज्यों से जो लोग आ रहे हैं, उनमें से यदि कोई व्यक्ति ट्रेवल हिस्ट्री की गलत जानकारी दे रहा है, या कोई तथ्य छुपा रहा है, उन पर सख्त कारवाई की जाय।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने घोषणा की कि आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की भांति आशा फेसिलिटेटर को भी दो-दो हजार रूपये सम्मान निधि के रूप में दी जायेगी। आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को मुख्यमंत्री ने रक्षा बंधन के अवसर पर एक-एक हजार एवं उससे पूर्व भी सम्मान राशि के रूप में एक-एक हजार रूपये देने की घोषणा की थी। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि यह सम्मान राशि लाभार्थियों के खाते में जल्द डाली जाय। कोविड-वारियर्स की मृत्यु पर भी मुख्यमंत्री राहत कोष से 10 लाख रूपये देने की घोषणा की गई है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड में होम-आइसोलेशन हेतु निर्देश पुस्तिका का विमोचन भी किया। उन्होंने कहा कि डाॅक्टर की टीम की जांच एवं मानकों के हिसाब से ही होम-आइसोलेशन की व्यवस्था की जाय। होम-आइसोलेशन के बजाय अस्पताल एवं कोविड केयर सेंटर को प्राथमिकता दी जाय।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि कोरोना की सैंपल टेस्टिंग और अधिक बढ़ाई जाय। सर्विलांस सिस्टम को और मजबूत करने की जरूरत है। बुजुर्ग, बच्चे एवं को-माॅर्बिड लोग अति आवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकलें। कोविड रिकवरी रेट में सुधार एवं मृत्युदर को कम करने हेतु हर सम्भव प्रयास किये जाय। सीनियर डाॅक्टर अस्पताल में भर्ती कोविड मरीजों की पर्सनल केयर करें। जिलाधिकारी, सीडीओ एवं सीएमओ भी इसकी माॅनेटरिंग करें। यह सुनिश्चित किया जाय कि आक्सीजन सपोर्ट सिस्टम ही प्रत्येक जनपद में पर्याप्त व्यवस्था हो। सतर्कता के साथ और कैपिसिटी बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि जो लोग प्राइवेट लैब में कोविड सैंपल टेस्टिंग करा रहे हैं, यह सुनिश्चित करा लें कि प्रत्येक व्यक्ति का पता एवं मोबाईल नम्बर सही हो।
मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कहा कि सभी जिलाधिकारी कोविड से निपटने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं पूर्ण रखें। इंडस्ट्रियल ऐरिया वाले जनपदों में इंडस्ट्री में सैंपल टेस्टिंग में और तेजी लाई जाय। उधमसिंह नगर, नैनिताल एवं हरिद्वार जनपद में विशेष सतर्कता की आवश्यकता है। सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने कहा कि जिन जनपदों में 05 प्रतिशत से अधिक पाॅजिटिव रेट हैं, उनमें सैंपलिंग और अधिक बढ़ायी जाय। हाई रिस्क ऐरिया से आने वाले सभी लोगों के सैंपल लिये जाय। उन्होंने कहा कि कोविड केयर सेंटर की व्यवस्थाओं का समय-समय पर निरीक्षण किया जाय। व्यवस्थाओं में कोई कमी न रहे। कोविड केयर सेंटर में समय-समय पर चेकअप हेतु डाॅक्टर भेजे जाय।
बैठक में डीजी लाॅ एण्ड आर्डर अशोक कुमार, सचिव शैलेष बगोली, पंकज पाण्डेय, एस.ए. मुरूगेशन, गढ़वाल कमिश्नर रविनाथ रमन, आईजी संजय गुंज्याल, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन युगल किशोर पंत, अपर सचिव सोनिका, डीजी स्वास्थ्य डाॅ. अमिता उप्रेती आदि उपस्थित थे।
दुर्गम व दूरस्थ क्षेत्रों में पोस्टिंग की डर से प्रमोशन छोड़ने वाले राज्य कर्मचारियों पर सरकार ने शिकंजा कस दिया है। प्रदेश सरकार ने पदोन्नति के परित्याग की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करने और कार्मिकों को अनुशासित बनाए रखने के उद्देश्य से उत्तराखंड राज्य अधीन सेवाओं में पदोन्नति का परित्याग (Forgo) नियमावली 2020 तैयार की है। इस संबंध में आज अधिसूचना जारी कर दी गई है।
गौरतलब है कि राज्य में सुविधाजनक व शहरी क्षेत्रों में तैनात कार्मिक पहाड़ी क्षेत्रों अथवा दूरस्थ इलाकों में जाने से बचने के लिए अपनी पदोन्नति त्याग देते थे। पदोन्नति त्यागने के लेकर कोई स्पष्ट नियम ना होने के कारण अगर यदि कोई कार्मिक प्रमोशन पर नहीं जाता था, तो वह पद रिक्त ही रह जाता था। इससे कार्मिक की वरिष्ठता भी बनी रहती थी और कनिष्ठ कार्मिकों के लिए पदोन्नति के अवसर कम मिलते थे।
प्रदेश सरकार ने इस प्रवृति पर अंकुश लगाने के लिए नई नियमावली तैयार की है। नियमावली के अनुसार पदोन्नति का त्याग करने वाले कार्मिक के संबंध में नियुक्ति प्राधिकारी को कई शक्तियां प्रदान की गई हैं। पदोन्नत कार्मिक को कार्यभार ग्रहण करने हेतु अधिकतम 15 दिन की अवधि निर्धारित की गई है। मगर संबंधित कार्मिक के लिखित अनुरोध पर अपरिहार्य परिस्थितियों में नियुक्त प्राधिकारी उसे 15 दिन का अतिरिक्त समय दे सकता है।
यदि कोई कार्मिक निर्धारित समय के भीतर पदोन्नति के पद पर कार्यभार ग्रहण न कर पहली बार Forgo करता है तो नियुक्ति प्राधिकारी गुण दोष के आधार व निर्णय ले सकेंगे। यदि उसी चयन वर्ष में विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठक आहूत की जाती है तो नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा इस विषय की जानकारी समिति के सम्मुख रखी जाएगी और Forgo करने वाले से कनिष्ठ कार्मिक की पदोन्नति की संस्तुति की जाएगी। प्रमोशन को Forgo करने वाला कार्मिक नोशनल प्रमोशन के दावे से वंचित हो जाएगा।
यदि कोई कार्मिक DPC की प्रक्रिया शुरू होने से पहले चयन अथवा पदोन्नति को Forgo करने का लिखित अनुरोध करता है, तो इसे अनुशासनहीनता की श्रेणी में माना जाएगा। ऐसे कार्मिकों के विरुद्ध कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। इन कार्मिकों के खिलाफ उत्तराखंड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम, 2017 के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसमें कार्मिकों का संभावित ट्रांसफर से बचने के प्रयास और कार्य के प्रति रुचि न लेने आदि को आधार बनाते हुए उसी पद पर प्रशासनिक कारण से ट्रांसफर किया जाएगा।
अधिसूचना के अनुसार यदि कोई कार्मिक दो या उससे अधिक बार प्रमोशन को Forgo करता है तो वो अपनी वरिष्ठता खो देगा। इसके बाद उसे खोई हुई वरिष्ठता का लाभ नहीं मिलेगा। नियमावली में प्राविधान किया गया है कि यदि इसे लागू करने में में किसी प्रकार की शिथिलता बरती जाती है तो उत्तराखंड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली, 2002 तथा उत्तराखंड सरकारी सेवक ( अनुशासन एवं अपील ) नियमावली, 2003 के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
उप राष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के युवा प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि वे अपने कार्य को गरीब-अमीर, स्त्री-पुरुष, शहर-गावों के बीच अंतर को मिटाने के मिशन के रूप में लें और नए भारत के लिए परिवर्तन के कारक के रूप में कार्य करें।
उप राष्ट्रपति ने आज लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी, मसूरी के 2018 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के युवा प्रशिक्षुओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हाशिए पर खड़े वर्गों का सामाजिक आर्थिक उत्थान अधिकारियों का मूल उद्देश्य होना चाहिए। सरदार पटेल के स्वप्न को याद दिलाते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने एक ऐसी सिविल सेवा की अपेक्षा की थी जो गरीबी और भेदभाव से लड़ कर एक नए भारत के उत्थान के लिए काम करे।
उप राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि वे अपने काम में सत्यनिष्ठ, अनुशासित, कर्मठ, जवाबदेह, पारदर्शी बनें और सादगी का जीवन व्यतीत करें। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वे एक महान नेता थे, सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, कर्मठता, करुणा, राष्ट्र भाव और साहस जैसे गुण उनके चरित्र में रचे-बसे थे।
नायडू ने प्रशिक्षुओं से कहा कि वे निरन्तर नया सीखते रहें, विचार करें और नए प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि सुशासन ही आज के समय की मांग है। प्रशासन तंत्र छोटा किन्तु सक्षम और दक्ष होना चाहिए, जो पारदर्शी हो और लोगों की अपेक्षाओं को पूरा कर सके। एक ऐसा तन्त्र जो सुविधा और सेवाओं को तत्परता से उपलब्ध करा सके तथा उन्नति के अवसर और स्थितियां पैदा करे।
उपराष्ट्रपति ने कहा यद्यपि विधायिका कानून और नीतियां बनाती है। फिर भी उनको जमीन पर कैसे लागू किया जाता है, ये अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा जो सरकार तत्परता और दक्षता से सेवा और सुविधा सुनिश्चित कर सकती है वो ही लोगों द्वारा याद की जाती है। श्री नायडू ने कहा कि यह जिम्मेदारी प्रशासकों की है कि लोगों को उनके अधिकार और उनके लिए अधिकृत सुविधाएं बिना किसी देरी के जल्द से जल्द उपलब्ध कराई जाएं।
नायडू ने प्रशिक्षु अधिकारियों से अपेक्षा की कि वे अपने सहयोगियों और मातहत काम करने वाले कर्मचारियों के साथ एक टीम बनाएं और जन सेवा के कार्य दक्षता से करें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दिया मंत्र “परफॉर्म, रिफॉर्म, ट्रांसफॉर्म” युवा अधिकारियों को नए प्रयोग करने की प्रेरणा देगा और वे बेहतर से बेहतर अधिकारी के रूप में प्रगति करते जायेंगे।
उन्होंने कहा कि भारत तेजी से हो रहे परिवर्तनों के दौर में है। महामारी के बावजूद विकास और आत्म निर्भरता के ऐसे अनेक नए अवसर हैं जो हमारे विकास की प्रक्रिया को किसी भी आपदा से निरापद रख सकते हैं। उन्होंने प्रशिक्षुओं से आग्रह किया कि वे आगे बढ़ कर बदलते हुए नए भारत का नेतृत्व करें। नया भारत समावेशी है। उसमें जीवन की गुणवत्ता है। लोकतान्त्रिक मर्यादाओं को सुदृढ़ किया जा रहा है। जन कल्याण के संस्थानों को सशक्त बनाया जा रहा है। युवा अधिकारियों को महात्मा गांधी का बताया मंत्र देते हुए, उन्होंने कहा कि वे सत्य, न्याय, समावेश, जन कल्याण और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी निष्ठा के आधार पर ही सही और निस्पृह भाव से निर्णय ले सकेंगे।
भाषा की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रशासन की भाषा स्थानीय लोगों की आम भाषा होनी चाहिए। उन्होंने इस बात की सराहना की कि अधिकारी अपने प्रशिक्षण के दौरान स्थानीय भाषा सीखते हैं।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी द्वारा प्रकाशित, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “मन की बात” कार्यक्रम के संकलन, “सिक्सटी फाइव कन्वर्सेशन” का लोकार्पण भी किया। एकेडमी के निदेशक संजीव चोपड़ा तथा फैकल्टी के अन्य सदस्य इस वर्चुअल समापन समारोह के अवसर पर उपस्थित रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल केदारनाथ धाम में जगद्गुरू आदि शंकराचार्य की समाधि के निर्माण में वायु सेना की मदद ली जाएगी। आदि शंकराचार्य की भव्य मूर्ति व अन्य भारी समान वायु सेना के बड़े हेलीकॉप्टरों के माध्यम से केदारनाथ पहुंचाया जाएगा।
लगभग 11,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। वर्ष 2013 में आई भीषण आपदा में आश्चर्यचकित ढंग से मंदिर के अलावा करीब पूरा केदारनाथ धाम तहस-नहस हो गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाबा केदार के प्रति बेहद आस्था रखते हैं। केदारनाथ आपदा के पश्चात गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए भी उन्होनें केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों में सहयोग की पेशकश की थी। मगर उत्तराखंड की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उनकी पेशकश को तवज्जो नहीं दी।
वर्ष 2014 में देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण मोदी की प्राथमिकताओं में शामिल हो गया। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी अब तक चार बार केदारनाथ की यात्रा कर चुके हैं। यात्रा के दौरान उन्होंने केदारनाथ के चप्पे-चप्पे का निरीक्षण किया है। वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा भी मोदी लगातार निर्माण कार्यों का जायजा लेते रहते हैं और केदारनाथ के भावी स्वरूप को लेकर अधिकारियों को आवश्यक निर्देश देते रहते हैं।
अक्तूबर, 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी केदारनाथ यात्रा के दौरान लगभग 700 करोड़ की कई योजनाओं का शिलान्यास किया था। इन्हीं में एक योजना शंकराचार्य की समाधि स्थल का पुनर्निर्माण भी था। मोदी ने इसे दिव्य व भव्य स्वरूप देने की बात कही थी। इसके बाद वर्ष 2018 में शंकराचार्य के समाधि स्थल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। इसे केदारनाथ मंदिर के पीछे दिव्य शिला के निकट बनाया जा रहा है। छह मीटर गहरी और 38 मीटर गोलाकार खुदाई कर समाधि स्थल की बुनियाद (राफ्ट) तैयार हो गई है। समाधि स्थल के पुनर्निर्माण कार्य को पूरा करने का लक्ष्य इस वर्ष 31 दिसंबर निर्धारित किया गया है।
मगर मौसम की गड़बड़ियों के कारण निर्माण कार्य में व्यवधान भी पैदा हुआ है। इन परिस्थितियों के मद्देनजर प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार ने केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्य में वायु सेना के बड़े हेलीकॉप्टरों की मदद लेने का निर्णय लिया है।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने मीडयाकर्मियों से बातचीत में बताया कि केदारनाथ धाम में भारी सामान पहुंचाया जाना है। इसमें आदि शंकराचार्य की मूर्ति भी शामिल है। यह सामान बड़े हेलीकॉप्टरों के माध्यम से पहुंचाया जाएगा। इसके लिए वायु सेना सेना से बातचीत की गई है। केदारनाथ में बड़े हेलीकॉप्टर को उतारने के लिए बड़े हेलीपैड की जरूरत है। प्रदेश सरकार इसके लिए प्रयास कर रही है। हेलीपैड का विस्तार होते ही हेलीकॉप्टर से सामान पहुंचाना शुरू किया जाएगा।
उत्तराखंड सरकार ने महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को अमली जामा पहनाने के लिए कमर कस ली है। योजना के तहत संचालित होने वाली गतिविधियों का बेहतर क्रियान्वयन कैसे किया जाए, इसके उपाय सुझाने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय में एक प्रकोष्ठ का गठन किया गया है।
अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने गुरुवार को इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। आदेश के मुताबिक प्रकोष्ठ का अध्यक्ष उत्तराखंड पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एस.एस.नेगी को नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही प्रकोष्ठ में दो सदस्यों के तौर पर मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार आलोक भट्ट व स्वयंसेवी संस्था हार्क के प्रमुख महेन्द्र सिंह कुँवर को नियुक्त किया गया है।
यहां बता दें, कि प्रदेश में अधिक से अधिक लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने खासकर लॉकडाउन के चलते घर लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना की तर्ज पर प्रदेश में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की गई है। इसमें निर्माण व सेवा क्षेत्र में अपना काम करने के लिए इच्छुक बेरोजगारों को ऋण व अनुदान की व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना एमएसएमई के तहत बनाई गई है। योजना में विनिर्माण में 25 लाख और सेवा क्षेत्र में 10 लाख तक की लागत की परियोजना हेतु स्वरोजगार के लिए ऋण लिया जा सकता है। योजना में 25 प्रतिशत तक अनुदान की व्यवस्था है। मार्जिन मनी को अनुदान के रूप में समायोजित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत इससे सम्बन्धित लगभग सभी विभागों की योजनाओं को शामिल किया गया है। राज्य स्तर पर सभी विभागों के समन्वय के लिए यह प्रकोष्ठ स्थापित किया गया है। अन्य विभागों में संचालित स्वरोजगार योजनाओं को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत लाते हुए उद्यान, कृषि, माइक्रो फूड प्रोसेसिंग, पशुपालन, दुग्ध व्यवसाय, पोल्ट्री, जैविक कृषि आदि पर विशेष महत्व दिया जा रहा है। योजना में 150 से अधिक कार्य शामिल किए गए हैं।
प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एस.एस. नेगी ने बताया कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय जनपदों में स्वरोजगार को आगे बढ़ाने के लिये प्रयास किये जायेंगे, ताकि युवा स्वरोजगार अपनाने के साथ ही अन्य के लिये भी रोजगार देने वाले बन सकें। विभिन्न विभागों के स्तर पर स्वरोजगार के जो कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं, उनसे भी समन्वय किया जायेगा। इससे अधिक से अधिक युवाओं को स्वरोजगार का लाभ मिल सकेगा।
पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा की वरिष्ठ नेता पद्मविभूषण स्व. सुषमा स्वराज की प्रथम पुण्य तिथि पर आयोजित वेबिनार सुषमान्जलि में उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सुषमा स्वराज सब पर प्यार बरसाने वाली जिंदादिल इंसान थीं।
वेबीनार का आयोजन नेशनल फर्स्ट कलेक्टिव, संस्कार भारती पूर्वोत्तर व संस्कृति गंगा न्यास के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। इस मौके पर जावड़ेकर ने कहा कि वर्ष 1980 में वे युवा मोर्चा में कार्य करते थे। उस दौरान उनका सुषमा स्वराज से पहली बार परिचय हुआ था। तब भी सुषमा जी की छवि एक प्रखर वक्ता के रूप में थी। उन्हें सुषमा जी का बहुत स्नेह मिला है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सुषमा स्वराज की भाषा पर गहरी पकड़ थी। जब वो भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने तो सुषमा जी उनको बताती थीं कि शब्दों का समुचित उपयोग जरूरी है। सुषमा जी कनार्टक के बेल्लारी से लोकसभा चुनाव लड़ी, तो उन्होंने कन्नड़ भाषा सीख ली। भाषा ग्रहण करना उनके व्यक्तित्व का हिस्सा था।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राज्यसभा, लोकसभा हो या जनसभा, सभी जगह लोग उनके भाषण सुनने के लिए आतुर रहते थे। तेलंगाना राज्य निर्माण के समय सुषमा जी को लोकसभा में भाजपा की ओर से पक्ष रखने को कहा गया था। उन्होंने ऐसी आक्रमकता के साथ अपनी बात रखी कि तेलंगाना के लोगों के दिलों में उनके लिए जगह बन गई। उन्होंने सुषमा स्वराज की ममतामई छवि की चर्चा की और कहा कि विश्वास नहीं होता है कि वे असमय चली गईं। ऐसा लगता है कि वे अभी बोल उठेंगी।
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि सुषमा स्वराज की सुपुत्री व सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता बांसुरी स्वराज ने कहा कि उनकी मां भगवान श्री कृष्ण की उपासक थीं। वो कहती थीं कि श्री कृष्ण ने जो भी कार्य किए, उसमें वो पूरी ताकत झोंक देते थे। मां ने भी उनका अनुसरण किया। सरकार में जो भी मंत्रालय संभाला, उसमें जनकल्याण के लिए बड़े-बड़े फैसले लिए।
बांसुरी के इस प्रसंग ने सभी की आंखे नम कर दीं। जब उन्होंने बताया कि वो छोटी थीं और परमिशन जैसे शब्द का अर्थ क्या, बोल भी नहीं पाती थीं। तब भी उनकी मां चुनाव-प्रचार में जाने से पूर्व कहती थीं कि पहले बेटी की परमिशन ले लूं। मगर उनकी अपनी मां से एक शिकायत है कि पिछले वर्ष 6 अगस्त को उन्होंने अपनी बेटी से कोई परमिशन नहीं ली और चली गईं।
भारतीय सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने उन्हें संवेदनशील व प्रेरणादाई व्यक्तित्व बताया और कहा कि सुषमा जी का कविता के प्रति प्रेम था। यही कारण है कि जीवन के प्रति वो काव्य दृष्टि रखती थीं। यह उनके हावभाव में भी परिलक्षित होता था। जोशी ने इस अवसर पर अपनी एक कविता भी सुनाई, जिसे सुषमा स्वराज पसंद करती थीं।
प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक सुभाष घई ने उन्हें एक ऐसा सम्पूर्ण व्यक्तित्व बताया, जिसने कुशलता के साथ अलग-अलग भूमिकाओं का निर्वहन किया। फिल्मकार मधुर भंडारकर ने सुषमा स्वराज से जुड़े अपने संस्मरणों की चर्चा की और कहा कि वे हमेशा प्रोत्साहन देने का काम करती थीं।
फिल्म अभिनेत्री पद्मश्री कंगना राणावत ने कहा कि सुषमा जी महिला सशक्तिकरण की सच्ची मिशाल थीं। मध्यमवर्गीय परिवार से आने के बावजूद उन्होंने अपने चरम को छुआ।
कार्यक्रम में पद्मभूषण मोहन लाल, पद्मश्री कुलदीप सिंह, भजन गायक अनूप जलोटा समेत साहित्यिक जगत के अनेक वरिष्ठ लोगों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध एंकर हरीश विरमानी ने किया।
अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के भूमिपूजन कार्यक्रम से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) बौखलाहट में दिखाई दे रहा है। बोर्ड ने कार्यक्रम से कुछ घंटे पूर्व एक विवादास्पद ट्वीट किया है। ट्वीट में एक तरह से सुप्रीकोर्ट के निर्णय पर भी सवाल उठाया गया है और धमकी भरे अंदाज़ में कहा गया है कि ‘ बाबरी मस्जिद थी और हमेशा मस्ज़िद ही रहेगी।
AIMPLB ने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा है कि ‘ बाबरी मस्जिद थी और हमेशा मस्जिद ही रहेगी। हागिया सोफिया इसका एक बड़ा उदहारण है। अन्यायपूर्ण, दमनकारी, शर्मनाक और बहुसंख्यक तुष्टिकरण निर्णय द्वारा जमीन का पुनर्निर्धारण इसे बदल नहीं सकता है। दुःखी होने की जरूरत नहीं है। कोई स्थिति हमेशा के लिए नहीं रहती है। यह राजनीती है ‘
बोर्ड ने जिस अंदाज में यह ट्वीट किया है, वह कई सवाल खड़ा कर रहा है। बोर्ड ने अप्रत्यक्ष तौर पर सुप्रीकोर्ट के निर्णय पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। बोर्ड ने तुर्की की हागिया सोफिया संग्रहालय का उदाहरण दिया है, जो 900 साल तक चर्च, 500 साल तक मस्जिद, फिर संग्रहालय और अब फिर से मस्जिद बन गई है।
क्या है हागिया सोफिया का इतिहास
हागिया सोफिया या आयासोफ़िया तुर्की के इस्तांबुल शहर में स्थित एक चर्च था। इसका निर्माण रोमन सम्राट जस्टिनियन प्रथम के काल में 532 ईस्वी में हुआ था। उस समय यह संसार के सबसे बड़े चर्चों में एक था। माना जाता है कि इसने स्थापत्यकला के इतिहास को एक नया मोड़ दिया। सन् 1453 में कुस्तुनतुनिया शहर, जिसे बाद में इस्तांबुल नाम दिया गया, पर उस्मानिया सल्तनत ने कब्जा किया। उस्मानिया सल्तनत ने इस चर्च में तोड़फोड़ कर इसे मस्जिद बना दिया। उस्मानिया साम्राज्य के पतन के बाद वर्ष 1935 में देश की बागडोर मुस्तफा कमाल अतातुर्क के हाथ आई। कमाल अतातुर्क उदारवादी छवि के थे। उन्होंने तुर्की को मुस्लिम कट्टरपंथ से दूर कर आधुनिक व धर्मनिरपेक्ष देश बनाने का प्रयास किया। कमाल अतातुर्क ने हागिया सोफिया को लेकर चर्च व मस्जिद के विवाद को समाप्त करके उसे संग्रहालय बना दिया था। यह संग्रहालय यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल है।
यह इमारत इस वर्ष तब फिर चर्चा में आईं जब तुर्की की एक अदालत ने ईसाईयों व अन्य पक्षों की आपत्ति को दरकिनार करते हुए इसे मस्जिद करार दे दिया। अदालत के आदेश के बाद तुर्की के कट्टरपंथी माने जाने वाले राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगन ने अन्तर्राष्ट्रीय चेतावनी की परवाह किए बगैर विगत 20 जुलाई को संग्रहालय को पुनः मस्जिद बना दिया। यानि, हागीया सोफिया 900 साल तक चर्च, 500 साल तक मस्जिद, फिर संग्रहालय और अब फिर से मस्जिद बन गई है।
देशभर में राममंदिर निर्माण को लेकर दिख रहे उत्साह के बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी राममय हो गईं। अयोध्या में 5 अगस्त को प्रस्तावित भूमि पूजन कार्यक्रम पर प्रियंका ने ट्विटर पर अपना वक्तव्य जारी किया। उन्होंने कहा कि भगवान राम व माता सीता के संदेश और उनकी कृपा के साथ रामलला के मंदिर का भूमिपूजन राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व व सांस्कृतिक समागम का अवसर बने। ट्वीटर पर बयान जारी करते ही यूजर्स ने प्रियंका पर सवालों की झड़ी लगा दी।
ट्विटर पर जारी अपने बयान में प्रियंका गांधी ने कहा कि दुनिया और भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति में रामायण की गहरी और अमिट छाप है। भगवान राम, माता सीता और रामायण की गाथा हजारों वर्षों से हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक स्मृतियों में प्रकाश पुंज की तरह आलोकित है। भारतीय मनीषा रामायण के प्रसंगों से धर्म, नीति, कर्तव्यपरायणता, त्याग, उदात्तता, प्रेम, पराक्रम और सेवा की प्रेरणा पाती रही है। उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम तक रामकथा अनेक रूपों में स्वयं को अभिव्यक्त करती चली आ रही है। श्रीहरि के अनगिनत रूपों की तरह रामकथा हरिकथा अनंता है।
युग-युगांतर से भगवान राम का चरित्र भारतीय भूभाग में मानवता को जोड़ने का सूत्र रहा है। भगवान राम आश्रय हैं और त्याग भी। राम शबरी के हैं, सुग्रीव के भी। राम वाल्मीकि के हैं और भास के भी। राम कंबन के हैं और एषुत्तच्छन के भी। राम कबीर के हैं, तुलसीदास के हैं, रैदास के हैं। सबके दाता राम हैं। गांधी के रघुपति राघव राजा राम सबको सम्मति देने वाले हैं। वारिस अली शाह कहते हैं जो रब है वही राम है।
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त राम को ‘निर्बल का बल’ कहते हैं, तो महाप्राण निराला ‘वह एक और मन रहा राम का जो न थका’ की कालजई पंक्तियों से भगवान राम को ‘शक्ति की मौलिक कल्पना’ कहते हैं। राम साहस हैं, राम संगम हैं, राम संयम हैं, राम सहयोगी हैं। राम सबके हैं।भगवान राम सबका कल्याण चाहते हैं। इसलिए वे मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।
5 अगस्त को रामलला के मंदिर के भूमिपूजन का कार्यक्रम रखा गया है। भगवान राम की कृपा से यह कार्यक्रम उनके संदेश को प्रसारित करने वाला राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का कार्यक्रम बने। अपने बयान के अंत में प्रियंका ने ‘जय सियाराम’ का उदघोष भी लिखा है।
प्रियंका गांधी के इस ट्वीट को लगभग 5600 रीट्वीट मिले हैं। करीब 21 हजार से अधिक लोगों ने लाइक किया है और 7900 से अधिक कॉमेंट्स आए हैं। कॉमेंट्स में यूजर्स ने प्रियंका गांधी पर सवालों की बौछार कर दी।
सनातनी नाम के यूजर्स ने पूछा क्या भगवान राम जी कांग्रेस के भी हैं जो शिलान्यास से पहले उन्हें काल्पनिक कहते थे। अविनाश श्रीवास्तव ने लिखा है – कांग्रेस का असली रूप, इतिहास साक्षी है कि कांग्रेस ने राम मंदिर पुनर्निर्माण में हरसंभव बाधा डालने का प्रयत्न किया और आज उसी कांग्रेस में क्रेडिट लूटने और डैमेज कंट्रोल की हौड़ लगी हुई है।
कुंवर अजयप्रताप सिंह ने लिखा है कोर्ट में एफिडेविट देकर भगवान श्री राम को काल्पनिक बताने वाले आज रामभक्त बनकर घूम रहे हैं और लोग पूछते हैं कि अच्छे दिन कब आएंगे। वाकई मोदी है तो मुमकिन है। बिष्णु प्रसाद त्रिपाठी ने व्यंग किया है – लगता है किसी राम भक्त ने प्रियंका वाड्रा जी का एकाउंट हैक करके यह ट्वीट कर दिया है, क्योंकि श्रीराम को काल्पनिक कहने वाले रामभक्त कभी नही हो सकते।
गौवत्स पंडित सरस भारद्वाज नाम के यूजर्स ने लिखा है – राम के अस्तित्व को नकारने वाले, राम को काल्पनिक कहने वाले, रामसेतु को कल्पना मात्र कहने वाले आज यह बता रहे हैं। धन्य है प्रभु तेरी लीला। राम को काल्पनिक कहते – कहते जिनकी जिव्हा नहीं थकती थी, वो आज राम जप रहे। वाह रे मोदी जी इनके मुख से भी जय श्री राम बुलवा दिया।
भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन ( Permanent Commission) देने के लिए रक्षा मंत्रालय की स्वीकृति के बाद सेना मुख्यालय ने महिला अधिकारियों की स्क्रीनिंग के लिए एक विशेष चयन बोर्ड के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सेना मुख्यालय ने स्थायी कमीशन के लिए पात्र महिला अधिकारियों से आवेदन करने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। ताकि बोर्ड उनके आवेदन पर विचार कर सके।
सेना के जनसंपर्क अधिकारी कर्नल अमन आनंद ने एक विज्ञप्ति में बताया कि महिला विशेष प्रवेश योजना (Women Special Entry Scheme – WSES) और अल्प सेवा कमीशन महिला (Short Service Commission Women – SSCW) के माध्यम से भारतीय सेना में शामिल महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए उनसे 31 अगस्त तक सेना मुख्यालय में अपना आवेदन पत्र सम्पूर्ण दस्तावेजों के साथ जमा कराने को कहा गया है। आवेदन पत्र की प्राप्ति और उनके सत्यापन के तुरंत बाद चयन बोर्ड का गठन किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि विगत माह 23 जुलाई को रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए स्वीकृति प्रदान की थी । इस स्वीकृति के बाद सेना में महिला अधिकारियों को बड़ी भूमिकाओं के निर्वहन के लिए रास्ता साफ़ हो गया है। अभी तक सेना की जज एवं एडवोकेट जनरल (JAG) व आर्मी एजुकेशनल कॉर्प्स (AEC) शाखा में ही महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन था।
मोदी सरकार के इस आदेश के बाद भारतीय सेना के सभी दस वर्गों अर्थात आर्मी एयर डिफेंस (AAD), सिग्नल्स, इंजीनियर्स, आर्मी ऐवियेशन, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (EME), आर्मी सर्विस कॉर्प्स (ASC), आर्मी आर्डनेंस कॉर्प्स (AOC) और इंटेलीजेंट कॉर्प्स में शॉर्ट सर्विस कमीशंड महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन की स्वीकृति मिल गयी है।
अभी तक आर्मी में 14 साल तक शॉर्ट सर्विस कमीशन में सेवा दे चुके पुरुष अधिकारियों को ही स्थायी कमीशन का विकल्प मिल रहा था। महिला अधिकारी इससे वंचित थीं। स्थायी कमीशन से महिलाएं 20 साल तक काम कर पाएंगी। शॉर्ट सर्विस कमिशन के तहत महिला अधिकारियों को चौदह साल में रिटायर कर दिया जाता है और उन्हें पेंशन भी नहीं मिलती है। ऐसे में रिटायरमेंट के बाद महिला अधिकारियों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो जाता। इसके अलावा भी कई ऐसी सुविधाएं हैं जो इन्हें नहीं मिलती है। हालांकि, वायुसेना और नौसेना में महिला अफसरों को पहले से ही स्थायी कमीशन मिल रहा है।