15 वें वित्त आयोग द्वारा उत्तराखण्ड को कुल 89,845 करोड़ रूपए की संस्तुति की गई है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, 15 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह और आयोग के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे उत्तराखण्ड को विकास योजनाएं संचालित करने में काफी मदद मिलेगी। राज्य को प्रधानमन्त्री और केन्द्र सरकार का सदैव सहयोग मिलता रहा है। आयोग ने राज्य के पक्ष को समझा और अपनी महत्वपूर्ण संस्तुतियां दी हैं।
उन्होंने कहा कि पीएमजीएसवाई में बड़ी राशि मिलने से सड़क से वंचित रह गए गांवों को सड़कों से जोड़ा जा सकेगा। आपदा प्रबंधन में भी पर्याप्त धनराशि की संस्तुति की गई है। निश्चित रूप से इससे राज्य में आपदा प्रबंधन को और मजबूत करने में सहायता मिलेगी। राज्य में पंचायती राज संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण में भी मदद मिलेगी।
गौरतलब है कि 15 वें वित्त आयोग द्वारा उत्तराखण्ड को कुल 89,845 करोड़ रूपए की संस्तुति की गई है। इसमें 47,234 करोङ रूपए की राशि केन्द्रीय करों में राज्य का हिस्सा है। केंद्रीय करों में राज्य के हिस्से में 1.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
केंद्रीय बजट की मुख्यमंत्री ने की सराहना
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि विपरीत परिस्थितियों में बहुत ही समावेशी बजट प्रस्तुत किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को धन्यवाद देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट में प्रधानमंत्री की मजबूत इच्छाशक्ति दिखाई देती है।
उन्होंने कहा कि मुख्यतः 6 स्तम्भों पर आधारित इस बजट में आधारभूत संरचना के विकास, रोजगार सृजन के साथ ही गांवों और किसानों का ख्याल रखा गया है। इस बजट को सभी देशवासियों की आकांक्षाओं का बजट कह सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट से स्वस्थ और सुरक्षित भारत की परिकल्पना पूर्ण होगी। हेल्थ केयर में 137 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। यह बजट आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करेगा।
- प्रहलाद सबनानी
सेवानिवृत्त उप महाप्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक
पूरे विश्व में फैली कोरोना महामारी के चलते सभी देशों में तुलनात्मक रूप से राजस्व संग्रहण में बहुत कमी आई है। भारत में भी यही स्थिति देखने में आई है और करों की वसूली एवं अन्य स्त्रोतों से आय वित्तीय वर्ष 2020-21 में वर्ष 2019-20 की तुलना में बहुत कम रही है। हालांकि कोरोना महामारी के बाद, अब जब आर्थिक विकास दर में पुनः वृद्धि दृष्टिगोचर है तब करों की वसूली में भी सुधार देखने में आ रहा है। माह दिसम्बर 2020 में जीएसटी संग्रहण रिकार्ड स्तर पर, रुपए 1.15 लाख करोड़ रुपए का हुआ है। माह अक्टोबर 2020 एवं नवम्बर 2020 में भी यह एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का रहा था।
कोरोना महामारी के चलते राजस्व के संग्रहण में आई कमी के चलते केंद्र सरकार ने आवश्यक ख़र्चों विशेष रूप से ग़रीब वर्ग एवं किसानों को सहायता पहुंचाने के लिए होने वाले ख़र्च में कोई कमी नहीं आने दी है। बल्कि, पूंजीगत ख़र्चों को तो पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ाया ही है ताकि देश की अर्थव्यवस्था को बल मिल सके एवं रोज़गार के अधिक अवसर निर्मित हो सकें, जिसकी कि आज देश में बहुत अधिक आवश्यकता है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में माह दिसम्बर 2020 को समाप्त अवधि तक 499 डीबीटी योजनाओं पर 2.21 लाख करोड़ रुपए ख़र्च किए गए हैं। विपरीत परिस्थितियों में आर्थिक विकास को गति देने के लिए सरकारी ख़र्चों को बढ़ाने की बहुत ज़रूरत है।
माह अप्रेल 2020 से नवम्बर 2020 को समाप्त अवधि में केंद्र सरकार का कुल व्यय 19,06,358 करोड़ रुपए रहा है जबकि वित्तीय वर्ष 2019-20 की इसी अवधि के दौरान यह 18,20,057 करोड़ रुपए रहा था। इसी प्रकार पूंजीगत ख़र्चे भी वित्तीय वर्ष 2020-21 में नवम्बर 2020 तक 2,41,158 करोड़ रुपए के रहे हैं जो वित्तीय वर्ष 2019-20 में इसी अवधि का दौरान 2,13,842 करोड़ रुपए के रहे थे। वित्तीय वर्ष 2020-21 में केंद्र सरकार के कुल राजस्व की वसूली 830,851 करोड़ रुपए की रही है जबकि कुल ख़र्चे 19,06,358 करोड़ रुपए के किए गए हैं। इस प्रकार कम राजस्व वसूली का ख़र्चों पर किसी भी तरह से असर आने नहीं दिया गया है। ऐसा कोरोना महामारी जैसी विशेष विषम परिस्थितियों के चलते ही किया गया है ताकि देश की जनता को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो सके एवं देश के विकास को गति मिल सके। विशेष रूप से देश में जब निजी निवेश भी गति नहीं पकड़ पा रहा हो, तो केंद्र सरकार को तो आगे आना ही होगा।
वैसे देश में अब परिस्थितियां तेज़ी से बदल रही हैं और आर्थिक विकास दर तेज़ी से वापिस पटरी पर आती दिख रही है। जैसे जैसे आर्थिक विकास दर की रफ़्तार बढ़ेगी वैसे वैसे केंद्र सरकार के राजस्व में भी तेज़ गति से वृद्धि होगी। साथ ही, कोरोना महामारी जैसी विषम परिस्थितियों के कारण विनिवेश के लक्ष्य भी हासिल नहीं किये जा सके और अब जब शेयर बाज़ार में तेज़ी दिखाई पड़ रही है और शेयर बाज़ार नित नई रिकार्ड ऊंचाईयों को छू रहा है। ऐसे में, केंद्र सरकार के लिए विनिवेश के लक्ष्य हासिल करना भी थोड़ा आसान होता दिखाई दे रहा है।
कुछ क्षेत्रों में विकास दर को हासिल करने में अभी और समय लगेगा जैसे टुरिज़म, एवीएशन एवं होटेल उद्योग आदि क्योंकि इन क्षेत्रों को अभी तक पूरे तौर पर खोला भी नहीं गया है। अतः केंद्र सरकार को इन क्षेत्रों सहित अन्य कई क्षेत्रों में प्रोत्साहन/सहायता कार्यक्रम चालू रखने होंगे, केंद्र सरकार ऐसा कर भी रही है।
कोरोना महामारी के कारण देश में बरोज़गारी की दर में भी इज़ाफ़ा हुआ है। इस मुद्दे को गम्भीरता एवं शीघ्रता से सुलझाने का प्रयास केंद्र सरकार कर रही है। विशेष रूप से हॉस्पिटैलिटी एवं ट्रैवल के क्षेत्रों को धीरे धीरे खोला जा रहा है ताकि इन क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर एक बार पुनः कोरोना महामारी के काल के पहिले के स्तर को प्राप्त कर सकें। अभी तक ये क्षेत्र 50 प्रतिशत से कुछ अधिक खुल पाए हैं। ये थोड़े जोखिम भरे क्षेत्र हैं क्योंकि इन क्षेत्रों को पूरे तौर पर खोलने से कोरोना महामारी के वापिस फैलने का ख़तरा हो सकता है।
हालांकि केंद्रीय बजट में बजटीय घाटे की एक सीमा निर्धारित की गई है जिसका पालन केंद्र सरकार को करना होता है परंतु कोरोना महामारी जैसी विशेष परिस्थितियों के चलते इस सीमा का पालन किया जाना अब बहुत मुश्किल हीं नहीं बल्कि असम्भव भी होगा। अतः वित्तीय वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट के लिए इस सीमा के पालन में छूट लेते हुए इसे बढ़ाया जाना चाहिए। बजटीय घाटे में यदि वृद्धि भी होती है तो देश की अर्थव्यवस्था पर कोई विपरीत प्रभाव पड़ने वाला नहीं हैं क्योंकि एक तो यह ख़र्चा पूंजीगत मदों पर अधिक किया जा रहा है, दूसरे अब देश में ब्याज की दरें काफ़ी कम हो गई हैं अतः केंद्र सरकार को बाज़ार से लिए जा रहे ऋणों पर कम ब्याज देना पड़ रहा है। साथ ही, यदि यह राशि पूंजीगत मदों पर ख़र्च की जा रही है तो इससे एक तो संपतियों का निर्माण होगा, दूसरे रोज़गार के नए अवसर निर्मित होंगे, तीसरे उत्पादों की मांग बढ़ेगी और इस तरह आर्थिक विकास का पहिया तेज़ी से घूमने लगेगा और केंद्र सरकार के राजस्व में वृद्धि करने में भी सहायक सिद्ध होगा। हां, निर्माण के क्षेत्र में, कृषि के क्षेत्र में एवं अधोसंरचना को विकसित करने के लिए, पूँजीगत ख़र्चे अधिक मात्रा में किए जाने चाहिए क्योंकि इन क्षेत्रों में तुलनात्मक रूप से रोज़गार के अधिक अवसर निर्मित होते हैं।
केंद्र सरकार ने पिछले 6 महीनों के दौरान कई क़दम उठाए हैं और उसका असर नवम्बर एवं दिसम्बर माह के राजस्व संग्रहण में दिखने भी लगा है। कोरोना महामारी के दौरान, दरअसल पूंजीगत ख़र्चे निजी क्षेत्र एवं सरकारी क्षेत्र, दोनों ही क्षेत्रों में कम हो गए थे। परंतु अब जब केंद्र सरकार ने अपने ख़र्चों में बढ़ौतरी करनी शुरू कर दी है तो आशा की जा रही है कि निजी क्षेत्र भी सरकार के साथ क़दम से क़दम मिलाकर चलेगा एवं अपने पूंजीगत ख़र्चों को बढ़ाएगा। विदेशी निवेशक भी अब आगे आ रहे हैं एवं उन्होंने नैशनल हाईवेज़ के प्रोजेक्ट्स में 10,000 करोड़ रुपए का निवेश किया है। इस तरह के प्रोजेक्ट की आस्तियों का मुद्रीकरण (Monetise) किया जा रहा है ताकि निवेश बढ़ाया जा सके। पूंजीगत ख़र्चों को हर हालात में बढ़ाया जा रहा है। एयरपोर्ट्स का निजीकरण किया जा रहा है इससे भी राजस्व की प्राप्ति केंद्र सरकार को होगी।
केंद्र सरकार ने स्ट्रीटीजिक उद्योग नीति की घोषणा की है। इससे कई क्षेत्रों का निजीकरण करने में आसानी होगी। क्षेत्र निर्धारित कर लिए गए हैं। यह एक बड़ा क़दम है, जो केंद्र सरकार द्वारा उठाया जा रहा है। अपने राजस्व में वृद्धि करने के लिए इसी प्रकार के कई क्रांतिकारी क़दम अब राज्य सरकारों को भी उठाने होंगे। देश के आर्थिक विकास को गति देने के उद्देश्य केंद्र एवं राज्य सरकारों को अब मिलकर काम करना आवश्यक हो गया है।
किसी भी खेल प्रेमी के लिए वह क्षण बड़ा ही गौरवपूर्ण होता है जब जन-गण-मन की धुन पर तिरंगा लहराता है। केंद्र सरकार की ‘खेलो इंडिया अभियान’ के बाद से भारतीय समाज में विभिन्न खेलों के प्रति लोकप्रियता बढ़ी है। यह बात मध्य प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग के निदेशक पवन कुमार जैन ने कही। अवसर था, भोपाल में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के लेखक डॉ. आशीष द्विवेदी की पुस्तक ‘खेल पत्रकारिता के आयाम’ के विमोचन का। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने की।
मुख्य अतिथि पवन जैन ने खेल पत्रकारिता और उनकी चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्टिंग में खेल को समग्र दृष्टि से देखने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि कोरोना संकट के बाद खेल हमारे समाज को नया मार्ग दिखा सकते हैं। उन्होंने मीडिया प्राध्यापक डॉ. आशीष द्विवेदी की पुस्तक ‘खेल पत्रकारिता के आयाम’ को सामाजिक मनोभाव को सकारात्मक मार्गदर्शन करने वाला शोधपूर्ण ग्रंथ बताया। यह एक ऐसी पुस्तक है जो ना सिर्फ खेलों के बारे में हमें बताती है बल्कि यह पुस्तक हमें खेलों तक लेकर जाती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो.केजी सुरेश ने बताया कि एक खेल प्रेमी ही बेहतर खेल प्रशासक या खेल पत्रकार हो सकता है। खेल के विविध आयामों को समाहित करते हुए यह पुस्तक प्रकाशित हुई है। यह पुस्तक पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी। उन्होंने कहा कि जीवन में खेल का बहुत महत्व है। प्रत्येक व्यक्ति को किसी न किसी खेल से जुड़ना चाहिए। खेल जीवन में अनुशासन लाता है।
पुस्तक की रचना के संदर्भ में लेखक डॉ.आशीष द्विवेदी ने कहा कि खेल पत्रकारिता के अध्यापन के दौरान ध्यान आया था कि इस विषय पर समग्रता से एक पुस्तक की आवश्यकता है। खेल पत्रकारिता में असीम संभावनाएं हैं।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं वरिष्ठ पत्रकार शिव कुमार विवेक ने पुस्तक के कंटेंट की चर्चा करते हुए कहा कि यह पुस्तक खेल पत्रकारिता के सभी आयाम को समेटती है। उन्होंने कहा कि अब हिंदी समाचार पत्रों में भी खेल के लिए विशेष पन्ने निर्धारित होने लगे हैं, इससे यह परिलक्षित होता है कि खेलों के प्रति वातावरण बेहतर हुआ है।
खेल पत्रकार एवं विशिष्ट अतिथि श्रुति तोमर भदौरिया ने विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि खेलों में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए। खेलों में महिलाओं के प्रति सामाजिक दृष्टि और बाजारवादी सोच को उन्होंने चुनौती माना।
कार्यक्रम का संचालन लोकेन्द्र सिंह ने किया और आभार प्रदर्शन कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने किया।
उत्तराखंड में सड़क सुविधाओं के विकास और सड़क दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए त्रिवेंद्र सरकार एक नई पहल करने जा रही है। प्रदेश सरकार ने सभी ब्लॉक मुख्यालयों को डबल लेन सड़क से जोड़ने की योजना बनाई है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में विकास खण्ड मुख्यालयों को जोड़ने वाली अधिकांश सड़कें कम चौड़ी हैं। यातायात की सुगमता के लिए कम आबादी वाले विकास खण्डों को जोड़ने वाली सड़कों को डेढ़ लेन तथा अधिक आबादी वाले विकास खण्डों को डबल लेन सड़क से जोड़ा जाएगा। सड़क चौड़ीकरण से इन क्षेत्रों में अवागमन और अधिक सुरक्षित तथा सुविधापूर्ण हो सकेगा और सुदूरवर्ती क्षेत्रों तक आवागमन सुरक्षित होगा। यातायात नियंत्रण एवं सड़क दुर्घटनाओं को रोकने में भी इससे मदद मिलेगी।
उन्होंने बताया कहा कि प्रदेश के सभी गांवों को सड़क से जोड़ने का लक्ष्य भी पूर्ण होने वाला है। उन्होंने कहा कि सड़कों का सुदृढ़ीकरण क्षेत्रीय विकास की राह भी प्रशस्त करती है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में देश की राजधानी से राज्य को जोड़ने वाली सड़कों के और अधिक सुदृढ़ीकरण और चारधाम व भारतमाला सड़क परियोजनाओं से राज्य के लोगों को बेहतर सड़क कनेक्टविटी मिलेगी। इसके अलावा ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के निर्माण से पहाड़ पर रेल यात्रा का राज्यवासियों का वर्षों पुराना सपना तो पूरा होगा ही, साथ ही इससे चारधाम यात्रा में भी नये आयाम जुड़ेंगे।
गणतंत्र दिवस के अवसर नई दिल्ली के राजपथ पर निकली विभिन्न राज्यों की झांकियों में उत्तराखण्ड की ‘केदारखण्ड’ झांकी को तीसरे स्थान के लिये पुरस्कृत किया गया है। नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रंगशाला शिविर में केंद्रीय युवा मामलों व खेल राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) किरेन रिजिजू ने यह पुरस्कार उत्तराखंड को प्रदान किया।
सूचना व लोकसंपर्क विभाग के उप निदेशक व उत्तराखण्ड के टीम लीडर के.एस. चौहान ने राज्य की ओर से यह पुरस्कार प्राप्त किया। राज्य गठन के बाद उत्तराखण्ड द्वारा अनेक बार गणतंत्र दिवस परेड में प्रतिभाग किया गया। मगर यह पहला अवसर है जब उत्तराखण्ड की झांकी को पुरस्कार के लिए चुना गया है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस पर प्रसन्नता व्यक्त की और प्रदेशवासियों समेत सचिव सूचना दिलीप जावलकर, सूचना महानिदेशक डॉ मेहरबान सिंह बिष्ट, टीम लीडर केएस चौहान, झांकी तैयार करने तथा झांकी में सम्मलित सभी कलाकारों को बधाई दी है।
गणतंत्र दिवस परेड-2021 समारोह में उत्तराखण्ड राज्य की झांकी में सम्मिलित होने वाले कलाकारों में झांकी निर्माता सविना जेटली, मोहन चन्द्र पाण्डेय, विशाल कुमार, दीपक सिंह, देवेश पन्त, वरूण कुमार, अजय कुमार, रेनू, नीरू बोरा, दिव्या, नीलम व अंकिता नेगी शामिल थे।
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गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली में किसानों के अराजक प्रदर्शन के दौरान घायल हुए पुलिसकर्मियों का बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने हालचाल पूछा। अमित शाह ने दिल्ली के तीरथ राम अस्पताल और सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर जाकर घायल पुलिस जवानों से मुलाकात की। घायल जवानों से मुलाकात का ट्विटर पर वीडियो जारी करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि हमें उनके साहस व बहादुरी पर गर्व है।
उल्लेखनीय है कि नए कृषि कानूनों के विरोध में लम्बे समय से आंदोलनरत किसानों ने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर रैली आयोजित करने की अनुमति मांगी थी। दिल्ली पुलिस ने कुछ शर्तों के साथ रैली को अनुमति दी थी। इन शर्तों में रैली को एक निर्धारित रुट से ले जाना भी शामिल था। मगर आयोजकों ने अनुमति की किसी भी शर्त का पालन नहीं किया। उल्टा प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली में तोड़फोड़, हिंसा व अराजकता का नंगा नाच किया। सरेआम तलवारें लहराई गईं। लाल किले पर तिरंगे का अपमान कर एक अन्य ध्वज फहराया गया।
किसानों के नाम पर हुए इस हिंसक प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस ने बेहद संयम का परिचय दिया और अराजक तत्वों के मंसूबो को कामयाब नहीं होने दिया। प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस के करीब 400 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे, जिनमें से कुछ गंभीर रूप से घायल हैं। बुधवार को अमित शाह इन घायल जवानों को मिलने अस्पताल पहुंचे।
गृह मंत्री शाह द्वारा ट्विटर पर जारी वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि वे न केवल घायल जवानों की कुशल क्षेम पूछ रहे हैं, अपितु डॉक्टरों से भी बातचीत कर रहे हैं और जवानों के कंधों पर हाथ रख कर उन्हें ढांढस बंधाते भी दिख रहे हैं। शाह ने जवानों के फल भी वितरित किए। शाह ने घायल जवानों से मुलाकात का वीडियो अपने ट्विटर हैंडल पर जारी करते हुए घायल पुलिस कर्मियों के लिए लिखा है कि – ”हमें उनके साहस और बहादुरी पर गर्व है”।
वित्त मंत्री ने कहा दिल्ली पुलिस का अनुकरणीय संयम
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गृह मंत्री शाह के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए उनके द्वारा घायल जवानों के हालचाल पूछे जाने की सराहना की। अपने ट्वीट में निर्मला ने यह भी कहा कि दिल्ली पुलिस ने अनुकरणीय संयम दिखाया। वित्त मंत्री ने ड्यूटी के दौरान घायल हुए जवानों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना भी की है।
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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने गणतंत्र दिवस पर सुनियोजित हिंसाचार, राष्ट्रीय धरोहर लालकिला प्रांगण में हुई तोड़फोड़, पुलिस व अर्धसैनिक बलों पर तलवारों, फर्से व लाठियों से लैस भीड़ के संगठित हमले तथा राष्ट्रीय प्रतीकों के अनादर में सम्मिलित अपराधियों पर शीघ्र कार्रवाई की मांग की है।
एक बयान में ABVP ने कहा है कि कथित किसान नेताओं ने वकील प्रशांत भूषण तथा दुष्यंत दवे के माध्यम से उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर कर आंदोलन के शांतिपूर्ण ढंग से आयोजित होने का आश्वासन दिया था, लेकिन शुरूआती दौर से ही यह कथित किसान आंदोलन बिल्कुल भी शांतिपूर्ण नहीं रहा। ट्रैक्टरों पर तोड़फोड़ करने वाले यंत्रों को लगाने आदि से इस आंदोलन की सुनियोजित हिंसा के षड्यंत्र का अनुमान लगाया जा सकता है।
किसान आंदोलन की आड़ में जिस प्रकार से लाल किले की प्राचीर से तिरंगा का अपमान कर अन्य पताकाओं और अलगाववादी खालिस्तानी व वामपंथी पार्टियों के झंडे लहराए गए, तथा दिल्ली पुलिस व अर्धसैनिक बलों के जवानों के साथ भीड़ ने भीषण हिंसा की, उसके अलग-अलग वीडियो सार्वजनिक हैं। इन वीडियोज की पड़ताल कर दंगाइयों तथा देशविरोधी तत्त्वों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
ABVP की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा, “राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को फेंक उसके अनादर के वीडियो लोगों के बीच सार्वजनिक हो चुके हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस तरह राष्ट्रीय प्रतीकों के अनादर से देश गुस्से में है। इस पूरी हिंसा की निष्पक्ष जांच कर सरकार को अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी। गणतंत्र दिवस जैसे पावन दिन पर अशांति फैलाकर आंदोलन के पीछे की ताकतों की वास्तविकता स्पष्ट है।”
अल्मोड़ा जिले की सल्ट विधानसभा के हरडा में बुधवार को आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्थानीय विधायक सुरेंद्र सिंह जीना और उनकी धर्मपत्नी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि जनहित के कार्यों व प्रदेश के विकास में सुरेंद्र जीना का योगदान भुलाया नहीं जा सकता। उनके अधूरे कार्यों को राज्य सरकार पूरा करेगी। उन्होंने सल्ट क्षेत्र में जीना की स्मृति में एक स्मारक बनाने समेत क्षेत्र के विकास के लिए कई घोषणाएं कीं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि जीना से सबका बहुत ही सहज और सरल रिश्ता था। जीना का अपने क्षेत्र के लोगों से गहरा लगाव था। कहा कि उनके कहने पर इस क्षेत्र जनहित की 63 विकास योजनाओं की मैंने घोषणाएं की हैं। जिसमें से 42 पूर्ण हो चुकी हैं। बाकी भी जल्द पूरा हो जाएंगी। इस मौके पर उन्होंने राजकीय महाविद्यालय मनीला को सुरेंद्र जीना के नाम पर करने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने मार्चुला को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए एडवेंचर मीट का आयोजन, हरडा में एडवेंचर स्पोर्ट्स सेंटर व जिला सहकारी बैंक की स्थापना, रामगंगा के तट को एंगलिग हब के रूप में विकसित करने आदि कई घोषणाएं की।
कार्यक्रम में प्रदेश के परिवहन मंत्री यशपाल आर्य, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ धन सिंह रावत, सांसद अजय टम्टा, भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार, प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट आदि उपस्थित थे।
दो महीनों से किसानों की खाल ओढ़कर बैठे भेड़ियों की असली शक्ल गणतंत्र दिवस पर देश के सामने आ गई। आखिरकार वही हुआ जिसकी संभावना बीते कई दिनों से जताई जा रही थी। दिल्ली पुलिस बताती रही कि किसानों के आंदोलन में उपद्रवी तत्व घुस चुके हैं, इंटेलीजेंस बताता रहा कि पाकिस्तान से आन्दोलन को भड़काने की कोशिश कर रही है लेकिन अपने मद में चूर किसान नेता पुलिस की बात को अनसुना करते रहे। पुलिस समझाती रही और किसान नेता कहते रहे कि हम तिरंगा लहराएंगे लेकिन 26 जनवरी को तस्वीरें तलवार लहराने की सामने आईं। मीडिया पर तैर रही तमाम तस्वीरें और वीडियो किसी को भी यह सवाल पूछने के लिए विवश कर देंगे कि क्या यह मेरे देश का किसान है?
तोड़े सारे नियम
पहले तो किसान अपनी मांगों को लेकर सरकार के सामने अड़ गए। सरकार ने नरम रुख अपनाया। मगर फिर भी उनकी जिद में कहीं से कोई कमी नहीं आई। फिर किसानों ने जिद पकड़ी कि उन्हें 26 जनवरी को परेड निकालनी है। पहले तो पुलिस ने समझाया। बाद में पुलिस ने कुछ शर्तों के साथ उन्हें रैली की इजाजत भी दे दी, लेकिन जब रैली का दिन आया तो उन्होंने सारी शर्तों को धता बता दिया। सारे नियम तोड़ डाले गए। पुलिस के बैरिकेड माचिस की तीलियों की तरह तोड़ दिए गए और देश की राजधानी पर इस तरह से हमला किया गया है मान लो मुगलों की फौज दिल्ली लूटने आई हो।

जगह-जगह हिंसा
मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से इन कथित किसानों की अराजक तस्वीरें व वीडियो सामने आए हैं। एक वीडियो में एक निहंग सिख खुलेआम पुलिस वाले पर तलवार भांजता दिखाई दे रहा है। कहीं पुलिस वालों के सर से बहता हुआ खून है तो कहीं खिलौने की तरह नाचती हुई बस। पुलिस के ऊपर लाठियां चलाई जा रही है। साथ हीं जगह-जगह पत्थर भी बरसाए जा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने अराजकता की सारी सीमाओं को पार किया। महिला पुलिसकर्मियों से बदसलूकी की गई।
मोदी विरोधी ताकतों की मंशा पर फिरा पानी
जिस तरह तलवारें लहराई गयी, ईंट पत्थर फेंके गए, ट्रैक्टर से पुलिस वालों को कुचलने की कोशिश की गई, पुलिस ने तब भी संयम बरतते हुए अपनी जान बचाई, यह पूरे देश ने देखा है। मोदी विरोधी ताकतें पूरी उम्मीद में थीं कि मोदी के सब्र का बांध कभी तो टूटेगा और सरकार और उत्पाती आमने-सामने होंगे। लाशें गिरेंगी और इन्हें लोकतंत्र के नाम पर बकैती का अवसर हाथ आएगा। लेकिन सरकार के संयम ने इनकी इस मंशा पर भी पानी फेर दिया।

कथित किसानों का दांव उल्टा पड़ा
किसान आंदोलन के नाम पर कुछ लोग केंद्र सरकार को तानाशाह साबित करने पर तुले थे। मगर केंद्र सरकार ने संयमित रुख अपनाते किसानों की खाल में छिपे असामाजिक तत्वों की अराजकता को पूरी दुनिया के सामने नुमाया कर दिया और सिद्ध कर दिया कि यह पूरा आंदोलन एक बड़े षड्यन्त्र का हिस्सा था और इसके पीछे राष्ट्र विरोधी ताकतों का दिमाग और पैसा था।
तमिलनाडु के रहने वाले ईसाई धर्म प्रचारक पॉल दिनाकरन एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार वे आयकर विभाग की छापेमारी के कारण चर्चाओं हैं। अपनी प्रार्थनाओं के बल पर दूसरों के कष्ट दूर करने वाले दिनाकरन आयकर विभाग द्वारा शिकंजा कसे जाने से खुद संकट में आ गए हैं। आयकर विभाग ने तमिलनाडु में पॉल के 25 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर 118 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति का पता लगाया है। छापेमारी में साढ़े चार किलो सोना भी बरामद किया गया है।
आयकर विभाग ने उनकी संस्था जीसस कॉल्स (Jesus Calls) को लेकर चेन्नई और कोयंबटूर में सर्च ऑपरेशन चलाया था। दिनाकरन इस क्रिश्चियन मिशनरी के प्रमुख हैं। इसका कामकाज कई देशों में फैला हुआ है। दिनाकरन करुण्य विश्वविद्यालय के कुलपति भी हैं।
आयकर विभाग ने विगत सप्ताह सर्च ऑपरेशन चला कर पॉल दिनाकरन के कोयंबटूर स्थित निवास से 4.7 किलो सोना जब्त किया। विभाग ने डोनेशन की रसीदों, विदेश में निवेश, खर्च को बढ़ाकर दिखाने सहित कई अन्य तरीकों से 118 करोड़ रुपये की आय छिपाने के संबंध में जानकारी जुटाई है। छापे के दौरान विभाग ने दिनाकरन के संगठन को विदेशों से मिली पूंजी की भी जांच की।
कौन हैं पॉल दिनाकरन
जीसस कॉल्स मिनिस्ट्रीज और करुण्य यूनिवर्सिटी की स्थापना उनके पिता डॉ. डीजीएस दिनाकरन ने की थी। वे ईसाई धर्म प्रचारक थे। उनके बारे में यह प्रचारित था कि उन्होंने ईसा मसीह को देखा था। उनका वर्ष 2008 में निधन हो गया था। जिसके बाद संस्थाओं का नेतृत्व पॉल दिनाकरन के हाथों में आ गया था। तमिलनाडु में दिनाकरन परिवार का खासा वर्चस्व है। राज्य में सत्तारूढ़ पार्टियों से उनके अच्छे संबंध रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दिनाकरन ईश्वरीय कृपा के नाम पर अपनी प्रार्थनाओं के बल पर अनुयायियों को विभिन्न समस्याओं से छुटकारा दिलाने का दावा करते हैं। पॉल दिनाकरन की प्रेयर (प्रार्थना) पैकेज के रूप में उनके अनुयायियों के लिए उपलब्ध हैं। उनके प्रेयर पैकेज में बच्चों, परिवार व बिजनेस के लिए अलग-अलग प्लान हैं।
ये प्लान दिनाकरन की www.prayertoweronline.org नामक वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कर ख़रीदे जा सकते हैं। यानी भक्तों को जो प्लान चाहिए, उसके लिए उन्हें वेबसाइट पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होता है और बदले में दान के रूप में कुछ धनराशि देनी होती है। फिर उनके लिए दिनाकरन विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित करते हैं। उनके कार्यक्रम विभिन्न टीवी चैनलों पर प्रसारित होते हैं।