पहाड़ों की रानी मसूरी और उसके आसपास के इलाकों में भू- स्खलन का खतरा मंडरा रहा है। एक अध्ययन में पता चला है कि क्षेत्र के 15 प्रतिशत हिस्से में भूस्खलन का सर्वाधिक खतरा है। अधिकतर पहाड़ी इलाकों की तरह ही उत्तराखंड के पर्यटन स्थल मसूरी और उसके आसपास के क्षेत्रों में भी भूस्खलन की कई घटनाएं हो चुकी हैं। क्षेत्र में ऐसी प्राकृतिक आपदा के बढ़ते खतरों ने वैज्ञानिकों को मसूरी और उसके आसपास के क्षेत्रों की भूस्खलन के प्रति संवेदनशीलता का मानचित्रण करने के लिए प्रेरित किया।
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में जानकारी दी गई है कि मंत्रालय के अधीन संचालित स्वायत्तशासी संस्थान, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (WIHG) के वैज्ञानिकों ने निचले हिमालयी क्षेत्र में मसूरी और उसके आसपास के 84 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का अध्ययन किया। अध्ययन में पाया गया कि भूस्खलन वाले अतिसंवेदनशील क्षेत्र का बड़ा हिस्सा बाटाघाट, जॉर्ज एवरेस्ट, केम्प्टी फॉल, खट्टापानी, लाइब्रेरी रोड, गलोगीधार और हाथीपांव जैसे बसावट वाले क्षेत्रों के अंतर्गत आता है, जो 60 डिग्री से अधिक ढलान वाले अत्यधिक खंडित क्रोल चूना पत्थर से आच्छादित हैं।
भूस्खलन संवदेनशीलता मानचित्रण पर जर्नल ऑफ अर्थ सिस्टम साइंस में प्रकाशित इस अध्ययन में दिखाया गया है कि क्षेत्र का 29 प्रतिशत हिस्सा हल्के भूस्खलन और 56 प्रतिशत हिस्सा बहुत बड़े स्तर पर भूस्खलन वाले अति संवेदनशील क्षेत्र में आता है।
WIHG के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) और उपग्रह से प्राप्त हाई-रिज़ॉल्यूशन चित्रों का उपयोग करते हुए द्विभाजक सांख्यिकीय यूल गुणांक (वाईसी) विधि का उपयोग किया।
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वैज्ञानिकों के अनुसार अध्ययन करते समय क्षेत्र में भूस्खलन के विभिन्न संभावित कारकों में लिथोलॉजी, लैंड्यूज-लैंडकवर (एलयूएलसी), ढलान, पहलू, वक्रता, ऊंचाई, सड़क-कटान जल निकासी और लाइनामेंट आदि को शामिल किया गया। अध्ययन टीम ने भूस्खलन के कारणों के एक विशेष वर्ग का पता लगाने के लिए लैंडस्लाइड ऑक्युवेशन फेवरोबिलिटी स्कोर (एलओएफएस) के आंकड़े एकत्र किए और बाद में जीआईएस प्लेटफॉर्म में लैंडस्लाइड सुसाइड इंडेक्स (एलएसआई) बनाने के लिए भूस्खलन के प्रत्येक कारक के प्रभावों की अलग अलग गणना की। एलएसआई को प्राकृतिक मानकों के आधार पर पांच क्षेत्रों में पुनर्वर्गीकृत किया गया है।
इस मानचित्र की सटीकता को सक्सेस रेट कर्व (एसआरसी) और प्रिडिक्शन रेट कर्व (पीआरसी) का उपयोग करके सत्यापित किया गया, जो एसआरसी के लिए एरिया अंडर कर्व (एयूसी) को 0.75 के रूप में और पीआरसी को 0.70 के रूप में दिखाता है। यह भूस्खलन वाले विभिन्न तरह के अतिसंवेदनशील क्षेत्रों और भूस्खलन की घटना वाले क्षेत्रों के बीच परस्पर संबंधों को दर्शाता है।
मंत्रालय के अनुसार इस अध्ययन से भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर होने वाले भूस्खलन, इसके जोखिम और इस बारे में पर्वतीय कस्बों की संवेदनशीलता का मूल्यांकन करने में काफी मदद मिल सकती है।
निर्देशों के बावजूद कर्मचारियों की समयबद्ध पदोन्नति ना किये जाने के मामले में प्रदेश सरकार ने सख्त रूख दिखाया है। सरकार ने समयबद्ध तरीके से पदोन्नति की कार्रवाई नहीं किये जाने पर नाराजगी जताते हुए इसे अनुचित करार दिया है। शासन की ओर से सोमवार को कर्मचारियों की पदोन्नति के सम्बन्ध में शीघ्रातिशीघ्र कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिएअनुस्मारक जारी किया है।
प्रदेश की अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी द्वारा राज्याधीन सेवाओं, शिक्षण संस्थानों, सार्वजनिक उद्यमों, निगमों व स्वायत्तशासी संस्थाओं में पदोन्नति के संबंध में जारी किये गए अनुस्मारक पत्र में शासन के इस वर्ष 18 मार्च व 20 मई को जारी शासनादेशों का हवाला दिया गया है, जिसके तहत समस्त विभागों में पदोन्नति के रिक्त पदों पर प्रत्येक दशा में एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे। अनुस्मारक पत्र में कहा गया है कि विभिन्न कर्मचारी संगठनों द्वारा शासन के संज्ञान में लाया गया है कि अभी तक कई विभागों में पदोन्नतियां लंबित हैं और विभागों द्वारा समयबद्ध रूप से कार्रवाई नहीं की जा रही है।
सवाल – आखिर क्यों नहीं होती समयबद्ध पदोन्नति ?
गौरतलब है, कि प्रदेश में विभिन्न विभागों में लम्बे समय से पदोन्नतियां लटकी पड़ी हैं। विभागाध्यक्ष अथवा शासन स्तर पर कर्मचारियों की पदोन्नति के मामले में अधिकारी रूचि नहीं लेते हैं। इसे विडंबना ही कहना चाहिए कि जहाँ एक ओर अधिकारियों के पदोन्नति के प्रकरणों में एक दिन की भी देरी नहीं होती है, वहीं कर्मचारियों के प्रकरण में वर्षों तक कोई कार्रवाई नहीं होती है। कार्मिकों की पदोन्नति की फाइलें विभागों व सचिवालय की अंधेरी गलियों में गुम होकर रह जाती हैं और कई कार्मिक बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त हो जाते हैं। यहाँ इस तथ्य का उल्लेख करना भी जरुरी होगा, कि अधिकांश मामलों में कर्मचारियों की पदोन्नति के फलस्वरूप सरकार पर किसी प्रकार से राजस्व का अतिरिक्त बोझ भी नहीं पड़ता है। अधिकांश कार्मिक वरिष्ठता के कारण पदोन्नत होने वाले पद के समतुल्य अथवा उससे अधिक वेतन पा रहे होते हैं। इन कार्मिकों को पदोन्नति का लाभ वरिष्ठ पद के सम्मान से जुड़ा होता है। मगर उच्च अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैये के चलते कर्मचारी पदोन्नति से वंचित ही नहीं होते हैं, अपितु उनके मनोबल व कार्यक्षमता पर भी इसका सीधा असर पड़ता है। नतीजन, कर्मचारी संगठनों को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ता है।
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यदि आप मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में हाथ आजमाना चाहते हैं और इसके उत्पादन के बारे में तकनीकी ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपके पास एक अच्छा अवसर है। आप घर बैठे ऑनलाइन मशरूम की खेती का प्रशिक्षण ले सकते हैं।
उत्तराखंड के पंतनगर स्थित गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के मशरूम अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र द्वारा मशरूम की खेती पर 9 से 11 सितम्बर तक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम में बटन, ढिंगरी पुआल मशरूम व दूधिया मशरूम की खेती की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने के इच्छुक अभ्यर्थियों को पांच सौ रूपये बतौर पंजीकरण शुल्क 5 सितम्बर तक जमा करना होगा।
शुल्क भारतीय स्टेट बैंक की किसी भी शाखा में जमा कराया जा सकता है। शुल्क नियंत्रक, गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर के इस खाता संख्या में जमा कराएं – 30081736247, जिसका IFSC code है – SBIN0001133
शुल्क जमा करने के बाद जमा रशीद अथवा ट्रांजेक्शन की डिटेल इस e-mail: totmrtcpant@gmail.com एवं WhatsApp No.- 9389017092 पर भेजनी अनिवार्य है। प्रशिक्षण का आयोजन Google Meet पर किया जायेगा। पंजीकृत अभ्यर्थियों को Google Meet का लिंक उनके व्हाट्सएप्प नंबर पर भेजा जायेगा।
ये है विश्वविद्यालय की वेबसाइट
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B S Yediyurappa, Chief Minister of Karnataka and Shri Suresh C. Angadi, Minister of State of Railways today flagged off first ever Roll On Roll Off (RORO) service of South Western Railway from Nelamangla (near Bengaluru) to Bale (near Solapur).
Speaking on the occasion, Shri B S Yediyurappa, Chief Minister of Karnataka said, Prime Minister Shri Narendra Modi is emphasizing on Multimodal connectivity. APMC Markets in the region offer tremendous scope for RORO. He congratulated Suresh C. Angadi, Minister of State of Railways for taking lead in the initiative and assured full cooperation from State Government.
Speaking on the occasion, Suresh C. Angadi, Minister of State of Railways said, Multimodal connectivity is dream of Prime Minister. Thousands of trucks plying between Bengaluru and Solapur. With RORO travel time will be just 17 hours. This is trial run that got delayed due to COVID. Kisan Rail started to help farmers-agricultural produce can be transported across the country. The RORO service will bring faster development in the region.
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RORO is a concept of carrying road vehicles loaded with various commodities, on open flat railway wagons. PM ,in his recent Independence day speech ,has envisaged multimodal connectivity to take India to next level of development. RORO services are combination of best features of road and rail transports in the sense that they offer door to door service with minimal handling transported by fat and direct rail link . Road transport has advantage of door to door delivery of goods. However, increasing traffic on roads is leading to congestion and delays to passenger vehicles. This will cause unsafe travel conditions. Also, delays at interstate check posts due to inspection of various documents, etc. contribute to increased travel time.
On the other hand, Railways provide hassle free and environmentally friendly transport to medium to large quantum of freight. Rail transport is most fuel efficient of all means of transport and is much safer than road. RORO is a multimodal delivery model with many advantages. Faster movement of goods and essentials, reducing Time taken by trucks to reach destinations due to traffic congestion in between cities. Reduces congestion on the roads. Saves precious fuel. Reduces carbon footprint. Relief to crew of truck as it avoids long distance driving. No hassles of check posts/toll gates etc. Seamless Inter-operability between roadways & railways-Inter-modal transport on existing track. Ensuring uninterrupted supply of essential commodities.
Free time for loading/ unloading is 3 hours Ro-RO will be reckoning force in “vocal for local” –Will boost our local MSME units by encouraging piecemeal /decentralized loading through trucks. RO-RO will help government initiatives like “operation green” to stabalize prices of TOP(tomato,potato and Onion). Provides link between agriculture producing regions and agro consumption centres. Ensures farmers get the right market and right price for their produce. Connects and Balances the commodity deficient and surplus markets. RO-ROtrain services were first introduced in Indian Railways on Konkan Railways in 1999, and are running successfully since then.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि अलग राज्य निर्माण के आंदोलन से लेकर राज्य के विकास तक में हमारी मातृ शक्ति का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि महिला शक्ति की भागीदारी के बिना राज्य की आर्थिकी में सुधार की कल्पना नहीं की जा सकती। मातृ शक्ति के सहयोग से ही आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड की परिकल्पना सम्भव है।
यह वक्तव्य मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने उत्तराखण्ड के विकास में महिला शक्ति की भूमिका विषय पर आयोजित वेबनार में दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार, महिला कल्याण और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए अनेक योजनाएं संचालित कर रही है। बड़ी संख्या में महिला स्वयं सहायता समूह बेहतरीन काम कर रहे हैं। राज्य में स्थापित किये गये ग्रोथ सेंटरों में भी महिलाएं अच्छा काम कर रही हैं। मुख्यमंत्री ने कोविड-19 के दौरान आशा, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, महिला स्वास्थ्य कर्मियों व महिला पुलिस कर्मियों की भूमिका की विशेष सराहना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शासन में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में तकनीकी के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। ई-ऑफिस, ई-कैबिनेट, सीएम डैशबोर्ड, सीएम हेल्पलाईन सुशासन की दिशा में बड़ा कदम है। स्कूलों में वर्चुअल क्लासेज प्रारंभ की गई है। टेलीमेडिसीन, टेलीरेडियोलाजी बहुत उपयोगी सिद्ध हो रही है। हर गांव को इंटरनेट से जोड़ने पर काम चल रहा है। पिछले तीन वर्ष में उत्तराखण्ड फिल्म शूटिंग के केन्द्र के रूप मे उभर कर सामने आया है। राज्य को बेस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का अवार्ड मिला है।
वेबिनार में इनकी रही भागीदारी
वेबिनार में हंस फाउंडेशन की प्रमुख माता मंगला, विधायक ऋतु खण्डूड़ी, प्रसिद्ध लेखिका व फिल्म स्क्रिप्ट राइटर अद्वैता काला, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव सौजन्या, पेटीएम की सीनियर वाईस प्रेसीडेंट रेणु सती, क्रिकेटर एकता बिष्ट, पत्रकार श्रेया ढौंडियाल सहित विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं ने प्रतिभाग किया और अपने विचार रखे।
कोरोना महामारी के चलते वर्ष 2021 में हरिद्वार में प्रस्तावित कुम्भ मेले के आयोजन को लेकर संशय के बादल छंट गए हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में कुम्भ मेले को अपने निर्धारित समय पर आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि कुम्भ मेले को दिव्य व भव्य रूप से आयोजित किये जाने के लिये राज्य सरकार दृढ़ संकल्पित है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सभी अखाड़ों के सन्त महात्माओं के सहयोग एवं आशीर्वाद से यह आयोजन सफल होगा।
शनिवार को सचिवालय में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कुम्भ मेले के आयोजन के सम्बन्ध में व्यापक-विचार विमर्श किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ कुम्भ मेले को लेकर सरकार द्वारा की जा रही तैयारियों समीक्षा भी की। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण उपजी परिस्थितियों में कुम्भ मेला कार्यों में कुछ अवरोध पैदा हुआ है। मगर इन परिस्थितियों से भी हम निजात पायेंगे और संतों के आशीर्वाद से इस आयोजन को बेहतर तरीके से सम्पन्न कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में देश काल व परिस्थिति के अनुसार भी निर्णय लिया जायेगा। आगे स्थितियां कैसी होगी, इसका पूर्वानुमान लगाया जाना कठिन है। उन्होंने सभी स्थायी व अस्थायी निर्माण कार्यों को 15 दिसम्बर से पूर्व सम्पन्न करने के निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिये। बैठक में अखाड़ों के सुझावों पर मुख्यमंत्री ने नील धारा सहित अन्य क्षेत्रों में निर्मित होने वाले स्नान घाटों के नाम 13 अखाड़ों के ईष्ट देवों के नाम पर रखे जाने के निर्देश दिए।
इस अवसर पर नगर विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि कुम्भ मेले के आयोजन में सभी अखाड़ों का सहयोग मिल रहा है। अखाड़ों की सुविधा के लिये भी सभी व्यवस्थायें की जा रही हैं। निर्माण कार्यों में तेजी लायी गई है। कुम्भ मेले से सम्बन्धित सभी पुलों, स्नान घाटों, सड़कों, आस्था पथों आदि का निर्माण 15 दिसम्बर तक पूर्ण हो, इसका प्रयास किया जा रहा है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने उज्जैन व प्रयागराज की भांति हरिद्वार कुम्भ में भी अखाड़ों को धनराशि व अन्य सुविधायें उपलब्ध कराये जाने की बात रखी। उन्होंने अखाड़ों में साफ-सफाई व अतिक्रमण को हटाने, आवागमन व पेशवाई मार्ग निर्धारण, पुलों, घाटों के निर्माण में तेजी लाये जाने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कुम्भ मेले के सफल आयोजन के लिये सभी अखाड़ों की ओर से हर संभव सहयोग का भी आश्वासन दिया।
बैठक में मुख्य सचिव ओमप्रकाश, अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व व्यवस्था) अशोक कुमार, मेलाधिकारी दीपक रावत, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महन्त हरि गिरि, महन्त प्रेम गिरि, महन्त महेश पुरी, महन्त सत्यगिरि, महन्त कैलाशपुरी, महन्त मुकुन्दानन्द ब्रह्माचारी, महन्त सोमेश्वरानन्द ब्रह्मचारी, महन्त ओंकार गिरि, महन्त रविन्द्र पुरी सहित बड़ी संख्या में संत महात्मा एवं अधिकारी गण उपस्थित थे।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर घोषित किए जाने वाले पद्म पुरस्कारों के लिए ऑनलाइन नामांकन अथवा सिफारिशें 15 सितंबर तक की जा सकती हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गयी है। पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकन की प्रक्रिया 1 मई से को शुरू हुई थी। पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकन केवल ऑनलाइन होंगें। इन पुरस्कारों के लिए अब तक 8035 पंजीकरण किए जा चुके हैं।
क्या हैं पद्म पुरस्कार
पद्म पुरस्कारों के नाम पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री हैं, जो देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक हैं। वर्ष 1954 में स्थापित इन पुरस्कारों की घोषणा हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है। पद्म पुरस्कार के लिए विशिष्ट कार्य को पहचाना जाता है और यह सभी क्षेत्रों अथवा विषयों, जैसे- कला, साहित्य, शिक्षा, खेल, चिकित्सा, सामाजिक कार्य, विज्ञान तथा इंजीनियरिंग, सार्वजनिक जीवन, सिविल सेवा, व्यापार एवं उद्योग आदि में प्रतिष्ठित और असाधारण उपलब्धियों अथवा सेवाओं के लिए दिए जाते हैं। सभी व्यक्ति वर्ग , जाति, पेशा, पद या लिंग के भेद के बिना इन पुरस्कारों के पात्र हैं। डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के आलावा सार्वजनिक उपक्रमों में काम करने वालों सहित सरकारी कर्मचारी पद्म पुरस्कार के पात्र नहीं हैं।
कैसे करें नामांकन
केंद्र सरकार इन पद्म पुरस्कारों को लोगों का पद्म के रूप में तब्दील करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसलिए केंद्र सरकार ने नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे स्व-नामांकन अथवा किसी विशिष्ट व्यक्ति के नामांकन की सिफारिशें करें। स्व-नामांकन अथवा सिफारिश पद्म पुरस्कारों की वेबसाइट पर उपलब्ध प्रारूप में निर्दिष्ट सभी प्रासंगिक विवरण शामिल होने चाहिए, जिसमें स्पष्ट रूप से प्रतिष्ठित व्यक्ति की असाधारण उपलब्धियां, सेवा, संबंधित क्षेत्र आदि की पूरी जानकारी और उसके लिए अनुशंसित उद्धरण (अधिकतम 800 शब्द) शामिल हों।
यहाँ करें ऑनलाइन नामांकन
पुरस्कारों के लिए ऑनलाइन नामांकन अथवा सिफारिश निम्न वेबसाइट पर की जा सकती है। वेबसाइट पर पुरस्कारों से संबंधित विस्तृत विवरण और मानकों इत्यादि की पूरी जानकारी उपलब्ध कराई गयी है। https://padmaawards.gov.in
सरकार ने की विशिष्ट व्यक्तियों की खोज की अपील
पुरस्कार चयन प्रक्रिया को संपन्न करने वाले केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने केंद्र के सभी मंत्रालयों व विभागों, राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों, भारत रत्न व पूर्व में पद्म विभूषण प्राप्त कर चुके लोगों और विभिन्न संस्थानों से पद्म पुरुस्कारों के लिए प्रतिभाशाली लोगों की पहचान में सहयोग करने की अपील की है। गृह मंत्रालय ने कहा है कि उन प्रतिभाशाली व्यक्तियों की पहचान करने की दिशा में पूर्ण प्रयास किये जाएं, जिनके कार्य व जीवन वास्तव में महिलाओं, समाज के कमजोर वर्गों, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति, दिव्यांगजनों और समाज के लिए निस्वार्थ सेवा में लगा हुआ हो। मंत्रालय ने ऐसे लोगों के नामांकन की सिफारिश का अनुरोध किया है।
सितम्बर माह में शुरू होने वाले संसद सत्र की तैयारियों के बीच आज शुक्रवार को उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव रहे सेवानिवृत आईएएस अधिकारी उत्पल कुमार सिंह को लोकसभा का सचिव नियुक्त किया गया है।
लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने उत्पल कुमार सिंह को सचिव के पद पर नियुक्त किया है। उनकी तैनाती 1 सितम्बर से प्रभावी होगी। उत्पल कुमार सिंह अभी हाल ही में उत्तराखंड के मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उत्तराखंड का मुख्य सचिव बनने से पूर्व उत्पल प्रधानमंत्री कार्यालय में तैनात रहे हैं। उनकी गिनती काबिल अधिकारियों में होती रही है।
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यहां यह भी बता दें कि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के निवासी आईपीएस अधिकारी रघुवीर लाल भी वर्तमान में संसद भवन में अपर सचिव (सुरक्षा) के पद पर तैनात हैं। रघुवीर लाल उत्तर प्रदेश कैडर के वरिष्ठ आई पी एस अधिकारी हैं।
बॉलीवुड अभिनेत्री उर्वशी रौतेला के इंस्टाग्राम पर प्रशंसकों की संख्या 3 करोड़ हो गयी है। उन्होंने इंस्टाग्राम पर वीडियो जारी करते हुए प्रशंसकों की संख्या 3 करोड़ होने पर आभार व्यक्त किया है। वीडियो जारी करने के साथ उर्वशी ने एक नोट भी लिखा है। इसमें उर्वशी ने कहा है –
आप लोगों को प्यार !
मेरी कहानी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बनने लिए धन्यवाद।
मेरे जीवन में आने और मुझे खुशी देने के लिए धन्यवाद।
मुझे प्यार करने और बदले में मेरे प्यार को स्वीकार करने के लिए धन्यवाद।
उन स्मृतियों के लिए धन्यवाद, जिन्हें मैं हमेशा के लिए स्वीकार करुँगी।
मुझे खुशियाँ और मुस्कुराहट देने के लिए धन्यवाद।
मेरी मुसीबतों को साझा करने के लिए धन्यवाद।
मेरी आँख के आँसू पोंछने के लिए धन्यवाद।
मुझे आकाश का आनंददायक दृश्य दिखाने के लिए धन्यवाद।
मुझे सर रखने के लिए अपना कन्धा आगे बढ़ाने के लिए धन्यवाद।
मेरे शब्दों को उचित अर्थ देने के लिए धन्यवाद।
मुझे जीवन का मूल्य बताने के लिए धन्यवाद।
मुझे सर्वाइव करने के नियम दिखाने के लिए धन्यवाद।
मेरी बातों को सहानुभूतिपूर्वक सुनने के लिए धन्यवाद।
यह दिखाने के लिए धन्यवाद कि आप कितना ध्यान रखते हैं।
उर्वशी ने अपने इंस्टाग्राम परिवार में 30 मिलियन सदस्य बनने पर प्रशंसकों का धन्यवाद देने के साथ ही अन्य वीडियो भी जारी किये हैं, जिनमें वो केक काटते दिखाई दे रही हैं। केक पर 30 मिलियन लिखा हुआ है।
पूर्वांचल के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का शिकंजा कसता जा रहा है। गुरूवार की सुबह लखनऊ के डालीबाग में मुख्तार अंसारी के अवैध भवनों पर लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) का बुलडोजर गरजा और उन्हें ध्वस्त कर दिया गया। लखनऊ प्रशासन ने इस बारे में बयान जारी करते हुए कहा है, ‘डालीबाग कॉलोनी के पास गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की अवैध रूप से स्वामित्व वाली संपत्ति को ध्वस्त कर दिया है। उससे तोड़फोड़ के खर्चों की वसूली की जाएगी। एफआईआर दर्ज की जाएगी। जिन अधिकारियों के अधीन यह अवैध निर्माण हुआ, उनकी जिम्मेदारी तय की जाएगी और उन पर भी कार्रवाई की जाएगी।’
गुरूवार को धवस्त किये गए अवैध निर्माण करीब दस हज़ार वर्ग क्षेत्रफल में बने थे। ये मुख्तार अंसारी के बेटों अब्बास अंसारी व उमर अंसारी के नाम दर्ज हैं। एलडीए ने इन्हें धवस्त करने का आदेश 11 अगस्त को दिया था। अवैध कब्जे को खाली कराने के लिए एलडीए, पुलिस और प्रशासन की टीम तड़के सुबह भारी फोर्स और जेसीबी मशीनों के साथ पहुंची। टीम ने गेट का ताला तोड़कर और वहां बने निर्माण से सामान निकाल कर कार्रवाई शुरू कर दी। उस दौरान मुख्तार अंसारी के बेटों ने विरोध करने का प्रयास किया। मगर पुलिस बल ने उन्हें खदेड़ दिया।
उल्लेखनीय है कि मऊ से बसपा विधायक मुख्तार अंसारी वर्तमान में पंजाब की जेल में बंद है। पूर्वांचल क्षेत्र में अपराध की दुनिया में लम्बे समय से उसकी बादशाहत कायम है। योगी आदित्य नाथ की सरकार लगातार उस पर शिंकजा कसने में लगी हुयी है। अंसारी की उत्तर प्रदेश में विभिन स्थानों पर कब्जाई गयी जमीनों को खाली कराने के अलावा योगी सरकार ने उसकी गैंग के कई अपराधियों को जिला बदर किया है। अंसारी के करीबी कई लोगों के शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई की गयी है।
यूपी भाजपा ने ट्वीट कर कहा योगी मतलब कानून का राज
उधर, उत्तर प्रदेश भाजपा ने #योगी_मतलब_कानून_का_राज हैशटैग पर सिलसिलेवार कई ट्वीट कर योगी सरकार द्वारा मुख़्तार अंसारी गैंग के खिलाफ की गयी कार्रवाइयों का ब्यौरा दिया है। एक ट्ववीट में कहा कि ”पुरानी सरकारों ने जिस अतीक अहमद और मुख़्तार अंसारी को पाला आज योगी सरकार उन्हें जड़ से ख़त्म करने में जुटी है। लखनऊ में मुख़्तार की बिल्डिंग ढहा कर योगी सरकार ने यह साबित कर दिया”। एक अन्य ट्वीट में कहा गया है कि ” वाराणसी जोन के जनपदों में माफिया मुख़्तार अंसारी गैंग आईएस- 191 पिछले लगभग 03 दशक से सक्रिय होकर आंतक का पर्याय बना हुवा था। जिसके आगे पिछली सरकारों ने घुटने टेक रखे थे, लेकिन योगी सरकार इसका सफाया कर रही है। एक ट्वीट में कहा गया है कि एक संत ने अपराधियों को अपने आगे झुका कर दिखा दिया और पूरा विपक्ष देखता रह गया।