पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्म-निर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना के तहत ऋण देने की प्रक्रिया के शुरू होने के 41 दिनों के भीतर पांच लाख लोगों ने ऋण के लिए आवेदन किया है, जबकि एक लाख लोगों को ऋण उपलब्ध कराया जा चूका है। पीएम स्वनिधि योजना को केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने ‘आत्म-निर्भर भारत अभियान’ के तहत लॉन्च किया था।
आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के अनुसार इस योजना के तहत २ जुलाई से ऋण देने की प्रक्रिया शुरू की गयी थी। इसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों और उसके आसपास के अर्द्ध-शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 50 लाख स्ट्रीट वेंडर (रेहड़ी वाले छोटे व्यापारियों) को कोविड-19 लॉकडाउन के बाद फिर से अपना कारोबार शुरू करने के लिए बिना किसी की गारंटी के एक साल की अवधि के लिए 10,000 रुपये तक के कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा देना है। इसके तहत ऋण के नियमित किश्त चुकाने पर प्रोत्साहन के रूप में प्रति वर्ष 7 प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी दी जाएगी। इसके आलावा निर्धारित डिजिटल लेनदेन करने पर सालाना 1,200रुपये तक का कैशबैक और आगे फिर से ऋण पाने की पात्रता भी प्रदान की गई है।
पीएम स्वनिधि योजना में व्यावसायिक बैंकों- सार्वजनिक एवं निजी, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों, स्वयं सहायता समूह (SHG) बैंकों आदि के अलावा ऋण देने वाली संस्थाओं के रूप में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC)और लघु वित्तीय संस्थानों (MFI) को योजना से जोड़कर इन छोटे उद्यमियों के द्वार तक बैंकों की सेवाएं पहुंचाने का विचार किया गया है। डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म पर इन विक्रेताओं को लाना इनके क्रेडिट प्रोफाइल का निर्माण करने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है ताकि इन्हें औपचारिक शहरी अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनने में मदद मिल सके।
इस योजना को लागू करने की जिम्मेदारी भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDB) को दी गई है। रेहड़ी-खोमचे वालों को उधार देने के लिए इन ऋणदाता संस्थानों को लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMS) के माध्यम से प्रोत्साहित करने हेतु इनके पोर्टफोलियो के आधार पर एक ग्रेडेड गारंटी कवर प्रदान किया जाता है।
सड़कों पर रेहड़ी लगाकर व्यापार करने वाले ज्यादातर विक्रेता बहुत कम लाभ पर अपना व्यवसाय करते हैं। इस योजना के तहत ऐसे विक्रेताओं को लघु ऋण से न केवल बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है,बल्कि उन्हें आर्थिक प्रगति करने में भी मदद मिलेगी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा मंगलवार को सचिवालय की व्यवस्थाओं को लेकर की गई समीक्षा बैठक को कई मायनों में अहम जा सकता है। मुख्यमंत्री ने शासन के “पावर हाउस” की ओवरहालिंग की जो कवायद शुरू की है, उसकी जरुरत लम्बे समय से महसूस की जा रही थी। जनाकांक्षाओं का केंद्र समझे जाने वाले सचिवालय की कार्यप्रणाली कई बार “जन” से दूर होकर अधिकारियों-कर्मचारियों की गुटबाजी, राजनीति, अपनी मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन व कई अन्य विवादों तक ही सिमट कर रह जाती है। बेवजह फाइलों को दबाए रखना और उन्हें घुमाना जैसे आरोप सचिवालय की कार्यप्रणाली के लिए सामान्य बात है।
उत्तराखंड के सचिवालय की यह कार्यप्रणाली मुख्यमंत्री को भी खटक गयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सचिवालय जन आकांक्षाओं का भी केन्द्र होता है। जनहित से जुड़ी योजनाओं की स्वीकृति में तेजी आने से उसका लाभ आम आदमी को समय पर मिल सकेगा और जन कल्याण के लिये समर्पित सरकार का सन्देश आम जनता तक पहुंचेगा। मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने सचिवालय में मुख्य सचिव ओम प्रकाश, अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार के साथ ही सभी सचिवों एवं प्रभारी सचिवों के साथ सचिवालय की कार्य प्रणाली में सुधार एवं ई- फाइलिंग आदि से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर व्यापक चर्चा की तथा इस सम्बंध में सभी से सुझाव भी प्राप्त किये।
फाइल लटकाने वालों के खिलाफ कार्रवाई
समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने सचिवालय के विभिन्न अनुभागों में पत्रावलियों के निस्तारण में आवश्यक विलम्ब के लिये उत्तरदायी कार्मिक के विरूद्ध कठोर कार्रवाई करने के निर्देश उच्चाधिकारियों को दिए। मुख्यमंत्री ने ऐसे प्रकरणों में मात्र स्थानान्तरण को ही पर्याप्त नहीं बताया, बल्कि कार्रवाई भी जरुरी बताई। सचिवालय में पत्रावलियों का निस्तारण समयबद्धता के साथ हो, इसके लिये मुख्यमंत्री ने लोक निर्माण, सिंचाई, आवास, खनन, आबकारी एवं पेयजल जैसे मलाईदार अनुभागों में निर्धारित अवधि से अधिक समय तक कार्यरत कार्मिकों को एक सप्ताह के अन्दर स्थानान्तरित करने के निर्देश सचिव सचिवालय प्रशासन को दिये।
उच्च स्तर से सीधे अनुभाग में जाएगी फाइल
अनावश्यक देरी से बचने के लिए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि फाइल अनुभाग स्तर से निर्धारित प्रक्रिया के तहत उच्चाधिकारियों को प्रस्तुत की जाए। मगर वापसी में फाइल को उच्च स्तर से सीधे सेक्शन को सन्दर्भित कर दिया जाए। एक अनुभाग अधिकारी एवं समीक्षा अधिकारी को एक ही विभाग का कार्य सौंपा जाए। कार्मिकों को सभी विभागों की कार्य प्रणाली की जानकारी रहे। इसकी व्यवस्था करने के भी निर्देश मुख्यमंत्री ने सम्बन्धित अधिकारियों को दिये हैं।
शुरू होगी ई-फाईलिंग
मुख्यमंत्री ई- फाईलिंग को सीएम डैशबोर्ड से लिंक किये जाने, लम्बित प्रकरणों का निर्धारित समय सीमा के अन्दर निस्तारण करने के निर्देश देते हुए एक लक्ष्य लेकर पहले लो.नि.वि, सिंचाई, ऊर्जा, कार्मिक एवं गृह विभाग की ई- फाइलिंग तैयार करने को कहा है। मुख्यमंत्री ने सचिवालय मैनुअल के पुनर्मूल्यांकन के भी निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि सचिवालय मैनुअल परिणामकारी हो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने इस सम्बन्ध में मैनुअल रिफॉर्म हेतु गठित समिति से शीघ्र अपनी अनुशंसा उपलब्ध कराने को कहा।
अनुभागों में लगेंगे CCTV कैमरे
मुख्यमंत्री ने सचिवालय के अनुभागों के पर्यवेक्षण की कारगर व्यवस्था बनाने और सचिव स्तर के अधिकारियों को माह में एक दिन अनुभागों का निरीक्षण करने को कहा। उन्होंने कार्मिकों की उपस्थिति की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए। इसके साथ ही अनुभागों में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाने और उच्चाधिकारियों के स्तर पर इसकी निगरानी करने को कहा।
वीडियो कांफ्रेंसिंग पर जोर
मुख्यमंत्री ने विभागीय/निदेशालय स्तर के अधिकारियों को अनावश्यक सचिवालय न आना पड़े, इसके लिये वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था अमल में लाने को कहा है। जनहित में कोई नीति बनायी जाती है तो उसकी ड्राफ्ट पॉलिसी को वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाए। पब्लिक प्लेटफार्म में जाने पर इसमें जनता के सुझाव भी प्राप्त हो सकेंगे तथा एक व्यावहारिक नीति बनाने में मदद मिलेगी।
अच्छे कार्मिक होंगे पुरुष्कृत
मुख्यमंत्री ने कार्मिकों के हित तथा विभागीय कार्यों में गति लाने के लिये विभागों में समय पर डीपीसी करने के निर्देश दिये। उन्होंने प्रत्येक माह के अन्तिम दिवस को डीपीसी के लिये निर्धारित करने के निर्देश दिये। कार्मिकों का वार्षिक मूल्यांकन जरूरी किये जाने और बेहतर कार्य करने वाले कार्मिकों को पुरस्कृत किये जाने की व्यवस्था करने के भी निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये।
नई दिल्ली। कुछ चीनी व्यक्तियों और उनके भारतीय सहयोगियों की जाली संस्थाओं के माध्यम से मनी लॉन्डरिंग और हवाला जैसे लेन-देन में शामिल होने की विश्वसनीय जानकारी के आधार आयकर विभाग ने मंगलवार को इन चीनी संस्थाओं के विभिन्न परिसरों, इनके करीबियों और इनसे जुड़े बैंक कर्मचारियों के खिलाफ एक तलाशी अभियान चलाया है।
एक सरकारी प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गयी है। तहकीकात से पता चला है कि इन चीनी व्यक्तियों के इशारे पर, विभिन्न फर्जी संस्थाओं में 40 से अधिक बैंक खाते खोले गए थे। एक निश्चित समयावधि के भीतर ही इनमें 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि जमा की गई थी। चीनी कंपनी की एक सहायक इकाई और उससे संबंधित जाली संस्थाओं ने भारत में खुदरा शोरूम खोलने के कारोबार के लिए जाली संस्थाओं से 100 करोड़ रुपये से अधिक की अग्रिम धनराशि प्राप्त की है। इसके अलावा, तलाशी के दौरान हवाला लेन-देन और मनी लॉन्डरिंग के दस्तावेजों को नष्ट करने में कुछ बैंक कर्मचारियों और चार्टेड अकाउंटेंट के सक्रिय रूप लिप्त होने की भी जानकारी मिली है। छानबीन के दौरान हांगकांग व अमेरिकी डॉलर के विदेशी हवाला लेन-देन के सबूतों का भी खुलासा हुआ है। इस मामले में आगे की जांच प्रक्रिया को अंजाम दिया जा रहा है।
केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रोद्योगिकी, संचार तथा विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि केंद्र सरकार सामरिक महत्व के दूर-दराज तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर प्रयास कर रही है ताकि यहां जीवन सुगम बनाया जा सके।
दिल्ली में मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए प्रसाद ने दूर-दराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए दूरसंचार विभाग द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्न परियोजनाओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि रणनीतिक, दूरस्थ और सीमावर्ती क्षेत्रों में 354 गांवों में ऐसी कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए एक निविदा को अंतिम रूप दिया गया है। बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और गुजरात के अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के 144 गांवों में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में इसे लागू किया जा रहा है। इन गांवों को रणनीतिक रूप से मोबाइल पर सीमा क्षेत्र कनेक्टिविटी को कवर करने के लिए चुना गया है। इन गांवों में चालू होने के बाद, मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में कोई भी ऐसा गाँव नहीं होगा जहां मोबाइल कनेक्टिवविटी उपलब्ध नहीं होगी। सेना, बीआरओ, बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एसएसबी आदि के लिए 1347 साइटों पर उपग्रह आधारित डीएसपीटी डिजिटल सैटेलाइट फोन टर्मिनल (डीएसपीटी) भी प्रदान किए जा रहे हैं, जिनमें से 183 साइटें पहले से ही चालू हैं और शेष चालू होने की प्रक्रिया में हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि दूरसंचार विभाग बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के 24 जिलों के गाँवों में मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान करने पर काम कर रहा है। छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश में बचे हुए 44 जिलों के 7287 के गांवों को भी कवर किया जाएगा जिसके लिए सरकार की मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया चल रही है।
हिमालयी क्षेत्र में पाए जाने वाले गर्म पानी के सोते (Hot Water Spring) बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का उत्सर्जन करते हैं। यह तथ्य वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ हिमालयन जियोलॉजी के एक अध्ययन में सामने आया है।
वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ हिमालयन जियोलॉजी केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय अधीन एक स्वायत्त संस्थान है। इसका मुख्यालय देहरादून में स्थित है। संस्थान द्वारा किये गए अध्ययन की एक वैज्ञानिक पत्रिका एनवायरनमेंटल साइंस एंड पॉल्यूशन रिसर्च में रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा की ज्वालामुखी विस्फोटों, भू-गर्भीय चट्टानों और भू-तापीय प्रणाली के माध्यम से पृथ्वी के आंतरिक भाग से वायुमंडल में निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड गैस वैश्विक कार्बन चक्र पर असर डालती है और यह पृथ्वी पर छोटे और लंबे समय तक जलवायु को प्रभावित करती है।
अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के लगभग 10,000 वर्ग किमी के हिमालयी क्षेत्र में लगभग 600 गर्म पानी के सोते हैं। विभिन्न तापमान और रासायनिक स्थितियों वाले ये भूगर्भीय सोते (Geothermal Springs) कार्बन डाइऑक्साइड का डिस्चार्ज करते पाए गए हैं। वाडिया इंस्टीट्यूट को इन सोतों से उत्सर्जित होने वाली गैस की जांच करने की विशेषज्ञता है। वैज्ञानिकों की टीम ने गढ़वाल में हिमालय के प्रमुख फॉल्ट क्षेत्रों से 20 गर्म पानी के इन सोतों से एकत्र किए गए पानी के नमूनों का विस्तृत रासायनिक और आइसोटोप विश्लेषण किया। आइसोटोपिक माप में कार्बनिक और अकार्बनिक यौगिकों के भीतर कुछ स्थिर आइसोटोप और रासायनिक तत्वों की प्रचुरता की पहचान के साथ-साथ सभी नमूनों का विश्लेषण किया गया।
Coordinated, graded and pro-active management of COVID-19 by the Union and State/UT governments has ensured the national Case Fatality Rate (CFR) is on the slide. It currently stands at 2.04%.
As part of the continuous process of review and handholding of States/UTs for collaborative management of COVID-19, two high level virtual meetings were chaired by Rajesh Bhushan, Health Secretary on 7th and 8th August to engage with the States reporting with high case load and higher CFR than the national average, in order to advise and support them on efforts to prevent and reduce mortality due to COVID-19.
Meeting focused on 13 districts concentrated in eight States/UT. These are Kamrup Metro in Assam, Patna in Bihar, Ranchi in Jharkhand, Alappuzha and Thiruvananthapuram in Kerala, Ganjam in Odisha, Lucknow in Uttar Pradesh, 24 Paraganas North, Hooghly, Howrah, Kolkata and Maldah in West Bengal and Delhi. These districts account for nearly 9% of India’s active cases and about 14% of COVID deaths.
They also report low tests per million and high confirmation percentage. A surge has been observed in the daily new cases in four districts viz. Kamrup Metro in Assam, Lucknow in Uttar Pradesh, Thiruvananthapuram and Alappuzha in Kerala. Principal Secretary (Health) and MD (NHM) from the eight States along with district surveillance officers, district collectors, commissioners of the municipal corporation, Chief Medical Officers, and Medical Superintendent of Medical Colleges participated in the virtual meeting.
Several issues critical to reducing case fatality rate were discussed during the meeting. The States were advised to address the issues of low lab utilisation i.e. less than 100 tests per day for RT-PCR and 10 for others; low tests per million population; decrease in absolute tests from last week; delay in test results; and high confirmation percentage among the health care workers. They were advised to ensure timely referral and hospitalization in view of reports from some districts of patients dying within 48 hrs of admission.
States were directed to ensure unavailability of ambulances with zero tolerance for refusal. The need to ensure monitoring asymptomatic cases under home isolation with special focus on physical visits/phone consultation on daily basis was underscored. States were asked to ensure a timely assessment and make advance preparedness for infrastructure viz. ICU beds, oxygen supply etc., based on the prevailing case load and the estimated growth rate.
It was reiterated that AIIMS, New Delhi is holding virtual sessions twice very week on Tuesdays and Fridays where a specialist team of doctors provides guidance on effective clinical management of COVID-19 patients in the ICUs of different State hospitals through tele/video consultation, to reduce the case fatality rate. The State authorities were advised to ensure that State Centers of Excellence other hospitals participate in these VCs regularly to improve clinical practices.
The States were advised to follow all Ministry protocols for effective management of containment and buffer zones along with seamless patient and clinical management of patients with special focus on critical cases. Another major area highlighted was that of preventable deaths by strict surveillance among high-risk population like people with co-morbidities, pregnant women, the elderly and children.
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आज वीरांगना तीलू रौतेली के जन्म दिवस के अवसर पर प्रदेश की 21 महिलाओं व किशोरियों को राज्य स्त्री शक्ति तीलू रौतेली पुरुस्कार तथा 22 आंगनवाड़ी कार्यकर्तियों को सम्मानित किया।
महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विकास विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में देहरादून जनपद के पुरस्कार पाने वाले को मुख्यमंत्री ने स्वयं सम्मानित किया। जबकि अन्य को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बन्धित जनपदों में विधायक गणों एवं जिलाधिकारियों की उपस्थिति में यह पुरस्कार प्रदान किये गये। इस मोके पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड देव भूमि के साथ ही वीर भूमि भी है। देश की आजादी के पहले और बाद में देश की सुरक्षा एवं अखण्डता लिये बलिदान देने वाला हर छठा बलिदानी उत्तराखण्ड का है। इसी के दृष्टिगत प्रधानमंत्री ने उत्तराखण्ड में चार धामों के अतिरिक्त पाँचवां धाम सैन्य धाम भी बताया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विकास में महिलाओं की अहम भूमिका रही है। महिलाओं को घर और बाहर की दोहरी जिम्मेदारीरियों का निर्वहन करना पड़ता है। महिलाओं के आर्थिक स्वावलम्बन के लिये केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा अनेक योजनायें संचालित की जा रही हैं। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि अगले वर्ष से राज्य स्त्री शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार की धनराशि 21 हजार से बढ़ाकर 31 हजार तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ती पुरस्कार की धनराशि 11 हजार से बढ़ाकर 21 हजार की जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं की आर्थिक स्थिति की मजबूती के लिये महिला किसानों एवं स्वयं सहायता समूहों को 05 लाख तक बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि खेती की बेहतरी के लिये पहले महिलाओं को 2 प्रतिशत ब्याज पर ऋण दिया जा रहा था। इस क्षेत्र में उनके बेहतर कार्य को देखते हुए अब 3 लाख की धनराशि उन्हें बिना ब्याज के उपलब्ध करायी जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अनाथ व निराश्रित बेटियों के लिये राज्य सरकार द्वारा देश में अपनी तरह की पहल कर सरकारी सेवाओं में 5 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है।
महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने वीरांगना तीलू रौतेली की वीरगाथा का परिचय देते हुए कहा कि प्रदेश के गढ़वाल क्षेत्र की तीलू रौतेली एक ऐसी वीरांगना थी जो मात्र 15 साल की उम्र में ही रणभूमि में कूद गई थी। उन्होंने सात साल तक दुश्मन राजाओं को कड़ी चुनौती दी थी। मात्र 15 से 20 साल की उम्र में सात युद्ध लड़ने वाली तीलू रौतेली की जयंती पर प्रदेश सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कार्य करने वाली महिलाओं को हर साल पुरस्कृत किया जाता है। इसमें वे महिला शामिल हैं जिन्होंने शिक्षण, समाज सेवा, साहसिक कार्य, खेल, कला, क्राफ्ट, संस्कृति, पर्यावरण एवं कृषि आदि क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया हो। इसके साथ ही कोरोना वारियर के रूप में उल्लेखनीय कार्य करने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्तियों को भी सम्मानित किया जा रहा है।
इन्हें मिला राज्य स्त्री शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार
उन्नति बिष्ट, संगीता थपलियाल, गीता मार्य, प्रीती भण्डारी, शिवानी आर्या, गुंजन बाला, जानकी चन्द, शशि देवली, डॉ. पुष्पांजलि अग्रवाल, कंचन भण्डारी, मालविका माया उपाध्याय, सुमन वर्मा, शीतल, मधु खुगशाल, कीर्ति कुमारी, बबीता रावत, ज्योति उप्रेति, मीनू लता गुप्ता, हर्षा रावत, सुमति थपलियाल, चन्द्रकला राय
इन्हें मिला आंगनवाड़ी कार्यकर्ती पुरस्कार
सुधा, सीमा, फातिमा, नीता गोस्वामी, गीता देवी, पुष्पा हरड़िया, हेमा बोरा, अंजना रावत, पूनम, आसमा, सुमनलता यादव, गंगा बिष्ट, समारोज, निर्मला पाण्डेय, चन्द्रकला चन्द्र, अर्चना देवी, रोशनी, सुशीला देवी, लक्ष्मी देवी, ललिता देवी, कुसुम मेहर, बीना चौहान
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आज कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए अधिकारियों को सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि कोविड से बचाव के लिए फिजिकल डिस्टेंसिंग एवं मास्क के उपयोग पर विशेष ध्यान दिया जाय। यह सुनिश्चित किया जाय गाईडलाईन का पूर्णतया अनुपालन हो। नियमों का उल्लंघन करने वालो पर कारवाई की जाय।
मुख्यमंत्री ने शनिवार को सचिवालय में कोविड-19 के संक्रमण तथा बचाव हेतु स्वास्थ्य विभाग एवं जिलाधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से समीक्षा के दौरान यह निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मास्क का प्रयोग न करने वालों पर जुर्माना तो लगाया जाय। इसके अलावा जुर्माने के साथ ही उन्हें 4-4 वाॅशेबल मास्क भी उपलब्ध कराये जाए। सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का उपयोग न करने एवं नियमों का उल्लंघन करने पर पहली बार में 200 एवं दूसरी बार में 500 रूपये का जुर्माना लगाया जायेगा। हाई रिस्क ऐरिया से या अन्य राज्यों से जो लोग आ रहे हैं, उनमें से यदि कोई व्यक्ति ट्रेवल हिस्ट्री की गलत जानकारी दे रहा है, या कोई तथ्य छुपा रहा है, उन पर सख्त कारवाई की जाय।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने घोषणा की कि आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की भांति आशा फेसिलिटेटर को भी दो-दो हजार रूपये सम्मान निधि के रूप में दी जायेगी। आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को मुख्यमंत्री ने रक्षा बंधन के अवसर पर एक-एक हजार एवं उससे पूर्व भी सम्मान राशि के रूप में एक-एक हजार रूपये देने की घोषणा की थी। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि यह सम्मान राशि लाभार्थियों के खाते में जल्द डाली जाय। कोविड-वारियर्स की मृत्यु पर भी मुख्यमंत्री राहत कोष से 10 लाख रूपये देने की घोषणा की गई है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड में होम-आइसोलेशन हेतु निर्देश पुस्तिका का विमोचन भी किया। उन्होंने कहा कि डाॅक्टर की टीम की जांच एवं मानकों के हिसाब से ही होम-आइसोलेशन की व्यवस्था की जाय। होम-आइसोलेशन के बजाय अस्पताल एवं कोविड केयर सेंटर को प्राथमिकता दी जाय।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि कोरोना की सैंपल टेस्टिंग और अधिक बढ़ाई जाय। सर्विलांस सिस्टम को और मजबूत करने की जरूरत है। बुजुर्ग, बच्चे एवं को-माॅर्बिड लोग अति आवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकलें। कोविड रिकवरी रेट में सुधार एवं मृत्युदर को कम करने हेतु हर सम्भव प्रयास किये जाय। सीनियर डाॅक्टर अस्पताल में भर्ती कोविड मरीजों की पर्सनल केयर करें। जिलाधिकारी, सीडीओ एवं सीएमओ भी इसकी माॅनेटरिंग करें। यह सुनिश्चित किया जाय कि आक्सीजन सपोर्ट सिस्टम ही प्रत्येक जनपद में पर्याप्त व्यवस्था हो। सतर्कता के साथ और कैपिसिटी बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि जो लोग प्राइवेट लैब में कोविड सैंपल टेस्टिंग करा रहे हैं, यह सुनिश्चित करा लें कि प्रत्येक व्यक्ति का पता एवं मोबाईल नम्बर सही हो।
मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने कहा कि सभी जिलाधिकारी कोविड से निपटने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं पूर्ण रखें। इंडस्ट्रियल ऐरिया वाले जनपदों में इंडस्ट्री में सैंपल टेस्टिंग में और तेजी लाई जाय। उधमसिंह नगर, नैनिताल एवं हरिद्वार जनपद में विशेष सतर्कता की आवश्यकता है। सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने कहा कि जिन जनपदों में 05 प्रतिशत से अधिक पाॅजिटिव रेट हैं, उनमें सैंपलिंग और अधिक बढ़ायी जाय। हाई रिस्क ऐरिया से आने वाले सभी लोगों के सैंपल लिये जाय। उन्होंने कहा कि कोविड केयर सेंटर की व्यवस्थाओं का समय-समय पर निरीक्षण किया जाय। व्यवस्थाओं में कोई कमी न रहे। कोविड केयर सेंटर में समय-समय पर चेकअप हेतु डाॅक्टर भेजे जाय।
बैठक में डीजी लाॅ एण्ड आर्डर अशोक कुमार, सचिव शैलेष बगोली, पंकज पाण्डेय, एस.ए. मुरूगेशन, गढ़वाल कमिश्नर रविनाथ रमन, आईजी संजय गुंज्याल, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन युगल किशोर पंत, अपर सचिव सोनिका, डीजी स्वास्थ्य डाॅ. अमिता उप्रेती आदि उपस्थित थे।
दुर्गम व दूरस्थ क्षेत्रों में पोस्टिंग की डर से प्रमोशन छोड़ने वाले राज्य कर्मचारियों पर सरकार ने शिकंजा कस दिया है। प्रदेश सरकार ने पदोन्नति के परित्याग की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करने और कार्मिकों को अनुशासित बनाए रखने के उद्देश्य से उत्तराखंड राज्य अधीन सेवाओं में पदोन्नति का परित्याग (Forgo) नियमावली 2020 तैयार की है। इस संबंध में आज अधिसूचना जारी कर दी गई है।
गौरतलब है कि राज्य में सुविधाजनक व शहरी क्षेत्रों में तैनात कार्मिक पहाड़ी क्षेत्रों अथवा दूरस्थ इलाकों में जाने से बचने के लिए अपनी पदोन्नति त्याग देते थे। पदोन्नति त्यागने के लेकर कोई स्पष्ट नियम ना होने के कारण अगर यदि कोई कार्मिक प्रमोशन पर नहीं जाता था, तो वह पद रिक्त ही रह जाता था। इससे कार्मिक की वरिष्ठता भी बनी रहती थी और कनिष्ठ कार्मिकों के लिए पदोन्नति के अवसर कम मिलते थे।
प्रदेश सरकार ने इस प्रवृति पर अंकुश लगाने के लिए नई नियमावली तैयार की है। नियमावली के अनुसार पदोन्नति का त्याग करने वाले कार्मिक के संबंध में नियुक्ति प्राधिकारी को कई शक्तियां प्रदान की गई हैं। पदोन्नत कार्मिक को कार्यभार ग्रहण करने हेतु अधिकतम 15 दिन की अवधि निर्धारित की गई है। मगर संबंधित कार्मिक के लिखित अनुरोध पर अपरिहार्य परिस्थितियों में नियुक्त प्राधिकारी उसे 15 दिन का अतिरिक्त समय दे सकता है।
यदि कोई कार्मिक निर्धारित समय के भीतर पदोन्नति के पद पर कार्यभार ग्रहण न कर पहली बार Forgo करता है तो नियुक्ति प्राधिकारी गुण दोष के आधार व निर्णय ले सकेंगे। यदि उसी चयन वर्ष में विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठक आहूत की जाती है तो नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा इस विषय की जानकारी समिति के सम्मुख रखी जाएगी और Forgo करने वाले से कनिष्ठ कार्मिक की पदोन्नति की संस्तुति की जाएगी। प्रमोशन को Forgo करने वाला कार्मिक नोशनल प्रमोशन के दावे से वंचित हो जाएगा।
यदि कोई कार्मिक DPC की प्रक्रिया शुरू होने से पहले चयन अथवा पदोन्नति को Forgo करने का लिखित अनुरोध करता है, तो इसे अनुशासनहीनता की श्रेणी में माना जाएगा। ऐसे कार्मिकों के विरुद्ध कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। इन कार्मिकों के खिलाफ उत्तराखंड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम, 2017 के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसमें कार्मिकों का संभावित ट्रांसफर से बचने के प्रयास और कार्य के प्रति रुचि न लेने आदि को आधार बनाते हुए उसी पद पर प्रशासनिक कारण से ट्रांसफर किया जाएगा।
अधिसूचना के अनुसार यदि कोई कार्मिक दो या उससे अधिक बार प्रमोशन को Forgo करता है तो वो अपनी वरिष्ठता खो देगा। इसके बाद उसे खोई हुई वरिष्ठता का लाभ नहीं मिलेगा। नियमावली में प्राविधान किया गया है कि यदि इसे लागू करने में में किसी प्रकार की शिथिलता बरती जाती है तो उत्तराखंड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली, 2002 तथा उत्तराखंड सरकारी सेवक ( अनुशासन एवं अपील ) नियमावली, 2003 के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
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उप राष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के युवा प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि वे अपने कार्य को गरीब-अमीर, स्त्री-पुरुष, शहर-गावों के बीच अंतर को मिटाने के मिशन के रूप में लें और नए भारत के लिए परिवर्तन के कारक के रूप में कार्य करें।
उप राष्ट्रपति ने आज लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी, मसूरी के 2018 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के युवा प्रशिक्षुओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हाशिए पर खड़े वर्गों का सामाजिक आर्थिक उत्थान अधिकारियों का मूल उद्देश्य होना चाहिए। सरदार पटेल के स्वप्न को याद दिलाते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने एक ऐसी सिविल सेवा की अपेक्षा की थी जो गरीबी और भेदभाव से लड़ कर एक नए भारत के उत्थान के लिए काम करे।
उप राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि वे अपने काम में सत्यनिष्ठ, अनुशासित, कर्मठ, जवाबदेह, पारदर्शी बनें और सादगी का जीवन व्यतीत करें। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वे एक महान नेता थे, सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, कर्मठता, करुणा, राष्ट्र भाव और साहस जैसे गुण उनके चरित्र में रचे-बसे थे।
नायडू ने प्रशिक्षुओं से कहा कि वे निरन्तर नया सीखते रहें, विचार करें और नए प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि सुशासन ही आज के समय की मांग है। प्रशासन तंत्र छोटा किन्तु सक्षम और दक्ष होना चाहिए, जो पारदर्शी हो और लोगों की अपेक्षाओं को पूरा कर सके। एक ऐसा तन्त्र जो सुविधा और सेवाओं को तत्परता से उपलब्ध करा सके तथा उन्नति के अवसर और स्थितियां पैदा करे।
उपराष्ट्रपति ने कहा यद्यपि विधायिका कानून और नीतियां बनाती है। फिर भी उनको जमीन पर कैसे लागू किया जाता है, ये अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा जो सरकार तत्परता और दक्षता से सेवा और सुविधा सुनिश्चित कर सकती है वो ही लोगों द्वारा याद की जाती है। श्री नायडू ने कहा कि यह जिम्मेदारी प्रशासकों की है कि लोगों को उनके अधिकार और उनके लिए अधिकृत सुविधाएं बिना किसी देरी के जल्द से जल्द उपलब्ध कराई जाएं।
नायडू ने प्रशिक्षु अधिकारियों से अपेक्षा की कि वे अपने सहयोगियों और मातहत काम करने वाले कर्मचारियों के साथ एक टीम बनाएं और जन सेवा के कार्य दक्षता से करें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दिया मंत्र “परफॉर्म, रिफॉर्म, ट्रांसफॉर्म” युवा अधिकारियों को नए प्रयोग करने की प्रेरणा देगा और वे बेहतर से बेहतर अधिकारी के रूप में प्रगति करते जायेंगे।
उन्होंने कहा कि भारत तेजी से हो रहे परिवर्तनों के दौर में है। महामारी के बावजूद विकास और आत्म निर्भरता के ऐसे अनेक नए अवसर हैं जो हमारे विकास की प्रक्रिया को किसी भी आपदा से निरापद रख सकते हैं। उन्होंने प्रशिक्षुओं से आग्रह किया कि वे आगे बढ़ कर बदलते हुए नए भारत का नेतृत्व करें। नया भारत समावेशी है। उसमें जीवन की गुणवत्ता है। लोकतान्त्रिक मर्यादाओं को सुदृढ़ किया जा रहा है। जन कल्याण के संस्थानों को सशक्त बनाया जा रहा है। युवा अधिकारियों को महात्मा गांधी का बताया मंत्र देते हुए, उन्होंने कहा कि वे सत्य, न्याय, समावेश, जन कल्याण और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी निष्ठा के आधार पर ही सही और निस्पृह भाव से निर्णय ले सकेंगे।
भाषा की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रशासन की भाषा स्थानीय लोगों की आम भाषा होनी चाहिए। उन्होंने इस बात की सराहना की कि अधिकारी अपने प्रशिक्षण के दौरान स्थानीय भाषा सीखते हैं।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी द्वारा प्रकाशित, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “मन की बात” कार्यक्रम के संकलन, “सिक्सटी फाइव कन्वर्सेशन” का लोकार्पण भी किया। एकेडमी के निदेशक संजीव चोपड़ा तथा फैकल्टी के अन्य सदस्य इस वर्चुअल समापन समारोह के अवसर पर उपस्थित रहे।