मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत कुम्हार कला के लिए विद्युत चालित चाक वितरित किए। मुख्यमंत्री ने कहा कि माटी कला के लिए प्रदेश में एक प्रशिक्षण केन्द्र खोला जाएगा। माटी कला बोर्ड को मिट्टी गूंथने वाली 200 मशीने दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि मिट्टी के कार्यों से जुड़े शिल्पकारों का एक डाटा बेस बनना चाहिए। ऐसे स्थान चिन्हित किये जाएं, जहां पर इस शिल्प पर आधारित कार्य अधिक हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने राजधानी देहरादून में माटी कला बोर्ड के कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि तकनीक के साथ इस शिल्प को कैसे और उभारा जा सकता है, इस दिशा में प्रयासों की जरूरत है। युवा पीढ़ी आधुनिक तकनीक के कार्यों के महत्व को जानती है। हमें अपनी विशेषज्ञता वाले कार्यों से अपनी पहचान को बढ़ाना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्लास्टिक प्रतिबंधित होने से मिट्टी के उपकरणों की डिमांड बढ़ी है। त्योहारों का सीजन और उसके बाद हरिद्वार कुंभ में मिट्टी के उपकरणों की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ेगी। बाजार की मांग के हिसाब से पूर्ति की व्यवस्था हो। उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यालयों में भी मिट्टी के उपकरणों एवं गमलों के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
धर्मपुर के विधायक विनोद चमोली ने कहा कि माटी के कार्य से जुड़े लोगों के जीवन स्तर में सुधार की दिशा में सरकार कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि इन कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न मेलों में माटी कला बोर्ड के स्टाॅल लगने चाहिए। जिससे इस कार्य से जुड़े लोगों को अपने उत्पादों को बेचने में मदद मिलेगी।

माटी कला बोर्ड के उपाध्यक्ष शोभाराम प्रजापति ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जो भी जन कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, सभी योजनाओं में गरीबों के हितों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने मिट्टी के कार्य से जुड़े लोगों की प्रमुख समस्याओं के बारे में जानकारी दी।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय, मेयर सुनील उनियाल गामा, भाजपा के महानगर अध्यक्ष सीताराम भट्ट, उद्योग निदेशक सुधीर नौटियाल आदि उपस्थित थे।
सांस के जरिए जल्द ही उस बैक्टीरिया का पता लगाने में मदद मिल सकती है, जो पेट को संक्रमित करते हुए गैस्ट्रेटिस के विभिन्न रूप और अंततः गैस्ट्रिक कैंसर पैदा करता है। वैज्ञानिकों ने सांस में पाए जाने वाला ‘ब्रेथप्रिंट’ नामक एक बायोमार्कर की मदद से एक बैक्टीरिया का शीघ्र पता लगाने का तरीका खोज निकाला है। यह बैक्टीरिया पेप्टिक अल्सर का कारण बनता है।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में जानकारी दी गई है कि भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान एस.एन.बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज, कोलकाता में डॉ.माणिक प्रधान एवं उनकी शोध टीम ने हाल ही में हेलिकोबैक्टर पाइलोरी का पता लगाने के लिए मानव द्वारा छोड़े गये सांस में अर्ध-भारी पानी (एचडीओ) में इस नए बायोमार्कर को देखा है। इस टीम ने मानव सांस में विभिन्न जल आण्विक प्रजातियों के अध्ययन का उपयोग किया है। इसे मानव द्वारा छोड़े गये सांस में अलग-अलग जल समस्थानिकों का पता लगाने की ‘ब्रीथोमिक्स’ विधि भी कहा जाता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा समर्थित तथा तकनीकी अनुसंधान केंद्र (टीआरसी) द्वारा वित्त पोषित यह शोध हाल ही में अमेरिकन केमिकल सोसाइटी (एसीएस) के ‘एनालिटिकल केमिस्ट्री’ जर्नल में प्रकाशित हुआ था।
हेलिकोबैक्टर पाइलोरी, एक आम संक्रमण है। इसका जल्दी इलाज नहीं कराए जाने पर यह गंभीर हो सकता है। आमतौर पर पारंपरिक एवं दर्दनाक एंडोस्कोपी तथा बायोप्सी परीक्षणों द्वारा इसका पता लगाया जाता है। इसे प्रारंभिक निदान (early diagnosis) एवं फॉलोअप के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। हमारा गैस्ट्रोइन्स्टेस्टाईनल (जीआई) ट्रैक शरीर में पानी के उपापचय (metabolism) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रकृति में पानी चार समस्थानिकों के रूप में मौजूद है। यह माना जाता है कि हमारे जीआई ट्रैक में किसी भी प्रकार का खराब या असामान्य जल-अवशोषण विभिन्न गैस्ट्रिक विकारों या अल्सर, गैस्ट्रेटिस, एरोशन तथा सूजन जैसी असामान्यताओं से जुड़ा हो सकता है। लेकिन अभी तक इसकी पुष्टि करने के लिए कोई स्पष्ट प्रायोगिक साक्ष्य नहीं मिला है।

इस टीम के प्रयोगों ने व्यक्ति के पानी के सेवन की आदत के संदर्भ में मानव शरीर में अनोखे समस्थानिक-विशिष्ट जल- उपापचय (isotopic-specific water metabolism) के प्रत्यक्ष प्रमाण दिखाए हैं। उन्होंने दिखाया है कि मानव श्वसन की प्रक्रिया के दौरान छोड़े गये जलवाष्प के अलग-अलग समस्थानिक विभिन्न गैस्ट्रिक विकारों से दृढ़ता के साथ जुड़े होते हैं।
डॉ.माणिक प्रधान व उनकी टीम में शामिल शोध छात्रों मिथुन पाल व सयोनी भट्टाचार्य, वैज्ञानिक डॉ.अभिजीत मैती ने एएमआरआई अस्पताल, कोलकाता के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. सुजीत चौधरी के सहयोग से यह दिखाया कि जीआई ट्रैक्ट में असामान्य जल अवशोषण के समस्थानिक हस्ताक्षर विभिन्न विकारों की शुरुआत का पता लगा सकते हैं। इस टीम ने पहले ही विभिन्न गैस्ट्रिक विकारों तथा एच. पाइलोरी संक्रमण के निदान के लिए एक पेटेंट प्राप्त ‘पायरो-ब्रेथ’ उपकरण विकसित किया है, जिसके प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की प्रक्रिया चल रही है।
प्रदेश सरकार ने शनिवार को प्रदेश के नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायतों में पार्षदों का मनोनयन कर दिया है। मनोनीत पार्षदों की सूची इस प्रकार है –
नगर पालिका परिषद, कर्णप्रयाग -सुभाष चमोला
नगर पालिका परिषद, गोपेश्वर -त्रिलोक सिंह राणा, हरि प्रसाद ममगाईं
नगर पालिका परिषद, जोशीमठ – अंशुल भुजवाण
नगर पंचायत, नंदप्रयाग – आनंद सिंह झिंकवान
नगर पालिका परिषद, गौचर – प्रकाश शैली
नगर पंचायत,पोखरी – वत्सला सती
नगर पंचायत, गैरसैंण – लाजवती गौड़
नगर पंचायत, पिपलकोटी – कन्हैया लाल शाह
नगर पंचायत, थराली – नंदू बहुगुणा
नगर पालिका, रुद्रप्रयाग – सुनील नौटियाल
नगर पंचायत, अगस्त्यमुनि – चंद्रशेखर बेंजवाल
नगर पंचायत, उखीमठ – राजन सेमवाल
नगर पंचायत, तिलवाड़ा – उषा देवी रावत
नगर निगम, देहरादून– प्रशांत खरोला, विजेंद्र रावत, सुनीता थापा, मंजू कौशिक, भूपेंद्र ढौंडियाल, विमलेश ठाकुर, विनय रावत, सरला थापा, अनिल रस्तोगी, सतीश कपूर, स्वर्ण सिंह चौहान, राजकुमार कक्कड़, राकेश जुयाल, संजय खंडूरी, योगेंद्र नेगी, मनमोहन चमोली, सुंदर सिंह कोठाल, राजेश शंकर बिट्टू, विपिन राणा व संजय सिंघल
नगर पालिका, बागेश्वर– मोहन उप्रेती व मुन्ना पांडे
नगर पंचायत, कपकोट– दयाल सिंह ऐठानी
नगर निगम, रुद्रपुर– धीरेश गुप्ता, सुनील यादव, शलनी बोरा, मयंक कक्कड़, महावीर कश्यप, अजय मोर्य, राजकुमार कोली, बल्लबी विश्वास
नगर पंचायत, गूलरभोज– तरुण दुबे
नगर पंचायत, नानकमत्ता– धर्म सिंह बिष्ट
नगर पंचायत, शक्तिगढ़ – सुबल विश्वास
नगर पंचायत, केलाखेड़ा– महेंद्र कालरा
नगर पंचायत, दिनेशपुर – हिमांशु सरकार
नगर पंचायत, सुल्तानपुर पट्टी – राजेश सैनी
नगर पालिका परिषद, महुआखेड़ा गंज – शिवनाथ सिंह
नगर पालिका परिषद, उत्तरकाशी – पवना सेमवाल, मनोज चौहान
नगर पालिका परिषद, बड़कोट – मुकेश टम्टा
नगर पंचायत, पुरोला – बलदेव सिंह रावत
नगर पालिका परिषद, चिन्यालीसौड़ – सुरेन्द्र कुमार
नगर पंचायत, नौगांव – विजय सिंह रावत
नगर पालिका परिषद, टिहरी – गोपी राम चमोली, मीना सेमवाल
नगर पालिका परिषद, नरेंद्रनगर – भारत सिंह राणा
नगर पालिका परिषद, चंबा – अंकित सजवाण
नगर पालिका परिषद, देवप्रयाग – अतुल कोठियाल
नगर पंचायत, कीर्तिनगर – प्रेम प्रकाश मेहता
नगर पालिका परिषद, मुनिकीरेती – किशोर राणा , शोबिता भंडारी
नगर पंचायत, घनशाली – दरमियान सिंह रावत
नगर पंचायत, गजा – जोत सिंह चौहान
नगर पंचायत, लंबगांव – ममता पंवार
नगर पंचायत, चमियाला – नागचन्द पंवार
नगर पालिका परिषद, पिथौरागढ़ – रविंद्र बसेड़ा, रविंद्र जग, जीतेन्द्र नगरकोटी, विक्रम वाल्मीकि
नगर पालिका परिषद, धारचूला – राधा मर्तोलिया
नगर पंचायत, गंगोलीहाट – नीमा परगाई
नगर पालिका परिषद, डीडीहाट – मनोहर चुफाल
नगर पंचायत, बेरीनाग – मनीष पंत
नगर पालिका परिषद, रानीखेत – मदन सिंह कुवार्बी
नगर पंचायत, द्वाराहाट – तातीराम
नगर पालिका परिषद, अल्मोड़ा – अर्जुन बिष्ट, दीपक वर्मा
नगर पंचायत, भिकियासैंण – संजय अग्रवाल
नगर पालिका परिषद, टनकपुर – केदार जोशी, कलावती कापड़ी
नगर पालिका परिषद, चम्पावत – कैलाश चंद्र पांडे
नगर पंचायत, लोहाघाट – रेनू गड़कोटी
नगर पंचायत, बनबसा – संजय ठाकुर
नगर पालिका, नैनीताल – मनोज जोशी, राहुल पुजारी, तारा राणा
नगर पालिका, रामनगर – राम भरोसे लाल, सरिता महरा, औंकार सिंह, राकेश अग्रवाल
नगर पालिका, भवाली – नंदकिशोर पांडेय
नगर पंचायत, कालाढूंगी – गोधन सिंह सैनी
नगर निगम, हल्द्वानी -देवीदयाल उपाध्याय, प्रकाश पटवाल, मनीष ढींगरा, रेनू टंडन, देवेश अग्रवाल, गोविन्द सिंह बरती, बी डी जोशी, राधिका जोशी
नगर पंचायत, लालकुंआ – संजय अरोरा
नगर पंचायत, भीमताल – धर्मानंद जोशी
नगर पालिका, डोईवाला – नीलम नेगी, लच्छी राम लोधी, रोहित क्षेत्री, अनूप सोलंकी
नगर पालिका, हरबर्टपुर – प्रमोद गुप्ता
नगर पालिका, विकासनगर – राकेश जॉन, राजकुमार रोहिला
नगर निगम, ऋषिकेश – प्रमोद शर्मा, कमला गुनसोला, कमलेश जैन, अनीता प्रधान, प्रदीप कोहली, ऋषिकांत गुप्ता, संजीव पाल, राजू नरसीमा
नगर पालिका , पौड़ी – मोहन सिंह नेगी, पूनम नेगी
नगर पालिका, श्रीनगर – कुशाल सिंह, अनुसूया पटवाल
नगर पालिका, खटीमा – रेनू भंडारी, प्रदीप सचिन अग्रवाल, नीरज रस्तोगी, विमला बिष्ट
नगर पालिका,सितारगंज – अशोक रस्तोगी, डाल चंद राजपूत
नगर पालिका, किच्छा – सरन संधू, देवेंद्र शर्मा, सचिन जायसवाल, राजीव सक्सेना
नगर पालिका, बाजपुर – विमल शर्मा, रघुवीर सहोता
नगर पालिका, जसपुर – विमल चौहान, विमल वर्मा, कुलवंत सिंह, धर्मेंद्र जोशी
नगर निगम, काशीपुर – तेजबहादुर गुप्ता, मंजू यादव, पुष्कर बिष्ट, तेजवीर चौहान, रीती नागर, पंकज कांबोज, सुशील शर्मा, अजय कुमार
नगर पालिका, गदरपुर – सुरेश खुराना, संदीप बत्रा
नगर निगम, कोटद्वार – पंकज भाटिया, परशुराम, मालती बिष्ट, आशा डबराल, सुभाष केष्टवाल, गजेंद्र मोहन धस्माना, मंजुल डबराल, नन्द किशोर कुकरेती
नगर पंचायत, सतपुली – भगवती रावत
नगर पंचायत, जौंक – प्रेम चंद्र अवस्थी
नगर पालिका, दुगड्डा – राधेश्याम अग्रवाल
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कृषि विधेयकों को लेकर कांग्रेस के आरोपों पर प्रहार करते हुये उसे किसान विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन लाने वाले इन कानूनों का विरोध करने से कांग्रेस का किसान विरोधी चेहरा उजागर हुआ है। उन्होंने कांग्रेस शासनकाल के कृषि उपज के आंकड़ों की तुलनात्मक समीक्षा करते हुये दावा किया कि मोदी सरकार की नीतियों से कृषि क्षेत्र में व्यापक सुधार हुए हैं।
डॉ.निशंक शनिवार को देहरादून में सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में एक संवाददाता सम्मलेन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नए कानूनों के लागू होने के बाद किसान कई तरह के बंधनों से मुक्त होंगे और अपनी मर्जी के मालिक होंगे। किसान अपनी मर्जी से अपने उत्पाद कहीं भी और किसी को भी बेच सकेंगे। इससे किसानों को उनकी उपज के ज्यादा दाम मिलेंगे। किसानों को राज्य की सीमाओं के बंधन से मुक्ति मिलेगी और कोई भी विवाद होने पर 30 दिनें के भीतर रिज़ॉल्यूशन बोर्ड निर्णय लेगा। साथ ही अनुबंधित किसानों को समय पर भुगतान किया जाएगा
नए कानूनों के लागू होने के बाद किसान कई तरह के बंधनों से मुक्त होंगे और अपनी मर्जी के मालिक होंगे। किसान अपनी मर्जी से अपने उत्पाद कहीं भी और किसी को भी बेच सकेंगे।
उन्होंने कहा कि नया कृषि अधिनियम किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए फायदेमंद होगा। किसानों से उनकी उपज की बिक्री के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा और उन्हें परिवहन लागत वहन नहीं करनी होगी, जिससे उनका मुनाफा बढ़ेगा। MSP के बारे में गलत धारणाओं को स्पष्ट करते हुए, उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों और केंद्रीय मंत्रालयों से विचार करने के बाद CACP की सिफारिशों के आधार पर 22 कृषि फ़सलों के लिए MSP को निर्धारित करती है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल किसानों को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कृषि मंडियों को समाप्त नहीं किया जा रहा है। मंडियां यथावत रहेंगी। बस किसान को आजादी दी गई है कि वह जहां उचित मूल्य मिले, वहां अपने उत्पाद बेचे। उन्होंने कहा कि किसान हमारा अन्नदाता है और सरकार उसके साथ मजबूती के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिये संकल्पबद्ध है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि कोविड -19 पर प्रभावी नियंत्रण के लिए आने वाले कुछ माह और चुनौतीपूर्ण होंगे। उन्होंने अधिकारियों को इस चुनौती से निपटने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पिछले एक सप्ताह में प्रदेश में कोविड पॉजिटिव केस कम आए हैं। मगर ऐसे समय में और सतर्कता बरतने की जरूरत है। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का सभी जगह पूर्ण रूप से पालन हो, ताकि संक्रमण को रोका जा सके।
मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की नियमित मॉनिटरिंग
मुख्यमंत्री ने शनिवार को सचिवालय में कोविड-19 की समीक्षा बैठक के दौरान वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से यह निर्देश सभी जिलाधिकारियों एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिये। उन्होंने कहा कि मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की नियमित मॉनिटरिंग की जाए। इसके लिए संबंधित क्षेत्र के उप जिलाधिकारी एवं पुलिस क्षेत्राधिकारी की जिम्मेदारी सुनिश्चित हो। किसी क्षेत्र की शिकायत आने पर सबंधित क्षेत्र के अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
भ्रामक प्रचार करने वालों पर एफआईआर
उन्होंने कहा कि कोविड से बचाव के लिए आम जन के व्यवहार में परिवर्तन लाना होगा। कोविड के सबंध में सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों से भ्रामक प्रचार करने वालों पर एफआईआर दर्ज कर सख्त कारवाई हो। उन्होंने कहा कि कोविड पर प्रभावी नियंत्रण के लिए विभिन्न माध्यमों से जन जागरूकता अभियान चलाने की जरुरत पर भी जोर दिया। जन जागरूकता के लिए उन्होंने प्रमुख हस्तियों एवं गणमान्य व्यक्तियों के वीडियो एवं ऑडियो संदेश बनाकर प्रचारित व प्रसारित करने को कहा।
पर्यटकों से शालीनतापूर्ण व्यवहार
त्रिवेंद्र ने कहा कि कोविड से बचाव के लिए जागरुकता पैदा करने हेतु ऑनलाइन लेख प्रतियोगिता, कार्टून प्रतियोगिता आदि गतिविधियां आयोजित हों और इन प्रतियोगिताओं के लिए जनपद व राज्य स्तर पर पुरस्कार भी दिये जाय। धार्मिक स्थलों, भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर कोविड से बचाव हेतु सुरक्षात्मक उपायों के लिए स्थाई होर्डिंग का प्रावधान करें। उन्होंने कहा कि अब अनेक गतिविधियों के लिए छूट मिल चुकी है। राज्य में पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यह सुनिश्चित किया जाय कि पर्यटकों के साथ सबका शालीनता पूर्वक व्यवहार हो। पर्यटक स्थलों पर थर्मल स्क्रीनिंग और सैंपल टेस्टिंग के लिए बूथ बने।
बैठक में सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी, पुलिस महानिदेशक (कानून व व्यवस्था) अशोक कुमार, सचिव आयुष डी सेंथिल पांडियन, सचिव डाॅ. पंकज पाण्डेय, दिलीप जावलकर, शैलेष बगोली, एस.ए. मुरूगेशन, आईजी अभिनव कुमार, संजय गुंज्याल, अपर सचिव युगल किशोर पंत, स्वास्थ्य महानिदेशक डाॅ.अमिता उप्रेती आदि उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण अटल टनल का उदघाटन किया। इस सुरंग के कारण मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी और यात्रा का समय भी चार से पांच घंटे कम हो जाएगा। अटल टनल दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग टनल है। यह टनल 9.02 किलोमीटर लंबी है। यह पूरे साल मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़कर रखेगी। अभी तक यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग 6 महीने तक अलग-थलग रहती थी।
अटल जी का सपना पूरा
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज सिर्फ अटल जी का ही सपना नहीं पूरा हुआ है, अपितु आज हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों का भी दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है। वर्ष 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था। वाजपेयी सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया। हालात ये थी कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर का काम हो पाया था। जिस रफ्तार में अटल टनल का काम हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जाकर पूरा हो पाती। आपकी आज जो उम्र है, उसमें 20 वर्ष और जोड़ लीजिए, तब जाकर लोगों के जीवन में ये दिन आता, उनका सपना पूरा होता।
20 साल का काम 6 साल में
मोदी ने कहा कि जब विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ना हो, देश के लोगों के विकास की प्रबल इच्छा हो, तो रफ्तार बढ़ानी ही पड़ती है। केंद्र में वर्ष 2014 में उनकी सरकार आने के बाद अटल टनल के काम में भी अभूतपूर्व तेजी लाई गई। नतीजा ये हुआ कि जहां हर साल पहले 300 मीटर सुरंग बन रही थी, उसकी गति बढ़कर 1400 मीटर प्रति वर्ष हो गई। सिर्फ 6 साल में हमने 26 साल का काम पूरा कर लिया।
देरी के कारण तीन गुना बड़ी लागत
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि साल 2005 में ये आंकलन किया गया था कि ये टनल लगभग 950 करोड़ रुपये में पूरी हो जाएगी। मगर लगातार होने वाली देरी के कारण ये तीन गुना से भी ज्यादा, यानी करीब 3200 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद पूरी हुई है। कल्पना कीजिए कि 20 साल और लग जाते तो क्या स्थिति होती ?
एक नजर अटल टनल की विशेषताओं पर
यह टनल हिमालय की पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला में औसत समुद्र तल से 3000 मीटर अर्थात 10,000 फीट की ऊंचाई पर अति-आधुनिक विनिर्देशों के साथ बनाई गई है। यह टनल मनाली और लेह के बीच सड़क की दूरी 46 किलोमीटर कम करती है और दोनों स्थानों के बीच लगने वाले समय में भी लगभग 4 से 5 घंटे की बचत करती है।
घोड़े की नाल के आकार और डबल लेन टनल
अटल टनल का दक्षिण पोर्टल (एसपी) मनाली से 25 किलोमीटर दूर 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि इसका उत्तर पोर्टल (एनपी) लाहौल घाटी में तेलिंग सिस्सु गांव के पास 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह घोड़े की नाल के आकार में 8 मीटर सड़क मार्ग के साथ सिंगल ट्यूब और डबल लेन वाली टनल है। इसकी ओवर हेड निकासी 5.525 मीटर है।
80 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ सकते वाहन
यह 10.5 मीटर चौड़ी है और इसमें 3.6x 2.25 मीटर फायर प्रूफ आपातकालीन निकास टनल भी है, जिसे मुख्य टनल में ही बनाया गया है। अटल टनल को अधिकतम 80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ प्रतिदिन 3000 कारों और 1500 ट्रकों के यातायात घनत्व के लिए डिजाइन किया गया है।
कुछ अन्य प्रमुख विशेषताएं
यह टनल सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम, एससीएडी एनियंत्रित अग्निशमन, रोशनी और निगरानी प्रणाली सहित अति-आधुनिक इलेक्ट्रो-मैकेनिकल प्रणाली से युक्त है। टनल के दोनों प्रवेश द्वार अर्थात पोर्टल पर प्रवेश बैरियर, आपातकालीन संचार के लिए प्रत्येक 150 मीटर दूरी पर टेलीफोन कनेक्शन, प्रत्येक 60 मीटर दूरी पर फायर हाइड्रेंट तंत्र, प्रत्येक 250 मीटर दूरी पर सीसीटीवी कैमरों से युक्त स्वत: किसी घटना का पता लगाने वाली प्रणाली, प्रत्येक किलोमीटर दूरी पर वायु गुणवत्ता निगरानी, पूरी टनल में प्रसारण प्रणाली, प्रत्येक 50 मीटर दूरी पर फायर रेटिड डैम्पर्स, प्रत्येक 60 मीटर दूरी पर कैमरे लगे हैं।
वाजपेयी सरकार ने लिया था टनल निर्माण का निर्णय
03 जून, 2000 तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रोहतांग दर्रे के नीचे एक रणनीतिक टनल का निर्माण करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया था। टनल के दक्षिण पोर्टल की पहुंच रोड़ की आधारशिला 26 मई, 2002 रखी गई थी। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने प्रमुख भू-वैज्ञानिक, भूभाग और मौसम की चुनौतियों पर काबू पाने के लिए अथक परिश्रम किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक 24 दिसम्बर 2019 को आयोजितबैठक में इस टनल का नाम अटल टनल रखने का निर्णय लिया गया था।
2 अक्तूबर 1994 को मुजफ्फरनगर जिले के रामपुर-तिराहा में अलग उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर पुलिस बर्बरता की 26 वीं बरसी पर प्रदेशभर में विभिन्न स्थानों में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रामपुर-तिराहा पहुंच कर उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के दौरान शहीद हुए आंदोलनकारियों की स्मृति में बनाए गए शहीद स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित किये। शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आन्दोलनकारियों के सपनों के अनुरूप उत्तराखण्ड का विकास हो, इसके लिए राज्य सरकार निरन्तर प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि 2 अक्तूबर के दिन को हम अनेक रूपों में मनाते हैं। यह दिन देश की आजादी के लिए अहिंसा व सत्याग्रह के सिद्धान्त पर चलने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और जय जवान-जय किसान का उदघोष करने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड एवं तत्कालीन उत्तर प्रदेश के इतिहास में आज के दिन को एक काले धब्बे के रूप में भी हम लोग देखते हैं। रामपुर-तिराहा में राज्य आन्दोलनकारियों पर अमानवीय अत्याचार हुआ, अनेक नौजवान शहीद हुए। उन्होंने स्थानीय लोगों की सराहना करते हुए कहा कि पुलिस बर्बरता के दौरान यहां के लोगों ने उत्तराखंड के आंदोलनकारियों के सम्मान व सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए। उनके इस योगदान को हमेशा याद किया जायेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य बड़े संघर्ष के बाद बना। राज्य के निर्माण में सभी वर्गों के लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तराखंड राज्य का निर्माण किया। आज राज्य तेजी से प्रगति के पथ पर अग्रसर है। उत्तराखण्ड की प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा, इन्फ्रास्टक्चर में तेजी से वृद्धि हुई है। उत्तराखण्ड सीमान्त प्रदेश है, जिसकी लगभग पौने छः सौ किलोमीटर की अन्तरराष्ट्रीय सीमाएं हैं। आज हम चीन की सीमा तक सड़क पहुंचा चुके हैं।
इस अवसर पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर भगत, विधायक हरवंश कपूर, प्रदीप बत्रा, मुजफ्फरनगर के विधायक प्रमोद उडवाल, गौ सेवा आयोग के उपाध्यक्ष राजेन्द्र अंथवाल, रूड़की के मेयर गौरव गोयल आदि उपस्थित थे।
सीएम राजधानी देहरादून के कचहरी परिसर भी पहुंचे
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने राजधानी देहरादून के कचहरी स्थित शहीद स्मारक पर भी आंदोलनकारियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज ही के दिन उत्तराखण्ड के इतिहास में एक काला अध्याय भी जुड़ा, जब अलग उत्तराखण्ड राज्य की मांग को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर रामपुर-तिराहा में बर्बरतापूर्वक अत्याचार किए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने प्राणों की आहुति देने वाले राज्य आन्दोलनकारियों के बलिदान के परिणामस्वरूप ही उत्तराखण्ड एक अलग राज्य बना।

विधानसभा अध्यक्ष अग्रवाल, भाजपा संगठन मंत्री अजेय ने अर्पित किए पुष्प चक्र
विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल, भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार, मेयर सुनील उनियाल गामा आदि ने भी अलग-अलग कचहरी परिसर स्थित शहीद स्मारक पहुंच कर शहीदों के चित्र पर पुष्प चक्र अर्पित किए। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि 2 अक्तूबर के दिन रामपुर-तिराहा में जिस प्रकार से आंदोलनकारी महिलाओं व पुरुषों पर बर्बरतापूर्वक अत्याचार किया गया, उसे भुलाया नहीं जा सकता है।
बात-बेबात के मुद्दों को लेकर हो-हल्ला मचाने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता व स्वराज पार्टी के नेता प्रशांत भूषण गैंग को गुरुवार को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी। उच्चतम न्यायालय ने कुछ पूर्व अधिकारियों की तरफ से प्रशांत भूषण के माध्यम से दाखिल एक याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में केंद्र सरकार पर समय रहते लॉकडाउन लागू नहीं किए जाने और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम के आयोजन के दौरान कोविड-19 के मानकों का ध्यान नहीं रखे जाने के आरोप लगाए गए थे और इसकी जांच के लिए एक आयोग गठित करने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। यह मुद्दे सार्वजनिक बहस के हो सकते हैं। मगर अदालत की बहस के नहीं। 6 पूर्व अधिकारियों की ओर से दायर की गई इस याचिका में कहा गया था कि केंद्र सरकार कोविड-19 के प्रबन्धन में पूरी तरह असफल रही। सरकार के पास लॉकडाउन को लेकर कोई योजना नहीं थी। सरकार कोरोना महामारी को रोकने में नाकाम साबित हुई है। अर्थ व्यवस्था चरमरा गई है।
याचिका में कहा गया कि नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम के दौरान लाखों लोग एक साथ एकत्र हुए थे। जबकि उससे पहले गृह मंत्रालय एडवाइजरी जारी कर चुका था कि बड़ी संख्या में लोग एक जगह एकत्र ना हों। याचिका में मांग की गई कि इन मुद्दों की जांच के लिए एक स्वतंत्र जांच आयोग गठित किया जाए। मगर न्यायालय प्रशांत भूषण के तर्कों से सहमत नहीं हुआ और याचिका को खारिज कर दिया।
उत्तराखंड में स्कूलों को खोले जाने के संबंध में प्रदेश के विद्यालयी शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने गुरूवार को एक उच्चस्तरीय बैठक की। बैठक में तय किया गया कि स्कूलों को खोले जाने के संबंध में कोई भी निर्णय स्कूलों के प्रबंधन, अभिभावकों सहित सभी संबंधित पक्षों के साथ विचार-विमर्श के बाद आम राय से लिया जाएगा।
सचिवालय में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव आर मीनाक्षी सुन्दरम सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक के बाद सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में मीडियाकर्मियों से बातचीत में पांडेय ने बताया कि सभी जिलाधिकारी अपने जिलों में कोविड-19 की स्थिति और वहां के स्कूलों की प्रबंधन समितियों व अभिभावकों की राय के लेंगे। इस फीडबैक को जिलाधिकारी एक सप्ताह के भीतर शासन को भेजेंगे। जिलों से प्राप्त फीडबैक के बाद स्वास्थ्य विभाग के साथ विचार-विमर्श कर आवश्यकतानुसार कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया जाएगा।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि यदि स्कूलों को खोलने के बारे में राय बन जाती है तो तीन चरणों में स्कूलों को खोले जाने का प्रस्ताव किया जाएगा। पहले चरण में कक्षा 9 से 12 तक, दूसरे चरण में कक्षा 6 से 12 तक और तीसरे चरण में सभी कक्षाओं को शामिल किया जाना प्रस्तावित है। सभी स्कूलों में कोविड-19 के लिए जरूरी सभी प्रोटोकाल का पालन किया जाएगा। बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है। अभिभावको की अनुमति बिना किसी बच्चे को स्कूल आने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
शिक्षा मंत्री की बैठक के बाद गुरुवार शाम को ही शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम की ओर से जिलाधिकारियों को पत्र भेज कर सभी राजकीय, सहायता प्राप्त व निजी स्कूलों के प्रबंधकों, प्रधानाचार्यों, शिक्षकों व अभिभावकों से सुझाव प्राप्त कर एक सप्ताह के भीतर शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश जारी कर दिए गए।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बुधवार को ताबड़तोड़ तरीके से लापरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री ने जहां एक ओर लोक निर्माण विभाग (PWD) के एक अधिशासी अभियन्ता, विद्युत विभाग के एक उपखंड अधिकारी, एक सहायक अभियंता, एक अवर अभियंता व दो लाइनमैन निलंबित किए, वहीं दूसरी तरफ लम्बे समय से अनुपस्थित चल रहे 81 डॉक्टरों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
आदेशों की अवहेलना पर PWD के अधिशासी अभियन्ता निलम्बित
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने PWD के अधिशासी अभियन्ता अनुपम सक्सेना को आदेशों की अवहेलना का दोषी पाये जाने पर निलम्बित करने के निर्देश दिए हैं। सक्सेना को PWD के प्रान्तीय खण्ड, पौड़ी से PWD के विश्व बैंक खण्ड, अस्कोट स्थांतरित किया गया था। मगर अभियंता ने आदेश का अनुपालन नहीं किया और बिना अवकाश स्वीकृत कराए कार्यालय से गैर हाजिर हैं। मुख्यमंत्री ने PWD के प्रमुख अभियन्ता की संस्तुति पर सक्सेना को स्वेच्छाचारी प्रवृत्ति शासकीय, आदेशों का अनुपालन न करने, बिना अवकाश गैर हाजिर रहने तथा उच्चाधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने के आरोप में उन्हें निलम्बित करने के निर्देश दिए।
हाईटेंशन लाइन से मौत मामले में विद्युत विभाग के 5 कार्मिक निलंबित
मुख्यमंत्री ने विगत दिनों हल्द्वानी में हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से एक साईकिल सवार युवक की झुलसने से हुई मौत के मामले में ऊर्जा निगम के सहायक अभियंता और उपखंड अधिकारी समेत 5 कार्मिकों को निलंबित कर दिया है। मुख्यमंत्री ने हाईटेंशन तार गिरने से युवक की मौत के मामले को काफी गंभीरता से लिया था। मुख्यमंत्री के निर्देश पर ऊर्जा सचिव राधिका झा ने पूरे मामले की जांच सीनियर स्तर के अधिकारी से कराई थी। जांच रिपोर्ट के आधार पर एसडीओ विद्युत वितरण उपखंड (प्रथम) सुभाषनगर हल्द्वानी नीरज चंद्र पांडे, सहायक अभियंता (मापक) विद्युत परीक्षण शाला हल्द्वानी रोहिताषु पांडे, अवर अभियंता मो.शकेब, टीजी -1 लाइन चांद मोहम्मद और लाइनमैन नंदन सिंह भंडारी को निलंबित किया गया है। इसके अलावा क्षेत्र के एसएसओ को सेवा से हटा दिया गया है। वह उपनल से भर्ती थे।
लम्बे समय से अनुपस्थित चिकित्सकों की सेवा समाप्ति के निर्देश
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने प्रदेश के प्रान्तीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग के अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित 81 चिकित्साधिकारियों की सेवा समाप्ति सम्बन्धी प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अब अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित इन चिकित्सकों की विभाग में अनुपस्थिति की तिथि से सेवा समाप्ति सम्बन्धी प्रस्ताव को सहमति हेतु लोक सेवा आयोग को भेज दिया गया है।