गणतंत्र दिवस के अवसर नई दिल्ली के राजपथ पर निकली विभिन्न राज्यों की झांकियों में उत्तराखण्ड की ‘केदारखण्ड’ झांकी को तीसरे स्थान के लिये पुरस्कृत किया गया है। नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रंगशाला शिविर में केंद्रीय युवा मामलों व खेल राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) किरेन रिजिजू ने यह पुरस्कार उत्तराखंड को प्रदान किया।
सूचना व लोकसंपर्क विभाग के उप निदेशक व उत्तराखण्ड के टीम लीडर के.एस. चौहान ने राज्य की ओर से यह पुरस्कार प्राप्त किया। राज्य गठन के बाद उत्तराखण्ड द्वारा अनेक बार गणतंत्र दिवस परेड में प्रतिभाग किया गया। मगर यह पहला अवसर है जब उत्तराखण्ड की झांकी को पुरस्कार के लिए चुना गया है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस पर प्रसन्नता व्यक्त की और प्रदेशवासियों समेत सचिव सूचना दिलीप जावलकर, सूचना महानिदेशक डॉ मेहरबान सिंह बिष्ट, टीम लीडर केएस चौहान, झांकी तैयार करने तथा झांकी में सम्मलित सभी कलाकारों को बधाई दी है।
गणतंत्र दिवस परेड-2021 समारोह में उत्तराखण्ड राज्य की झांकी में सम्मिलित होने वाले कलाकारों में झांकी निर्माता सविना जेटली, मोहन चन्द्र पाण्डेय, विशाल कुमार, दीपक सिंह, देवेश पन्त, वरूण कुमार, अजय कुमार, रेनू, नीरू बोरा, दिव्या, नीलम व अंकिता नेगी शामिल थे।
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गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली में किसानों के अराजक प्रदर्शन के दौरान घायल हुए पुलिसकर्मियों का बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने हालचाल पूछा। अमित शाह ने दिल्ली के तीरथ राम अस्पताल और सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर जाकर घायल पुलिस जवानों से मुलाकात की। घायल जवानों से मुलाकात का ट्विटर पर वीडियो जारी करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि हमें उनके साहस व बहादुरी पर गर्व है।
उल्लेखनीय है कि नए कृषि कानूनों के विरोध में लम्बे समय से आंदोलनरत किसानों ने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर रैली आयोजित करने की अनुमति मांगी थी। दिल्ली पुलिस ने कुछ शर्तों के साथ रैली को अनुमति दी थी। इन शर्तों में रैली को एक निर्धारित रुट से ले जाना भी शामिल था। मगर आयोजकों ने अनुमति की किसी भी शर्त का पालन नहीं किया। उल्टा प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली में तोड़फोड़, हिंसा व अराजकता का नंगा नाच किया। सरेआम तलवारें लहराई गईं। लाल किले पर तिरंगे का अपमान कर एक अन्य ध्वज फहराया गया।
किसानों के नाम पर हुए इस हिंसक प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस ने बेहद संयम का परिचय दिया और अराजक तत्वों के मंसूबो को कामयाब नहीं होने दिया। प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस के करीब 400 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे, जिनमें से कुछ गंभीर रूप से घायल हैं। बुधवार को अमित शाह इन घायल जवानों को मिलने अस्पताल पहुंचे।
गृह मंत्री शाह द्वारा ट्विटर पर जारी वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि वे न केवल घायल जवानों की कुशल क्षेम पूछ रहे हैं, अपितु डॉक्टरों से भी बातचीत कर रहे हैं और जवानों के कंधों पर हाथ रख कर उन्हें ढांढस बंधाते भी दिख रहे हैं। शाह ने जवानों के फल भी वितरित किए। शाह ने घायल जवानों से मुलाकात का वीडियो अपने ट्विटर हैंडल पर जारी करते हुए घायल पुलिस कर्मियों के लिए लिखा है कि – ”हमें उनके साहस और बहादुरी पर गर्व है”।
वित्त मंत्री ने कहा दिल्ली पुलिस का अनुकरणीय संयम
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गृह मंत्री शाह के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए उनके द्वारा घायल जवानों के हालचाल पूछे जाने की सराहना की। अपने ट्वीट में निर्मला ने यह भी कहा कि दिल्ली पुलिस ने अनुकरणीय संयम दिखाया। वित्त मंत्री ने ड्यूटी के दौरान घायल हुए जवानों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना भी की है।
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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने गणतंत्र दिवस पर सुनियोजित हिंसाचार, राष्ट्रीय धरोहर लालकिला प्रांगण में हुई तोड़फोड़, पुलिस व अर्धसैनिक बलों पर तलवारों, फर्से व लाठियों से लैस भीड़ के संगठित हमले तथा राष्ट्रीय प्रतीकों के अनादर में सम्मिलित अपराधियों पर शीघ्र कार्रवाई की मांग की है।
एक बयान में ABVP ने कहा है कि कथित किसान नेताओं ने वकील प्रशांत भूषण तथा दुष्यंत दवे के माध्यम से उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर कर आंदोलन के शांतिपूर्ण ढंग से आयोजित होने का आश्वासन दिया था, लेकिन शुरूआती दौर से ही यह कथित किसान आंदोलन बिल्कुल भी शांतिपूर्ण नहीं रहा। ट्रैक्टरों पर तोड़फोड़ करने वाले यंत्रों को लगाने आदि से इस आंदोलन की सुनियोजित हिंसा के षड्यंत्र का अनुमान लगाया जा सकता है।
किसान आंदोलन की आड़ में जिस प्रकार से लाल किले की प्राचीर से तिरंगा का अपमान कर अन्य पताकाओं और अलगाववादी खालिस्तानी व वामपंथी पार्टियों के झंडे लहराए गए, तथा दिल्ली पुलिस व अर्धसैनिक बलों के जवानों के साथ भीड़ ने भीषण हिंसा की, उसके अलग-अलग वीडियो सार्वजनिक हैं। इन वीडियोज की पड़ताल कर दंगाइयों तथा देशविरोधी तत्त्वों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
ABVP की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा, “राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को फेंक उसके अनादर के वीडियो लोगों के बीच सार्वजनिक हो चुके हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस तरह राष्ट्रीय प्रतीकों के अनादर से देश गुस्से में है। इस पूरी हिंसा की निष्पक्ष जांच कर सरकार को अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी। गणतंत्र दिवस जैसे पावन दिन पर अशांति फैलाकर आंदोलन के पीछे की ताकतों की वास्तविकता स्पष्ट है।”
अल्मोड़ा जिले की सल्ट विधानसभा के हरडा में बुधवार को आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्थानीय विधायक सुरेंद्र सिंह जीना और उनकी धर्मपत्नी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि जनहित के कार्यों व प्रदेश के विकास में सुरेंद्र जीना का योगदान भुलाया नहीं जा सकता। उनके अधूरे कार्यों को राज्य सरकार पूरा करेगी। उन्होंने सल्ट क्षेत्र में जीना की स्मृति में एक स्मारक बनाने समेत क्षेत्र के विकास के लिए कई घोषणाएं कीं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि जीना से सबका बहुत ही सहज और सरल रिश्ता था। जीना का अपने क्षेत्र के लोगों से गहरा लगाव था। कहा कि उनके कहने पर इस क्षेत्र जनहित की 63 विकास योजनाओं की मैंने घोषणाएं की हैं। जिसमें से 42 पूर्ण हो चुकी हैं। बाकी भी जल्द पूरा हो जाएंगी। इस मौके पर उन्होंने राजकीय महाविद्यालय मनीला को सुरेंद्र जीना के नाम पर करने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने मार्चुला को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए एडवेंचर मीट का आयोजन, हरडा में एडवेंचर स्पोर्ट्स सेंटर व जिला सहकारी बैंक की स्थापना, रामगंगा के तट को एंगलिग हब के रूप में विकसित करने आदि कई घोषणाएं की।
कार्यक्रम में प्रदेश के परिवहन मंत्री यशपाल आर्य, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ धन सिंह रावत, सांसद अजय टम्टा, भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार, प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट आदि उपस्थित थे।
दो महीनों से किसानों की खाल ओढ़कर बैठे भेड़ियों की असली शक्ल गणतंत्र दिवस पर देश के सामने आ गई। आखिरकार वही हुआ जिसकी संभावना बीते कई दिनों से जताई जा रही थी। दिल्ली पुलिस बताती रही कि किसानों के आंदोलन में उपद्रवी तत्व घुस चुके हैं, इंटेलीजेंस बताता रहा कि पाकिस्तान से आन्दोलन को भड़काने की कोशिश कर रही है लेकिन अपने मद में चूर किसान नेता पुलिस की बात को अनसुना करते रहे। पुलिस समझाती रही और किसान नेता कहते रहे कि हम तिरंगा लहराएंगे लेकिन 26 जनवरी को तस्वीरें तलवार लहराने की सामने आईं। मीडिया पर तैर रही तमाम तस्वीरें और वीडियो किसी को भी यह सवाल पूछने के लिए विवश कर देंगे कि क्या यह मेरे देश का किसान है?
तोड़े सारे नियम
पहले तो किसान अपनी मांगों को लेकर सरकार के सामने अड़ गए। सरकार ने नरम रुख अपनाया। मगर फिर भी उनकी जिद में कहीं से कोई कमी नहीं आई। फिर किसानों ने जिद पकड़ी कि उन्हें 26 जनवरी को परेड निकालनी है। पहले तो पुलिस ने समझाया। बाद में पुलिस ने कुछ शर्तों के साथ उन्हें रैली की इजाजत भी दे दी, लेकिन जब रैली का दिन आया तो उन्होंने सारी शर्तों को धता बता दिया। सारे नियम तोड़ डाले गए। पुलिस के बैरिकेड माचिस की तीलियों की तरह तोड़ दिए गए और देश की राजधानी पर इस तरह से हमला किया गया है मान लो मुगलों की फौज दिल्ली लूटने आई हो।

जगह-जगह हिंसा
मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से इन कथित किसानों की अराजक तस्वीरें व वीडियो सामने आए हैं। एक वीडियो में एक निहंग सिख खुलेआम पुलिस वाले पर तलवार भांजता दिखाई दे रहा है। कहीं पुलिस वालों के सर से बहता हुआ खून है तो कहीं खिलौने की तरह नाचती हुई बस। पुलिस के ऊपर लाठियां चलाई जा रही है। साथ हीं जगह-जगह पत्थर भी बरसाए जा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने अराजकता की सारी सीमाओं को पार किया। महिला पुलिसकर्मियों से बदसलूकी की गई।
मोदी विरोधी ताकतों की मंशा पर फिरा पानी
जिस तरह तलवारें लहराई गयी, ईंट पत्थर फेंके गए, ट्रैक्टर से पुलिस वालों को कुचलने की कोशिश की गई, पुलिस ने तब भी संयम बरतते हुए अपनी जान बचाई, यह पूरे देश ने देखा है। मोदी विरोधी ताकतें पूरी उम्मीद में थीं कि मोदी के सब्र का बांध कभी तो टूटेगा और सरकार और उत्पाती आमने-सामने होंगे। लाशें गिरेंगी और इन्हें लोकतंत्र के नाम पर बकैती का अवसर हाथ आएगा। लेकिन सरकार के संयम ने इनकी इस मंशा पर भी पानी फेर दिया।

कथित किसानों का दांव उल्टा पड़ा
किसान आंदोलन के नाम पर कुछ लोग केंद्र सरकार को तानाशाह साबित करने पर तुले थे। मगर केंद्र सरकार ने संयमित रुख अपनाते किसानों की खाल में छिपे असामाजिक तत्वों की अराजकता को पूरी दुनिया के सामने नुमाया कर दिया और सिद्ध कर दिया कि यह पूरा आंदोलन एक बड़े षड्यन्त्र का हिस्सा था और इसके पीछे राष्ट्र विरोधी ताकतों का दिमाग और पैसा था।
तमिलनाडु के रहने वाले ईसाई धर्म प्रचारक पॉल दिनाकरन एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार वे आयकर विभाग की छापेमारी के कारण चर्चाओं हैं। अपनी प्रार्थनाओं के बल पर दूसरों के कष्ट दूर करने वाले दिनाकरन आयकर विभाग द्वारा शिकंजा कसे जाने से खुद संकट में आ गए हैं। आयकर विभाग ने तमिलनाडु में पॉल के 25 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर 118 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति का पता लगाया है। छापेमारी में साढ़े चार किलो सोना भी बरामद किया गया है।
आयकर विभाग ने उनकी संस्था जीसस कॉल्स (Jesus Calls) को लेकर चेन्नई और कोयंबटूर में सर्च ऑपरेशन चलाया था। दिनाकरन इस क्रिश्चियन मिशनरी के प्रमुख हैं। इसका कामकाज कई देशों में फैला हुआ है। दिनाकरन करुण्य विश्वविद्यालय के कुलपति भी हैं।
आयकर विभाग ने विगत सप्ताह सर्च ऑपरेशन चला कर पॉल दिनाकरन के कोयंबटूर स्थित निवास से 4.7 किलो सोना जब्त किया। विभाग ने डोनेशन की रसीदों, विदेश में निवेश, खर्च को बढ़ाकर दिखाने सहित कई अन्य तरीकों से 118 करोड़ रुपये की आय छिपाने के संबंध में जानकारी जुटाई है। छापे के दौरान विभाग ने दिनाकरन के संगठन को विदेशों से मिली पूंजी की भी जांच की।
कौन हैं पॉल दिनाकरन
जीसस कॉल्स मिनिस्ट्रीज और करुण्य यूनिवर्सिटी की स्थापना उनके पिता डॉ. डीजीएस दिनाकरन ने की थी। वे ईसाई धर्म प्रचारक थे। उनके बारे में यह प्रचारित था कि उन्होंने ईसा मसीह को देखा था। उनका वर्ष 2008 में निधन हो गया था। जिसके बाद संस्थाओं का नेतृत्व पॉल दिनाकरन के हाथों में आ गया था। तमिलनाडु में दिनाकरन परिवार का खासा वर्चस्व है। राज्य में सत्तारूढ़ पार्टियों से उनके अच्छे संबंध रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दिनाकरन ईश्वरीय कृपा के नाम पर अपनी प्रार्थनाओं के बल पर अनुयायियों को विभिन्न समस्याओं से छुटकारा दिलाने का दावा करते हैं। पॉल दिनाकरन की प्रेयर (प्रार्थना) पैकेज के रूप में उनके अनुयायियों के लिए उपलब्ध हैं। उनके प्रेयर पैकेज में बच्चों, परिवार व बिजनेस के लिए अलग-अलग प्लान हैं।
ये प्लान दिनाकरन की www.prayertoweronline.org नामक वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कर ख़रीदे जा सकते हैं। यानी भक्तों को जो प्लान चाहिए, उसके लिए उन्हें वेबसाइट पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होता है और बदले में दान के रूप में कुछ धनराशि देनी होती है। फिर उनके लिए दिनाकरन विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित करते हैं। उनके कार्यक्रम विभिन्न टीवी चैनलों पर प्रसारित होते हैं।
72वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के राजपथ में उत्तराखंड की ओर से केदारखंड की झांकी प्रदर्शित की गई। उत्तराखंड की झांकी का तालियों की गड़गड़ाहट से लोगों ने स्वागत किया। झांकी के अग्रभाग में उत्तराखण्ड का राज्य पशु कस्तूरी मृग दर्शाया गया था जो कि उत्तराखण्ड के वनाच्छादित हिम शिखरों में 3600 से 4400 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। इसके साथ ही झांकी में प्रदेश का राज्य पक्षी मोनाल व राज्य पुष्प ब्रह्मकमल भी दिखाया गया था। मोनाल पक्षी व ब्रह्मकमल केदारखण्ड के साथ-साथ उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

झांकी के पिछले हिस्से में बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक केदारनाथ धाम की प्रतिकृति बनाई गयी थी। साथ में केदारनाथ धाम में यात्रियों को यात्रा करते हुए तथा श्रद्धालुओं को भक्ति में लीन दिखाया गया था। मंदिर के ठीक पीछे विशालकाय दिव्य शिला को प्रदर्शित किया गया था। इसी दिव्य शिला की वजह से वर्ष 2013 की आपदा में केदारनाथ मंदिर सुरक्षित रहा था। प्रदेश के सूचना व लोकसंपर्क विभाग के उपनिदेशक के.एस.चौहान के नेतृत्व में 12 सदस्यीय कलाकारों के दल ने झांकी में अपना प्रदर्शन किया।
मुख्यमंत्री ने ट्विटर व फेसबुक पर साझा किया वीडियो
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने राजपथ पर निकली प्रदेश की झांकी की ट्विटर व फेसबुक पर वीडियो साझा करते हुए कलाकारों को शुभकामनाएं दी हैं।
राजधानी देहरादून में राज्यपाल ने परेड की सलामी
देहरादून के परेड ग्राउंड में आयोजित मुख्य समारोह में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने ध्वज फहरा कर परेड की सलामी ली। इस अवसर पर सेना, आईटीबीपी, पुलिस, पीएसी, होमगार्ड, पीआरडी के जवानों ने मार्चपास्ट करते हुए राज्यपाल को सलामी दी। राज्य के लोक कलाकारों ने सुन्दर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। समारोह में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, सांसद महारानी मालाराज्य लक्ष्मी शाह, नरेश बंसल, मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक खजान दास, मुख्य सचिव ओम प्रकाश, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार आदि उपस्थित थे।

ग्रीष्मकालीन राजधानी में विधानसभा अध्यक्ष ने फहराया तिरंगा
विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण स्थित विधानसभा परिसर में ध्वजारोहण किया। इस अवसर पर अग्रवाल ने कोरोना काल में प्रधानमंत्री राहत कोष में 10 लाख रुपए का योगदान देने वाली चमोली जिले की देवकी भंडारी समेत विभिन्न विद्यालयों के 10 मेधावी छात्रों सम्मानित किया। कार्यक्रम में स्थानीय विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी, एडीएम अनिल चिनियाल, पुलिस क्षेत्राधिकारी विमल प्रसाद, समीर मिश्रा, अरुण मैठाणी, महावीर सिंह रावत आदि उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने सरकारी आवास व भाजपा मुख्यालय में किया ध्वजारोहण
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने देहरादून स्थित मुख्यमंत्री आवास में ध्वजारोहण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उपस्थित अधिकारियों, कार्मिकों एवं पुलिस के जवानों को संविधान की प्रस्तावना की शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में भी ध्वजारोहण किया। कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार, सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह व नरेश बंसल, विधायक खजानदास, विनय रुहेला, मधु भट्ट आदि उपस्थित।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हरिद्वार में आयोजित होने वाला कुंभ पूरी तरह से ’बेदाग’ होगा। देश और दुनिया से जो श्रद्धालु यहां आएंगे हमारी सरकार उनकी हर अपेक्षा और आशंका पर पूर्ण रूप से खरी उतरेगी। इससे पहले मुख्यमंत्री ने लालतप्पड़ फ्लाई ओवर के साथ ही कुंभ मेला क्षेत्र में विभिन्न निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि सभी कार्य सुव्यवस्थित तरीके से किए जा रहे हैं और अपूर्ण कार्यों को समय पर पूरे करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं।
रविवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र, मुख्य सचिव ओमप्रकाश व अन्य अधिकारियों के साथ सड़क मार्ग से हरिद्वार पहुंचे। रास्ते में उन्होंने विभिन्न निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। हरिद्वार में मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कुंभ मेला क्षेत्र में कुल 86 निर्माण कार्य स्वीकृत थे जिनमें से दो बाद में निरस्त किये गए थे। शेष 84 में से अधिकांश कार्य लगभग पूरे हो चुके हैं। सभी कार्य बढ़िया और व्यवस्थित तरीके से किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि कोरोना का संक्रमण अभी खत्म नहीं हुआ है। कोरोना अब नए स्ट्रेन में संक्रमित हो रहा है। ऐसे में कुम्भ को दिव्य और भव्य के साथ सुरक्षित बनाना भी राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। इसके लिये केंद्र सरकार ने गाइडलाइन (SOP) जारी की है। एसओपी के मुताबिक ही कोरोना से बचाव के अनुकूल कुंभ की व्यवस्थाएं होंगी। कुंभ में श्रद्धालुओं को स्वच्छता, आस्था, धार्मिक परम्पराएं व लोक संस्कृति देखने को मिलेंगी। कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि कुंभ का आयोजन पूरे उत्साह और उमंग के साथ किया जाएगा।
स्वतंत्रता आंदोलन के दिनों में जिनकी एक पुकार पर हजारों महिलाओं ने अपने कीमती गहने अर्पित कर दिये, जिनके आह्नान पर हजारों युवक और युवतियाँ आजाद हिन्द फौज में भर्ती हो गये, उन नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म उड़ीसा की राजधानी कटक के एक मध्यमवर्गीय परिवार में 23 जनवरी, 1897 को हुआ था।
सुभाष के अंग्रेज भक्त पिता रायबहादुर जानकीनाथ चाहते थे कि वह अंग्रेजी आचार-विचार और शिक्षा को अपनाएँ। विदेश में जाकर पढ़ें तथा आई.सी.एस. बनकर अपने कुल का नाम रोशन करें; पर सुभाष की माता प्रभावती हिन्दुत्व और देश से प्रेम करने वाली महिला थीं। वे उन्हें 1857 के संग्राम तथा विवेकानन्द जैसे महापुरुषों की कहानियाँ सुनाती थीं। इससे सुभाष के मन में भी देश के लिए कुछ करने की भावना प्रबल हो उठी।
सुभाष ने कटक और कोलकाता से विभिन्न परीक्षाएँ उत्तीर्ण कीं। फिर पिताजी के आग्रह पर वे आई.सी.एस की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गये। अपनी योग्यता और परिश्रम से उन्होंने लिखित परीक्षा में पूरे विश्वविद्यालय में चतुर्थ स्थान प्राप्त किया; पर उनके मन में ब्रिटिश शासन की सेवा करने की इच्छा नहीं थी। वे अध्यापक या पत्रकार बनना चाहते थे। बंगाल के स्वतन्त्रता सेनानी देशबन्धु चितरंजन दास से उनका पत्र-व्यवहार होता रहता था। उनके आग्रह पर वे भारत आकर कांग्रेस में शामिल हो गये।
कांग्रेस में उन दिनों गांधी जी और नेहरू जी की तूती बोल रही थी। उनके निर्देश पर सुभाष बाबू ने अनेक आन्दोलनों में भाग लिया और 12 बार जेल-यात्रा की। 1938 में गुजरात के हरिपुरा में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में वे कांग्रेस के अध्यक्ष बनाये गये; पर फिर उनके गांधी जी से कुछ मतभेद हो गये। गांधी जी चाहते थे कि प्रेम और अहिंसा से आजादी का आन्दोलन चलाया जाये; पर सुभाष बाबू उग्र साधनों को अपनाना चाहते थे। कांग्रेस के अधिकांश लोग सुभाष बाबू का समर्थन करते थे। युवक वर्ग तो उनका दीवाना ही था।
सुभाष बाबू ने अगले साल मध्य प्रदेश के त्रिपुरी में हुए अधिवेशन में फिर से अध्यक्ष बनना चाहा; पर गांधी जी ने पट्टाभि सीतारमैया को खड़ा कर दिया। सुभाष बाबू भारी बहुमत से चुनाव जीत गये। इससे गांधी जी के दिल को बहुत चोट लगी। आगे चलकर सुभाष बाबू ने जो भी कार्यक्रम हाथ में लेना चाहा, गांधी जी और नेहरू के गुट ने उसमें सहयोग नहीं दिया। इससे खिन्न होकर सुभाष बाबू ने अध्यक्ष पद के साथ ही कांग्रेस भी छोड़ दी।
अब उन्होंने ‘फारवर्ड ब्लाक’ की स्थापना की। कुछ ही समय में कांग्रेस की चमक इसके आगे फीकी पड़ गयी। इस पर अंग्रेज शासन ने सुभाष बाबू को पहले जेल में और फिर घर में नजरबन्द कर दिया; पर सुभाष बाबू वहाँ से निकल भागे। उन दिनों द्वितीय विश्व युद्ध के बादल मंडरा रहे थे। सुभाष बाबू ने अंग्रेजों के विरोधी देशों के सहयोग से भारत की स्वतन्त्रता का प्रयास किया। उन्होंने आजाद हिन्द फौज के सेनापति पद से जय हिन्द, चलो दिल्ली तथा तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा का नारा दिया; पर दुर्भाग्य से उनका यह प्रयास सफल नहीं हो पाया।
सुभाष बाबू का अन्त कैसे, कब और कहाँ हुआ, यह रहस्य ही है। कहा जाता है कि 18 अगस्त, 1945 को जापान में हुई एक विमान दुर्घटना में उनका देहान्त हो गया। यद्यपि अधिकांश तथ्य इसे झूठ सिद्ध करते हैं; पर उनकी मृत्यु के रहस्य से पूरा पर्दा उठना अभी बाकी है।
गुजरात के हरिपुरा में होगा विशेष कार्यक्रम
शनिवार को इस महान नेता की जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनाई जाएगी। देश भर में आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में से एक विशेष कार्यक्रम गुजरात के हरिपुरा में आयोजित होगा। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे।
हरिपुरा का नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के साथ एक विशेष संबंध रहा है। 1938 के ऐतिहासिक हरिपुरा अधिवेशन में नेताजी बोस ने कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष पद संभाला था। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा कि हरिपुरा में आयोजित होने वाला कार्यक्रम हमारे राष्ट्र के लिए नेताजी बोस के योगदान को एक श्रद्धांजलि होगी।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ‘धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020′ के तहत अशोका गार्डन थाने में पहला मामला दर्ज किया गया है। आरोपी ने धर्म छिपाकर एक लड़की से प्रेम प्रसंग किया। उसके बाद उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने लगा। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मामले में आरोपी असद ने न सिर्फ लड़की पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया, बल्कि जब लड़की ने उससे दूरी बनानी शुरू की तो उसने व्हाट्सएप्प के स्टेटस में चुनौती देते हुए एक दूसरी लड़की की फोटो के साथ लिखा “माई न्यू गर्ल फ्रेंड, और ये भी हिन्दू।” दूसरे स्टेटस में उसने लिखा “अब देखते हैं कौन भक्त आएगा बीच में…..” ये दो स्टेटस आरोपी युवक की विकृत मानसिकता को दर्शाते हैं।
एएसपी राजेश सिंह भदौरिया ने बताया, आरोपी असद ने आशु बनकर छात्रा से दोस्ती की। आरोपी ने अपना धर्म छिपाकर उसके साथ कई बार दुष्कर्म भी किया। दोनों की दोस्ती वर्ष 2019 से थी। दोनों जब रायसेन गए, तब युवक के धर्म के बारे में लड़की को पता चला। इसके बाद आरोपी ने उस पर धर्म परिवर्तन करने का दबाव बनाया। इतना ही नहीं, उसके साथ मारपीट भी की।
यह है पूरा मामला
पीड़िता मूलत: बालाघाट की रहने वाली 23 वर्षीय संगीता (बदला हुआ नाम) इंजीनियरिंग द्वितीय वर्ष की छात्रा है। वह अशोका गार्डन इलाके में किराये पर कमरा लेकर रहती है। वर्ष 2019 में वह जिस बस स्टॉप से बस पकड़ती थी, वहां एक 30 वर्षीय आशु नाम का युवक उसका पीछा कर बात करने की कोशिश करता था। वह अपने आप को मैकेनिकल इंजीनियर बताता था। नवंबर 2019 में धीरे- धीरे दोनों की दोस्ती हो गई।
12 दिसंबर, 2019 को आरोपी युवक छात्रा के घर पहुंचा और खुद को हिंदू बताकर उससे शादी करने की इच्छा जाहिर की और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। इसके बाद साल 2020 में मई महीने में आशु एक फंक्शन में गया था, उसी दौरान वह मस्जिद गया और मस्जिद में नमाज पढ़ने लगा। पीड़िता ने जब उससे पूछा तो उसने बताया कि वह मुस्लिम है और उसका असली नाम असद है। वह मैकेनिकल इंजीनियर नहीं, बल्कि एक साधारण मैकेनिक है। यह बात सुनकर पीड़िता ने आरोपी से कहा कि तुमने धोखा दिया है। इसके बाद युवती ने उससे दूरी बना ली। तो अक्तूबर 2020 में आरोपी ने छात्रा के साथ सड़क पर ही गाली-गलौज और मारपीट भी की। बीती 11 जनवरी को भी उसने युवती को रोका और धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया।
मंगलवार को उसने युवती की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए आपत्तिजनक टिप्पणी की। परेशान होकर युवती ने इसकी शिकायत भाजपा भोपाल जिला कार्यसमिति सदस्य संजय मिश्रा से की और उनके साथ अशोका गार्डन थाने पहुंची। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020’ के तहत मामला दर्ज किया। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी ऐशबाग भोपाल का रहने वाला है।