सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने सम्पूर्ण वृक्षारोपण परियोजना के अंतर्गत राजमार्गों पर लगाए जा रहे प्रत्येक पौधे के स्थान, उसकी वृद्धि, प्रजातियों के विवरण, रखरखाव गतिविधियां आदि की निगरानी के लिए हरित पथ नाम का एक मोबाइल ऐप विकसित किया है। आज केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ऐप को लांच किया।
पर्यावरण अनुकूल राष्ट्रीय राजमार्ग विकसित करने के लिए NHAI समय-समय पर वृक्षारोपण अभियान चलाता रहता है। NHAI की राज्य सरकारों, निजी पौधारोपण एजेंसियों आदि के साथ मिलकर राष्ट्रीय राजमार्गों पर 72 लाख पौधे लगाने की योजना है। NHAI हरित पथ एप के जरिये इन पौधों पर नज़र रखेगा। मोबाइल ऐप का उद्घाटन करते हुए गडकरी ने वृक्षारोपण की सतत निगरानी और पेड़ों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रतिरोपण पर जोर दिया। गडकरी ने राजमार्गों के किनारे वृक्षारोपण के लिए विशेष व्यक्तियों व एजेंसियों को हायर करने का सुझाव दिया। उन्होंने इस कार्य में गैर-सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों और बागवानी तथा वन विभाग को शामिल करने का भी सुझाव दिया।
मोबाइल ऐप पौधों की वृद्धि व उनकी सेहत पर नज़र रखेगा और पौधों के डेटा के साथ तस्वीरें NHAI संचालित बिग डेटा एनालिटिक्स प्लेटफ़ॉर्म – डेटा लेक पर हर 3 महीने में अपलोड की जाएंगी। NHAI राष्ट्रीय राजमार्ग पर पहले किए जा चुके सम्पूर्ण पौधारोपण और इन स्थानों पर लगाए जाने वाले पौधों का डेटा बेस बना रहा है। सड़क निर्माण करने वाले ठेकेदार लगाए गए पौधों के रखरखाव और लापता अथवा मुरझाए हुए पौधों को बदलने के लिए जवाबदेह होंगे। पौधों के की वृद्धि और विकास को इस काम के लिए ठेकेदारों के भुगतान से जोड़ा जाएगा।
25 दिन में 25 लाख पौधे लगाए
इधर, NHAI द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, उसने अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर हाल ही में हरित भारत संकल्प शुरू किया है, जो एक राष्ट्रव्यापी वृक्षारोपण अभियान है। इस अभियान के तहत NHAI ने 21 जुलाई से 15 अगस्त के बीच राष्ट्रीय राजमार्गों पर 25 दिन में 25 लाख पौधे लगाए। अभियान के दौरान चालू वर्ष में 35.22 पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया है।
NHAI के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा राष्ट्रव्यापी वृक्षारोपण अभियान को सक्रिय रूप से हाथ में लिया गया है। उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों पर 5 लाख, राजस्थान में 3 लाख और मध्य प्रदेश में 2.67 लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं। पौधों के 100% जीवित रखने के लिए, राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ 1.5 मीटर की न्यूनतम ऊंचाई वाले वृक्षों या बड़ी झाडि़यों की कतार लगाने पर जोर दिया गया है।
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मोदी सरकार किसानों की आय दुगनी करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आत्मनिर्भर कृषि योजना कृषि क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भारत सरकार द्वारा कृषि विकास के सम्बन्ध में हाल ही में किए गए प्रयासों के सम्बन्ध में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं कृषि मंत्रियों के साथ बैठक की। इस मोके पर उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र द्वारा इसके लिए एक के बाद एक कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य सरकारों ने भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बैठक का मुख्य उद्देश्य कृषि अवसंरचनाओं के विकास पर विशेष ध्यान केंद्रित करना है। किसानों की आय दोगुनी करने के लिए राज्य सरकारों द्वारा किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं। कृषि क्षेत्र में निजी निवेश को गांवों और खेतों तक पहुंचाना हमारा उद्देश्य है। कृषि अवसंरचनाओं के विकास में एक लाख करोड़ का यह पैकेज एक बड़ा कदम साबित होगा।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम को गति देने के लिए राज्यों को एक सेमिनार का आयोजन करना चाहिए, जिसमें कृषि अवसंरचनाओं के विकास और संभावनाओं पर चर्चा की जाए। एक सर्वेक्षण करा कर कृषि क्षेत्र में गैप्स ढूंढ कर उनके लिए योजनाएं बनायी जानी चाहिए। किसानों को सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए ताकि किसान अपने उत्पाद को लंबे समय तक एवं उचित मूल्य मिलने तक सुरक्षित रख सकें। उन्होंने कहा कि हमने 10 हजार फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (एफपीओ) बनाने का लक्ष्य रखा है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों की आय को बढ़ाने के लिए शुरू की गयी आत्मनिर्भर कृषि योजना के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने में यह योजना मील के पत्थर की भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा केंद्र द्वारा प्रत्येक जनपद में दो-दो एफपीओ बनाए जाने हेतु दिए गए लक्ष्य को हम समय पूरा कर लेंगे। अन्य मैदानी राज्यों की तुलना में हमारे पर्वतीय राज्यों की परिस्थितियां अलग हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का अधिकांश भूभाग पर्वतीय है। जहां पर अलग-अलग प्रकार की क्लाइमेट कंडीशन है। उन्होंने पर्वतीय राज्यों के लिए अलग से नीति बनाई जाने का सुझाव दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड मैं बेमौसमी फल-सब्जियों की अपार संभावना है। इनके उत्पादन में फोकस करके किसानों की आय को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में जड़ी बूटियों की अत्यधिक संभावना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को रू. 3 लाख तक का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है, इसके साथ ही महिला स्वयं सहायता समूहों को भी रू. A bonus may be marked as: new bonuses, waiting bonuses, http://vozhispananews.com/super-mario-bros-2-slot-machine-trick/ active bonuses, and accepted bonuses. 5 लाख तक का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की कृषि में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।
मुख्यमंत्री ने दी 238 करोड़ की पेयजल योजनाओं को मंजूरी
इधर, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने आज जनपद देहरादून की विभिन्न पेयजल योजनाओं के लिये लगभग 238 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की है। जिन पेयजल योजनाओं के लिये मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है, उनमें जनपद देहरादून की विश्व बैंक पोषित गुमानीवाला पेयजल योजना निर्माण हेतु रूपये 16.50 करोड़ एवं संचालन व रखरखाव हेतु रूपये 4.81 करोड़, जीवनगढ़ पेयजल योजना के निर्माण कार्य हेतु रूपये 48. By the way, wagering means https://www.fontdload.com/la-rotonde-casino-le-lyon-vert-la-tour-de-salvagny/ depositing money and spending it on games. 90 करोड़ एवं संचालन व रख रखाव हेतु रूपये 15.30 करोड़, ऋषिकेश देहात पेयजल योजना के निर्माण कार्यों हेतु रूपये 67. Clicking on any link may result in the webmaster earning income. https://nikel.co.id/chef-richard-burr-of-the-akwesasne-mohawk-casino/ 25 करोड़ एवं संचालन तथा रख-रखाव हेतु रूपये 15. Deposit https://www.fontdload.com/el-sorro-de-la-casina-new-mexico/ casino 10 euros however, like the offers from Play SugarHouse. 00 करोड़, नत्थनपुर पेयजल योजना के निर्माण कार्यों के लिये रूपये 54. The jackpot size on these pokies increases each time someone places https://tpashop.com/downstream-casino-hotel-check-in-time/ a bet. 77 करोड़ एवं संचालन तथा रख-रखाव हेतु रूपये 15.85 करोड़ की धनराशि शामिल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन क्षेत्रों में लम्बे समय से पेयजल समस्या के समाधान हेतु मांग उठाई जाती रही है, अब इन योजनाओं की स्वीकृति से इन क्षेत्रों से पर्याप्त पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।
गुरुवार को जारी स्वच्छ सर्वेक्षण -2020 के परिणाम उत्तराखण्ड के लिए सुखद रहे हैं। उत्तराखंड ने राष्ट्रीय स्तर पर तीन श्रेणियों में पुरस्कार प्राप्त किए। जिन राज्यों में 100 से कम शहरी निकाय हैं, उस श्रेणी में बेस्ट परफॉर्मिंग स्टेट में तीसरा स्थान प्राप्त किया। एक लाख से कम आबादी वाली देशभर की निकायों में नंदप्रयाग की नगर पंचायत ने सिटिजन फीड बैक श्रेणी में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया। छावनी क्षेत्र श्रेणी में अल्मोड़ा ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।
गुरुवार को स्वच्छ सर्वेक्षण – 2020 के परिणामों तथा स्वच्छ सर्वेक्षण – 2021 का टूलकिट जारी करते हुए केन्द्रीय आवास व शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने वर्चुअल प्लेटफॉर्म के माध्यम से पुरस्कार वितरित किए। कोविड -19 संक्रमण के कारण पैदा हुई परिस्थितियों में इस आयोजन को वर्चुअल प्लेटफार्म पर ऑनलाईन आयोजित किया गया। उत्तराखंड के हिस्से में आए पुरस्कार मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत व शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने प्राप्त किये।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले निकायों को बधाई देते हुए कहा कि निकायों को इसी मनोयोग से आगे कार्य करना होगा। स्वच्छता के क्षेत्र में अभी बहुत सुधार की गुंजाईश है। उन्होंने कहा कि राज्य के शहरों एवं निकायों की रैंकिंग में अच्छा सुधार हुआ है। इसमें और बेहतर प्रदर्शन किये जाने पर उन्होंने बल दिया। मुख्यमंत्री कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन अभियान को आगे बढ़ाने के लिए स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। स्वच्छता के बल पर हम अनेक बीमारियों से बचाव सकते हैं।
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र के नेतृत्व में राज्य सरकार नगरीय क्षेत्रों हेतु अत्यधिक गंभीरता से कार्य कर रही है। नगर निकायों को और भी अधिकार सम्पन्न बनाने एवं उनकी आय अर्जन के नए स्रोतों के विकास हेतु राज्य में लगातार प्रयास किए गए हैं। हमने निकायों को कहा कि स्वच्छता को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखते हुए कार्य किए जाएं। यहां तक कि 14वें और 15वें वित्त आयोग के तहत निकायों को प्रदान किए जाने वाले अनुदान को भी सबसे पहले स्वच्छता कार्यों हेतु उपलब्ध करवाने संबंधी स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए। इसका सीधा असर स्वच्छ सर्वेक्षण में हमारे प्रदर्शन पर पड़ा है।
रैंकिंग में लगातार सुधार
एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों की श्रेणी में उत्तराखण्ड का स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग में लगातार सुधार हुआ है। वर्ष 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षण में देहरादून का स्थान 384, रूड़की का 281, काशीपुर का 304, हल्द्वानी का 350, हरिद्वार का 376 एवं रूद्रपुर का 403वां स्थान था। जबकि 2020 में देहरादून का 124वां, रूड़की का 131वां, काशीपुर का 139, हल्द्वानी का 229, हरिद्वार का 244 एवं रूद्रपुर का 316 स्थान आया है। 50 हजार से अधिक एवं एक लाख से कम जनसंख्या वाले नगरों में रामनगर का नार्थ जोन के शहरों में 18वां, जसपुर का 56वां एवं पिथौरागढ़ का 58वां स्थान आया है। 25 हजार से 50 हजार से तक की जनसंख्या वाले नगरों की श्रेणी में नार्थ जोन में नैनीताल का 68वां एवं सितारगंज को 106वां स्थान प्राप्त हुआ है। 25 हजार से कम जनसंख्या वाले नगरों की श्रेणी में मुनि कि रेती का 12वां, उखीमठ का 41वां, भीमताल का 50वां एवं नरेन्द्रनगर का 58वां स्थान आया है। देश भर के कुल 92 गंगा निकायों में उत्तराखण्ड से गौचर ने तीसरा, जोशीमठ ने चौथा, रूद्रप्रयाग ने पांचवा, श्रीनगर ने छठवां गोपेश्वर ने आठवां, मुनि कि रेती ने 11 वां, बड़कोट ने 12वां , कर्णप्रयाग ने 13 वां, कीर्तिनगर ने 18वां, देवप्रयाग ने 20 वां, नन्दप्रयाग ने 22वां व टिहरी ने 28 वां स्थान प्राप्त किया।
राज्यस्तरीय PMU टीम भी सम्मानित
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने राज्य की निकायों को बेहतर मार्गदर्शन करने तथा स्वच्छ सर्वेक्षण – 2020 में उत्कृष्ट कार्य करने वाली राज्य स्तरीय PMU टीम को भी पुरस्कार प्रदान किया। अपर निदेशक शहरी विकास अशोक कुमार पाण्डे, संयुक्त निदेशक कमलेश मेहता, अधीक्षण अभियंता रवि पाण्डेय, राज्य मिशन प्रबंधक रवि शंकर बिष्ट, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन एवं IEC विशेषज्ञ कमल भट्ट, MIS विशेषज्ञ राकेश कुमार, कनिष्ठ सहायक उपेन्द्र सिंह तड़ियाल एवं अनुज गुलाटी को यह पुरस्कार प्रदान किए गए।
-सुभाष चमोली
उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में स्थित सिखों के पवित्र तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब की यात्रा 4 सितम्बर से शुरु होगी। जिला प्रशासन एवं गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने यात्रा के लिए सभी व्यवस्थाएं पूरी कर ली है।
सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह की तपस्थली हेमकुंड साहिब की यात्रा हर वर्ष मई महीने के दौरान शुरू होती थी। मगर इस बार कोरोना महामारी के चलते यात्रा अभी तक शुरू नहीं हो सकी थी। अब जिला प्रशासन व गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने 4 सितम्बर से हेमकुंड साहिब की यात्रा शुरू करने का फैसला किया है।
चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा प्रबंधन समिति से विचार विमर्श के बाद हेमकुंड की यात्रा 4 सितम्बर से खोलने का निर्णय लिया गया है। हेमकुंड साहिब की यात्रा पर उत्तराखंड के बाहर से आने वाले सभी श्रद्धालुओं को 72 घंटे पहले कोरोना का पीसीआर टेस्ट कराना जरूरी होगा। इसके अलावा उत्तराखंड सरकार की वेबसाईट से ई-पास लेकर ही यात्रा की इजाजत दी जाएगी। यात्रा के दौरान गुरुद्वारों में शारीरिक दूरी, मास्क पहनना एवं कोरोना के सभी नियमों का पालन करना भी अनिवार्य रहेगा। तीर्थ यात्रा पर आने वाले श्रद्वालुओं की थर्मल स्क्रीनिंग भी कराई जाएगी।
समुद्रतल से लगभग 15,200 फुट की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा 6 माह तक बर्फ में दबा रहता है। हिमालय की चोटियों के बीच में स्थित इस गुरुद्वारे के पास एक बड़ा सरोवर है। गुरुद्वारे तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को लगभग 20 किमी की यात्रा पैदल अथवा घोड़े- खच्चरों के माध्यम से करनी पड़ती है। गुरुद्वारे के पास ही लक्ष्मण मंदिर भी है। हेमकुंड साहिब की यात्रा शुरू होने पर ही लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी खुलते हैं।
उत्तराखंड के राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को मंगलवार 18 अगस्त से 20 अगस्त तक भारी से बहुत भारी वर्षा की संभावना को देखते हुए अलर्ट मोड में रहने के निर्देश जारी किए हैं।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र द्वारा आज इस संबंध में पत्र जारी किया गया है। पत्र के अनुसार मौसम विज्ञान विभाग द्वारा आज अपराह्न 1 बजे जारी पूर्वानुमान में 18-19 अगस्त को प्रदेश के पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी जिलों के कुछ स्थानों में भारी से बहुत भारी वर्षा व कहीं-कहीं अत्यधिक भारी वर्षा के साथ ही आकाशीय बिजली गिरने की संभावना जताई गई है।
मौसम विभाग ने 20 अगस्त को पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी जनपदों में कहीं-कहीं तीव्र दौर के साथ भारी से बहुत भारी वर्षा होने और कहीं-कहीं आकाशीय बिजली गिरने की आशंका जताई है।
मौसम विभाग के पूर्वानुमान को देखते हुए आपातकालीन परिचालन केंद्र ने लोगों को कहा है कि प्रत्येक स्तर पर तत्परता के साथ सावधानी, सुरक्षा और इधर-उधर आने जाने में नियंत्रण रखें।

आदेश में कहा गया है कि इस दौरान आपदा प्रबन्धन आईआरएस प्रणाली के नामित समस्त अधिकारी हाई अलर्ट में रहेंगे। किसी मोटर मार्ग के बाधित होने पर सम्बन्धित विभाग उसे तत्काल खुलवाना सुनिश्चित करेंगे। राजस्व उप निरीक्षक, ग्राम विकास अधिकारी व ग्राम पंचायत अधिकारी अपने क्षेत्रों में उपस्थित रहेंगे। समस्त चौकी व थाने आपदा संबंधी उपकरणों व वायरलेस सेट के साथ अलर्ट रहेंगे।
यह भी निर्देश दिए गए हैं कि इस दौरान किसी भी कर्मचारी व अधिकारी के मोबाइल फोन स्विच ऑफ नहीं रहेंगे।
अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि किसी भी प्रकार की आपदा की सूचना राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष के फोन नंबरों पर देना सुनिश्चित करें।
0135 – 2710334
फैक्स 0135 – 2710335
टोल फ्री नंबर – 1077
9557444486
8266055523
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पीएम केयर्स फंड के मामले में अपना फैसला सुना दिया। कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें पीएम केयर्स फंड की राशि को कोरोना महामारी के मद्देनजर राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) में हस्तांतरित करने की मांग की गई थी। कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए भाजपा नेताओं ने कांग्रेस और और गांधी परिवार पर जमकर हमला बोला।
एक NGO सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) की याचिका पर जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति आरएस रेड्डी व न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा कि पीएम केयर्स फंड का पैसा एनडीआरएफ में ट्रांसफर करने का आदेश नहीं दे सकते। ये दोनों अलग-अलग फंड हैं। कोई व्यक्ति एनडीआरएफ में दान देना देना चाहे तो उस पर पाबंदी नहीं है। नई आपदा राहत योजना की भी जरूरत नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार इसकी राशि को उचित जगह हस्तांतरित करने के लिए स्वतंत्र है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 28 मार्च को आपात स्थितियों में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं राहत (PM केयर्स) कोष की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य कोविड-19 की वजह से उत्पन्न मौजूदा परिस्थिति से निपटना और प्रभावितों को राहत पहुंचाना था। इस कोष के प्रधानमंत्री पदेन अध्यक्ष बनाए गए हैं और रक्षामंत्री, गृहमंत्री व वित्तमंत्री पदेन न्यासी हैं।
नड्डा ने ट्वीट कर कांग्रेस पर साधा निशाना
कोर्ट का फैसला आते ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा है। नड्डा ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा, ‘पीएम केयर्स पर सर्वोच्च अदालत द्वारा दिए गए फैसले ने राहुल गांधी के नापाक मंसूबों पर पानी फेर दिया है। यह दिखाता है कि कांग्रेस पार्टी और उसके सहयोगियों के बुरे इरादे और दुर्भावनापूर्ण प्रयासों के बावजूद सच्चाई की जीत होती है।’ भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि राहुल गांधी के हल्ला मचाकर दोषारोपण करने की आदत को जनता ने लगातार नकारा है और उसी जनता ने पीएम केयर्स कोष में दिल खेलकर दान किया है। गांधी परिवार ने पीएमएनआरएफ को दशकों तक व्यक्तिगत जागीर के रूप में माना और अपने परिवार के ट्रस्टों में पीएमएनआरएफ में नागरिकों की मेहनत से अर्जित धन हस्तांतरित किया।’
रविशंकर प्रसाद ने दिया हिसाब
इधर, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कहा कि पीएम केयर्स फंड से अब तक कोरोना की लड़ाई में 3100 करोड़ रुपये की मदद की गई है। जिसमें 2,000 करोड़ रुपये सिर्फ वेंटिलेटर के लिए दिए गए हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 1000 करोड़ रुपये राज्यों को प्रवासी मजदूरों की व्यवस्था के लिए दिए गए। 100 करोड़ रुपये कोरोना की वैक्सीन के अनुसंधान के लिए दिए गए है। पीएम केयर्स फंड पंजीकृत सार्वजनिक ट्रस्ट है, जिसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अध्यक्ष हैं। यह ट्रस्ट कोविड-19 जैसी आपातकाल स्थितियों के लिए बनाया गया है। इस फंड में लोगों ने स्वेच्छा से दान दिया। पिछले 6 साल के दौरान मोदी सरकार पर कोई भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा। सभी चीजें पारदर्शिता के साथ हो रही है।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए प्रसाद ने कहा, राजीव गांधी फाउंडेशन एक फैमिली फाउंडेशन था। उसे चीन से भी मदद मिली थी। उस फाउंडेशन की रिपोर्ट में भारत के बाजार को चीनी उत्पाद के लिए खोलने की बात भी कही गई थी। उन्होंने कहा कि राहुल ने कोरोना की लड़ाई को कमजोर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पीएम मोदी ने डॉक्टर, नर्स और कोविड की लड़ाई लड़ने वाले कोरोना वारियर्स के लिए ताली और थाली बजाने की बात कही तो राहुल गांधी ने कहा कि क्यों बजा रहे हो ? पूरे देश ने पीएम के कहने पर कोरोना के खिलाफ आशा का दीया जलाया तो राहुल ने कहा कि क्यों जला रहे हो?
केंद्रीय सतर्कता आयोग ( Central Vigilance Commission, CVC) ने केंद्र सरकार के सभी विभागों से कहा है कि भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच रिपोर्ट वे समय पर दें। साथ ही चेतावनी दी कि तय समय-सीमा का पालन नहीं करने को गंभीरता से लिया जाएगा।
CVC ने मुख्य सतर्कता अधिकारियों (Chief Vigilance Officers, CVOs) से ये रिपोर्ट मांगी। CVOs केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों, संगठनों के खिलाफ मिलने वाली भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करते हैं। ऐसे मामलों की शिकायत मिलने पर CVOs को तीन महीने के भीतर जांच रिपोर्ट जमा करनी होती है।

CVC ने कहा, ‘आयोग को पता चला है कि विभाग व संगठन तय समयसीमा का पालन नहीं कर रहे हैं, जिसकी वजह से मामलों में बेवजह देरी हो रही है और शिकायत पर समयबद्ध कार्रवाई नहीं हो पा रही है। ‘
आयोग ने वर्तमान निर्देशों की समीक्षा के बाद कहा कि विभागों व संगठनों के CVOs तीन महीने की समय सीमा का ध्यान रखें। इस संबंध में आयोग के निदेशक जे.विनोद कुमार द्वारा केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों, विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बैंकों के आदि के CVO को निर्देश जारी किए गए।
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को गोवा के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा आज जारी एक विज्ञप्ति में जानकारी दी गयी है कि राष्ट्रपति ने गोवा के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का स्थानांतरण मेघालय के राज्यपाल के पद पर किया है। मलिक के स्थानांतरण के फलस्वरूप महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को गोवा के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। उपरोक्त नियुक्तियां संबंधित व्यक्तियों के कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से प्रभावी होंगी।
सीमा सड़क संगठन (BRO) ने लगातार भूस्खलन और भारी बारिश के बावजूद तीन हफ्तों से भी कम समय में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के जौलजीबी सेक्टर में 180 फुट के बेली ब्रिज का निर्माण किया है। रक्षा मंत्रालय ने विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी है।
उल्लेखनीय है कि विगत 27 जुलाई को बादल फटने की घटना से आई बाढ़ और नदी-नालों के उफनने से यहां पहले से बना 50 मीटर लम्बा कंक्रीट का पुल पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था। क्षेत्र में भूस्खलन की घटना की वजह से भी कई लोग भी हताहत हुए थे और सड़क संपर्क पूरी तरह से टूट गया था।
BRO ने तुरंत इस क्षेत्र में पुल बनाने के लिए अपने संसाधन जुटाए। लगातार भूस्खलन और भारी बारिश के बीच जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ से पुल निर्माण के लिए आवश्यक सामग्रियों को इस दूरस्थ क्षेत्र तक पहुंचाना एक बड़ी चुनौती थी। इसके बावजूद BRO ने चुनौतियों को स्वीकार कर पुल निर्माण का काम रविवार को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया। पुल बन जाने से बाढ़ प्रभावित गाँवों तक संपर्क सुविधा उपलब्ध हो गई और जौलजीबी फिर से मुनस्यारी से जुड़ गया।
इस पुल के निर्माण से पिथौरागढ़ जिले के 20 गांवों के लगभग 15 हजार से अधिक की आबादी को बड़ी राहत मिलेगी। पुल बनने के बाद सीमांत जौलजीबी से मुनस्यारी तक 66 किलोमीटर लम्बी सड़क पर यातायात फिर से शुरू हो गया है।
स्थानीय सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा ने पुल टूटने के बाद क्षेत्र में संपर्क सुविधा के ध्वस्त होने पर गहरी चिंता व्यक्त की थी। नया बना यह पुल इस इलाके में भू -स्खलन से प्रभावित गांवों में पुनर्वास कार्यों में तेजी लाने में भी मददगार साबित होगा।
मुकेश नौटियाल
मां ने पंखों से रेत हटाकर गड्ढा बनाया। फिर गड्ढे में अंडे दे दिए। एक दो नहीं, पूरे पचास-पचपन अंडे। अंडे देकर मां समंदर में चली गई और फिर कभी नहीं लौटी। उसका काम समाप्त हो गया था।
हर सुबह सूरज मुस्तैदी से आता, धरती पर ताप बरसाता और सांझ ढलने पर समंदर के बीच कहीं उतर जाता। तट पर रेत तपती रही ,अंडों को सेती रही और एक दिन अचानक रेत में हलचल होने लगी। कुछ ही देर बाद एक नन्हे कछुए ने रेत से बाहर गर्दन निकाली ,आश्चर्य से इधर-उधर नजरें दौड़ाई और फुर्ती से अपने मांसल पंखुड़े घसीटता हुआ समंदर की ओर भागा। फिर दूसरे, तीसरे, चौथे और दर्जनभर कछुओं ने ऐसा ही किया। पहली बार उन्होंने धरती देखी थी ,पहली बार आकाश। वहां ना उनकी मां थी, ना पिता। पता नहीं किसने उनको बताया कि जीना है तो समंदर की ओर दौड़ो। वे सभी समंदर की ओर दौड़ने लगे। जहां मां ने अंडे दिए थे वहां से समंदर कोई सौ मीटर दूर रहा होगा पर सौ मीटर का फासला भी किसी नवजात कछुए के लिए कम तो नहीं। तब तो हरगिज़ नहीं जब बीत्ते भर के इस सफर में कई ख़तरे मौजूद हों। नन्हे कछुओं की समंदर के तट पर दौड़ क्या शुरू हुई ,आकाश में चीलें मंडराने लगीं। शिकारियों का जत्था आ पहुंचा। शिशु कच्छप उनका निवाला बनने लगे। चीलों को देखकर केकड़े भी सक्रिय हो गए। समंदर छोड़ तट पर आकर वह नन्हें कछुओं को अपने पंजों में दबोचने लगे। समंदर का शांत तट कोलाहल और हलचल से भर गया। शिकारी भूख से बिलबिला रहे थे, शिकार बचाव के लिए छटपटा रहे थे।
आखिरकार युद्ध समाप्त हुआ। कई शिशु कच्छप समंदर तक पहुंचे। जितने समंदर तक पहुंचे उतने ही चीलों और केकड़ों के शिकार हुए। लेकिन एक कछुआ था जो न समंदर तक पहुंचा, न ही किसी का शिकार बना। वह सबसे कमजोर कछुआ था। जब मां ने अंडे दिए थे तभी एक अंडा बाकियों से अलग, गड्ढे के अकेले कोने पर जा लगा था। ढेर में तो अंडों को एक दूसरे का ताप मिलता रहा इसलिए सभी एक साथ परिपक्व हुए। अकेला अंडा आखिर में चटका और उसके अंदर से निकला शिशु कच्छप बाकियों से दुर्बल निकला। जब उसने रेत से बाहर अपनी गर्दन निकाली तो समंदर के तट पर कोहराम मचा था। उसने अपने सहोदरों को चीलों की चोंचों में छटपटाते देखा, केकड़ों की गिरफ्त में जाते देखा। वह समझ गया कि केवल दौड़ना काफी नहीं है। कब दौड़ना है – यह ज्यादा जरूरी है। जब माहौल एकदम शांत हो गया तब उसने अपने शरीर को रेत से बाहर निकाला और धीरे-धीरे समंदर की ओर बढ़ने लगा। समंदर के करीब पहुंचने के बावजूद वह दूर था। कमजोरी के चलते वह हांफने लगा। जब लगा कि दम निकल जाएगा तब वह सुस्ताने बैठ गया। कुछ देर आराम करने के बाद उसने दोबारा डग भरने शुरू किए और अंततः वह समंदर के गीले तट तक पहुंच गया। सूखी रेत पर दौड़ना, फिसलना, लुढ़कना आसान था लेकिन गीली रेत पर चलना खासा मुश्किल होता है। उसने प्रतीक्षा करना बेहतर समझा। वह जहां था वहीं ठहर गया ।
सूरज का लाल गोला समंदर में उतरने लगा। ढलती सांझ के साथ लहरें विकराल होने लगी। ज्वार बढ़ने के साथ लहरों का विस्तार भी बढ़ने लगा और अंततः उसकी प्रतीक्षा सफल हुई। एक लहर आई और उसको बहा कर समंदर में ले गई ।
यह तीन सौ साल पुरानी बात है। समंदर के तट पर जो बूढ़ा कछुआ धूप सेंकता दिखाई दे रहा है यह वही कछुआ है जो उस दिन आखिर में समंदर तक पहुंचा था।