डोबराचांटी पुल के बाद त्रिवेन्द्र सरकार ने एक और ऐसे प्रोजेक्ट का काम पूरा कर लिया है जो बीते ढाई दशकों से अटका हुआ था। बद्रीनाथ धाम की यात्रा में नासूर बने ‘लामबगड़ स्लाइड जोन’ का स्थायी ट्रीटमेंट कर लिया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की इच्छाशक्ति और सख्ती की बदौलत यह प्रोजेक्ट महज दो वर्ष में ही पूरा हो गया। तकरीबन 500 मीटर लम्बे स्लाइड जोन का ट्रीटमेंट 107 करोड़ की लागत से किया गया। अब बद्रीनाथ धाम की यात्रा निर्बाध हो सकेगी, जिससे तीर्थयात्रियों को परेशानियों से निजात मिलेगी।
सीमांत जनपद चमोली में 26 साल पहले ऋषिकेश-बद्रीनाथ नेशनल हाईवे पर पाण्डुकेश्वर के पास लामबगड़ में पहाड़ के दरकने से स्लाड जोन बन गया। हल्की सी बारिश में ही पहाड़ से भारी मलवा सड़क पर आ जाने से हर साल बद्रीनाथ धाम की यात्रा अक्सर बाधित होने लगी। लगभग 500 मीटर लम्बा यह जोन यात्रा के लिए नासूर बन गया। पिछले ढाई दशकों में इस स्थान पर खासकर बरसात के दिनों मे कई वाहनों के मलवे में दबने के साथ ही कई लोगों की दर्दनाक मौत हो गई।
हमारी सरकार चारधाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए तत्पर है। लामबगड़ स्लाइड जोन बद्रीनाथ यात्रा में बड़ी बाधा थी। हमने इसके ट्रीटमेंट को ईमानदारी से पूरी कोशिश की। इसका परिणाम सभी के सामने हैं। लगातार प्रभावी मानिटरिंग से वर्षों से अटकी परियोजना को पूरा किया है।
– त्रिवेंद्र सिंह रावत
करोड़ों खर्च होने पर भी इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा था। पूर्व मे जब लामबगड़ में बैराज का निर्माण किया जा रहा था, तब जेपी कंपनी ने इस स्थान सुरंग निर्माण का प्रस्ताव रखा, लेकिन उस वक्त यह सड़क सीमा सड़क संगठन (BRO) के अधीन थी। बीआरओ ने भी सुरंग बनाने के लिए हामी भर दी थी। दोनों के एस्टीमेट कास्ट मे बड़ा अंतर होने के कारण मामला अधर मे लटक गया था।
वर्ष 2013 की भीषण आपदा में लामबगड स्लाइड जोन में हाईवे का नामोनिशां मिट गया। तब सडक परिवहन मंत्रालय ने लामबगड स्लाइड जोन के स्थाई ट्रीटमेंट की जिम्मेदारी एनएच पीडब्लूडी को दी। एनएच से विदेशी कम्पनी मैकाफेरी नामक कंपनी ने यह कार्य लिया। फॉरेस्ट क्लीयरेंस समेत तमाम अड़चनों की वजह से ट्रीटमेंट का यह काम धीमा पड़ता गया।
वर्ष 2017 में त्रिवेन्द्र सरकार के सत्ता में आते ही ये तमाम अड़चनें मिशन मोड में दूर की गईं और दिसम्बर 2018 में प्रोजेक्ट का काम युद्धस्तर पर शुरू हुआ। महज दो वर्ष में अब यह ट्रीटमेंट पूरा हो चुका है। अगले 10 दिन के भीतर इसे जनता के लिए समर्पित कर दिया जाएगा। इसे त्रिवेन्द्र सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जा रहा है।
A 10 member delegation of Ladakh met the Union Home Minister Amit Shah Wednesday. In view of the difficult geographical conditions and strategic importance of Ladakh, all the representatives expressed their concern with respect to conservation of language, culture and land of Ladakh, participation of the people of Ladakh in its development, protection of employment and changes in the demography of Ladakh region. A protest was also held in this regard before the LAHDC elections.
The Home Minister, Shah informed that under the leadership of Prime Minister Narender Modi, the Union Government is committed towards the development of Ladakh and conservation of the land and culture of Ladakh. By conferring the status of Union Territory on Ladakh, the Modi government has displayed its commitment towards fulfilling the long pending demands of the people of Ladakh.

A meeting was held under the chairmanship of the Union Home Minister Amit Shah, wherein it was decided that in order to find an appropriate solution to the issues related to language of Ladakh, culture of Ladakh and conservation of land in Ladakh, a committee will be constituted under the leadership of G.Kishan Reddy, MoS (Home). The committee would comprise of members of the delegation who met the Home Minister today, elected members from Ladakh, members of the LAHDC Council and ex-officio members representing the Government of India and the Ladakh administration.
The members of this committee will consider the concerns expressed by the members of this delegation to find an early solution to the same and the views of this committee would also be taken due cognizance of while taking a final decision.
उत्तराखंड सचिवालय की कार्यप्रणाली अक्सर चर्चाओं में रहती है। जन आकांक्षाओं का सर्वोच्च केंद्र माने जाने वाले सचिवालय में कई बार आम आदमी तो दूर, सरकारी तंत्र से जुड़े लोगों की उम्मीदें भी टूटने लगती हैं। ऐसा ही प्रकरण एक अधिकारी की पदोन्नति से जुड़ा हुआ सामने आया है। अधिकारी का पदोन्नति का आदेश 10 माह तक अनुभाग में ही दबा रह गया और अधिकारी को सूचना के अधिकार (RTI) का सहारा लेना पड़ा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ऑडिट विभाग में जिला लेखा परीक्षा अधिकारी के पद पर प्रमोशन के लिए नवंबर, 2019 को चयन समिति की बैठक सम्पन्न हुई थी। बैठक में जिला लेखा परीक्षा अधिकारी के पद के लिए बलबीर सिंह का चयन किया गया था। फरवरी, 2020 में इस सम्बन्ध में आदेश भी तैयार कर दिया गया था। मगर प्रोन्नत अधिकारी को यह आदेश नहीं मिला और आदेश सचिवालय के संबंधित अनुभाग में ही दबा रह गया।
थक-हार कर बलबीर सिंह ने RTI का सहारा लिया। उन्होंने RTI में अपनी पदोन्नति को लेकर जानकारी मांगी। RTI लगने के बाद संबंधित अनुभाग ने किसी प्रकार का जवाब देने के बजाय अधिकारी को पदोन्नति का आदेश ही थमा दिया। आदेश मिलने के बाद अब जाकर अधिकारी ने पदोन्नत पद पर कार्यभार ग्रहण किया है।
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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल विपिन रावत ने बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से उनके दिल्ली स्थित आवास पर भेंट की। जनरल रावत ने मुख्यमंत्री की कुशल क्षेम पूछी और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने मुख्यमंत्री के परिवार जनों के भी अच्छे स्वास्थ्य की कामना की। मुख्यमंत्री ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अब वे और उनके परिवारजन पूरी तरह स्वस्थ हैं।
इधर, पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की सराहना की है। उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र द्वारा स्वस्थ होते ही नर्सिंग भर्ती में अहर्ताओं में बदलाव और दिव्यांग कार्मिकों को सरकारी आवासों के वितरण में आरक्षण बढ़ाए जाने संबंधी निर्णयों के लिए उनका धन्यवाद दिया है।
कोरोना काल में कई बार रोगियों को अस्पतालों में हो रही ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री के आपात स्थिति नागरिक सहायता और राहत (PM CARES) फंड ट्रस्ट ने देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अतिरिक्त 162 समर्पित प्रेशर स्विंग एडसोर्पश्न (पीएसए) चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना के लिए 201.58 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। कुल 154.19 मीट्रिक टन क्षमता वाले इन सयंत्रों को 32 राज्यों में लगाया जाएगा।
प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार इस धनराशि में से 137.33 करोड़ रुपये ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की आपूर्ति व कमीशनिंग आदि और 64.25 करोड़ रुपये वार्षिक रखरखाव की मद में खर्च किये जाएंगे। उपकरणों की खरीद का काम केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक स्वायत्तशासी संस्था केन्द्रीय चिकित्सा आपूर्ति स्टोर (सीएमएसएस) द्वारा की जाएगी। जिन सरकारी अस्पतालों में ये संयंत्र स्थापित किए जाने हैं, उनका चयन संबंधित राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से बातचीत के बाद कर ली गई है।
इन सयंत्रों की स्थापना से सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली और मजबूत होगी और किफायती तरीके से मरीजों को ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। कोविड-19 के औसत और गंभीर मामलों में रोगियों के लिए ऑक्सीजन की पर्याप्त और निर्बाध आपूर्ति आवश्यक है। इसके अलावा कई अन्य रोगियों को भी ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
केंद्र सरकार द्वारा ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर संयंत्रों की स्थापना से न केवल राज्यों के कुल ऑक्सीजन उपलब्धता पूल में वृद्धि होगी, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में रोगियों को समय पर ऑक्सीजन सहायता प्रदान करने में भी सुविधा होगी।
उत्तराखंड में 7 सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा असम 6, मिजोरम 1, मेघालय 3, मणिपुर 3, नागालैंड 3, सिक्किम 1, त्रिपुरा 2, हिमांचल प्रदेश 7, लक्षद्वीप 2, चंडीगढ़ 3, पुदुच्चेरी 6, दिल्ली 8, लद्दाख 3, जम्मू और कश्मीर 6, बिहार 5, छत्तीसगढ़ 4, मध्य प्रदेश 8, महाराष्ट्र 10, ओडिशा 7, उत्तर प्रदेश 14, पश्चिम बंगाल 5, आंध्र प्रदेश 5, हरियाणा 6, गोवा 2, पंजाब 3, राजस्थान 4, झारखंड 4, गुजरात 8, तेलंगाना 5, केरल 5 व कर्नाटक में 6 सयंत्र स्थापित होंगे।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के राजपथ पर आयोजित होने वाली परेड में इस वर्ष केदारनाथ मंदिर की झांकी भी देखने को मिलेगी। भारत सरकार ने केदारखंड थीम पर आधारित उत्तराखंड राज्य की झांकी का अंतिम रूप से चयन कर लिया है।
उत्तराखंड के सूचना व लोकसंपर्क विभाग के महानिदेशक डॉ.मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया कि केंद्रीय रक्षा मंत्रालय में विभिन्न स्तरों पर आयोजित बैठकों के पश्चात उत्तराखण्ड राज्य की झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में स्थान मिला है। इस वर्ष राज्य की ओर से प्रदर्शित की जाने वाली झांकी का विषय केदारखण्ड रखा गया है।
झांकी के अग्र भाग में राज्य पशु कस्तूरी मृग, राज्य पक्षी मोनाल व राज्य पुष्प ब्रह्मकमल तथा पार्श्व भाग में केदारनाथ मन्दिर परिसर और ऋद्धालुओं को दर्शाया गया है। झांकी के चयन हेतु रक्षा मंत्रालय में सूचना विभाग के उपनिदेशक के.एस.चौहान ने थीम, डिजाइन, मॉडल तथा संगीत आदि का प्रस्तुतिकरण किया, जिसके फलस्वरुप राज्य की झांकी को गणतंत्र दिवस परेड-2021 में अन्तिम रुप से चयनित किया गया है।
सूचना विभाग के अनुसार झांकी डिजाइन के चयन की प्रक्रिया काफी जटिल होती है। इस वर्ष प्रारम्भ में 32 राज्य एवं केन्द्रशासित प्रदेशों ने प्रतिभाग किया था, जिसमें से अंतिम रुप से केवल 17 राज्यों का चयन किया गया है।
इससे पूर्व उत्तराखण्ड राज्य द्वारा वर्ष 2003 में फुलदेई, वर्ष 2005 में नंदाराजजात, वर्ष 2006 में फूलों की घाटी, वर्ष 2007 में कार्बेट नेशनल पार्क, वर्ष 2009 में साहसिक पर्यटन, वर्ष 2010 में कुम्भ मेला हरिद्वार, वर्ष 2014 में जड़ी बूटी, वर्ष 2015 में केदारनाथ, वर्ष 2016 में रम्माण, वर्ष 2018 में ग्रामीण पर्यटन तथा वर्ष 2019 में अनाशक्ति आश्रम (कौसानी प्रवास एवं अनाशक्ति) विषयों पर आधारित झांकियों का सफल प्रदर्शन राजपथ पर किया जा चुका है।
कोरोना को मात देकर मंगलवार को सरकारी कामकाज संभालते ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए। पहला, उन्होंने नर्सिंग की भर्ती में मानकों में संशोधन के निर्देश दिए। दूसरा, राज्य के सरकारी विभागों में कार्यरत दिव्यांग कार्मिकों को सरकारी आवासों के आवंटन में मिलने वाला आरक्षण तीन से बढ़ाकर चार प्रतिशत कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने नर्सिंग प्रशिक्षित बेरोजगार युवाओं के ज्ञापन का संज्ञान लेकर सचिव स्वास्थ्य को निर्देश दिए कि नर्सिंग स्टाफ की भर्ती में आवश्यक संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर शीघ्र आगामी कैबिनेट में लाया जाए।
वर्तमान में प्रदेश में नर्सिंग स्टाफ के 1200 से ज्यादा पदों पर भर्ती की प्रक्रिया संचालित की जा रही है। इन पदों पर नियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों से 30 बेड के अस्पताल में एक साल का अनुभव मांगा गया है। इसके साथ ही कुछ अन्य अहर्ताएं भी रखी गई हैं। इन अहर्ताओं के कारण बड़ी संख्या में प्रशिक्षित युवक नर्सिंग भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं।
सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुसार नर्सिंग भर्ती के लिए अब 30 बेड के अस्पताल में एक साल के अनुभव की शर्त को हटाया जाएगा। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट के सम्मुख रखेंगे। इस संशोधन के बाद फार्म 16 की अनिवार्यता भी स्वत ही खत्म हो जाएगी।
इसके साथ ही, त्रिवेंद्र सरकार ने सरकारी आवासों के आवंटन में दिव्यांग कार्मिकों को मिलने वाला आरक्षण तीन प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत कर दिया है। राज्य सरकार के इस निर्णय से जाहिर तौर पर दिव्यांग कार्मिकों को अब पहले से ज्यादा संख्या में सरकारी आवास मिल सकेंगे।
दीगर है कि पूर्व में दिव्यांग कार्मिकों को सरकारी आवास पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। कई बार पात्र दिव्यांग कार्मिक सरकारी आवास पाने से वंचित रह जाते थे क्योंकि उस समय दिव्यांग कार्मिकों को केवल 3 प्रतिशत आरक्षण ही सरकारी आवासों के आवंटन में मिल पा रहा था लेकिन अब राज्य सरकार ने उनकी इस पीड़ा को समझते हुए इसे दूर करने का प्रयास किया है।
भारत सरकार ने जीएसटी राजस्व में आई कमी को पूरा करने के लिए राज्यों को 10वीं साप्ताहिक किस्त के तहत 6000 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इस किस्त के बाद राज्यों की जीएसटी राजस्व के संग्रह में आई कमी की 50 फीसदी भरपाई हो गई है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अनुसार भारत सरकार ने विगत वर्ष अक्टूबर में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से जीएसटी राजस्व में आई कमी की भरपाई के लिए विशेष उधारी खिड़की (Special Borrowing Window) का गठन किया था। जिसके तहत 1.10 लाख करोड़ रुपये की पूंजी केंद्र सरकार मुहैया करा रही है। राज्यों की ओर से केंद्र सरकार कर्ज ले रही है। केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर को पहली किस्त जारी की थी और 4 जनवरी को दसवीं किस्त जारी की गई।
इस हफ्ते केंद्र सरकार ने यह रकम 4.1526 प्रतिशत ब्याज दर पर उधार ली है। केंद्र सरकार, विशेष उधारी खिड़की के तहत अब तक 60 हजार करोड़ रुपये उधार के रूप में ले चुकी है। जिस पर उसे औसतन 4.6892 फीसदी का ब्याज चुकाना होगा।
जीएसटी के कारण राजस्व में आई कमी को पूरा करने के लिए विशेष उधारी खिड़की के अलावा भारत सरकार राज्यों को अपने सकल घरेलू उत्पाद (Gross States Domestic Product, GSDP) का 0.50 फीसदी अतिरिक्त राशि के रूप में उधार लेने का भी विकल्प दे रही है। इसके तहत 28 राज्यों को 1,06,830 करोड़ की अतिरिक्त उधार लेने की अनुमति दी गई है।
दसवीं किस्त मिला कर उत्तराखंड के हिस्से अब तक 1436.55 करोड़ की धनराशि आई है, जबकि GSDP का 0.50 फीसदी अतिरिक्त राशि के रूप में उधार लेने के प्रावधान के तहत उत्तराखंड को 1405 करोड़ की अनुमति मिली है। उत्तर प्रदेश को अब तक 3725.41, महाराष्ट्र को 7428.29, कर्नाटक को 7694.69, मध्य प्रदेश को 2816.91, हरियाणा को 2699.05, हिमाचल प्रदेश को 1064.87, गुजरात को 5719.15, बिहार को 2421.54, दिल्ली को 3637.32, पश्चिम बंगाल को1458.37, पंजाब को 2751.20, राजस्थान को 2160.37, जम्मू एवं कश्मीर को 1408.98 करोड़ रूपये की धनराशि जारी की गई है।
उत्तर-पूर्व के 5 राज्य अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम में में जीएसटी लागू करने के दौरान राजस्व में कमी नहीं आई है। लिहाजा, इन राज्यों को धनराशि जारी नहीं की गई।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार से कामकाज शुरू कर दिया है। आइसोलेशन पीरियड पूरा करने के बाद उन्होंने नई दिल्ली स्थित अपने आवास पर फाइलों का निस्तारण किया।
त्रिवेंद्र को 28 दिसंबर को डॉक्टरी जांच के लिए दिल्ली एम्स में भर्ती किया गया था, जहां से उन्हें 2 जनवरी को डिस्चार्ज किया गया। तब से वे दिल्ली आवास पर होम आइसोलेशन में थे।
यहां बता दें कि विगत 18 दिसंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। उसके बाद उनकी रिपोर्ट सामान्य आ गई थी। तब से वे देहरादून में होम आइसोलेशन में थे। विधानसभा सत्र के दौरान उन्होंने सदन की कार्रवाई में वर्चुअली भाग लिया था।
इसके बाद हल्के बुखार की शिकायत के चलते वे एक दिन के लिए राजधानी के दून मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए थे। वहां डॉक्टरों ने उन्हें जरुरी परीक्षणों के लिए दिल्ली एम्स के लिए रेफर किया था।
सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए आमजन को दिक्कतों का सामना न करना पड़े। यह सुनिश्चित करने के लिए माह अक्टूबर में शुरू किया गया मुख्यमंत्री त्वरित समाधान सेवा कार्यक्रम यानी सीएम क्यूआरटी(क्विक रेस्पॉन्स टीम) तेजी से अपने लक्ष्यों को हासिल करने की ओर अग्रसर है। बीते तीन माह में इस सेवा के जरिए 70 प्रतिशत से ज्यादा लोगों की समस्याओं का निराकरण किया गया। जबकि शेष शिकायतों पर भी कार्यवाही गतिमान है।
उत्तराखंड सरकार की दूरगामी नीति के अंतर्गत जरूरतमंदों की बुनियादी समस्याओं के निदान की दिशा में गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों में सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य रोजगार आदि शामिल हैं। राज्य सरकार का मानना है कि प्रदेश के निवासियों को मूलभूत सुविधाएं समय पर मिलें और कोशिश है कि सबकी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति समय पर सुनिश्चित हो सके। यदि कहीं पर किसी की कोई शिकायत हो तो उसका तत्काल निदान किया जाए।
इसी उद्देश्य के साथ अक्टूबर माह में प्रदेश के सात जिलों में मुख्यमंत्री त्वरित समाधान सेवा कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इसमें जिला स्तर पर शिविरों का आयोजन जिलाधिकारी-सीडीओ के स्तर से किया जा रहा है। यूं तो 21 सितंबर को इस सेवा को शुरू किया गया लेकिन आधिकारिक रूप से जिलों में इस सेवा ने 1 अक्टूबर 2020 से कार्य करना प्रारंभ किया। तब से लेकर 31 दिसंबर 2020 तक इस शिविरों के जरिए प्रदेशभर में लोगों की कुल 4025 शिकायतें विभिन्न विभागों को प्राप्त हुई जिनमें से 2904 शिकायतों का निस्तारण कर दिया गया है। यानि अब तक 70 प्रतिशत शिकायतों का निस्तरण किया जा चुका है।
इन विभागों की शिकायतों का हो रहा निदान
बिजली, सड़क, सिंचाई, वन, जल संस्थान, पेयजल निगम, जल संस्थान, स्वजल, ग्राम्य विकास, पंचायतीराज, शिक्षा विभाग, महिला बाल विकास, कृषि विभाग, राजस्व विभाग, पशुपालन विभाग, समाज कल्याण, उरेडा, जिला पंचायत, दूरसंचार, मंडी समिति, उद्यान विभाग, स्वास्थ्य विभाग, कृषि एवं भूमि संरक्षण, पर्यटन विभाग, पुलिस, पीएमजीएवाई, नलकूप विभाग, खाद्य आपूर्ति, उपकोषागार, ग्रामीण निर्माण विभाग, नगर पालिका आदि।