मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने जल जीवन मिशन के तहत सभी स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों में पेयजल की उपलब्धता का टारेगट शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं। सोमवार को आयोजित समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव ने यह निर्देश अधिकारियों को दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत निर्धारित मानकों का पूर्णतः पालन करते हुए पेयजल उपलब्ध कराया जाए और इसकी लगातार मॉनिटरिंग भी हो। जिलाधिकारी भी कार्यों की प्रगति बैठक समय-समय पर लेते रहें।
उन्होंने सुस्ती दिखाने पर कार्रवाई की चेतावनी देते हुए, रिपोर्ट उनके कार्यालय को शीघ्र भेजे जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि योजना को प्राथमिकता पर लेते हुए जनपद मुख्यालयों में रिक्त अवर अभियंता व सहायक अभियंता के पदों पर व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने कहा कि मुख्य अभियंता फील्ड में जाएं और समस्याओं का निराकरण करें। साथ ही चीफ इंजीनियर भी लगातार भ्रमण करें।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता में कमी न हो इसके लिए जल जीवन मिशन में तेजी लाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि पानी मौलिक आवश्यकता है। प्रत्येक घर तक इसकी उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
इस अवसर पर जल संस्थान एवं जल निगम के अधिकारी तथा वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सभी जिलाधिकारी जुड़े थे।
भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि कांग्रेस और विपक्ष की अन्य पार्टियां कृषि कानून पर भ्रम फैलाने में जुटी हैं लेकिन सितंबर से लेकर दिसंबर के बीच देश के जिस भी हिस्से में चुनाव हुए हैं, वहां भाजपा को बड़ी जीत मिली है। उन्होंने कहा कि जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्वास करती है।
सोमवार को दिल्ली में पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए स्मृति ने देश के अलग-अलग हिस्सों में हुए निकाय चुनाव और पंचायत चुनावों में भाजपा को मिली शानदार सफलता को प्रधानमंत्री मोदी और उनकी नीतियों में विश्वास बताया।
उन्होंने कहा कि इन सभी चुनावों में पूर्व से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक समग्र राष्ट्र की जनता का आशीर्वाद प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा को मिला है। इन चुनावों में भाजपा को मिली ऐतिहासिक विजय यह दर्शाती है कि देश को माननीय प्रधानमंत्री में एवं उनकी नीतियों में अटूट विश्वास है। देश की जनता ने कांग्रेस सहित विपक्ष की नकारात्मक और समाज को बांटने वाली राजनीति को सिरे से खारिज किया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज कांग्रेस लगातार सिमटती जा रही है। जबकि भारतीय जनता पार्टी को देश के ग्रामीण इलाकों में व्यापक समर्थन मिल रहा है और वह भी तब, जब किसान आंदोलन के नाम पर विपक्ष लोगों को भ्रमित करने का काम कर रहा है। जब से कृषि सुधार बिल देश की संसद ने पारित किए, तब से विपक्षी दल एक भ्रांति फैलाने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का आरोप रहा है कि देश की ग्रामीण जनता भारत सरकार के सामने अपनी पीड़ा व्यक्त कर रही है लेकिन आज हम उन राज्यों में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर रहे हैं, जहां कांग्रेस की सत्ता थी तो ये कई मायनों में खास है। उन्होंने कहा कि केरल में भी भारतीय जनता पार्टी की स्थिति मजबूत हुई है जबकि वहां हमारे कार्यकर्ताओं को लगातार मौत के घाट उतारा जा रहा है।
समीक्षक – जयराम शुक्ल, वरिष्ठ पत्रकार
पोंगा पंडितों और धर्म गुरुओं के पतन और पाखंड पर लिखना बड़ा आसान है। हिंदू धर्म व संस्कृति पर अमर्यादित टिप्पणियां करना सेकुलरियों के लिए एक फैशन सा है। लेकिन मजाल क्या कि दकियानूस मुल्लाओं और फरेबी मौलानाओं पर कोई लिखने की हिम्मत दिखाए..। पर विजय मनोहर तिवारी अलग ही माटी के बने पत्रकार हैं..उन्होंने ‘ उफ ये मौलाना’ किताब लिखकर उन सबको एक मुश्त जवाब दिया है, बिल्कुल हिसाब किताब बराबर। यह किताब दरअसल में एक डायरी है जो 52 चैप्टर्स और 430 पृष्ठों के साथ इस कोरोना काल में नुमाया हुई है।
विजय तिवारी जैसा पत्रकार सब कुछ ठोक बजाकर लिखता है ताकि शक-सुबे की कोई गुंजाइश ही न बचे। 2005 में जब नीति-नियंता इंदिरा सागर बांध के गेट बंदकर सो रहे थे तब विजय जागते हुए डूबते हरसूद की संवेदनाओं को अपने कैमरे में कैद कर रहे थे..। और वे तब-तक व्याकुल रहे जब-तक कि पूरे ब्योरे को एक किताब की शक्ल में नहीं उतार पाए..’ हरसूद 30 जून’।
ऐसी ही कुछ ऐसी ही अकुलाहट लाकडाउन के दरमियान झेली होगी। जब हम सब कमरों में कैद टीवी स्क्रीन पर रहस्यमयी मौलाना शाद उनके मरकज में जमा तब्लीगी जमात के फरेबी ‘फरिश्तों’ का कौतुक देख रहे थे.. या रामायण, महाभारत के सीरियल देखकर राम-कृष्ण के प्रति श्रद्धाभाव में विभोर हो रहे थे तब विजय मनोहर पेन उठाकर डायरी में उन वाकयातों को अल्फाज दे रहे थे..जो अगली सदी में इतिहास का सबसे बदनुमा अध्याय बनकर याद किए जाने वाले हैं।
कोरोना एक वैश्विक आपदा थी लेकिन मौलानाओं ने उसे अपनी फितरत फैलाने के अवसर के तौर पर इस्तेमाल किया। इस वैज्ञानिक युग में दुनिया की इतनी बड़ी जमात को अंधी खोह में ले जाने का जो काम किया गया जो इस पुस्तक के जरिए वह हमारे सामने हैं वह बेहद ही हैरतअंगेज, डरावना है।
चलिए कोरोना या कोविड-19 को लेकर जो तकरीरे आईं उससे हम पेश-ए नजर हो लें फिर आगे की बात करें।
- एक मौलाना साहब ने फरमाया – लंदन के मौलाना अब्दुल रहीम लिंबादा, जो हदीस के ग्याता हैं, उन्हें कोरोना वायरस सपने में आया। वायरस ने उनसे कहा- मैं हिंदुस्तान जाकर वहां के लोगों को तबाह और बर्बाद कर दूँगा, जहां मुसलमानों पर जुल्म हो रहे हैं।
- दूसरे मौलाना को इटली में ऐसे सपने आए। चीन में आयशा नाम की महिला से ज्यादती की गई। उसने अल्लाह को दुखड़ा सुनाया। अल्लाह का अजाब तीनों गुनहगारों पर कोरोना के रूप में नगद बरपा।
- हरी झिल्लीदार टोपी पहने एक बुजुर्ग अलीम ने समझाइश दी कि ये जो कमली वाले के रोजे पर कबूतर है, अल्ला-अल्ला करता है..इसे पकाकर खा जाओ..करोना भाग जाएगा..।
दर्जन भर से ज्यादा ऐसी ही तकरीरे हैं..जो यूट्यूब, सोशल मीडिया और प्रिंट माध्यमों से आईं..ये सब किताबकार के संदर्भ में सप्रमाण सुरक्षित हैं।
खैर चलो यह मान लेते हैं कि ये सभी के सब दकियानूस कठमुल्ले थे। लेकिन इनके बारे में क्या कहिएगा जो बेंगलुरु में इनफोसिस में इंजीनियर हैं जनाब मुजीब मोहम्मद। ये फरमा रहे थे कि बाहर आओ, हाथ मिलाओ, भीड़ में घुसो और ज्यादा से ज्यादा कोरोना वायरस फैलाओ। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त शहाबुद्दीन याकूब कुरैशी तो और भी गजब के निकले, उन्होंने एक ट्वीट में नरेन्द्र मोदी को कोरोना हो जाने की शुभेच्छा व्यक्त कर दी।
विजय मनोहर ने देश में रह रहे मुसलमानों की एक कंट्रास्ट झांकी पेश की है, कि ये लोग किस तरह गुरबत में रहते हैं और मुल्ला-मौलाना कैसे इन्हें दोजख में ही बने रहने का बंदोबस्त करते हैं।
किताब में एक बात स्पष्ट उभरकर आई है कि मुस्लिम प्रभुवर्ग कितना दकियानूस, खुदगर्ज है जबकि आम गरीब मुसलमानों में समाज के प्रति दर्द का रिश्ता अभी भी कायम है। किताब में ये बातें तफ्तील से दर्ज हैं कि एक मुसलमान किस तरह अपने पड़ोसी हिंदू की अर्थी पर कंधा देकर रामनाम सत्य का उच्चार करते हुए चल रहा है। या बेबस होकर अपने घर लौट रहे मजदूरों की भूख की चिंता कर रहा है।
विजय मनोहर की चिंता में आम भारतीय मुसलमान नहीं अपितु सलीम-जावेद, असगर अली इंजीनियर,और मुनव्वर राणा जैसे लोग हैं। सलीम-जावेद की जोड़ी ने नब्बे के दशक तक फिल्मी जेहाद चलाया। सुल्तान अहमद जैसा फिल्मकार मुल्लाओं की प्राणप्रतिष्ठा और हिंदू धर्मगुरुओं का मजाक उड़ाने के लिए जाना जाता था। नब्बे के दशक तक या जिन फिल्मों के संवाद इस जोड़ी ने लिखे हैं प्रायः हर दूसरी फिल्मों में आपको अजान की आवाजें सुनाई देंगी। और ऐसे लोगों के कुचक्र में मनमोहन देसाई, यश चौपड़ा जैसे फिल्मकार भी थे जिन्होंने बिल्ला न.786 को अपनी फिल्मों में सफलता का शुभंकर माना।
आलोक श्रीवास्तव जैसे विख्यात कवि की रचना ‘माँ’ की डंके की चोट पर चोरी करने वाले जनाब मुनव्वर राणा कहते हैं कि..इस देश में 35 करोड़ इंसान हैं और 100 करोड़ जानवर। यानी कि इस देश में जो मुसलमान नहीं हैं वे जानवर हैं।
यहां आमिर खान जैसे अभिनेता फिल्मकार हैं तो मरहूम इरफान खान जैसे भी। पीके फिल्म में हिंदू मठ-मंदिरों के अंधविश्वास की धुर्रियाँ उड़ाने वाले आमिर खान की नजर में ये मौलाना नहीं हैं जो मानते हैं कि काफिरों को मारने के लिए यह कोरोना वायरस अल्लाह की नेमत है। दूसरे इरफान खान हैं जो अपने दकियानूस परिवार में पत्नी सुतपा सिकदर के पारंपरिक व धार्मिक मूल्यों की रक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरने को तत्पर रहते थे। इरफान कहते हैं कि कि सिनेमा सरस्वती और लक्ष्मी का संगम है।
किताब में विजय जी एक और मार्के की बात लिखते हैं- यहां गंगा और जमुना समानांतर संस्कृति नहीं है। गंगा भी देश की है और जमुना भी..जो एक दूसरे में समाकर गौरवशाली संस्कृति रचती हैं..वह संस्कृति सिर्फ और सिर्फ गंगा की है।
हर मुद्दे पर गंगा-जमुनी संस्कृति की दुहाई देने वालों के लिए यह खुला सबक है। किताब में रवीश कुमार पांडेय उर्फ रवीश कुमार तथा दिलीप मंडल जैसे पत्रकारों की भी खबर ली गई है जो आँकड़ों के मकड़जाल को परोसकर कोरोना को भी मोदी की साजिश के रूप में देखते हैं। और वो मंडल जी जो मनुस्मृति पर जूती रखकर देश के राष्ट्रवादी मुसलमान संस्कृतिकर्मियों को गोदी मिडिया का हिस्सा कहते हैं।
चार सौ तीस पन्नों की इस किताब में काफी कुछ है जो बंद और सड़े दिमाग के दरवाजे का ताला खोलता है। सबसे बड़ी बात यह कि..एक-एक वाकए का संदर्भ भी आखिरी पन्नों पर दिया है, ताकि सनद रहे वक्त पर काम आए। कोरोना के कड़वे सबक किताब का निष्कर्ष है..और नसीहत भी..मुसलमानों के रहनुमाओं के लिए और सियासतदानों के लिए भी..।
और अंत में..अलाउद्दीन खिलजी कालीन जिस निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर ‘गंगा-जमुनी’ तहजीब वाले सेकुलरिए चादर चढ़ाने और सजदा करने जाते हैं..उस औलिया साहब की सख्शियत पर इतिहासकार बरनी के हवाले से लिखते हैं- हिंदुस्तान में इस्लामी परचम को जो भी फतह हासिल हुई, वे सबकी सब शेखुल इस्लाम निजामुद्दीन गयासपुरी की दुआओं का सबूत है। इसकी वजह यह है कि वे अल्लाह के चहेते और करीबी हैं। उनकी ही दुआओं से इस्लामी परचम बुलंदी पर है। ‘उफ ये मौलाना’ उन्हीं को समर्पित। (विश्व संवाद केंद्र सेवा)
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देहरादून। बुखार की शिकायत के बाद राजधानी के दून मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को सोमवार को जरुरी परीक्षणों के लिए दिल्ली एम्स के लिए रेफर किया गया है। मुख्यमंत्री के फेफड़ों में हल्का संक्रमण पाया गया। डाक्टरों ने उनका स्वास्थ्य सामान्य बताया है।
मुख्यमंत्री को रविवार को दून मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया था। मुख्यमंत्री के फिजीशियन डाॅ एनएस बिष्ट ने बताया कि रात में बुखार में भी कमी आई है और उनका स्वास्थ्य सामान्य है। उनके फेफड़ों में हल्का सा संक्रमण है। इस संबंध में एम्स दिल्ली के चिकित्सकों से भी परामर्श किया गया था। उनकी सलाह पर जरूरी परीक्षण के लिये मुख्यमंत्री एम्स दिल्ली जा रहे है।
इससे पूर्व, 18 दिसंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। उसके बाद उनकी रिपोर्ट सामान्य आई थी। तब से वे होम आइसोलेशन में थे। विधानसभा सत्र के दौरान उन्होंने सदन की कार्रवाई में वर्चुअली भाग लिया था।
यदि आपके ड्राइविंग लाइसेंस अथवा वाहन की आरसी, परमिट आदि दस्तावेजों की वैधता समाप्त हो चुकी है तो यह खबर राहत देने वाली है। कोविड-19 की परिस्थितियों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने डीएल, आरसी, परमिट आदि जैसे वाहन संबंधी दस्तावेजों की वैधता अगले वर्ष 31 मार्च तक बढ़ा दी है। यानी इस बीच किसी के कोई दस्तावेज की वैधता समाप्त हो रही है तो उन्हें अमान्य नहीं माना जाएगा।
केन्द्रीय सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय ने रविवार को इस संबंध में राज्य सरकारों को एक परामर्शी जारी की है। मंत्रालय के अनुसार इससे पूर्व मोटर वाहन अधिनियम, 1988 तथा केन्द्रीय मोटर वाहन नियमों, 1989 से संबंधित दस्तावेजों की वैधता के विस्तार के संबंध में 30 मार्च, 2020, 9 जून, 2020 तथा 24 अगस्त, 2020 को परामर्शी जारी की गई थी। इनमें राज्यों को सुझाव दिया गया था कि फिटनेस, परमिट (सभी प्रकारों के), लाइसेंस, पंजीकरण या किसी और संबंधित दस्तावेज की प्रमाणिकता 31 दिसम्बर, 2020 तक वैध समझी जाए।
मंत्रालय द्वारा रविवार को जारी परामर्शी में कहा गया है, ‘‘कोविड-19 के प्रसार को रोकने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए परामर्श दिया जाता है कि उपरोक्त उल्लेखित सभी दस्तावेजों की प्रमाणिकता 31 मार्च, 2021 तक वैध समझी जाए। इसमें वे सभी दस्तावेज शामिल हैं जिनकी वैधता 1 फरवरी, 2020 को समाप्त हो गई है या 31 मार्च, 2021 तक समाप्त हो जाएगी।’’
केन्द्र सरकार ने सभी राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों से इस परामर्शी को मूल भावना के साथ कार्यान्वित करने का आग्रह किया गया है जिससे कि नागरिक, ट्रांसपोर्टर तथा विभिन्न अन्य संगठन, जो कोविड महामारी के दौरान इस कठिन समय में प्रचालन कर रहे हैं, को कोई परेशानी न हो और उन्हें दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
उत्तर प्रदेश के बाद अब मध्य प्रदेश भी लव जिहाद के विरुद्ध सख्त कानून बनाएगा। इस क्रम में शनिवार को मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल ने ‘मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक, 2020’ को स्वीकृति दे दी। प्रदेश में अब लव जिहाद करने वाले आरोपी को 10 वर्ष की जेल होगी साथ ही इस कृत्य में उसका साथ देने वाले सहयोगियों के लिए भी सजा का प्रावधान इस क़ानून में है। सरकार ने इस क़ानून में लव जिहाद कराने वाले मौलवी और पादरी को भी 5 साल की सजा का प्रावधान किया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट की वर्चुअल बैठक में लव जिहाद के खिलाफ प्रस्तावित बिल के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी गई है। अब इसे 28 दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा।
कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम को कठोर बनाने के साथ कुछ ऐसे प्रावधान किए गए है जो देश के किसी भी राज्य में अब तक नहीं है।
बिल की ख़ास बातें
जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा। धर्मांतरण और धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह के 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन देना होगा।
बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबर्दस्ती धर्मांतरण और शादी करने पर 10 साल की सजा और एक लाख रूपये तक के जुर्माने का देना पड़ेगा। यह अपराध गैर जमानती होगा। धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत पीड़ित, माता- पिता, परिजन या गार्जियन द्वारा की जा सकती है।
सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा। उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी। इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन भी रद्द होगा।
बगैर आवेदन दिए धर्मांतरण करवाने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान है। इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले सभी आरोपियों के विरुद्ध मुख्य आरोपी की तरह ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अपने धर्म में वापसी करने पर इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा। पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण का हक हासिल करने का प्रावधान किया गया है। आरोपी को ही निर्दोष होने के सबूत प्रस्तुत करना होगा। (वीएसके इनपुट साथ हिमदूत ब्यूरो)
केंद्र सरकार ने टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (Target Olympic Podium Scheme, TOPS) के तहत महिला पहलवान विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) के लिए 40 दिनों के प्रशिक्षण शिविर को मंजूरी दी है। इस दौरान विनेश फोगाट के साथ उनकी निजी प्रशिक्षक वॉलर अकोस, कुश्ती प्रतिस्पर्धा में उनकी साथी प्रियंका फोगाट और फिजियोथेरेपिस्ट पूर्णिमा रमन नगोमदिर भी होंगी।
केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के अनुसार इस शिविर का आयोजन हंगरी और पौलेंड में होना है। इस प्रशिक्षण की सहायता से विनेश को अपने भार वर्ग में कई यूरोपीय पहलवानों के साथ खेलने और अपनी तकनीक और फुर्ती से संबंधित पहलुओं में सुधार करने के अवसर मिलेंगे।
साल 2019 के विश्व चैंपियनशिप में महिलाओं की 53 किलोग्राम वर्ग की प्रतिस्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर विनेश फोगाट ने टोक्यो ओलंपिक्स के लिए क्वालिफाई किया है। टोक्यो ओलपिंक्स का आयोजन जुलाई-अगस्त, 2021 में होना है।
कोरोना वायरस की वजह से लगने वाले लॉकडाउन से पहले उनकी अंतिम प्रतिस्पर्धा एशियन सीनियर चैंपियनशिप थी, जिसमें उन्होंने कांस्य पदक पर कब्जा किया था। विनेश टोक्यो ओलम्पिक के लिए क्वालिफाई करने वाली अकेली महिला पहलवान हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सुशासन दिवस के अवसर पर शुक्रवार को किसान सम्मान निधि का ऑनलाईन ट्रांसफर किया गया। देश के 9 करोड़ किसान परिवारों के बैंक खातों में 18 हजार करोड़ रूपये की धनराशि हस्तांतरित की गई। उत्तराखण्ड के 8 लाख 27 हजार किसान परिवारों के खातों में 165 करोड़ की धनराशि डाली गई।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने विभिन्न राज्यों के किसानों से बातचीत कर पीएम किसान सम्मान निधि, किसान क्रेडिट कार्ड से होने वाले लाभ के बारे में जानकारी ली।

पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी की जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने वर्चुअल माध्यम से जनता को संबोधित किया। पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेई की जयंती को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। अटल जी ने सुशासन को भारत के राजनीतिक एवं सामाजिक विमर्श का हिस्सा बनाया।
उन्होंने कहा कि आज जो नये कृषि सुधारों को सरकार ने जमीन पर उतारा है, उनके सूत्रधार अटल जी भी थे। मोदी ने कहा कि पीएम सम्मान किसान निधि योजना जब से शुरू हुई है तब से 01 लाख 10 हजार करोड़ रूपये से अधिक की धनराशि किसानों के खातों में पहुंच चुकी है। तकनीक के इस्तेमाल से किसानों के खाते में ऑनलाईन माध्यम से धनराशि दी गई है।
मोदी ने कहा कि सरकार ने देश के किसानों की छोटी-छोटी परेशानियों एवं कृषि के आधुनिकीकरण की ओर ध्यान दिया। 60 वर्ष की आयु के बाद 03 हजार रूपये मासिक पेंशन का सुरक्षा कवच भी आज किसान के पास है।
देहरादून से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की पारदर्शी सोच से किसान तरक्की की ओर बढ़ रहा है। सरकार जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान में विश्वास रखती है। प्रधानमंत्री ने सबका साथ, सबका विकास का मंत्र दिया है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में वर्ष 2019-20 में 02 लाख 12 हजार 621 कृषकों द्वारा फसल बीमा कराया गया। जिसमें 96 हजार 770 किसानों को 103.55 करोड़ की क्षतिपूर्ति का भुगतान किया गया। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू होने से अब तक राज्य में 3 लाख 15 हजार 67 किसानों को 282.82 करोड़ रूपये की क्षतिपूर्ति प्राप्त हुई है।
इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम से केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, देहरादून के पवेलियन मैदान में आयोजित कार्यक्रम में सांसद एवं उत्तराखण्ड भाजपा की सह प्रभारी रेखा वर्मा, विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चन्द अग्रवाल, राज्य सभा सांसद नरेश बंसल, विधायक हरबंस कपूर, गणेश जोशी, खजान दास, मुन्नी देवी शाह, मेयर सुनील उनियाल गामा, मुख्य सचिव ओम प्रकाश एवं कृषक उपस्थित थे।
नए साल में यानी पहली जनवरी से आप सड़क पर गाड़ी चलाएंगे तो आपके वाहन पर फास्टैग (FASTag) लगा होना चाहिए। केन्द्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport & Highways) ने सभी वाहनों के लिए 1 जनवरी से फास्टैग अनिवार्य कर दिया है। फास्टैग की शुरुआत 2016 में की गयी थी।
केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस साल नवंबर में एक अधिसूचना जारी कर केंद्रीय मोटर वाहन नियम (CMVR), 1989 में संशोधन किया था। इस संशोधन में 1 दिसम्बर, 2017 से पहले बेचे गये वाहनों में भी, 1 जनवरी, 2021 से फास्टैग को अनिवार्य बनाया गया है।
CMVR अनुसार, 1 दिसंबर 2017 से, नए चार पहिया वाहनों के पंजीकरण के लिए फास्टैग को अनिवार्य कर दिया गया था और इसकी आपूर्ति वाहन निर्माताओं या उनके डीलरों द्वारा की जा रही है। इसके अलावा, यह भी अनिवार्य किया गया था कि फास्टैग के लिए फिट होने के बाद ही परिवहन वाहनों के फिटनेस प्रमाणपत्र का नवीनीकरण किया जाएगा। राष्ट्रीय परमिट वाले वाहनों के लिए 1 अक्टूबर 2019 से फास्टैग मानकों पर फिट होना अनिवार्य किया गया था।
टोल प्लाज़ा पर केवल इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से शुल्क का भुगतान 100 प्रतिशत होना और वाहनों का शुल्क प्लाज़ा के माध्यम से निर्बाध रूप से गुजरना सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम होगा। प्लाज़ा में प्रतीक्षा करते हुए कोई समय जाया नहीं करना होगा और इससे ईंधन की बचत होगी।
राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार विविध चैनलों पर फास्टैग की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं ताकि नागरिक अपनी सुविधा के अनुसार अगले दो महीनों के भीतर उन्हें अपने वाहनों पर फास्टैग चिपका सकें।
केन्द्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरूवार को एक समारोह को वर्चुअल संबोधित करते हुए कहा कि फास्टैग को 1 जनवरी से लागू किया जाएगा। इस कदम से मिलने वाले लाभों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह यात्रियों के लिए उपयोगी है क्योंकि उन्हें नकद भुगतान के लिए टोल प्लाजा पर रुकने की जरुरत नहीं होगी। इससे समय और ईंधन की भी बचत होगी।
देहरादून। राज्य के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं के शैक्षिक क्षमता के अनुसार उन्हें तकनीकी शिक्षा के उच्च संस्थानों में प्रवेश हेतु तैयारी के लिये अल्मोड़ा में प्रदेश के पहले द सुपर-30 हिमालयन एजुकेशनल ट्रस्ट का गठन किया गया है। संस्थान का मुख्य उददेश्य राज्य के गरीब प्रतिभावान बच्चों को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) में प्रवेश के निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाना है।
इस संस्थान में प्रदेश के सभी विद्यालयों के 10वीं कक्षा की परीक्षा में मेरिट में रहने वाले चार से पॉच छात्रों को प्रदेश स्तरीय प्रवेश परीक्षा के लिए चुना जायेगा। चुने गये छात्रों में प्रवेश परीक्षा के आधार पर टॉप 30 छात्रों को इस संस्थान में प्रवेश दिया जायेगा। यह संस्थान आवासीय रहेगा जिसमें 11वीं एवं 12वीं कक्षाओं के साथ-साथ तैयारी करायी जाएगी। इस संस्थान में व्यय होने वाली धनराशि का वहन द क्वीन्ट के संस्थापक राघव बहल के सहयोग से किया जाएगा। संस्थान की अन्य सुविधाओं में जिला प्रशासन सहयोग करेगा।
अल्मोड़ा विकास भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में इसके संचालन हेतु जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया व इलारा कैपिटल के सीईओ राज भट्ट द्वारा एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भी आडियो सन्देश के माध्यम से द सुपर-30 हिमालयन एजुकेशनल ट्रस्ट के गठन की शुभकामनाएं देते हुए इससे जुड़े सभी लोगों का धन्यवाद किया। उन्होंने आश्वस्त किया कि राज्य सरकार द्वारा संस्थान के सफल संचालन के लिए यथा सम्भव सहायता की जाएगी।
इस अवसर पर वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से द सुपर-30 हिमालयन एजुकेशनल ट्रस्ट को सहयोग करने वाले द क्वीन्ट के संस्थापक राघव बहल ने कहा कि इससे उत्तराखण्ड में प्रतिभावान छात्रों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि एक शिक्षित समाज से पूरे देश एवं प्रदेश का विकास होता है।
द सुपर-30 हिमालयन एजुकेशनल ट्रस्ट के सलाहकार व इण्डिया फाउण्डेशन के निदेशक शौर्य डोभाल ने कहा कि इस संस्थान के खुलने से उत्तराखण्ड में शिक्षा के क्षेत्र में परिर्वतन की क्रान्ति आयेगी। कार्यक्रम में उपस्थित इलारा कैपिटल लन्दन के सीईओ राज भट्ट ने बताया कि यह संस्थान अगले वर्ष अप्रैल माह से प्रारम्भ कर दिया जाएगा।
कार्यक्रम में सीडॉट के चैयरमैन एवं सलाहकार सुपर-30 हिमालयन एजुकेशनल ट्रस्ट डा0 राजकुमार उपाध्याय, मुख्य विकास अधिकारी नवनीत पाण्डे, सीईओ सी हॉक नरेन्द्र लटवाल आदि उपस्थित थे।