मुख्यमंत्री ने की स्मार्ट सिटी परियोजना की समीक्षा, कार्यों को निर्धारित समय पर पूरा करने के निर्देश
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में देहरादून स्मार्ट सिटी योजना की समीक्षा की। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने स्मार्ट सिटी के अन्तर्गत कराये जा रहे सभी कार्यों को निर्धारित समय सीमा के भीतर पूर्ण कराए जाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि स्मार्ट सिटी के तहत हो रहे सभी कार्यों में समयबद्धता के साथ ही गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने माॅडर्न दून लाईब्रेरी की धीमी गति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इसे शीघ्र पूर्ण किया जाए। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्यों से आम जनता को कोई परेशानी न हो, यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए समय-समय पर ठेकेदारों आदि के साथ भी बैठक आयोजित की जानी चाहिए, ताकि उन्हें आ रही समस्याओं का भी निराकरण किया जा सके। उन्होंने देहरादून में वर्षा जल के संरक्षण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर अधिक फोकस करने की जरुरत पर जोर दिया।
समार्ट सिटी के मुख्य कार्याधिकारी व जिला मजिस्ट्रेट आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि स्मार्ट सिटी परियोजना की कुल लागत रू0 1407 करोड़ है, जिसमें 100 प्रतिशत कार्यों की निविदाएं आमंत्रित कर ली गयी हैं और इनसे सम्बन्धित कार्यादेश भी जारी कर दिए गए हैं।
इस अवसर पर सचिव शैलेश बगोली, सुशील कुमार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
देहरादून। सुरक्षा को लेकर जागरूक करने के लिए तेल एवं प्राकृतिक गैस कार्पोरेशन सुरक्षा जागरूकता सप्ताह मनाएगी। सप्ताह भर तक आयोजित होने वाले इन कार्यक्रमों की शुरुआत बतौर मुख्य अतिथि पुलिस अधीक्षक (नगर) श्वेता चौबे ने की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हमारे जीवन के हर पहलू में सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है।
श्वेता ने कहा कि जीवन‚ समय और आर्थिक सुरक्षा हर इंसान के लिए जरूरी है। जीवन में सुरक्षा बुनियादी जरूरत के रूप में शामिल है। यदि हम नियमों का पालन करें तो हम दुर्घटनाओं‚ धोखाधड़़ी और अपराधों से बच सकते हैं।
उन्होंने कहा कि साइबर अपराध समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। सुरक्षा एजेंसियां जरूरत के मुताबिक खुद को अपडेट करती रहती हैं। मगर साइबर अपराधी एक कदम आगे हैं। आज हमारे पास साइबर शिकायतें अधिक हैं। उन्होंने कहा कि आम लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए सेमिनार व वेबिनार आयोजित किए जाने चाहिए।
ONGC के महाप्रबंधक (प्रमुख कारपोरेट प्रशासन) विपुल कुमार जैन ने कहा कि सुरक्षा का अपना महत्व है। मगर हमें यह याद रखना चाहिए कि इसे केवल इस सप्ताह के लिए नहीं, अपितु पूरे वर्ष किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर मुख्य महाप्रबंधक (प्रभारी वित्त) पीपी रुस्तगी‚ जनरल मैनेजर (एचआर) अजय कलसी‚ जीएम प्रभारी सीएसआर और राजभाषा रामराज द्विवेदी व जीएम एमके गर्ग, रजनीश त्रिवेदी, बी. सेंथिल, सुधीर कुमार, रमेश कुमार पुंडीर आदि उपस्थित थे।
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत जनपद उत्तरकाशी के 11 उद्यमियों को परियोजना आवंटन पत्र वितरित किए। इस अवसर पर, मुख्यमंत्री ने एलईडी ग्राम लाईट योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को एनर्जी वॉरियर्स के रूप में सम्मानित किया। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने ऊर्जा दक्ष ग्राम के प्रधानों को भी प्रशस्ति पत्र वितरित कर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री आवास में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने सभी स्वयं सहायता समूहों को ऊर्जा संरक्षण दिवस की बधाई देते हुए कहा कि हमारा अगला फोकस अपनी माँ-बहनों के सिर से घास-लकड़ी का बोझा उतारना है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में कार्य किया जा रहा है। उन्होंने अधिकारियों को भी इस दिशा में विचार कर योजनाएं तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कार्यक्रम में जनपदों से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित ग्राम प्रधानों एवं स्वयं सहायता समूहों से इस सम्बन्ध में अपने सुझाव देने का अनुरोध किया।
उन्होंने ने एलईडी निर्माण में लगे सभी स्वयं सहायता समूहों के लिए 50-50 हजार के रिवाॅल्विंग फण्ड की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने महिला स्वयं सहायता समूहों से बात भी की। उन्होंने कहा कि स्वरोजगार से जुड़कर महिलाओं का आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता बढ़ी है। उनके मन में विश्वास पैदा हुआ है कि वे उद्यम के क्षेत्र में भी बहुत कुछ कर सकती हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में अनेकों मंदिर हैं। मंदिरों के कपाट खुलने व बंद होने, व अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में सजावटी कार्यों के लिए स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में देश-विदेश से पर्यटक आते हैं, जो अपने साथ क्षेत्र की स्मृति चिन्ह ले जाना चाहते हैं। उन्होंने स्वयं सहायता समूहों से भी क्रिएटिव होकर राज्य से जुड़ी हुई अलग-अलग थीम पर स्मृति चिन्ह बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि ग्रोथ सेंटर्स में फैंसी आईटम पर भी फोकस किया जाना चाहिए। इसके लिए स्पेशिफिक प्रशिक्षण भी कराया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों से कहा कि स्थानीय दुकानदारों से बातचीत कर स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की बिक्री हेतु प्रोत्साहित किया जा सकता है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि अपने कार्यालयों, हैलीपैड, स्थानीय बाजारों में ‘वोकल फाॅर लोकल‘ का प्रचार-प्रसार करते हुए, एक विंडो उपलब्ध करायी जानी चाहिए, ताकि इनके उत्पादों को बाजार मिल सके।
मुख्यमंत्री ने ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इन विजेता छात्र-छात्राओं द्वारा तैयार पेंटिंग को वर्ष 2021 के कैलेंडर के रूप में प्रकाशित किया गया है, जिसका मुख्यमंत्री द्वारा विमोचन किया गया। मुख्यमंत्री ने ऊर्जा संरक्षण पुस्तिका का विमोचन भी विमोचन किया।
इस अवसर पर विधायक गणेश जोशी, सचिव राधिका झा, निदेशक उरेडा कै. आलोक शेखर तिवारी आदि उपस्थित थे।
New Delhi. Minister of Petroleum and Natural Gas and Steel Dharmendra Pradhan today said that Prime Minister Narendra Modi has made Swachhta a Jan Andolan which is drawing wide participation from society, urban and rural areas alike. He was speaking at the awards distribution ceremony for Swacchta Pakhwada in the petroleum industry. He also said that the petroleum industry has been contributing to this Jan Andolan, giving boost to its momentum and appealed to intensify this further and re-dedicate to this cause.
“As India completes 75 years of its independence in 2022, we must realise the dream of a Swacch Bharat”, he further added. He also called for greater involvement of private sector oil and gas companies in Swacch Bharat Abhiyan and suggested to PSUs to build state-of-the-art toilet facilities at all pilgrim centres and major tourist attractions in the country. He handed over the awards to oil and gas PSUs for Swacchta Pakhwada and Swacchta hi Sewa campaigns.
Pradhan complimented the winners of Swachhata Hi Seva 2019 and Swachhta Pakhwada for their efforts in raising awareness on various aspects of cleanliness, including waste management and eliminating single-use plastics.
Following Swachhta Pakhwada Awards were presented: First Prize- IOCL, Second Prize- BPCL, 3rd Prize- ONGC, Special Award- HPCL Swacchata hi Sewa: 1st- HPCL, 2nd-BPCL, 3rd-IOCL.
In the Union Budget 2020, Union Minister of Finance Corporate Affairs Nirmala Sitharaman had made an announcement for setting up an International Bullion Exchange at the International Financial Services Centre in GIFT City, Gandhinagar, Gujarat.
Subsequently, the Government of India had notified the bullion spot delivery contract and bullion depository receipt (with bullion as underlying) as Financial Products and related services as Financial Services under the International Financial Services Centres Authority (IFSCA) Act, 2019.
IFSCA has been entrusted with the responsibility of operationalization of this Exchange. In this regard, International Financial Services Centres Authority (Bullion Exchange) Regulations 2020 were approved by the Authority in its meeting held on October 27. The said regulations have been notified and published in the Gazette of India on December 11.
The regulations inter alia cover the Bullion Exchange, Clearing Corporation, Depository and Vaults. The regulations are divided into the 16 chapters. First half of the regulation deals with the Exchange and Clearing Corporations while the second half pertains to the Vaults and Depositories and related provisions.
The complete text of the notified regulations is available on the IFSCA website at https://ifsca.gov.in/Regulation
- रजनीश कुमार
दिल्ली की सीमा पर किसानों का आंदोलन जारी है। सरकार के प्रयासों से किसान संगठनों और सरकार के बीच संवाद भी जारी है। स्वस्थ लोकतंत्र में संवाद की महत्ता हमेशा से रही है, हमारे यहां पुरानी उक्ति है – वादे वादे जायते तत्वबोध: अर्थात् संवाद से तत्व का ज्ञान होता है। हालांकि किसान संगठन बिल वापस लेने पर अड़ गए हैं। वहीं सरकार का कहना है – जहां आपत्ति होगी, संशोधन करेंगे। किसान संगठनों ने तर्क दिया कि नए कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा, सरकार लिखित आश्वासन देने को तैयार है।
संगठनों ने एपीएमसी यानि मंडियों के समाप्त होने की चिंता प्रकट की, सरकार ने कहा – लिखित में दे देंगे कि मंडियां समाप्त नहीं होंगी। डर जताया कि किसानों की जमीन बिक जाएगी, सरकार ने कहा कि किसानों की फसल की बिक्री होगी, जमीन का कोई एग्रीमेंट नहीं होगा। किसानों ने डर व्यक्त किया कि विवाद की स्थिति में कोर्ट का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। सरकार ने उनके डर को दूर करते हुए कहा कि सिविल कोर्ट जाने का अधिकार देंगे, फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाएंगे।
अब इसके बाद किसान प्रदर्शनरत संगठन कह रहे हैं प्रस्ताव मंजूर नहीं, सरकार संवाद को प्राथमिकता देते हुए कह रही है – कोई और समस्या हो तो बताइए। अब किसान संगठन मांग कर रहे हैं कि बिल वापस लो …!
सम्प्रति कहां क्या हो रहा है, कुछ ना उसको ज्ञान है
वायु कैसी चल रही, इसका न कुछ भी ध्यान है
राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त ने किसानों के मनोभाव को समझते हुए यह पक्तियां लिखी थीं। ये पंक्तियां आज कुछ ज्यादा ही प्रासंगिक हो गई हैं।
किसान बहुत भोले-भाले होते हैं, दूसरों के प्रति भी उनकी दृष्टि बहुत सरल-सहज होती है। शायद इसी कारण से किसानों के इस आंदोलन में अराजकतावादियों ने घुसपैठ कर दी है। अराजक शक्तियों का उद्देश्य स्पष्ट है – देश में अशांति और अराजकता का माहौल स्थापित करना। दुःखद है – किसानों को इस साजिश का कोई भान नहीं है, अशान्ति के अंदेशे का कोई ध्यान नहीं है।
खुफिया सूत्रों के अनुसार किसान आंदोलन से जुड़ी एक रिपोर्ट सरकार को भेजी गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अल्ट्रा-लेफ्ट नेताओं और प्रो-लेफ्ट विंग के चरमपंथी तत्वों ने किसानों के आंदोलन को हाईजैक कर लिया है। विश्वसनीय खुफिया इनपुट है कि ये तत्व किसानों को हिंसा, आगजनी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाने की योजना बना रहे हैं।
अराजक वामपंथी-इस्लामी गठजोड़ के कारण देश में आंतरिक असुरक्षा का माहौल बनने का अंदेशा है। दिल्ली की सीमा पर भारतीय किसान यूनियन (उगराहा) ने दिल्ली दंगे के आरोपी उमर खालिद और शरजील इमाम के साथ-साथ अर्बन नक्सल सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वर्नोन गोंसाल्वेस, अरुण फरेरा और वरवरा राव को रिहा करने की मांग की है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस आंदोलनकारी किसान संघ ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस समारोह में कम से कम 20 व्यक्तियों को रिहा करने की मांग की, जिन्हें दिल्ली दंगे और भीमा कोरेगांव हिंसा में उनकी कथित भूमिका पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जेल में डाला गया है।
ये लोग पिछले वर्ष दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगे के आरोपी की रिहाई की मांग कर रहे हैं, उनके मानवाधिकार की बात कर रहे हैं। नक्सल-आतंकी विचारों के पोषक एक किसान संगठन का कहना है कि ये सभी मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं और उनको सलाखों के पीछे से बाहर करवाना उनके संगठन का लक्ष्य है।
यह देश की सज्जन शक्ति के लिए खुली चुनौती के समान है। एक तरफ देश को विभाजित करने की मंशा पालने वाले लोगों के समर्थन में दिल्ली की सड़कों पर तख्तियां लहराई जाती हैं, दूसरी ओर देश को अखंड और अक्षुण्ण बनाए रखने वाली सज्जन शक्तियां अपने धैर्य का परिचय दे रही हैं।
यह विचार करने योग्य है कि आज भारतीय समाज के सामने ठीक वैसी ही परिस्थिति है, जैसी नागरिकता संशोधन कानून के समय थी। यह समझने की जरूरत है कि किसान आंदोलन की आड़ में अराजकता पैदा करने की मंशा रखने वाले ये लोग कौन हैं? आपने नागरिकता संशोधन कानून के वक्त भी देखा था, जब इन विभाजनकारी शक्तियों ने समाज में भय और भ्रम पैदा करने की कोशिश की थी।
ठीक वैसे ही कृषि कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी की व्यवस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन इन कानूनों को उनके विरुद्ध ही बताने की कोशिश की जा रही है। अब किसान संगठनों ने यह घोषणा कर दी है, सरकार से कोई वार्तालाप नहीं होगा, कोई विमर्श- संवाद नहीं होगा। आंदोलनकारियों ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है, आंदोलन को तेज करने का फैसला किया है। संगठनों ने संवाद का अंत कर दिया है, विषय विवाद की तरफ बढ़ रहा है। (विश्व संवाद केंद्र सेवा)
उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे नित्यानंद स्वामी की आठवीं पुण्यतिथि पर शनिवार को उन्हें याद कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। राजधानी देहरादून के अखिल भारतीय महिला आश्रम में पं.दीनदयाल उपाध्याय सेवा प्रतिष्ठान के तत्वाधान में हवन व कीर्तन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि नित्यानंद स्वामी ने प्रदेश के विकास के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया l उनके विचार आज भी प्रदेश के विकास के लिए प्रसांगिक है l
उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी के साथ बिताए गए दिनों को याद करते हुए कहा है कि स्वामी जी का उद्देश्य प्रदेश का विकास करना था l उन्होंने कहा है कि स्वामी जी ने अपने जीवन काल मे उपेक्षित, वंचित समाज को आगे लाकर मुख्यधारा में जोड़ने का कार्य किया l
कार्यक्रम में राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं विधायक हरबंस कपूर, विधायक खजान दास , विधायक विनोद चमोली, भारत विकास परिषद की सविता कपूर, भाजपा के महानगर अध्यक्ष सीताराम भट्ट, शुभम वर्मा, स्वर्गीय नित्यानंद स्वामी की सुपुत्री ज्योत्सना शर्मा, सरस्वती सिंह, आरके बक्शी, गीतिका, विनायक शर्मा आदि सहित अनेक लोग उपस्थित थे l
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आगामी कुम्भ मेले को सुरक्षित व व्यवस्थित ढंग से संपन्न कराने के लिए सभी विभागाध्यक्षों को प्रभावी इंतजाम सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कुंभ मेले के कार्यों के संबंध में सभी आवश्यक स्वीकृतियों, कार्यों की गुणवत्ता एवं उपयोगिता आदि का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए, ताकि कुंभ मेले के संपन्न होने के पश्चात इस संबंध में कोई अनावश्यक विवाद की स्थिति ना उत्पन्न हो।
शनिवार को राजधानी देहरादून में कुम्भ कार्यों की समीक्षा करते हुए उन्होंने कोविड-19 के दृष्टिगत कुंभ मेले के लिए स्पेशल कोविड ऑफिसर तैनात किए जाने के भी निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कुम्भ मेले के कार्यो के लिये मेला अधिकारी को 2 करोड़ तथा आयुक्त गढ़वाल मंडल को 5 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति के अधिकार प्रदान करते हुए आयुक्त के स्तर पर स्वीकृत होने वाले कार्यों के लिए अनुभवी अभियंताओं एवं वरिष्ठ वित्त अधिकारी की समिति गठित करने को कहा, जो स्वीकृति जारी करने में मदद करेगी।
मुख्यमंत्री ने सभी संबंधित विभागों से सभी स्थाई निर्माण कार्यों को 31 जनवरी से पूर्व पूर्ण करने तथा अस्थाई निर्माण कार्यों में भी तेजी लाने को कहा है।उन्होंने कहा कि कुम्भ के दृष्टिगत विभागीय स्तर पर सम्पादित होने वाली व्यवस्थाओं की एसओपी जारी करने के साथ ही डाक्यूमेन्टेशन पर ध्यान दिया जाय। मुख्यमंत्री ने वन भूमि हस्तांतरण के मामलों को भी शीघ्र निस्तारित करने के निर्देश दिये।
बैठक में सचिव लोनिवि आर.के.सुधांशु ने कहा कि सभी महत्वपूर्ण पुलों का निर्माण कार्य 31 जनवरी से पूर्व कर लिया जायेगा। इसके लिये कार्यदायी संस्थाओं को तेजी से कार्य सम्पन्न करने के निर्देश देने के साथ ही निर्माण कार्यों की निरन्तर निगरानी की जा रही है।
स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने कुंभ मेले में कार्य करने वाले कार्मिकों के वेक्सिनेशन की रूप रेखा भी तय करने की अपेक्षा मेलाधिकारी से की। सचिव नगर विकास शैलेश बगोली ने बताया कि कुम्भ मेले के अन्तर्गत विभिन्न विभागों के स्तर पर 473 करोड़ लागत के 124 निर्माण कार्य किये जा रहे हैं, जिनका निरन्तर अनुश्रवण किया जा रहा है।
पुलिस महानिरीक्षक, कुम्भ मेला श्री संजय गुंज्याल ने बताया कि मेले के लिये सुरक्षा की दृष्टि से 6 जोन, 24 सेक्टर, 21 थाने, 9 पुलिस लाइन, 23 पुलिस चौकी, 25 चैक पोस्ट के साथ ही आवश्यकतानुसार राज्य व केन्द्रीय पुलिस बलों की तैनाती की व्यवस्था की जा रही है।
बैठक में नगर विकास मंत्री मदन कौशिक, मुख्य सचिव ओम प्रकाश, सचिव वित्त सौजन्या, आयुक्त गढ़वाल रविनाथ रमन के साथ ही सम्बन्धित विभागों के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।
केंद्र सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना के तहत 9,879.61 करोड़ रुपये के बराबर की परियोजनाएं अनुमोदित की गई हैं। 27 राज्यों ने इस योजना का लाभ उठा लिया है। योजना की पहली किस्त के रूप में राज्यों को 4,939.81 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक 1501 करोड़ रूपये की अनुमोदित राशि के सापेक्ष 750.50 करोड़ जारी किए गए हैं। उत्तराखंड को 434.11 करोड़ की अनुमोदित राशि के सापेक्ष 217.6 करोड़ जारी किये गए।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने शनिवार को जानकारी दी है कि तमिलनाडु के अतिरिक्त सभी राज्यों ने पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता की हाल ही में घोषित योजना का लाभ उठा लिया है। इस योजना की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 12 अक्तूबर को आत्म निर्भर भारत पैकेज के एक हिस्से के रूप में की गई थी।

योजना का उद्देश्य उन राज्य सरकारों को पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देना है, जो कोविड-19 महामारी की वजह से कर राजस्व में हुई कमी के कारण इस वर्ष कठिन वित्तीय परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने प्रतिकूल वित्तीय स्थिति के बावजूद वर्ष 2020-21 में पूंजीगत व्यय के संबंध में राज्य सरकारों को विशिष्ट सहायता देने का निर्णय लिया था।

इस योजना को लेकर राज्य सरकारों की ओर से जोरदार प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। पूंजीगत व्यय परियोजनाओं को स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, जलापूर्ति, सिंचाई, बिजली, परिवहन, शिक्षा, शहरी विकास जैसे अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्रों में अनुमोदित किया गया है। इस योजना के तीन हिस्से हैं। योजना का भाग-1 पूर्वोत्तर क्षेत्र को कवर करता है। इस हिस्से के तहत, पूर्वोत्तर के आठ राज्यों को 650 करोड़ रूपये आवंटित किए गए हैं।

योजना के भाग-2 में अन्य सभी राज्य शामिल किए गए हैं। इन राज्यों के लिए 7500 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। राशि का आवंटन राज्यों के बीच वर्ष 2020-21 के लिए 15वें वित्त आयोग की अंतरिम मंजूरी के अनुरूप केन्द्रीय कर में उनके हिस्से के अनुपात में किया गया है।
भाग-3 का लक्ष्य राज्यों में विभिन्न लोक केन्द्रित सुधारों को बढ़ावा देना है। इस भाग के तहत, 2000 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। यह राशि केवल उन्हीं राज्यों को उपलब्ध होगी, जिन्होंने सुधार संबंधित अतिरिक्त उधारी अनुमतियों के संबंध में वित्त मंत्रालय द्वारा दिनांक 17 मई के पत्र में निर्दिष्ट चार सुधारों में से कम से कम तीन सुधार कार्यान्वित किए हैं। ये चार सुधार हैं- एक राष्ट्र एक राशन कार्ड (One Nation One Ration Card), व्यवसाय करने की सुगमता सुधार (Ease of doing Business), शहरी स्थानीय निकाय/उपयोगिता सुधार तथा बिजली क्षेत्र सुधार।