लुत्स्क। यूक्रेन पर रूस ने बीती रात अब तक का सबसे भीषण हमला किया, जिसमें 728 ड्रोन और 13 मिसाइलें दागी गईं। यूक्रेनी वायुसेना ने इसे अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला बताया है। हमले का मुख्य निशाना पश्चिमी यूक्रेन का वोलिन क्षेत्र और राजधानी लुत्स्क रही, जहां की सीमाएं पोलैंड और बेलारूस से लगती हैं। इस हमले से पूरे इलाके में दहशत फैल गई और बिजली-संचार व्यवस्था पर गहरा असर पड़ा।
रातभर चला हमला, नागरिकों में मची अफरातफरी
यूक्रेनी वायुसेना के अनुसार, उन्होंने कुल 296 ड्रोनों और 7 मिसाइलों को मार गिराया, जबकि 415 ड्रोन रडार से गायब हो गए या फिर इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के ज़रिए निष्क्रिय कर दिए गए। यह हमला पूरी रात चला और कई इलाकों में ब्लैकआउट की स्थिति बन गई। संचार सेवाएं भी बाधित हुईं, जिससे आम नागरिकों में दहशत फैल गई।
लुत्स्क और वोलिन पर रहा रूस का फोकस
राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने बताया कि लुत्स्क शहर को विशेष रूप से निशाना बनाया गया, जहां यूक्रेनी एयरबेस स्थित हैं। ये बेस पश्चिमी सप्लाई लाइनों के लिए बेहद अहम हैं। रूस की यह रणनीति संभवतः यूक्रेन के सप्लाई चैन को कमजोर करने की कोशिश है।
ड्रोन हमलों पर बढ़ता रूस का भरोसा
सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि रूस अब पारंपरिक मिसाइलों की बजाय ड्रोनों पर अधिक निर्भर हो रहा है। डिकॉय ड्रोन का इस्तेमाल कर यूक्रेन की एयर डिफेंस को भटकाने की कोशिश की गई, जिससे यह भी साफ है कि रूस अपनी रणनीति में बदलाव कर रहा है।
यूक्रेन की जवाबी रणनीति और मांग
यूक्रेनी अधिकारियों ने दावा किया कि वे इस हमले का मुंहतोड़ जवाब देंगे। इसके साथ ही उन्होंने पश्चिमी देशों से और अधिक एयर डिफेंस सिस्टम, विशेषकर अमेरिकी पैट्रियट सिस्टम की मांग दोहराई है। जेलेंस्की ने बताया कि देश में स्वदेशी इंटरसेप्टर ड्रोनों का उत्पादन तेज़ी से बढ़ाया जा रहा है।
वैश्विक प्रतिक्रिया और मानवाधिकार चिंता
संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने रूस के इस हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने रूस से आग्रह किया है कि वह नागरिक इलाकों को निशाना बनाना बंद करे और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन करे। स्थानीय प्रशासन ने नागरिकों से सतर्क रहने और सुरक्षित आश्रयों में जाने की अपील की है।
पीएम मोदी और सीएम भूपेंद्र पटेल ने जताया दुख
मृतकों को 2 लाख और घायलों को 50 हजार की सहायता का एलान
वडोदरा। गुजरात के वडोदरा जिले में बुधवार सुबह एक बड़ा हादसा हुआ, जब आणंद और पादरा को जोड़ने वाला 45 साल पुराना गम्भीरा पुल अचानक टूट गया। पुल के ऊपर से गुजर रहे चार वाहन – दो ट्रक, एक बोलेरो SUV और एक पिकअप वैन – सीधा महिसागर नदी में गिर गए। इस हादसे में अब तक नौ लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि नौ अन्य को सुरक्षित बचा लिया गया है।
घटना के तुरंत बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पुल ढहने से पहले एक तेज आवाज सुनाई दी थी, और देखते ही देखते कई वाहन नदी में समा गए। मौके पर फायर ब्रिगेड, जिला प्रशासन और पुलिस की टीमें तेजी से पहुंचीं। स्थानीय नागरिकों ने भी बचाव कार्य में हाथ बंटाया। घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने हादसे पर शोक जताते हुए अधिकारियों को तत्काल राहत कार्य तेज करने के निर्देश दिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना पर दुख जताते हुए मृतकों के परिजनों को दो लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की सहायता देने का एलान किया है।
राज्य के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं। वहीं आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने इस घटना को लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने पूछा कि आखिर क्यों बार-बार पुलों की गुणवत्ता को लेकर लापरवाही बरती जा रही है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि यह पुल वर्षों से जर्जर हालत में था और कई बार इसकी मरम्मत की मांग की गई थी, लेकिन प्रशासन ने अनदेखी की। एक निवासी ने कहा, “यह पुल न केवल हादसों के लिहाज से खतरनाक था, बल्कि आत्महत्या की घटनाएं भी यहां होती रही हैं। कई बार चेतावनियां दी गईं, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।”
आधुनिक जीवनशैली में देर रात तक काम करना और देर से डिनर करना आम हो गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रात में देर से खाना खाने की आदत आपकी सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है? यह आदत मोटापा, डायबिटीज, और हृदय रोग जैसी समस्याओं का कारण बन सकती है।
हमारे शरीर की जैविक घड़ी (सर्केडियन रिदम) रात में मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देती है, जिसके कारण देर से खाया गया भोजन ठीक से पच नहीं पाता। इससे पाचन तंत्र से लेकर मानसिक स्वास्थ्य तक प्रभावित होता है। आइए जानते हैं कि देर रात डिनर सेहत के लिए कितना हानिकारक हो सकता है और क्यों? साथ ही ये भी जानेंगे कि रात का खाना खाने का सही समय क्या है?
देर से डिनर के स्वास्थ्य पर प्रभाव
रात में देर से डिनर करने से मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, क्योंकि शरीर रात को आराम करता है। देर से खाया गया भोजन कैलोरी के रूप में जमा होने लगता है, जिससे मोटापा बढ़ता है। यह इंसुलिन सेंसिटिविटी को भी प्रभावित करता है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा, देर रात भारी भोजन करने से पाचन तंत्र पर दबाव पड़ता है, जिससे एसिड रिफ्लक्स, गैस, और अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह नींद की गुणवत्ता को भी खराब करता है, जिससे थकान और तनाव बढ़ता है।
हृदय स्वास्थ्य पर असर
देर रात डिनर करने से हृदय स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। रात में भारी या तला-भुना खाना खाने से बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ सकता है, जो हृदय रोग का कारण बनता है। नींद की कमी और तनाव के कारण कॉर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, जो रक्तचाप और हृदय की समस्याओं को बढ़ावा देता है। इसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है, देर रात खाने से नींद में खलल पड़ता है, जिससे चिड़चिड़ापन, चिंता, और एकाग्रता में कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
डिनर का सही समय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, डिनर को सोने से कम से कम 2-3 घंटे पहले, यानी रात 7 से 8 बजे के बीच करना चाहिए। इससे भोजन को पचने का पर्याप्त समय मिलता है। डिनर में हल्का और संतुलित आहार लें, जैसे सूप, सब्जियां, दाल, और साबुत अनाज।
सावधानियां
तला-भुना, मसालेदार या ज्यादा मीठा भोजन रात में खाने से बचें। खाने के बाद 10-15 मिनट थोड़ी देर जरूर टहलें, जिससे आपका पाचन और बेहतर बन जाता है। रात में कम से कम 7-8 घंटे की नींद जरूर लें।
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हरेला पर्व पर वृक्षारोपण को लेकर हुई चर्चा
देहरादून। सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी से उनके कार्यालय में 127 इन्फैंट्री बटालियन (टीए) इको गढ़वाल राइफल्स के कमान अधिकारी कर्नल प्रतुल थपलियाल ने शिष्टाचार भेंट की। भेंट के दौरान सैनिक कल्याण मंत्री जोशी ने आगामी हरेला पर्व के अवसर पर इको गढ़वाल राइफल्स से वृहद स्तर पर वृक्षारोपण अभियान चलाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की पारंपरिक संस्कृति और प्रकृति संरक्षण की भावना के अनुरूप यह पर्व हमारे लिए पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी निभाने का अवसर है।
कर्नल प्रतुल थपलियाल ने मंत्री को हरेला पर्व पर कार्यक्रम आहूत करने की सहमति करते हुए आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित होने का आमंत्रण भी दिया। साथ ही उन्होंने अवगत कराया कि इकाई की स्थापना के बाद से अब तक 127 इन्फैंट्री बटालियन (टीए) इको गढ़वाल राइफल्स द्वारा कुल 1.98 करोड़ पौधे लगाए जा चुके हैं, जिससे 23,101 हेक्टेयर भूमि पर हरियाली फैलाई गई है।
कमान अधिकारी ने वर्ष 2023 में टीए को उद्यान विभाग के माध्यम से दो बोलेरो पिकअप और दस हीरो होंडा मोटरसाइकिल प्रदान किए जाने पर आभार व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने दूरदराज के क्षेत्रों में बेहतर कार्य संपादन हेतु सीएसआर के तहत दो महिंद्रा बोलेरो पिकअप उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।
सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने इकाई के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण और राष्ट्रीय सेवा के इस समर्पण को राज्य सरकार पूर्ण समर्थन देगी। उन्होंने कमान अधिकारी को आश्वस्त किया कि आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
राहत-बचाव टीमें तैनात, मुख्यमंत्री माणिक साहा ने दिए तत्काल सहायता के निर्देश
जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर, जिले के सभी स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र बंद
त्रिपुरा। दक्षिण त्रिपुरा जिले में मूसलाधार बारिश के चलते बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। मंगलवार रात से जारी तेज बारिश के कारण बेलोनिया और शांतिरबाजार सबडिवीजन के निचले इलाकों में पानी भर गया, जिससे 100 से ज्यादा परिवारों को अपना घर छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है।
प्रशासन की ओर से मिली जानकारी के अनुसार अब तक 118 परिवारों के करीब 289 लोग 10 अस्थायी राहत केंद्रों में भेजे जा चुके हैं। वहीं, मुहुरी नदी का जलस्तर 15.70 मीटर से ऊपर बह रहा है, जो खतरे के निशान से ऊपर है।
बेलोनिया और शांतिरबाजार क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित
बेलोनिया और शांतिरबाजार क्षेत्र के कई हिस्सों में पानी घरों में घुस गया है, जिससे सामान्य जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। हालात को देखते हुए जिले के सभी स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्रों को आज के लिए बंद कर दिया गया है।
जिलाधिकारी ने दी सतर्कता की सलाह
दक्षिण त्रिपुरा के जिलाधिकारी मोहम्मद सज्जाद ने बताया कि लगातार बारिश से हालात गंभीर हो गए थे, हालांकि अब वर्षा की तीव्रता थोड़ी कम हुई है। इसके बावजूद प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने और ऊंचे स्थानों पर जाने की अपील की है।
राहत और बचाव कार्य तेज, मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश
प्रभावित इलाकों में आपदा प्रबंधन और राहत टीमें तैनात कर दी गई हैं। जिलाधिकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री माणिक साहा लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और उन्होंने सभी प्रभावितों को तत्काल राहत पहुंचाने के निर्देश दिए हैं।
मौसम विभाग का अलर्ट जारी
मौसम विभाग ने दक्षिण त्रिपुरा के लिए ऑरेंज अलर्ट और गोमती व सिपाहीजाला जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। अगले 24 घंटे में मध्यम से भारी बारिश की संभावना है, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं।
जनता से अपील: अफवाहों से बचें, प्रशासन के संपर्क में रहें
स्थानीय प्रशासन ने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने, प्रशासन के निर्देशों का पालन करने और किसी भी आपात स्थिति में हेल्पलाइन नंबरों से संपर्क करने की अपील की है।
वेब सीरीज प्रेमियों के लिए एक अहम अपडेट सामने आया है। चर्चित थ्रिलर सीरीज ‘स्पेशल ऑप्स 2’ अब अपनी तय तारीख पर रिलीज नहीं होगी। अभिनेता केके मेनन ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो साझा करते हुए यह जानकारी दी है कि रिलीज डेट को आगे बढ़ा दिया गया है। उन्होंने बताया कि कुछ तकनीकी कारणों की वजह से ये फैसला लिया गया है।
अब किस दिन आएगी ‘स्पेशल ऑप्स 2’?
वीडियो में केके मेनन कहते हैं, “अब ‘स्पेशल ऑप्स 2’ 11 जुलाई की बजाय 18 जुलाई को रिलीज होगी। कुछ स्थितियां हमारे नियंत्रण में नहीं होतीं, इसलिए हमें यह बदलाव करना पड़ा। लेकिन खुशखबरी यह है कि दर्शकों को सारे एपिसोड एक साथ देखने को मिलेंगे।” यह बहुप्रतीक्षित सीरीज जीयोहॉटस्टार पर स्ट्रीम की जाएगी।
एक्शन और थ्रिल से भरपूर कहानी
‘स्पेशल ऑप्स 2’ में एक बार फिर स्पेशल एजेंट हिम्मत सिंह अपनी टीम के साथ आतंकवादियों के नेटवर्क को ध्वस्त करने निकलता है। इस बार मिशन इंटरनेशनल स्तर का है, जो रोमांच और खतरे से भरपूर होगा। सीरीज के निर्देशक नीरज पांडे हैं, जो पहले सीजन से ही इस प्रोजेक्ट से जुड़े हैं।
नए चेहरों के साथ दमदार कास्टिंग
केके मेनन के साथ इस बार साउथ के दिग्गज अभिनेता प्रकाश राज भी नजर आएंगे। इसके अलावा करण टैकर और फारुक अली भी स्पेशल एजेंट्स की भूमिका में दिखाई देंगे। बता दें कि ‘स्पेशल ऑप्स’ का पहला सीजन दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय रहा था और अब करीब 5 साल बाद इसका दूसरा सीजन आ रहा है।
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2007 में खरीदी गई भूमि 2020 में दोबारा बेची गई, जांच के बाद रिकॉर्ड में हुई दुरुस्ती
देहरादून। जिलाधिकारी सविन बंसल ने भूमि फर्जीवाड़ा के एक गंभीर मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए यह साफ कर दिया है कि प्रशासन अब इस प्रकार के मामलों में कोई ढिलाई नहीं बरतेगा। शास्त्रीनगर तपोवन निवासी पुलमा देवी की शिकायत पर त्वरित जांच के बाद जिला प्रशासन ने पीड़िता के पक्ष में भूमि का नामांतरण कराकर न्याय दिलाया है।
2007 में खरीदी थी भूमि, 2020 में दोबारा बेची गई
फुलसनी गांव में वर्ष 2007 में पुलमा देवी द्वारा खरीदी गई आवासीय भूमि (जो टिहरी विस्थापितों के लिए आवंटित की गई थी) को वर्ष 2020 में पूर्व भूमि स्वामी ने दोबारा किसी अन्य को बेच दिया। यह मामला जून माह के द्वितीय जनता दर्शन कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी के संज्ञान में आया, जिस पर तुरंत संज्ञान लेते हुए डीएम ने जांच के आदेश दिए।
2019 में की गई पुनः भूमिधरी को निरस्त किया गया
जांच में पाया गया कि चन्दरू पुत्र अमरू ने पहले 2007 में भूमि विक्रय कर दी थी, लेकिन 2019 में पुनर्वास विभाग को गुमराह कर उसी भूमि पर दोबारा भूमिधरी हासिल कर ली। इस घोर लापरवाही पर डीएम ने अवस्थापना (पुनर्वास) खंड ऋषिकेश को फटकार लगाई। विभाग ने 07 जुलाई को तहसील विकासनगर को पत्र भेजकर 2019 की भूमिधरी को निरस्त करने तथा अभिलेखों में दुरुस्तीकरण करने का निर्देश दिया, जिसे तहसील प्रशासन ने तत्परता से पूरा किया।
जांच में खुलासा: विभागीय लापरवाही से हुआ फर्जीवाड़ा
डीएम की जांच में सामने आया कि चन्दरू ने 2007 में भूमि बेचने के बावजूद 2019 में पुनर्वास विभाग से भूमिधरी दोबारा प्राप्त कर ली। वरिष्ठ प्रबंधक (पुनर्वास), टिहरी बांध परियोजना ने भी इस बात की पुष्टि की कि तथ्यों को छिपाते हुए गलत तरीके से भूमिधरी हासिल की गई थी।
डीएम का सख्त संदेश – दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा
जिलाधिकारी ने अधीक्षण अभियंता (टिहरी बांध पुनर्वास) का वाहन जब्त करने और उन्हें विवरण सहित तलब करने के निर्देश दिए। मामले की गंभीरता को देखते हुए विस्तृत क्रिमिनल जांच के लिए एसडीएम मुख्यालय अपूर्वा को जांच अधिकारी नामित किया गया है।
प्रशासन का स्पष्ट रुख – न्याय तक नहीं रुकेगी कार्रवाई
डीएम सविन बंसल ने स्पष्ट किया कि जब तक पुलमा देवी को पूरी तरह न्याय नहीं मिल जाता, तब तक प्रशासन इस मामले में कार्रवाई जारी रखेगा। उन्होंने पुनर्वास परियोजना में हो रही अनियमितताओं पर भी सख्त चेतावनी दी है। यह प्रकरण अब जिले में पारदर्शिता और न्याय की दिशा में एक सख्त उदाहरण बन गया है।
अनामिका, मैत्री व क्रियांश ने साउथ एशियन कराटे चैंपियनशिप में जीते पदक
देहरादून/ नई दिल्ली। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में राज्य के तीन होनहार कराटे चैंपियंस को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सम्मानित किए जा रहे सभी प्रतिभाशाली खिलाड़ी राज्य के उज्ज्वल भविष्य की नींव हैं। उन्होंने कहा, इन खिलाडियों ने अपनी खेल प्रतिभा से अपने माता-पिता के साथ ही उत्तराखंड का मान भी बढ़ाया है। तीनों खिलाड़ियों अनामिका, मैत्री व क्रियांश ने 5-6 जुलाई 2025 को कोलंबो, श्रीलंका में आयोजित 9वीं साउथ एशियन कराटे चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए रजत, कांस्य व कांस्य पदक जीते है, मुख्यमंत्री ने इन खिलाडियों के उज्जवल भविष्य की कामना की तथा भविष्य के आयोजनों में सफलता के लिये शुभकामनाये भी दी।
इन खिलाड़ियों का चयन कराटे इंडिया ऑर्गेनाइजेशन द्वारा देहरादून में आयोजित राष्ट्रीय कराटे चैंपियनशिप में उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर किया गया था। जिसमें अनामिका बिष्ट, पुत्री हरीश बिष्ट, जिला चंपावत – रजत पदक, मैत्री बलूनी, पुत्री कैलाश बलूनी, डोईवाला, जिला देहरादून – कांस्य पदक तथा क्रियांश कौशिक, पुत्र सुमंता शर्मा, जिला देहरादून – कांस्य पदक प्राप्त किया गया है।
हिमाचल में अतिवृष्टि से उत्पन्न स्थितियों से निपटने के तौर-तरीकों का अध्ययन करेगा विशेषज्ञ दल
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सचिव आपदा प्रबंधन को दिए निर्देश
एसईओसी पहुंचे मुख्य सचिव, मौसम तथा मानसून की ली जानकारी
देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का एक विशेषज्ञ दल हिमाचल प्रदेश में अतिवृष्टि के चलते उत्पन्न स्थितियों तथा इन हालातों से निपटने के लिए हिमाचल में शासन-प्रशासन द्वारा किए जा रहे कार्यों को देखने तथा उनका अध्ययन करने के लिए जाएगा। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन को इसके निर्देश दिए हैं।
उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में प्रदेश में वर्षा से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा कि उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश न सिर्फ पड़ोसी राज्य हैं, बल्कि दोनों प्रदेशों की भौगोलिक परिस्थितियां भी एक जैसी हैं। इस वर्ष हिमाचल प्रदेश में बारिश से काफी नुकसान हुआ है। इन स्थितियों से निपटने के लिए हिमाचल प्रदेश में किस प्रकार आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में कार्य किया जा रहा है, शासन-प्रशासन द्वारा किस तरह इन स्थितियों में प्रतिक्रिया की जा रही है, इसे जानने और समझने की आवश्यकता है ताकि अगर ऐसे ही हालात उत्तराखण्ड में भी उत्पन्न हों तो हिमाचल के अनुभवों के आधार पर एक प्रभावी रणनीति बनाई जा सके।
मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन ने राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचकर प्रदेश में हो रही वर्षा से उत्पन्न स्थिति की जानकारी ली तथा आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने वर्तमान में प्रदेश में मानसून की स्थिति, आने वाले दिनों में मौसम का पूर्वानुमान, अब तक हुई बारिश तथा प्रदेश भर में भूस्खलन के चलते बंद सड़कों की समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिए कि बंद सड़कों को जल्द से जल्द खोलने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में सभी आवश्यक संसाधन तथा उपकरण तैनात किए जाएं। यह सुनिश्चित किया जाए की 15 मिनट के भीतर जेसीबी तथा अन्य सभी आवश्यक उपकरण घटनास्थल पर पहुंच जाए। उन्होंने ग्रामीण सड़कों को भी तत्परता के साथ खोलने के निर्देश दिए।
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने बताया कि देहरादून, नैनीताल तथा बागेश्वर में मौमस विभाग द्वारा ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। सात दिवसीय पूर्वानुमान के अनुसार सभी जनपदों में बुधवार से येलो अलर्ट है। उन्होंने बताया कि जून में सामान्य से कम बारिश हुई थी, जबकि जुलाई में सामान्य से अधिक वर्षा का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है। पूरे मानसून सीजन में सामान्य से 108 फीसदी अधिक वर्षा का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक प्रदेशभर में 317.1 मिमी बारिश हुई है। सबसे अधिक बागेश्वर में 765.5, चमोली में 428.2, रुद्रप्रयाग 388.8 तथा देहरादून 380.4 मिमी बारिश हो चुकी है।
इस अवसर पर सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो0 ओबैदुल्लाह अंसारी, ड्यूटी आफिसर उप सचिव आलोक कुमार, यूएसडीएमए के विशेषज्ञ मनीष भगत, रोहित कुमार, डॉ. पूजा राणा, डॉ, वेदिका पंत, हेमंत बिष्ट तथा सुश्री तंद्रीला सरकार आदि उपस्थित थे।
2853 परिवारों का पुनर्वास
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने बताया कि राज्य में वर्ष 2012 से वर्तमान में दिनांक 08.07.2025 तक प्राकृतिक आपदा से प्रभावित कुल 258 ग्रामों के 2853 परिवारों का पुनर्वास किया गया। विस्थापन हेतु कुल बजट प्राविधान रु0 20.00 करोड़ रुपये है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में आपदा प्रभावित ग्रामों के पुनर्वास/विस्थापन हेतु कुल बजट प्राविधान रूपये बीस करोड़ के सापेक्ष वर्तमान तक 24 ग्रामों के कुल 337 आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास/विस्थापन हेतु कुल रू0 12,16,70,300/- की धनराशि निर्गत की गयी है। उन्होंने बताया कि राज्य आपदा मोचन निधि तथा राज्य सेक्टर से कुल 175.50 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की जा चुकी है। राज्य आपदा मोचन निधि से जनपदों को कुल 165 करोड़ की धनराशि आवंटित की गई है।
सचेत ऐप, 112, 1070, 1077 हों सभी के फोन में
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा कि सचेत एप आपदाओं से बचाव की दिशा में काफी मददगार साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा ऐप है, जिसमें न सिर्फ मौसम तथा बारिश के एलर्ट प्राप्त होते हैं बल्कि आपदाओं से बचाव की भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने राज्य के सभी नागरिकों से इस एप को डाउनलोड करने की अपील की है। साथ ही उन्होंने सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन को ईआरएसस 112, 1070, 1077 का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ये तीन नंबर सभी लोगों के फोन में होने चाहिए ताकि आपदा के समय या किसी मुश्किल घड़ी में लोग इन नम्बरों पर कॉल कर मदद मांग सकें।
तहसील स्तर पर व्हाट्सएप ग्रुप बनाने के निर्देश
मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन ने कहा कि आम जनता तक मौसम संबंधी विभिन्न प्रकार की चेतावनियों तथा अन्य जानकारियों को कम से कम समय में पहुंचाया जाए, ताकि लोग समय रहते सुरक्षात्मक कदम उठा सकें। उन्होंने कहा कि विभिन्न अलर्ट जारी करने वाले एजेंसियों से जो भी अलर्ट मिलते हैं, वह एसईओसी तथा डीईओसी के माध्यम से 15 मिनट के भीतर लोगों तक पहुंच जाएं। उन्होंने कहा कि सूचनाओं तथा चेतावनियों के आदान-प्रदान में बिलकुल भी विलंब नहीं होना चाहिए। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति तक अलर्ट तथा अन्य सूचनाओं को पहुंचाने के लिए तहसील स्तर पर व्हाट्सएप ग्रुप बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि रियल टाइम सूचनाओं का आदान-प्रदान कुशल तथा प्रभावी आपदा प्रबंधन के लिए बेहद जरूरी है। इस अवसर पर उन्होंने एसईओसी में विभिन्न विभागों के वायरलेस सेटों, सेटेलाइट फोन की सक्रियता भी परखी।
एसईओसी की अपनी एसओपी बनेगी
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने राज्य तथा जनपद आपातकालीन परिचालन केंद्र की अपनी स्वयं की एसओपी बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कंट्रोल रूम में किस अधिकारी/कर्मचारी की क्या भूमिका तथा दायित्व हैं, इसमें किसी भी प्रकार भ्रम की स्थिति नहीं रहनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कंट्रोल रूम की भी मॉक ड्रिल कराने के निर्देश दिए।
72 घंटे में दी जाए अहेतुक सहायता
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने आपदा प्रभावितों को अहेतुक सहायता वितरित करने में विलंब न करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रभावित को हर हाल में 72 घंटे के भीतर अहेतुक सहायता उपलब्ध करा दी जाए। साथ ही उन्होंने आपदा में क्षतिग्रस्त संपत्ति के नुकसान का सर्वे भी शीघ्रता से करने के निर्देश दिए ताकि प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द सहायता मिल जाए और वह दोबारा सामान्य जीवन की ओर अग्रसर हो सकें।
अभी तक यातायात हेतु 30 सड़कें खोली गई
देहरादून। राज्य में मानसून सीजन 2025-26 में बरसात एवं भूस्खलन के कारण 154 सड़कें अवरुद्ध हैं इनमें से 30 सड़कें यातायात हेतु खोली जा चुकी हैं जबकि अन्य 124 सड़कों को खोलने का कार्य युद्धस्तर पर जारी है।
उक्त जानकारी देते हुए प्रदेश के लोकनिर्माण मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि राज्य में मानसून सीजन में अत्यधिक बरसात एवं भूस्खलन के कारण प्रदेश के विभिन्न जनपदों में लोनिवि की 67 सड़कें बंद थी जिनमें से 12 को खोल दिया गया है और 55 सड़कों को खोलने का काम चल रहा है। इसी प्रकार राज्य में एनएच की 02, बीआरओ की 01, एनएचआईडीसीएल की 01 सड़क बंद है। जबकि पीएमजीएसवाई की 83 सड़कों में से 16 सड़कों को खोल दिया गया है। प्रदेश की अवरुद्ध 154 सड़कों में से 30 सड़कों को यातायात हेतु खोल दिया गया है। जबकि अन्य 124 सड़कों को खोलने के लिए 644 मशीनें युद्धस्तर पर कार्य कर रही हैं।
लोनिवि मंत्री महाराज ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मानसून के दौरान सभी अपने-अपने फोन एवं मोबाइल अवश्य उठायें ताकि मार्ग अवरुद्ध होने की सटीक जानकारी लोगों को समय से प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि यात्रियों की परेशानियों को देखते हुए सड़कों को खोलने में बिल्कुल भी कोताही नहीं होनी चाहिए। मानसून के दौरान यदि कोई सड़क बंद होती है तो उसकी पूर्व सूचना यात्रियों को पहले ही उनके पूर्ववर्ती स्टेशन पर मिल जानी चाहिए और उनसे वैकल्पिक मार्गों की भी जानकारी साझा करनी चाहिए ताकि वह अपने गंतव्य तक आसानी से पहुंच सकें।