उत्तराखंड की धामी सरकार ने राज्य में बिना पंजीकरण के चल रहे मदरसों पर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। देहरादून के विकासनगर और सहसपुर में प्रशासन ने बुधवार को 12 और मदरसों को सील कर दिया। इससे पहले 19 मदरसों पर कार्रवाई की जा चुकी थी, जिससे अब तक कुल 31 अपंजीकृत मदरसों को बंद किया जा चुका है। प्रशासन ने साफ किया है कि बिना पंजीकरण के संचालित किसी भी शैक्षणिक संस्थान को अनुमति नहीं दी जाएगी।
मुख्य बिंदु:
. अब तक 31 अपंजीकृत मदरसों पर कार्रवाई
. शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता
. स्थानीय विरोध के बावजूद कार्रवाई जारी
. मुख्यमंत्री ने कहा – बच्चों के भविष्य के साथ समझौता नहीं
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह कदम राज्य में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए जरूरी है। प्रशासन ने बताया कि सभी शैक्षणिक संस्थानों का सत्यापन किया जा रहा है और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर इसी तरह की कार्रवाई जारी रहेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को देहरादून से नैनीताल, बागेश्वर, मसूरी और हल्द्वानी से बागेश्वर के लिए चार नई हेली सेवाओं का शुभारंभ किया। इन सेवाओं से राज्य में हवाई संपर्क बेहतर होगा और पर्यटन व आर्थिक विकास को गति मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उड़ान योजना के तहत शुरू हुई इन सेवाओं से स्थानीय लोगों को आवागमन में सुविधा मिलेगी और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। वर्तमान में सड़क मार्ग से देहरादून से इन स्थानों तक पहुंचने में 8-10 घंटे लगते हैं, लेकिन हेली सेवा से यह यात्रा केवल 1 घंटे में पूरी की जा सकेगी।
मुख्य हेली सेवा रूट और किराया:
1. देहरादून – नैनीताल
. किराया: ₹4500 प्रति यात्री
. उड़ान समय: सुबह 8:15 बजे और दोपहर 2:25 बजे
2. देहरादून – बागेश्वर
. किराया: ₹4000 प्रति यात्री
. उड़ान समय: सुबह 10:20 बजे और दोपहर 12:30 बजे
3. हल्द्वानी – बागेश्वर
. किराया: ₹3500 प्रति यात्री
. उड़ान समय: सुबह 8:30 बजे और दोपहर 2:45 बजे
4. देहरादून – मसूरी
. किराया: ₹2578 प्रति यात्री
. उड़ान समय: दिन में एक बार
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में हवाई संपर्क को मजबूत करने के लिए 18 हेलीपोर्ट्स पर काम किया जा रहा है, जिनमें से 12 हेलीपोर्ट्स पर सेवाएं शुरू हो चुकी हैं। हेली सेवाओं से पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही आपातकालीन स्थितियों में भी लोगों को मदद मिलेगी।
उत्तराखंड को डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए प्रमुख स्थल के रूप में विकसित करने के लिए सरकार ने ठोस कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में नए वेडिंग डेस्टिनेशन की पहचान करने और उनके विकास के लिए पर्यटन विभाग को जल्द से जल्द गाइडलाइन तैयार करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही त्रियुगीनारायण जैसे लोकप्रिय वेडिंग डेस्टिनेशन को बेहतर सड़क संपर्क और हेलीपैड की सुविधा से जोड़ने के आदेश भी दिए गए हैं।
डेस्टिनेशन वेडिंग को मिलेगी नई दिशा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को सचिवालय में डेस्टिनेशन वेडिंग को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देशवासियों से उत्तराखंड को डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए प्राथमिकता देने का आग्रह किया है। उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण इसे वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने के लिए उपयुक्त बनाते हैं। मुख्यमंत्री ने पर्यटन विभाग को इस दिशा में तेजी से कार्य करने और अवस्थापना सुविधाओं के विकास पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं।
त्रियुगीनारायण बनेगा वेडिंग हब
मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से त्रियुगीनारायण को वेडिंग हब के रूप में विकसित करने की बात कही। यहां बेहतर सड़क संपर्क और हेलीपैड निर्माण की योजना बनाई जा रही है ताकि देश-विदेश से आने वाले मेहमानों को आसानी से यहां पहुंचने की सुविधा मिले। त्रियुगीनारायण को पहले से ही एक प्रसिद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल के रूप में जाना जाता है। अब इसे एक प्रमुख डेस्टिनेशन वेडिंग स्थल के रूप में स्थापित करने की तैयारी है।
नई वेडिंग डेस्टिनेशन की होगी पहचान
मुख्यमंत्री ने पर्यटन विभाग को राज्य के विभिन्न हिस्सों में नए वेडिंग डेस्टिनेशन की पहचान करने और उनके विकास की योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इन स्थानों को सभी आवश्यक सुविधाओं से लैस किया जाएगा ताकि यहां शादी समारोहों के आयोजन के लिए उपयुक्त माहौल तैयार हो सके।
डेस्टिनेशन वेडिंग से मजबूत होगी अर्थव्यवस्था
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में डेस्टिनेशन वेडिंग को बढ़ावा देने से राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इससे पर्यटन, होटल व्यवसाय, कैटरिंग और परिवहन जैसे क्षेत्रों को सीधा लाभ होगा। उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और आधुनिक सुविधाओं का संयोजन इसे देश-विदेश के जोड़ों के लिए एक आदर्श वेडिंग डेस्टिनेशन बनाएगा।
धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद का गठन जल्द
चारधाम यात्रा और अन्य धार्मिक आयोजनों के बेहतर प्रबंधन के लिए उत्तराखंड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद के गठन की प्रक्रिया भी तेज कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इस संबंध में आवश्यक औपचारिकताएं जल्द पूरी करने के निर्देश दिए हैं। यह परिषद पर्यटन विभाग के अंतर्गत काम करेगी और इसके प्रारूप को अंतिम रूप देने के बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा।
बैठक में शामिल हुए वरिष्ठ अधिकारी
इस बैठक में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद विश्वास डाबर, अपर मुख्य सचिव आनंदबद्र्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगौली, सचिन कुर्वे, अपर पुलिस महानिदेशक वी. मुरुगेशन, गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय और गढ़वाल आईजी राजीव स्वरूप सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड को डेस्टिनेशन वेडिंग के रूप में विकसित करने की यह पहल न केवल राज्य के पर्यटन को नई दिशा देगी, बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ाएगी।
देहरादून एयरपोर्ट पर उड़ानों की संख्या बढ़ाने के लिए एयर स्पेस का विस्तार किया जाएगा। वर्तमान में एयरपोर्ट के पास पांच नॉटिकल मील (करीब 9.26 किमी) लंबा और 7500 फीट ऊंचा एयर स्पेस है, जिसमें प्रति घंटे केवल सात विमानों की लैंडिंग संभव है। एयर स्पेस बढ़ने पर प्रति घंटे 12 विमानों की लैंडिंग की सुविधा मिल सकेगी। इस मुद्दे को हाल ही में सलाहकार समिति की बैठक में उठाया गया, जहां एयरपोर्ट निदेशक ने इस पर विस्तार से चर्चा की। अब समिति इस प्रस्ताव को भारत सरकार के समक्ष पेश करेगी।
एयर स्पेस बढ़ने से मिलेगी सुविधा
देहरादून एयरपोर्ट का एयर स्पेस वायु सेना द्वारा नियंत्रित किया जाता है। यदि वायु सेना से अधिक एयर स्पेस की अनुमति मिलती है, तो एयरपोर्ट की रनवे क्षमता में वृद्धि होगी। इससे अधिक विमानों की लैंडिंग और उड़ानें संभव होंगी, जिससे हवाई यातायात प्रबंधन भी सुगम होगा। नए टर्मिनल के बनने के बाद एयरपोर्ट की कुल जगह बढ़कर 42,776 वर्ग मीटर हो गई है और इसकी वार्षिक क्षमता 50 लाख यात्रियों तक पहुंच गई है। लेकिन सीमित एयर स्पेस के कारण प्रति घंटे अधिक विमानों की लैंडिंग में दिक्कत हो रही है।
एयर स्पेस का महत्व
एयर स्पेस वह क्षेत्र होता है, जहां एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) विमानों की आवाजाही को नियंत्रित करता है। छोटे एयर स्पेस में सीमित संख्या में विमानों को नियंत्रित किया जा सकता है, जबकि बड़े एयर स्पेस में अधिक विमानों का संचालन सुचारू रूप से किया जा सकता है। सीमित एयर स्पेस होने के कारण विमानों को लैंडिंग के लिए इंतजार करना पड़ता है और कई बार उन्हें आसमान में चक्कर लगाने पड़ते हैं।
तीन प्रमुख समस्याएं
देहरादून एयरपोर्ट को फिलहाल तीन प्रमुख समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है:
1. एयर स्पेस की कमी – सीमित एयर स्पेस के कारण अधिक विमानों की लैंडिंग में समस्या हो रही है।
2. रनवे विस्तार के लिए भूमि की आवश्यकता – एयरपोर्ट को रनवे विस्तार और अन्य सुविधाओं के लिए 140.5 एकड़ भूमि की जरूरत है।
3.वन्य जीवों की गतिविधि – एयरपोर्ट के आसपास वन्य जीवों की आवाजाही से उड़ानों के संचालन में बाधा आ रही है।
उड़ानों की संख्या में होगा इजाफा
वर्तमान में देहरादून एयरपोर्ट पर सुबह 7:30 बजे से शाम 7:15 बजे तक प्रतिदिन 18 से 20 फ्लाइट्स का संचालन हो रहा है। एयर स्पेस बढ़ने के बाद यह संख्या बढ़कर प्रति घंटे 12 उड़ानों तक हो सकती है। इससे देहरादून एयरपोर्ट पर हवाई यातायात प्रबंधन बेहतर होगा और यात्रियों को अधिक सुविधाएं मिलेंगी।
सरकार से मंजूरी का इंतजार
एयर स्पेस विस्तार का प्रस्ताव अब भारत सरकार के समक्ष पेश किया जाएगा। मंजूरी मिलने के बाद देहरादून एयरपोर्ट पर प्रति घंटे अधिक विमानों की लैंडिंग संभव होगी, जिससे यात्रियों को कम प्रतीक्षा समय और अधिक सुविधाएं मिलेंगी।
उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में फिर से मौसम बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। ऊंचाई वाले इलाकों में बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई गई है, जबकि मैदानी जिलों में चटक धूप खिलने से तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी।
मौसम विभाग का पूर्वानुमान
मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ जिले के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश हो सकती है। हालांकि, अन्य जिलों में मौसम शुष्क बना रहेगा। आगामी दिनों में, 13 से 15 मार्च के बीच 3500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बारिश और बर्फबारी की संभावना है।
पश्चिमी विक्षोभ होगा सक्रिय
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ के फिर से सक्रिय होने की संभावना है। इसका प्रभाव मुख्य रूप से पर्वतीय इलाकों में दिखाई देगा, जहां बर्फबारी और बारिश के आसार हैं। हालांकि, मैदानी इलाकों में इस बदलाव का ज्यादा असर देखने को नहीं मिलेगा।
तापमान में बदलाव की उम्मीद
मैदानी इलाकों में दिनभर धूप खिलने से तापमान में 2 से 4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोतरी संभव है।
पर्वतीय क्षेत्रों में ठंड बरकरार रहने की संभावना है, खासकर ऊंचाई वाले इलाकों में जहां बर्फबारी हो सकती है।
रात के तापमान में गिरावट से ठिठुरन बनी रह सकती है।
यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए अलर्ट
मौसम विभाग ने यात्रियों और स्थानीय लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। खासतौर पर चारधाम यात्रा मार्ग और ऊंचाई वाले पर्यटन स्थलों पर जाने वाले लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत होगी। उत्तराखंड में फिर से मौसम करवट बदल सकता है। जहां पर्वतीय इलाकों में बरसात और बर्फबारी की संभावना बनी हुई है, वहीं मैदानी इलाकों में गर्म मौसम का असर दिखाई देगा। इस दौरान, यात्रा करने वालों और स्थानीय निवासियों को मौसम के बदलाव को ध्यान में रखते हुए योजना बनानी चाहिए।
उत्तराखंड में विधायक निधि खर्च को लेकर आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार, 2022-23 से दिसंबर 2024 तक 70 विधायकों को 964 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिसमें से 61% (589.21 करोड़ रुपये) खर्च हुए।
कैबिनेट मंत्रियों में कौन आगे, कौन पीछे?
कैबिनेट मंत्रियों में सौरभ बहुगुणा (सितारगंज) ने 85% निधि खर्च कर शीर्ष स्थान हासिल किया। उनके बाद गणेश जोशी (72%), रेखा आर्य (64%), सुबोध उनियाल (57%) और सतपाल महाराज (56%) का स्थान रहा। हालांकि, कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल (33%) और डॉ. धन सिंह रावत (29%) निधि खर्च में सबसे पीछे रहे, जिन्हें अधिक सक्रियता दिखाने की जरूरत है।
विधायकों में प्रदीप बत्रा सबसे आगे, किशोर उपाध्याय सबसे पीछे
विधायकों में प्रदीप बत्रा (रुड़की) ने 90% निधि खर्च कर पहला स्थान प्राप्त किया, जबकि किशोर उपाध्याय (टिहरी) सिर्फ 15% निधि खर्च कर सबसे पीछे रहे।
61% से कम खर्च करने वाले प्रमुख विधायक
बंशीधर भगत (कालाढूंगी) – 43%
भरत सिंह चौधरी (रुद्रप्रयाग) – 43%
किशोर उपाध्याय (टिहरी) – 15%
सुमित ह्रदयेश (हल्द्वानी) – 46%
यशपाल आर्य (बाजपुर) – 45%
उत्तराखंड में विधायक निधि खर्च में बड़े अंतर देखने को मिले हैं। जहां कुछ मंत्री और विधायक 85-90% तक निधि खर्च कर चुके हैं, वहीं कई 50% से भी कम खर्च कर पाए हैं। यह आंकड़े जनप्रतिनिधियों की सक्रियता पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
उत्तराखंड में पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को अब ऋषिकेश एम्स में कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी। यह सुविधा एक्स-सर्विसमैन कॉन्ट्रिब्यूटरी हेल्थ स्कीम (ECHS) के तहत प्रदान की जाएगी।
एमओयू पर हुआ हस्ताक्षर
अब तक पूर्व सैनिकों को ऋषिकेश एम्स में कैशलेस इलाज की सुविधा नहीं मिलती थी, जिससे उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। इस समस्या को हल करने के लिए ईसीएचएस देहरादून और ऋषिकेश एम्स के बीच एक समझौता (MoU) हुआ है। इस पर उत्तराखंड सब एरिया के जीओसी मेजर जनरल प्रेम राज और एम्स ऋषिकेश के कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ ने हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को भी लाभ मिलेगा। ईसीएचएस निदेशक ने इसे पूर्व सैनिकों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल बताया है।
दून अस्पताल में एक क्लिक पर मिलेगा मरीजों का डिजिटल रिकॉर्ड
देहरादून मेडिकल कॉलेज में ‘ई-हॉस्पिटल’ सॉफ्टवेयर का नया वर्जन ‘नेक्स्ट जेन’ शुरू किया गया है, जिससे अस्पताल की व्यवस्थाएं पहले से अधिक सुचारु हो जाएंगी।
नई सुविधाएं
. मरीज के पर्चे पर डॉक्टर का नाम और ओपीडी-डे पहले से दर्ज होगा।
. डॉक्टर का लोकेशन भी दर्ज होगा, जिससे मरीजों को सही जानकारी मिलेगी।
. अब कोई डॉक्टर दूसरे डॉक्टर की आईडी से मरीज को भर्ती नहीं कर सकेगा।
. इससे यह भी पता चलेगा कि किस डॉक्टर ने कितने मरीज देखे और कितनों को भर्ती किया।
. ओटी मॉड्यूल शुरू हो गया है, जिससे ऑपरेशन से जुड़ा पूरा रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा।
. जल्द ही फार्मेसी और भंडारण मॉड्यूल भी जोड़ा जाएगा, जिससे दवाओं का रिकॉर्ड ऑनलाइन रखा जा सकेगा।
हालांकि, शुक्रवार को सॉफ्टवेयर बार-बार हैंग होने के कारण ओपीडी, इमरजेंसी और भर्ती प्रक्रियाओं में परेशानी आई। अधिकारियों के मुताबिक, समस्या जल्द ही ठीक कर ली जाएगी।
उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी का कार्यकाल 31 मार्च को समाप्त हो रहा है, जिसके बाद नए मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। दो बार छह-छह महीने का सेवा विस्तार मिलने के बाद अब उनके कार्यकाल के आगे बढ़ने की संभावना कम मानी जा रही है।
मुख्य सचिव पद की रेस में कौन-कौन?
मुख्य सचिव बनने के लिए 30 वर्ष की सेवा अवधि अनिवार्य होती है। इस मानदंड को पूरा करने वाले 1992 बैच के आईएएस अधिकारी आनंदबर्धन सबसे वरिष्ठ उम्मीदवार हैं। हाल ही में केंद्र में सचिव पद के लिए इम्पैनलमेंट होने के बावजूद उन्होंने राज्य में ही सेवाएं देने की इच्छा जताई है। अन्य संभावित नामों में 1997 बैच के प्रमुख सचिव एल. फैनई और प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री आर.के. सुधांशु शामिल हैं। हालांकि, ये दोनों अधिकारी अभी अपर मुख्य सचिव पद के लिए पात्र हो रहे हैं, इसलिए सरकार के पास विकल्प सीमित हैं।
राधा रतूड़ी के भविष्य की योजना
मुख्य सचिव पद से हटने के बाद राधा रतूड़ी ने मुख्य सूचना आयुक्त के लिए आवेदन किया है, जिससे यह साफ है कि वह सेवा विस्तार की इच्छुक नहीं हैं।
जल्द होगा नाम का खुलासा
सरकार अगले कुछ दिनों में नए मुख्य सचिव के नाम की घोषणा कर सकती है। उत्तराखंड प्रशासन के इस महत्वपूर्ण पद पर कौन नियुक्त होगा, इसका फैसला मार्च के अंत तक हो सकता है।
धारचूला: तवाघाट-लिपुलेख मोटर मार्ग पर ग्लेशियर खिसकने से एक लोडर मशीन बर्फ में दब गई। गनीमत रही कि चालक ने समय रहते मशीन छोड़ दी, जिससे बड़ा हादसा टल गया। हालांकि, मार्ग अब भी कई जगह बाधित है और इसके खुलने में दो से तीन दिन का समय लग सकता है।
हिमपात के चलते बाधित हुआ मार्ग
हाल ही में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हुई, जिसके कारण तवाघाट-लिपुलेख मोटर मार्ग कई स्थानों पर अवरुद्ध हो गया। मंगलवार शाम नपल्च्यू के पास, जब एक लोडर मशीन ऑपरेटर सड़क से बर्फ हटाने में जुटा था, तभी खांगला ग्लेशियर का एक हिस्सा अचानक टूटकर मशीन पर गिर पड़ा। संयोगवश, चालक ने ग्लेशियर को खिसकते देख लिया और समय रहते मशीन छोड़ दी, जिससे वह सुरक्षित बच गया। मशीन को भी कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। बुधवार को मशीन को बर्फ से बाहर निकाल लिया गया।
सड़क पर अब भी जमा हैं हिमखंड
साक्ष्य प्राइवेट लिमिटेड कंपनी इस समय नपल्च्यू से चाइना गेट तक सड़क के चौड़ीकरण और डामरीकरण का कार्य कर रही है, लेकिन भारी हिमपात के चलते यह कार्य प्रभावित हो रहा है। सीमा सड़क संगठन (BRO) के कर्मचारी चाइना गेट से आगे सीपी तक सड़क पर जमा हिमखंडों को हटाने में जुटे हैं। जल्द मार्ग खुलने की उम्मीद जताई गई है, लेकिन अगर फिर से हिमपात होता है, तो इसमें और देरी हो सकती है। गुरुवार को उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौसम सामान्य बना रहा, जबकि निचले इलाकों में धूप खिली रही। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि मार्ग जल्द से जल्द सुचारू हो सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कार्यशैली और प्रदेश के विकास में उनकी भूमिका की सराहना की। हर्षिल में भाषण समाप्त होने के बाद, जैसे ही मुख्यमंत्री पीएम मोदी के पास पहुंचे, प्रधानमंत्री ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया और उनकी पीठ थपथपाकर प्रशंसा की।
सीएम धामी को छोटे भाई और ऊर्जावान नेता बताया
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में सीएम धामी को “छोटे भाई” और “ऊर्जावान मुख्यमंत्री” कहकर संबोधित किया। उन्होंने उत्तराखंड सरकार की ओर से लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों—जैसे समान नागरिक संहिता (UCC) और राष्ट्रीय खेलों के आयोजन की सराहना की।
शीतकालीन यात्रा को बताया अभिनव पहल
प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड सरकार द्वारा शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने के प्रयासों की जमकर तारीफ की। उन्होंने इसे राज्य के आर्थिक विकास से जोड़ते हुए अभिनव पहल बताया और इसके लिए सीएम धामी और उनकी सरकार को धन्यवाद दिया।
उत्तराखंड के विकास की प्रशंसा
पीएम मोदी ने कहा कि यह दशक उत्तराखंड का है, और राज्य सरकार बेहतरीन कार्य कर रही है। उन्होंने अपनी केदारनाथ यात्रा को याद करते हुए उत्तराखंड के तेजी से हो रहे विकास पर संतोष जताया।
जनसभा में दिखा जबरदस्त उत्साह
हर्षिल की जनसभा के दौरान “मोदी-मोदी” के नारों से माहौल गूंज उठा। प्रधानमंत्री ने कई बार मुस्कुराकर और हाथ जोड़कर जनता का अभिवादन किया। पारंपरिक परिधान और टोपी पहने पीएम मोदी ने अपने भाषण में स्थानीय आंचलिक शब्दों का भी उपयोग किया, जिससे जनता से उनका गहरा जुड़ाव झलका। प्रधानमंत्री की इस सराहना से साफ है कि मुख्यमंत्री धामी की नीतियों और उत्तराखंड सरकार की विकास योजनाओं को शीर्ष स्तर पर मजबूत समर्थन मिल रहा है।