ग्रीन खेल थीम पर होगा 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन, पहली बार मिलेंगे ई-वेस्ट से बने पदक..
उत्तराखंड: प्रदेश पहली बार राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी करने जा रहा है। यह खेल इसलिए भी खास है क्योंकि उत्तराखंड सरकार और ओलंपिक संघ ने इसकी थीम ”ग्रीन खेल” रखी है। विजेता खिलाड़ियों को ई-वेस्ट से बने पदक दिए जाएंगे जबकि उन्हें होटल से मैदान और वापस होटल ले जाने के लिए ई-बसों का इस्तेमाल किया जाएगा। आगामी 28 जनवरी से 14 फरवरी तक प्रदेश में 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होगा। इसमें देशभर से 10 हजार से ज्यादा खिलाड़ियों के भाग लेने की उम्मीद है। खेल निदेशालय पूरे आयोजन में प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करेगा। खिलाड़ियाें के आने से लेकर जाने तक हर कदम पर प्लास्टिक फ्री रखा जाएगा। खेल परिसर में पानी के कंटेनर के पास प्लास्टिक के ग्लास नहीं रखे जाएंगे। खिलाड़ी, ऑफीशियल्स, टीम आदि अपनी बोतल का ही प्रयोग करेंगे। इसके अलावा राष्ट्रीय खेलों में विजेता खिलाड़ियों को ई-वेस्ट से बने पदक दिए जाएंगे। इसके लिए कंपनी चयनित कर ली गई है।
पहली बार राष्ट्रीय खेलों में मिलेंगे ऐसे पदक..
अभी तक राष्ट्रीय खेलों में मिलने वाले पदक धातुओं के बने होते हैं। उत्तराखंड में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में यह पहला मौका होगा कि भारत के राष्ट्रीय खेलों में पहली बार ई-वेस्ट के बने पदक दिए जाएंगे। इससे पहले इसका प्रयोग टोक्यो में हुए ओलपिंक खेलों में किया गया था। राष्ट्रीय खेलों में खिलाड़ियों का एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन तक से स्टेडियम तक आवागमन के लिए ई-बसों का प्रयोग किया जाएगा। ऐसे में पहाड़ में वाहनों का दबाव बढ़ने के बावजूद भी पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा।
प्लास्टिक रि-यूज से बनेंगे कपड़े..
राष्ट्रीय खेलों में जो खिलाड़ियों, ऑफीशियल, मैनेजर आदि के लिए कपड़े तय होंगे। वे सभी प्लास्टिक रि-यूज से तैयार कपड़े होंगे। पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए इस तरह का प्रयोग किया जा रहा है। खेलों में नाम कमाने के साथ ही उत्तराखंड को नए प्रयोगों के लिए याद किया जाएगा।
GST संग्रहण में 12.19 प्रतिशत की बढ़ोतरी, उत्तराखंड का देश में 13वां स्थान..
उत्तराखंड: जीएसटी संग्रहण में इस साल उत्तराखंड ने 12.19 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। नवंबर माह तक 6200 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है। राज्य जीएसटी संग्रहण में उत्तराखंड का देश में 13वां स्थान है। वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने राज्य कर विभाग के अधिकारियों के साथ विभागीय समीक्षा बैठक की। जिसमें जीएसटी संग्रहण, व्यापारी सम्मान योजना, बिल लाओ-इनाम पाओ योजना के मेगा ड्रा समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक में राज्य कर आयुक्त अहमद इकबाल ने बताया कि इस वर्ष नवंबर माह तक जीएसटी संग्रहण से करीब 6200 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है।
जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि तक 5437.85 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था। गत वर्ष की तुलना में जीएसटी संग्रहण में 12.19 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा पूरे देश में राज्य जीएसटी संग्रहण में उत्तराखंड ने 13वां स्थान हासिल किया।बैठक में वित्त मंत्री ने अधिकारियों की कार्यशैली की सराहना करते हुए जीएसटी संग्रहण को और बढ़ाने की दिशा में नवाचार करने के निर्देश दिए। कहा, बिल लाओ-इनाम पाओ योजना का मेगा ड्रॉ शीघ्र आयोजित किया जाए। जिससे विजेताओं को पुरस्कार दिए जा सके। प्रदेश की सीमा में बनी चौकियों पर सुरक्षा के लिए पीआरडी की भांति कंपनी तैनात की जाए। जिससे चौकियों में सुरक्षा कर्मियों के रहने से दुर्घटनाओं पर अंकुश लग सके। बैठक में विशेष आयुक्त आईएस बृजवाल, अपर आयुक्त अनिल सिंह मौजूद थे।
होम स्टे, ईवेंट मैनेजमेंट, सैलून में भी लग सकता है SGST, दायरा बढ़ाने पर हो रहा है विचार..
उत्तराखंड: सरकार की आय बढ़ाने के लिए राज्य सरकार एसजीएसटी का दायरा बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। पिछले दो-तीन वर्षों में तेजी से बढ़ रहे होम स्टे और इवेंट मैनेजमेंट के कारोबार को भी सरकार एसजीएसटी के दायरा सकती है। इसके साथ ही सैलून और पार्लर से भी एसजीएसटी प्राप्त करने की रणनीति बनाई जा रही है।पिछले दिनों सीएम पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मितव्ययिता और राजस्व वृद्धि के लक्ष्यों की समीक्षा के संबंध में हुई बैठक में यह सुझाव रखे गए थे। वित्त विभाग को एसजीएसटी का दायरा बढ़ाने की संभावनाओं को तलाशने के निर्देश दिए गए। सूत्रों के अनुसार, वित्त विभाग ने इस संभावना को तलाशना शुरू कर दिया है। इसके अलावा वित्त विभाग केंद्र सरकार के तहत सीजीएसटी के संबंध में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित डायग्नोस्टिक सिस्टम लागू करने पर भी विचार कर रहा है।
इस सिस्टम के लागू होने से कर चोरी पर नकेल कसने में आसानी होगी। यह सिस्टम बड़े कर चोरों पर अंकुश लगाने में प्रभावी माना जा रहा है। यह ऐसा सिस्टम है जो ऑटोमेशन सिस्टम के सेंसर डेटा में गड़बड़ी का स्वत: पता लगा लेता है।आधिकारिक सूत्रों के अनुसार पिछली बैठक में मकान मालिकों द्वारा किरायेदारों के साथ विधिवत किरायानामा न करने के मसले पर भी चर्चा हुई थी। इसके लिए स्टाम्प शुल्क की दर में कमी लाकर किरायानामा को बढ़ावा देने का सुझाव दिया गया था। माना जा रहा है कि सरकार इसके जरिये स्टांप आय में वृद्धि कर सकती है।
दिल्ली रूट पर दौड़ेंगी 221 रोडवेज बसें, संचालन पर लगाई गईं पाबंदियां हटाई..
उत्तराखंड: दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान-4 की पॉलिसी लागू होने के बाद से बंद उत्तराखंड परिवहन निगम की बीएस-3 और बीएस-4 बसों का संचालन शुक्रवार से फिर शुरू हो जाएगा। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर दिल्ली सरकार ने बसों के संचालन पर लगाई गईं पाबंदियां हटा दी है।14 नवंबर को दिल्ली सरकार ने ग्रैप-4 पॉलिसी लागू की थी। इसके बाद उत्तराखंड परिवहन निगम की 194 सामान्य और 27 वॉल्वाे बसों का संचालन ठप हो गया था। इससे दिल्ली जाने वाले यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही थी। 22 दिन बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार ने रोडवेज बसों पर लगाई गईं पाबंदियां हटा दी हैं। दिल्ली सरकार की ओर से गुरुवार को बीएस-3 और बीएस-4 मॉडल की बसों का पुन: संचालन शुरू करने का आदेश जारी कर दिया है। इससे शुक्रवार से परिवहन निगम की बीएस-3 और बीएस-4 मॉडल की करीब 221 बसों का संचालन दिल्ली रूट पर शुरू कर दिया जाएगा।
22 दिनों तक झेलीं मुश्किलें
उत्तराखंड से दिल्ली के लिए परिवहन निगम की बसों का संचालन बंद होने से यात्रियों को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। 22 दिनों में दिल्ली जाने वाले यात्रियों को घंटों तक बसों का इंतजार करना पड़ा। कई बार यात्रियों को दिल्ली के लिए बसें ही नहीं मिल पाईं। अब पाबंदियां हटने से यात्रियों को राहत मिलेगी।
बीएस-3 और बीएस-4 मॉडल की बसों का संचालन बंद होने से यात्रियों के लिए दिल्ली का सफर काफी मुश्किल भरा रहा। इस दौरान दिल्ली के लिए देहरादून से बड़ी संख्या में निजी बसें और टैक्सी संचालित हो रही थीं। इसमें यात्रा करने के लिए यात्रियों को दो से तीन गुना तक अधिक किराया देना पड़ रहा था।
चालकों-परिचालकों को नहीं मिल रहा था काम
कई संविदा और विशेष श्रेणी चालक-परिचालकों को काम नहीं मिल पा रहा था। ऐसी स्थिति में उन्हें घर बैठना पड़ा। इससे उन्हें काफी आर्थिक नुकसान भी हुआ। अधिकारियों के मुताबिक संविदा और विशेष श्रेणी चालकों-परिचालकों को किमी के हिसाब से वेतन दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार ने ग्रैप-4 पॉलिसी के तहत बीएस-3 और बीएस-4 मॉडल की बसों पर लगी पाबंदियां हटा दी हैं। शुक्रवार से परिवहन निगम की सभी बीएस-3 और बीएस-4 मॉडल की बसों का संचालन शुरू किया जा रहा है।
लीसा अधिनियम में बदलाव का प्रस्ताव तैयार, निजी क्षेत्र को काम देने की कवायद तेज..
उत्तराखंड: नीलामी के माध्यम से लीसा का काम निजी क्षेत्र को देने की कवायद तेज हुई है। इस काम के लिए लीसा तथा अन्य वन उपज (व्यापार विनियमन) अधिनियम-1976 और नियमावली में बदलाव करना होगा। इसको लेकर वन मुख्यालय से प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया गया है। शासन भी सभी संभव विकल्पों को देखने की बात कह रहा है। अभी वन विभाग राज्य में लीसा विदोहन, भंडारण और बिक्री का काम करता है। राज्य में हर साल एक लाख कुंतल से अधिक लीसा एकत्र होता है। इस काम में वन विभाग केवल लीसा टीपान (जंगल से लीसा एकत्र करना) का ठेका निजी क्षेत्र को देता है। बाकी सारा कार्य जंगलात का होता है।
इसी वर्ष अक्टूबर में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी, इसमें वन मंत्री, प्रमुख सचिव वन आदि शामिल हुए थे। इस बैठक में लीसा का काम पायलेट प्रोजेक्ट के तहत निजी क्षेत्र को देने की योजना पर मंथन हुआ था। अब इसको लेकर कवायद आगे बढ़ी है। क्योंकि यह काम काम निजी क्षेत्र को देना है, ऐसे में लीसा अधिनियम और नियमावली में बदलाव करना होगा। सूत्रों के अनुसार वन मुख्यालय ने इसका प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया है। ज्वलनशील माने जाने वाले लीसा के भंडारण के लिए हल्द्वानी, टनकपुर, नैनीताल, अल्मोड़ा, ऋषिकेश समेत अन्य जगहों पर लीसा डिपो हैं, जहां पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम होते है। प्राइवेट लोग नीलामी के माध्यम से लीसा खरीदते हैं। औसतन वन विभाग को हर साल करीब 80 करोड़ तक राजस्व प्राप्त होता है। ज्ञात हो कि लीसा का इस्तेमाल पेंट समेत अन्य कार्य में होता है। संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल हो सके और समय के हिसाब से बदलाव हो इसको लेकर सभी विकल्पाें पर विचार किया जा रहा है। इससे राजस्व में भी बढ़ोतरी हो सकेगी।
वायु सेना और प्रादेशिक सेना ने सरकार से मांगा बकाया, 359 करोड़ रुपए का करना है भुगतान..
उत्तराखंड: भारतीय वायु सेना ने उत्तराखंड सरकार से अपने 200 करोड़ के बकाये की मांग की है। इसके साथ ही अब प्रादेशिक सेना ने भी सरकार से 146 करोड़ के बकाये का भुगतान करने की मांग की हैं। आपको बता दें कि प्रादेशिक सेना की बकायेदारी बीते 10 सालों की है। जिसका अब तक भुगतान नहीं हो पाया है। उत्तराखंड सरकार से वायुसेना ने 213 करोड़ का बकाया मांगा है। जिसे चुकाना प्रदेश सरकार के लिए गले की फांस बन गया है। जबकि प्रादेशिक सेना ने भी अपना 146 करोड़ रुपए का बकाया उत्तराखंड सरकार से मांग लिया है। ऐसे में सरकार के लिए बकाया चुकाना मुसीबत सी बन गई है। जहां एक ओर लगातार वायु सेना सरकार को पत्र लिख रही है। तो वहीं अब प्रादेशिक सेना के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजू बैजल ने भी बकाये को लेकर मुख्य सचिव को पत्र लिखा है।
वायुसेना अपने बकाये को लेकर लगातार राज्य सरकार को पत्र लिख रही है जिसमें 200 करोड़ रुपए से अधिक की बकाये की बात की गई है। इन पत्रों में राज्य बनने से लेकर अबतक तमाम गतिविधियों में शामिल वायुसेना के बिल का ब्यौरा भी दिया गया है। बता दें कि उत्तराखंड में अक्सर आपदा की स्थिति बनी रहती है। आपदा में कई बार राहत और बचाव के कामों के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की मदद ली जाती है। इसके साथ ही कई अन्य गतिविधियों में भी वायुसेना का इस्तेमाल होता रहा है। जैसे- गर्मी के दौरान जंगलों में लगी आग बुझाने में वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की मदद ली गई थी। मानसून में बाढ़ लैंड़सलाइड़ आदि में भी वायुसेना की मद्दत प्रदेश सरकार लेती है। लेकिन मद्दत करने में जो खर्च आता है उसका सरकार पर बकाया रह जाता है।
प्रादेशिक सेना का भी 146 करोड़ का करना है भुगतान..
वहीं बात करें प्रादेशिक सेना की तो प्रदेश के कुमाऊं और गढ़वाल मंडल में इकोलॉजी टास्क फोर्स चार कंपनियां तैनात हैं। हर साल इन चार कंपनियों पर 21 करोड़ का खर्चा आता है। अब तक के बकाये की बात करें तो जून 2024 तक सरकार पर 146.16 करोड़ का बकाया है। प्रादेशिक सेना के महानिदेशक द्वारा लिखे गए पत्र में उत्तराखंड सरकार से चरणबद्ध पुनर्भुगतान की योजना बनाने का अनुरोध किया गया है।’
सीएम धामी ने 61 लोगों को ऑनलाइन वितरित की वृद्धावस्था पेंशन..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर प्रदेश में पहली बार 60 साल पूरे होते ही 61 बुजुर्गों की ऑनलाइन पेंशन मंजूर की गई। मंगलवार को सीएम ने सचिवालय में सितंबर-2024 से अक्टूबर के बीच 60 वर्ष की आयु पूरी करने वाले कुल 61 लोगों को ऑनलाइन माध्यम से वृद्धावस्था पेंशन जारी की।
सीएम धामी का कहना हैं कि समाज कल्याण विभाग के पेंशन पोर्टल पर अब 59 वर्ष 6 माह की आयु पूरी करने के बाद भी वृद्धावस्था पेंशन के लिए आवेदन प्राप्त किए जा सकेंगे। आवेदक का फॉर्म स्वीकृति के बाद जिस माह से आवेदक 60 वर्ष की आयु पूरी करे, उस माह के अंत से उनकी वृद्धावस्था पेंशन शुरू हो जाएगी।
इससे बुजुर्गों को समय से वृद्धावस्था पेंशन का लाभ मिल सकेगा। सीएम ने कहा कि वृद्धावस्था पेंशन स्वीकृत किए जाने की व्यवस्था का सलीकरण किये जाने से अब हमारे वृद्धजनों को समय से वृद्धावस्था पेंशन का लाभ मिल सकेगा। राज्य सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन को 1200 से बढ़ाकर 1500 किया है। अब पति-पत्नी दोनों वृद्ध दंपति को पेंशन का लाभ दिया जा रहा है। हमारा उदेश्य समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक विकास और सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना है, जिसके लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं।
उनका कहना हैं कि राज्य के सभी वृद्धजन उनके अभिभावक के समान हैं। जिनकी सेवा में वे हमेशा तत्पर रहेंगे। बीते तीन साल में लगभग 19000 युवाओं को सरकारी विभागों में नियुक्ति प्रदान की गई। राज्य में रिक्त पड़े सभी पदों को तेजी से भरे जाने के प्रयास निरंतर जारी है। सचिव समाज कल्याण नीरज खैरवाल ने कहा कि विभाग ने ऑनलाइन पेंशन के लिए अभियान चलाया जिसमें 12 हजार व्यक्तियों चिन्हित किया गया। अभियान के अंतर्गत ऐसे व्यक्तियों का डाटा एकत्रित किया गया जो एक अक्टूबर को 60 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं एवं वृद्धावस्था पेंशन के लिए पात्र हैं। ऐसे व्यक्तियों का डाटा भी एकत्रित किया गया जो 59 वर्ष 6 माह की आयु पूर्ण कर चुके हैं ।
नौसेना दिवस पर सीएम धामी ने वीर जवानों को दी शुभकामनाएं..
उत्तराखंड: हर साल 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस मनाया जाता है। आज नौसेना दिवस के अवसर पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने वीर जवानों को शुभकामनाएं दी हैं। आपको बता दें कि हर साल भारतीय नौसेना का सलाम करने के लिए 4 सितंबर को नौसेना दिवस के तौर पर मनाया जाता है। सीएम धामी ने नौसेना दिवस पर भारत की जल सीमाओं की रक्षा में सदैव तत्पर वीर जवानों को भारतीय नौसेना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि आपका अदम्य साहस, अनुशासन और निष्ठा हम सभी को सदैव राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करता रहेगा। भारतीय नौसेना दिवस मनाने की शुरुआत मई 1972 में हुई थी। एक वरिष्ठ नौसेना अधिकारी सम्मेलन में इसकी शुरूआत की गई थी। बता दें कि 1971 में भारत-पाक युद्ध के बीच नौसेना की उपलब्धि और प्रयासों को स्वीकार करते हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाने का फैसला लिया गया था।
निजी अस्पतालों को एनएबीएच मान्यता से मिलेगी छूट, आयुष्मान योजना से जुड़ सकेंगे..
उत्तराखंड: दून अस्पताल को नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थ केयर (एनएबीएच) की मान्यता मिली तो आयुष्मान योजना में इलाज पर 15 प्रतिशत तक भुगतान बढ़ जाएगा। इसके लिए मानक पूरे करने में अस्पताल प्रबंधन जुट गया है। वित्त और उद्योग मंत्रालय की ओर से अस्पताल को दो अलग-अलग चरणों में एनएबीएच की मान्यता दी जाती है। पहले चरण की मान्यता मिलने के बाद अस्पताल को आयुष्मान योजना के तहत उपचार लेने वाले प्रत्येक मरीज के पैकेज पर 10 प्रतिशत अधिक भुगतान मिलता है, जबकि पूर्ण या द्वितीय श्रेणी की मान्यता मिलने पर 15 प्रतिशत अधिक भुगतान किया जाता है।इसकी प्रक्रिया काफी वृहद और कड़ी है, ऐसे में दून अस्पताल प्रबंधन को काफी सावधानियां भी बरतनी होंगी। दून मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. गीता जैन ने अस्पताल के सभी 48 विभागों के चिकित्सकों से सूची मांगी है। इसमें प्रत्येक मरीज का उपचार और आभा आईडी संबंधी ब्योरा मांगा है। इसके साथ ही अस्पताल की सुरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले सभी विभागों से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जारी करवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। मान्यता मिली तो गढ़वाल मंडल का यह पहला अस्पताल बन जाएगा।
आउटसोर्सिंग कर्मियों की सुधरेगी स्थिति..
दून अस्पताल के प्रशासनिक समन्वय डॉ. राजेंद्र खंडूरी के अनुसार एनएबीएच प्रमाणन को अस्पताल के संविदा और आउटसोर्सिंग स्वास्थ्य कर्मियों समेत अन्य कैडर के कर्मचारियों का अच्छा वर्ककल्चर महत्वपूर्ण मानक है। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन अब आउटसोर्स कर्मचारियों को परेशानी न हो इसके लिए संबंधित कंपनी से समय-समय पर उनके वेतन और दी जाने वाली अन्य सुविधाओं की जानकारी लेगा।
हर चार साल में होगा नवीनीकरण..
डॉ. राजेंद्र खंडूरी का कहना हैं कि एनएबीएच की मान्यता मिलने के बाद हर चार वर्षों में उसका नवीनीकरण किया जाएगा। इसके लिए हर वर्ष अस्पताल की व्यवस्थाएं जांची जाएंगी। पहली बार कमी मिलने पर अस्पताल प्रबंधन को एक महीने का समय दिया जाएगा। जबकि, दूसरी बार कमी मिलने पर तीन महीने का समय मिलेगा। तय समय में अस्पताल को कमियां सुधारनी होंगी। मानक पूरा करने के लिए अस्पताल प्रबंधन के अधिकारी युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं। एनएबीएच की मान्यता मिलने के बाद अस्पताल के आयुष्मान के भुगतान में बढ़ोतरी होगी। इससे अस्पताल को आर्थिक तौर पर मजबूती मिलेगी।
बिजली उपभोक्ताओं के लिए सुविधा,UPCL के टोल फ्री नंबर पर भी मिलेगी स्मार्ट मीटर जानकारी..
उत्तराखंड: प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का काम शुरू हो गया है। यूपीसीएल के टोल फ्री नंबर 1912 पर उपभोक्ता आपूर्ति संबंधी जानकारियों सहित स्मार्ट मीटर की जानकारी भी ले सकते हैं। यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने कहा कि 24 घंटे का केंद्रीयकृत कॉल सेंटर संचालित किया जा रहा है, जिस पर उपभोक्ताओं की बिजली संबंधी शिकायतों के साथ ही स्मार्ट मीटर से जुड़ी जानकारियां भी दी जा रही हैं। 63 पुरुष और 42 महिला कर्मचारी तीन पालियों में सेवाएं दे रहे हैं। टोल फ्री नंबर पर बिजली संबंधी शिकायतों को संबंधित विभागों को भेजा जाता है, जिनका निवारण आसान होता है। उपभोक्ता की ओर से शिकायत दर्ज कराने के साथ ही शिकायत संख्या जारी कर दी जाती है। उपभोक्ता स्वयं सेवा मोबाइल एप्लीकेशन से अपनी शिकायत को ट्रैक कर जानकारी भी ले सकते हैं। कॉल सेंटर से रोजाना 500 से अधिक समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। शिकायतों का त्वरित समाधान न होने पर उपभोक्ता यूपीसीएल के स्थानीय शिकायत केंद्रों पर जाकर भी अपनी दर्ज करा सकते हैं।