केन्द्र सरकार की ओर से कृषि एवं बागवानी विकास की विभिन्न योजनाओं को 3800 करोड़ रुपए की दी गई सैद्धांतिक सहमति
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने की उत्तराखण्ड सरकार द्वारा कृषि एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में किये जा रहे उत्कृष्ट कार्यों की सराहना
देहरादून /नई दिल्ली। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि, ग्राम्य विकास एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान से भेंट कर प्रदेश की कृषि एवं उससे जुडी विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन एवं विसतार के संबंध में चर्चा की। मुख्यमंत्री ने राज्य के पर्वतीय एवं मैदानी क्षेत्रों की कृषि एवं बागवानी आवश्यकताओं तथा किसानों की आर्थिक सुदृढ़ता हेतु राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई प्रस्तावित योजनाओं पर भी चर्चा की। मुख्यमंत्री ने अवगत कराया कि उत्तराखण्ड सरकार ने कृषि एवं बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास एवं किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से लगभग 3800 करोड़ रुपये की व्यापक योजनाएं तैयार की हैं। इन योजनाओं में नवाचार, यंत्रीकरण, तकनीकी समावेशन एवं पारम्परिक कृषि को बढ़ावा देने जैसे विविध पहलुओं को शामिल किया गया है। केन्द्रीय कृषि मंत्री द्वारा राज्य की कृषि संबधि योजनाओं हेतु 3800 करोड की सैद्धांतिक सहमति प्रदान करने पर मुख्यमंत्री ने उनका आभार जताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सहयोग राज्य के कृषि क्षेत्र को आत्मर्निभर और आधुनिक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा।
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री को अवगत कराया कि राज्य में पर्वतीय क्षेत्रों की फसलों को जंगली जानवरों से बचाने हेतु कृषि बाड़ निर्माण के लिए 1,052.80 करोड़ रुपये की आवश्यकता चिह्नित की गई है। इसके अतिरिक्त राज्य में 10,000 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित करने हेतु 400 करोड़ रुपये की योजना प्रस्तावित की गई है, जिससे लघु, सीमांत किसान एवं महिलाएं लाभान्वित होंगी। पारम्परिक पोषक फसलों को बढ़ावा देने के लिए स्टेट मिलेट मिशन के अंतर्गत 134.89 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। बीज उत्पादन में आत्मनिर्भरता हेतु राज्य को सीड हब के रूप में विकसित करने के लिए 5 करोड़ रुपये की योजना भी तैयार की गई है। सेब उत्पादन को प्रोत्साहन, भंडारण और विपणन तंत्र को सुदृढ़ बनाने हेतु 1,150 करोड़ रुपये की योजना प्रस्तावित है। नकदी फसलों जैसे कीवी के संवर्धन एवं खेती को वन्यजीवों से संरक्षित करने हेतु 894 करोड़ रुपये की आवश्यकता दर्शाई गई है। कृषि व बागवानी क्षेत्र में नवाचार और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए 885.10 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। ड्रैगन फ्रूट जैसी कम जोखिम वाली फसलों को प्रोत्साहित हेतु 42 करोड़ रुपये की योजना भी तैयार की गई है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन के क्षेत्र में राज्य सरकार सक्रियता से कार्य कर रही है। जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु विश्लेषण प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए 36.50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। भूमि अभिलेखों के आधुनिकीकरण और डिजिटल सर्वेक्षण के लिए के अंतर्गत 378.50 करोड़ रुपये की योजना प्रस्तावित की गई है। इसके साथ ही पंतनगर विश्वविद्यालय के माध्यम से युवाओं को कृषि क्षेत्र में दक्ष बनाने हेतु 14 करोड़ रुपये तथा एग्रीटूरिज्म स्कूल की स्थापना हेतु 14 करोड़ रुपये की योजना तैयार की गई है। उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार में माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशाला की स्थापना के लिए 16.11 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।
इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने प्रदेश में सेब उत्पादन के दृष्टिगत उच्च गुणवत्ता की नर्सरी, कोल्ड स्टोरेज, सॉर्टिंग व ग्रेडिंग यूनिट की स्थापना, कीवी व ड्रैगन फ्रूट मिशन को बढ़ावा देने, सुपर फूड्स (मशरूम व एग्जॉटिक वेजिटेबल्स) हेतु सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना तथा पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में एग्रो टूरिज्म स्कूल की स्थापना के लिए भी केंद्रीय सहायता का अनुरोध केन्द्रीय मंत्री से किया।
मुख्यमंत्री के अनुरोध पर केन्द्रीय मंत्री द्वारा पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पी.एम.जी.एस.वाई) 1 व 2 के अवशेष कार्यों की समय सीमा बढ़ाने की सैद्धांतिक सहमति प्रदान की गई। साथ ही पी.एम.जी.एस.वाई 4 के प्रस्ताव पर भी सैद्धांतिक सहमति प्रदान करने का आश्वासन दिया। केन्द्रीय मंत्री ने उत्तराखंड सरकार द्वारा कृषि एवं ग्रामीण विकास के विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे उत्कृष्ट कार्यों की सराहना की।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए आश्वस्त किया कि उत्तराखण्ड की कृषि आवश्यकताओं को प्राथमिकता के आधार पर संज्ञान में लिया जाएगा तथा राज्य के किसानों की समृद्धि हेतु हरसंभव सहयोग प्रदान किया जाएगा।
बैठक में भारत सरकार के कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी, भारत सरकार के ग्रामीण विकास सचिव सैलेश कुमार सिंह तथा उत्तराखंड के स्थानिक आयुक्त अजय मिश्रा उपस्थित रहे।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बोले – मुख्यमंत्री खुद को बधाई दे रहे, लेकिन जनता भुगत रही है बेरोजगारी, पलायन और भ्रष्टाचार
चारधाम से लेकर भर्ती घोटाले तक, कांग्रेस ने बांटे ‘नाकामी के खिताब’
देहरादून। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चार वर्ष के कार्यकाल पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पुष्कर सिंह धामी अपने 4 वर्ष के मुख्यमंत्रित्वकाल पर अपनी पीठ थपथपाने में लगे हैं। जबकि भाजपा के ही सांसद, विधायक और पदाधिकारी सरकार की विफलताओं को लगातार उजागर कर रहे हैं। इसी क्रम में हम भी आज उनकी चार साल की नाकामियों, जन विरोधी नीतियों और देवभूमि की अस्मिता पर हुए प्रहार को कुछ विशेष खिताब समर्पित कर रहे हैं।
करन माहरा ने कहा कि राज्य में बेरोजगारी और पलायन का खिताब। राज्य में बेरोजगारी और लगातार हो रहे पलायन को देखते हुए पुष्कर सिंह धामी को यह खिताब दिया जाना चाहिए। महिला अपराधों में उत्तराखंड को अब्बल राज्य बनाने का खिताब- राज्य में पिछले चार साल में महिला अपराधों की बढती घटनाओं ने उत्तराखंड को पर्वतीय राज्यों में देश का नम्बर एक राज्य बना दिया है। चारधाम यात्रा में सर्वाधिक तीर्थ यात्रियों की मृत्यु का खिताब- चारधाम यात्रा में धामी सरकार की अव्यवस्था के चलते दर्जनों यात्रियों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। सड़क दुर्घटनाओं में सर्वाधिक मौतों का खिताब- धामी सरकार की लापरवाही के चलते पिछले 25 वर्षों में सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौते पिछले 4 साल के अन्तराल में हुई हैं। अपनी ही सरकार द्वारा लागू किये गये यूसीसी के उलंघन का खिताब- यूसीसी लागू करने का श्रेय तो पुष्कर सिह धामी सरकार लेती है परन्तु उसका पहला उलंघन भी भाजपा के ही पूर्व विधायक द्वारा किया गया। महिला उत्पीड़न एवं शोषण में भाजपा नेताओं की संलिप्तता तथा सरकारी संरक्षण दिया जाना धामी सरकार की प्राथमिकता में रहा है।
केदारनाथ धाम की मर्यादा भंग करने का खिताब- आज तक के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी भी ज्योतिर्लिंग के समानान्तर कोई मंदिर का निर्माण किया गया हो, परन्तु धामी सरकार ने हिन्दुओं की धार्मिक आस्थाओं को ठेस पहुंचाते हुए केदारनाथ मन्दिर की प्रतिकृति दिल्ली में बनाने का प्रयास किया गया। यही नहीं असली मंदिर से सोना चोरी कर उसकी जांच को भी दबाने का काम धामी सरकार ने किया।
करन माहरा ने कहा कि धामी सरकार को खनन माफिया व भू माफिया को संरक्षण देने का खिताब भी दिया जाना चाहिए। राज्य की नदियों में प्रशासन की मिलीभगत से हो रहे खनन में भाजपा नेताओं द्वारा उठाये गये सवालों के बावजूद धामी सरकार ने खनन माफिया को संरक्षण देने का काम किया। उत्तराखंड की भूमि को खुर्द-बुर्द कर भूमाफियाओं और उसमें संलिप्त अपनी पार्टी के नेताओं को बचाने का पूरा श्रेय धामी सरकार को जाता है। राज्य में इन चार सालों में लगातार हुए भर्ती घोटालों में युवाओं के भविष्य के साथ जिस प्रकार का खिलवाड किया गया वह किसी से छुपा नहीं है। राज्य में लम्बे समय से कार्यरत उपनल, आशा, आंगनबाडी कर्मियों की अनदेखी तथा पेंशन स्कीम मे कर्मचारियों का लगातार उत्पीड़न किया गया।
घटिया सड़क निर्माण सहित अन्य निर्माण कार्यों में भारी भ्रष्टाचार। मलिन बस्तियों को उजाड़ने का श्रेय भी धामी सरकार को जाता है। कांग्रेस सरकार द्वारा मलिन बस्तियों के नियमितीकरण की योजना को धता बताते हुए धामी सरकार ने कई क्षेत्रों में मलिन बस्तियों का उजाड़ने का काम किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि धामी सरकार न तो नगर निकाय चुनाव समय पर करा पाई और न ही पंचायत चुनाव समय पर कराये गये। यही नहीं प्रत्येक चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग किया गया तथा अनैतिक तरीके से चुनाव जीतने का प्रयास करने का खिताब भी धामी सरकार को जाता है। उन्होंने कहा कि पहली बार राज्य में धार्मिक सद्भावना को तोडने का प्रयास कर धार्मिक धुर्वीकरण कर लोगों के बीच खाई पैदा कर धर्म के नाम पर राजनैतिक रोटी सेकने का काम धामी सरकार में किया गया।
राज्य में स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था बदहाल हो चुकी हैं। जहां मातृशक्ति को शौचालय में प्रसव कराना पड़ रहा है वहीं विद्यार्थी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं तथा उनका भविष्य चौपट हो रहा है।
करन माहरा ने यह भी कहा कि भाजपा की महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष अनामिका शर्मा प्रकरण को दबाने का काम किया जा रहा है, यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाय तो कई सफेदपोश चेहरे बेनकाब होगे। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस प्रशासन द्वारा जेल में बंद महिलाओं को मोबाईल फोन जैसी सुविधायें किसके इशारे पर उपलब्ध कराई जा रही हैं। जिस प्रकार अनामिका शर्मा को सरकार और प्रशासन का सहयोग मिल रहा है तथा सरकार जांच को प्रभावित करने का काम कर रही है उससे दाल में काला नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार अनामिका शर्मा मामले में सच्चाई को दबाया जा रहा है उसी प्रकार अंकिता भंडारी हत्याकांड में भी सच को छुपाने का लगातार प्रयास किया गया। यह भाजपा के चाल, चरित्र और चेहरे को उजागर कर रहा है।
पत्रकार वार्ता में प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकान्त धस्माना, प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी, प्रवक्ता शीषपाल सिंह बिष्ट, सोशल मीडिया सलाहकार अमरजीत सिंह उपस्थित थे।
6 साल से निष्क्रिय दलों को जारी किया गया नोटिस, 15 दिन में देना होगा जवाब
देहरादून। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों के क्रम में उत्तराखण्ड में बीते 6 साल से निष्क्रिय 6 पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। ये सभी वे दल हैं जिन्होंने वर्ष 2019 से अब तक छह वर्षों में एक भी चुनाव में प्रतिभाग नहीं किया है और जिनके कार्यालयों का कोई भौतिक पता भी नहीं मिल पाया है। दलों को इस नोटिस का जवाब 21 जुलाई शाम 5 बजे तक कर दिया है।
आयोग के निर्देशानुसार उत्तराखण्ड में वर्तमान में 42 पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों में से कई दल ऐसे हैं जो पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों (आर यू पी पी) बने रहने की आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं, इस संबंध में उत्तराखण्ड के 6 ऐसे दलों की पहचान की गई है। इन दलों की अंतिम डीलिस्टिंग का निर्णय भारत निर्वाचन आयोग द्वारा लिया जाएगा।
देश में राजनीतिक दलों (राष्ट्रीय/राज्यीय/अमान्यता) का पंजीकरण लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है। भारत निर्वाचन आयोग का उद्देश्य इस पूरे अभ्यास में राजनैतिक व्यवस्था का शुद्धिकरण एवं चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को बढ़ावा देना है।
इन दलों को दिया गया नोटिस
1. भारतीय जनक्रान्ति पार्टी – 12/17 चक्खुवाला, देहरादून
2. हमारी जनमन्च पार्टी – 1/12 न्यू चक्खुवाला, देहरादून
3. मैदानी क्रान्ति दल – मस्जिद वाली गली, माजरा, देहरादून
4. प्रजा मण्डल पार्टी – बर्थवाल निवास, शीतला माता मन्दिर मार्ग, लोवर भक्तियाना श्रीनगर, पौडी गढवाल
5. राष्ट्रीय ग्राम विकास पार्टी – 62 सिविल लाईन, रूडकी हरिद्वार
6. राष्ट्रीय जन सहाय दल – 112-न्यू कनॉट प्लेस, देहरादून
कुमाऊं में गुंजी से आदि कैलाश और गढ़वाल में नीति माणा से मलारी तक होगी आयोजन की योजना
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में उच्चस्तरीय बैठक के दौरान अधिकारियों को पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हाई अल्टीट्यूड अल्ट्रा मैराथन की शुरुआत करने के निर्देश दिए। कुमाऊं क्षेत्र में यह मैराथन गुंजी से आदि कैलाश और गढ़वाल में नीति माणा से लेकर मलारी तक आयोजित की जाए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस आयोजन को वार्षिक पर्यटन कैलेंडर में शामिल किया जाए और हर वर्ष निर्धारित तिथि पर इसका नियमित आयोजन सुनिश्चित किया जाए।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आपदा प्रबंधन तंत्र को अधिक सशक्त बनाने के साथ ही तय समय पर प्रभावितों को सहायता राशि उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए। सीमांत एवं पर्वतीय क्षेत्रों में फसलों की सुरक्षा के लिए घेरबाड़/सोलर फेंसिंग के संबंध में विस्तृत योजना बनाने के निर्देश दिए।
बैठक में प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगोली और अपर सचिव बंशीधर तिवारी उपस्थित थे।
देहरादून। सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने सोमवार को उपनल (उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड) के मुख्य कार्यालय का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने कार्यालय में उपस्थिति पंजिका, फाइल प्रबंधन प्रणाली, शिकायत निवारण प्रक्रिया और सेवा प्रदाय की कार्यप्रणाली का गहन अवलोकन किया।
सैनिक कल्याण मंत्री जोशी ने अधिकारियों से उपनल द्वारा दी जा रही सेवाओं की विस्तृत जानकारी ली। मंत्री ने उपनल के अधिकारियों को निर्देशित किया कि कार्यालय में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानपूर्वक और समयबद्ध सेवाएं प्रदान की जाएं। उन्होंने कहा कि उपनल के माध्यम से पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों को रोजगार से जोड़ने का जो उद्देश्य है, उसे पूरी निष्ठा और पारदर्शिता के साथ क्रियान्वित किया जाना चाहिए।
निरीक्षण के दौरान सैनिक कल्याण मंत्री ने कुछ अभिलेखों और फाइलों का भी अवलोकन किया तथा अधिकारियों को अनावश्यक देरी से बचने और प्रक्रिया को सरल एवं प्रभावी बनाने के निर्देश दिए। मंत्री ने कहा कि उपनल की भूमिका पूर्व सैनिकों के पुनर्वास में महत्वपूर्ण है और इस संस्था को पूरी संवेदनशीलता और पारदर्शिता के साथ कार्य करना चाहिए। इस दौरान मंत्री जोशी ने उपनल कार्यालय के निकट स्थापित हैंडलूम स्टोर का भी निरीक्षण किया और वीर नारियों द्वारा तैयार उत्पादों का अवलोकन किया।
इस दौरान उपनल के प्रबंध निदेशक बिग्रेडियर (सेनि) जेएनएस बिष्ट सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।
हिचकी एक आम समस्या है, जो कभी-न-कभी हर किसी को होती है। यह अचानक शुरू होती है और कई बार अपने आप बंद भी हो जाती है, लेकिन जब यह बार-बार या लंबे समय तक बनी रहे, तो यह परेशानी का कारण बन सकती है। लोग अक्सर इसे हल्के में लेते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि हिचकी क्यों आती है? क्या यह सामान्य शारीरिक प्रतिक्रिया है या किसी गंभीर बीमारी का लक्षण हो सकती है? आइए, इसके कारणों, उपायों और संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
हिचकी क्या है और क्यों आती है?
हिचकी तब होती है, जब डायाफ्राम (मध्यपट) में अनैच्छिक संकुचन होता है। डायाफ्राम एक मांसपेशी है, जो फेफड़ों के नीचे होती है और सांस लेने में मदद करती है। जब यह मांसपेशी अचानक सिकुड़ती है, तो स्वरयंत्र बंद हो जाता है, जिससे ‘हिक’ की आवाज निकलती है।
हिचकी आने के सामान्य कारण
हिचकी एक सामान्य शारीरिक प्रतिक्रिया है, जो कई कारणों से हो सकती है। अधिक खाना या जल्दबाजी में खाना इसका एक प्रमुख कारण है। ज्यादा मात्रा में भोजन, खासकर मसालेदार खाना, पेट में गैस बनना भी इसका कारण है, जो डायाफ्राम को उत्तेजित करता है और हिचकी शुरू हो जाती है। इसके अलावा, कार्बोनेटेड पेय जैसे सोडा, कोल्ड ड्रिंक्स या शराब का सेवन भी पेट में सूजन पैदा कर सकता है, जिससे हिचकी की समस्या हो सकती है। भावनात्मक तनाव, घबराहट या अचानक ठंडा-गर्म तापमान में बदलाव भी हिचकी का कारण बन सकता है।
हल्की-फुल्की हिचकी रोकने के आसान उपाय
हिचकी को रोकने के लिए कुछ सरल और प्रभावी उपाय अपनाए जा सकते हैं। सबसे पहले, थोड़ा स्थिर हो जाएं और धीरे-धीरे सांस छोड़ें, यह डायाफ्राम को स्थिर करने में मदद करता है। छोटे-छोटे घूंट में ठंडा पानी पीना भी हिचकी को रोकने का आसान तरीका है। इसके अलावा, एक चम्मच चीनी या शहद को जीभ के नीचे रखने से नसों को उत्तेजना मिलती है, जो हिचकी को कम करने में सहायक होती है।
क्या हिचकी किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकती है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, वैसे तो हिचकी को सामान्यतौर कोई बीमारी नहीं माना जाता है, लेकिन कुछ गंभीर स्थितियों में हिचकी को लक्षण के तौर पर देखा जा सकता है। इसीलिए, यदि हिचकी लंबे समय तक बनी रहे, तो इसे अनदेखा न करें। लगातार हिचकी आना किसी अंतर्निहित समस्या का संकेत हो सकता है, जिस पर समय रहते गौर करना जरूरी है।
लंबे समय तक हिचकी आने का एक संभावित कारण वेगस या फ्रेनिक तंत्रिकाओं में क्षति या जलन हो सकती है। ये तंत्रिकाएं डायाफ्राम की मांसपेशियों को सुचारु रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक होती हैं। कभी-कभी गर्दन में मौजूद थायरॉयड ग्रंथि से संबंधित कोई समस्या या सिस्ट भी इन तंत्रिकाओं को प्रभावित कर सकती है। ऐसी स्थिति में, तुरंत चिकित्सीय सलाह लेना और उचित इलाज प्राप्त करना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है।”
(साभार)
देहरादून-मसूरी और हल्द्वानी-नैनीताल रूट पर चलेंगे टैम्पो ट्रेवलर वाहन, यात्री सेवा होगी और बेहतर
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय से आयोजित एक समारोह में उत्तराखण्ड परिवहन निगम द्वारा संचालित की जा रही 20 नई वातानुकूलित यूटीसी मिनी (टैम्पो ट्रेवलर) का फ्लैग ऑफ किया। इनमें से 10 टैम्पो ट्रेवलर वाहन देहरादून-मसूरी और 10 टैम्पो ट्रेवलर वाहन हल्द्वानी नैनीताल रूट पर चलेंगे। इससे नैनीताल- हल्द्वानी और देहरादून – मसूरी के बीच जाम की समस्या में भी कमी आयेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहल सफल रही तो, इस तरह की सेवाओं की संख्या और बढ़ाई जायेगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कैम्प कार्यालय से जीटीसी हेलीपैड तक टैम्पो ट्रेवलर से सफर भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वातानुकुलित टैम्पो ट्रैवलर राज्य के परिवहन तंत्र को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होंगे। इनसे यात्रियों को सुरक्षित, सुगम और किफायती यात्रा की सुविधा मिल सकेगी तथा प्रदेश की आर्थिक और पर्यटन गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि राज्य के प्रत्येक क्षेत्र को बेहतर सड़क नेटवर्क और विश्वसनीय परिवहन सेवाओं से जोड़ा जाए। आज डिजिटल टिकटिंग, ऑनलाइन बुकिंग, ट्रैकिंग सिस्टम जैसी सेवाओं द्वारा परिवहन विभाग जनता को सुलभ यात्रा उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड परिवहन निगम को मजबूत बनाने की दिशा में निरंतर कार्य किये जा रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप लगातार तीन वर्षों से परिवहन निगम मुनाफे में हैै।
मुख्यमंत्री ने कहा कि परिवहन निगम के बस बेड़े में जल्द ही इलेक्ट्रिक बसों का भी समावेश किया जायेगा, जिसके लिए बसों की खरीद की प्रक्रिया गतिमान है। सरकार ने अपने कर्मचारियों और चालक-परिचालकों की कई समस्याओं का समाधान किया है। डीए में बढ़ोतरी करना हो, 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करना हो या निगम में भर्तियों के माध्यम से मानव संसाधन बढ़ाना हो, पूरी प्रतिबद्धता के साथ उनके कल्याण के लिए कार्य किये जा रहे हैं।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, प्रमुख सचिव एवं अध्यक्ष उत्तराखण्ड परिवहन निगम एल. फैनई, एमडी परिवहन निगम श्रीमती रीना जोशी और परिवहन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया नियंत्रक सम्मेलन 2025 का उद्घाटन
रक्षा लेखा विभाग को आधुनिक और रणनीतिक वित्तीय संस्था में बदलने की दिशा में बड़ा कदम
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित रक्षा लेखा विभाग (DAD) के तीन दिवसीय नियंत्रक सम्मेलन 2025 का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने भारत की सैन्य क्षमताओं, आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन और वैश्विक रक्षा बाजार में बढ़ती हिस्सेदारी को रेखांकित करते हुए कहा कि “शांति का समय भ्रम हो सकता है, इसलिए रक्षा क्षेत्र को मजबूत करना अब आवश्यकता बन गया है।”
रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इस अभियान ने न केवल भारत की सैन्य ताकत को दुनिया के सामने रखा, बल्कि स्वदेशी रक्षा उत्पादों की विश्वसनीयता भी प्रमाणित की। उन्होंने कहा, “दुनिया भारत की रक्षा क्षमताओं को नई दृष्टि से देख रही है। हमारे घरेलू रक्षा उपकरणों की मांग वैश्विक स्तर पर बढ़ रही है।”
उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2024 में वैश्विक सैन्य खर्च 2.7 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंच गया है और भारत के लिए इसमें बड़ी संभावनाएं हैं। “इस बदलते सुरक्षा परिदृश्य में वित्तीय अनुशासन और रणनीतिक बजटीय प्रबंधन की भूमिका बेहद अहम है,”।
राजनाथ सिंह ने रक्षा लेखा विभाग की भूमिका को ‘सिर्फ लेखांकन’ तक सीमित न मानने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि विभाग की ईमानदारी और पारदर्शिता का असर सीधे उन सैनिकों तक पहुंचता है जो सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं। “यह केवल वित्तीय जिम्मेदारी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा दायित्व भी है,”।
उन्होंने बताया कि रक्षा अधिग्रहण परिषद ने पहली बार जैम पोर्टल के जरिए पूंजीगत खरीद को स्वीकृति दी है, जो पारदर्शिता और सुगमता की दिशा में एक बड़ा कदम है। साथ ही यह जानकारी दी कि विभाग व्यापक वेतन प्रणाली और केंद्रीकृत डाटाबेस विकसित करने पर भी काम कर रहा है।
सम्मेलन का उद्देश्य और थीम:
तीन दिवसीय यह सम्मेलन रक्षा लेखा विभाग को पारंपरिक लेखा प्रणाली से आगे ले जाकर आधुनिक, रणनीतिक और दक्ष रक्षा वित्तीय संस्था में परिवर्तित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस वर्ष सम्मेलन की थीम “वित्तीय सलाह, भुगतान, ऑडिट और रक्षा वित्त एवं अर्थशास्त्र के माध्यम से लेखांकन में बदलाव” रखी गई है।
मुख्य बिंदु और सत्र:
सम्मेलन में आठ उच्चस्तरीय ‘मंथन सत्र’ आयोजित किए जाएंगे, जिनमें बजट सुधार, आंतरिक ऑडिट, मूल्य निर्धारण, संयुक्त अनुसंधान और क्षमता निर्माण जैसे विषयों पर मंथन होगा। इसमें रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए IFA प्रणाली की भूमिका को भी स्पष्ट किया जाएगा।
डीएडी की वर्तमान भूमिका और भविष्य की दिशा:
वर्तमान में डीएडी ₹26.8 लाख करोड़ के रक्षा बजट का प्रबंधन कर रहा है, जिसमें से ₹1.7 लाख करोड़ पेंशन मद में निर्धारित है। विभाग देशभर में 200 से अधिक सेवा केंद्र संचालित कर रहा है और MIS आधारित प्रणाली से प्रदर्शन मूल्यांकन को बेहतर बना रहा है।
सम्मेलन के दौरान ‘सतर्क, चुस्त, अनुकूल’ जैसे नए मिशन स्टेटमेंट और स्लोगन का अनावरण भी किया जाएगा। वर्ष 2025 को “सुधार वर्ष” घोषित करते हुए इसे भारत की रक्षा वित्त प्रणाली को भविष्य के लिए सक्षम बनाने का एक निर्णायक क्षण बताया गया है।
हॉलीवुड की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘जुरासिक वर्ल्ड रीबर्थ’ ने भारतीय बॉक्स ऑफिस पर दमदार शुरुआत के बाद अपने पहले वीकेंड में शानदार प्रदर्शन दर्ज किया है। बेहतरीन वीएफएक्स और दमदार स्टारकास्ट के साथ यह फिल्म दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचने में सफल रही है।
तीसरे दिन की कमाई:
रविवार को फिल्म ने करीब 13.71 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया। इस तरह भारत में रिलीज के तीन दिनों में फिल्म की कुल कमाई 36.21 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। ट्रेड एनालिस्ट्स के मुताबिक, फिल्म की पकड़ मजबूत बनी हुई है और आगे भी इसकी कमाई में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
पहले वीकेंड की रिपोर्ट:
फिल्म ने शुक्रवार को लगभग 9 करोड़ रुपये से अपने सफर की शुरुआत की थी। शनिवार को इसने 13.5 करोड़ रुपये कमाए और रविवार को आंकड़ा 13.71 करोड़ तक पहुंच गया। पहले तीन दिनों में ही फिल्म ने 36.21 करोड़ रुपये का नेट कलेक्शन कर लिया है, जो इसके जबरदस्त क्रेज को दर्शाता है।
स्टारकास्ट की चमक:
फिल्म में स्कारलेट जोहानसन, माहेरशाला अली और जोनाथन बेली जैसे अंतरराष्ट्रीय सितारे अहम भूमिकाओं में नजर आ रहे हैं। करीब 1537 करोड़ रुपये (180 मिलियन डॉलर) के बजट में बनी यह फिल्म इस साल की सबसे बड़ी हॉलीवुड पेशकशों में शुमार है।
कंटेंट और तकनीक की तालमेल:
‘जुरासिक वर्ल्ड रीबर्थ’ केवल एक वीएफएक्स शो नहीं है, बल्कि इसमें भावनात्मक गहराई और दिलचस्प कहानी भी मौजूद है। डायनासोर की दुनिया में लौटना दर्शकों के लिए एक बार फिर रोमांचकारी अनुभव रहा। फिल्म के विजुअल इफेक्ट्स, साउंड डिजाइन और सिनेमैटोग्राफी को दर्शकों और समीक्षकों ने खूब सराहा है।
यह फिल्म हिंदी, अंग्रेजी, तमिल और तेलुगू में रिलीज की गई है। खासकर हिंदी और इंग्लिश में इसका प्रदर्शन बेहद अच्छा रहा। वीकेंड पर मल्टीप्लेक्स में 60% से अधिक ऑक्यूपेंसी दर्ज की गई, जबकि मेट्रो शहरों में यह आंकड़ा 70% तक जा पहुंचा।
(साभार)
महुआ मोइत्रा ने कहा- “आदेश से करोड़ों योग्य मतदाता वंचित हो सकते हैं”
10 जुलाई को होगी सुनवाई
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के लिए 10 जुलाई को तारीख तय की है। अदालत इस प्रक्रिया की वैधता और संवैधानिक आधार का परीक्षण करेगी, जिससे चुनावी निष्पक्षता और सभी जागरूक मतदाताओं के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
याचिकाकर्ता और दायरा
राजद सांसद मनोज झा और TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने अलग-अलग याचिकाओं में चुनाव आयोग के 24 जून के आदेश को रद्द करने की मांग की है।
एनजीओ ‘एसोसिएशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ ने भी इसी (SIR) प्रक्रिया को संवैधानिक आधार पर चुनौती दी है।
मुख्य तर्क
मनोज झा का आरोप है कि विधानसभा चुनाव से केवल कुछ महीने पहले इस तरह का विशेष गहन पुनरीक्षण चुनावी प्रक्रियाओं में असमानता और अनियमितताओं का मार्ग प्रशस्त करता है।
महुआ मोइत्रा का कहना है कि 24 जून का आदेश “संविधान के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन” करते हुए जारी हुआ और इससे “लाखों योग्य मतदाताओं” के नाम कटने का जोखिम बना सकता है, जो लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है।
निर्वाचन आयोग का उद्देश्य
आयोग ने (SIR) का लक्ष्य “अपात्र नामों को हटाकर” केवल सही और पात्र मतदाताओं को सूची में शामिल रखना बताया है।
24 जून के आदेश में बताया गया कि यह कदम “मतदाता सूची की सटीकता बढ़ाने” और “चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने” के लिए आवश्यक है।
अगले कदम
सर्वोच्च न्यायालय 10 जुलाई को दोनों याचिकाओं की विचार–विमर्श पूर्ण सुनवाई करेगा।
अदालत इस दौरान निर्वाचन आयोग के (SIR) निर्देशों की संवैधानिकता, चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और संभावित प्रभाव का व्यापक परीक्षण कर सकती है।
प्रभाव
यदि कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष लिया तो पूरे देश में (SIR) के आदेशों पर अस्थायी रोक लग सकती है।
चुनाव से पहले यह विवाद मतदाता सूची की विश्वसनीयता, चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र और राजनीतिक दलों के बीच तर्क–वितर्क को केंद्र में रखेगा।