पूर्व विधायक और जिप अध्यक्ष पर जमीन धोखाधड़ी का आरोप,कमिश्नर ने दिये जांच के आदेश
उत्तराखंड: पुरोला के पूर्व विधायक मलचंद तथा उत्तरकाशी की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जशोदा राणा पर वृद्ध एनआरआई महिला की जमीन कूटरचित दस्तावेजों के जरिये बेचने के आरोप पर कमिश्नर गढ़वाल ने एक सप्ताह मे जांच रिपोर्ट तलब की है। मामले मे एसडीएम बड़कोट और सीओ जांच कर रहे हैं। पीड़िता एनआरआई शशि नेस्ले पत्नी जार्ज माइकल प्रिस्टोरियस निवासी वसंत विहार ने आयुक्त को लिखे पत्र मे कहा कि उनके भाई ले. कर्नल विजय थापा ने वर्ष 2008,2009 मे ग्राम मजरी बड़कोट उत्तरकाशी मे पूर्व विधायक माल चंद और पूर्व जिप अध्यक्ष यशोदा राणा के साथ 125 नाली जमीन (0.363 हैक्टेयर) खरीदी थी। एनआरआई होने की वजह से उन्होंने माल चंद और यशोदा राणा को सह खातेदार बनाया। कूट रचित दस्तावेजों के जरिये यह जमीन यशोदा राणा ने माल चंद के बेटे और बहू के नाम पर कर दी।
एनआरआई महिला ने कहा कि उन्होंने व उनके भाई रिटायर कर्नल ने वजरी गांव में यह जमीन नौ परिवारों से खरीदी थी। उन्होंने गांव के सुंदर सिंह, विशन सिंह, जगत सिंह, दयाल सिंह, जोत सिंह, विक्रम सिंह, भजन सिंह, रुकम सिंह और भागीराम से जमीन खरीदी थी। शिकायती पत्र में बताया गया है कि यह जमीन अस्पताल खोलने के मकसद से ली गई थी। महिला ने कहा कि यह जमींन उन्होंने भाई विजय थापा के मार्फत ली थी और जमीन की देख भाल भाई ही करता था। महिला ने कहा कि उनके भाई की मौत 2019 मे हुई और वह विदेश मे थी तो इस दौरान दोनों सह खातेदारों ने मौके का फायदा उठाकर जमीन खुर्द बुर्द कर दी। उन्होंने मामले की जांच कर अपनी जमीन वापस लौटाने की मांग की है।
वृद्ध एनआरआई महिला की शिकायत पर आयुक्त गढ़वाल ने एसडीएम बड़कोट को जांच कर रिपोर्ट तलब की है। वहीं एसडीएम बड़कोट ने सभी पक्षों को 28 नवंबर गुरुवार को दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने को कहा है। मामले की जांच एसडीएम और पुलिस क्षेत्राधिकारी कर रहे हैं। गौरतलब है कि मालचंद भाजपा, कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं। हाल ही मे हुए लोकसभा चुनाव के दौरान वह भाजपा में वापस लौट गए थे जबकि जसोदा भाजपा से नगर पंचायत अध्यक्ष रहीं हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष बनने से पहले यशोदा राणा ने भाजपा से बगावत की थी।
पुराने हिसाब-किताब में उलझी बिजली की नई दरें, मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक..
उत्तराखंड: यूपीसीएल के 4,300 करोड़ की उपभोक्ताओं से वसूली या सरकार से एडजस्टरमेंट के पुराने-हिसाब किताब की वजह से नए वित्तीय वर्ष का बिजली दरों का प्रस्ताव अटक गया है। यूपीसीएल ने नियामक आयोग से 15 दिन का समय मांगा है। उधर 4,300 करोड़ के मामले पर अब मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक में समाधान निकाला जाएगा। यूपी से अलग होने के बाद उत्तराखंड के हिस्से में 1,058 करोड़ के एसेट्स और देनदारियां आईं थीं। इनमें से 508 करोड़ का निपटारा तो यूपी के टैरिफ और फिर उत्तराखंड के टैरिफ में हो गया था, लेकिन बचे हुए 550 करोड़ को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ था। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने अस्तित्व में आने के बाद इस रकम को तभी सैटल करने का आदेश दिया, जबकि इस संबंध में कोई शासनादेश जारी हो, लेकिन आज तक शासनादेश जारी नहीं हुआ। इस वजह से ये देनदारियां बढ़ती हुईं 4,300 करोड़ रुपये पर पहुंच गईं।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक..
मंगलवार को मुख्य सचिव एवं निगम अध्यक्ष राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में 120वीं बोर्ड बैठक हुई। बैठक में नई विद्युत दरों पर चर्चा हुई तो 4,300 करोड़ का पुराना हिसाब-किताब फिर बीच में आ गया। चूंकि, यूपीसीएल पर करीब 5000 करोड़ की देनदारियां हैं।इसलिए यूपीसीएल प्रबंधन चाहता है कि 4,300 करोड़ का ये बोझ उपभोक्ताओं पर डालने के बजाए सरकार के साथ देनदारियों से एडजस्ट किया जाए। इसका प्रस्ताव दो बार वित्त विभाग रिजेक्ट कर चुका है। बैठक में तय हुआ कि इस मामले में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक होगी, जिसमें सचिव वित्त और सचिव ऊर्जा भी शामिल होंगे। बैठक में यूपीसीएल एमडी अनिल कुमार समेत तमाम निदेशक मौजूद रहे।
हॉग डियर और मगरमच्छों की घटती संख्या पर होगा शोध..
उत्तराखंड: सरकार ने बाघ संरक्षण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को बढ़ाने के लिए “बाघ रक्षक योजना” को मंजूरी दे दी है। बता दे कि वन मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन फॉर सीटीआर (Corbett Tiger Reserve) के शासी निकाय की 10 वीं बैठक की गई। बैठक के दौरान बाघ संरक्षण को लेकर किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा हुई। साथ ही वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बाघ रक्षक योजना को मंजूरी दे दी। हालांकि बैठक के दौरान मंत्री ने इस योजना को तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश दिए।
बता दे कि बाघ रक्षक योजना के तहत कई चरणों में काम किए जायेंगे। इस योजना के पहले चरण में स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में बाघ संरक्षण स्वयं सेवकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। साथ ही योजना के तहत शैक्षणिक संस्थानों में जैव विविधता दीवारें और प्रकृति क्लब भी बनाए जाएंगे। इसके अगले चरण में बाघों की सुरक्षा में सभी लोगों के सहयोग को बढ़ाने के लिए जनता और कॉर्पोरेट क्षेत्र को भी शामिल किया जाएगा।
इसके साथ ही इस योजना में टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन के जरिए नेचर गाइड और फ्रंट लाइन कर्मचारियों के लिए 10 लाख रुपये तक के जीवन बीमा कवरेज की भी व्यवस्था है। बैठक के दौरान, ये भी निर्णय लिया गया कि कार्बेट टाइगर रिजर्व के पर्यटक क्षेत्र में बने वॉच टावर का अब पर्यटन गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा।
रिजर्व में हॉग डियर और मगरमच्छों (hog deer and crocodiles) की संख्या में हो रही कमी के मद्देनजर, उन पर शोध करने पर सहमति बनी है। क्योंकि दोनों प्रजातियों को रिजर्व के पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण कड़ी माना जाता है। इसके साथ ही फाउंडेशन ने रिजर्व के वन विश्राम गृहों को भी अपग्रेड करने की मंजूरी दी है।
उत्तराखंड में निकायों के बाद ग्राम और क्षेत्र पंचायतों को भी किया प्रशासक के हवाले..
उत्तराखंड: हरिद्वार जिले को छोड़कर अन्य 7,477 ग्राम पंचायतों में बुधवार शाम से प्रशासक नियुक्त कर दिए जाएंगे। ग्राम पंचायतों में सहायक विकास अधिकारियों को ग्राम पंचायतों का प्रशासक बनाया जाएगा, जबकि क्षेत्र पंचायतों में 29 नवंबर से प्रशासक नियुक्ति किए जाएंगे। शासन ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। सचिव चंद्रेश कुमार के जारी आदेश के मुताबिक, हरिद्वार जिले को छोड़कर राज्य की समस्त गठित ग्राम पंचायतों का 27 नवंबर को कार्यकाल समाप्त हो रहा है। जिनमें नई ग्राम पंचायतों के गठन या कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से छह महीने के भीतर जो भी पहले हो प्रशासक नियुक्त किए जाएंगे।
जिलों के विकासखंड के सहायक विकास अधिकारी पंचायत को प्रशासक नियुक्त करने के लिए संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों को अधिकार दिया गया है। डीएम की ओर से नियुक्त प्रशासक निर्वाचित ग्राम पंचायत के कार्यकाल की समाप्ति पर ग्रहण करेंगे, जो नीतिगत निर्णय नहीं लेंगे एवं सामान्य रुटीन कार्यों को ही कर सकेंगे। जबकि, क्षेत्र पंचायतों में हरिद्वार जिले को छोड़कर अन्य सभी जिलों की क्षेत्र पंचायतों में 29 नवंबर से प्रशासक नियुक्त किए जाएंगे। प्रशासक के रूप में एसडीएम को नियुक्त किया जाएगा। इसके लिए भी जिलाधिकारियों को अधिकार दिया गया है। बुधवार शाम ग्राम पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होते ही प्रशासकों को नियुक्त कर दिया जाएगा। शासन ने जिलाधिकारियों को इसके लिए अधिकार दिया है।
सीएम धामी ने प्रदेशवासियों को दी संविधान दिवस की शुभकामनाएं, कहा- हमारा संविधान लोकतंत्र की आत्मा..
उत्तराखंड: आज पूरा देश संविधान दिवस मना रहा है। 26 नवंबर का दिन भारत में हर साल संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। संविधान दिवस के अवसर पर सीएम धामी ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। सीएम धामी ने प्रदेशवासियों को संविधान दिवस की बधाई देते हुए कहा कि हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और हमारा संविधान इस लोकतंत्र की आत्मा है। ये संविधान हमें न केवल हमारे अधिकारों की जानकारी देता है, बल्कि कर्तव्यों के निर्वहन की प्रेरणा भी प्रदान करता है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि संविधान दिवस के अवसर पर हम सभी अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक और सजग बनने का संकल्प लें। बता दें कि हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। ये दिन इसलिए खास है क्योंकि हमारे देश ने साल 1949 में इसी दिन अपने संविधान को अपनाया था। पहले इसे कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था लेकिन साल 2015 में डॉ. भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर पीएम मोदी ने संविधान दिवस मनाने की शुरुआत की थी।
उत्तराखंड में राष्ट्रीय खेलों पर सामने आया बड़ा अपडेट, देहरादून में होगा शुभारंभ, हल्द्वानी में होगा समापन..
उत्तराखंड: 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन उत्तराखंड में होने जा रहा है। जिसे लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। आगामी 38वें राष्ट्रीय खेलों का भव्य शुभारंभ देहरादून में होगा। जबकि राष्ट्रीय खेलों का समापन हल्द्वानी में किया जाएगा। 38वें राष्ट्रीय खेलों का भव्य शुभारंभ देहरादून में और समापन हल्द्वानी में किया जाएगा। सीएम पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय खेलों का आयोजन राज्य में खेलों को बढ़ावा देने और युवाओं को प्रोत्साहित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
सीएम ने कहा कि उत्तराखण्ड के लोग जहां भी जाते हैं अपनी सांस्कृतिक धरोहर, लोक परंपराएं, खानपान और अपनत्व की भावना को जीवित रखते हैं। उनके घरों में हमेशा ऐपण और गंगा दशहरा द्वार पत्र की सुंदर झलक देखने को मिलती है। सीएम ने कहा कि हमारी सरकार राज्य के समग्र विकास और युवाओं के उत्थान के साथ ही प्रदेश की सांस्कृतिक विविधता एवं स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पटल पर स्थापित करने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। बता दें कि राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के लिए प्रदेश में लंबे समय से तैयारी की जा रही है। उत्तराखंड में नेशनल गेम्स 25 जनवरी से 14 फरवरी तक होने जा रहे हैं।
जानिए क्या हैं सुभद्रा योजना? जिसके तहत महिलाओं को मिलेंगे 50 हजार रुपये..
देश-विदेश: ओडिशा सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सुभद्रा योजना शुरु कर रही है। इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करना और उन्हें डिजिटल ट्रांजेक्शन की ओर प्रोत्साहित करना है। बता दें कि सुभद्रा योजना ओडिशा सरकार की एक महत्तवकांक्षी पहल है। इस योजना का लक्ष्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत राज्य की एक करोड़ महिलाओं को लाभान्वित किया जाएगा।
ऐसे दी जाएगी महिलाओं को सहायता..
इस योजना के तहत महिलाओं को सालाना 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
यह राशि दो किस्तों में दी जाएगी।
प्रत्येक किस्त 5 हजार रुपये की होगी।
यह योजना 2024-25 से लेकर 2028-29 तक होगी।
इसमें पांच सालों में कुल 50 हजार रुपये महिलाओं के बैंक खातों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से भेजे जाएंगे।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए नियम..
महिला की उम्र 21 से 60 साल होना।
ओडिशा राज्य का मूल निवासी होना।
सरकारी नौकरी वाली महिलाओं को नहीं मिलेगा लाभ।
इनकम टैक्स भरने वाली महिलाओं को नहीं मिलेगा लाभ
जो पहले से राज्य की कोई अन्य योजना के तहत 1500 रुपये का लाभ ले रही हो वो नहीं होंगी पात्र।
यूजी और पीजी सेमेस्टर की परीक्षाएं 29 नवंबर से होंगी शुरू..
उत्तराखंड: श्रीदेव सुमन विवि की सेमेस्टर परीक्षाओं को लेकर तस्वीर साफ हो गई है। विवि ने स्नातक प्रथम, तृतीय व पांचवें और स्नातकोत्तर प्रथम और तृतीय सेमेस्टर का परीक्षा कार्यक्रम घोषित कर दिया है। विवि की उक्त सेमेस्टरों की परीक्षाएं 29 नवंबर से शुरू होगी, जो दिसंबर अंत तक चलेंगी। 200 केंद्रों पर सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित की जाएगी।
श्रीदेव सुमन विवि से संबद्ध राजकीय महाविद्यालयों और निजी कॉलेजों की स्नातक प्रथम, तृतीय व पांचवें और स्नातकोत्तर प्रथम और तृतीय सेमेस्टर की परीक्षाएं पूर्व में 9 नवंबर से होनी थी, लेकिन छात्रों के विरोध के चलते विवि को परीक्षा कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा था। छात्रसंघ चुनाव कराने और सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी नहीं होने के चलते तब छात्र आंदोलनरत थे। विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. सीएम नेगी का कहना हैं कि स्नातक प्रथम, तृतीय व पांचवें और स्नातकोत्तर की परीक्षाएं अब 29 नवंबर से आयोजित की जाएगी। परीक्षा कार्यक्रम विवि की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। छात्र-छात्राएं विवि की वेबसाइट http://www.sdsu.ac.inपर अपना परीक्षा कार्यक्रम देख सकते हैं। परीक्षा के सफल आयोजन के लिए विवि के स्तर पर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। नकल विहीन परीक्षा संपन्न कराने के लिए उड़नदस्तों की टीम का गठन किया गया है।
उत्तराखंड के 13वें डीजीपी बने दीपम सेठ, 1995 बैच के हैं आईपीएस अधिकारी..
उत्तराखंड: दीपम सेठ उत्तराखंड के 13वें डीजीपी बन गए हैं। गृह विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। एडीजी दीपम सेठ ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटकर सोमवार को मूल कैडर ज्वाइन किया। ज्वाइन करते ही उन्हें पुलिस के 13वें मुखिया की जिम्मेदारी भी दी गई। दीपम सेठ 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। और वर्ष 2019 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थे। अभी उनकी प्रतिनियुक्ति अवधि पूरी नहीं हुई थी कि शासन ने उन्हें वापस बुलाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। पत्र के एक दिन बाद ही केंद्र ने उन्हें रिलीव भी कर दिया। बता दें कि एडीजी दीपम सेठ उत्तराखंड कैडर के वर्तमान में सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं। पिछले साल पूर्व डीजीपी अशोक कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद सेठ के वापस आने की चर्चाएं हुई थीं।
इस मांग को केंद्र सरकार ने भी अगले ही दिन स्वीकृत कर लिया और सेठ को शनिवार को रिलीव कर दिया गया। अब एडीजी दीपम सेठ सोमवार को दून आकर अपना मूल कैडर ज्वाइन करेंगे। सूत्रों के अनुसार ज्वाइन करने के बाद उन्हें पुलिस की कमान सौंपने की तैयारियां भी की जा रही हैं। इस संबंध में शासन स्तर पर सारी औपचारिकताएं भी पूरी कर ली हैं।
केदारनाथ उपचुनाव में बीजेपी के सिर सजा ताज..
उत्तराखंड: भारतीय जनता पार्टी बीजेपी ने उत्तराखंड का केदारनाथ विधानसभा सीट उपचुनाव जीत लिया हैं। उत्तराखंड के केदारनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजों ने सभी को चौंका दिया है। हालांकि, राजनीतिक पार्टियों जहां एक ओर अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत का दम भर रही थीं, तो वहीं नतीजे सामने आने के बाद अब राजनीतिक पार्टियां चुनाव का विश्लेषण करने पर जोर दे रही हैं। मंगलौर और बदरीनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा को मिली हार के बाद धामी सरकार के नेतृत्व में भाजपा ने केदारनाथ उपचुनाव को भारी बहुमत से जीत लिया है। भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल केदारनाथ उपचुनाव में बड़े अंतर से विजयी हुई हैं। ऐसे में भाजपा के उपचुनाव जीतने के क्या रहे हैं महत्वपूर्ण फैक्टर?
केदार घाटी में धार्मिक और मुस्लिम फैक्टर..
उत्तराखंड राज्य में धार्मिक और मुस्लिम फैक्टर का काफी असर देखा जा रहा है। हालांकि केदारनाथ विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ना के बराबर है। बावजूद इसके प्रदेश के तमाम हिस्सों में मुस्लिम फैक्टर का असर केदारनाथ विधानसभा सीट पर भी देखने को मिला है। यही वजह रही कि केदारनाथ विधानसभा सीट पर भाजपा को धार्मिक और मुस्लिम फैक्टर की वजह से काफी फायदा मिला है।
उपचुनाव से पहले धामी सरकार की तमाम बड़ी सौगातें..
केदारनाथ उपचुनाव की तिथियां का ऐलान होने से पहले ही धामी सरकार ने केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के लिए सौगातों का पिटारा खोल दिया था। 31 जुलाई को केदार घाटी में आई आपदा की वजह से करीब एक महीने तक केदारनाथ यात्रा प्रभावित रही थी। जिसके चलते धाम में सरकार ने स्थानीय व्यापारियों और लोगों को राहत पहुंचाने के लिए न सिर्फ पैकेज दिया, बल्कि केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए तमाम योजनाओं को मंजूरी देते हुए वित्तीय स्वीकृति भी दी। ऐसे में भाजपा को केदारनाथ विधानसभा सीट पर मिली जीत में एक फैक्टर धामी सरकार की ओर से दी गई सौगातें और घोषणाएं भी मानी जा रही हैं।
केदारनाथ उपचुनाव में सरकार की मुस्तैदी..
केदारनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के दौरान सरकार की काफी अधिक मुस्तादी क्षेत्र में देखने को मिली। बता दे कि मंगलौर और बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर भाजपा को मिली करारी हार के बाद भाजपा केदारनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव को हारना नहीं चाहती थी। यही वजह थी कि भाजपा संगठन ने केदारनाथ उपचुनाव में न केवल पांच मंत्रियों को चुनाव की जिम्मेदारी दी, बल्कि तमाम नेताओं को भी धरातल पर काम करने के लिए भेजा।ताकि केदारनाथ उपचुनाव को हर हाल में बीजेपी जीत सके. कुल मिलाकर केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में सरकार की मुस्तैदी का असर रहा कि भाजपा ने केदारनाथ उपचुनाव को भारी बहुमत से जीत लिया है।
बता दे कि उत्तराखंड राज्य गठन के बाद इस साल जुलाई से पहले तक रूलिंग पार्टी का ही उपचुनाव को जीतने का रिकॉर्ड था। लेकिन जुलाई में हुए मंगलौर और बद्रीनाथ विधानसभा सीट उपचुनाव में रूलिंग पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। यही नहीं, इससे पहले भी एक दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे रूलिंग पार्टी के अपोजिट दिखाई दिए। हालांकि केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में रूलिंग पार्टी के चुनाव जीतने का फैक्टर देखने को मिला।दरअसल रूलिंग पार्टी के चुनाव जीतने से एक बड़ा फायदा यही होता है कि उस क्षेत्र में विकास के कार्य की गति और अधिक तेज हो जाती है।
पीएम मोदी की आस्था और विकास कार्यों पर सक्रियता..
केदारनाथ धाम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आस्था जुड़ी हुई है। यह बात केदार घाटी की जनता बखूबी जानती है. साल 2013 में केदार घाटी में आई भीषण आपदा के बाद केदार घाटी में पुनर्निर्माण के कार्यों को तेज गति से किया गया था। इसके साथ ही साल 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद न सिर्फ केदार घाटी के लिए भारत सरकार ने कई बड़ी सौगातें दी हैं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद समय-समय पर केदार घाटी में चल रहे विकास कार्यों का निरीक्षण भी करते रहे हैं। यही वजह रही कि उपचुनाव के दौरान भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बाबा केदार में आस्था और विकास कार्यों के प्रति सक्रियता को भी एक बड़ा मुद्दा बनाया, जिसका असर केदार घाटी में देखने को मिला।
भाजपा के ब्राह्मण कैंडिडेट का फैक्टर..
केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा ने प्रदेश महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आशा नौटियाल को प्रत्याशी बनाया। जिसका एक बड़ा फैक्टर यह था कि आशा नौटियाल ब्राह्मण हैं और केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में बड़ी तादाद में ब्राह्मण हैं। ऐसे में ब्राह्मण जाति के लोगों को टारगेट करने के लिए भाजपा का यह फार्मूला कामयाब हो गया। यही नहीं इस उपचुनाव के दौरान धार्मिक फैक्टर की वजह से ब्राह्मण जाति के लोग न सिर्फ एकजुट हो गए, बल्कि आशा नौटियाल के प्रत्याशी बनने की वजह से भी ब्राह्मण जाति के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाजपा को अपना समर्थन दिया।
निर्दलीय प्रत्याशी त्रिभुवन ने कांग्रेस के मतदाताओं में लगाई सेंध..
केदारनाथ उपचुनाव में एक बड़ा फैक्टर ये भी रहा कि जहां एक ओर भाजपा को अपने कैडर वोटरों का वोट तो मिला ही, वहीं धार्मिक मुद्दों की वजह से भाजपा को ब्राह्मण, ठाकुर और एससी/ एसटी जाति के लोगों का वोट भी मिला है। जबकि कांग्रेस का मतदाता बंटता दिखाई दिया। इसकी मुख्य वजह निर्दलीय प्रत्याशी त्रिभुवन सिंह का चुनावी मैदान में खड़ा होना था। कांग्रेस का वोट बंटने की वजह से भाजपा को चुनाव जीतने में एक और बड़ा फायदा मिला। इसका नतीजा रहा कि भाजपा केदारनाथ उपचुनाव को जीत गई।