वर्ष 2022 में होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में सत्ता बरकरार रखने के लिए प्रदेश भाजपा कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है। विजय का रोड मैप तैयार करने के लिए पार्टी ने कार्बेट नेशनल पार्क के समीप ढिकुली (रामनगर) में तीन दिवसीय चिंतन शिविर आयोजित किया है। शिविर का औपचारिक उद्घाटन रविवार शाम उत्तराखंड भाजपा प्रभारी दुष्यंत गौतम, सह प्रभारी रेखा वर्मा, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक व प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार ने किया।
शिविर में प्रदेश भाजपा के कोर ग्रुप के सदस्यों के अलावा सरकार के सभी मंत्रियों की उपस्थिति बनी हुई है। चिंतन शिविर का सबसे महत्वपूर्ण पहलु यह है कि सोमवार को दूसरे दिन भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बी.एल.संतोष इसमें भाग लेने के लिए सुबह ढिकुली पहुंचे। संतोष दो दिन तक शिविर में भाग लेंगे और उत्तराखंड भाजपा के चिंतन को धार देंगे।
संतोष का एक माह के अंतराल में उत्तराखंड का यह दूसरा दौरा है। चिंतन शिविर में भाग लेने से पहले वे मई माह के अंत में राजधानी देहरादून पहुंचे थे। देहरादून के तीन दिनी दौरे में उन्होंने पार्टी संगठन और सरकार के विभिन्न स्तर के नेताओं के साथ ताबड़तोड़ बैठकें की थीं और सरकार व संगठन की थाह ली। इस दौरान उन्होंने विभिन्न स्तर के नेताओं से एक-एक कर भी मुलाकात की। जो भी उनसे मिला उसे पूरी तन्मयता के साथ और जम कर सुना। उनकी इस कार्यशैली के पार्टी कार्यकर्ता कायल भी हुए।
बोम्माराबेट्टु लक्ष्मीजनार्दन संतोष, जिन्हें बी.एल.संतोष के नाम से जाना जाता है, संगठनात्मक कौशल और रणनीतिक प्रबंधन के माहिर समझे जाते हैं। लो प्रोफाइल रहने के बावजूद संतोष को परदे के पीछे का कुशल रणनीतिकार माना जाता है। माना जा रहा है कि चिंतन शिविर में उनकी उपस्थिति से उत्तराखंड भाजपा के रोड मैप में विविध आयाम जुड़ेंगे।
यहां बता दें कि भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद सबसे प्रभावी भूमिका महामंत्री (संगठन) की होती है। महामंत्री (संगठन) के पद पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक की नियुक्ति होती है। संतोष जुलाई, 2019 में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) नियुक्त हुए थे।
मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले संतोष ने कैमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद उन्होंने थोड़ा समय के लिए नौकरी की। मगर उनका मन नौकरी में नहीं रमा। अपना आकर्षक करियर छोड़ कर वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। उन्होंने कर्नाटक के विभिन्न क्षेत्रों में पूर्णकालिक कार्यकर्त्ता के रूप में संघ कार्य किया और अंततः संघ के प्रचारक बन कर अपना पूरा जीवन समाज कार्य के लिए समर्पित कर दिया।
अंग्रेजी, हिंदी, कन्नड़, तमिल अदि भाषाओं के जानकार संतोष वर्ष 2006 में कर्नाटक भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) नियुक्त हुए। वर्ष 2008 में पहले दक्षिणी राज्य कर्नाटक में भाजपा की सरकार के गठन में उनकी भूमिका को भी महत्वपूर्ण माना जाता है। कर्नाटक में उन्होंने अपनी पहचान क्षमता वाले जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता देने वाले के रूप में बनाई। संतोष का ध्यान पार्टी के कमजोर क्षेत्रों और पक्षों पर रहा है।
वर्ष 2014 में संतोष को भाजपा का राष्ट्रीय सह-महामंत्री (संगठन) नियुक्त किया गया और उनके जिम्मे दक्षिण के कई राज्य सौपें गए। उन्होंने केरल जैसे राज्य में पार्टी के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया।
आमतौर पर परम्परागत दक्षिण भारतीय धोती और आधे बांह का कुर्ता पहनने वाले संतोष अध्ययनशील प्रवृत्ति के हैं। कहा जाता है की उनकी स्मृति गजब की है। अपने सिद्धांतों के प्रति वे सख्त हैं। विभिन्न मुद्दों पर वे अपनी राय मुखरता के साथ रखते हैं। सोशल मीडिया पर भी वे विभिन्न मुद्दों पर मुखर रहते हैं। वे भाजपा में उस पीढ़ी के नेता हैं, जो तकनीकि प्रेमी हैं। तकनीकि का राजनीति में अधिकतम लाभ कैसे लिया जा सकता है, यह वे बखूबी जानते हैं।