भोपाल (विसंकें)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले व अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख रामलाल ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में संघ कार्यकर्ता ओम प्रकाश गर्ग की पुस्तक मेरी संघ यात्रा का विमोचन किया। कार्यक्रम में भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय ने कहा कि संघ के बारे में कई भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, लेकिन हर पुस्तक का अलग महत्व होता है। संघ का एक कार्यकर्ता जब किताब लिखता है, तो उस पुस्तक में सिर्फ उसके अनुभव ही नहीं, बल्कि उसके हृदय की भावना भी समाहित होती है। यह पुस्तक अगली पीढ़ी के लिए संघ का एक दस्तावेज है।
अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख रामलाल ने कहा कि आरएसएस को सुनकर नहीं, बल्कि देखकर समझा जा सकता है और इस पुस्तक में संघ के बारे में जो भी लिखा गया है, वह एक कार्यकर्ता का प्रत्यक्ष अनुभव है।
लेखक ओम प्रकाश गर्ग ने कहा कि यह पुस्तक आत्मकथ्य नहीं है। अपने जीवन में संघ और समाज से जुड़कर कार्य करने की जो प्रेरणा मुझे मिली है, उसके संस्मरण इस पुस्तक में शामिल हैं। इसके अलावा वर्तमान परिस्थितियों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की क्या आवश्यकता है, इसका विश्लेषण करने का मैंने प्रयास किया है।
पुस्तक की भूमिका संघ के मध्यक्षेत्र संघचालक अशोक साहनी ने लिखी है। पुस्तक में कई संघ गीतों को भी शामिल किया गया है, जो प्रेरक, मार्गदर्शक तथा राष्ट्रभाव का जागरण करने वाले हैं। संघ की रचना, उसके विचार एवं कार्य पद्धति को भी इस पुस्तक के माध्यम से समझा जा सकता है। पुस्तक को भोपाल के पहले पहल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है।
दिल्ली पुलिस की महिला फ्रंट डेस्क कार्यकारी अब सुंदर खादी सिल्क की साड़ियों में नजर आएंगी। शुरूआती चरण में दिल्ली पुलिस ने खादी और ग्रामीण उद्योग आयोग (KVIC) को 25 लाख रुपये मूल्य की 836 खादी सिल्क की साड़ियां खरीदने का आदेश दिया है।
दोहरे रंग की साड़ियां तसर – कटिया सिल्क से बनाई जाएंगी। साड़ियों के नमूने दिल्ली पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए, जिसके अनुसार KVIC द्वारा साड़ियां बनाई जा रही हैं। साड़ियां नेचूरल कलर सिल्क तथा गुलाबी रंग में कटिया सिल्क की मिश्रित होंगी।
दिल्ली पुलिस के लिए तसर–कटिया सिल्क की साड़ियां पश्चिम बंगाल में परम्परागत दस्तकारों द्वारा तैयार की जा रही हैं। तसर–कटिया सिल्क दो रंगों में उपलब्ध कपड़ा है जो तसर तथा कटिया सिल्क के मिश्रण से बनता है। इसकी बुनाई परम्परागत दस्तकार करते हैं। इसकी पहचान गहरी और भारी बुनावट से होती है। यह खुरदरा होता है और देखने में सादा लगता है। मगर सुराखदार बुनाई इस कपड़े को सभी मौसम में पहनने योग्य बना देती है।
KVIC के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा है कि दिल्ली पुलिस से मिले नवीनतम खरीद आदेश से खादी की बढ़ती लोकप्रियता जाहिर होती है। इससे खादी दस्तकारों को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि खादी कारीगरी है, इसलिए यह सबसे आरामदायक कपड़ा है। उन्होंने कहा कि सामान्यजन ही नहीं विशेषकर युवाओं और सरकारी निकायों द्वारा खादी को अपनाया जा रहा है। यह दूरदराज के कताई और बुनाई करने वाले दस्तकारों को बहुत बड़ा प्रोत्साहन है।
इससे पहले KVIC ने चादरों और वर्दियों सहित खादी उत्पाद आपूर्ति के लिए भारतीय रेल, स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय डाक विभाग, एयर इंडिया तथा अन्य सरकारी एजेंसियों से समझौता किया। KVIC एयर इंडिया के क्रू सदस्यों तथा स्टाफ के लिए यूनिफॉर्म बना रहा है। आयोग 90 हजार से अधिक डाक बंधुओं/डाक बहनों के लिए भी यूनिफॉर्म बना रहा है। यूनिफॉर्म ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं।
लगभग 9 साल पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दरिंदगी व गैंगरेप की शिकार हुई एक गुमनाम निर्भया के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पहल करेंगे। मुख्यमंत्री ने निर्भया के माता-पिता को आश्वासन दिया है कि प्रदेश सरकार उनकी हर प्रकार से सहायता करेगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की इस पहल के बाद यह प्रकरण चर्चा में आ गया है।
बुधवार को निर्भया के माता-पिता ने देहरादून में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र से भेंट की। निर्भया के माता-पिता से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटी के साथ जो हुआ, वह दिल दहलाने वाला था। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए उनका पूरा सहयोग किया जाएगा। राज्य सरकार पीड़िता के परिवार के साथ है और हर प्रकार की मदद के लिए तैयार है।
मुख्यमंत्री ने उन लोगों का भी धन्यवाद किया जिन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से इस आवाज को उठाया है। उन्होंने अपील की कि जिस तरह से राज्यवासियों ने पहले भी दिल्ली में न्याय के लिए आवाज उठाने में पीड़ित परिवार का साथ दिया, अब भी इस आवाज को उठाने में पूरा सहयोग करेंगे। उल्लेखनीय है कि, निर्भया को न्याय दिलाने के लिए मीडिया पर काफी समय से #JusticeForKiranNegi अभियान चल रहा है।

क्या था प्रकरण
दिल्ली के बहुचर्चित निर्भया कांड से लगभग दस माह पहले एक और लड़की किरण नेगी दरिंदों का शिकार बनी थी। मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी (गढ़वाल) की निवासी किरण नेगी अपने परिजनों के साथ दिल्ली के छावला में रहती थी। वह गुरुग्राम में एक कंपनी में नौकरी करती थी। उसकी आंखों में अपने भविष्य को लेकर तमाम स्वप्न थे।
9 फरवरी, 2012 की एक मनहूस शाम किरण अपनी अन्य सहेलियों के साथ नौकरी से वापस घर लौट रही थी। रास्ते में तीन दरिंदों ने अंधेरे का फायदा उठा कर लड़कियों के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी। किरण की सहेलियां किसी तरह से जान बचाकर वहां से भाग गई और किरण को दरिंदों ने एक कार में अगवा कर लिया। चार दिन बाद उसकी लाश हरियाणा से बरामद हुई।
दरिंदों ने किरण के साथ जो बर्ताव किया, उसे सुन कर किसी की भी रूह कांप जाएगी। दरिंदे उसे एक सुनसान जगह ले गए। वहां उन्होंने उससे बारी-बारी से बलात्कार किया। फिर हैवानियत की सारी हदों को पार करते हुए किरण को मौत के घाट उतार दिया। लड़की के सिर पर गाड़ी के जैक व पाने से लगातार प्रहार किए गए। लड़की की पहचान छिपाने के लिए उसके शरीर को दागा गया और बियर की बोतल तोड़ कर उसके शरीर पर तब तक वार किया गया, जब तक उन्होंने यह सुनिश्चित नहीं कर लिया की लड़की की मौत हो गई।
पुलिस ने कार व मोबाइल लोकेशन के आधार पर तीनों दरिंदों राहुल, रवि व विनोद को गिरफ्तार कर लिया। 19 फरवरी 2014 को द्वारका की एक अदालत ने तीनों दरिंदों को फांसी की सजा सुनाई। अदालत में अभियोजन पक्ष ने इस मामले को ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ बताते हुए दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग करते हुए कहा था कि ऐसे लोगों को जिंदा रहने दिया गया तो समाज में गलत सन्देश जाएगा। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी दोषियों की सजा को बरकरार रखा था। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट में यह प्रकरण विचाराधीन है।
किरण के माता-पिता अपराधियों को शीघ्र मृत्यु दंड दिलाने के लिए लगातार संघर्षरत हैं। किरण के माता-पिता को न्याय दिलाने के लिए दिल्ली स्थित विभिन्न प्रवासी उत्तराखंडियों के संगठन भी सक्रिय हैं। गत वर्ष दिल्ली-एनसीआर में रह रहे प्रवासी उत्तराखंडियों ने प्रकरण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय संग्रहालय से इंडिया गेट तक कैंडल मार्च भी निकाला था। सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर लंबे समय से अभियान चल रहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल, (पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र) की गाजियाबाद में चल रही बैठक में पर्यावरण संरक्षण व वैश्विक महामारी कोरोना के कारण बदलते परिवेश में स्वयंसेवकों को और अधिक गंभीरता व जिम्मेदारी के साथ कार्य करने का आह्वान किया गया। कहा गया कि सेवा के कार्यों को आगे बढ़ाते हुए स्वरोजगार, आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन को कार्य का आधार बनाना चाहिए। बैठक में संघ कार्य की वर्तमान स्थिति की समीक्षा के साथ आगामी कार्यक्रमों पर विचार किया गया।
उल्लेखनीय है कि संघ की प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्तर पर कार्यकारी मंडल की बैठक आयोजित होती है। मगर कोरोना काल को देखते हुए इस वर्ष यह बैठक क्षेत्रीय स्तर पर हो रही है। संघ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र में मेरठ, ब्रज व उत्तरांचल प्रान्त शामिल हैं। गाजियाबाद के नेहरू नगर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में चल रही दो दिवसीय बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह सुरेश जोशी, सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले, डॉ कृष्ण गोपाल, डॉ. मनमोहन वैद्य, मुकुंद जी, अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख सुरेश चंद्र, अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख राजकुमार मटाले सहित 3 प्रान्तों के 20 प्रतिनिधि उपस्थित हैं।
बैठक में सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने कहा कि कोरोना के कारण सामाजिक परिवेश में परिवर्तन आया है। इस बदलते परिवेश में स्वयंसेवकों को अपनी कार्य भूमिका बदलने की आवश्यकता है। बैठक में निर्णय लिया गया कि कोरोना के कारण ऑनलाइन व परिवार शाखाओं को अब अपने पूर्व स्वरूप में आना चाहिए। शाखाओं को कोरोना संबंधी सावधानियों के साथ शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए खुले मैदानों में लगाने की बात की गई। राष्ट्रभक्ति, सेवा, संस्कार की भावना मजबूत करने के लिए साप्ताहिक कुटुंब-बैठकें प्रारम्भ करने का आह्वान किया गया। भारत की प्राचीन कुटुम्ब परंपरा में परस्पर स्नेह व सामंजस्य विशेषता रही है।
सरकार्यवाह सुरेश जोशी (भय्याजी जोशी) के अनुसार पर्यावरण संरक्षण वर्तमान समय की मांग है। उन्होंने कहा कि जब पर्यावरण संरक्षण का विषय आता है तो जल प्रबंधन, जल के दुरुपयोग की रोकथाम, प्लास्टिक उपयोग पर रोक जैसे जागरूकता अभियान चलाने होंगे। समाज में अधिक से अधिक पौधारोपण की अलख जगानी होगी। सभी प्रान्तों ने अपने यहां चल रहे पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों व अभियानों की जानकारी बैठक में दी।
बैठक में स्वदेशी निर्मित सामान के उपयोग से भारत को आर्थिक रूप से सशक्त करने की अवधारणा को साकार करने पर जोर दिया गया। इसके लिए छोटे उद्योग, ग्रामीण कुटीर उद्योग का सहयोग करने की बात कही गई। बैठक में कोविड-19 के दौर में स्वयंसेवकों द्वारा किए गए सेवा कार्यों की चर्चा-समीक्षा भी हुई। (विश्व संवाद केंद्र)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने दो दिन के उत्तराखंड के दौरे पर रविवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ केदारनाथ पहुंचे। केदारनाथ में हैलीपैड पर उतरने के तुरंत बाद दोनों मुख्यमंत्रियों ने वर्ष 2013 की आपदा के बाद वहां चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लिया। शाम को दोनों मुख्यमंत्री केदारनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर रात्रि विश्राम भी वहीं करेंगे।
इससे पूर्व, योगी आदित्यनाथ दोपहर में राजकीय वायुयान से गोरखपुर से देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचे। एयरपोर्ट पर योगी आदित्यनाथ का मुख्यमंत्री त्रिवेंद, प्रदेश के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत व मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने स्वागत किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी हैं।

जौलीग्रांट एयरपोर्ट से वे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ हेलीकॉप्टर से केदारनाथ के लिए रवाना हुए। 16 नवंबर की प्रातः शीतकाल के लिए केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद हो रहे हैं। दोनों मुख्यमंत्री प्रातः केदारनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर कपाट बंद होने के कार्यक्रम के साक्षी बनेंगे। इसके बाद दोनों प्रातः 7:30 बजे बद्रीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेंगे। बद्रीनाथ में प्रातः 8 से 9 बजे तक उनका पूजा-अर्चना का कार्यक्रम है।
पूजा-अर्चना के बाद वे बद्रीनाथ में उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के पर्यटक आवास गृह के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होंगे। यहां बता दें कि बद्रीनाथ में हेलीपैड के समीप उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटक आवास गृह का निर्माण प्रस्तावित है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 15-16 नवंबर को दो दिन के उत्तराखंड दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वे केदारनाथ व बद्रीनाथ के दर्शन करेंगे। साथ ही बद्रीनाथ में प्रस्तावित उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के पर्यटक आवास गृह का शिलान्यास करेंगे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इस भ्रमण में उनके साथ रहेंगे।
सरकारी सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 15 नवंबर को दोपहर 2:50 बजे गोरखपुर से सरकारी जहाज से जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे। वहां से वे हेलीकाप्टर से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेंगे। केदारनाथ मंदिर में दर्शन व पूजन के बाद वे वहां का भ्रमण भी करेंगे। उस दिन रात्रि को योगी आदित्यनाथ केदारनाथ में ही रुकेंगे।
16 नवंबर को प्रातः 4:30 बजे से एक घंटे तक योगी आदित्यनाथ केदारनाथ धाम में पूजा-अर्चना कर कपाट बंद होने के कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके बाद वे प्रातः 7:30 बजे बद्रीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेंगे। बद्रीनाथ में प्रातः 8 से 9 बजे तक उनका पूजा-अर्चना का कार्यक्रम है।
पूजा-अर्चना के बाद वे 10 बजे बद्रीनाथ में प्रस्तावित उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के पर्यटक आवास गृह का शिलान्यास करेंगे। यहाँ बता दें कि बद्रीनाथ में हेलीपैड के समीप उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटक आवास गृह का निर्माण प्रस्तावित है। इस कार्यक्रम में वे एक घंटे तक शिरकत करेंगे। इसके बाद वे लखनऊ के लिए रवाना होंगे।
केंद्र सरकार (Central Government) ने अपने पेंशनभोगी (Pensioners) कार्मिकों के लिए एक बड़ी राहत देते हुए जीवन प्रमाण पत्र (Life certificate) घर पर ही जमा करने की सुविधा प्रदान कर दी है। अब पूरे देश में पेंशनभोगी कार्मिक बिना बैंक शाखा गए या बैंक शाखाओं के बाहर पंक्ति में खड़े हुए बिना डाकिये के माध्यम से डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (Digital Life Certificate, DLC) घर पर ही जमा करने की डोरस्टेप सर्विस (Doorstep Service) का लाभ उठा सकेंगे। इस सुविधा का लाभ सभी पेंशनभोगी उठा सकेंगे, चाहे उनका पेंशन खाता किसी भी बैंक में हो। इसके लिए पेंशनभोगी को एक निर्धारित शुल्क देना होगा। इस सुविधा से कोरोना काल में बुजुर्ग पेंशनरों को भारी सहूलियत मिलेगी। केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय द्वारा यह जानकारी दी गई है।
केंद्र सरकार के पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (Department of Pension & Pensioners Welfare, DPPW) की पहल पर डाक विभाग के इंडिया पोस्ट पेमेन्ट्स बैंक (India Post Payments Bank, IPPB) और इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डाकिये के माध्यम से DLC जमा करने के लिए डोरस्टेप सर्विस की शुरुआत की है। IPPB डोरस्टेप सेवा उपलब्ध कराने के लिए अपने राष्ट्रीय नेटवर्क का उपयोग करेगा। इसमें पोस्ट ऑफिस के 1,36,000 से अधिक एक्सेस प्वाइंट्स और स्मार्ट फोन व बायोमैट्रिक उपकरणों से युक्त 1,89,000 डाकिये एवं ग्रामीण डाक सेवक हैं।
DLC जमा करने के लिए डोरस्टेप सर्विस का लाभ लेने के लिए पेंशनर IPPB की वेबसाइट ippbonline.com पर विस्तृत जानकारी हासिल कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को समझने के लिए यू-ट्यूब पर @Youtube(Pension DOPPW) और पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के फेसबुक पेज https://www.facebook.com/sankalp.DOPPW को क्लिक कर देख सकते हैं।
यहां यह बता दें कि इससे पूर्व ऑनलाइन माध्यम से जीवन प्रमाण पत्र जमा करने की सुविधा के लिए जीवन प्रमाण पोर्टल (Jeevan Pramaan Portal) की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नवंबर, 2014 में की थी। इसका उद्देश्य पेंशनभोगियों को जीवन प्रमाण पत्र जमा करने के लिए एक सुविधाजनक और पारदर्शी सुविधा उपलब्ध कराना था।
यदि आप लंबे समय तक नींद न आने यानी अनिद्रा की समस्या से ग्रस्त हैं, तो यह खबर आपको राहत पहुंचा सकती है। शोधकर्ताओं ने भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति से इस समस्या का समाधान तलाशने में सफलता पाई है। शोधकर्ताओं ने शिरोधारा और अश्वगंधा तेल के साथ शमन चिकित्सा को अनिद्रा की समस्या से छुटकारा दिलाने में उपयोगी पाया है।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अधीन कार्यरत शिलांग स्थित पूर्वोत्तर आयुर्वेद एवं होम्योपैथी संस्थान (North Eastern Institute Of Ayurveda & Homoeopathy) की शोध पत्रिका ‘आयुहोम’ में प्रकाशित एक हालिया वैयक्तिक अध्ययन के अनुसार, अनिद्रा से संबंधित समस्याओं को दूर करने में आयुर्वेद की प्रभावकारिता के नए प्रमाण मिले हैं। यह अध्ययन जयपुर स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (National Institute Of Ayurveda) के एसोसिएट प्रोफेसर और पंचकर्म विभाग के प्रमुख डॉ गोपेश मंगल और दो शोधार्थियों निधि गुप्ता व प्रवीश श्रीवास्तव ने किया है।
चिकित्सा विज्ञान ने अपर्याप्त नींद को मोटापे से लेकर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के कम होने तक कई स्वास्थ्य समस्याओं से जोड़ा है। आयुर्वेद भी नींद या निद्रा को स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानता है। आयुर्वेद भी पर्याप्त नींद को सुख और अच्छे जीवन के लिए आवश्यक आयामों में से एक मानता है। पूर्ण निद्रा दिमाग को एक सुकून से भरी हुई मानसिक स्थिति की ओर ले जाती है। अनिद्रा को चिकित्सकीय रुप से उन्निद्रता से सहसंबंधित किया जा सकता है जो दुनिया भर में नींद न आने की एक आम समस्या है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार बेहतर स्वास्थ्य पूर्ण शारीरिक, मानसिक या सामाजिक कल्याण की अवस्था है और साथ ही किसी भी बीमारी की अनुपस्थिति है। नींद इसका एक आवश्यक पहलू है। अनियमित जीवन शैली, तनाव और अन्य अप्रत्याशित पर्यावरणीय कारकों की वजह से ही वर्तमान समय में बड़ी संख्या में लोगों को नींद न आने की समस्या होने लगी है। अमेरिका के नेशनल स्लीप फाउंडेशन के एक अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में लगभग एक तिहाई लोग नींद की समस्या से पीड़ित हैं।
ऐसी स्थिति को देखते हुए अनिद्रा की समस्या को दूर करने के लिए आयुर्वेद की पारंपरिक पंचकर्म चिकित्सा की क्षमताओं को उपयोग में लाया जा सकता है। इस वैयक्तिक अध्ययन के दौरान मिले सकारात्मक परिणाम आयुर्वेद की प्रभावशीलता का प्रमाण देते हैं। इस अध्ययन की रिपोर्ट में बताया गया है कि, आयुर्वेद उपचार से अनिद्रा से पीड़ित व्यक्ति की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। अध्ययन में उन सभी लक्षणों की उपचार से पहले और बाद में की गई गहन परीक्षा और मूल्यांकन ग्रेडिंग शामिल थी, जिन्हें आंकलन के लिए चुना गया था। इनमें जम्हाई आना, उनींदापन, थकान होना तथा नींद की गुणवत्ता आदि शामिल थे और सभी मापदंडों में सुधार देखा गया।
अध्ययन के अनुसार शिरोधारा और अश्वगंधा तेल के साथ शमन चिकित्सा अनिद्रा को दूर करने में उपयोगी साबित हुई है। अध्ययन में पाया गया कि शिरोधारा केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के कार्य को सामान्य करने में मदद करता है। तंत्रिका तंत्र को आराम और सिर में रक्त के संचलन को संतुलित करता है। साथ ही उत्तेजित वात दोष को शांत करता है। इसमें अश्वगंधा तेल के साथ-साथ अन्य जड़ी-बूटियों का प्रयोग कर रोगियों का उपचार किया गया।
अपने आक्रामक बयानों के लिए चर्चित हिंदूवादी नेता साध्वी प्राची ने लव जेहाद के बहाने राहुल गांधी व प्रियंका वाड्रा पर निशाना साधा है। उन्होंने राहुल व प्रियंका का नाम लिए बगैर कहा की बंटी-बबली राजनीती करने के लिए हाथरस तो चले जाते हैं। मगर बल्लभगढ़ नहीं जाते हैं।
साध्वी प्राची ने यह बयान हरिद्वार में हिंदूवादी संगठनों द्वारा फरीदाबाद की निकिता हत्याकांड के आरोपियों को फांसी देने की मांग को लेकर आयोजित प्रदर्शन के बाद पत्रकारों से बातचीत में दिया। साध्वी प्राची ने लव जिहाद को लेकर कानून बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि लव जिहादियों को चौराहे पर फांसी दी जानी चाहिए। उनकी न कोई अपील हो और न ही सुनवाई। उन्होंने कहा कि देश में बेटियों पर पहले बहला फुसलाकर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया जाता था। अब जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है।