वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) से संबद्ध हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में स्थित हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (IHBT) के प्रयासों से अब देश में भी हींग (Asafoetida) की खेती शुरु हो गई है। वैज्ञानिकों ने हिमाचल के सुदूर हिमालयी क्षेत्र लाहौल घाटी में इसका उत्पादन शुरु किया है। इससे क्षेत्र के किसानों की खेती के तरीकों में एक बड़ा बदलाव आना तय है। वैज्ञानिकों ने इलाके के ठंडे रेगिस्तान (Cold Desert) में व्यापक पैमाने पर बंजर पड़ी जमीन का सदुपयोग करने के लिए हींग की खेती को अपनाया है। केंद्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने मंगलवार को ट्वीट कर यह जानकारी साझा की।
अब तक भारत में नहीं होता है उत्पादन
हींग प्रमुख मसालों में से एक है और यह भारत में उच्च मूल्य की एक मसाला फसल है। भारतीय रसोई में हींग की अपनी खास जगह है। हींग की तेज खुशबू व्यंजन में एक अलग जायका लाती है। इसकी औषधीय विशेषता भी है। कई रोगों के उपचार में इसका उपयोग किया जाता है। मगर इसे विडंबना ही कहना चाहिए कि अभी तक इसका उत्पादन भारत में नहीं होता है। हमारा देश अफगानिस्तान, ईरान और उज्बेकिस्तान से सालाना लगभग 1200 टन कच्ची हींग आयात करता है और इसके लिए प्रति वर्ष लगभग 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च करता है। कच्ची हींग मंगाने के बाद देश में उसको प्रसंस्कृत कर हींग तैयार की जाती है।
ईरान से लाया गया है बीज
CSIR-IHBT के वैज्ञानिकों ने देश में इस महत्वपूर्ण फसल की पैदावार के लिए अथक प्रयास किए। संस्थान ने अक्टूबर, 2018 में नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज (NBPGR), नई दिल्ली के माध्यम से ईरान से लाये गये बीजों के छह गुच्छों का इस्तेमाल शुरू किया। विदेश से हींग लाकर संस्थान ने इससे पौधे उगाने की तकनीक विकसित की है। भारतीय परिस्थितियों के अनुसार अपने उत्पादन प्रोटोकॉल का मानकीकरण किया है। NBPGR की निगरानी में हिमाचल प्रदेश के रिबलिंग, लाहौल और स्पीति में हींग के पौधे उगाए गए। यह पौधा ठंडी और शुष्क परिस्थितियों में वृद्धि करता है।
पौधे की मांसल जड़ों से रेजिन के रुप निकलती है कच्ची हींग
कच्ची हींग को फेरुला अस्सा-फोसेटिडा नामक प्रजाति के पौधे की मांसल जड़ों से रेजिन के रूप में निकाला जाता है। दुनिया में फेरुला की लगभग 130 प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन हींग के उत्पादन के लिए फेरुला अस्सा-फोसेटिडा का ही उपयोग किया जाता है। भारत में फेरुला अस्सा-फोसेटिडा नहीं है, लेकिन इसकी अन्य प्रजातियां फेरुला जेस्सेकेना पश्चिमी हिमालय (चंबा, हिमाचल प्रदेश) में और फेरुला नार्थेक्स कश्मीर एवं लद्दाख में पाई जाती हैं, जो कि हींग पैदा करने वाली प्रजातियां नहीं हैं।
केंद्रीय खेल मंत्रालय ने खेलो इंडिया योजना के तहत सात राज्यों व दो केंद्र शासित प्रदेशों के विभिन्न खेल केंद्रों को खेलो इंडिया राज्य उत्कृष्टता केंद्र (Khelo India State Center of Excellence, KISCE) के रूप में चयनित किया है। इन प्रदेशों में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पुडुचेरी, त्रिपुरा व जम्मू और कश्मीर शामिल हैं। खेल मंत्रालय अब 23 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 24 केंद्रों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में चयनित कर चुका है।
एक आधिकारिक बयान में केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री किरेन रिजिजु ने इस फैसले के बारे में कहा, “सरकार दो तरफा दृष्टिकोण को ले कर आगे बढ़ रही है, जिसमें एक तरफ जमीनी स्तर के बुनियादी ढांचे को विकसित करना और दूसरी तरफ खेल उत्कृष्टता के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने का कार्य किया जा रहा है। KISCE में विश्व स्तर की सुविधाएं होंगी, जहां पूरे देश की सर्वश्रेष्ठ खेल प्रतिभाओं को भारत के ओलंपिक के सपनों को आगे बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।”
बयान के अनुसार इन केंद्रों की अपने पिछले प्रदर्शनों, राज्य में बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता, प्रबंधन और खेल-संस्कृति आदि के आधार पर पहचान की गई है। इस वर्ष के प्रारंभ में, मंत्रालय ने कुल 14 केंद्रों को KISCE के रूप में उन्नत करने के लिये पहचान की थी। कुल मिलाकर अब 23 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 24 KISCE हैं। इन केंद्रों को खेल उपकरण, कुशल प्रबंधक, कोच, खेल वैज्ञानिक, तकनीकी सहायता आदि में सहायता प्रदान की जाएगी।
इन केंद्रों के चयन के लिए केंद्रीय खेल मंत्रालय ने राज्य सरकारों से कहा था कि वो अपने-अपने प्रदेशों में स्वयं की या उनकी किसी एजेंसी द्वारा संचालित अच्छे खेल केंद्रों की पहचान कर बताएं, ताकि उनमें विश्व स्तरीय खेल सुविधाओं का विकास किया जा सके।
केंद्रीय खेल मंत्रालय ने अब तक KISCE के रूप में जिन राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को चयनित किया गया है, उनमें असम, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मेघालय, सिक्किम, कर्नाटक, ओडिशा, केरल, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिज़ोरम, नागालैंड, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, चंडीगढ़, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, दादर- नगर हवेली और दमन-दीव, पुद्दुचेरी व जम्मू-कश्मीर शामिल हैं।
गायों व गौवंश के संरक्षण, सुरक्षा, विकास और पशु विकास कार्यक्रम को दिशा प्रदान करने के लिए मोदी सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने दीपावली में गाय के गोबर व पंचगव्य से बने उत्पादों के व्यापक उपयोग के अभियान शुरू कर दिया है। अभियान को कामधेनु दीपावली अभियान नाम दिया गया है।
अभियान के दौरान गोबर आधारित दीयों, धूप, अगरबत्ती, हवन सामग्री, भगवान गणेश व देवी लक्ष्मी की मूर्तियों, शुभ-लाभ व स्वास्तिक के चिह्नों आदि के उपयोग को बढ़ावा देने वाले कदम उठाये जाएंगे। अभियान के द्वारा आयोग दीपावली में प्रयोग होने वाली बिजली लाइट्स की माला बनाने वाली चीनी कंपनियों को झटका देने की तैयारी में है।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व आयोग गणेश महोत्सव के समय गौमाया गणेश अभियान संचालित कर चुका है। आयोग के प्रयासों से गणेश महोत्सव के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने गणेश की मूर्तियों के निर्माण में पर्यावरण अनुकूल सामग्री के रूप में गाय के गोबर का उपयोग किया था। आयोग ने गौमाया गणेश अभियान को मिली प्रतिक्रिया से उत्साहित होकर दीपावली के लिए भी अभियान शुरू कर दिया है।
एक आधिकारिक वक्तव्य में कहा गया है कि आयोग का लक्ष्य इस वर्ष दीपावली त्योहार के दौरान 11 करोड़ परिवारों में गाय के गोबर से बने 33 करोड़ दीयों को प्रज्वलित करना है। लगभग 3 लाख दीयों को केवल पवित्र शहर अयोध्या में ही प्रज्वलित किया जाएगा और 1 लाख दीये पवित्र शहर वाराणसी में जलाए जाएंगे।
आयोग के इस अभियान से हजारों गाय आधारित किसानों व महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। यह गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद करेगा और चीन निर्मित दीयों का पर्यावरण अनुकूल विकल्प प्रदान करेगा। इससे पर्यावरणीय क्षति में कमी के साथ-साथ स्वदेशी आंदोलन को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
आयोग अपने अभियान को गति देने के लिए वेबिनार की एक श्रृंखला के माध्यम से विभिन्न हितधारकों के साथ बातचीत कर रहा है। आयोग ने देश भर में गौशालाओं में दीपावली से संबंधित वस्तुओं के उत्पादन और सुविधा के साथ विपणन योजना के लिए पूरे देश के हर जिले में अपने सहयोगियों के माध्यम से अपनी उपस्थिति बढ़ाई है। आयोग किसानों, निर्माताओं, गायों, गौशालाओं और अन्य संबंधित पक्षों को इस अभियान से जोड़ने में लगा हुआ है।
ग्रुप-बी (गैर-राजपत्रित) और समूह-सी की नौकरियों के लिए साक्षात्कार समाप्त करने की केंद्र सरकार की नीति पर 23 राज्यों व 8 केंद्र शासित प्रदेशों ने भी अपनी मुहर लगा दी है। 15 अगस्त 2015 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साक्षात्कार की प्रक्रिया को समाप्त करने और नौकरी के लिए चयन पूरी तरह से लिखित परीक्षा के आधार पर करने का सुझाव दिया था। प्रधानमंत्री के सुझाव पर त्वरित रूप से अमल करते हुए केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने तीन महीने के भीतर 1 जनवरी, 2016 को केंद्र सरकार की भर्तियों में साक्षात्कार की प्रक्रिया की समाप्ति कर दी थी। मोदी सरकार ने सभी राज्य सरकारों व केंद्र सरकारों को भी इस पर अमल करने के लिए कहा था।
महाराष्ट्र और गुजरात ने दिखाई तेजी
केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत व प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक आधिकारिक बयान में बताया कि अब तक देश के 23 राज्यों 8 केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा नौकरियों में साक्षात्कार की प्रक्रिया समाप्त कर दी गयी है। इसे सुधारवादी कदम बताते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि जहां महाराष्ट्र और गुजरात जैसे कुछ राज्यों ने इस नियम को लागू करने में तेजी दिखायी, वहीं कुछ राज्य ऐसे भी थे जो नौकरियों के लिए साक्षात्कार प्रक्रिया के आयोजन को समाप्त करने के लिए बेहद अनिच्छुक थे।

लिखित परीक्षा के अंक होंगे योग्यता का पैमाना
केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि कुछ राज्य सरकारों को काफी समझाने और बार-बार याद दिलाने के बाद देश के सभी 8 केंद्र शासित प्रदेशों और 28 राज्यों में से 23 में साक्षात्कार आयोजित करने की प्रथा बंद कर दी गई है। इसमें जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख भी शामिल है। डॉ. सिंह ने कहा कि अतीत में कुछ पसंदीदा उम्मीदवारों की मदद के लिए साक्षात्कार में अंकों के बारे में शिकायतें, आपत्तियां और आरोप दर्ज होते थे। साक्षात्कार की समाप्ति के बाद चयन के लिए केवल लिखित परीक्षा के अंकों को योग्यता का पैमाना मानने से सभी उम्मीदवारों के लिए चयन के समान अवसर उपलब्ध होंगे।
सरकारी खजाने में भी बचत
डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि इस कदम की वजह से भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित हुई है। कई राज्यों से सरकारी खजाने में भारी बचत की सूचना भी मिली है, क्योंकि अक्सर हजारों की संख्या में उम्मीदवारों के साक्षात्कार के आयोजन में काफी खर्च हो जाता था और साक्षात्कार की यह प्रक्रिया कई दिनों तक जारी रहती थी।
सांस के जरिए जल्द ही उस बैक्टीरिया का पता लगाने में मदद मिल सकती है, जो पेट को संक्रमित करते हुए गैस्ट्रेटिस के विभिन्न रूप और अंततः गैस्ट्रिक कैंसर पैदा करता है। वैज्ञानिकों ने सांस में पाए जाने वाला ‘ब्रेथप्रिंट’ नामक एक बायोमार्कर की मदद से एक बैक्टीरिया का शीघ्र पता लगाने का तरीका खोज निकाला है। यह बैक्टीरिया पेप्टिक अल्सर का कारण बनता है।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में जानकारी दी गई है कि भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान एस.एन.बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज, कोलकाता में डॉ.माणिक प्रधान एवं उनकी शोध टीम ने हाल ही में हेलिकोबैक्टर पाइलोरी का पता लगाने के लिए मानव द्वारा छोड़े गये सांस में अर्ध-भारी पानी (एचडीओ) में इस नए बायोमार्कर को देखा है। इस टीम ने मानव सांस में विभिन्न जल आण्विक प्रजातियों के अध्ययन का उपयोग किया है। इसे मानव द्वारा छोड़े गये सांस में अलग-अलग जल समस्थानिकों का पता लगाने की ‘ब्रीथोमिक्स’ विधि भी कहा जाता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा समर्थित तथा तकनीकी अनुसंधान केंद्र (टीआरसी) द्वारा वित्त पोषित यह शोध हाल ही में अमेरिकन केमिकल सोसाइटी (एसीएस) के ‘एनालिटिकल केमिस्ट्री’ जर्नल में प्रकाशित हुआ था।
हेलिकोबैक्टर पाइलोरी, एक आम संक्रमण है। इसका जल्दी इलाज नहीं कराए जाने पर यह गंभीर हो सकता है। आमतौर पर पारंपरिक एवं दर्दनाक एंडोस्कोपी तथा बायोप्सी परीक्षणों द्वारा इसका पता लगाया जाता है। इसे प्रारंभिक निदान (early diagnosis) एवं फॉलोअप के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। हमारा गैस्ट्रोइन्स्टेस्टाईनल (जीआई) ट्रैक शरीर में पानी के उपापचय (metabolism) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रकृति में पानी चार समस्थानिकों के रूप में मौजूद है। यह माना जाता है कि हमारे जीआई ट्रैक में किसी भी प्रकार का खराब या असामान्य जल-अवशोषण विभिन्न गैस्ट्रिक विकारों या अल्सर, गैस्ट्रेटिस, एरोशन तथा सूजन जैसी असामान्यताओं से जुड़ा हो सकता है। लेकिन अभी तक इसकी पुष्टि करने के लिए कोई स्पष्ट प्रायोगिक साक्ष्य नहीं मिला है।

इस टीम के प्रयोगों ने व्यक्ति के पानी के सेवन की आदत के संदर्भ में मानव शरीर में अनोखे समस्थानिक-विशिष्ट जल- उपापचय (isotopic-specific water metabolism) के प्रत्यक्ष प्रमाण दिखाए हैं। उन्होंने दिखाया है कि मानव श्वसन की प्रक्रिया के दौरान छोड़े गये जलवाष्प के अलग-अलग समस्थानिक विभिन्न गैस्ट्रिक विकारों से दृढ़ता के साथ जुड़े होते हैं।
डॉ.माणिक प्रधान व उनकी टीम में शामिल शोध छात्रों मिथुन पाल व सयोनी भट्टाचार्य, वैज्ञानिक डॉ.अभिजीत मैती ने एएमआरआई अस्पताल, कोलकाता के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. सुजीत चौधरी के सहयोग से यह दिखाया कि जीआई ट्रैक्ट में असामान्य जल अवशोषण के समस्थानिक हस्ताक्षर विभिन्न विकारों की शुरुआत का पता लगा सकते हैं। इस टीम ने पहले ही विभिन्न गैस्ट्रिक विकारों तथा एच. पाइलोरी संक्रमण के निदान के लिए एक पेटेंट प्राप्त ‘पायरो-ब्रेथ’ उपकरण विकसित किया है, जिसके प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की प्रक्रिया चल रही है।
विगत 26 अगस्त को चर्चित अभिनेत्री कंगना रनौत ने एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि “अगर नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो बॉलीवुड की जांच करता है तो पहलीं पंक्ति के कई सितारे सलाखों के पीछे होंगे। अगर ब्लड टेस्ट हुए तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आएंगी। उम्मीद है कि प्रधानमंत्री जी स्वच्छ भारत मिशन के तहत बॉलीवुड जैसे गटर को साफ करेंगे।”
कंगना के ट्वीट पर मचा था बबाल
कंगना के इस ट्वीट पर काफी बबाल मचा था। कई लोगों ने कंगना को निशाने पर लेते हुए, इसे बॉलीवुड को बदनाम करने की साजिश बताया था। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की धर्मपत्नी व समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने राज्यसभा में अप्रत्यक्ष रूप से कंगना पर आक्रामक अंदाज में हमला बोला। पूर्व में अभिनेत्री रह चुकी जया ने कंगना का नाम लिए बगैर कहा कि ‘जिन लोगों ने फिल्म इंडस्ट्री से नाम कमाया, वे इसे गटर बता रहे हैं। मैं इससे बिल्कुल सहमत नहीं हूं।’
जया बच्चन ने राज्यसभा में उठाया था मामला
जया ने केंद्र सरकार से यह मांग तक कर डाली कि वो ऐसे लोगों से कहे कि इस तरह की भाषा का प्रयोग न करें। मगर अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में चल रही जांच के दौरान नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) की कार्रवाई से कंगना की बात सच होती दिखाई दे रही है। NCB की जांच में सच में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। बॉलीवुड के ड्रग्स कनेक्शन की जांच के दौरान NCB कई लोगों के विरुद्ध कार्रवाई कर चुकी है और रोज नई-नई कड़ियां जुड़ रही हैं। बड़े-बड़े नाम बेपर्दा हो रहे हैं।
कई बड़े नाम NCB के रडार पर
सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले की मौत के मामले में के दौरान NCB को बॉलीवुड के ड्रग्स सिंडिकेट के बारे में पता चला था। NCB को रिया चक्रवर्ती और शोविक से पूछताछ के समय बॉलीवुड की कई हस्तियों के नाम पता चले थे। खबरों के मुताबिक बॉलीवुड के कई बड़े नाम NCB के रडार पर हैं। NCB की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है। वैसे-वैसे इसमें नए-नए नाम जुड़ते जा रहे हैं। NCB इनको समन जारी कर पूछताछ के लिए बुला रही है। NCB ने जिनको समन भेजा है, उनमें दीपिका पादुकोण, श्रद्धा कपूर, सारा अली खान, रकुल प्रीत सिंह आदि प्रमुख हैं।
ड्रग्स व अंडरवर्ल्ड कनेक्शन के आरोप लगते रहे
दरअसल, बॉलीवुड की ड्रग्स और अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन की बात समय-समय पर उठती रहती है। यहां तक आरोप लगते रहे हैं की बॉलीवुड की कई फिल्मों में अंडरवर्ल्ड का पैसा लगाता है और अंडरवर्ल्ड ही तय करता है कि किस फिल्म में कौन अभिनेता होगा और कौन अभिनेत्री। सुशांत राजपूत की मौत के बाद ये तमाम मुद्दे एक बार फिर चर्चाओं में हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सुशांत की मौत के बाद अप्रत्यक्ष तौर पर ये मुद्दा उठाया था।
डॉ सुब्रमण्यम स्वामी भी रहे हैं मुखर
डॉ स्वामी ने सुशांत की मौत पर फिल्मी दुनिया के दिग्गज तीन खान सलमान खान, आमिर खान व शाहरुख खान पर निशाना साधा था। एक ट्वीट में उन्होंने सवाल किया था कि आखिर ये तीनों लोग सुशांत की कथित आत्महत्या पर चुप्पी साधे क्यों बैठे हैं? दूसरे ट्वीट में डॉ स्वामी ने कहा था कि इनकी भी पूरी जांच की जानी चाहिए कि इनके पास इतनी संपत्ति कहां से आई ? भारत और विदेशों में विशेष रूप से दुबई में इन 3 खान बाहुबलियों ने जो बंगले और संपत्ति बनाई है ये सब उन्हें किसने उपहार में दी और उन्होंने इसे कैसे खरीदा और इस कार्टेलाइजेशन की जांच सीबीआई, आईटी और ईडी की एसआईटी को करने की जरुरत है। क्या वे कानून से ऊपर हैं ?
CBI और NCB पर उम्मीद
रुपहले परदे पर सब कुछ चमकदार दिखने वाली फ़िल्मी दुनिया में परदे के पीछे बहुत कुछ गंदगी भरी पड़ी है। कास्टिंग काउच व यौन शोषण जैसे तमाम आरोप भी बॉलीवुड के दिग्गजों पर लगते रहे हैं। ताजातरीन मामला अभिनेत्री पायल घोष द्वारा निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप पर लगाया गया आरोप है। हालांकि, अनुराग कश्यप इस मामले को राजनीति से जोड़कर बचने की कोशिशों में लगे हुए हैं। बहरहाल, उम्मीद की जानी चाहिए कि सुशांत राजपूत मामले की जांच कर रही CBI और NCB बॉलीवुड के गटर की गंदगी को साफ करने में सफल रहेगी।