विशाखापट्टनम रैली में नड्डा ने गिनाईं मोदी सरकार की उपलब्धियां
विशाखापट्टनम। केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए केंद्र की मोदी सरकार की उपलब्धियों को जनता के सामने रखा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने 11 वर्षों में विकास और जवाबदेह शासन की राजनीति देखी है, जबकि पिछली सरकारें सिर्फ वादे करने और उन्हें भूल जाने तक ही सीमित रहीं।
जेपी नड्डा ने कहा कि भाजपा आज 14 करोड़ कार्यकर्ताओं के साथ दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। उन्होंने बताया कि भारत के 20 राज्यों में राजग और 13 राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं, लोकसभा में पार्टी के 240 सांसद और विधानसभाओं में लगभग 1,500 विधायक हैं।
उन्होंने कहा कि पहले की राजनीति परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टीकरण पर आधारित थी, जबकि भाजपा एक वैचारिक आधार पर खड़ी पार्टी है। नड्डा ने आंध्र प्रदेश के विकास कार्यों का जिक्र करते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने अमरावती राजधानी निर्माण के लिए 15,000 करोड़ रुपये की सहायता दी है।
राम मंदिर और सीएए का जिक्र करते हुए नड्डा ने कहा कि भाजपा ने अपने संकल्पों को निभाया है। उन्होंने याद दिलाया कि 1987 में पार्टी ने राम मंदिर निर्माण का वादा किया था, जिसे 2024 तक पूरा कर दिया गया। इसी तरह नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू करके भी पार्टी ने अपने वचन को निभाया।
हिन्दी दिवस पर बोले गृह मंत्री—तकनीक से लेकर न्याय-शिक्षा तक भारतीय भाषाएं बनें भविष्य की धुरी
नई दिल्ली। हिन्दी दिवस के अवसर पर केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय भाषाओं और संस्कृति का स्वर्णिम पुनर्जागरण हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज समय की आवश्यकता है कि हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाएं तकनीक, विज्ञान, न्याय, शिक्षा और प्रशासन की आधारशिला बनें। शाह ने अपील की—“मिलकर सोचो, मिलकर चलो और मिलकर बोलो, यही हमारी भाषाई और सांस्कृतिक चेतना का मूल मंत्र है।”
अपने संदेश में अमित शाह ने याद दिलाया कि गुलामी के कठिन दौर में भारतीय भाषाएं स्वतंत्रता आंदोलन की आवाज बनीं। गांव-देहात की बोली, लोकगीत, लोककथाएं और कविताएं ही आजादी के आंदोलन का आधार बनीं। वंदे मातरम् और जय हिंद जैसे नारे इसी भाषाई चेतना से उपजे और स्वतंत्र भारत के गौरव का प्रतीक बने।
उन्होंने कहा कि भारत मूलतः भाषा-प्रधान देश है, जहां भाषाओं ने सदियों से संस्कृति, परंपरा, दर्शन और अध्यात्म को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया। उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक, हर क्षेत्र की भाषाएं भारतीय समाज को जोड़ने और संवाद का माध्यम रही हैं।
शाह ने उदाहरण देते हुए कहा कि संत तिरुवल्लुवर की रचनाएं उत्तर भारत में भी सम्मान से पढ़ी जाती हैं, तुलसीदास और कबीर के दोहे दक्षिण भारतीय भाषाओं में भी गूंजते हैं, और भूपेन हजारिका के गीत हरियाणा तक गुनगुनाए जाते हैं। यही हमारी भाषाई विविधता की ताकत है।
उन्होंने बताया कि संविधान निर्माताओं ने भाषाओं के महत्व को पहचानते हुए 14 सितम्बर 1949 को देवनागरी लिपि में हिंदी को राजभाषा के रूप में अंगीकृत किया। अनुच्छेद 351 में हिंदी के प्रचार-प्रसार और भारत की सामासिक संस्कृति के संवाहक के रूप में भूमिका तय की गई।
पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय मंचों—संयुक्त राष्ट्र, जी-20 और एससीओ—पर हिंदी और भारतीय भाषाओं में संवाद कर उनके स्वाभिमान को बढ़ाया है। 2024 में ‘भारतीय भाषा अनुभाग’ की स्थापना कर सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं के सहज अनुवाद का लक्ष्य रखा गया है।
अमित शाह ने कहा कि डिजिटल इंडिया, ई-गवर्नेंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के दौर में भारतीय भाषाओं को भविष्य की तकनीक और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अनुकूल बनाया जा रहा है।
उन्होंने अंत में कहा कि भाषा केवल संवाद का साधन नहीं, बल्कि समाज को ऊर्जा, आत्मबल और एकता का मंत्र देने वाली शक्ति है। यही कारण है कि हमारे कवि विद्यापति ने कहा था—
“देसिल बयना सब जन मिट्ठा”,
अर्थात अपनी भाषा सबसे मधुर होती है।
बिलासपुर/शिमला- हिमाचल प्रदेश में लगातार बारिश और भूस्खलन ने आम जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। बिलासपुर जिले के नम्होल की उप-तहसील के गुतराहन गांव में शनिवार सुबह बादल फटने की घटना हुई, जिससे कई वाहन मलबे की चपेट में आ गए। मौके से दो वाहन मलबे में दब गए जबकि पांच क्षतिग्रस्त हुए। सड़क पर आए मलबे की वजह से नम्होल–डाबर मार्ग बंद हो गया है। स्थानीय किसान कश्मीर सिंह की खेती को भी भारी नुकसान पहुंचा है। राहत की बात यह रही कि पानी का बहाव गांव की ओर न मुड़कर सड़क की तरफ चला गया, जिससे बड़ी तबाही टल गई।
लगातार बारिश से घुमारवीं क्षेत्र में सीर खड्ड का जलस्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है। यह इस बरसात का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर माना जा रहा है।
शनिवार सुबह 10 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में भूस्खलन की वजह से तीन नेशनल हाईवे सहित कुल 577 सड़कें बंद हो गईं। बिजली आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है—389 ट्रांसफार्मर बंद हैं और 333 पेयजल योजनाएं ठप हो गई हैं। केवल कुल्लू में 174, मंडी में 166, शिमला में 48, कांगड़ा में 45, चंबा में 44 और सिरमौर में 28 सड़कें बाधित हैं। भरमौर-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग पर तुन्नूहट्टी, लाहड़ और मैहला क्षेत्रों में भारी भूस्खलन हुआ है, जिससे यातायात ठप हो गया और वाहनों की लंबी कतारें लग गईं।
एनएच मंडल के अधिशासी अभियंता मीत शर्मा ने बताया कि बारिश से पेड़ गिरने और मलबा आने की वजह से हाईवे पर यातायात बाधित हुआ है। प्रशासन सड़क बहाली में जुटा है।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने 19 सितम्बर तक बारिश जारी रहने का अनुमान जताया है। 13 और 14 सितम्बर को भारी बारिश और अंधड़ चलने का येलो अलर्ट जारी किया गया है। राज्य के कई इलाकों में शनिवार को झमाझम बारिश हुई, जबकि शिमला में धूप के बीच हल्के बादल छाए रहे। बीती रात पालमपुर में 86 मिमी, मुरारी देवी में 69.2 मिमी, कांगड़ा में 58.2 मिमी, जोगिंद्रनगर में 45 मिमी, धर्मशाला में 14.8 मिमी और मंडी में 13.6 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस मानसून सीजन में अब तक हिमाचल को 4,465 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। 20 जून से 12 सितम्बर के बीच 386 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 451 लोग घायल और 41 अब भी लापता हैं। सड़क हादसों में भी 168 लोगों की मौत दर्ज की गई है। वहीं, राज्य में 538 पक्के और 834 कच्चे मकान पूरी तरह ढह चुके हैं, जबकि हजारों को आंशिक क्षति हुई है।
मुख्य न्यायाधीश बोले— स्वच्छ हवा का अधिकार पूरे देश को, केवल राजधानी को नहीं
नई दिल्ली। दिवाली नज़दीक आते ही एक बार फिर पटाखों पर बहस तेज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए सवाल उठाया कि आखिरकार पटाखों पर रोक सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक ही क्यों सीमित है? मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने स्पष्ट कहा कि स्वच्छ हवा का अधिकार पूरे देश के नागरिकों को है, केवल दिल्ली वालों को नहीं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि पटाखों को लेकर कोई भी नीति राष्ट्रीय स्तर पर समान होनी चाहिए।
सीजेआई गवई ने उदाहरण देते हुए कहा कि बीते साल वे अमृतसर में थे, जहां की हवा दिल्ली से भी ज्यादा प्रदूषित थी। ऐसे में यह मानना गलत होगा कि सिर्फ दिल्ली में विशेष नियम लागू हों। कोर्ट का कहना है कि अगर बैन जरूरी है, तो वह पूरे देश में लागू होना चाहिए।
वायु गुणवत्ता आयोग को नोटिस
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह ने भी कोर्ट की इस राय का समर्थन किया और कहा कि प्रदूषण बढ़ने पर अमीर लोग तो आसानी से दिल्ली छोड़कर दूसरी जगह चले जाते हैं, लेकिन बाकी जनता को जहरीली हवा में जीना पड़ता है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में पटाखों पर प्रतिबंध की मांग वाली याचिका पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को नोटिस जारी किया।
पहले भी लागू हो चुके हैं सख्त नियम
गौरतलब है कि बीते वर्षों में दिल्ली और एनसीआर में पटाखों पर लगातार कड़े प्रतिबंध लगाए जाते रहे हैं। दिल्ली सरकार ने 19 दिसंबर 2024 को सालभर के लिए पटाखों की बिक्री और भंडारण पर पूरी तरह रोक लगाई थी। इसके बाद जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने इस बैन को उत्तर प्रदेश और हरियाणा के एनसीआर जिलों तक बढ़ा दिया। अप्रैल 2025 में कोर्ट ने साफ कर दिया कि यह रोक सालभर लागू रहेगी और इसमें ग्रीन पटाखे भी शामिल होंगे। मई 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए और चेतावनी दी कि उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई होगी।
विजय पर तंज, कहा राजनीति 24×7 की जिम्मेदारी, शनिवार-रविवार से जनता का भरोसा नहीं मिलता
चेन्नई। तमिलनाडु की राजनीति में इन दिनों बयानबाज़ी तेज हो गई है। भाजपा नेता के. अन्नामलाई ने अभिनेता और टीवीके (तमिलगा वेत्री कषगम) के संस्थापक विजय कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि राजनीति केवल सप्ताहांत की गतिविधि नहीं हो सकती। अन्नामलाई का तर्क है कि विजय अगर अपनी पार्टी को डीएमके का विकल्प बताना चाहते हैं, तो उन्हें सातों दिन सक्रिय रहना होगा, क्योंकि राजनीति चौबीसों घंटे समर्पण मांगती है।
अन्नामलाई ने दावा किया कि भाजपा ही वास्तविक तौर पर डीएमके का विकल्प है, क्योंकि इसके कार्यकर्ता पूरे साल जमीनी स्तर पर सक्रिय रहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एआईएडीएमके नेता एडप्पादी के. पलानीस्वामी लगातार जिलों में जाकर जनसभाएं कर रहे हैं, जबकि विजय केवल शनिवार और रविवार को जनता से जुड़ते हैं।
भाजपा नेता ने तंज कसते हुए कहा कि अगर टीवीके वास्तव में राज्य की वैकल्पिक ताकत बनना चाहती है, तो उसके नेता को भी गंभीरता और नियमितता के साथ राजनीति करनी होगी।
इस बीच, अभिनेता विजय की पार्टी टीवीके 13 सितंबर को मरक्कदाई में बैठक करने जा रही है। माना जा रहा है कि यहीं से विजय आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपने प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगे। तमिलनाडु पुलिस ने बैठक को मंजूरी तो दी है, लेकिन कई शर्तों के साथ। कार्यक्रम की अवधि सिर्फ 25 मिनट होगी और किसी भी तरह के रोड शो या जुलूस की अनुमति नहीं दी जाएगी। प्रचार सीमित दायरे में केवल तिरुचिरापल्ली तक रहेगा।
पुलिस ने साफ किया है कि रैली में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने नहीं दी जाएगी। तय कार्यक्रम के अनुसार, विजय का प्रचार 10:35 से 11 बजे तक ही चलेगा और वाहनों की संख्या उनके काफिले तक ही सीमित रहेगी। इसके अलावा पार्टी पदाधिकारियों के लिए पैदल मार्च या बड़े जुलूस पर पूरी तरह रोक होगी।
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद बने नए उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली। सीपी राधाकृष्णन ने आज देश के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित गरिमामय समारोह में उन्हें पद की शपथ दिलाई। 67 वर्षीय राधाकृष्णन ने उपचुनाव में इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार पूर्व जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों से पराजित किया। यह चुनाव 9 सितंबर को हुआ था, जो पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद आयोजित कराया गया।
महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा
उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद राधाकृष्णन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से त्यागपत्र दे दिया था। राष्ट्रपति भवन से जारी बयान के अनुसार, उनके इस्तीफे के बाद गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। अब देवव्रत दोनों राज्यों के राज्यपाल के तौर पर जिम्मेदारी निभाएंगे।
धनखड़ के इस्तीफे के बाद बने नए उपराष्ट्रपति
संसद के मानसून सत्र के दौरान जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि उनका कार्यकाल अभी दो साल बाकी था। इसी वजह से मध्यावधि चुनाव की नौबत आई।
छात्र आंदोलन से उपराष्ट्रपति तक का सफर
राधाकृष्णन की राजनीतिक यात्रा बेहद असाधारण रही है। छात्र आंदोलन से शुरुआत करने वाले राधाकृष्णन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और वहीं से भाजपा की राजनीति में आए। संगठन में लंबे समय तक काम करते हुए उन्होंने तमिलनाडु भाजपा की कमान संभाली और कई अभियानों का नेतृत्व किया। 2007 में उनकी 93 दिन की रथ यात्रा विशेष रूप से चर्चा में रही, जिसमें उन्होंने नदियों को जोड़ने, आतंकवाद उन्मूलन, समान नागरिक संहिता और नशे के खिलाफ जनजागरूकता जैसे मुद्दे उठाए।
राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव से परिपूर्ण
राधाकृष्णन को संगठन और प्रशासन, दोनों क्षेत्रों में मजबूत नेता माना जाता है। उनके समर्थक उन्हें ‘तमिलनाडु का मोदी’ भी कहते हैं। वह महाराष्ट्र और झारखंड के राज्यपाल रहे, साथ ही तेलंगाना और पुडुचेरी का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला। 1998 और 1999 में वह कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए। संसद में उन्होंने स्थायी समितियों और विशेष जांच समितियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान
राधाकृष्णन ने 2004 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया और ताइवान जाने वाले पहले भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बने। बाद में उन्हें कॉयर बोर्ड का अध्यक्ष भी बनाया गया, जहां उनके नेतृत्व में नारियल रेशे के निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि हुई।
प्रधानमंत्री ने कहा – ‘भागवत वसुधैव कुटुम्बकम की जीवंत मिसाल’, शाह और राजनाथ ने सराहा योगदान
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत गुरुवार को 75 वर्ष के हो गए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई दिग्गज नेताओं ने उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। नेताओं ने उनके नेतृत्व में संघ द्वारा किए गए कार्यों और समाज पर पड़े सकारात्मक प्रभाव की सराहना की।
प्रधानमंत्री मोदी की शुभकामनाएं
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मोहन भागवत “वसुधैव कुटुम्बकम” की भावना के जीवंत प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि 2009 से अब तक का उनका कार्यकाल संघ के इतिहास में परिवर्तनकारी रहा है। साथ ही प्रधानमंत्री ने उनके दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना की।
नेताओं ने सराहा योगदान
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भागवत ने समाज सेवा और युवा पीढ़ी के चरित्र निर्माण में अमूल्य योगदान दिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें भारत की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का प्रेरणास्रोत बताया। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि उनके नेतृत्व में संघ ने सेवा, समर्पण और एकता का संदेश जन-जन तक पहुंचाया है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी उन्हें शुभकामनाएं दीं।
संघ प्रचारक से सरसंघचालक तक
संघ प्रचारक के बेटे मोहन भागवत 2009 से आरएसएस के सरसंघचालक हैं। उन्होंने विभिन्न पदों पर रहते हुए देशभर में कार्य किया और हाल ही में अल्पसंख्यकों से संवाद के लिए तीन दिवसीय कार्यक्रम भी आयोजित किया। भागवत के कई विचार जैसे—“हर मस्जिद के नीचे शिवलिंग खोजने की जरूरत नहीं है” और “भारत में सभी का डीएनए एक है”—अक्सर चर्चा में रहे हैं। वे लगातार एक समावेशी दृष्टिकोण और सामाजिक सद्भाव के पक्षधर माने जाते हैं।
संजय राउत का हमला—“खून और क्रिकेट साथ-साथ नहीं चल सकते”
नई दिल्ली। एशिया कप 2025 में भारत-पाकिस्तान मुकाबले को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने इस मैच का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना देशद्रोह और बेशर्मी है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार आतंकवाद के मुद्दे पर दोहरा रवैया अपना रही है।
राउत ने कहा, “आपने कहा था कि पानी और खून साथ-साथ नहीं बह सकते, तो फिर खून और क्रिकेट कैसे साथ-साथ चल सकते हैं? यह देश की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। पहलगाम हमले में हमारी 26 महिलाएं विधवा हुईं, उनका दर्द आज भी जिंदा है। फिर भी आप पाकिस्तान के साथ खेल रहे हैं। यह देशद्रोह है।”
उन्होंने साफ किया कि यह सवाल उनकी सरकार से नहीं बल्कि भाजपा, आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल से है कि इस फैसले में उनकी भूमिका क्या है।
प्रसारण रोकने की मांग
इससे पहले उद्धव गुट की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी एशिया कप में संभावित भारत-पाकिस्तान मैच के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की थी। उन्होंने केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव को लिखे पत्र में कहा था कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार का यह कदम राष्ट्रीय हित और जनभावना के खिलाफ है।
प्रियंका ने लिखा, “ऑपरेशन सिंदूर का मकसद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करना था। ऐसे में अब उसके साथ क्रिकेट खेलना उस संदेश को कमजोर करता है। यह निर्णय मेरी अंतरात्मा को स्वीकार्य नहीं है।”
एनडीए उम्मीदवार ने विपक्षी बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों से दी मात
नई दिल्ली। भारत को नया उपराष्ट्रपति मिल गया है। एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने चुनाव में जीत दर्ज कर ली। उन्होंने विपक्षी गठबंधन इंडिया के प्रत्याशी बी. सुदर्शन रेड्डी को बड़े अंतर से हराया। राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि रेड्डी 300 वोटों पर सिमट गए। अब राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति के तौर पर शपथ ग्रहण करेंगे। यह पद जुलाई से खाली पड़ा था, जब पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया था।
उपराष्ट्रपति का पद भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में बेहद अहम माना जाता है। यह देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है, लेकिन नए उत्तराधिकारी के पद ग्रहण करने तक वे पद पर बने रहते हैं।
संविधान में यह स्पष्ट उल्लेख नहीं है कि यदि किसी कारण (जैसे इस्तीफा, मृत्यु) से कार्यकाल समाप्त होने से पहले पद रिक्त हो जाए या उपराष्ट्रपति अस्थायी रूप से राष्ट्रपति का कार्यभार संभालें, तो उनकी जिम्मेदारियों का निर्वहन कौन करेगा।
नई जिम्मेदारियों के साथ सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद से जुड़ी कई सुविधाएँ और वेतन-भत्ते भी मिलेंगे। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं, इसलिए उनकी भूमिका केवल औपचारिक नहीं बल्कि संसदीय कार्यप्रणाली को दिशा देने वाली होती है।
30 सितंबर तक ऑनलाइन आवेदन करने का मौका
नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 10वीं और 12वीं के प्राइवेट छात्रों के लिए परीक्षा पंजीकरण प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह प्रक्रिया आज से शुरू होकर 30 सितंबर तक चलेगी। छात्र बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट www.cbse.nic.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि पंजीकरण और फीस का भुगतान केवल ऑनलाइन माध्यम से ही किया जाएगा। पांच विषयों के लिए आवेदन शुल्क 1600 रुपये तय किया गया है, जबकि एक विषय के लिए 320 रुपये शुल्क लगेगा। अतिरिक्त विषय या प्रैक्टिकल परीक्षा के लिए भी अलग से शुल्क देना होगा। 30 सितंबर तक आवेदन नहीं करने वाले छात्र 3 अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक लेट फीस (2000 रुपये) के साथ पंजीकरण करा पाएंगे।
इस पंजीकरण प्रक्रिया में वे छात्र भी शामिल हो सकेंगे, जो 2020 से 2025 तक की बोर्ड परीक्षा में फेल हुए हैं, कंपार्टमेंट में आए हैं या ‘एसेंशियल रिपीट’ श्रेणी में रखे गए हैं। सीबीएसई ने छात्रों को आवेदन करते समय विषय कोड और व्यक्तिगत विवरण भरने में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है, क्योंकि किसी भी गलती का सीधा असर परीक्षा परिणाम पर पड़ सकता है।