देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत जनपद उत्तरकाशी के 11 उद्यमियों को परियोजना आवंटन पत्र वितरित किए। इस अवसर पर, मुख्यमंत्री ने एलईडी ग्राम लाईट योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को एनर्जी वॉरियर्स के रूप में सम्मानित किया। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने ऊर्जा दक्ष ग्राम के प्रधानों को भी प्रशस्ति पत्र वितरित कर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री आवास में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने सभी स्वयं सहायता समूहों को ऊर्जा संरक्षण दिवस की बधाई देते हुए कहा कि हमारा अगला फोकस अपनी माँ-बहनों के सिर से घास-लकड़ी का बोझा उतारना है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में कार्य किया जा रहा है। उन्होंने अधिकारियों को भी इस दिशा में विचार कर योजनाएं तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कार्यक्रम में जनपदों से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित ग्राम प्रधानों एवं स्वयं सहायता समूहों से इस सम्बन्ध में अपने सुझाव देने का अनुरोध किया।
उन्होंने ने एलईडी निर्माण में लगे सभी स्वयं सहायता समूहों के लिए 50-50 हजार के रिवाॅल्विंग फण्ड की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने महिला स्वयं सहायता समूहों से बात भी की। उन्होंने कहा कि स्वरोजगार से जुड़कर महिलाओं का आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता बढ़ी है। उनके मन में विश्वास पैदा हुआ है कि वे उद्यम के क्षेत्र में भी बहुत कुछ कर सकती हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में अनेकों मंदिर हैं। मंदिरों के कपाट खुलने व बंद होने, व अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में सजावटी कार्यों के लिए स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में देश-विदेश से पर्यटक आते हैं, जो अपने साथ क्षेत्र की स्मृति चिन्ह ले जाना चाहते हैं। उन्होंने स्वयं सहायता समूहों से भी क्रिएटिव होकर राज्य से जुड़ी हुई अलग-अलग थीम पर स्मृति चिन्ह बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि ग्रोथ सेंटर्स में फैंसी आईटम पर भी फोकस किया जाना चाहिए। इसके लिए स्पेशिफिक प्रशिक्षण भी कराया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों से कहा कि स्थानीय दुकानदारों से बातचीत कर स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की बिक्री हेतु प्रोत्साहित किया जा सकता है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि अपने कार्यालयों, हैलीपैड, स्थानीय बाजारों में ‘वोकल फाॅर लोकल‘ का प्रचार-प्रसार करते हुए, एक विंडो उपलब्ध करायी जानी चाहिए, ताकि इनके उत्पादों को बाजार मिल सके।
मुख्यमंत्री ने ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इन विजेता छात्र-छात्राओं द्वारा तैयार पेंटिंग को वर्ष 2021 के कैलेंडर के रूप में प्रकाशित किया गया है, जिसका मुख्यमंत्री द्वारा विमोचन किया गया। मुख्यमंत्री ने ऊर्जा संरक्षण पुस्तिका का विमोचन भी विमोचन किया।
इस अवसर पर विधायक गणेश जोशी, सचिव राधिका झा, निदेशक उरेडा कै. आलोक शेखर तिवारी आदि उपस्थित थे।
केंद्र सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना के तहत 9,879.61 करोड़ रुपये के बराबर की परियोजनाएं अनुमोदित की गई हैं। 27 राज्यों ने इस योजना का लाभ उठा लिया है। योजना की पहली किस्त के रूप में राज्यों को 4,939.81 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक 1501 करोड़ रूपये की अनुमोदित राशि के सापेक्ष 750.50 करोड़ जारी किए गए हैं। उत्तराखंड को 434.11 करोड़ की अनुमोदित राशि के सापेक्ष 217.6 करोड़ जारी किये गए।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने शनिवार को जानकारी दी है कि तमिलनाडु के अतिरिक्त सभी राज्यों ने पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता की हाल ही में घोषित योजना का लाभ उठा लिया है। इस योजना की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 12 अक्तूबर को आत्म निर्भर भारत पैकेज के एक हिस्से के रूप में की गई थी।
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योजना का उद्देश्य उन राज्य सरकारों को पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देना है, जो कोविड-19 महामारी की वजह से कर राजस्व में हुई कमी के कारण इस वर्ष कठिन वित्तीय परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने प्रतिकूल वित्तीय स्थिति के बावजूद वर्ष 2020-21 में पूंजीगत व्यय के संबंध में राज्य सरकारों को विशिष्ट सहायता देने का निर्णय लिया था।
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इस योजना को लेकर राज्य सरकारों की ओर से जोरदार प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। पूंजीगत व्यय परियोजनाओं को स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, जलापूर्ति, सिंचाई, बिजली, परिवहन, शिक्षा, शहरी विकास जैसे अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्रों में अनुमोदित किया गया है। इस योजना के तीन हिस्से हैं। योजना का भाग-1 पूर्वोत्तर क्षेत्र को कवर करता है। इस हिस्से के तहत, पूर्वोत्तर के आठ राज्यों को 650 करोड़ रूपये आवंटित किए गए हैं।
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योजना के भाग-2 में अन्य सभी राज्य शामिल किए गए हैं। इन राज्यों के लिए 7500 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। राशि का आवंटन राज्यों के बीच वर्ष 2020-21 के लिए 15वें वित्त आयोग की अंतरिम मंजूरी के अनुरूप केन्द्रीय कर में उनके हिस्से के अनुपात में किया गया है।
भाग-3 का लक्ष्य राज्यों में विभिन्न लोक केन्द्रित सुधारों को बढ़ावा देना है। इस भाग के तहत, 2000 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। यह राशि केवल उन्हीं राज्यों को उपलब्ध होगी, जिन्होंने सुधार संबंधित अतिरिक्त उधारी अनुमतियों के संबंध में वित्त मंत्रालय द्वारा दिनांक 17 मई के पत्र में निर्दिष्ट चार सुधारों में से कम से कम तीन सुधार कार्यान्वित किए हैं। ये चार सुधार हैं- एक राष्ट्र एक राशन कार्ड (One Nation One Ration Card), व्यवसाय करने की सुगमता सुधार (Ease of doing Business), शहरी स्थानीय निकाय/उपयोगिता सुधार तथा बिजली क्षेत्र सुधार।
Union Minister for Finance & Corporate Affairs Nirmala Sitharaman today held Video Conference with Secretaries of the Ministries of Power, Mines and Department of Atomic Energy and the CMDs of 10 CPSEs belonging to these Ministries, to review the capital expenditure (CAPEX) in this financial year.
This was 5th in the ongoing series of meetings that the Finance Minister is having with various stakeholders to accelerate the economic growth in the background of COVID–19 pandemic.
The overall achievement as on 23rd November is Rs.24227 crore (39.4%) against the CAPEX target for 2020-21 i.e. Rs.61483 crore.
While reviewing the performance of CPSEs, Sitharaman said that CAPEX by CPSEs is a critical driver of economic growth and need to be scaled up for the FYs 2020-21 & 2021-22.
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The Finance Minister appreciated the efforts of the Ministries and CPSEs for making visible efforts to meet out the CAPEX targets. However, Sitharaman said that more efforts are still required to achieve the target of 75% CAPEX by Q3 and more than 100% by Q4 of the FY 21.
The Finance Minister encouraged the CPSEs to perform better to achieve targets and to ensure that the capital outlay provided to them for the year 2020-21 is spent properly and within time.
Sitharaman asked the Secretaries to closely monitor the performance of CPSEs in order to ensure to achieve the target of CAPEX and make plan for it. She also asked the Secretaries to proactively sort out the unresolved issues of the CPSEs.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) द्वारा आयोजित 15 दिवसीय खादी प्रदर्शनी रविवार से शुरू हो गई। प्रदर्शनी में उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, राजस्थान व पंजाब के खादी कारीगरों ने स्टाल लगाए हैं। प्रदर्शनी में कश्मीरी शहद और उत्तराखंड के ऊनी परिधान खास आकर्षण के केंद्र बने हुए हैं।
इस खास प्रदर्शनी में उच्च कोटि के खादी उत्पादों के स्टाल लगाए गए हैं। प्रदर्शनी में कई खादी संस्थाएं और जम्मू-कश्मीर में ‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ के तहत काम कर रही अनेक इकाइयों हिस्सा ले रही हैं। कश्मीर के ऊंचे पहाड़ी इलाकों से लाया गया शहद, ऊनी कपड़े और शॉल हर किसी का ध्यान खींच रहे हैं। इसके अलावा उत्तराखंड के ऊनी उत्पादों के साथ अन्य उत्पाद भी ग्राहकों को आकर्षित कर रहे हैं।
पश्चिम बंगाल से मलमल के कपड़े, पंजाब से कोटि शॉल, कानपुर से चमड़े के उत्पाद, राजस्थान व उत्तर प्रदेश के टेराकोटा मिट्टी के बर्तन और राजस्थान से अचार, मुरब्बा व हर्बल दवा जैसे कई बेहतरीन उत्पाद प्रदर्शनी में शामिल हैं। बिहार व पंजाब से विभिन्न प्रकार के सिल्क, सूती व रेडीमेड कपड़े भी प्रदर्शित किए गए हैं। प्रदर्शनी के दौरान खादी फैब्रिक और रेडीमेड कपड़ों पर 30% की विशेष छूट दी जा रही है।
प्रदर्शनी का उदघाटन KVIC के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने किया। इस अवसर पर उन्होंने इसे आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में एक एक बड़ा कदम बताया।
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी के बाद KVIC की यह ऐसी दूसरी प्रदर्शनी है। इससे पूर्व अक्तूबर माह में लखनऊ में लॉकडाउन के बाद पहली खादी प्रदर्शनी लगाई गई थी।
भारत सरकार (Government of India) के वित्त वर्ष 2021-22 (Fiscal Year 2021-22) के बजट (Budget) के लिए आम आदमी भी अपने सुझाव, विचार अथवा प्रस्ताव दे सकता है। इसके लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय रविवार को एक ऑनलाइन माइक्रोसाइट लॉन्च करेगा। वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) द्वारा जारी एक वक्तव्य में यह जानकारी दी गई है।
वित्त मंत्रालय ने बजट बनाने की प्रक्रिया में आम आदमी की भागीदारी बढ़ाने और इसे ज्यादा लोकतांत्रिक बनाने के लिए यह फैसला किया है। इसके लिए भारत सरकार ने माई जीओवी (https://www.mygov.in/mygov-survey/inviting-suggestions-budget-2021-22/) प्लेटफॉर्म पर एक माइक्रोसाइट (ऑनलाइन पोर्टल) लॉन्च किया है। यह पोर्टल 15 नवंबर से लाइव हो जाएगा। इस माइक्रोसाइट पर लोग 2021-22 के बजट के लिए अपने विचार, सुझाव भेज सकेंगे।
ऐसा करने के लिए उन्हें माई जीओवी प्लेटफॉर्म पर अपना पंजीकरण कराना होगा। वित्त मंत्रालय के अनुसार लोगों के द्वारा भेजे गए सुझाव का भारत सरकार के संबंधित मंत्रालय व विभाग मूल्यांकन करेंगे। अगर किसी विषय पर जरूरी हुआ तो संबंधित लोगों से उनके पंजीकृत ई-मेल और मोबाइन नंबर के जरिए संपर्क भी किया जाएगा। यह पोर्टल 30 नवंबर तक सुझावों के लिए खुला रहेगा।
उल्लेखनीय है की पिछले कई वर्षों से वित्त मंत्रालय, सालाना बजट पेश करने से पहले उद्योग व व्यापार जगत के संगठनों और विशेषज्ञों से बजट पूर्व बैठकें कर उनकी सलाह लेता है। मगर इस बार महामारी को देखते हुए वित्त मंत्रालय को बजट पूर्व बैठकों को परंपरागत तरीके से करने की बजाय अलग तरह से करने के सुझाव मिल रहे हैं।
लोगों के सुझाव के आधार पर वित्त मंत्रालय ने फैसला किया है कि विभिन्न संस्थानों, विशेषज्ञों से सुझाव प्राप्त करने के लिए एक अलग E-Mail ID बनाई जाए। जहां पर लोग अपने सुझाव भेज सकेंगे। वित्त मंत्रालय के अनुसार E-Mail ID जल्द ही जारी की जाएगी।
आत्मनिर्भर भारत अभियान (Aatma Nirbhar Bharat Abhiyan) के अंतर्गत केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों से 41 अधिसूचित फलों और सब्जियों को देश में किसी भी स्थान पर पहुंचाने के लिए हवाई परिवहन पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देने की घोषणा की है। इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है।
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (Ministry of Food Processing Industries) ने जानकारी दी है कि यह सब्सिडी ऑपरेशन ग्रीन्स स्कीम – टॉप टू टोटल (Operation Greens Scheme TOP to TOTAL) के तहत दी जाएगी। एयरलाइंस कम्पनियां अब आपूर्तिकर्ता , माल भेजने वाले, माल प्राप्तकर्ता व एजेंट से ढुलाई का 50 प्रतिशत किराया ही लेंगी और शेष 50 प्रतिशत धनराशि के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के समक्ष दावा पेश करेंगी।
ऑपरेशन ग्रीन्स – टॉप टू टोटल योजना के अंतर्गत चिह्नित हवाई अड्डों से हवाई कंपनियों के माध्यम से परिवहन के लिए अधिसूचित फलों और सब्जियों की सभी खेप, चाहे जो भी मात्रा हो और कीमत हो, इसके बावजूद 50 प्रतिशत माल भाड़ा सब्सिडी के लिए पात्र होगा।
ऑपरेशन ग्रीन्स योजना के तहत परिवहन सब्सिडी को इससे पहले किसान रेल योजना के लिए शुरू किया गया था। यह सुविधा पिछले अक्टूबर माह में शुरू हुई थी। रेलवे अधिसूचित फल और सब्जियों पर केवल 50 प्रतिशत भाड़ा ही लेता है।
इन फसलों के हवाई परिवहन में मिलेगी सब्सिडी
फल :- आम, केला, अमरूद, कीवी, लीची, मौसम्बी, संतरा, किन्नु, नींबू, पपीता, अनानास, अनार, कटहल, सेब, बादाम, आंवला, पैशन फ्रूट, नाशपाती, शकरकंद, चीकू।
सब्जियां : – फ्रेंच बीन्स, करेला, बैंगन, शिमला मिर्च, गाजर, फूलगोभी, मिर्च (हरी), ओकरा, ककड़ी, मटर, लहसुन, प्याज, आलू, टमाटर, बड़ी इलायची, कद्दू, अदरक, गोभी, स्क्वैश और हल्दी (सूखी)
इन हवाई अड्डों से मिलेगी छूट
उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश व केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख के सभी हवाई अड्डे। पूर्वोत्तर से अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम (बागडोगरा) और त्रिपुरा के सभी हवाई अड्डे।
15वें वित्तीय आयोग (Fifteenth Finance Commission, XVFC) ने वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक की अवधि के लिए अपनी रिपोर्ट सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) को सौंपी। आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह (N K Singh) के नेतृत्व में सदस्य अजय नारायण झा, प्रो. अनूप सिंह, डॉ. अशोक लाहिड़ी, डॉ. रमेश चंद व सचिव अरविंद मेहता ने राष्ट्रपति से भेंट कर यह रिपोर्ट सौंपी।
आयोग द्वारा एक अधिकृत वक्तव्य में कहा गया है कि विचारणीय विषय (Terms of Reference,ToR)) की शर्तों के अनुसार, आयोग को 2021-22 से 2025-26 तक यानी पांच साल की अवधि के लिए 30 अक्टूबर, 2020 तक अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करना अनिवार्य था। पिछले साल आयोग ने वर्ष 2020-21 के लिए अपनी सिफारिशों वाली रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। जिसे केन्द्र सरकार ने स्वीकार कर लिया था और यह रिपोर्ट 30 जनवरी, 2020 को संसद के पटल पर रखी गई थी।
आयोग से अपने विचारणीय विषयों में अनेक विशिष्ट और व्यापक मुद्दों पर अपनी सिफारिशें देने के लिए कहा गया था। ऊर्ध्वाधर (vertical) और क्षैतिज (horizontal) कर विचलन, स्थानीय सरकारी अनुदान, आपदा प्रबंधन अनुदान के अलावा, आयोग को विद्युत क्षेत्र, डीबीटी को अपनाने, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसे अनेक क्षेत्रों में राज्यों के कार्य प्रदर्शन प्रोत्साहनों की जांच करने और सिफारिश करने के लिए भी कहा गया था। आयोग से यह जांचने के लिए कहा कि क्या रक्षा और आंतरिक सुरक्षा के वित्तपोषण के लिए एक अलग तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए और यदि ऐसा है तो इस तरह के तंत्र का संचालन कैसे किया जा सकता है? केंद्र सरकार को प्रस्तुत की जाने वाली इस रिपोर्ट में आयोग ने अपने सभी विचारणीय विषयों का निपटान करने की मांग की रखी है।
यह रिपोर्ट चार खंडों में तैयार की गई है। खण्ड-I और खण्ड-II में पहले की तरह मुख्य रिपोर्ट और उसके साथ के अनुलग्नक संलग्न हैं। खण्ड-III केंद्र सरकार को समर्पित है और इसमें मध्यम अवधि की चुनौतियों और आगे के रोडमैप के साथ प्रमुख विभागों की गहराई से जांच की गई है। खण्ड-IV पूरी तरह से राज्यों के लिए समर्पित है। आयोग ने बड़ी गहराई से प्रत्येक राज्य के वित्त का विश्लेषण किया है और प्रत्येक राज्य के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने के लिए राज्य के लिए विशिष्ट विचार-विमर्श को दर्शाया है।
रिपोर्ट में निहित सिफारिशों के बारे में स्पष्टीकरण ज्ञापन और कार्रवाई की गई रिपोर्ट के साथ एक बार केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश किए जाने के बाद,यह रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी। इस रिपोर्ट का कवर और शीर्षक ‘कोविड के दौरान वित्त आयोग’ (Finance Commission in Covid Times) रखा गया है। राज्यों और केंद्र के बीच संतुलन को दर्शाने के लिए कवर पर तराजू का उपयोग किया गया है।
आयकर विभाग (Income Tax) ने फर्जी बिल बनाकर बड़े पैमाने पर पैसों की हेरा-फेरी करने वाले एक बड़े नेटवर्क का भांडाफोड़ करते हुए छापे मारी और जब्ती (Search and Seizure) की कार्रवाई की। इस सिलसिले में दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में 42 स्थानों पर छापे मारे गए और तलाशी ली गई।
इस दौरान फर्जी बिल के आधार पर पैसों की हेरा-फेरी करने वाले एंट्री ऑपरेटरों, बिचौलियों, लाभार्थियों और कंपनियों के खिलाफ कई सबूत जब्त किए गए। अब तक, इस मामले में नकली बिलों के आधार पर 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की हेरा-फेरी के सबूत मिले हैं जिन्हें जब्त कर लिया गया है।
तलाशी के दौरान कई ऐसे सबूत हाथ लगे हैं जिनसे पता चला है कि एंट्री ऑपरेटरों ने फर्जी बिल के आधार पर बेहिसाब धन की निकासी और असुरक्षित ऋण देने के लिए कई फर्जी कंपनियों के नाम का इस्तेमाल किया। इसमें ऐसे ऑपरेटरों, उनके नकली भागीदारों / कर्मचारियों के साथ-साथ लाभार्थियों के विवरण भी स्पष्ट रूप से दर्ज हैं।
जिन लोगों के खिलाफ तलाशी की गई है उनके परिजनों और उनके करीबी कर्मचारियों के नाम पर कई बैंक खाते और लॉकर तथा फर्जी कंपनियां खोले जाने की जानकारी भी मिली है। ये सारे काम बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से किए गए हैं।
इस फर्जी धंधे से लाभ उठाने वाले लोगों ने कई बड़े शहरों में रियल एस्टेट कारोबार में निवेश किया है और करोड़ों रुपये बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट किए हैं।
तलाशी के दौरान 2.37 करोड़ रुपये नकद और 2.89 करोड़ रुपये मूल्य के जवाहरात बरामद हुए हैं। इसके साथ ही ऐसे 17 बैंक लॉकरों का भी पता चला है जिनका अभी तक इस्तेमाल नहीं किया गया है।
आयकर विभाग इस मामले में आगे और जांच कर रहा है।
अब पटोला सिल्क, बनारसी सिल्क, सूती, डेनिम आदि की दस्तकारी किए हुए कपड़े आपके पांवों की शोभा भी बढ़ाएंगे। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (Khadi & Village Industries Commission, KVIC) ने खादी के अनूठे फुटवियर तैयार कर इनकी ऑनलाइन बिक्री शुरु कर दी है। ये फुटवियर महिलाओं के लिए 15 डिज़ाइनों और पुरुषों के लिए 10 डिज़ाइनों में लांच किए गए हैं। फुटवियरों को अनूठा एवं फैशनेबल बनाने के लिए गुजरात के पटोला सिल्क, बनारसी सिल्क, बिहार के मधुबनी प्रिंटेड सिल्क, खादी डेनिम, तसर सिल्क, मटका-कटिया सिल्क, विभिन्न प्रकार के सूती कपड़े, ट्वीड ऊन और खादी के पॉली वस्त्र जैसे उत्तम खादी उत्पादों का उपयोग किया गया है। डिजाइन, रंग और प्रिंट की एक विस्तृत श्रृंखला में उपलब्ध, इन फुटवियरों की कीमत 1100 रुपये से लेकर 3300 रुपये प्रति जोड़ी है।
केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से KVIC द्वारा डिज़ाइन किए गए और खादी के कपड़े से बने भारत के पहले उच्च गुणवत्ता वाले फुटवियर का शुभारंभ किया। गडकरी ने KVIC के ई-पोर्टल www.khadiindia.gov.in के माध्यम से खादी के इन फुटवियरों की ऑनलाइन बिक्री की भी शुरूआत की।
इस अवसर पर गडकरी ने खादी के कपड़े से बने फुटवियरों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह के अनूठे उत्पादों में अंतरराष्ट्रीय बाजार पर कब्जा करने की अपार क्षमता है। उन्होंने यह भी कहा कि खादी कपड़े के फुटवियर हमारे कारीगरों के लिए अतिरिक्त रोजगार और अपेक्षाकृत उच्च आय पैदा करेंगे। उन्होंने केवीआईसी से महिलाओं के हैंडबैग, पर्स, बटुआ जैसे चमड़े के उत्पादों के विकल्प के रुप में दस्तकारी किए हुए खादी के कपड़ों में करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ऐसे उत्पादों का विकास और विदेशों में विपणन करके खादी इंडिया 5000 करोड़ रुपये के बाजार पर कब्जा कर सकता है।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्यमंत्री प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा कि खादी के कपड़े के फुटवियर न केवल पर्यावरण और त्वचा के अनुकूल हैं, बल्कि ये खादी के उन कारीगरों की कड़ी मेहनत को दर्शाते हैं जिन्हें इन फुटवियरों के लिए कपड़े बनाने के लिए रखा गया है। उन्होंने कहा, “मैं वैश्विक अभिरुचि के अनुरूप खादी के कपड़े के फुटवियर विकसित करने के लिए KVIC को बधाई देता हूं। मुझे यकीन है कि फुटवियर उद्योग में एक बड़ी हिस्सेदारी हासिल करके खादी के कपड़े के फुटवियर देश की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद करेंगे।”
KVIC के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुरूप नए क्षेत्रों में कदम रखना, नए बाजारों का उपयोग करना और उत्पाद श्रृंखला में विविधता लाना, पिछले छह वर्षों में खादी की शानदार सफलता का मंत्र रहा है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपभोक्ताओं का एक बड़ा वर्ग तेजी से शाकाहारी हो रहा है और इसलिए, खादी इस वर्ग का पसंदीदा विकल्प बन जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय फुटवियर उद्योग का आकार लगभग 50,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें लगभग 18,000 करोड़ रुपये का निर्यात शामिल है। KVIC प्रारंभिक लक्ष्य इस उद्योग के कम से कम 2 प्रतिशत भाग पर कब्जा करना है, जोकि अनुमानित रूप से लगभग 1000 करोड़ रुपये के बराबर है।
Union Minister for Finance & Corporate Affairs Nirmala Sitharaman today held Video Conference with Secretaries of the Ministries of Petroleum & Natural Gas and Coal, along with the CMDs of 14 CPSEs belonging to these Ministries, to review the capital expenditure (CAPEX) in this financial year. This was 4th in the ongoing series of meetings that the Finance Minister is having with various stakeholders to accelerate the economic growth in the background of COVID–19 pandemic.
In FY 2019-20, against the CAPEX target of Rs. 1,11,672 crore for these 14 CPSEs, the achievement was Rs. 1,16,323 crore i.e. 104%. FY 2019-20, H1 achievement was Rs. 43,097 crore (39%) and achievement of FY 2020-21, H1 is Rs. 37,423 crore (32%). CAPEX target for 2020-21 is Rs. 1,15,934 crore.
While reviewing the performance of CPSEs, Sitharaman said that CAPEX by CPSEs is a critical driver of economic growth and need to be scaled up for the FYs 2020-21 & 2021-22. The Finance Minister asked the concerned Secretaries to closely monitor the performance of CPSEs in order to ensure the capital expenditure to the tune of 75% of the capital outlay by the end of Q3 of FY 2020-21 and make appropriate plan for it. Sitharaman expounded that more co-ordinated efforts are required at the levels of Secretary of concerned Ministries and CMDs of CPSEs to achieve CAPEX targets.
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While mentioning the significant role of CPSEs in giving a push to the growth of the Indian economy, the Finance Minister encouraged the CPSEs to perform better to achieve their targets and to ensure that the capital outlay for FY 2020-21 is spent properly and within time. Sitharaman said that better performance of CPSEs can help the economy in a big way to recover from the impact of COVID-19.
The CPSEs CAPEX review is carried out jointly by Department of Economic Affairs and Department of Public Enterprises.