सीएम ने बार एसोसिएशन देहरादून के नए भवन के शिलान्यास में लिया भाग..
उत्तराखंड: सीएम धामी ने बार एसोसिएशन दून के अधिवक्ताओं के चैंबर्स भवन का शिलान्यास किया। कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि पहुंचे सीएम धामी ने कहा कि राज्य में न्याय व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। बार एसोसियेशन देहरादून में 5500 से अधिक अधिवक्ता कार्यरत है। भवन निर्माण के लिए 5 बीघा जमीन स्वीकृत की गई थी। इसके साथ ही अब 1500 चैंबर वाला 9 मंजिला भवन बनाया जाएगा। इस दौरान सीएम धामी ने कहा की अंग्रेजों के समय से चले आ रहे कानून को बदलने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है।
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत सरकार ने देश में तीन कानून लागू करने का काम किया है। वही नए कानून के तहत इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल को भी मान्यता प्राप्त की गई है। सीएम धामी ने यूसीसी को लेकर कहा की 9 नवंबर राज्य स्थापना दिवस से पहले यूसीसी लागू करने का काम किया जाएगा जो हमारी सरकार का संकल्प है।
लंबित केसों का निस्तारण समय से किया जाना जरूरी..
देहरादून बार एसोसिएशन में 1 लाख 30 हजार केस लंबित है। जिसके लिए सीएम धामी ने सभी अधिवक्ताओं से आह्वान किया कि लंबित केसों का निस्तारण समय से किया जाना जरूरी है, ताकि न्यायिक प्रक्रिया में देरी न हो। वही बार एसोसिएशन देहरादून के अध्यक्ष राजीव शर्मा उर्फ बंटू का कहना है की नए भवन निर्माण के लिए राज्य सरकार से अनुदान की मांग की है। उन्होंने कहा कि नए भवन की कीमत 90 करोड़ आंकी गई है जिसके लिए अधिवक्तों के साथ साथ राज्य सरकार से भी अंशदान को मांग की है। सीएम धामी ने नए भवन निर्माण को लेकर बार एसोसिएशन को आश्वस्त किया है
उत्तराखंड। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के क्रम में पंचकेदारों में से द्वितीय केदार मद्महेश्वर धाम को विकसित किया जाएगा। इसके साथ केदारनाथ धाम के अंतिम मोटर पड़ाव गौरीकुंड स्थित मां गौरी के मंदिर का सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा।
शासन के धर्मस्व व संस्कृति विभाग के अनु सचिव रमेश सिंह रावत द्वारा इस संबंध में संस्कृति विभाग के निदेशक को अलग-अलग आदेश जारी किये गए हैं। आदेशों में मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में मद्महेश्वर धाम के विकास और गौरीकुंड स्थित मां गौरी मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए कार्यदायी संस्था से विस्तृत परियोजना आख्या (डीपीआर) तैयार करने के निर्देश जारी किए गए हैं। आदेश में लोक निर्माण विभाग को कार्यदायी संस्था नामित करते हुए श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) से समन्वय स्थापित करते हुए डीपीआर तैयार करने को कहा गया है।
उधर, बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने मद्महेश्वर धाम के विकास और मां गौरी मंदिर के सौंदर्यीकरण की योजना को स्वीकृति देने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा की मद्महेश्वर धाम के विकास की योजना से वहां श्रद्धालुओं व तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि होगी। इससे क्षेत्रीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।
उल्लेखनीय है कि 3,497 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मद्महेश्वर धाम रुद्रप्रयाग जनपद के ऊखीमठ विकास खंड में स्थित है। मद्महेश्वर पहुंचने के लिए श्रद्वालुओं को करीब 14 किमी की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। पंच केदारों में से द्वितीय केदार के रूप में मद्महेश्वर धाम की मान्यता है। यहां भगवन शिव के नाभि रूप की पूजा होती है। मंदिर का प्रबंधन बीकेटीसी देखती है। इसी प्रकार मां गौरी का मंदिर केदारनाथ धाम के अंतिम मोटर स्टेशन गौरीकुंड में स्थित है। केदारनाथ धाम की यात्रा पर जाने वाले श्रद्वालु मां गौरी के दर्शनों के बाद अपनी यात्रा पर निकलते हैं। इसका प्रबंधन भी बीकेटीसी के पास है।
दिल्ली में भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पी.टी उषा से मिलीं खेल मंत्री रेखा आर्या..
राष्ट्रीय खेलों के आयोजन को लेकर हुई चर्चा..
उत्तराखंड: प्रदेश में 38वें राष्ट्रीय खेलों को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। गुरुवार को प्रदेश की खेल मंत्री रेखा आर्या ने भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा से मुलाकात की। गुरुवार को खेल मंत्री रेखा आर्या ने नई दिल्ली में भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा और संघ के अन्य पदाधिकारियों से मुलाकात की। इस दौरान खेल मंत्री ने राज्य में प्रस्तावित 38वें राष्ट्रीय खेलों से जुड़े अनेक विषयों पर चर्चा की और खेलों के आयोजन से संबंधित तैयारियों पर विमर्श किया।
नेशनल गेम्स को लेकर बीते बुधवार को सीएम धामी ने केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मंडाविया से दूरभाष पर वार्ता की थी। सीएम ने प्रस्तावित 38वें राष्ट्रीय खेलों की तिथि के विषय में चर्चा की थी। जिस पर मनसुख मंडाविया ने कहा था कि जल्दी ही इस विषय पर भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पी. टी उषा से वार्ता कर तिथि घोषित की जाएगी। माना जा रहा है कि जल्द ही राष्ट्रीय खेलों की तिथि का ऐलान किया जाएगा। आपको बता दें कि अक्टूबर-नवंबर में 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होना है। प्रदेश सरकार व खेल विभाग राष्ट्रीय खेलों की तैयारी में जुटी हुई है। पिछले साल नवंबर 2023 में गोवा में हुए 37वें राष्ट्रीय खेलों के समापन पर भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी ऊषा ने 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी के लिए उत्तराखंड को भारतीय ओलंपिक संघ का ध्वज सौंपा था।
अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन की पहली बार मेजबानी करेगा उत्तराखंड..
उत्तराखंड: प्रदेश में पहली बार अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। आयुष मंत्रालय ने इस बार आयोजन की मेजबानी उत्तराखंड को सौंपी है। 12 से 15 दिसंबर तक एफआरआई देहरादून में सम्मेलन प्रस्तावित है। इसके लिए आयुर्वेद विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। सम्मेलन में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयुर्वेद संस्थानों के विशेषज्ञ, आयुष फार्मा कंपनियों के प्रतिनिधि आयुष चिकित्सा व संभावनाओं पर मंथन करेंगे।
बीते वर्ष दिसंबर माह में वैश्विक निवेशक सम्मेलन के बाद प्रदेश सरकार अब अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन कराने की तैयारियों में है। आयुष मंत्रालय के सहयोग से प्रदेश में यह पहला आयोजन होगा। सम्मेलन में 8 से 10 देशों के प्रतिनिधियों को बुलाया जाएगा। इसके साथ ही देश में प्रसिद्ध आयुष चिकित्सा एवं शोध संस्थानों के विशेषज्ञ, आयुष फार्मा कंपनियां अलग-अलग सत्रों में आयुष चिकित्सा को बढ़ावा देने पर मंथन करेंगे।
इस सम्मेलन से उत्तराखंड को आयुष हब के रूप में विकसित करने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव भी विशेषज्ञों से मिलेंगे। सम्मेलन के दौरान उत्तराखंड में आयुष एवं वेलनेस क्षेत्र में निवेश के लिए कंपनियों के साथ एमओयू कराने के लिए विभाग प्रयास कर रहा है। अपर सचिव आयुष विजय कुमार जोगदंडे ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन के लिए तैयारियां चली है। सम्मेलन के लिए एफआरआई में स्थान चयनित किया गया। इसके लिए देश दुनिया से आने वाले प्रतिनिधियों की सूची तैयार की जा रही है।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री से मिले अनिल बलूनी, एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने का किया अनुरोध..
उत्तराखंड: गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों को हवाई सेवाओं का विस्तार देने की मांग को लेकर भाजपा सांसद व पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू से मुलाकात की। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से गढ़वाल की एयर कनेक्टिविटी में विस्तार के लिए अनुरोध किया। केंद्रीय मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया कि वह इस दिशा में जानकारी जुटा कर जल्द कार्रवाई करेंगे।
मुलाकात के दौरान बलूनी ने केंद्रीय मंत्री को एक पत्र भी सौंपा। उन्होंने आग्रह किया कि उड़ान योजना के तहत गढ़वाल लोक सभा क्षेत्र के रामनगर, लैंसडौन, पौड़ी, गोपेश्वर और जोशीमठ को देहरादून से हेली सेवा से जोड़ने पर विचार किया जाए। उन्होंने गौचर (चमोली) हवाई अड्डे के आधुनिकीकरण में आ रही अड़चनों को भी दूर करने की मांग की। उनका कहना हैं कि हवाई अड्डे का आधुनिकीकरण होने से इस क्षेत्र में एयर कनेक्टिविटी में सुधार होगा। गढ़वाल सांसद ने मंत्री को कहा कि भौगौलिक दृष्टि से गढ़वाल एक ऐसी लोकसभा है जिसमें 14 विधानसभाएं आती हैं। इसके कई क्षेत्र देश के दुर्गम इलाकों में शुमार होते हैं।
प्राकृतिक आपदाओं के कारण इस लोकसभा क्षेत्र के कई इलाकों से संपर्क टूट जाता है। सड़क मार्ग अकसर प्रभावित होता रहता है। इस कारण यहां से पलायन की समस्या भी काफी गंभीर होती जा रही है। इसलिए ऐसे इलाकों में एयर कनेक्टिविटी की काफी जरूरत है। गढ़वाल सांसद की मांग पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए सभी मांगों पर जल्दी कार्रवाई का आश्वासन दिया।
उत्तराखंड परिवहन निगम दिल्ली मार्ग पर चलाएगा 70 सीएनजी बसें..
उत्तराखंड: परिवहन निगम राज्य के विभिन्न शहरों से दिल्ली के लिए 70 सीएनजी बसें अनुबंध पर संचालित करेगा। इसके लिए निगम ने निविदा जारी कर दी है। दिल्ली में बीएस-4 वाहनों का प्रवेश अक्तूबर से बंद होने जा रहा है, जिसके उपाय के तौर पर ये निर्णय लिया गया है। परिवहन निगम के पास बड़ी संख्या में बीएस-4 बसें हैं। चूंकि दिल्ली में इनका प्रवेश बंद हो जाएगा, इसलिए दिल्ली की सेवा प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए ही निगम ने 150 बसें खरीदी थीं, जो कि अगले महीने से मिलनी शुरू हो जाएंगी। अब 70 सीएनजी बसें भी चलाने की योजना बनाई गई है, जिसके लिए टेंडर जारी कर दिया गया है। 18 सितंबर तक टेंडर डाला जा सकता है।
आपको बता दे कि अनुबंध की अवधि छह वर्ष होगी, जिसे बाद में एक वर्ष बढ़ाया जा सकेगा। निगम 5.20 किलोमीटर प्रति किलोग्राम की दर से सीएनजी उपलब्ध कराएगा। निगम के सभी खर्च निकालने के बाद बस संचालन से हुए लाभ में से बस मालिक को 25 प्रतिशत प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। अगर सभी खर्च निकालने के बाद हानि होती है तो उसे भी बस मालिक से साझा किया जाएगा।
जानिए किस मार्ग पर चलेंगी कितनी सीएनजी बसें..
देहरादून-दिल्ली 13, हरिद्वार-दिल्ली 07, ऋषिकेश-दिल्ली 06, कोटद्वार-दिल्ली 01, रुड़की-दिल्ली 10, हल्द्वानी-दिल्ली 12, रामनगर-दिल्ली 05, रुद्रपुर-दिल्ली 07, काशीपुर-दिल्ली 05, टनकपुर-दिल्ली 04
यूजेवीएनएल की तीन विद्युत परियोजनाओं में एक माह में बनाया बिजली उत्पादन का रिकॉर्ड..
उत्तराखंड: जल विद्युत निगम लिमिटेड की यमुना घाटी की तीन जल विद्युत परियोजनाओं में एक माह में पहली बार रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। छिबरो, खाेदरी और व्यासी जल विद्युत परियोजना में अगस्त में 724.467 का रिकॉर्ड उत्पादन दर्ज किया गया है। अब तक का एक माह का सर्वाधिक उत्पादन 721.990 मिलियन यूनिट बीते साल अगस्त का दर्ज था। यूजेवीएनएल के प्रबंध निदेशक डॉ. संदीप सिंघल का कहना हैं कि उत्पादन की दृष्टि से अगस्त निगम के लिए बेहतरीन साबित हुआ। देहरादून जिले की हिमाचल प्रदेश की सीमा पर यमुना की प्रमुख सहयोगी नदी टोंस पर वर्ष 1975 में छिबरो जल विद्युत परियोजना (240 मेगावाट) की स्थापना की गई थी। इसमें अगस्त में 146.768 मिलियन यूनिट उत्पादन हुआ। यह उत्तर भारत का पहला भूमिगत जल विद्युत गृह है। इसमें 60-60 मेगावाट की चार मशीनों से उत्पादन किया जा रहा है।
30-30 मेगावाट की चार मशीनों से होता है विद्युत उत्पादन..
प्रबंध निदेशक का कहना हैं कि छिबरो की डाउन-स्ट्रीम में वर्ष 1984 में खोदरी जल विद्युत परियोजना (120 मेगावाट) की स्थापना की गई थी। इस परियोजना से अगस्त में 65.589 मिलियन यूनिट का विद्युत उत्पादन हुआ। निगम की स्थापना के बाद से अब तक का अगस्त माह का सर्वाधिक विद्युत उत्पादन है। इससे पूर्व अगस्त 2021 में 63.814 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन किया गया था। इस परियोजना में 30-30 मेगावाट की चार मशीनों से विद्युत उत्पादन होता है। छिबरो और खोदरी परियोजनाओं का परिचालन टेंडम कंट्रोल तकनीक से किया जाता है।
यह देश में अपनी तरह का पहला प्रयोग है। उन्होंने बताया कि यमुना पर वर्ष 2022 मेंं व्यासी जल विद्युत परियोजना से उत्पादन शुरू हुआ था। इस बार अगस्त में परियोजना में 86.787 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन हुआ है। यह एक माह का सर्वाधिक उत्पादन है। परियोजना में 60-60 मेगावाट क्षमता की दो मशीनों से उत्पादन होता है। वर्ष 1975 में यमुना, टोंस और आसन नदियों के जल से पोषित कुल्हाल जल विद्युत परियोजना (30 मेगावाट) की स्थापना हुई है। परियोजना से अगस्त में 18.795 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन हुआ। यह मासिक लक्ष्य से अधिक था। परियोजना में 10-10 मेगावाट की दो मशीनों से उत्पादन किया जाता है।
यूपी राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बनी बबिता चौहान..
देश-विदेश: उत्तर प्रदेश में राज्य महिला आयोग का गठन किया गया है। राज्य महिला आयोग का गठन करते हुए एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष और 25 सदस्यों के नामों की घोषणा की है। बबिता चौहान को आयोग का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वहीं मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव को उपाध्यक्ष बनाया गया है। इसके साथ ही चारू चौधरी को भी उपाध्यक्ष बनाया गया है। वह एक साल तक इस पद पर बनी रहेंगी। बता दें कि बबिता चौहान मूल रुप से आगरा की रहने वाली हैं। वह पहले भी बीजेपी में कई अहम पदों पर जिम्मेदारी निभा चुकी हैं। बबिता चौहान भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की यूपी इकाई की उपाध्यक्ष हैं। वह यूपी बीजेपी कार्यकारिणी में सदस्य की भूमिका में भी जिम्मेदारी निभा रही हैं। वह खेरागढञ से जिला पंचायत सदस्य भी हैं। वहीं यूपी महिला आयोग में बीजेपी नेता चारू चौधरी को उपाध्यक्ष बनाया गया है। वह मूल रुप से गोरखपुर की रहने वाली हैं। इसी के साथ सरकार की ओर से महिला आयोग के सदस्य के रुप में जिन 25 नामों की घोषणा की गई है उनमें प्रियंका गांधी के लड़की हूं लड़ सकती हूं की पोस्टर गर्ल रही डॉ.प्रियंका मौर्य को भी शामिल किया गया है।
सचिवालय में कृषि और उद्यान विभाग की सीएम धामी ने ली समीक्षा बैठक..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में कृषि और उद्यान विभाग की समीक्षा बैठक ली. बैठक के दौरान सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि राज्य में किसानों की आर्थिकी को और तेजी से बढ़ाने की दिशा में प्रभावी प्रयास किये जाएं। सीएम धामी का कहना हैं कि यह सुनिश्चित करें कि किसानों को विभिन्न योजनाओं का लाभ एक पैकेज के रूप में मिले। केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा किसानों के हित में चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का पूरा लाभ किसानों को मिले इसके लिए राज्य और जनपद स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किये जाएं। सीएम ने अधिकारियों को पॉलीहाउस के निर्माण में तेजी लाने के निर्देश दिये। किसानों की आय बढ़ाने और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए पॉलीहाउस योजना सहायक सिद्ध होगी, इनके निर्माण में लेटलतीफी करने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जायेगी। प्रत्येक साल के लिए निर्धारित लक्ष्य के हिसाब से राज्य में पॉलीहाउस का निर्माण किया जाए।
ग्राम पंचायतों को फार्म मशीनरी बैंक से जोड़ने के दिए निर्देश..
सीएम धामी ने कहा कि कृषि यंत्रीकरण योजना से किसानों को लाभान्वित किया जाए। इस योजना के तहत अनेक कृषि यंत्रों पर 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है। सीएम ने फार्म मशीनरी बैंक योजना से किसानों को तेजी से जोड़ने के भी निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि सभी ग्राम पंचायतों को फार्म मशीनरी बैंक योजना से जोड़ा जाए। राज्य में मिलेट को बढ़ावा देने के लिये और कारगर प्रयासों की जरूरत है। मिलेट उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये कृषि क्षेत्र बढ़ाने के साथ उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रत्येक साल का एक्शन प्लान बनाया जाए। उत्पादों की वैल्यू एडिशन पर विशेष ध्यान दिया जाए। सीएम ने राज्य में प्राकृतिक खेती को और बढ़ावा देने के निर्देश भी दिये।
एप्पल और कीवी मिशन के तहत तेजी से किया जाए कार्य..
सीएम धामी ने राज्य में एप्पल और कीवी मिशन के तहत तेजी से कार्य करने के भी निर्देश दिए। सीएम ने कहा कि सेब के उत्पादन में वृद्धि के साथ ही पैकेजिंग और मार्केटिंग की दिशा में भी विशेष ध्यान दिया जाए। सेब और कीवी उत्पादन में वृद्धि राज्य में किसानों की आर्थिकी को बढ़ाने में गेम चेंजर साबित होंगे। राज्य में ऐरोमा के क्षेत्र में अनेक संभावनाएं हैं। ऐरोमैटिक सेक्टर किसानों की आय बढ़ाने में काफी कारगर साबित हो सकता है। किसानों को ऐरोमैटिक खेती के लिए अधिक से अधिक प्रेरित किया जाए।
उत्तराखंड। श्री बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति में नए मुख्य कार्याधिकारी (CEO) की नियुक्ति चर्चाओं का केंद्र बन गयी है। सेवा नियमावली को ताक पर रख कर नए सीईओ के रूप में उत्तराखंड मंडी परिषद के सचिव विजय थपलियाल की नियुक्ति के बाद शासन की मंशा पर भी सवाल उठने लग गए हैं।
गौरतलब है कि मंदिर समिति द्वारा कुछ माह पूर्व अपने कार्मिकों के लिए सेवा नियमावली तैयार कर प्रदेश कैबिनेट से पारित कराई गयी थी। वर्ष 1939 में गठित मंदिर समिति में सेवा नियमावली के बनने को एक उपलब्धि के रूप में प्रचारित किया गया था। सेवा नियमावली में अन्य बातों के अलावा सीईओ पद के लिए प्रथम श्रेणी का राजपत्रित अधिकारी होना अनिवार्य अहर्ता रखी गयी है। इसके साथ ही उक्त अधिकारी को प्रशासनिक कार्यों का अनुभव जरुरी माना गया है। मंदिर समिति में गत वर्ष शासन द्वारा अतिरिक्त मुख्य कार्याधिकारी (ACEO) का पद भी सृजित किया गया था। ACEO पद पर शासन ने पीसीएस अधिकारी की नियुक्ति का शासनादेश जारी किया है।
इसका स्पष्ट तात्पर्य है कि सीईओ पद पर वरिष्ठ PCS अथवा जूनियर आईएएस अफसर की तैनाती ही होनी थी। किन्तु शासन ने सेवा नियमावली और शासनदेशों को ताक पर रखकर मंडी समिती में सचिव स्तर के अधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल को मन्दिर समिती का सीईओ नियुक्त कर दिया। मंडी समिती सचिव पद पर समूह ग के माध्यम से नियुक्ति होती है। विभागीय पदोन्नति के बाद थपलियाल के वेतनमान में भले ही वृद्धि हुई हो, किंतु वे राजपत्रित अधिकारी की श्रेणी में नहीं हैं।
थपलियाल को सीईओ नियुक्त करने से मन्दिर समिति को कई प्रकार के अंतर्विरोधों का सामना करना पड़ रहा है। थपलियाल की कनिष्ठता और स्तर को देखते हुए अपर मुख्य कार्याधिकारी के पद पर कोई भी PCS अफसर आने को तैयार नहीं है।
यही नहीं मन्दिर समिति में पूर्व से तैनात अफसरों को भी शासन के इस निर्णय के कारण असमंजस की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। मंदिर समिति में वर्तमान में मुख्य वित्त अधिकारी के पद पर तैनात अधिकारी प्रदेश वित्त सेवा के अधिकारी हैं और थपलियाल से कई स्तर ऊपर हैं। इसी प्रकार समिति के विशेष कार्याधिकारी सचिवालय में अनु सचिव स्तर के अधिकारी हैं।
बीकेटीसी में थपलियाल की नियुक्ति शुरु दिन से ही विवादों और चर्चाओं का केंद्र बनी रही है। धर्मस्व व संस्कृति विभाग के सचिव हरिश्चंद सेमवाल ने विगत माह 29 जुलाई को 3 वर्ष के लिए थपलियाल को प्रति नियुक्ति पर सीईओ नियुक्त करने के आदेश जारी किए। इसके बाद 30 जुलाई को मंडी परिषद के प्रबंध निदेशक बीएस चलाल ने थपलियाल को अनापत्ति प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया था। मगर आश्चर्यजनक ढंग से चार घंटे के भीतर ही मंडी परिषद ने शासन के निर्देश पर थपलियाल के अनापत्ति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया।
मंडी परिषद द्वारा आनन- फानन में अनापत्ति प्रमाण पत्र निरस्त किये जाने के करीब एक सप्ताह बाद 8 अगस्त को दुबारा से थपलियाल को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया और फिर थपलियाल ने सीईओ का कार्यभार संभाला। बहरहाल, थपलियाल की नियुक्ति को लेकर तमाम तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। इस संबंध में संपर्क किये जाने पर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि सेवा नियमावली का पालन करना और देखना शासन में धर्मस्व व संस्कृति विभाग का काम है। धर्मस्व विभाग ही इस बारे में बता सकता है। उधर, इस मामले में सचिव धर्मस्व व संस्कृति हरिश्चंद्र सेमवाल से भी बात करने की कोशिश की गई, किंतु उनसे संपर्क नहीं हो सका।