चम्पावत। खटीमा के नगरा तराई क्षेत्र में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को अपने खेत में धान की रोपाई कर किसानों के परिश्रम, त्याग और समर्पण को नमन किया। उन्होंने कहा कि खेतों में उतरकर पुराने दिनों की यादें ताजा हो गईं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्नदाता न केवल हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, बल्कि वे हमारी संस्कृति और परंपराओं के संवाहक भी हैं।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत “हुड़किया बौल” के माध्यम से भूमि के देवता भूमियां, जल के देवता इंद्र और छाया के देवता मेघ की वंदना भी की। मुख्यमंत्री के इस सांस्कृतिक जुड़ाव और कृषकों के साथ आत्मीय सहभाग ने क्षेत्रीय जनता को गहरे स्तर पर प्रेरित किया।
मुख्यमंत्री धामी की यह पहल उत्तराखंड की ग्रामीण संस्कृति, कृषकों की अहमियत और पारंपरिक लोककलाओं के संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है।
देहरादून। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री के रूप में चार साल पूरे होने पर उन्हें शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इन चार वर्षों में उत्तराखंड ने विकास के कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं।
कैबिनेट मंत्री महाराज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा और मार्गदर्शन में राज्य की धामी सरकार ने उत्तराखंड को एक आदर्श और श्रेष्ठ राज्य के रूप में स्थापित किया है। राज्य की धामी सरकार ने 4 वर्षों में समान नागरिक संहिता, सख्त नकल विरोधी कानून, सख्त धर्मांतरण कानून, दंगारोधी कानून लागू कर सुशासन के संकल्प को पूरा करने के साथ-साथ लैंड जिहाद, लव जिहाद, अवैध मदरसों व अतिक्रमण पर कार्रवाई कर सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह बनाया है।
महाराज ने कहा कि पुष्कर सिंह धामी सरकार ने राज्य में सख्त भू-कानून लागू कर देवभूमि के मूल स्वरूप की रक्षा हेतु अपनी प्रतिबद्धता को साबित करके दिखाया है। धामी सरकार की नीतियों के कारण प्रदेश में बेरोजगारी दर तेजी से घटी है जो कि राष्ट्रीय औसत से भी कम है।”
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार ने धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पिछले चार वर्षों में अनेक कार्य किए हैं जिसके परिणामस्वरूप चारधाम यात्रा पर रिकॉर्ड श्रृद्धालु उत्तराखंड आये हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत-2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में धामी सरकार निश्चित रूप से आगामी वर्षों में प्रदेश को विकास की नई ऊंचाईयों पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी।
बिजली-पानी से जुड़ी शिकायतों का तुरंत समाधान हो- मुख्य सचिव
देहरादून। मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में जिलाधिकारियों के साथ आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विभिन्न मुद्दों की समीक्षा करते हुए दिशा निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को आमजन की समस्याओं को सुनने एवं उनके निराकरण पर विशेष ध्यान दिए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि विद्युत विभाग, पेयजल विभाग एवं अन्य ऐसे विभाग जो नागरिक सेवाएं उपलब्ध कराते हैं, अपने कार्यक्षेत्रों का दौरा अवश्य करें। उन्होंने विभागों को निर्देश दिए हैं कि टेढ़े हो चुके बिजली के खम्बों, लटकी तारों सहित टूटी पेयजल पाईपलाईनों की मरम्मत का कार्य तत्काल कराए जाएं। उन्होंने कहा कि जब तक अधिकारी फील्ड पर नहीं उतरेंगे, आमजन की समस्याओं से अवगत नहीं होंगे। उन्होंने सभी अधिकारियों को फील्ड का दौरा नियमित रूप से किए जाने के निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव ने सभी जनपदों में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) रजिस्ट्रेशन की प्रगति की भी जानकारी ली। उन्होंने कहा कि आमजन अधिक से अधिक संख्या में अपने विवाह का पंजीकरण कराएं इसके लिए जागरूकता कार्यक्रम संचालित किए जाएं। उन्होंने कहा कि पंजीकरण के लम्बित मामलों को तेजी से निस्तारित किया जाए। उन्होंने मैदानी जनपदों में पंजीकरण के लिए विशेष अभियान संचालित किए जाने के भी निर्देश दिए हैं।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रायः देखा जा रहा है कि ऐसे विवाह पंजीकरण, जिनमें विवाह के समय पति-पत्नि दोनों या दोनों में से कोई एक नाबालिग रहा हो, परन्तु वर्तमान में पंजीकरण के समय दोनों बालिग हो चुके हैं, को अस्वीकार किया जा रहा है, जो कि गलत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे विवाह के मामलों का भी पंजीकरण किया जाए।
मुख्य सचिव ने प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम- एबीएचआईएम) की जिलावार समीक्षा करते हुए प्रत्येक जनपद से प्रत्येक केन्द्र की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने ब्लॉक स्तर पर ‘ब्लॉक सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों‘ की स्थापना के कार्य में तेजी लाए जाने के निर्देश दिए। कहा कि जिन इकाइयों में निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है, उन इकाइयों में उपकरणों की व्यवस्था शीघ्र सुनिश्चित करते हुए ब्लॉक सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों को सक्रिय किया जाए।
इस अवसर पर सचिव शैलेश बगौली, चंद्रेश कुमार यादव, विनोद कुमार सुमन, अपर सचिव श्रीमती रंजना राजगुरू, विजय कुमार जोगदंडे, मनुज गोयल, अपर सचिव गृह श्रीमती निवेदिता कुकरेती सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
भ्रष्टाचारी जेल जाने के लिए रहें तैयार- मुख्यमंत्री
जनपद हरिद्वार के चहुंमुखी विकास हेतु मुख्यमंत्री ने की 13 घोषणाएं
विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को किये 75.81 लाख रूपये के चैक वितरित
हरिद्वार। हरिद्वार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऋषिकुल मैदान हरिद्वार में आयोजित विकास संकल्प पर्व में प्रतिभाग कर 550 करोड़ की 107 विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि लालढांग में सिंचाई सुविधा हेतु झील का निर्माण, लालढांग पीएचसी का उच्चीकरण कर सीएचसी बनाए जाने, भगवानपुर से इकबालपुर तक सड़क का चौड़ीकरण, भगवानपुर से सिकरौदा तक सड़क निर्माण, निरंजनपुर में डिग्री कालेज का निर्माण किए जाने, मुबारकपुर-अलीपुर में हाईस्कूल का उच्चीकरण किए जाने, मोहम्मदपुर जटगांव में रजवाहे के दोनों ओर पटरी पर सीसी सड़क का निर्माण किए जाने, विधान सभा झबरेड़ा के अन्तर्गत रुड़की नगर निगम वार्ड न0 22 व 23 में पानी निकासी व सड़क निर्माण किए जाने, खानपुर में ढाडेकी के सौलानी नदी पर पुल निर्माण किए जाने, गिद्धावाली में गंगा नदी घाट पर पुल निर्माण, नागड पलोनी से रांगढ वाला होते हुए भगवानपुर के पास तक मोटर रोड का निर्माण, मेवड नागड के शमशान घाट में बाउण्डरी वाल निर्माण किए जाने के साथ, मोहम्मदपुर पाण्डा के अन्तर्गत बाउण्डरी वाल निर्माण किए जाने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री द्वारा एनआरएलएम के अन्तर्गत लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह को 2 लाख रूपये, उद्यान विभाग द्वारा दरम्यान सिंह को 50 हजार रूपये, ग्रामोत्थान परियोजनान्तर्गत उजाला सीएलएफ को 21 लाख रूपये, आस्था सीएलएफ को 6 लाख रूपये, मत्स्य विभाग द्वारा अजीत कौर को 4 लाख 20 हजार रूपये, कृषि विभाग द्वारा तरूण सिंह अध्यक्ष वर्क कृषि उत्पादन एवं विपणन स्वयं सहायता समूह को 10 लाख, पशुपालन विभाग द्वारा मीनाक्षी देवी को 30 लाख रूपये, बाल विकास विभाग द्वारा चंचल तोमर को 51 हजार रूपये, सहकारिता विभाग द्वारा आकाश कश्यप को 1 लाख 60 हजार रूपये प्रदान करने के साथ ही सुश्री मीना को पीएम आवास योजनान्तर्गत आवास की चाबी सौंपी गई।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि क्षेत्र के विकास हेतु की गई ये सभी घोषणाएं, लोकार्पण, शिलान्यास की परियोजनाएँ न केवल हरिद्वार जनपद में आधारभूत सुविधाओं को सशक्त बनाने में सहायक सिद्ध होंगी, बल्कि नागरिकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही क्षेत्र के विकास को भी नई गति प्रदान करेंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन विशेष है क्योंकि आज ही के दिन 2021 को उन्हें देवभूमि उत्तराखण्ड की सेवा करने का मौका दिया गया था। उन्होंने कहा कि वे सबसे पहले मां गंगा का आशीर्वाद लेकर जनमानस के बीच आए हैं। उन्होंने कहा कि वे आज प्रदेश के समग्र विकास और जन आकांक्षाओं को पूरा करने के अपने “विकल्प रहित संकल्प” को पूर्ण करने की इस यात्रा के सफल चार वर्ष पूर्ण कर रहे हैं। उन्होंने सफल चार वर्ष पूर्ण होने पर देवभूमि उत्तराखंड की समस्त देवतुल्य जनता कस हृदयतल से आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जनता द्वारा जताये गए भरोसे के बल पर ही वे आज उत्तराखंड के मुख्य सेवक के रूप में प्रदेश की सेवा कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनता का प्रेम ही है जो उन्हें प्रत्येक दिन प्रदेश के विकास और समाज की प्रगति हेतु समर्पित भाव से कार्य करने की ऊर्जा प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरणा लेकर गांवों से लेकर शहरों तक, किसानों से लेकर युवाओं तक, मातृशक्ति से लेकर श्रमशक्ति तक, व्यापारियों से लेकर कमचारियों तक प्रत्येक क्षेत्र और वर्ग के कल्याण के लिए कई नई योजनाएं बनाईं हैं और उन्हें धरातल पर भी उतारा है। होम स्टे योजना, लखपति दीदी योजना और सौर स्वरोजगार योजना जैसी अनेकों योजनाएं लागू कर स्वरोजगार को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसका परिणाम है कि नीति आयोग द्वारा जारी सतत् विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के इंडेक्स में हमारे उत्तराखंड को देश में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की बेरोजगारी दर में रिकॉर्ड 4.4 प्रतिशत की कमी लाकर राष्ट्रीय औसत को भी पीछे छोड़ने का काम किया है।उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण देने के साथ ही ‘मुख्यमंत्री नारी सशक्तिकरण योजना‘, मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना, मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना और पोषण अभियान जैसी योजनाएं प्रारंभ की हैं।
उन्होंने कहा कि हरिद्वार जनपद में भी अनेकों विकास परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। धर्मनगरी हरिद्वार को भी काशी विश्वनाथ एवं उज्जैन महाकाल कॉरिडोर की भांति भव्य और दिव्य रूप देने के लिए हरिद्वार-ऋषिकेश कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है। हरिद्वार में हेली सेवाओं के लिए हेलीपोर्ट का निर्माण करने के साथ ही नगर को जाम की समस्या से मुक्ति दिलाने हेतु पॉड टैक्सी के संचालन की कार्ययोजना भी तैयार की जा रही है। हरकी पैड़ी से मां चंडी देवी और मां मनसा देवी तक रोपवे के निर्माण को हरी झंडी देना हो या लालढ़ांग की बरसाती नदी में पुल के निर्माण के साथ ही झूला पुल बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम देवनगरी हरिद्वार को विश्वस्तरीय नगरी बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देवनगरी हरिद्वार के लिए कावड़ यात्रा और कुंभ का आयोजन अत्यंत महत्वपूर्ण आयोजन है। कांवड़ यात्रा और वर्ष 2027 में होने वाला कुंभ का आयोजन भव्य,दिव्य,सुरक्षित और ऐतिहासिक हो। इसके लिए हम सभी जरूरी इंतजाम करने के लिए संकल्पित हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य के समग्र विकास के साथ-साथ अपने सांस्कृतिक मूल्यों और डेमोग्राफी को संरक्षित रखने हेतु भी हम पूर्ण रूप से संकल्पबद्ध है। हमने प्रदेश में एक ओर जहां धर्मांतरण विरोधी और सख्त दंगारोधी कानूनों को लागू किया है वहीं अतिक्रमणकारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर राज्य में समान नागरिक संहिता कानून लागू कर सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून की स्थापना की है। वहीं, युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों पर अंकुश लगाने हेतु प्रदेश में सख्त नकल विरोधी कानून भी लागू किया है, जिसके परिणामस्वरूप आज राज्य के 23 हजार से अधिक युवाओं को बिना किसी नकल के सरकारी नौकरी प्राप्त करने में सफलता प्राप्त हुई है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य से भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए ‘’ज़ीरो टॉलरेंस’’ की नीति के साथ संकल्पित होकर कार्य कर रहे हैं। पिछले साढ़े तीन वर्षों में भ्रष्टाचार में लिप्त 200 से अधिक लोगों को जेल की सलाखों के पीछे पहुँचाने का काम भी किया है। मुख्यमंत्री ने मां गंगा के तट से स्पष्ट सन्देश दिया कि भ्रष्टाचारी जेल जाने के लिए तैयार रहें।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देश के साथ-साथ उत्तराखंड भी स्पष्ट नीति एवं विजन के साथ आगे बढ़ रहा है, जहां ‘विकास’ प्राथमिकता है, ‘ईमानदारी’ पहचान है, और ‘सेवा’ संकल्प है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार देवभूमि उत्तराखंड को देश का श्रेष्ठ राज्य बनाने के अपने ’‘विकल्प रहित संकल्प’’ के साथ निरंतर कार्य कर रही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सभी के सहयोग से उत्तराखण्ड़ को सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने का हमारा संकल्प अवश्य सिद्ध होगा।
इस अवसर पर राज्यसभा सांसद एवं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट, सांसदकल्पना सैनी, डॉ.नरेश बंसल, विधायक मदन कौशिक, आदेश चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा भी जनता को सम्बोधित करते हुए अपने-अपने विचार व्यक्त किये गये।
इस अवसर पर पशुपालन, रेशम, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास, डेदृएनयूएलएम, उद्यान एवम् खाद्य प्रसंस्करण विभाग, कृषि, उद्योग, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण आदि विभागों द्वारा स्टॉल लगाकर अपने-अपने विभाग से सम्बन्धित योजनाओं की जानकारी दी गई।
कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष किरण चौधरी, मेयर किरण जेसल, अनीता अग्रवाल, पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद, उपाध्यक राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण विनय रोहेला, दर्जा राज्यमंत्री ओम प्रकाश जमदग्नि, शोभाराम प्रजापति, सुनील सैनी, श्यामवीर सैनी, जयपाल सिंह चौहान, देशराज कर्णवाल, शादाब शम्स, बीजेपी जिलाध्यक्ष आशुतोष शर्मा, मधु सिंह, महामंत्री आशु चौधरी, जिलाधिकारी मयूर दीक्षित, एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोबाल, सहित अन्य जनप्रतिनिधि व अधिकारी उपस्थित थे।
मानसून तैयारियों का लिया जायजा, जिलाधिकारियों से की वर्चुअल बैठक
देहरादून। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने शुक्रवार को आईटी पार्क, देहरादून स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र का निरीक्षण कर मानसून की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने वर्षा की स्थिति, नदियों के जलस्तर, मार्गों की स्थिति और मौसम पूर्वानुमान की जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने सभी जिलाधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक कर जिलों की तैयारियों का भी जायजा लिया और उनके प्रयासों तथा विभागीय समन्वय की सराहना की।
राज्यपाल ने कहा कि आपदा प्रबंधन में डेटा आधारित निर्णय, विभागों के बीच समन्वय और सामुदायिक सहभागिता बेहद महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन को तात्कालिक जरूरत तक सीमित न रखते हुए दीर्घकालिक रणनीति के रूप में विकसित करना चाहिए और राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार ठोस प्रयास किए जाएं।
राज्यपाल ने विभाग की पेशेवर कार्यशैली और आपदा प्रतिक्रिया समय में सुधार की सराहना करते हुए कहा कि हर चुनौती एक अवसर होती है, जिससे तैयारियों को और बेहतर किया जा सकता है। उन्होंने पिछले अनुभवों का दस्तावेजीकरण करने और अफवाहों पर नियंत्रण के लिए केंद्रीकृत सूचना प्रणाली विकसित करने के भी निर्देश दिए।
इस अवसर पर सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहम्मद ओबैदुल्लाह अंसारी, शांतनु सरकार, एस के बिरला, बिमलेश जोशी सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे।
अति संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात हैं आधुनिक उपकरण, रिस्पॉन्स टाइम केवल 5 मिनट
रुद्रप्रयाग। मानसून काल के दौरान केदारनाथ यात्रा मार्ग पर प्राकृतिक आपदाओं की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। यात्रा मार्ग के अवरुद्ध होने की स्थिति में जिला प्रशासन द्वारा त्वरित कार्रवाई की जा रही है।
30 मिनट में मार्ग होता है सुचारू, तैनात हैं आवश्यक संसाधन
अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग ओंमकार पांडे ने जानकारी दी कि मार्ग में अवरोध उत्पन्न होने की स्थिति में केवल 5 मिनट के भीतर राहत दल मौके पर पहुंचता है और सामान्य परिस्थितियों में औसतन 30 मिनट के भीतर मार्ग को सुचारू कर दिया जाता है तथा भारी वर्षा होने एवं बड़े बोल्डर आने की स्थिति में अधिकतम 3 से 4 घंटों में मार्ग को सुचारू किया जाता है। यह त्वरित प्रतिक्रिया यात्रा की निर्बाधता और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक तीन अति संवेदनशील क्षेत्र चिन्हित
उन्होंने बताया कि सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच केदारनाथ मार्ग पर तीन अतिसंवेदनशील क्षेत्रों की पहचान की गई है। इन स्थलों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है तथा जेसीबी, पोकलैंड, मेडिकल स्टाफ एवं राहत सामग्री सहित सभी आवश्यक उपकरण एवं कार्मिक तैनात हैं। इसके अतिरिक्त सोनप्रयाग, मुनकटिया, काकरागाढ़ सहित अन्य 17 संवेदनशील स्थलों पर जेसीबी मशीनें निरंतर तैनात की गई है जो मार्ग अवरुद्ध होने की स्थिति में तत्काल मलवा हटाने तथा मार्ग को सुचारू करने का कार्य करती है।
केदारनाथ यात्रा मार्ग पर संभावित अवरोधों को देखते हुए राहत बलों की तैनाती
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, डीडीआरएफ की टीमें सतर्क, संवेदनशील स्थलों पर मुस्तैद
वर्षा ऋतु को ध्यान में रखते हुए केदारनाथ यात्रा मार्ग पर संभावित मार्ग अवरोध तथा यात्रियों के फंसे होने की स्थिति में त्वरित राहत एवं बचाव कार्य हेतु जिला प्रशासन द्वारा एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और डीडीआरएफ की टीमें विभिन्न संवेदनशील स्थलों पर तैनात की गई हैं।
संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष निगरानी, फील्ड पर सक्रिय हैं टीमें
जिला प्रशासन द्वारा केदारनाथ यात्रा मार्ग पर गौरीकुंड, भीमबली, जंगलचट्टी, लिनचोली व अन्य संभावित जोखिम वाले स्थानों को चिह्नित किया गया है। इन स्थानों पर पुलिस, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ तथा डीडीआरएफ की टीमें आधुनिक उपकरणों, वायरलेस संचार, प्राथमिक उपचार सामग्री तथा राहत संसाधनों के साथ पूर्ण रूप से तैयार हैं।
फंसे यात्रियों को सुरक्षित निकालने की मुकम्मल व्यवस्था
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा ऐसे स्थानों पर यात्रियों के फंसे होने की स्थिति में सुरक्षित निकासी की पूर्व योजना तैयार की गई है। राहत टीमों को रेस्क्यू, प्राथमिक चिकित्सा, संचार और मार्ग बहाली की विशेष ट्रेनिंग दी गई है।
प्रशासन की सतर्क निगरानी, नियमित निरीक्षण जारी
जिलाधिकारी प्रतीक जैन स्वयं यात्रा मार्ग की स्थिति पर निरंतर निगरानी बनाए हुए हैं। संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में तत्काल रेस्पॉन्स हो तथा यात्रियों की सुरक्षा में कोई कमी न आने पाए।
सुरक्षा सर्वोपरि: यात्रियों से सतर्क रहने की अपील
जिला प्रशासन ने सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि वे मौसम की परिस्थितियों को देखते हुए सावधानीपूर्वक यात्रा करें, प्रशासन द्वारा जारी चेतावनियों एवं दिशा-निर्देशों का पालन करें, और किसी भी आपदा की स्थिति में घबराएं नहीं, बल्कि राहत टीमों से संपर्क करें।
जिला प्रशासन पूरी तत्परता, समन्वय और सतर्कता के साथ केदारनाथ यात्रा को सुरक्षित एवं व्यवस्थित बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
देहरादून में आयोजित नागर विमानन सम्मेलन-2025 में मुख्यमंत्री ने किया प्रतिभाग
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को देहरादून स्थित होटल में आयोजित नागर विमानन सम्मेलन-2025 में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर केंद्रीय नागर विमानन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू और उत्तर भारत के नागर विमानन मंत्रियों एवं केंद्रीय नागर विमानन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू का स्वागत किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के नागर विमानन क्षेत्र में आई ऐतिहासिक प्रगति का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि उड़ान योजना के माध्यम से छोटे शहरों और दुर्गम क्षेत्रों को हवाई संपर्क से जोड़कर न केवल आम नागरिकों के लिए हवाई यात्रा सुलभ हुई है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में वर्तमान में 18 हेलीपोर्ट्स का विकास किया जा रहा है, जिनमें से 12 पर सेवाएं प्रारंभ हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि हेली सेवाएं उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों में केवल परिवहन का साधन नहीं, बल्कि जीवन रेखा बन चुकी हैं। चाहे आपदा प्रबंधन हो, स्वास्थ्य सेवाएँ हों या तीर्थयात्रा, हेलीकॉप्टर सेवाओं ने इन क्षेत्रों में अभूतपूर्व सुविधा प्रदान की है।
मुख्यमंत्री धामी ने केन्दीय नागर विमानन मंत्रालय से पर्वतीय राज्यों के लिए एक पृथक “पर्वतीय विमानन नीति” बनाने का आग्रह किया, जिसमें विशेष वित्तीय सहायता, संचालन हेतु सब्सिडी, पर्वतीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त । एटीसी नेटवर्क, सटीक मौसम पूर्वानुमान, स्लॉटिंग और आपदा-पूर्व तैयारी जैसे प्रावधान शामिल हों। मुख्यमंत्री ने सभी ऑपरेटरों से भी पर्वतीय उड़ानों के लिए विशेष पायलट प्रशिक्षण, सुरक्षा मानकों का कठोर पालन और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी अनुरोध किया।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, राजस्थान के कैबिनेट मंत्री गौतम कुमार , हरियाणा के कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल, उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन और संबंधित राज्यों के अधिकारी उपस्थित रहे।
राज्य सरकार ने मेडिकल बॉन्ड उल्लंघन को लेकर उठाया सख्त कदम, नेशनल मेडिकल काउंसिल को भेजी सूची
चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने दिए स्पष्ट निर्देश, शर्तों का उल्लंघन करने वालों पर होगी कठोर कार्रवाई
देहरादून। राजकीय मेडिकल कॉलेजों से पासआउट 234 गैरहाजिर बॉण्डधारी चिकित्सकों के विरूद्ध वसूली के साथ ही बर्खास्तगी की कार्रवाई की जायेगी। साथ ही अपने कर्तव्यों में लापरवाही बरतने वाले इन चिकित्सकों की सूची नेशनल मेडिकल काउंसिल को भी उपलब्ध कराई जायेगी।
सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने राज्य से कम शुल्क में एमबीबीएस की पढ़ाई पूर्ण कर बाण्ड की शर्तों का उल्लंघन कर लम्बे समय से बिना सूचना के गैरहाजिर 234 चिकित्सकों के विरूद्ध बर्खास्तगी के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये हैं। डॉ. रावत ने मीडिया को जारी बयान में बताया कि मेडिकल कॉलेजों के साथ हुये एक अनुबंध के अनुसार इन चिकित्सकों को एमबीबीएस की पढ़ाई पूर्ण होते ही स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत सूबे के पर्वतीय जनपदों में तैनाती दी गई थी। जहां पर इनको न्यूनतम 5 वर्षों तक अपनी सेवाएं देना अनिवार्य था। ऐसा न करने की स्थिति में इन चिकित्सकों को बाण्ड में निर्धारित धनराशि जमाकर एनओसी लेने के उपंरात राज्य से बाहर अथवा निजी प्रैक्टिस की अनुमति दी जा सकती है। लेकिन प्रदेश के विभिन्न पर्वतीय जनपदों में तैनात करीब 234 चिकित्सक बिना अनुमति के अपनी तैनाती स्थल से गैरहाजिर चल रहे हैं। जो कि बाण्ड की शर्तों के उल्लंघन के साथ ही अनुशासनहीनता की श्रेणी में भी आता है। विभाग से प्राप्त सूचना के अनुसार जो चिकित्सक लम्बे समय से गैरहाजिर हैं उनमें से राजकीय दून मेडिकल कॉलेज से 56, हल्द्वानी से 95 व श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से 83 पासआउट हैं। जिन्होंने एमबीबीएस में प्रवेश के समय उक्त कॉलेजों के साथ 5 साल पर्वतीय क्षेत्रों में सेवाएं देने का अनुबंध किया हुआ है तथा संबंधित कॉलेजों में उक्त छात्रों की हैसियत संबंधी मूल दस्तावेज व चिकित्सा शैक्षिक प्रमाण पत्र भी जमा हैं।
राज्य सरकार ने इस प्रकरण को काफी गम्भीर मानते हुये निदेशक चिकित्सा शिक्षा को गैरहाजिर सभी चिकित्सकों से बाण्ड की शर्तों के अनुरूप बाण्ड की धनराशि वसूलने के निर्देश दिये हैं साथ ही महानिदेशक स्वास्थ्य को इन लापरवाह चिकित्सकों की बर्खास्तगी की कार्रवाई करने को कहा गया है। इस संबंध में सचिव स्वास्थ्य को निर्देशित किया गया है कि उक्त चिकित्सकों की तैनाती वाले जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारी एवं संबंधित चिकित्सालय के प्रभारी अधिकारी से भी स्पष्टीकरण मांगा जाय। आखिरकार किन परिस्थितियों में संबंधित जनपद के अधिकारियों द्वारा आतिथि तक अपने दायित्वों के प्रति लापरवाह एवं गैरहाजिर इन चिकित्सकों के विरूद्ध कार्रवाई प्रारम्भ क्यों नहीं की गई। विभागीय मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग सीधे तौर पर जनता से जुड़ा हुआ महकमा है, लिहाजा विभाग में कार्यरत चिकित्सकों, अधिकारियों एवं कार्मिकों को अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुये कर्तव्यों का पालन करना जरूरी है। किसी भी कार्मिक द्वारा यदि अपने कार्यां एवं दायित्वों में लापरवाही बरती जाती है तो उसको किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
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गैरहाजिर बॉन्डेड चिकित्सकों का जनपदवार विवरण
1. टिहरी गढ़वाल- 29
2. उत्तरकाशी- 25
3. रुद्रप्रयाग- 14
4. बागेश्वर- 10
5. पिथौरागढ़- 25
6. पौड़ी गढ़वाल- 26
7. अल्मोड़ा – 16
8. चमोली- 46
9. चम्पावत- 11
10. नैनीताल- 41
11. देहरादून- 01
ऋषिकेश-शिवपुरी बायपास सहित कई अहम परियोजनाओं पर समयबद्ध कार्रवाई के निर्देश
देहरादून। मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय स्थित अपने सभागार में प्रदेश के भीतर सभी राष्ट्रीय राजमार्गों की समीक्षा की। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने प्रदेश के अंतर्गत एनएच पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई की सड़कों की स्थिति और प्रगति की विस्तार से जानकारी ली।
मुख्य सचिव ने एनएच पीडब्ल्यूडी की सड़कों की बॉटल नेक की जानकारी लेते हुए उन्हें दुरुस्त किए जाने के लिए शीघ्र योजना तैयार किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने वन एवं वन्यजीव संस्तुतियों के लिए लगातार केन्द्र एवं राज्य स्तरीय सम्बन्धित विभागों से अनुवर्तन करते रहने की बात भी कही। कहा कि एनएच पीडब्ल्यूडी द्वारा लम्बित मामलों में सम्बन्धित जिलाधिकारियों और फारेस्ट के साथ लगातार बैठकें आयोजित करते हुए लम्बित प्रकरणों का निस्तारण किया जाए।
मुख्य सचिव ने ऋषिकेश बाईपास में बायपास को ऋषिकेश से शिवपुरी तक बढ़ाए जाने हेतु कार्यवाही शुरू किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि केंद्र के स्तर से प्राप्त होने वाली स्वीकृतियों के लिए लगातार प्रयास किए जाएँ। उन्होंने कलियासौड़ रिअलाइनमेंट और जोशीमठ बाईपास रिअलाइनमेंट कार्य पूर्ण किए जाने के लिए टाईमलाइन निर्धारित किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि कार्यों को निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत पूर्ण किए जाने के लिए लगातार उच्च स्तरीय मॉनिटरिंग की जाए। उन्होंने कार्यों को समय से पूरा किए जाने के लिए जिन कार्यों को समानान्तर शुरू किया जा सकता है, उन्हें शुरू कर लिया जाए।
मुख्य सचिव ने एनएचएआई के अंतर्गत बन रही सड़कों की प्रगति की भी समीक्षा की। उन्होंने एनएचएआई के बल्लुपुर पोंवटा साहिब पैकेज 1 और 2, झाझरा-आशारोड़ी 4 लेन, हरिद्वार बायपास सहित विभिन्न स्तरों पर चल रहे प्रोजेक्टों की विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने कार्यों को निर्धारित समयसीमा के अंतर्गत पूर्ण किए जाएं।
सचिव डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय ने बताया कि प्रदेश के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्गाें की कुल लम्बाई 3589.99 किमी है, जो एनएच पीडब्ल्यूडी के पास 2028.19 किमी, बीआरओ के पास 986.8 किमी, एनएचआईडीसीएल के पास 130 किमी और एनएचएआई के पास 445 किमी है। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा मार्ग के कुल 53 कार्य होने हैं, जिनमें से 47 को स्वीकृति प्राप्त है। 42 कार्य अवार्ड किए जा चुके हैं, जिनमें से 30 कार्य पूर्ण हो चुके हैं। 12 कार्यों पर कार्य गतिमान है। 5 कार्य अवार्ड होने बाकी हैं और 6 कार्य स्वीकृत होने बाकी हैं।
इस अवसर पर अपर सचिव विनीत कुमार एवं रीजनल ऑफिसर एनएचएआई विशाल गुप्ता एवं पीडी एनएचएआई पंकज भी उपस्थित थे।
गुणवत्तापूर्ण सेवाओं एवं विकास के लिए मानकीकरण अत्यंत आवश्यक-सीएम धामी
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुख्यमंत्री आवास में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) देहरादून शाखा के निदेशक एवं प्रमुख सौरभ तिवारी के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने शिष्टाचार भेंट की | इस प्रतिनिधिमंडल में शिक्षा क्षेत्र, उद्योग जगत एवं उपभोक्ता संगठनों के प्रतिनिधि सम्मिलित थे।
मुख्यमंत्री धामी से भारतीय मानक ब्यूरो के प्रतिनिधिमंडल ने राज्य में मानकीकरण से संबंधित विविध पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्देश दिए कि सरकारी खरीद प्रक्रिया में भारतीय मानकों (IS) का अनिवार्य समावेश सुनिश्चित किया जाए | उन्होंने विभागीय अधिकारियों हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए | मुख्यमंत्री ने भवन निर्माण में IS आधारित विनियमों (SP 73:2023) को अपनाने तथा विभिन्न सरकारी विभागों में प्रबंधन प्रणाली मानकों (जैसे IS 15700, ISO 9001, ISO 21001) के प्रभावी क्रियान्वयन के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने प्रतिनिधित्वमंडल को उत्तराखंड में मानकीकरण को सुदृढ़ आधार प्रदान करने हेतु संबंधित विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाने का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण सेवाओं एवं विकास के लिए मानकीकरण अत्यंत आवश्यक है तथा यह पहल ‘विकसित उत्तराखंड’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगी।
बैठक में अपर सचिव मा मुख्यमंत्री बंशीधर तिवारी, भारतीय मानक ब्यूरो के अधिकारी मौजूद रहे |