मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शनिवार को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से कोविड-19 की समीक्षा करते हुए निर्देश दिये कि कोविड डेथ रेट को कम करने के लिए विशेष प्रयास किये जाएं। उन्होंने कहा कि इस बात का पूरा विश्लेषण किया जाए कि जिन कोविड रोगियों की मृत्यु हो रही है, वे किसी अन्य रोग से ग्रसित थे, अथवा देरी से अस्पताल पहुंचे या अन्य किस कारण से ?
उन्होंने कहा कि किसी भी कोविड के मरीज को हायर सेंटर रेफर किया जाना है, तो इसमें बिलकुल भी विलम्ब न किया जाए। उन्होंने रिकवरी रेट बढ़ाने के लिए और प्रयासों की जरूरत पर जोर दिया।
मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि जिलों में टेस्टिंग और तेजी लाएं। आरटी-पीसीआर टेस्ट पर विशेष ध्यान दिया जाए। यह सुनिश्चित किया जाय कि सैंपल लेने के बाद शहरी क्षेत्रों में 24 घण्टे के अन्दर व पर्वतीय क्षेत्र में 48 घण्टे के अन्दर लोगों को कोविड की रिपोर्ट मिल जाय।
उन्होंने कहा कि मास्क न लगाने पर जिन लोगों के चालान किए जा रहे हैं, उनको मास्क जरूर उपलब्ध हों। हमारा उद्देश्य कोविड से लोगों को बचाना है, न कि चालान कर राजस्व वसूलना। बिना मास्क दिए चालान करने वालों पर सख्त कारवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि सर्दियों का मौसम, आगामी हरिद्वार कुंभ, योग महोत्सवों व पर्यटन की दृष्टि से आने वाले कुछ माह चुनौतीपूर्ण होंगे। इन सबको ध्यान में रखते हुए कोविड से बचाव के लिए जनपदों में लगातार जागरूकता अभियान चलाये जाएं। जो लोग होम आईसोलेशन में हैं, उनके नियमित स्वास्थ्य की जानकारी लें।
उन्होंने निर्देश दिया कि कोविड के लक्षण पाए जाने पर भी यदि कोई टेस्ट कराने के लिए मना कर रहें है, तो ऐसे लोगों पर सख्ती बरतें।
बैठक में मुख्य सचिव ओम प्रकाश, सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी, पुलिस महानिदेशक (कानून व व्यवस्था) अशोक कुमार, सचिव शैलेष बगोली, एस.ए. मुरूगेशन, डॉ. पंकज पाण्डेय, मेलाधिकारी (कुंभ) दीपक रावत, आईजी अभिनव कुमार, संजय गुंज्याल, डीआईजी अरूण मोहन जोशी, अपर सचिव युगल किशोर पंत, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. अमिता उप्रेती आदि उपस्थित थे। वीडियो कांफ्रेंसिंग में प्रदेश के सभी जिलाधिकारी, एसएसपी एवं सीएमओ उपस्थित थे।
केंद्रीय शिक्षा, संचार एवं इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना व प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने शुक्रवार को उत्तराखंड के प्रवास के दौरान राजधानी देहरादून में आयोजित बैठक में दूरसंचार सुविधाओं को लेकर विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। उन्होंने उत्तराखंड में इंटरनेट सुविधाओं व मोबाइल नेटवर्क के प्रसार के संबंध में दूरसंचार विभाग, बीएसएनएल और बीबीएनएल के अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की। इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड बीएसएनएल के ई-ऑफिस का भी उद्घाटन किया।
केंद्रीय राज्यमंत्री ने बैठक में उत्तराखंड के दूरदराज के सीमावर्ती क्षेत्रों में यू.एस.ओ. (सार्वभौमिक सेवा दायित्व) निधि द्वारा वित्तीय सहायता से मोबाइल टावरों की स्थापना की प्रगति, भारतनेट परियोजना के तहत ग्राम पंचायतों और गांवों के लिए ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी और राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड अभियान (एन.बी.एम.) के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की प्रगति की समीक्षा की।
उन्होंने विशेष रूप से उत्तराखंड के प्रवासी निवासी जो घर से काम कर रहे हैं और छात्र जो वर्तमान COVID-19 स्थिति में ऑनलाइन कक्षाओं में भाग ले रहे हैं, की जरूरतों को पूरा करने के लिए ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की मजबूती पर जोर दिया। उन्होंने चार धाम यात्रा मार्ग पर मोबाइल नेटवर्क के कवरेज को बेहतर बनाने का भी निर्देश दिया। साथ ही दूरसंचार विभाग को निर्देशित किया कि उत्तराखंड सरकार और सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ समन्वय कर दूरसंचार सेवाओं से वंचित क्षेत्रों को संचार सेवाओं से जोड़ने का प्रयास करें। उन्होंने राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड अभियान के तहत ब्रॉडबैंड के प्रसार के बारे में परिकल्पित लक्ष्यों को पूरा करने के भी अधिकारियों को दिए।
बैठक में बताया गया कि उत्तराखंड में 27,108 मोबाइल बेस स्टेशन काम कर रहे हैं। इनमें से 18,598 4G तकनीक के हैं जो हाई स्पीड ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं।
बीएसएनएल ने हाल ही में नीती घाटी के मलारी क्षेत्र में मोबाइल सेवाओं को स्थापित और लॉन्च किया है।
बैठक में यह भी बताया गया कि यू.एस.ओ. परियोजना के तहत चमोली, चंपावत, पिथौरागढ़, और उत्तरकाशी के सीमावर्ती क्षेत्रों में अट्ठाइस 4G मोबाइल टावर्स की योजना प्रस्तावित है। इनमें से 22 साइटों को अधिग्रहित किया जा चुका है और 11 स्थलों पर टॉवर स्थापना का काम चल रहा है। इन क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी से हमारी अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा कर रहे अर्धसैनिक और रक्षा कर्मियों को अपने परिवार के संपर्क में रहने में मदद मिलेगी।
बताया गया कि उत्तराखंड के दूरदराज और कठिन क्षेत्रों में टेलीकॉम नेटवर्क के विस्तार से स्थानीय लोग टेली-मेडिसिन और टेली-शिक्षा और घर से काम करने सहित ई-सेवाओं का लाभ लेने के लिए 4G के उच्च गति डेटा नेटवर्क का उपयोग करने में सक्षम होंगे। इससे उत्तराखंड में तीर्थयात्रा, ट्रैकिंग और स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी।
केंद्रीय राज्य मंत्री धोत्रे ने राज्य में बीएसएनएल के लिए ई-ऑफिस का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि बीएसएनएल की यह पहल कागजों के उपयोग को कम करने के साथ-साथ कार्यालय के काम में तत्परता और पारदर्शिता लाएगी।
बैठक में ये रहे उपस्थित
बैठक में दूरसंचार विभाग के विभाग प्रमुख एवं उप महानिदेशक (राज्य समन्वय), उत्तराखंड क्षेत्र इकाई अरुण कुमार वर्मा, बीएसएनएल उत्तराखंड के मुख्य महा प्रबन्धक सतीश शर्मा, बीबीएनएल के महाप्रबंधक महेश सिंह निखुरपा, उप महानिदेशक (रूरल) दीपक कुमार, प्रधान महाप्रबंधक सुनील कुमार सिंह, महाप्रबंधक सुनील लखेरा, निदेशक (कंप्लायंस) सुमित गुप्ता, महाप्रबंधक पंकज कुमार, निदेशक (रूरल) विजय कुमार, सहायक महानिदेशक (कंप्लायंस) अभिनव कुमार वर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
उत्तराखंड भाजपा के नव नियुक्त प्रदेश प्रभारी दुष्यन्त कुमार गौतम 28 व 29 नवम्बर को राजधानी देहरादून पहुंचेंगे। प्रभारी नियुक्त होने के बाद उनका उत्तराखंड का यह पहला भ्रमण है। दौरे के दौरान वे राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के 5 दिसंबर से प्रस्तावित उत्तराखंड भ्रमण कार्यक्रम को अंतिम रूप देंगे।
यहां बता दें कि भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री व राज्य सभा सदस्य गौतम को अभी हाल में ही उत्तराखंड भाजपा का प्रदेश प्रभारी नियुक्त किया गया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार अपने दो दिवसीय भ्रमण के दौरान वे सरकार व संगठन से जुड़े विभिन्न नेताओं से मिलेंगे और उनके साथ बैठक करेंगे।
इस दौरान वे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के 5 दिसंबर से प्रस्तावित 3 दिवसीय भ्रमण कार्यक्रम को अंतिम रूप देंगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा के कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के लिए पहले 26 नवम्बर को दिल्ली में ही प्रदेश के नेताओं की बैठक बुलाई गई थी। मगर अब यह बैठक देहरादून में ही होगी।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा 5 से 7 दिसंबर तक तीन दिन के उत्तराखंड भ्रमण पर रहेंगे। इस दौरान नड्डा राजधानी देहरादून में पार्टी की निचली इकाई मंडल स्तर के कार्यकर्ताओं से लेकर प्रदेश की सर्वोच्च मानी जानी वाली कोर कमेटी तक के नेताओं से मिलेंगे और बैठक लेंगे।
पार्टी सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष के प्रदेश भ्रमण के लिए केंद्रीय संगठन की ओर से 5,6 व 7 दिसंबर की तिथि दी गई है। कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविवार को महामंत्रियों के साथ बैठक करेंगे। कार्यक्रम की रूपरेखा तय कर केंद्र को भेजी जाएगी। केंद्र उसे अंतिम रूप देगा।
नड्डा अपने तीन दिवसीय भ्रमण के दौरान प्रदेश भाजपा की कोर कमेटी के अलावा विधायकों, मंत्रियों, सांसदों, विभिन्न स्तरों के पार्टी पदाधिकारियों, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख पदाधिकारियों आदि के साथ अलग-अलग लगभग एक दर्जन बैठक करेंगे।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि बिहार चुनाव से निजात पाने के बाद भाजपा अध्यक्ष नड्डा सभी प्रदेशों का इसी तरह से भ्रमण करेंगे और राज्यों में पार्टी संगठन की गतिविधियों का जायजा लेंगे। साथ ही आगामी रणनीति तैयार करेंगे। आगामी समय में जिन राज्यों में विधान सभाओं के चुनाव होने हैं, उन पर नड्डा का विशेष फोकस रहेगा।
भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष बतौर नड्डा गत वर्ष नवम्बर माह में भी देहरादून के एक दिवसीय भ्रमण पर आए थे। मगर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद उत्तराखंड का उनका यह पहला भ्रमण है। नड्डा इससे पूर्व कई बार उत्तराखंड आ चुके हैं। वर्ष 2017 में उत्तराखंड विधान सभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें व केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी दी थी। तब नड्डा केंद्र सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे।
विधान सभा चुनाव में नड्डा ने लगातार कई दिन तक उत्तराखंड में डेरा डाले रखा था। चुनावी रणनीति तैयार करने से लेकर चुनाव प्रबन्धन और सभाओं को संबोधित करने तक में उनकी सक्रिय भूमिका रही है।
पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र (विजन डॉक्यूमेंट) नड्डा की देखरेख में तैयार हुआ था।
उत्तराखंड के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक क्षेत्र में महिलाओं की बढ़चढ़ कर भागीदारी के उदाहरण भरे पड़े हुए हैं। उत्तराखंड पृथक राज्य निर्माण आंदोलन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। अलग राज्य पाने के लिए यहां की मातृ शक्ति को अथाह संघर्ष व बलिदान ही नहीं देना पड़ा, अपितु अपनी अस्मिता तक लुटानी पड़ी है। मगर फिर भी उसने अलग राज्य मिलने तक हार नहीं मानी थी।
विश्व प्रसिद्ध चिपको आंदोलन के कारण यहां की महिलाओं का अपने पर्यावरण के प्रति दृष्टि का लोहा दुनिया ने माना है। चिपको आंदोलन के बाद विकास व पर्यावरण की एक नई बहस शुरू हो गई थी। नशामुक्ति के विरुद्ध आंदोलन हो या अन्य तमाम मुद्दे, पहाड़ की की महिलाएं किसी मोर्चे पर पीछे नहीं दिखी हैं। स्वतंत्रता से पूर्व की बात करें तो देश की आजादी के आंदोलन में भी उसकी भागीदारी रही है।
मगर इसे विडंबना ही कहना चाहिए कि राजनीतिक व सामाजिक तौर पर अपनी पूरी सजगता प्रदर्शित करने के बावजूद पहाड़ की महिलाओं का पहाड़ जैसी कठिनाइयों से लगातार वास्ता पड़ता रहा है। रोजगार की तलाश में पहाड़ से होने वाले पलायन की मार का सबसे अधिक प्रभाव महिलाओं के जीवन पर दिखता है।
बच्चों के लालन-पालन से लेकर चूल्हा-चौका, खेत-खलिहान और अंदर-बाहर तक पूरी गृहस्थी की धुरी महिलाओं के इर्द-गिर्द सिमट कर रह जाती है। सरकारों की तमाम कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद पहाड़ की महिलाओं के पीठ का बोझ कम नहीं हुआ है। महिलाएं सुबह जंगल चली जाती हैं और जब घास-लकड़ी की गठरी तैयार हो जाए तभी लौटकर आती हैं और ऐसे में कई बार तो शाम के अंधेरे में ही घर पहुंच पाती हैं।
घास लेने जंगल गई महिलाओं के पेड़ से गिरने अथवा चट्टानों से फिसल कर मौत होने की घटनाएं भी अक्सर सुनाई देती हैं। इसके साथ ही जंगली जानवरों से भी उसका साबका अक्सर पड़ता रहता है। प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि कार्यों का पूरा जिम्मा आमतौर पर महिलाओं के ही कंधे पर होता है। खेत जुतवाने हों या उनकी निराई-गुड़ाई-कटाई के तमाम काम उन्हें ही करने होते हैं। मगर जिन खेतों में वो अपना पूरा खून-पसीना बहाती हैं, उसका स्वामित्व भी उनके पास नहीं है।

इसे सुखद संकेत मानना चाहिए कि उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने इस दिशा में एक नई पहल की है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुछ समय पूर्व घोषणा की थी कि उनकी सरकार भूमि के स्वामित्व में महिलाओं को भी अधिकार प्रदान करेगी। मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में प्रदेश मंत्रिमंडल की विगत 18 नवम्बर को आयोजित बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी गई।
प्रदेश मंत्रिमंडल ने भूमि के स्वामित्व में महिलाओं (बालिग) को अधिकार देने के लिए राज्य के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करने का निर्णय लिया है। समिति में राजस्व व न्याय विभाग के सचिवों को भी शामिल किया गया है। यह समिति तय करेगी कि भूमि के स्वामित्व में महिलाओं की हिस्सेदारी किस प्रकार से तय की जाएगी। समिति शीघ्र ही इसका प्रस्ताव तैयार कर अगली बैठक में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। उम्मीद है की जल्दी ही प्रदेश में महिलाओं को भूमि के स्वामित्व में अधिकार मिल जाएगा।
महिलाओं के नाम पर भूमि होने से वे बैंक से ऋण लेकर अपना कुछ भी व्यवसाय शुरू कर सकेंगी। बहरहाल, महिलाओं को भूमि के स्वामित्व में अधिकार देना महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा और वो केवल दूसरे पर ही निर्भर नहीं रहेंगी। महिलाओं के आत्मनिर्भर होने का मार्ग प्रशस्त होगा। महिलाओं को बराबरी का दर्जा मिलेगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गुरूवार को पौड़ी (गढ़वाल) के बिलखेत में प्रथम नयार घाटी एडवेंचर फेस्टिवल तथा राष्ट्रीय पैराग्लाइडिंग एक्यूरेसी प्रतियोगिता का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि नयार घाटी एडवेंचर फेस्टिवल का आयोजन हर साल किया जायेगा। साथ ही नयार घाटी में पैराग्लाइडिंग का प्रशिक्षण केन्द्र खोला जायेगा। इसके लिए उन्होंने जिलाधिकारी पौड़ी को जमीन ढूंढ़ने के निर्देश दिये।
उल्लेखनीय है कि 19 से 22 नवम्बर तक आयोजित होने वाले इस फेस्टिवल में अनेक कार्यक्रम होंगे। इसमें पैराग्लाइंडिंग, 170 किमी की माउंटेन बाइकिंग ट्रेल रनिंग स्पर्धा एवं एंग्लिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विभिन्न राज्यों से आये प्रतियोगियों का देवभूमि उत्तराखण्ड में स्वागत किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड को प्रकृति ने सब कुछ दिया है।आज आवश्यकता है इन प्राकृतिक संपदाओं का सही तरीके से उपयोग करने की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में पर्यटन के क्षेत्र में सबसे अधिक संभावनाएं एडवेंचर के फील्ड में हैं और इसमें रोजगार की भी अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में साहसिक खेलों के लिए पर्याप्त संभावनाएं हैं। प्रदेश में पर्यटन, फिल्म, ग्रामीण क्षेत्रों के विकास एवं स्वास्थ्य सुविधाओं पर राज्य सरकार का विशेष ध्यान है। प्रत्येक जनपद में थीम बेस्ड डेस्टिनेशन विकसित किये जा रहे हैं।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेश कैबिनेट द्वारा लिए गए उस निर्णय की भी चर्चा की, जिसमें संपत्ति में महिलाओं को बराबरी का अधिकार देने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश, प्रदेश व समाज के विकास के लिए पुरूषों एवं महिलाओं का समान रूप से आगे बढ़ना जरूरी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है कि पति की संपत्ति में महिलाओं को सह अधिकार मिले, ताकि उन्हें भी सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए लोन लेने में कोई परेशानी न हो।
मुख्यमंत्री ने 26 करोड़ 83 लाख 64 हजार रूपये की कल्जीखाल विकासखण्ड की पेयजल योजना का लोकार्पण भी किया। इस योजना से 02 हजार 370 पेयजल संयोजन दिये गए हैं। योजना का लाभ 59 राजस्व ग्रामों, 19 ग्राम पंचायतों एवं 68 बस्तियों को मिलेगा।

कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में पिछले साढ़े तीन साल में कृषि के क्षेत्र में 100 से अधिक निर्णय लिये। किसानों को 80 प्रतिशत सब्सिडी पर कृषि यंत्र दिये गये। विगत तीन सालों में इन मशीनों की सहायता से राज्य में कृषि उत्पादकता में वृद्धि हुई। भारत सरकार द्वारा कृषि कर्मणा पुरस्कार से उत्तराखण्ड को सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने हमारे परम्परागत बीजों को मान्यता दी है। अब इन बीजों पर भी 50 प्रतिशत सब्सिडी किसानों को मिलेगी। उत्तराखण्ड में ऑर्गेनिक उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए 6400 कलस्टर स्वीकृत हुए हैं।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा एवं सहकारिता राज्य मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत, सांसद तीरथ सिंह रावत, विधायक मुकेश कोली, जिलाध्यक्ष भाजपा पौड़ी संपत सिंह रावत, जिलाधिकारी पौड़ी धीराज गर्ब्याल, एसएसपी पौड़ी पी. रेणुका देवी आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तरकाशी जिले में चीन सीमा से लगे भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के कोपांग कैंप और हर्षिल में 9वीं बिहार रेजिमेंट के जवानों के साथ दीपावली मनाई। मुख्यमंत्री ने जवानों का हौंसला बढ़ाया और उन्हें दीपावली की शुभकामनाएं दी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सेना और अर्द्ध सैनिक बलों के जवान सीमान्त एवं दुर्गम क्षेत्रों में देश की रक्षा के लिए कठिन परिस्थितियों में कार्य करते हैं। इन सैनिकों की वजह से पूरा देश चैन की नींद सोता है। हमारे जवान अपने परिवारों से दूर रहकर देश की रक्षा के लिए जिस वीरता एवं साहस से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते है। इसके लिए वे निश्चित रूप से बधाई के पात्र है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज सेना एवं आईटीबीपी के जवानों के साथ मुझे कुछ समय बिताने का मौका मिला, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है। उत्तराखण्ड का सेना एवं अर्द्धसैन्य बलों से गहरा नाता रहा है। उत्तराखण्ड के अनेक जवान इन सैन्य बलों में सेवाएं दे चुके हैं एवं दे रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके पिताजी भी सेना में रहे हैं। एक सैनिक परिवार से होने के नाते उनका सैनिकों से व्यक्तिगत लगाव भी है।

उन्होंने कहा कि सेना व अर्द्ध सैन्यबलों के प्रति देश के हर नागरिक का सम्मान, श्रद्धा एवं विश्वास का भाव रहता है। हमारे सैन्य बल की दुनिया के सर्वोत्कृष्ट सैन्य बल में गिनती होती है।
मुख्यमंत्री ने इस दुर्गम एवं सीमान्त क्षेत्र में महिला अधिकारियों की तैनाती को भी अनुकरणीय बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के आईएएस, आईपीएस व आईएफएस अधिकारियों की साल में एक बार सीमांत क्षेत्रों में कैम्पिंग कराई जाएगी।
इस अवसर पर गंगोत्री के विधायक गोपाल सिंह रावत, मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार डॉ. के.एस.पंवार, मुख्यमंत्री के विशेष सचिव पराग मधुकर धकाते, उत्तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित, पुलिस अधीक्षक पंकज भट्ट आदि उपस्थित थे।
उत्तराखंड (Uttarakhand) भाजपा (BJP) के तेज-तर्रार विधायकों (MLA) में शामिल सुरेंद्र सिंह जीना (Surendra Singh Jeena) का गुरूवार तड़के दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। पचास वर्षीय जीना को कोरोना पॉजिटिव (Corona Positive) पाए जाने के बाद पिछले सप्ताह अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनके निधन पर तमाम वरिष्ठ नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
विधायक जीना की गंगाराम अस्पताल में उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विगत दिवस अस्पताल के निदेशक को फोन कर विधायक के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी और उचित देखभाल के निर्देश दिए थे। मगर गुरूवार तड़के लगभग 4 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। अभी लगभग दो सप्ताह पूर्व उनकी पत्नी नेहा जीना का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। बताया जाता है की पत्नी के निधन से उनको गहरा सदमा पहुंचा था।

मूल रूप से अल्मोड़ा जिले की भिक्यासैंण तहसील के सदीगांव निवासी सुरेंद्र सिंह जीना का जन्म 8 दिसंबर 1969 को हुआ था। दिल्ली में उनका अपना स्वतंत्र व्यवसाय था। वर्ष 2007 के विधान सभा चुनाव में उन्होंने प्रदेश की तत्कालीन भिक्यासैंण सीट से चुनाव लड़ा और विजयी हुए। इसके बाद वे लगातार 2012 व 2017 में अल्मोड़ा जिले की सल्ट विधान सभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। वे कुमायु मंडल विकास निगम (KMVN) के अध्यक्ष भी रहे हैं।
जीना को प्रदेश के बेहद प्रतिभाशाली व ऊर्जावान नेताओं में गिना जाता था। अपनी विधान सभा में वे खासे लोकप्रिय थे। उन्होंने अपने पिता प्रताप सिंह जीना के नाम से एक चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया था। इसके माध्यम से वे गरीबों व जरूरतमंदों की हर तरह से सहायता करते थे। जीना बहुत बड़ी संख्या में अपने क्षेत्र के बेरोजगारों को दिल्ली आदि में रोजगार उपलब्ध कराते रहते थे।
उनके निधन पर प्रदेश की राज्यपाल बेबी रानी मौर्या, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार, सांसद अजय भट्ट, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत आदि ने शोक व्यक्त किया है।
विगत 4 मार्च को उत्तराखंड (Uttarakhand) के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Chief Minister Trivendra Singh Rawat) ने जब गैरसैंण (Gairsain) में आयोजित विधान सभा के बजट सत्र के दौरान ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा की, तो कई लोगों ने इसे सरसरी तौर पर उठाया गया कदम बताया। कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री की घोषणा को बिना ‘सोचे- समझा’ निर्णय तक करार दिया। हालांकि, जब सदन में त्रिवेंद्र ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा की थी तो उन्होंने भावुक होकर कहा था कि “ये फैसला काफी सोच-समझकर लिया गया है।” त्रिवेंद्र की घोषणा के क्रम में प्रदेश सरकार ने 8 जून को ग्रीष्मकालीन राजधानी को लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी थी।
अधिसूचना जारी करने के साथ ही प्रदेश सरकार ने गैरसैंण को ई-राजधानी के रूप में विकसित करने का संकल्प भी व्यक्त किया, ताकि विधान सभा सत्र के दौरान फाइलों को अनावश्यक रूप से इधर-उधर नहीं ले जाना पड़े। गैरसैण के इतिहास में एक नई तारीख तब जुड़ी, जब 15 अगस्त को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पहले अस्थाई राजधानी देहरादून और फिर ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में ध्वजारोहण ही नहीं किया, अपितु ताबड़तोड़ कई घोषणाएं भी कर डालीं।

बावजूद इसके विपक्ष गाहे-बगाहे भाजपा सरकार की मंशा पर सवाल उठाता रहा है। खासकर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने अंदाज में राजधानी के मुद्दे पर त्रिवेंद्र सरकार को घेरते रहे हैं। मगर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र आरोपों को लेकर जुबानी जंग में अधिक नहीं पड़े। वे एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ की तरह चुपचाप अपनी रणनीति पर काम करते रहे और विरोधियों को जवाब देने के लिए उचित समय का इन्तजार करते रहे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र को अपनी रणनीति को अंजाम देने के लिए शायद उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस से बेहत्तर अवसर नहीं दिखा। उन्होंने स्थापना दिवस पर 9 नवम्बर को देहरादून में आयोजित होने वाले औपचारिक कार्यक्रमों में शामिल होकर सीधे गैरसैंण की राह पकड़ी। गैरसैंण में दो दिन तक विभिन्न कार्यक्रमों में सम्मिलित ही नहीं हुए, अपितु गैरसैंण को लेकर विस्तृत रोडमैप घोषित कर राजनीतिक रूप से एक लंबी छलांग लगा डाली।

मुख्यमंत्री ने गैरसैंण को राजधानी के रूप में संवारने और वहां राजधानी स्तर की अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक योजनाएं बनाई हैं। चरणबद्ध रूप में होने वाले इन कार्यों के लिए 10 वर्ष की समय सीमा तय की गई है। राज्य सरकार इस पर 25 हजार करोड़ रूपये खर्च करेगी। यही नहीं मुख्यमंत्री ने प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक का गठन भी करने की घोषणा की है, जो गैरसैंण के सुनियोजित विकास और उसके स्वरूप को लेकर विस्तृत अध्ययन करेगी। समिति का सचिव भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी पराग मधुकर धकाते को बनाया गया है। समिति में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को बतौर सदस्य शामिल किया जाएगा।
प्रदेश सरकार ने जिस प्रकार से गैरसैंण को लेकर तमाम घोषणाएं की हैं, उससे यह स्पष्ट है की सरकार गैरसैंण और उसके आसपास के इलाकों को मिला कर एक नया परिक्षेत्र विकसित करना चाहती है। इसमें राजधानी स्तर की अवस्थापना सुविधाएं विकसित की जाएंगी। बहरहाल, त्रिवेंद्र सरकार ने गैरसैंण को लेकर जो मास्टर स्ट्रोक चला है, उसकी काट ढूंढना विपक्ष के लिए फिलहाल टेढ़ी खीर है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने चरणबद्ध रूप से गैरसैण के मुद्दे पर जो लंबी सियासी लकीर खींच दी है, वे अब उसे और आगे बढ़ाने के लिए निश्चित ही जुटेंगे।
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उत्तराखंड के 21 वें स्थापना दिवस (Uttarakhand Foundation Day) के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा समेत तमाम नेताओं ने राज्यवासियों को बधाई दी है। इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के दौरान शहीद हुए आंदोलनकारियों को याद करते हुए राजधानी देहरादून के शहीद स्मारक में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रपति कोविंद ने ट्विटर पर अपना सन्देश जारी करते हुए कहा कि – ‘देवभूमि उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। राज्य का अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य और समृद्ध संस्कृति देश के लिए गौरव का विषय है। मैं राज्य के समग्र विकास और प्रगति के साथ उत्तराखंड के सभी निवासियों के उज्ज्वल और समृद्ध भविष्य की कामना करता हूँ।’
उप राष्ट्रपति नायडू ने कहा – ‘राज्य स्थापना दिवस पर उत्तराखंड के लोगों को बधाई। देव भूमि के रूप में विख्यात – ‘देवताओं की भूमि’, उत्तराखंड अपनी सुरम्य सुंदरता और समृद्ध आध्यात्मिक विरासत के लिए जाना जाता है। राज्य और इसके मेहनती लोगों की प्रगति और समृद्धि के लिए मेरी शुभकामनाएं।’
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा कि – ‘उत्तराखंड के निवासियों को राज्य के स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई। प्रगति के पथ पर अग्रसर, प्राकृतिक संपदा और नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर यह प्रदेश ऐसे ही विकास की नित नई ऊंचाइयों को छूता रहे।’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया – ‘उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर प्रदेश के सभी बहनों व भाइयों को हार्दिक शुभकामनाएं। देवभूमि उत्तराखंड की निरंतर प्रगति और समृद्धि व प्रदेशवासियों की ख़ुशहाली की कामना करता हूँ।’
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने अपने सन्देश में कहा – ‘अध्यात्म के लिए विश्व विख्यात, भारतीय सभ्यता व संस्कृति की पावन संगम स्थली देवभूमि उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।’
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने देहरादून के शहीद स्मारक पर राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और राज्य निर्माण में शहीदों के बलिदान का स्मरण किया।
अखिल भारतीय कांग्रेस ने भी अपने ट्विटर हैंडल से प्रदेशवासियों को स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी हैं। मगर कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता ने कोई ट्वीट नहीं किया। कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा – ‘समस्त प्रदेशवासियों को देवभूमि उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।’