हिंदुओं के विश्व प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट इस वर्ष 18 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। मंगलवार को बसंत पंचमी के अवसर पर विधि-विधान के साथ कपाट खोलने की तिथि निर्धारित की गई।
उत्तराखंड के चमोली जनपद में लगभग 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि हर वर्ष बसंत पंचमी को तय की जाती है। प्राचीन परंपरा के अनुसार नरेंद्रनगर (टिहरी) स्थित राजदरबार में महाराजा मनुजयेन्द्र शाह की उपस्थिति में आयोजित एक समारोह में कपाट खुलने की तिथि तय की गई। पंडित कृष्ण प्रसाद उनियाल एवं विपिन उनियाल ने पूजा-अर्चना व पंचाग गणना की और परंपरानुसार महाराजा ने कपाट खुलने की तिथि घोषित की। इस वर्ष मंगलवार, 18 मई को प्रातः 4 :15 बजे विधि-विधान के साथ बद्रीनाथ के कपाट खोले जाएंगे।
इस अवसर पर बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वरीप्रसाद नंबूदरी, टिहरी सांसद महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह, गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत , पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहन सिंह गांववासी, चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष शिवप्रसाद ममगाईं, उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी.सिंह, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, अधिशासी अभियंता अनिल ध्यानी, डा. हरीश गौड़ सहित डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत पदाधिकारी हरीश डिमरी, पंकज डिमरी, विनोद डिमरी, सुरेश डिमरी, आशुतोष डिमरी आदि मौजूद रहे।
तमिलनाडु के रहने वाले ईसाई धर्म प्रचारक पॉल दिनाकरन एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार वे आयकर विभाग की छापेमारी के कारण चर्चाओं हैं। अपनी प्रार्थनाओं के बल पर दूसरों के कष्ट दूर करने वाले दिनाकरन आयकर विभाग द्वारा शिकंजा कसे जाने से खुद संकट में आ गए हैं। आयकर विभाग ने तमिलनाडु में पॉल के 25 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर 118 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति का पता लगाया है। छापेमारी में साढ़े चार किलो सोना भी बरामद किया गया है।
आयकर विभाग ने उनकी संस्था जीसस कॉल्स (Jesus Calls) को लेकर चेन्नई और कोयंबटूर में सर्च ऑपरेशन चलाया था। दिनाकरन इस क्रिश्चियन मिशनरी के प्रमुख हैं। इसका कामकाज कई देशों में फैला हुआ है। दिनाकरन करुण्य विश्वविद्यालय के कुलपति भी हैं।
आयकर विभाग ने विगत सप्ताह सर्च ऑपरेशन चला कर पॉल दिनाकरन के कोयंबटूर स्थित निवास से 4.7 किलो सोना जब्त किया। विभाग ने डोनेशन की रसीदों, विदेश में निवेश, खर्च को बढ़ाकर दिखाने सहित कई अन्य तरीकों से 118 करोड़ रुपये की आय छिपाने के संबंध में जानकारी जुटाई है। छापे के दौरान विभाग ने दिनाकरन के संगठन को विदेशों से मिली पूंजी की भी जांच की।
कौन हैं पॉल दिनाकरन
जीसस कॉल्स मिनिस्ट्रीज और करुण्य यूनिवर्सिटी की स्थापना उनके पिता डॉ. डीजीएस दिनाकरन ने की थी। वे ईसाई धर्म प्रचारक थे। उनके बारे में यह प्रचारित था कि उन्होंने ईसा मसीह को देखा था। उनका वर्ष 2008 में निधन हो गया था। जिसके बाद संस्थाओं का नेतृत्व पॉल दिनाकरन के हाथों में आ गया था। तमिलनाडु में दिनाकरन परिवार का खासा वर्चस्व है। राज्य में सत्तारूढ़ पार्टियों से उनके अच्छे संबंध रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दिनाकरन ईश्वरीय कृपा के नाम पर अपनी प्रार्थनाओं के बल पर अनुयायियों को विभिन्न समस्याओं से छुटकारा दिलाने का दावा करते हैं। पॉल दिनाकरन की प्रेयर (प्रार्थना) पैकेज के रूप में उनके अनुयायियों के लिए उपलब्ध हैं। उनके प्रेयर पैकेज में बच्चों, परिवार व बिजनेस के लिए अलग-अलग प्लान हैं।
ये प्लान दिनाकरन की www.prayertoweronline.org नामक वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कर ख़रीदे जा सकते हैं। यानी भक्तों को जो प्लान चाहिए, उसके लिए उन्हें वेबसाइट पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होता है और बदले में दान के रूप में कुछ धनराशि देनी होती है। फिर उनके लिए दिनाकरन विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित करते हैं। उनके कार्यक्रम विभिन्न टीवी चैनलों पर प्रसारित होते हैं।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ‘धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020′ के तहत अशोका गार्डन थाने में पहला मामला दर्ज किया गया है। आरोपी ने धर्म छिपाकर एक लड़की से प्रेम प्रसंग किया। उसके बाद उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने लगा। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मामले में आरोपी असद ने न सिर्फ लड़की पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया, बल्कि जब लड़की ने उससे दूरी बनानी शुरू की तो उसने व्हाट्सएप्प के स्टेटस में चुनौती देते हुए एक दूसरी लड़की की फोटो के साथ लिखा “माई न्यू गर्ल फ्रेंड, और ये भी हिन्दू।” दूसरे स्टेटस में उसने लिखा “अब देखते हैं कौन भक्त आएगा बीच में…..” ये दो स्टेटस आरोपी युवक की विकृत मानसिकता को दर्शाते हैं।
एएसपी राजेश सिंह भदौरिया ने बताया, आरोपी असद ने आशु बनकर छात्रा से दोस्ती की। आरोपी ने अपना धर्म छिपाकर उसके साथ कई बार दुष्कर्म भी किया। दोनों की दोस्ती वर्ष 2019 से थी। दोनों जब रायसेन गए, तब युवक के धर्म के बारे में लड़की को पता चला। इसके बाद आरोपी ने उस पर धर्म परिवर्तन करने का दबाव बनाया। इतना ही नहीं, उसके साथ मारपीट भी की।
यह है पूरा मामला
पीड़िता मूलत: बालाघाट की रहने वाली 23 वर्षीय संगीता (बदला हुआ नाम) इंजीनियरिंग द्वितीय वर्ष की छात्रा है। वह अशोका गार्डन इलाके में किराये पर कमरा लेकर रहती है। वर्ष 2019 में वह जिस बस स्टॉप से बस पकड़ती थी, वहां एक 30 वर्षीय आशु नाम का युवक उसका पीछा कर बात करने की कोशिश करता था। वह अपने आप को मैकेनिकल इंजीनियर बताता था। नवंबर 2019 में धीरे- धीरे दोनों की दोस्ती हो गई।
12 दिसंबर, 2019 को आरोपी युवक छात्रा के घर पहुंचा और खुद को हिंदू बताकर उससे शादी करने की इच्छा जाहिर की और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। इसके बाद साल 2020 में मई महीने में आशु एक फंक्शन में गया था, उसी दौरान वह मस्जिद गया और मस्जिद में नमाज पढ़ने लगा। पीड़िता ने जब उससे पूछा तो उसने बताया कि वह मुस्लिम है और उसका असली नाम असद है। वह मैकेनिकल इंजीनियर नहीं, बल्कि एक साधारण मैकेनिक है। यह बात सुनकर पीड़िता ने आरोपी से कहा कि तुमने धोखा दिया है। इसके बाद युवती ने उससे दूरी बना ली। तो अक्तूबर 2020 में आरोपी ने छात्रा के साथ सड़क पर ही गाली-गलौज और मारपीट भी की। बीती 11 जनवरी को भी उसने युवती को रोका और धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया।
मंगलवार को उसने युवती की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए आपत्तिजनक टिप्पणी की। परेशान होकर युवती ने इसकी शिकायत भाजपा भोपाल जिला कार्यसमिति सदस्य संजय मिश्रा से की और उनके साथ अशोका गार्डन थाने पहुंची। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020’ के तहत मामला दर्ज किया। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी ऐशबाग भोपाल का रहने वाला है।
महाकुंभ के लिए तैयार हो रही धर्मनगरी हरिद्वार लोक परंपराओं व संस्कृति के रंगों से सराबोर हो उठी है। हरिद्वार में दीवारों पर उकेरा गया धार्मिक आस्था, लोक परंपराओं व पौराणिक संस्कृति का वैभव भी श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करेगा।
प्रदेश सरकार की ओर से धर्मनगरी को सजाने-संवारने के साथ ही स्वच्छ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि “राज्य सरकार दिव्य और भव्य कुम्भ के लिए प्रतिबद्ध है। प्रयास किए जा रहे हैं कि कुंभ में यहां आने वाले लाखों श्रद्धालु उत्तराखण्ड की लोक व सांस्कृतिक विरासत से भी रूबरू हों।”
प्रदेश में देवभूमि की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण व संवर्धन के लिए सरकार गम्भीरता से प्रयास कर रही है। हरिद्वार कुंभ-2021 को भी इसके लिए मुफीद मौका माना जा रहा है। इसके लिए चित्रकला को जरिया बनाया गया है।
कुंभ क्षेत्र में सरकारी भवनों समेत पुल, घाट आदि की दीवारों को धार्मिक व पौराणिक मान्यताओं व संस्कृति के रंग बिखेरते चित्रों से सजाया गया है।
इसके पीछे मंशा यही है कि देश और दुनिया से आए श्रद्धालुओं के मन में आस्था का भाव तो जागृत हो ही, साथ ही वह यहां की परंपरा, संस्कृति और पौराणिक विरासत से भी रूबरू हो सके।
हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण के ‘पेंट माई सिटी’ कैम्पेन से धर्म नगरी की फिजा ही बदल दी गई है। कहीं देवी-देवताओं, धार्मिक परम्पराओं के तो, कहीं लोक संस्कृति के चित्र सजीवता लिए हुए हैं।
कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि कुंभ मेला क्षेत्र को चित्रकला से सजाने में विभिन्न संस्थाओं का सहयोग रहा है। सरकार की मंशा के अनुरूप मेक माय सिटी कैंपेन से धर्म नगरी में परंपराओं और संस्कृति के रंग भी देखने को मिलेंगे।
हरिद्वार कुंभ की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। प्रदेश सरकार की कोशिश है कि इस बार का कुंभ दिव्य और भव्य हो।
तांडव वेब सीरीज को अमेजॉन प्राइम वीडियो पर रिलीज किया गया है। वेब सीरीज का डायरेक्शन जफर अली अब्बास ने किया है। तांडव वेब सीरीज रिलीज होते ही विवादों में आ गई है। वेब सीरीज के पहले एपिसोड में जीशान अय्यूब भगवान शिव के वेश में नजर आ रहे हैं और यूनिवर्सिटी के छात्रों को संबोधित करते हुए कहते हैं कि आखिर आपको किससे आजादी चाहिए। उनके मंच पर आते ही एक मंच संचालक कहता है, ‘नारायण-नारायण। प्रभु कुछ कीजिए। रामजी के फॉलोअर्स लगातार सोशल मीडिया पर बढ़ते ही जा रहे हैं। मुझे लगता है कि हमें भी कुछ नई स्ट्रेटेजी बना ही लेनी चाहिए।’ इस पर शिव के रूप में नजर आ रहे जीशान अय्यूब कहते हैं, ‘क्या करूं मैं तस्वीर बदल दूं क्या?’ इस पर मंच संचालक कहता है कि भोलेनाथ आप तो बहुत ही भोले हैं।
वेब सीरीज को लेकर लोग सोशल मीडिया पर आपत्ति जता रहे हैं। ट्विटर पर कई यूजर्स ने कहा कि इस तरह से शिव का रूप दिखाना और भगवान राम के बारे में टिप्पणी करना स्वीकार नहीं। एक यूजर ने वेब सीरीज के इस हिस्से को ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘अली अब्बास तांडव वेब सीरीज के डायरेक्टर हैं और इसमें पूरी तरह से लेफ्ट विंग के एजेंडे को आगे बढ़ाने में जुटे हैं। वह टुकड़े-टुकड़े गैंग को ग्लोरिफाई कर रहे हैं।’ सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि वेब सीरिज के माध्यम से जानबूझकर हिन्दुओं और हिन्दू धर्म को टारगेट किया जा रहा है।
इसके अलावा वेब सीरीज के एक और हिस्से पर भी लोग आपत्ति जता रहे हैं। इस वीडियो में कॉलेज का एक युवा लड़की से कहता है, ‘जब एक छोटी जाति का आदमी एक ऊंची जाति की औरत को डेट करता है न तो वह बदला ले रहा होता है, सिर्फ उस एक औरत से। वीडियो को लेकर आपत्ति जताते हुए कुछ यूजर्स ने इसे हिंदू विरोधी प्रॉपेगेंडा करार दिया है। पॉलिटिकल ड्रामा पर आधारित इस वेब सीरीज में सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया, तिग्मांशू धूलिया, जीशान अय्यूब, सुनील ग्रोवर, गौहर खान सहित कई बड़े सितारे नजर आ रहे हैं।
अब हिन्दूफोबिक बॉलीवुड से कुछ सवाल….
दिखाना है तो फिर सभी धर्मों को दिखाया करो, सिर्फ एक धर्म को ही क्यों? शिव, नारद, राम की जगह मौलवी, मदरसा, या अन्य क्यों नहीं? दिखाना ही था तो दिखाते कि किस तरह लव जिहाद करके लड़कियों को छोड़ दिया जा रहा है? जेएनयू को स्टारडम बनाने की कवायद दिखी, कभी किसी और विश्वविद्यालय को दिखाना था? दलित दिखा रहे, पर शिया-सुन्नी पर मौन क्यों हो जाते हैं? वेब सीरीज तांडव नाम से ही क्यों, हलाल, हलाला या अन्य नाम से क्यों नहीं? बॉलीवुड में हजार बुराइयां हैं, नशे के कारोबार व कॉकस पर बनाने में क्या समस्या है? धर्म को फिल्म-वेब सीरिज से दूर ही रखना चाहिए, जब बार-बार एक ही धर्म को टारगेट करोगे तो समस्या होगी ही……
मकर संक्रांति के पर्व पर गुरूवार को हरिद्वार में श्रद्धालुओं को रैला उमड़ पड़ा। लगभग 7 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने विभिन्न घाटों पर मां गंगा में डुबकी लगाकर पुण्यलाभ अर्जित किया। कोरोना काल में यह पहला अवसर था, जब इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु किसी पर्व पर एकत्र हुए।
एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार बुधवार रात्रि 12 बजे के बाद से ही हरिद्वार में हर की पैड़ी एवं अन्य घाटों पर स्नानार्थियों का आवागमन शुरू हो गया। सूर्योदय के साथ ही होटल, धर्मशाला, लॉज, आश्रम आदि में ठहरे हुए श्रद्धालु गंगा स्नान के लिये घाटों पर पहुंचने लगे।
सुबह कोहरे व कड़ाके की ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखाई दी। दिन चढ़ने के साथ कोहरा छंटा तो तमाम घाटों पर भीड़ बढ़ गई। स्नान का क्रम शाम तक चलता रहा। हरिद्वार के वीआईपी घाट पर लगभग २०० लोगों ने स्नान किया। इनमें विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, दिल्ली से सांसद व भोजपुरी गायक मनोज तिवारी समेत कई जज, वरिष्ठ अधिकारी आदि शामिल थे।
घाटों, गलियों तथा पैदल मार्ग पर लगे पुलिस बल द्वारा पैदल यातायात व्यवस्था का पालन सुनिश्चित कराते हुए स्नानार्थियों को स्नान घाटों तक पहुंचने में सहायता की गई। इस दौरान कोविड सम्बंधित गाइड लाइन का पालन न करने वाले लगभग 974 लोगों का चालान भी किया गया।
प्रदेश सरकार द्वारा सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे। सीसीटीवी कैमरों, बम निरोधक दस्ते, डॉग स्क्यॉड के अलावा भारी पुलिस बल सुरक्षा में तैनात किया गया था। लाखों लोगों की उपस्थिति के बाद भी स्नान शांतिपूर्वक निपटने पर प्रदेश सरकार ने राहत की सांस ली।
मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान लगभग 1000 साल पुराने परमार कालीन मंदिर के अवशेष मिले हैं। इसके बाद वहां चल रहे खुदाई कार्य को रोक दिया गया और पुरातत्व विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार शनिवार को सती माता मंदिर के पीछे सवारी मार्ग पर खुदाई का कार्य जारी था, इसी दौरान आधार मिलने पर खुदाई कार्य रोक दिया गया। विक्रम विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ. रामकुमार अहिरवार ने जांच करके बताया कि मिले अवशेषों पर दर्ज नक्काशी परमार कालीन ज्ञात होती है।
मंदिर के ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद शंकर व्यास ने बताया कि मुगल काल में मंदिर को नष्ट किया गया था, जिसके बाद मराठा शासकों के काल में मंदिर निर्माण का कार्य कराया गया था और मंदिर तोड़ते समय मंदिर का प्राचीनतम हिस्सा दब गया था।
मंदिर समिति के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने अपने बयान में कहा कि खुदाई में पाषाण के स्ट्रक्चर मिलने के बाद काम रोक दिया गया है। विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्वविद डॉ. रमन सोलंकी ने बताया कि खुदाई में मिले अवशेष राजा भोज के समय के हो सकते हैं।
राजा भोज ने महाकाल मंदिर पर निर्माण कराया था। बाहरी शासकों द्वारा महाकाल मंदिर को कई बार नष्ट किए जाने का इतिहास में उल्लेख भी मिलता है। महाकालेश्वर मंदिर का वर्तमान स्वरूप सन् 1732 में सिंधिया राजवंश के रामचंद्र शेंडवी द्वारा बनवाया गया था। खुदाई में संभावना है कि विक्रमादित्य कालीन अवशेष भी प्राप्त हों।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के साथ हरिद्वार कुम्भ-2021 की तैयारियों के संबध में बैठक की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कुंभ मेला अपने दिव्य व भव्य स्वरूप में आयोजित होगा। कुंभ में परंपराओं व संस्कृति का पूरा ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि कुंभ के शुरू होने पर कोरोना महामारी की स्थिति कैसी रहती है, उसके अनुसार मेले के स्वरूप को विस्तार दिया जाएगा।
देहरादून में मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित बैठक में त्रिवेन्द्र ने संतों को आश्वासन दिया कि परिस्थितियों के हिसाब से कुंभ के दृष्टिगत जो भी निर्णय लिये जाएंगे, उसमें अखाड़ा परिषद एवं साधु-संतों के सुझाव जरूर शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि सकुशल कुंभ सम्पन्न कराने के लिए अखाड़ा, परिषद व संत समाज का पूरा सहयोग लिया जाएगा और अखाड़ों की समस्याओं का हर संभव निदान करने का प्रयास होगा।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने हरिद्वार कुंभ के सफल आयोजन के लिए राज्य सरकार को पूर्ण सहयोग देने की बात कही। इसके साथ ही उन्होंने अखाड़ों की समस्याओं से भी अवगत कराया। मेलाधिकारी दीपक रावत ने बताया कि 15 दिसंबर तक अधिकांश स्थाई प्रकृति के कार्य और 31 दिसम्बर तक अन्य सभी कार्य पूर्ण करा लिए जाएंगे।
बैठक में ये रहे उपस्थित
बैठक में अखाड़ा परिषद के महामंत्री महन्त हरि गिरी, महन्त प्रेम गिरी, महन्त सत्यगिरी, महन्त कैलाशपुरी, महन्त मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी, महन्त रवीन्द्र पुरी, गढ़वाल कमिश्नर रविनाथ रमन, आईजी गढ़वाल अभिनव कुमार, आईजी कुंभ मेला संजय गुंज्याल, अपर सचिव शहरी विकास विनोद कुमार सुमन, अपर मेलाधिकारी डाॅ. ललित नारायण मिश्र, हरवीर सिंह, रामजी शरण शर्मा आदि उपस्थित थे।
हर की पैड़ी को फिर से गंगा का दर्जा
इधर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने अखाड़ा परिषद के साथ बैठक करने से पहले एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए हर की पैड़ी को स्कैप चैनल से मुक्त रखने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि हर की पैड़ी का अविरल गंगा का दर्जा बरकरार रखा जाएगा। इसके लिए जल्द ही शासनादेश जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा यह क्षेत्र आस्था एवं विश्वास का प्रतीक भी है। जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
यहां बता दें कि प्रदेश में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हर की पैड़ी का गंगा का दर्जा समाप्त कर उसे स्कैप चैनल अर्थात नहर के रूप में मान्यता दे दी थी। इस कारण लंबे समय से गंगा सभा एवं जनता द्वारा हर की पैड़ी क्षेत्र को स्कैप चैनल से मुक्त रखने की मांग की जा रही थी।
प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट गुरुवार को वैदिक विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गए। गुरुवार को ही हिमालय में स्थित द्वितीय केदार के रूप में पूजे जाने वाले भगवान मद्महेश्वर के कपाट भी बंद हो गए।
कपाट बंद होने के मौके पर बद्रीनाथ मंदिर को फूलों से भव्य सजाया गया था। ब्रह्म मुहुर्त में मंदिर को पूजा के लिए खोला दिया गया था। इसके बाद नित्य भोग लगा कर अपराह्न में रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू कर दी गई।
परंपरा के अनुसार बद्रीनाथ के निकट स्थित माणा गांव की महिलाओं द्वारा बुना गया घृत कंबल भगवान बद्रीविशाल को ओढ़ाया गया। इसके साथ ही विभिन्न धार्मिक रस्मों का निर्वहन करते हुए अपराह्न 3 बजकर 35 मिनट पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद कर दिए गए।
इस अवसर पर उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी.सिंह, धर्माधिकारी भुवन उनियाल सहित प्रशासन, पुलिस व सेना के अधिकारी मौजूद रहे।
उधर, मद्महेश्वर में मुख्य पुजारी टी.गंगाधर लिंग ने स्वयंभू शिवलिंग की समाधि पूजा कर कपाट बंद होने की प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद बाबा मद्महेश्वर की डोली ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ के लिए रवाना हुई। शीतकाल में भगवान मद्महेश्वर की पूजा- अर्चना उखीमठ में ही होती है।