योगी सरकार उत्तर प्रदेश के श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बद्रीनाथ धाम में एक पर्यटक आवास गृह का निर्माण करेगी। उत्तराखंड दौरे के तीसरे दिन मंगलवार को बद्रीनाथ पहुंचे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ पर्यटक आवास गृह का भूमि पूजन व शिलान्यास किया।
उत्तर प्रदेश सरकार ने बद्रीनाथ जाने वाले तीर्थ यात्रियों व पर्यटकों की सुविधा के लिए उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के माध्यम से एक पर्यटक आवास गृह का निर्माण प्रस्तावित किया है। इसकी लागत लगभग 11 करोड़ रूपये है और यह बद्रीनाथ हेलीपैड के निकट 4 हजार वर्ग मीटर भूमि पर बनेगा। आवास गृह का निर्माण पहाड़ी शैली में होगा।
यहां बता दें कि, आवास गृह का शिलान्यास सोमवार को प्रस्तावित था। मगर केदारनाथ धाम की यात्रा के दौरान दोनों मुख्यमंत्री भारी बर्फबारी के कारण दिनभर वहीं फंसे रहे। सोमवार शाम को मौसम खुलने पर दोनों नेता रात्रि विश्राम के लिए चमोली जिले के गौचर पहुंचे और मंगलवार सुबह वहां से बद्रीनाथ रवाना हुए।। बद्रीनाथ में उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद पर्यटक आवास गृह का शिलान्यास किया। इस दौरान उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
यहां बता दें कि, आवास गृह का शिलान्यास सोमवार को प्रस्तावित था। मगर केदारनाथ धाम की यात्रा के दौरान दोनों मुख्यमंत्री भारी बर्फबारी के कारण दिनभर वहीं फंसे रहे। सोमवार शाम को मौसम खुलने पर दोनों नेता रात्रि विश्राम के लिए चमोली जिले के गौचर पहुंचे और मंगलवार सुबह वहां से बद्रीनाथ रवाना हुए।। बद्रीनाथ में उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद पर्यटक आवास गृह का शिलान्यास किया। इस दौरान उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
इस अवसर पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज मुझे कई वर्षों के बाद भगवान श्री बद्री विशाल के दर्शन करने का सौभाग्य मिला है। उत्तराखण्ड के चारों धाम पर्यटन के विकास एवं श्रद्धालुओं की श्रद्धा व आस्था के सम्मान को ध्यान में रखते हुए आज की आवश्यकता के अनुरूप विकास की जिन नई ऊंचाईयों को छूते हुए दिखाई दे रहे हैं, वह अत्यंत सराहनीय एवं अभिनंदनीय है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र के नेतृत्व में हो रहे इन कार्यों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के विकास के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों के लिए हृदय से उनका अभिनन्दन करता हूं।
योगी ने कहा कि उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश के बीच पिछले 18-20 वर्षों से बहुत से विवाद चले आ रहे थे। ये विवाद उत्तराखण्ड के नये राज्य बनने के बाद से ही चल रहे थे। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने रचनात्मक और सकारात्मक पहल से इन सभी समस्याओं का समाधान करने में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड मेरी जन्म भूमि भी है। मैंने अपना बचपन यहीं बिताया है। पिछले तीन दिनों से यहां के तीर्थ स्थलों के दर्शन करने करने का सौभाग्य मिला है।
उन्होंने कहा कि अगले वर्ष यात्रा प्रारम्भ होने पर बद्रीनाथ में पर्यटक आवास गृह का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। प्रयास किया जाएगा कि एक वर्ष के अन्दर यह कार्य पूर्ण कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि अनेक संतों व योगियों ने अपनी साधना, योग व तप से इस धरती को पवित्र किया है। योगराज सुन्दरनाथ जी की तपस्थली भी श्री बदरीनाथ में है। यहां पर योगराज सुन्दरनाथ जी की गुफा भी है। उन्होंने इच्छा जताई कि उत्तराखण्ड सरकार उनकी गुफा का पुनरूद्धार करे तो बहुत अच्छा कार्य होगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पिछले तीन दिनों से योगी आदित्यनाथ के साथ केदारनाथ एवं बद्रीनाथ के दर्शन करने का अवसर मिला। बद्रीनाथ में उत्तर प्रदेश के पर्यटक आवास का भूमि पूजन व शिलान्यास हुआ, यह एक बड़ी उपलब्धि है। देशभर से श्रद्धालु एवं पर्यटक यहां आते हैं, इस पर्यटक आवास गृह बनने से उनके लिए एक और सुविधा बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि योगी जी नेतृत्व में उत्तर प्रदेश जैसा विशाल राज्य आज विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर है। उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश एक उत्तम प्रदेश बने इसके लिए कामना करता हूं।
शिलान्यास कार्यक्रम के बाद दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने बद्रीनाथ से कुछ दूरी पर स्थित देश के अंतिम गांव माणा, भीम पुल एवं सरस्वती पुल का भ्रमण भी किया। दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री आईटीबीपी, सेना एवं बीआरओ के जवानों से मिले व उनका हौंसला बढ़ाया। इससे पूर्व, बद्रीनाथ पहुंचने पर योगी आदित्यनाथ व त्रिवेन्द्र सिंह रावत का देवस्थानम बोर्ड के अधिकारियों ने स्वागत किया।
वर्षा व बर्फवारी के बीच विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट सोमवार को भैयादूज के अवसर पर शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं । कपाट बंद करने से पहले मंदिर तड़के तीन बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया था। इसके बाद मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने बाबा की समाधि पूजा संपन्न की और साढ़े छ: बजे भगवान भैरवनाथ को साक्षी मानकर मंदिर के गर्भगृह को बंद कर दिया। वैदिक विधि-विधान के साथ साढ़े आठ बजे मंदिर का सभा मंडप व मुख्य द्वार बंद किया गया। कपट बंद होने के साथ ही भगवान केदारेश्वर की चल-उत्सव डोली अपने शीतकालीन प्रवास स्थल उखीमठ के लिए रवाना हो गई।
कपाट बंद होने के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी, मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड के औद्योगिक सलाहकार डॉ के.एस. पंवार उपस्थित रहे।
इसके अलावा मुख्यमंत्री के विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मनुज गोयल, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी. सिंह, पुलिस अधीक्षक नवनीत भुल्लर, मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी युद्धवीर पुष्पवान सहित तीर्थ पुरोहित एवं हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे । देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि इस यात्रा वर्ष 1,350,23 श्रद्धालुओं ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किए।
बाबा के जय घोष के साथ डोली ने अपने प्रथम पड़ाव रामपुर हेतु प्रस्थान किया, जहां देवस्थानम बोर्ड के कार्याधिकारी एन.पी.जमलोकी, कोषाध्यक्ष आर सी तिवारी एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल उत्सव डोली की अगवानी करेंगे। 17 नवंबर मंगलवार को उत्सव डोली श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी और 18 नवंबर को उखीमठ स्थित शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हो जाएगी। उखीमठ में ही बाबा केदारनाथ की शीतकालीन पूजा होती है।
कपाट बंद होने के अवसर पर केदारनाथ धाम में बारिश व बर्फबारी के बावजूद श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखाई दी। बर्फबारी के बीच बाबा की डोली सेना के बेंड की धुन पर केदारनाथ से रवाना हुई। बर्फबारी के कारण उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री अपने निर्धारित समय पर बद्रीनाथ के लिए उड़ान नहीं भर सके।
उत्तराखंड स्थित विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट रविवार को शीतकाल के लिए बंद हो गए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु व तीर्थ-पुरोहित मौजूद रहे।
अन्नकूट– गोवर्द्धन पूजा के पर्व पर विधिवित पूजा-अर्चना के बाद 12:15 बजे कपाट बंद होने की रस्म पूरी हुई। कपाट बंद होने के बाद मां गंगा की उत्सव डोली शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा के लिए रवाना हुई। इसके बाद श्रद्धालु अब आगामी छह माह तक मुखबा में ही मां गंगा के दर्शन कर सकेंगे।
कपाट बंद होने तथा उत्सव डोली के प्रस्थान के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया। कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष मात्र साढ़े तेईस हजार श्रद्धालुओं ने ही मां गंगा के दर्शन किए।
इधर, द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री केदारनाथ धाम के कपाट भैया दूज के अवसर पर 16 नवंबर को बंद होंगे।केदारनाथ धाम में आज कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो गई। इस क्रम में आज विधि-विधान के साथ बाबा केदार की चल-विग्रह डोली का पूजन किया गया। केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी उपस्थित रहेंगे।
16 नवम्बर को ही श्री यमुनोत्री धाम के कपाट भी बंद होंगे। जबकि श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर बंद होंगे। द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर के कपाट भी 19 नवंबर को बंद हो रहे हैं। तृतीय केदार श्री तुंगनाथ के कपाट 4 नवंबर और चतुर्थ केदार श्री रूद्रनाथ के कपाट 17 अक्टूबर को शीतकाल के लिए बंद हो चुके हैं।
उत्तराखंड स्थित चार धामों बद्रीनाथ (Badrinath), केदारनाथ (Kedarnath), गंगोत्री (Gangotri) व यमुनोत्री (Yamunotri) के कपाट अगले माह नवम्बर में शीतकाल के लिए श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाएंगे। विजयदशमी के अवसर पर रविवार को उत्तराखंड देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड ने संबंधित मंदिरों के पुजारियों द्वारा की गई ज्योतिषीय गणना के आधार पर यह निर्णय लिया है।
रविवार को बद्रीनाथ धाम में देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अपर मुख्य कार्याधिकारी बी डी सिंह की उपस्थिति में आयोजित एक कार्यक्रम में बताया गया कि 15 नवम्बर को गंगोत्री धाम के मंदिर के कपाट बंद होंगें। 16 नवम्बर को केदारनाथ व यमुनोत्री धाम के कपाट बंद किये जाएंगें, जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवम्बर को शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे।
बद्रीनाथ में आयोजित कार्यक्रम में देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह के अलावा, रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल आदि उपस्थित थे।
प्रसिद्ध उद्योगपति व रिलायंस समूह के मुखिया मुकेश अंबानी के पुत्र एवं श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व सदस्य अनंत अंबानी ने कोरोना काल के आर्थिक हालात को देखते हुए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् बोर्ड हेतु 5 करोड़ की धनराशि दान दी है। धनराशि का चेक बुधवार को चारधाम विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं व देवस्थानम् बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंपा।
उल्लेखनीय है कि अंबानी परिवार की श्री बदरीनाथ एवं केदारनाथ सहित उत्तराखंड के चारों धामों में अपार आस्था है। पहले भी उनके द्वारा करोड़ों रुपये का दान श्री बदरीनाथ-केदारनाथ धाम को दिया जाता रहा है। कोरोना महामारी से इस यात्रा वर्ष देवस्थानम् बोर्ड की आर्थिकी भी प्रभावित हुई है। इसके मद्देनजर अंबानी परिवार द्वारा 5 करोड़ रुपये देवस्थानम् बोर्ड को दान स्वरूप दिये हैं।
देवस्थानम् बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन तथा अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी.सिंह ने अंबानी परिवार का आभार जताया है।
तमिलनाडु के एक मंदिर से 40 साल पहले चुराई गई भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता की बहुमूल्य मूर्तियों को ब्रिटिश पुलिस ने मंगलवार को लंदन में भारतीय उच्चायोग को सौंप दिया। कांसे की बनी ये मूर्तियां भारतीय धातु कला की उत्कृष्ट कृतियां हैं। इन मूर्तियों को तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले के अनंतमंगलम में स्थित श्री राजगोपालस्वामी मंदिर से 1978 में चुरा लिया गया था।
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से जारी एक वक्तव्य अनुसार यह मंदिर दक्षिण भारत के प्रसिद्ध विजयनगर साम्राज्य के समय का है और शैलीगत दृष्टि से, इन मूर्तियों का संबंध 15वीं शताब्दी से है। भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता की यह मूर्तियां क्रमशः 90.5 सेमी, 78 सेमी तथा 74.5 सेमी की हैं। चोरी के बाद तमिलनाडु पुलिस ने लंदन की मेट्रोपोलिटन पुलिस के साथ मिलकर जांच शुरू की थी।
मंगलवार को लन्दन में भारतीय उच्चायोग में एक कार्यक्रम में ब्रिटिश पुलिस ने ये मूर्तियां भारतीय उच्चायुक्त गायत्री इस्सर कुमार को सौंपी। केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रह्लाद सिंह पटेल ने वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री पटेल ने ब्रिटिश पुलिस, स्पेशल आइडल विंग, तमिलनाडु सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एवं लन्दन स्थित भारतीय उच्चायोग का इन कीमती मूर्तियों को भारत वापस लाने के प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया।
संस्कृति मंत्री ने कहा कि यह खुशी की बात है कि आजादी के बाद से हमें विदेशों से केवल 13 मूर्तियां मिलीं। मगर मोदी सरकार के प्रयासों के चलते 2014 से अब तक हमें 40 से अधिक मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। उन्होंने कहा की सरकार का निरंतर प्रयास है कि हमारी बहुमूल्य मूर्तियां भारत को वापस मिलें। उन्होंने यह भी कहा कि हम वाग देवी की मूर्ति को भारत वापस लाने के लिए ब्रिटिश संग्रहालय से बात कर रहे हैं।
कोरोना महामारी के चलते वर्ष 2021 में हरिद्वार में प्रस्तावित कुम्भ मेले के आयोजन को लेकर संशय के बादल छंट गए हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में कुम्भ मेले को अपने निर्धारित समय पर आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि कुम्भ मेले को दिव्य व भव्य रूप से आयोजित किये जाने के लिये राज्य सरकार दृढ़ संकल्पित है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सभी अखाड़ों के सन्त महात्माओं के सहयोग एवं आशीर्वाद से यह आयोजन सफल होगा।
शनिवार को सचिवालय में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कुम्भ मेले के आयोजन के सम्बन्ध में व्यापक-विचार विमर्श किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ कुम्भ मेले को लेकर सरकार द्वारा की जा रही तैयारियों समीक्षा भी की। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण उपजी परिस्थितियों में कुम्भ मेला कार्यों में कुछ अवरोध पैदा हुआ है। मगर इन परिस्थितियों से भी हम निजात पायेंगे और संतों के आशीर्वाद से इस आयोजन को बेहतर तरीके से सम्पन्न कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में देश काल व परिस्थिति के अनुसार भी निर्णय लिया जायेगा। आगे स्थितियां कैसी होगी, इसका पूर्वानुमान लगाया जाना कठिन है। उन्होंने सभी स्थायी व अस्थायी निर्माण कार्यों को 15 दिसम्बर से पूर्व सम्पन्न करने के निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिये। बैठक में अखाड़ों के सुझावों पर मुख्यमंत्री ने नील धारा सहित अन्य क्षेत्रों में निर्मित होने वाले स्नान घाटों के नाम 13 अखाड़ों के ईष्ट देवों के नाम पर रखे जाने के निर्देश दिए।
इस अवसर पर नगर विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि कुम्भ मेले के आयोजन में सभी अखाड़ों का सहयोग मिल रहा है। अखाड़ों की सुविधा के लिये भी सभी व्यवस्थायें की जा रही हैं। निर्माण कार्यों में तेजी लायी गई है। कुम्भ मेले से सम्बन्धित सभी पुलों, स्नान घाटों, सड़कों, आस्था पथों आदि का निर्माण 15 दिसम्बर तक पूर्ण हो, इसका प्रयास किया जा रहा है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने उज्जैन व प्रयागराज की भांति हरिद्वार कुम्भ में भी अखाड़ों को धनराशि व अन्य सुविधायें उपलब्ध कराये जाने की बात रखी। उन्होंने अखाड़ों में साफ-सफाई व अतिक्रमण को हटाने, आवागमन व पेशवाई मार्ग निर्धारण, पुलों, घाटों के निर्माण में तेजी लाये जाने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कुम्भ मेले के सफल आयोजन के लिये सभी अखाड़ों की ओर से हर संभव सहयोग का भी आश्वासन दिया।
बैठक में मुख्य सचिव ओमप्रकाश, अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व व्यवस्था) अशोक कुमार, मेलाधिकारी दीपक रावत, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महन्त हरि गिरि, महन्त प्रेम गिरि, महन्त महेश पुरी, महन्त सत्यगिरि, महन्त कैलाशपुरी, महन्त मुकुन्दानन्द ब्रह्माचारी, महन्त सोमेश्वरानन्द ब्रह्मचारी, महन्त ओंकार गिरि, महन्त रविन्द्र पुरी सहित बड़ी संख्या में संत महात्मा एवं अधिकारी गण उपस्थित थे।
-सुभाष चमोली
उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में स्थित सिखों के पवित्र तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब की यात्रा 4 सितम्बर से शुरु होगी। जिला प्रशासन एवं गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने यात्रा के लिए सभी व्यवस्थाएं पूरी कर ली है।
सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह की तपस्थली हेमकुंड साहिब की यात्रा हर वर्ष मई महीने के दौरान शुरू होती थी। मगर इस बार कोरोना महामारी के चलते यात्रा अभी तक शुरू नहीं हो सकी थी। अब जिला प्रशासन व गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने 4 सितम्बर से हेमकुंड साहिब की यात्रा शुरू करने का फैसला किया है।
चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा प्रबंधन समिति से विचार विमर्श के बाद हेमकुंड की यात्रा 4 सितम्बर से खोलने का निर्णय लिया गया है। हेमकुंड साहिब की यात्रा पर उत्तराखंड के बाहर से आने वाले सभी श्रद्धालुओं को 72 घंटे पहले कोरोना का पीसीआर टेस्ट कराना जरूरी होगा। इसके अलावा उत्तराखंड सरकार की वेबसाईट से ई-पास लेकर ही यात्रा की इजाजत दी जाएगी। यात्रा के दौरान गुरुद्वारों में शारीरिक दूरी, मास्क पहनना एवं कोरोना के सभी नियमों का पालन करना भी अनिवार्य रहेगा। तीर्थ यात्रा पर आने वाले श्रद्वालुओं की थर्मल स्क्रीनिंग भी कराई जाएगी।
समुद्रतल से लगभग 15,200 फुट की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा 6 माह तक बर्फ में दबा रहता है। हिमालय की चोटियों के बीच में स्थित इस गुरुद्वारे के पास एक बड़ा सरोवर है। गुरुद्वारे तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को लगभग 20 किमी की यात्रा पैदल अथवा घोड़े- खच्चरों के माध्यम से करनी पड़ती है। गुरुद्वारे के पास ही लक्ष्मण मंदिर भी है। हेमकुंड साहिब की यात्रा शुरू होने पर ही लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी खुलते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल केदारनाथ धाम में जगद्गुरू आदि शंकराचार्य की समाधि के निर्माण में वायु सेना की मदद ली जाएगी। आदि शंकराचार्य की भव्य मूर्ति व अन्य भारी समान वायु सेना के बड़े हेलीकॉप्टरों के माध्यम से केदारनाथ पहुंचाया जाएगा।
लगभग 11,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। वर्ष 2013 में आई भीषण आपदा में आश्चर्यचकित ढंग से मंदिर के अलावा करीब पूरा केदारनाथ धाम तहस-नहस हो गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाबा केदार के प्रति बेहद आस्था रखते हैं। केदारनाथ आपदा के पश्चात गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए भी उन्होनें केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों में सहयोग की पेशकश की थी। मगर उत्तराखंड की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उनकी पेशकश को तवज्जो नहीं दी।
वर्ष 2014 में देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण मोदी की प्राथमिकताओं में शामिल हो गया। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी अब तक चार बार केदारनाथ की यात्रा कर चुके हैं। यात्रा के दौरान उन्होंने केदारनाथ के चप्पे-चप्पे का निरीक्षण किया है। वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा भी मोदी लगातार निर्माण कार्यों का जायजा लेते रहते हैं और केदारनाथ के भावी स्वरूप को लेकर अधिकारियों को आवश्यक निर्देश देते रहते हैं।
अक्तूबर, 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी केदारनाथ यात्रा के दौरान लगभग 700 करोड़ की कई योजनाओं का शिलान्यास किया था। इन्हीं में एक योजना शंकराचार्य की समाधि स्थल का पुनर्निर्माण भी था। मोदी ने इसे दिव्य व भव्य स्वरूप देने की बात कही थी। इसके बाद वर्ष 2018 में शंकराचार्य के समाधि स्थल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। इसे केदारनाथ मंदिर के पीछे दिव्य शिला के निकट बनाया जा रहा है। छह मीटर गहरी और 38 मीटर गोलाकार खुदाई कर समाधि स्थल की बुनियाद (राफ्ट) तैयार हो गई है। समाधि स्थल के पुनर्निर्माण कार्य को पूरा करने का लक्ष्य इस वर्ष 31 दिसंबर निर्धारित किया गया है।
मगर मौसम की गड़बड़ियों के कारण निर्माण कार्य में व्यवधान भी पैदा हुआ है। इन परिस्थितियों के मद्देनजर प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार ने केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्य में वायु सेना के बड़े हेलीकॉप्टरों की मदद लेने का निर्णय लिया है।
उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने मीडयाकर्मियों से बातचीत में बताया कि केदारनाथ धाम में भारी सामान पहुंचाया जाना है। इसमें आदि शंकराचार्य की मूर्ति भी शामिल है। यह सामान बड़े हेलीकॉप्टरों के माध्यम से पहुंचाया जाएगा। इसके लिए वायु सेना सेना से बातचीत की गई है। केदारनाथ में बड़े हेलीकॉप्टर को उतारने के लिए बड़े हेलीपैड की जरूरत है। प्रदेश सरकार इसके लिए प्रयास कर रही है। हेलीपैड का विस्तार होते ही हेलीकॉप्टर से सामान पहुंचाना शुरू किया जाएगा।
केंद्र सरकार द्वारा अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 5 अगस्त को मंदिर निर्माण के शुभारंभ के अवसर पर भगवान के श्रृंगार में हरे रंग के वस्त्रों पर खड़े किए जा रहे विवाद को औचित्यहीन बताया है। ट्रस्ट ने स्पष्ट किया है कि देव विग्रह के वस्त्रों का निर्धारण परम्पराओं के अनुरूप किया जा रहा है। ट्रस्ट के अनुसार शुभारंभ समारोह में 135 संतों व विशिष्ट अतिथियों को आमंत्रित किया गया है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय द्वारा जारी वक्तव्य के अनुसार कुछ लोग 5 अगस्त के दिन भगवान के श्रृंगार में हरे रंग के वस्त्रों का उपयोग किए जाने पर विवाद खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बात का प्रधानमंत्री कार्यालय अथवा ट्रस्ट से कोई सम्बन्ध नहीं है। यह विषय पूरी तरह से मुख्य पुजारी और परंपराओं से जुड़ा है। इसका निर्णय मुख्य पुजारी स्थापित परम्पराओं के अनुरूप करते हैं। यह सर्वविदित है कि देव विग्रह के वस्त्रों का निर्धारण प्रत्येक दिन के स्वामी ग्रह और उससे सम्बन्धित रंग के आधार पर किया जाता है। 5 अगस्त को बुधवार है। बुध ग्रह का सम्बन्ध हरे रंग से है। इस परंपरा का पालन पूर्व से चला आ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस इस मामले को तूल देना पूर्वाग्रह का परिचायक है।
ट्रस्ट के महासचिव ने कहा कि राम मंदिर के भूमि पूजन और निर्माण कार्य के शुभारंभ का मुख्य कार्यक्रम 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर कमलों द्वारा किया जा रहा है। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ मोहन भागवत विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि श्रीराम जन्मभूमि पर पूजन कार्यक्रम का सिलसिला 108 दिन पूर्व 18 अप्रैल से शुरू हो गया था। तब से वहां पर प्रतिदिन तमाम तरह के पाठ, हवन, अनुष्ठान आदि किए जाते रहे हैैं, ताकि संपूर्ण क्षेत्र आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत रहे।
चंपतराय ने बताया कि ट्रस्ट इस आयोजन में व्यापक स्तर पर रामभक्तों की उपस्तिथि चाहता था। मगर कोरोना काल को देखते हुए इसे सीमित करना पड़ा है। भूमि पूजन कार्यक्रम में मात्र 135 संतों व विशिष्ट अतिथियों को आमन्त्रित किया गया है। विभिन्न 36 परम्पराओं से जुड़े प्रमुख संत आमंत्रितों में शामिल हैं।
इनमें दशनामी परंपरा, रामानंद वैष्णव, रामानुज, नाथ, निंबार्क, माध्वाचार्य, वल्लभाचार्य, रामसनेही, कृष्णप्रणामी, उदासीन, निर्मल संत, कबीर पंथी, चिन्मय मिशन, रामकृष्ण मिशन, लिंगायत, वाल्मीकि संत, रविदास परंपरा, आर्य समाजी, सिक्ख परंपरा, बौद्ध, जैन, संत कैवल्य ज्ञान, सतपंथ, इस्कॉन, स्वामीनारायण, वारकरी, एकनाथ, बंजारा, सिंधी व अखाड़ा परिषद से जुड़े संत शामिल हैं। नेपाल से भी संत इस कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे।
उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण कार्य के लिए अभी तक देशभर से लगभग 1500 से अधिक पवित्र व ऐतिहासिक स्थानों से मिट्टी अयोध्या पहुंच गई है। इसके साथ ही 2000 से भी अधिक पवित्र नदियों व कुंडों का जल भी अयोध्या पहुंच गया है। इनका उपयोग मंदिर निर्माण के दौरान किया जाएगा।