जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग ने जारी किया शेड्यूल, 7 अगस्त से होगी प्रक्रिया शुरू
नई दिल्ली। भारत के अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव की तारीख तय हो गई है। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को घोषणा की कि उपराष्ट्रपति पद के लिए मतदान 9 सितंबर को होगा और इसी दिन नतीजे भी घोषित कर दिए जाएंगे। 7 अगस्त को चुनाव की अधिसूचना जारी होगी और नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 21 अगस्त रखी गई है। वर्तमान में यह पद जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद खाली पड़ा है।
जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि उनके कार्यकाल का अभी दो साल से भी अधिक समय बाकी था। उन्होंने अपने त्यागपत्र में लिखा कि चिकित्सकीय सलाह को ध्यान में रखते हुए वे तत्काल प्रभाव से उपराष्ट्रपति पद छोड़ रहे हैं। उनके इस्तीफे के दो दिन बाद ही निर्वाचन आयोग ने चुनावी प्रक्रिया शुरू कर दी थी।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 66(1) के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित तथा राज्यसभा के मनोनीत सदस्यों द्वारा किया जाता है। मतदान गुप्त होता है और यह एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के आधार पर संपन्न होता है। निर्वाचन आयोग इस चुनाव के लिए अद्यतन मतदाता सूची तैयार करता है, जिसमें सभी पात्र सांसदों को वर्णमाला क्रम में सूचीबद्ध किया गया है।
इस बार नए उपराष्ट्रपति को पूरा पांच साल का कार्यकाल मिलेगा, न कि पूर्ववर्ती का शेष कार्यकाल।
राजनीतिक समीकरण की स्थिति:
दोनों सदनों की कुल प्रभावी सदस्य संख्या 782 है और उपराष्ट्रपति बनने के लिए किसी भी उम्मीदवार को 391 मतों की आवश्यकता होगी। इस चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को स्पष्ट बढ़त नजर आ रही है। लोकसभा में राजग को 542 में से 293 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, जबकि राज्यसभा में 129 सदस्यों का समर्थन है। यदि सभी समर्थक सदस्य मतदान करते हैं, तो कुल 422 वोट राजग के पक्ष में हो सकते हैं।
राज्यसभा की पांच सीटें वर्तमान में रिक्त हैं — जिनमें से चार जम्मू-कश्मीर से और एक पंजाब से है, जो आम आदमी पार्टी के नेता संजीव अरोड़ा के इस्तीफे के बाद खाली हुई।
मुख्यमंत्री स्टालिन से मुलाकात के बाद लिया गया अहम फैसला
चेन्नई। तमिलनाडु में 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राज्य की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) के नेतृत्व वाली एआईएडीएमके कैडर राइट्स रिट्रीवल कमेटी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन से संबंध समाप्त करने का ऐलान कर दिया है। यह निर्णय मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन से मुलाकात के कुछ घंटे बाद सामने आया, जिससे सियासी हलचल और बढ़ गई है।
इस फैसले की घोषणा समिति के वरिष्ठ नेता और सलाहकार पनरुट्टी एस. रामचंद्रन ने गुरुवार को एक प्रेस वार्ता में की, जिसमें स्वयं ओपीएस भी उपस्थित थे। समिति ने स्पष्ट किया कि अब से वे एनडीए का हिस्सा नहीं रहेंगे। साथ ही यह भी बताया गया कि ओ. पन्नीरसेल्वम राज्यभर में दौरा करेंगे और राजनीतिक स्थिति का आकलन कर आगामी गठबंधनों पर निर्णय लेंगे।
गठबंधन टूटने के पीछे कारण:
सूत्रों के अनुसार, ओपीएस की नाराजगी की वजह हालिया घटनाक्रम है, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए पत्र लिखा था, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। इसको लेकर उनकी निराशा बढ़ी और उन्होंने केंद्र सरकार पर ‘समग्र शिक्षा अभियान’ (SSA) के फंड वितरण में देरी को लेकर सोशल मीडिया पर आलोचना भी की थी। माना जा रहा है कि यह घटनाएं ही एनडीए से अलग होने का मुख्य कारण बनीं।
नए गठबंधन के संकेत:
ओपीएस ने अभिनेता विजय की पार्टी तमिलागा वेत्त्री कझगम (TVK) के साथ गठबंधन की संभावना को पूरी तरह नकारा नहीं है। उन्होंने कहा, “अभी चुनाव में समय है, वक्त आने पर स्थिति स्पष्ट होगी।” बता दें कि ओपीएस पहले एआईएडीएमके के शीर्ष नेता थे, लेकिन आंतरिक मतभेदों के चलते उन्होंने अपनी स्वतंत्र धारा बना ली थी।
राजनीतिक मायने:
एनडीए से अलग होने के फैसले ने तमिलनाडु की राजनीति में संभावित नए समीकरणों की नींव रख दी है। यह घटनाक्रम 2026 विधानसभा चुनावों से पहले राज्य की सियासी दिशा को नया मोड़ दे सकता है।
भूस्खलन और बाढ़ से मंडी, चंबा और कुल्लू में हालात सबसे गंभीर
मानसून में अब तक 170 लोगों की मौत, कई लोग घायल और लापता
शिमला। हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही भारी बारिश ने जनजीवन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। राज्य के कई जिलों में भूस्खलन, अचानक बाढ़ और जलभराव की घटनाओं ने संकट की स्थिति पैदा कर दी है। गुरुवार सुबह तक प्रदेश में एक राष्ट्रीय राजमार्ग समेत 302 सड़कें आवाजाही के लिए बंद रहीं। वहीं, 436 बिजली ट्रांसफॉर्मर और 254 जलापूर्ति योजनाएं ठप पड़ी हैं। आपदा से सर्वाधिक प्रभावित मंडी जिले में ही 193 सड़कें अवरुद्ध हैं, जबकि कुल्लू और चंबा जिले में बिजली आपूर्ति सबसे अधिक प्रभावित हुई है।
धर्मशाला समेत कई इलाकों में भारी बारिश, येलो अलर्ट जारी
बीती रात धर्मशाला में 54.4 मिमी, मुरारी देवी में 52.4 मिमी, और कोठी में 49.1 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई। मौसम विभाग शिमला ने राज्य के अधिकांश क्षेत्रों में 6 अगस्त तक बारिश जारी रहने की संभावना जताई है और कुछ इलाकों के लिए भारी बारिश का येलो अलर्ट भी जारी किया गया है। शिमला सहित कई क्षेत्रों में मौसम खराब बना हुआ है।
भूस्खलन के बीच युवक ने कंधे पर उठाकर पार की बाइक
चंबा जिले के चुराह उपमंडल में नकरोड़-चांजू सड़क पर भूस्खलन के कारण एक युवक अपनी बाइक सहित फंस गया। काफी इंतजार के बाद युवक ने हिम्मत दिखाई और चट्टानों के बीच से बाइक को कंधों पर उठाकर दूसरी ओर पहुंचाया। यह दृश्य वहां मौजूद लोगों के लिए किसी फिल्मी दृश्य से कम नहीं था।
सलूणी में भूस्खलन से गरीब महिला का मकान ढहा
चंबा जिले की सलूणी तहसील के टिक्कर गांव में भूस्खलन से शिवो देवी नामक महिला का नया मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। यह मकान उन्हें सरकार की योजना के तहत मिला था, लेकिन भारी बारिश के चलते उनका आशियाना मलबे में तब्दील हो गया। परिवार की आर्थिक स्थिति अत्यंत कमजोर बताई जा रही है।
मानसून का भारी कहर: 1,687 घर-दुकानों को नुकसान, 170 की मौत
इस मानसून सीजन में अब तक प्रदेश में 170 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 278 घायल हुए हैं और 36 अब भी लापता हैं। 76 लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में जान गई है। बारिश जनित घटनाओं से 1,687 कच्चे-पक्के मकान और दुकानें क्षतिग्रस्त हुई हैं। 1,226 गोशालाएं और 1,404 पालतू पशु भी प्रभावित हुए हैं। अब तक अनुमानित आर्थिक नुकसान 1,599 करोड़ रुपये से अधिक पहुंच चुका है।
जयशंकर बोले- ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नहीं हुई ट्रंप-मोदी की बातचीत
नई दिल्ली। राज्यसभा में बुधवार को “ऑपरेशन सिंदूर” को लेकर सरकार की ओर से विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने विस्तृत बयान दिया। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संघर्ष विराम को लेकर किए गए दावों को पूरी तरह नकारते हुए कहा कि 22 अप्रैल से 16 जून 2025 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई।
जयशंकर ने विपक्षी दलों को स्पष्ट शब्दों में जवाब देते हुए कहा, “मैं साफ-साफ कहना चाहता हूं कि इन दो महीनों के बीच प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच एक बार भी संवाद नहीं हुआ। संघर्ष विराम के संदर्भ में जो भी प्रयास हुए, वे पाकिस्तान की ओर से डीजीएमओ के माध्यम से हुए।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की नीति रही है कि किसी भी मुद्दे का समाधान सिर्फ द्विपक्षीय बातचीत से ही होगा, किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जाएगी।
मध्यस्थता से इनकार, पाकिस्तान को चेतावनी
विदेश मंत्री ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कई देशों ने भारत से हालात के बारे में जानकारी मांगी, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया कि संघर्ष विराम तभी होगा जब पाकिस्तान खुद पहल करेगा और वह भी सैन्य चैनलों के ज़रिए। जयशंकर ने दोहराया, “हम पाकिस्तानी हमले का मुँहतोड़ जवाब दे रहे हैं और जब तक ज़रूरत होगी, देते रहेंगे।”
सिंधु जल समझौते और कांग्रेस पर हमला
संसद में अपने संबोधन में जयशंकर ने कांग्रेस पार्टी को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने सिंधु जल समझौते को भारत के हितों के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह समझौता एकतरफा था, जिसमें भारत ने अपनी प्रमुख नदियों का जल पाकिस्तान को बिना किसी ठोस रणनीति के दे दिया। उन्होंने कहा, “दुनिया में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जहां कोई देश अपने जल संसाधनों को इस तरह पड़ोसी देश को सौंप देता हो। यह तत्कालीन कांग्रेस सरकार की बड़ी चूक थी।”
संक्षेप में, डॉ. जयशंकर ने संसद में स्पष्ट किया कि भारत किसी भी बाहरी दबाव में नहीं झुकेगा और राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा, चाहे वह संघर्ष विराम हो या जल नीति।
लोकसभा से राज्यसभा तक नेहरू को लेकर विपक्ष और सरकार आमने-सामने
नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर हुई चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का उल्लेख किए जाने पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है। कांग्रेस ने इसे सरकार की विफलताओं से ध्यान भटकाने की कोशिश करार दिया और दोनों नेताओं पर तीखा हमला बोला।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जवाहरलाल नेहरू का नाम लेकर हर बहस को भटकाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि दोनों नेता नेहरू के प्रति ‘ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी)’ से ग्रस्त हैं।
रमेश ने कहा, “लोकसभा में हुई चर्चा में एक बार फिर यह साफ हो गया कि सरकार के पास अपनी विफलताओं का कोई जवाब नहीं है। वे बार-बार नेहरू का नाम लेकर जनता को गुमराह करना चाहते हैं, क्योंकि उनकी नीतियों और कामकाज पर उठ रहे सवालों का सामना करने की उनकी मंशा नहीं है।”
उन्होंने कहा कि सार्थक बहस से बचने के लिए भाजपा के शीर्ष नेता इतिहास की गलत व्याख्या करते हैं और विपक्ष को बदनाम करने में जुट जाते हैं। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वह खुद को इतिहासकार समझते हैं, लेकिन उनका उद्देश्य सिर्फ भ्रम फैलाना है।
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के बयान:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपने भाषण के दौरान कहा कि नेहरू सरकार ने अक्साई चीन का 38,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र गंवा दिया। उन्होंने सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर करके भी रणनीतिक गलती की थी। पीएम ने सवाल किया कि पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) आज तक क्यों नहीं वापस लिया गया और इसका जिम्मेदार कौन है?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश का विभाजन और पीओके की मौजूदा स्थिति नेहरू सरकार की नीतियों का परिणाम हैं। उन्होंने कहा, “1948 में जब भारतीय सेना कश्मीर में निर्णायक स्थिति में थी, तब नेहरू ने बिना किसी सलाह के युद्धविराम की घोषणा कर दी। सरदार पटेल इसके खिलाफ थे, लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई।”
नीतीश सरकार पर हमले के दो दिन बाद चिराग ने फिर जताया समर्थन
नई दिल्ली। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री और लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने स्पष्ट किया कि आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के बाद नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। यह बयान उन्होंने उस टिप्पणी के दो दिन बाद दिया है, जिसमें उन्होंने नीतीश सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए अफसोस जताया था कि सरकार ने अपराधियों के सामने घुटने टेक दिए हैं।
एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बात करते हुए चिराग पासवान ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर प्रधानमंत्री मोदी और सेना दोनों को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि एनडीए एक मजबूत और विजयी गठबंधन है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही बिहार चुनाव लड़े जाएंगे।
अपने बयान में पासवान ने दोहराया, “मेरी प्रतिबद्धता और निष्ठा प्रधानमंत्री मोदी के प्रति है। बिहार की जनता एक बार फिर एनडीए को समर्थन देगी और चुनाव परिणामों के बाद नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनेंगे।”
वहीं मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया पहले भी चार बार हो चुकी है और केवल तकनीकी बदलाव के साथ इसे डिजिटल रूप दिया गया है, बाकी सब वैसा ही है।
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष से वापसी और चंद्रयान-3 की सफलता से देश में बढ़ी वैज्ञानिक चेतना- पीएम मोदी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ के 124वें एपिसोड में देशवासियों से संवाद करते हुए विज्ञान, खेल, संस्कृति और स्वाभिमान की मिसालों को साझा किया। उन्होंने युवाओं की उपलब्धियों, ऐतिहासिक धरोहरों की अहमियत और टेक्सटाइल सेक्टर की ताकत पर प्रकाश डालते हुए आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढ़ते कदमों को सराहा।
1. विज्ञान और अंतरिक्ष में भारत का परचम:
प्रधानमंत्री ने शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष से वापसी और चंद्रयान-3 की सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि इससे देश में वैज्ञानिक चेतना बढ़ी है। बच्चों के लिए ‘इंस्पायर मानक’ जैसे अभियानों ने इनोवेशन को नई उड़ान दी है।
2. ओलंपियाड्स में भारतीय प्रतिभाओं की चमक:
इंटरनेशनल केमिस्ट्री और मैथ ओलंपियाड में भारतीय छात्रों की शानदार जीत का उल्लेख करते हुए पीएम ने युवाओं की वैज्ञानिक क्षमता को सराहा। आने वाले एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोफिजिक्स ओलंपियाड को भारत के लिए बड़ी उपलब्धि बताया।
3. ऐतिहासिक किले: संस्कृति और स्वाभिमान के प्रतीक:
पीएम मोदी ने यूनेस्को द्वारा मराठा किलों को वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा मिलने पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने भारत के अन्य किलों का भी उल्लेख किया जो इतिहास, वीरता और स्वाभिमान के प्रतीक हैं।
4. टेक्सटाइल सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी:
प्रधानमंत्री ने पैठणी और संथाली साड़ियों का उदाहरण देकर कहा कि भारत का हैंडलूम सेक्टर सिर्फ कारोबार नहीं, सांस्कृतिक विरासत की पहचान है। आज 3000 से अधिक टेक्सटाइल स्टार्टअप देश को वैश्विक पहचान दिला रहे हैं।
5. लोक संस्कृति से पर्यावरण जागरूकता:
ओडिशा के क्योंझर जिले में भजन मंडलियों द्वारा जंगल की आग पर चेतना फैलाने के प्रयासों की सराहना की गई। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी परंपराएं आज भी समाज को दिशा देने की ताकत रखती हैं।
6. पांडुलिपियों को डिजिटल बनाना जरूरी:
तमिलनाडु के मणि मारन के प्रयासों का जिक्र करते हुए पीएम ने भारतीय ज्ञान परंपरा को सहेजने के लिए पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण पर जोर दिया।
7. मछलीपालन और काजीरंगा में पक्षी गणना की सराहना:
प्रधानमंत्री मत्स्य योजना और असम के काजीरंगा में पक्षियों की नई प्रजातियों की खोज को विकास की दिशा में महत्वपूर्ण बताया।
8. खेलों और स्वच्छता आंदोलन में भारत की छलांग:
वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स में भारत के 600 मेडल और स्वच्छ भारत मिशन की सफलता का उल्लेख करते हुए पीएम ने इसे जन आंदोलन बताया।
9. स्वतंत्रता संग्राम और पर्वों की भावना:
खुदीराम बोस जैसे वीरों के बलिदान, भारत छोड़ो आंदोलन और विभाजन विभीषिका दिवस की याद दिलाते हुए पीएम ने अगस्त को ‘क्रांति का महीना’ कहा। साथ ही सावन और रक्षाबंधन जैसे त्योहारों की शुभकामनाएं भी दीं।
नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) ने शुक्रवार को विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन से औपचारिक रूप से अलग होने का ऐलान कर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। पार्टी ने स्पष्ट किया कि वह अब इस गठबंधन का हिस्सा नहीं है और कांग्रेस की भूमिका पर सीधा सवाल खड़ा किया है।
AAP दिल्ली अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने बयान में कहा, “हमारा सभी विपक्षी दलों से समन्वय है, चाहे वह तृणमूल कांग्रेस हो या समाजवादी पार्टी। लेकिन हम अब कांग्रेस के नेतृत्व वाले INDIA गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं।” उन्होंने हेमंत सोरेन और एमके स्टालिन की पार्टियों के साथ अच्छे संबंधों का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर नेतृत्व को लेकर निशाना साधा।
AAP की इस घोषणा पर कांग्रेस ने भी तीखा पलटवार किया है। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने AAP की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कहा, “हमने पहले ही संदेह जताया था कि AAP की नीयत गठबंधन को लेकर स्पष्ट नहीं है। वे केवल राजनीतिक सुविधा के लिए INDIA गठबंधन में शामिल हुए थे। उनका असली मकसद सत्ता भोगना है और वे वही करते हैं जो भाजपा चाहती है।”
संदीप दीक्षित ने AAP पर ‘लक्ष्मी जी की सेवा’ करने और नैतिक राजनीति से भटकने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी विपक्ष की एकजुटता के बजाय सिर्फ व्यक्तिगत और राजनीतिक लाभ के लिए काम कर रही है।
AAP और कांग्रेस के बीच लंबे समय से चला आ रहा तनाव अब खुलकर सामने आ गया है, जिससे आगामी चुनावी समीकरणों पर भी असर पड़ सकता है।
असम-बंगाल के बीच घुसपैठ और भाषा को लेकर सियासी घमासान
गुवाहाटी। असम और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों के बीच सियासी टकराव एक बार फिर गर्मा गया है। इस बार टकराव की वजह बना है घुसपैठ, भाषायी पहचान और एनआरसी जैसे मुद्दों पर बढ़ता तनाव।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने शनिवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि असम की लड़ाई अपने ही लोगों से नहीं, बल्कि सीमा पार से हो रही घुसपैठ के खिलाफ है, जिसने राज्य के जनसंख्या संतुलन को बिगाड़ दिया है। उन्होंने दावा किया कि कई जिलों में हिंदू अब अल्पसंख्यक बनते जा रहे हैं।
सीएम सरमा ने लिखा, “यह कोई राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि कड़वी सच्चाई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे बाहरी आक्रमण करार दिया है। जब हम अपनी संस्कृति और पहचान की रक्षा करने की कोशिश करते हैं, तब कुछ लोग इसे राजनीति का रंग देने लगते हैं।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि असम सभी भाषाओं और समुदायों का सम्मान करता है, लेकिन सीमाओं और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करना राज्य की जिम्मेदारी है।
इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘बांग्ला भारत की दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है और असम में भी इसका बड़ा स्थान है। लेकिन भाजपा असम में बंगाली भाषियों को निशाना बना रही है। यह पूरी तरह से असंवैधानिक और विभाजनकारी है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार असम में बांग्लाभाषियों को डराने-धमकाने की कोशिश कर रही है, उनकी भाषा और पहचान को खत्म कर रही है। सीएम ममता ने कहा कि वह हर उस नागरिक के साथ हैं जो अपनी भाषा, संस्कृति और लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लड़ रहा है।
विवाद की जड़ में क्या है?
इस ताजा विवाद की शुरुआत तब हुई जब तृणमूल कांग्रेस से जुड़ी ट्रेड यूनियन INTTUC ने सिलीगुड़ी में एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन किया। उनका आरोप था कि भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषियों को “माइग्रेंट” बताकर परेशान किया जा रहा है। ममता बनर्जी ने संकेत दिया है कि यह मुद्दा जल्द ही बंगाल विधानसभा में गूंज सकता है।
वहीं असम सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि वह घुसपैठ के खिलाफ संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों के तहत कार्रवाई करती रहेगी।
लोकसभा के बाद विधानसभा में भी बिखरी एमवीए, उद्धव ने बताई अंदरूनी खामियां
मुंबई— महाराष्ट्र में आगामी नगर निकाय चुनाव से पहले महाविकास अघाड़ी (MVA) के भीतर मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गठबंधन की आंतरिक खींचतान और हालिया विधानसभा चुनावों में मिली हार को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे ही हालात बने रहे तो “साथ रहने का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा।”
गठबंधन की एकता पर उठे सवाल
ठाकरे ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में सीटों के बंटवारे और उम्मीदवार चयन में हुई देरी को एमवीए की सबसे बड़ी कमजोरी बताया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन मिलने के बावजूद गठबंधन दलों ने आपसी समन्वय पर ध्यान नहीं दिया और चुनाव में दलगत हितों की होड़ ने जनता को भ्रमित किया।
“ऐसे ही चले तो जनता भरोसा खो देगी” – उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट कहा कि अगर आगे भी यही रवैया जारी रहा तो जनता का भरोसा टूट जाएगा। उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान शिवसेना (यूबीटी) को कुछ ऐसी सीटें छोड़नी पड़ीं, जहां उसका मजबूत जनाधार था। “सीटों के चयन में हुई खींचतान और उम्मीदवारों को लेकर बनी असहमति ने संगठन की कमजोरी उजागर की,” ठाकरे ने जोड़ा।
“अपनी गलतियां भी माननी होंगी”
ठाकरे ने कहा कि गठबंधन सिर्फ चुनाव आयोग या ईवीएम पर दोष डालकर बच नहीं सकता। उन्होंने ‘लड़की बहन योजना’ जैसे घोषणापत्री वादों को भी हार का कारण बताया और कहा कि इससे मतदाता भ्रमित हुआ। उन्होंने कहा, “हमें आत्ममंथन करना होगा और अपनी गलतियां स्वीकारनी होंगी।”
चुनाव नतीजों की हकीकत
2024 लोकसभा चुनाव में एमवीए ने महाराष्ट्र की 48 में से 30 सीटें जीती थीं, लेकिन विधानसभा चुनाव में बीजेपी, शिंदे गुट और अजित पवार गुट वाली महायुति ने भारी बहुमत हासिल किया। बीजेपी को 132, शिंदे की शिवसेना को 57 और एनसीपी (अजित पवार) को 41 सीटें मिलीं। दूसरी ओर, एमवीए को सिर्फ 46 सीटें ही मिल पाईं — जिसमें ठाकरे गुट को 20, शरद पवार को 16 और कांग्रेस को 10 सीटें मिलीं।