शहरी हाउसिंग सिस्टम को लेकर सरकार की नीतियों पर उठाए सवाल
नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने देश में घरों की लगातार बढ़ती कीमतों पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि अब गरीबों से सिर्फ संसाधन ही नहीं, बल्कि अपने सपने देखने का अधिकार भी छीना जा रहा है। राहुल गांधी ने कहा कि जब देश के सबसे अमीर 5% लोग भी मुंबई में घर खरीदने के लिए सौ साल से ज्यादा की बचत नहीं कर पा रहे, तो गरीबों की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि यह आर्थिक विकास आखिर किसके लिए हो रहा है?
राहुल गांधी ने अपने व्हाट्सएप चैनल पर एक मीडिया रिपोर्ट साझा करते हुए लिखा कि महाराष्ट्र जैसे राज्य में घर खरीदना आम लोगों के लिए असंभव होता जा रहा है। रिपोर्ट के हवाले से उन्होंने दावा किया कि मुंबई जैसे शहरों में देश के शीर्ष 5 प्रतिशत अमीर शहरी परिवारों को भी घर खरीदने के लिए अपनी आय का 30 प्रतिशत लगातार 109 वर्षों तक बचाना होगा।
उन्होंने कहा, “अगर सबसे अमीर भी 109 साल में घर नहीं खरीद सकते, तो गरीबों से उनके सपनों का अधिकार ही छीन लिया गया है। ये सिर्फ आकड़े नहीं, एक असहनीय सच्चाई हैं।”
राहुल ने कहा कि ज्यादातर मध्यमवर्गीय और गरीब परिवारों को विरासत में संपत्ति नहीं, जिम्मेदारियां मिलती हैं—बच्चों की शिक्षा, इलाज, माता-पिता की देखभाल और सिर पर एक छत की चिंता। उन्होंने कहा कि आज भी करोड़ों भारतीयों के दिलों में “एक दिन अपना घर होगा” का सपना ज़िंदा है, लेकिन जब वह सपना वास्तविकता से 109 साल दूर हो, तो यह न सिर्फ निराशाजनक है, बल्कि अन्यायपूर्ण भी।
राहुल गांधी ने तंज कसते हुए कहा, “जब अगली बार कोई आपसे जीडीपी की बात करे, तो उसे अपने घरेलू बजट की हकीकत दिखाएं—तभी पूछ पाएंगे कि ये अर्थव्यवस्था किसके लिए फल-फूल रही है।”
चुनाव आयोग से पारदर्शिता की मांग, कांग्रेस ने भेजा विस्तृत पत्र
नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर चुनाव आयोग से पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की है। पार्टी ने आयोग को भेजे गए पत्र में मतदाता सूची की डिजिटल और मशीन-पठनीय प्रति तथा मतदान दिवस की वीडियो रिकॉर्डिंग साझा करने की अपील की है। यह मांग कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवालों के आधार पर की गई है, जिससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर जनता का भरोसा बहाल किया जा सके।
कांग्रेस ने पत्र में स्पष्ट किया है कि महाराष्ट्र और हरियाणा की वोटर लिस्ट की डिजिटल कॉपी एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराई जाए। साथ ही, मतदान के दिन की पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग भी सार्वजनिक की जाए। पार्टी का कहना है कि ये मांगें कोई नई नहीं हैं, बल्कि लंबे समय से इन पर जोर दिया जा रहा है। इससे न केवल राजनीतिक दलों को विश्वास मिलेगा बल्कि आम जनता का भरोसा भी कायम रहेगा।
कांग्रेस ने यह भी संकेत दिए हैं कि जैसे ही आयोग इन बिंदुओं पर कार्यवाही करता है, पार्टी का शीर्ष नेतृत्व आयोग से औपचारिक बैठक के लिए तैयार है। इस बैठक में पार्टी चुनावी प्रक्रिया में पाए गए कथित अनियमितताओं से जुड़े आंकड़े और विश्लेषण आयोग के समक्ष रखेगी।
गौरतलब है कि हालिया चुनावों में कांग्रेस ने बार-बार आरोप लगाए हैं कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ियाँ, वोटिंग के दौरान पारदर्शिता की कमी और प्रशासनिक लापरवाही देखने को मिली। अब पार्टी ने इन मुद्दों को औपचारिक रूप से उठाते हुए चुनाव आयोग से खुली बातचीत का रास्ता अपनाया है।
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस-भाजपा आमने-सामने
नई दिल्ली। देश में आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी का आरोप है कि बीते 11 वर्षों से भारत एक ‘अघोषित आपातकाल’ से गुजर रहा है, जिसमें लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों पर व्यवस्थित और खतरनाक तरीके से हमले किए जा रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बयान में कहा कि, “सरकार के आलोचकों को निशाना बनाया जा रहा है। देश में नफरत और कट्टरता को बढ़ावा मिल रहा है। किसानों को खालिस्तानी बताया जा रहा है, जातिगत जनगणना की मांग करने वालों को शहरी नक्सली कहा जा रहा है।”
उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय डर के माहौल में जी रहा है, जबकि दलितों और अन्य वंचित वर्गों को निशाना बनाया जा रहा है। रमेश ने आरोप लगाया कि नफरती भाषण देने वाले मंत्रियों को इनाम मिल रहे हैं, और महात्मा गांधी के हत्यारों का महिमामंडन किया जा रहा है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज
यह बयान उस समय आया है जब केंद्र सरकार ‘संविधान हत्या दिवस’ मना रही है। भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने पलटवार करते हुए कहा कि “कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से आपातकाल के लिए माफी नहीं मांगी। गांधी-वाड्रा परिवार को देश से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि उन्होंने 1975 में लोकतंत्र और संविधान की हत्या की।”
विपक्ष के सुर में सुर
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने इंदिरा गांधी के फैसले को संवैधानिक करार देते हुए कहा, “आपातकाल लोकतंत्र के भीतर लिया गया संवैधानिक निर्णय था। इंदिरा गांधी लोकतंत्र की रक्षक थीं।”
वहीं, सपा नेता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि वर्तमान समय की स्थिति 1975 के आपातकाल जैसी ही है। “प्रेस पर दबाव है, सरकार विरोधी आवाजें दबाई जा रही हैं और लोकतांत्रिक मूल्यों की अनदेखी हो रही है।”
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर पीएम मोदी का कांग्रेस पर बड़ा हमला
आपातकाल के खिलाफ लड़ने वालों को पीएम मोदी ने किया नमन
नई दिल्ली। आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को लोकतंत्र के महत्व की याद दिलाई और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने 25 जून 1975 को लागू हुए आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय बताते हुए कहा कि यह वो समय था जब सत्ता में बैठी कांग्रेस सरकार ने संविधान और संस्थाओं का दमन किया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आजादी के बाद भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में 25 जून 1975 सबसे दुखद दिन के रूप में याद किया जाता है। उस दिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने आपातकाल लागू कर संविधान की मूल आत्मा को कुचलने की कोशिश की थी। संसद की आवाज को दबाया गया, मीडिया पर सेंसरशिप लगाई गई और न्यायपालिका को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि 42वां संविधान संशोधन उस दमनकारी सोच का सबसे बड़ा उदाहरण है।
पीएम मोदी ने कहा कि आपातकाल के दौरान गरीबों, वंचितों, दलितों और अल्पसंख्यकों को सबसे ज्यादा उत्पीड़न झेलना पड़ा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए देशभर से लोग एकजुट हुए और कांग्रेस सरकार को चुनाव कराने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसमें उन्हें करारी हार मिली।
प्रधानमंत्री ने उन सभी लोकतंत्र सेनानियों को नमन किया जिन्होंने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया और देश के लोकतांत्रिक ढांचे को बचाने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि वे हर क्षेत्र, हर विचारधारा से थे लेकिन उनका मकसद एक था — लोकतंत्र की बहाली।
मोदी ने बताया कि उस समय वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक युवा प्रचारक थे और आपातकाल के खिलाफ आंदोलन में सक्रिय रूप से जुड़े थे। इस अनुभव ने उन्हें लोकतंत्र के मूल्य और नागरिक स्वतंत्रता की अहमियत सिखाई। उन्होंने बताया कि ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक द इमरजेंसी डायरीज में उनकी यात्रा को दर्ज किया गया है, जिसकी प्रस्तावना पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा ने लिखी है।
प्रधानमंत्री ने नागरिकों से आग्रह किया कि अगर उनके या उनके परिवारों के पास आपातकाल से जुड़े अनुभव हैं, तो वे उन्हें सोशल मीडिया पर साझा करें, ताकि युवाओं को उस दौर की भयावहता के बारे में जागरूक किया जा सके।
अंत में उन्होंने कहा कि आज की सरकार संविधान की भावना को सशक्त बनाने, लोकतंत्र को मजबूत करने और गरीबों-वंचितों के सपनों को साकार करने के लिए लगातार प्रयासरत है।
सरकार ने हाई कोर्ट को बताया- अब नहीं लाएंगे अंधविश्वास विरोधी विधेयक
हाई कोर्ट का सवाल– बिना कानून के कुप्रथाओं पर कैसे लगेगी रोक?
केरल। केरल सरकार ने हाई कोर्ट को सूचित किया है कि वह राज्य में काला जादू, तंत्र-मंत्र और अमानवीय प्रथाओं पर रोक लगाने वाला कानून अब नहीं लाएगी। सरकार ने इसे नीति से जुड़ा निर्णय बताया है, जो मंत्रिमंडल स्तर पर लिया गया। इस फैसले के बाद अदालत ने राज्य सरकार से सवाल किया है कि ऐसी कुप्रथाओं को रोकने के लिए अब कौन से वैकल्पिक कदम उठाए जाएंगे।
केरल की वामपंथी सरकार ने केरल हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि वह काला जादू, अंधविश्वास और तांत्रिक गतिविधियों पर रोक लगाने वाला कोई नया कानून लाने के पक्ष में नहीं है। सरकार ने बताया कि पहले ‘केरल अमानवीय कुप्रथाओं, जादू-टोना और काला जादू निवारण एवं उन्मूलन विधेयक, 2022’ का मसौदा तैयार किया गया था, जो राज्य विधि सुधार आयोग की सिफारिशों पर आधारित था। लेकिन 5 जुलाई 2023 को कैबिनेट की बैठक में यह तय किया गया कि इस प्रस्तावित कानून को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि अदालत किसी भी विषय पर कानून बनाने का आदेश नहीं दे सकती, क्योंकि यह विधायिका का विशेषाधिकार है।
हाई कोर्ट की प्रतिक्रिया:
मुख्य न्यायाधीश नितिन जामदार की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि यदि कानून नहीं बनाया जा रहा है, तो फिर तांत्रिक गतिविधियों और अंधविश्वासों को रोकने के लिए क्या वैकल्पिक उपाय किए जा रहे हैं। कोर्ट ने यह भी याद दिलाया कि पूर्व न्यायमूर्ति के टी थॉमस आयोग ने इस विषय पर ठोस कानून बनाने की सिफारिश की थी, जिस पर अब तक अमल नहीं हुआ है। अब कोर्ट ने सरकार से तीन हफ्तों में विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा है।
याचिका का मूल मामला:
यह मामला ‘केरल युक्तिवादी संघम’ द्वारा दायर जनहित याचिका के माध्यम से सामने आया है। याचिका में महाराष्ट्र और कर्नाटक की तरह केरल में भी काला जादू विरोधी कानून बनाने की मांग की गई है। याचिका में 2022 में पथानामथिट्टा जिले में दो महिलाओं की तांत्रिक बलि की घटना का हवाला देते हुए सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाया गया है।
मीडिया कंटेंट पर भी सवाल:
याचिका में यह भी मांग की गई है कि फिल्मों, ओटीटी, टीवी सीरियलों और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों पर रोक लगाई जाए। हालांकि, रचनात्मक और जागरूकता फैलाने वाले कंटेंट को इससे बाहर रखा जाए।
प्रधानमंत्री ने कहा, जो भी भारतीयों का खून बहाएगा, उसके लिए दुनिया में कोई सुरक्षित पनाहगाह नहीं बचेगा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को श्री नारायण गुरु और महात्मा गांधी के बीच ऐतिहासिक संवाद की शताब्दी समारोह का उद्घाटन करते हुए इसे भारत के आध्यात्मिक इतिहास का प्रेरक क्षण बताया। इस दौरान उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता का उल्लेख करते हुए भारत की सैन्य क्षमता और आतंकवाद के प्रति सख्त नीति पर जोर दिया।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत अब निर्णायक और आत्मविश्वासी राष्ट्र बन चुका है। उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उदाहरण देते हुए कहा कि हाल ही में भारत ने मात्र 22 मिनट में आतंकवादियों को करारा जवाब दिया और पूरी दुनिया ने देखा कि आज का भारत क्या कर सकता है। यह ऑपरेशन भारत की स्पष्ट नीति का प्रतीक है — जो भी भारतीयों का खून बहाएगा, उसके लिए दुनिया में कोई सुरक्षित पनाहगाह नहीं बचेगा।
समारोह के मुख्य विषय पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 100 वर्ष पहले हुई महात्मा गांधी और श्री नारायण गुरु की ऐतिहासिक भेंट ने स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी थी। आज भी यह मुलाकात सामाजिक समरसता और राष्ट्र निर्माण के लिए ऊर्जा का स्रोत है।
उन्होंने आगे कहा कि श्री नारायण गुरु जैसे संतों ने भारतीय समाज को दिशा देने का कार्य किया है। वे शोषित, वंचित और पीड़ित वर्ग के उत्थान के प्रतीक हैं और उनके आदर्श आज भी सामाजिक नीतियों की प्रेरणा हैं।
मोदी ने यह भी बताया कि भारत अब ‘वन अर्थ, वन हेल्थ’ और ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ जैसे वैश्विक विचारों का नेतृत्व कर रहा है। G20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने “वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर” का मंत्र दिया, जो वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से प्रेरित है।
ई-पासपोर्ट से बदलेगा सफर का तरीका, मिलेगी तेज और सुरक्षित सेवा
नई दिल्ली। 13वें पासपोर्ट सेवा दिवस के अवसर पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत और विदेशों में कार्यरत पासपोर्ट अधिकारियों के प्रयासों की सराहना की। इस मौके पर उन्होंने पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम के उन्नत संस्करण PSP V2.0 और ई-पासपोर्ट सेवा की राष्ट्रव्यापी शुरुआत की घोषणा की।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को 13वें पासपोर्ट सेवा दिवस पर एक अहम घोषणा करते हुए कहा कि भारत की पासपोर्ट सेवा प्रणाली अब तकनीक के नए युग में प्रवेश कर रही है। उन्होंने ‘सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण’ को पासपोर्ट सुधारों का आधार बताते हुए PSP 2.0 और ई-पासपोर्ट को नागरिकों की सशक्तिकरण यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव करार दिया।
जयशंकर ने बताया कि 2014 में जहां 91 लाख पासपोर्ट जारी हुए थे, वहीं 2024 में यह संख्या 1.46 करोड़ तक पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम 2.0 को अब पूरे देश में लागू कर दिया गया है, जो पारदर्शिता और दक्षता को और मजबूत बनाएगा।
ई-पासपोर्ट सेवा की शुरुआत को उन्होंने ‘डिजिटल इंडिया’ के तहत एक बड़ी उपलब्धि बताया। यह चिप आधारित तकनीक न केवल यात्रा को सरल बनाएगी, बल्कि आव्रजन प्रक्रिया को भी तेज करेगी।
विदेश मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि अब तक 450 पासपोर्ट सेवा केंद्र खोले जा चुके हैं, जिनमें सबसे हालिया केंद्र कुशीनगर में अप्रैल 2025 में शुरू हुआ। उन्होंने पुलिस वेरिफिकेशन को तेज़ करने वाले एमपासपोर्ट ऐप और मोबाइल वैन सेवा के विस्तार का भी उल्लेख किया, जिससे दूरदराज के नागरिकों को भी यह सुविधा मिल रही है।
चांडिल डैम से छोड़े गए पानी ने चार ब्लॉकों में मचाई तबाही, 50,000 से ज्यादा लोग प्रभावित
नावों की मदद से सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाए जा रहे लोग
बालासोर। ओडिशा के बालासोर जिले में अचानक आई बाढ़ ने जनजीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है। झारखंड स्थित चांडिल डैम से बिना पूर्व सूचना के छोड़े गए पानी के चलते बालियापाल, भोगराई, बस्ता और जलेश्वर ब्लॉकों में व्यापक जलभराव हो गया है। अब तक 50 से अधिक गांव जलमग्न हो चुके हैं और 50,000 से ज्यादा लोग बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। शनिवार को तेज बहाव में एक युवक बह गया, जिसकी तलाश में बचाव टीमें जुटी हैं।
नदी के जलस्तर में गिरावट, पर संकट बरकरार
रविवार को सुवर्णरेखा नदी के जलस्तर में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई है। सुबह 10 बजे राजघाट पर जलस्तर 9.94 मीटर था, जो खतरे के निशान (10.36 मीटर) से थोड़ा नीचे है। हालांकि शनिवार को जलस्तर 11 मीटर पार कर गया था, जिससे खेतों में पानी भर गया और सड़क संपर्क पूरी तरह टूट गया।
राजनीतिक आरोप और प्रशासनिक तैयारी
बालासोर के सांसद प्रताप सारंगी ने झारखंड प्रशासन पर बिना अलर्ट के डैम से पानी छोड़ने का आरोप लगाया और इसे गंभीर लापरवाही बताया। उन्होंने कहा कि यह अचानक आई बाढ़ हजारों लोगों के लिए संकट बन गई। सड़कें डूब जाने के कारण नावों से राहत और बचाव कार्य किए जा रहे हैं।
राहत व बचाव कार्य जारी
राज्य सरकार ने राहत कार्यों में तेजी लाते हुए दमकल विभाग की 5, ODRAF की 3 और NDRF की 1 टीम को प्रभावित क्षेत्रों में तैनात किया है। नावों के जरिए लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा रहा है। कई ग्रामीण बांधों पर अस्थायी आश्रयों में रह रहे हैं।
स्वास्थ्य सेवाएं और प्रशासन की सतर्कता
प्रशासन ने स्वास्थ्य केंद्रों को सक्रिय कर प्राथमिक चिकित्सा, ORS और हायलीन टैबलेट की व्यवस्था की है। भोगराई, दहमुंडा, घंटुआ और जमकुंडा जैसे क्षेत्रों के दर्जनों गांवों में दवाएं और आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई गई हैं।
स्थिति सामान्य होने में लगेंगे कुछ दिन
हालात नियंत्रण में बताए जा रहे हैं, लेकिन प्रशासन का मानना है कि पूरी तरह सामान्य स्थिति बनने में 4 से 5 दिन लग सकते हैं। राहत सामग्री का वितरण जारी है और लोगों से प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील की गई है।
सेना प्रमुख मुनीर और ट्रंप की मुलाकात पर भी उठाए गंभीर सवाल
नई दिल्ली। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर किए गए हमले के बहाने पाकिस्तान और डोनाल्ड ट्रंप पर तीखा हमला बोला है। ओवैसी ने सवाल उठाया कि क्या ऐसे ही आक्रामक कदमों के लिए पाकिस्तान ने डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने की बात की थी? उन्होंने इस्राइल-ईरान संघर्ष में अमेरिका की सैन्य कार्रवाई को लेकर भी चिंता जताई।
ईरानी ठिकानों पर अमेरिकी हमले:
बताया गया है कि अमेरिका ने बी-2 स्टील्थ बॉम्बर से 30,000 पाउंड वजनी बंकर बस्टर बमों का उपयोग करते हुए ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फाहान स्थित परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया। यह कदम उस वक्त सामने आया, जब इस्राइल के हमलों के बावजूद ईरान के भूमिगत परमाणु ठिकानों को खास नुकसान नहीं पहुंचा था।
ओवैसी ने पाकिस्तान की भूमिका पर उठाए सवाल:
ओवैसी ने कहा कि पाकिस्तान ने जिस व्यक्ति (डोनाल्ड ट्रंप) को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने की बात की है, वह अब ईरान जैसे देश के खिलाफ युद्ध जैसी कार्रवाई करवा रहा है। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या इसी उद्देश्य से पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर को अमेरिका में ट्रंप के साथ लंच पर आमंत्रित किया गया था?
डोनाल्ड ट्रंप को नामित करने की पृष्ठभूमि:
गौरतलब है कि पाकिस्तान 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए डोनाल्ड ट्रंप का नाम प्रस्तावित करने की तैयारी में है। पाकिस्तानी दावे के मुताबिक, ट्रंप की मध्यस्थता ने भारत-पाक संघर्ष के दौरान बड़े युद्ध को टालने में भूमिका निभाई थी। हालांकि, भारत ने इस दावे को कई बार खारिज किया है और कहा है कि संघर्षविराम भारत की सैन्य कार्रवाई के दबाव में आया था।
शैक्षणिक भारत दर्शन के लिए विद्यार्थियों का पहला दल रवाना, उच्च शिक्षा सचिव ने हरी झंडी दिखाई..
उत्तराखंड: उच्च शिक्षा सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने दून विश्वविद्यालय में विद्यार्थी शैक्षिक भारत दर्शन योजना के पहले दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। 120 छात्रों के इस दल में से कुछ छात्र भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, मोहाली तथा कुछ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली जाएंगे।
उच्च शिक्षा सचिव का कहना हैं कि विद्यार्थी शिक्षक भारत दर्शन योजना छात्रों को कुछ नया सीखने और करने के लिए प्रेरित करेगी। उन्होंने छात्रों से इन संस्थानों से अधिक से अधिक सीखने और राज्य में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रयास करने पर जोर दिया। दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल का कहना हैं कि राज्य सरकार के अभिनव प्रयासों से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नया विश्वास पैदा हुआ है।
बताया गया कि छात्रों का दल 21 मार्च तक भ्रमण पर रहेगा। कार्यक्रम में रूसा सलाहकार प्रो. केडी पुरोहित, प्रो. एमएसएम रावत, संयुक्त निदेशक प्रो. एएस उनियाल, उप निदेशक एवं नोडल अधिकारी डॉ. ममता नैथानी, सहायक निदेशक डॉ. दीपक कुमार पांडे, प्राचार्य डॉ. विनोद अग्रवाल, डीपी भट्ट, डीएन तिवारी, प्रो. कुलदीप सिंह आदि मौजूद रहे। शिक्षा मंत्री डा.धन सिंह रावत का कहना हैं कि छात्र राज्य के ब्रांड एंबेसडर हैं। सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को प्रभावी रूप से लागू करने की दिशा में लगातार सकारात्मक प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा विद्यार्थी शैक्षिक भ्रमण योजना इसी प्रयास की एक कड़ी है।