हरीश चौधरी बने कांग्रेस के पंजाब प्रभारी..
उत्तराखंड: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब प्रभारी के पद से मुक्त कर दिया है। अब हरीश चौधरी को पंजाब और चंडीगढ़ का प्रभारी बनाया गया है। दो दिन पहले ही हरीश रावत ने राहुल और सोनिया गांधी से पंजाब प्रभारी के पद से मुक्त करने की अपील की थी। पार्टी ने रावत की बात मान ली है। हरीश रावत ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में अपनी व्यस्तता को लेकर यह अपील की थी। अब पंजाब में हरीश रावत की जिम्मेदारी हरीश चौधरी संभालेंगे।
सिद्धू के इस्तीफे को चौधरी ने किया था मैनेज..
हरीश चौधरी ने नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे को मैनेज करने में अहम भूमिका निभाई थी। आपको बता दे कि सिद्धू इकबाल प्रीत सिंह को डीजीपी और एपीएस देओल को महाधिवक्ता बनाने से नाराज थे। यह नाराजगी इतनी बढ़ी कि सिद्धू ने अचानक इस्तीफा देकर कांग्रेस हाईकमान को सकते में डाल दिया लेकिन हरीश चौधरी ने पूरे मामले को बेहतरीन ढंग से मैनेज किया।
राजस्थान से सटी सीटों पर फायदा मिलने की उम्मीद..
आपको बता दे कि हरीश चौधरी राजस्थान सरकार में राजस्व मंत्री है। कांग्रेस को उम्मीद है कि पंजाब कांग्रेस प्रभारी बनाने के बाद राजस्थान की सीमा से सटी पंजाब की विधानसभा सीटों पर पार्टी को इसका फायदा मिलेगा। कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू मामले में भी पार्टी ने हरीश चौधरी को पर्यवेक्षक बना कर पंजाब भेजा था।
हरीश चौधरी को पंजाब का प्रभारी तो बना दिया गया लेकिन उनके सामने चुनौती भी कम नहीं हैं। पार्टी में उपजे असंतोष को खत्म करना ही सबसे बड़ी चुनौती है। पार्टी में कई नेता नाराज हैं तो वहीं सिद्धू की तल्खी भी कम नहीं है। कैप्टन अमरिंदर सिंह के बाद सिद्धू की नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से भी नहीं बन रही।
नए नाम से जाना जाएगा फेसबुक, मार्क जुकरबर्ग जल्द करेंगे एलान..
देश-विदेश: पिछले 17 सालों से फेसबुक एक ही नाम से जाना जाता रहा है, लेकिन अब इसकी री-ब्रांडिंग की तैयारी चल रही है। बताया जा रहा है कि फेसबुक का नाम बदलने वाला है और इसका आधिकारिक एलान जल्द ही फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग करने वाले हैं। अगले सप्ताह फेसबुक के एक इवेंट में नए नाम का एलान हो सकता है।
जानकारी के अनुसार 28 अक्तूबर को फेसबुक का एक कॉन्फ्रेंस होने वाला है जिसमें मार्क जुकरबर्ग फेसबुक के नए नाम का एलान कर सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि फेसबुक एप के अलावा कंपनी के अन्य प्रोडक्ट जैसे इंस्टाग्राम, व्हाट्सप्प, ओक्युलस आदि के नाम को लेकर भी बड़े एलान हो सकते हैं, हालांकि इस रिपोर्ट पर फेसबुक की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है।
आपको बता दे कि इस सप्ताह की शुरुआत में ही फेसबुक ने कहा था कि वह अब मेटावर्स कंपनी बनने जा रही है जिसके लिए उसने 10 हजार लोगों को नियुक्ति की है और भविष्य में अन्य नियुक्तियां भी होंगी। मेटावर्स का मतलब एक आभासी दुनिया से है जिसमें लोग फिजिकली मौजूद ना होते हुए भी मौजूद रहेंगे। मेटावर्स शब्द वर्चुअल रियलिटी और ऑग्युमेंट रियलिटी जैसा ही है।
मेटावर्स में केवल फेसबुक ही नहीं, बल्कि दुनिया की बड़ी टेक कंपनियां निवेश कर रही हैं। मार्क जुकरबर्ग का मानना है कि आने वाले समय में लोग फेसबुक को सिर्फ एक सोशल मीडिया कंपनी नहीं, बल्कि एक मेटावर्स कंपनी के रूप में जानें। फेसबुक अपने वास्तविक और वर्चुअल दुनिया के अनुभवों के निर्माण के लिए पांच वर्षों में बड़े पैमाने पर भर्ती करेगा। इस भर्ती अभियान में फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, इटली, नीदरलैंड, पोलैंड और स्पेन सहित अन्य देशों में लोगों को काम पर रखा जाएगा।
इमरान खान को झटका देने की तैयारी में बाजवा..
देश-विदेश: पाकिस्तान में आइएसआइ प्रमुख की नियुक्ति को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मामले पर सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और प्रधानमंत्री इमरान खान आमने-सामने आ गए हैं। अब नई जानकारी यह सामने आ रही है कि सेना प्रमुख बाजवा ने पीएम इमरान को सूचित किए बिना सोमवार को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के मुख्यालय का दौरा किया।
इस दौरान उन्होंने आइएसआइ प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद के साथ गुप्त बैठक की है। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में आंतरिक सुरक्षा और अफगानिस्तान में चल रही स्थिति पर चर्चा हुई है, हालांकि पूरी बात निकलकर अब तक सामने नहीं आई है। वहीं इस बैठक के बाद यह माना जा रहा है कि कहीं बाजवा कोई नई चाल तो नहीं चल रहे।
बताया तो यह जा रहा है कि बाजवा के इस कदम से इमरान की कुर्सी कहीं खतरे में न पड़ जाए। कई राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर सेना और आईएसआई एक साथ हो जाए तो फिर यहां की सरकार के लिए संकट की घड़ी आ सकती है।
जानिए क्या है विवाद..
अगले ISI प्रमुख की नियुक्ति को लेकर चल रहे विवाद के बीच यह बैठक अहम मानी जा रही है। सेना ने छह अक्टूबर को घोषणा की थी कि मौजूदा आइएसआइ प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल हमीद को पेशावर कोर कमांडर बनाया गया है,
जबकि उनकी जगह लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अहमद अंजुम को नियुक्त किया गया है। लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय ने तब से लेफ्टिनेंट जनरल अंजुम की नियुक्ति की आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की है, जिसके बाद से ही सरकार और सेना के बीच संबंधों में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है।
आईएसआई चीफ के लिए तीन नामों की सूची सौंपी गई..
पाकिस्तान में नए आईएसआई चीफ की नियुक्ति को लेकर सेना प्रमुख बाजवा से गतिरोधों के बीच पाक प्रधानमंत्री कार्यालय को आईएसआई चीफ के लिए तीन नामों की सूची मिली है। जिसमें से एक नाम पर पीएम इमरान खान मुहर लगा सकते हैं।
नई परंपरा शुरू कर रहे हैं इमरान..
प्रधानमंत्री इमरान खान अब अपनी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) की शक्लो सूरत बदलने जा रहे हैं। अभी तक आईएसआई के मुखिया यानी डायरेक्टर जनरल (डीजी) की नियुक्ति परंपरागत तौर पर उन तीन नामों में से एक का होता था, जो इस पद से विदा लेने वाले डीजी ही प्रस्तावित करते थे।
लेकिन अब प्रधानमंत्री इमरान खान इस पद के लिए बाकायदा इंटरव्यू लेकर नया डीजी नियुक्त करने जा रहे हैं। इस पद के दावेदारों का एक जटिल इंटरव्यू लेकर इमरान खान और चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ यानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा, इनमें से किसी एक को चुनेंगे। जल्दी ही आईएसआई के नए मुखिया का चयन कर लिया जाएगा।
बच्चों के लिए कोरोना टीके का अभी करना पड़ सकता हैं इंतजार..
देश-विदेश: बच्चों के लिए कोरोना के टीके का इंतजार कर रहे अभिभावकों को अभी और इंतजार करना पड़ सकता है। मंगलवार दोपहर मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि दो साल से लेकर 18 साल के आयु समूह के लिए कोवाक्सिन के टीके को मंजूरी दे दी गई है, लेकिन बाद में सरकार ने इस दावे का खंडन कर दिया और कहा कि अभी मंजूरी मिलना बाकी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती पवार का कहना हैं कि बच्चों के लिए कोवाक्सिन का आकलन अभी जारी है। इसे लेकर कुछ शंकाए हैं और वैक्सीन को लेकर विशेषज्ञ समिति में बातचीत जारी है। अभी ड्रग कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीए) ने इसे मंजूरी नहीं दी है।
बच्चों पर टीकाकरण की मंजूरी से पहले कोवाक्सिन को लंबे ट्रायल से गुजरना पड़ा है। भारत बायोटेक ने 18 से कम आयु वर्ग के लिए तीन चरणों में ट्रायल पूरा किया था। सितंबर में दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल पूरा कर लिया गया था।
इसके बाद भारत बायोटेक की कोवाक्सिन को मंजूरी मिलने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। पूरी तरह मंजूरी मिलने के बाद बड़ों की तरह बच्चों को भी कोवाक्सिन के दो टीके लगाए जाएंगे। अब तक हुए ट्रायल में कोवाक्सिन का बच्चों पर कोई बुरा असर नहीं हुआ है। क्लीनिकल ट्रायल में यह वैक्सीन 78 प्रतिशत तक असरदार साबित हुई थी। इसके बाद केंद्र की ओर से इस वैक्सीन को मंजूरी दी गई है।
राम मंदिर के लिए इस राज्य से आया सबसे ज्यादा चंदा..
देश-विदेश: राम मंदिर निर्माण में सबसे ज्यादा आर्थिक सहयोग राजस्थान ने किया है। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने ये जानकारी दी है। अहमदाबाद में राजस्थान-गुजरात मैत्री संघ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कैलाश चौधरी ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए अभी तक आए चंदों में से सबसे ज्यादा राशि राजस्थान से आई है।
उनका कहना हैं कि मारवाड़ी समाज समाजिक कार्यों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने वाला समाज है। मंदिर बनाने के लिए इस समाज ने बहुत बड़ा योगदान दिया है।
इस दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कोरोना काल को लेकर भी लोगों से चर्चा की। संतोष चौधरी का कहना हैं कि कोरोनाकाल के दौरान नरेंद्र मोदी के अलावा अगर कोई दूसरा प्रधानमंत्री होता तो देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह ठप हो जाती।
केंद्रीय मंत्री चौधरी ने कहा कि पीएम मोदी ने मार्च 2020 में लॉकडाउन लागू कर अच्छा फैसला किया। नहीं तो कोरोना से कितने लोगों की मौत होती यह कह पानी मुश्किल होता। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में केंद्र सरकार ने महामारी से निपटने के लिए आवश्यक सैनिटाइटर और अस्पतालों में बेड,ऑक्सीजन की व्यवस्था करने के लिए भरपूर मदद की।
प्रधानमंत्री मोदी से मिलने पहुंचे पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी..
देश-विदेश: चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने उनके घर पर यानी प्रधानमंत्री आवास पहुंचे हैं। पीएम आवास में दोनों नेताओं के बीच मुलाकात जारी हैं। बताया जा रहा है कि सीएम चन्नी ने प्रधानमंत्री के समक्ष किसानों की समस्या संबंधी कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे उठा सकते हैं।
आपको बता दें कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के सीएम पद से इस्तीफे के बाद कांग्रेस आलाकमान ने चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया है। चन्नी पंजाब में कांग्रेस का दलित चेहरा हैं। इसके साथ ही चन्नी के रूप में पंजाब को अब तक का पहला दलित मुख्यमंत्री मिला है।
द कपिल शर्मा शो में सिद्धू के लौटने की चर्चा पर अर्चना ने कहा कुछ ऐसा..
देश-विदेश: बॉलीवुड का राजनीति से भी कुछ ऐसा जुड़ाव रहा है कि अगर राजनीति में कुछ विवाद हो तो उसका असर मनोरंजन जगत में भी देखने को मिलता है। इन दिनों नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद के इस्तीफे के बाद से टीवी जगत में ऐसे ही हलचल मची हुई है। आपको बता दे कि सिद्धू ‘द कपिल शर्मा शो’ में जज की कुर्सी संभाल रहे थे लेकिन जब उन्हें पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनने का मौका मिला तो उन्होंने शो छोड़ दिया। इसके बाद अर्चना पूरन सिंह को शो में जज बनाया गया।
आपको बता दे कि कपिल शर्मा अक्सर मजाक करते हैं कि अर्चना ने यहां से एक मंत्री तक निकलवा दिया साथ ही ये भी कि अर्चना का पहला प्यार उनके पति परमीत नहीं बल्कि कुर्सी है। अब जैसे ही सिद्धू के इस्तीफे की खबर सामने आई सोशल मीडिया पर अर्चना को लेकर मीम बनने लगे कि उनकी नौकरी संकट में है। वहीं अर्चना ने एक इंटरव्यू में इस बारे में अपनी राय साफ कर दी है। साथ ही उन्होंने कह दिया कि अगर सिद्धू शो पर लौटते हैं तो वो क्या करेंगी।
इस पर अर्चना का कहना हैं कि ये एक ऐसा मजाक है जो सालों से होता आया है और सच तो ये है कि मुझे फर्क ही नहीं पड़ता है, ना ही मैं इसे बहुत गंभीरता से लेती हूं। अगर सिद्धू सच में फिर से शो में एंट्री लेते हैं और मेरी जगह आते हैं तो मेरे पास और भी दूसरे काम हैं जो मैं कर सकती हूं। मैं काफी सालों से कुछ और करना चाहती थी।
अर्चना पूरन सिंह लंबे समय से कॉमेडी शोज को जज करती आईं हैं। कॉमेडी सर्कस के दौरान अर्चना जज की कुर्सी पर विराजमान थी और उनके जबरदस्त हंसने का अंदाज फैंस को काफी पसंद आता है। ऐसे में जब सिद्धू शो से बाहर हुए तो कपिल के पास अर्चना से बेहतर कोई रिप्लेसमेंट ही नहीं था।
बता दें कि अर्चना ने खुलासा किया कि जब सिद्धू पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे तो मेरे घर पर लोगों ने खूब फूल भेजे थे। उन्होंने कहा कि लोगों ने फूलों के साथ संदेश भेजा था कि, अर्चना मैम मुबारक हो क्योंकि वो वहां पर बन गए हैं। दरअसल लोगों का ये कहना था कि अब सिद्धू पार्टी को लेकर अपना फर्ज पूरा करेंगे तो शो पर लौटेंगे नहीं। ऐसे में अर्चना की कुर्सी को कई नुकसान नहीं होगा।
आपको बता दे कि नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन उनका कहना है कि वे कांग्रेस में बने रहेंगे। सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे खत में कहा कि वे कांग्रेस पार्टी के सदस्य बने रहेंगे। 23 जुलाई को उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था।
सिद्धू 72 दिन के प्रदेश अध्यक्ष, कहा-पंजाब के भविष्य से समझौता नहीं करूंगा..
देश-विदेश: पंजाब कांग्रेस में चल रहे घमासान के बीच मंगलवार को पार्टी प्रधान नवजोत सिद्धू ने 72 दिन बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कुछ दिन पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद चरणजीत चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। उसके बाद से सिद्धू पर सुपर सीएम होने के आरोप लग रहे थे।
मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम संबोधित त्यागपत्र में सिद्धू ने लिखा कि समझौता करने से व्यक्ति का चरित्र खत्म हो जाता है। मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब की जनता के कल्याण के एजेंडा से कभी समझौता नहीं कर सकता हूं। उन्होंने आगे लिखा, इसलिए मैं पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं।
मैं कांग्रेस की सेवा करता रहूंगा। उनके इस्तीफे के बाद कैप्टन अमरिंदर ने अपनी पहली प्रतिक्रिया ट्वीट के माध्यम से दी। उन्होंने लिखा कि मैंने तो पहले ही कहा था कि यह आदमी स्थिर नहीं है और सीमावर्ती राज्य पंजाब के लिए सिद्धू सही नहीं है।
पंजाब की राजनीति में उलटफेर जारी है। मंगलवार को पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात पर अटकलों का सिलसिला खत्म भी नहीं हुआ था कि नवजोत सिद्धू ने इस्तीफा देकर नया धमाका कर दिया। वहीं सूत्रों के अनुसार, सिद्धू इकबाल प्रीत सहोता को डीजीपी बनाए जाने से नाराज थे।
पार्टी की जीत के साथ ही शुरू हुए थे विवाद..
आपको बता दे कि आज पंजाब कांग्रेस जिस समस्या से जूझ रही है, उसकी शुरुआत 2017 चुनाव में पार्टी की जीत के साथ ही हुई थी। बता दे कि नवजोत सिंह सिद्धू 2017 चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे। बेबाक अंदाज वाले सिद्धू राहुल और प्रियंका वाड्रा की पसंद थे। पार्टी जीती तो सिद्धू को डिप्टी सीएम बनाने की चर्चाएं तेज हो गई।
लेकिन जब कैप्टन सीएम बने तो उन्होंने साफ कर दिया कि पंजाब को डिप्टी सीएम की जरूरत नहीं है। राजनीति के जानकार मानते हैं कि अति महत्वाकांक्षी सिद्धू के लिए ये पहला झटका था और कैप्टन सिद्धू विवाद की शुरुआत यहीं से हो गई थी।
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की हुई शुरुआत..
देश-विदेश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत की। इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया भी मौजूद रहे। वहीं इस मौके पर पीएम मोदी ने जनता को भी संबोधित किया और इस मिशन के बारे में जानकारी दी। उनका कहना हैं कि कि 21वीं सदी में आगे बढ़ते हुए भारत के लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। बीते 7 वर्षों से देश की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने का जो अभियान चल रहा है, वो आज से एक नए चरण में प्रवेश कर रहा है।
आपको बता दे कि आज से आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन भी पूरे देश में शुरु किया जा रहा है। ये मिशन देश के गरीब और मध्यम वर्ग के इलाज में जो दिक्कतें आती हैं, उन्हें दूर करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा। तीन साल पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती के अवसर पर पंडित जी को समर्पित आयुष्मान भारत योजना पूरे देश में शुरू हुई थी। जिसके बाद आज से आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन भी पूरे देश में शुरू किया जा रहा है।
पीएम मोदी का कहना हैं कि बीते तीन वर्षों में आयुष्मान भारत पर जो हजारों करोड़ रुपये सरकार ने वहन किए हैं, उससे लाखों परिवार गरीबी के कुचक्र में फंसने से बचे हैं। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, अब पूरे देश के अस्पतालों के डिजिटल हेल्थ सोल्यूशंस को एक दूसरे से कनेक्ट करेगा। इसके तहत देशवासियों को अब एक डिजिटल हेल्थ आईडी मिलेगी। हर नागरिक का हेल्थ रिकॉर्ड डिजिटली सुरक्षित रहेगा।
पुराने रिकॉर्ड भी किए जा सकेंगे चेक- पीएम मोदी..
पीएम मोदी ने जानकारी देते हुए कहा कि डिजिटल हेल्थ आईडी के माध्यम से मरीज भी और डॉक्टर भी पुराने रिकॉर्ड को जरूरत पड़ने पर चेक कर सकता है। इसमें डॉ, नर्स, पैरा मेडिक जैसे साथियों का भी रजिस्ट्रेशन होगा। देश के जो अस्पताल हैं, क्लीनिक हैं, लैब्स हैं, दवा की दुकानें हैं ये सभी भी रजिस्टर होंगी।
जानिए क्या है इस मिशन का लक्ष्य..
इस मिशन का लक्ष्य देश के प्रत्येक नागरिक का का यूनिक हेल्थ कार्ड बनाना है। यह कार्ड पूरी तरह से डिजिटल होगा जो देखने में आधार कार्ड की तरह ही होगा। इस कार्ड पर आपको एक यूनिक नंबर मिलेगा, जैसा कि आधार कार्ड में होता है। इस नंबर के द्वारा व्यक्ति की पहचान कर ली जाएगी जिससे स्वास्थ सेवा में और आसानी हो जाएगी। इस नंबर के जरिए डॉक्टर के पास भी लोगों का पूरा रिकॉर्ड रहेगा।
अब DL-RC साथ रखने की अनिवार्यता पूरे देश से खत्म, डिजी-लॉकर होगा मान्य..
देश-विदेश: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली-एनसीआर सहित देश के सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में अब वाहन चालकों को ड्राइविंग लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट साथ लेकर चलने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब सड़क पर वाहन चालक ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग को डिजी-लॉकर प्लेटफॉर्म या एम-परिवहन मोबाइल ऐप में डिजिटल रूप में रखे दस्तावेजों को दिखा सकते हैं। केंद्रीय परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आदेश के बाद अब सभी राज्यों में एम-परिवहन एप और डिजी लॉकर में मौजूद दस्तावेजों को मानना होगा। अब इसको कानूनी मान्यता भी प्रदान कर दी गई है।
अब यदि आपका ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन के रजिस्ट्रेशन का कार्ड एम-परिवहन मोबाइल ऐप और डीजी लॉकर में मौजूद है तो वह देशभर में मान्य होगा।अब तक एम-परिवहन ऐप पर यह दस्तावेज उपलब्ध थे, लेकिन उन्हें कानूनी मान्यता नहीं दी जा रही थी, लेकिन अब इसे कानूनन मान्य कर दिया गया है। डीजी लॉकर में रखे दस्तावेजों को अब देश के सभी राज्यों औऱ केंद्रशासित प्रदेशों में मान्य कर दिया गया है।
ट्रांसपोर्ट विभाग अब एम परिवहन मोबाइल ऐप और डीजी लॉकर में रखे गए दस्तावेजों को मान्यता देने के लिए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। अभी तक कई राज्यों के परिवहन विभाग की वेबसाइट, एम परिवहन मोबाइल ऐप से लिंक न होने के कारण सभी दस्तावेज उस पर दिखाई नहीं दे रहे थे, लेकिन अब अगर आपको सड़कों पर ट्रैफिक पुलिस या ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारी रोक कर लाइसेंस दिखाने के लिए बोलते हैं तो आप इन दो तरीकों से भी अपना दस्तावेज दिखा सकते हैं।
आईटी अधिनियम 2000 के प्रावधानों में भी मान्य..
अब डिजी-लॉकर अथवा एम-परिवहन पर उपलब्ध ड्राइविंग लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट का इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड भी सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के प्रावधानों के अनुसार मूल दस्तावेज के समतुल्य माना जाएगा. इसलिए ट्रैफिक पुलिस तथा परिवहन विभाग की प्रवर्तन विंग ड्राइविंग लाइसेंस तथा रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट के इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म को विधिवत स्वीकार करेंगे। साथ ही परिवहन विभाग के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अगर ड्राइविंग लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की सॉफ्ट कॉपी, जो किसी अन्य प्रारूप में रहता है तो वह मूल रिकॉर्ड के रूप में स्वीकार्य नहीं होगा।
क्या होता है डिजी-लॉकर..
डिजीटल लॉकर या डिजीलॉकर एक तरह का वर्चुअल लॉकर है, जिसे पीएम मोदी ने जुलाई 2015 में लॉन्च किया था। डिजीलॉकर को डिजिटल इंडिया अभियान के तहत शुरू किया गया था। डिजीलॉकर खाता खोलने के लिए आपके पास आधार कार्ड का होना अनिवार्य है। डिजीलॉकर में देश के नागरिक अपने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जैसे पैन कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट और अब ड्राइविंग लाइसेंस या और भी कई महत्वपूर्ण सरकारी प्रमाणपत्र स्टोर कर सकते हैं।