सिद्धू 72 दिन के प्रदेश अध्यक्ष, कहा-पंजाब के भविष्य से समझौता नहीं करूंगा..
देश-विदेश: पंजाब कांग्रेस में चल रहे घमासान के बीच मंगलवार को पार्टी प्रधान नवजोत सिद्धू ने 72 दिन बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कुछ दिन पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद चरणजीत चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। उसके बाद से सिद्धू पर सुपर सीएम होने के आरोप लग रहे थे।
मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम संबोधित त्यागपत्र में सिद्धू ने लिखा कि समझौता करने से व्यक्ति का चरित्र खत्म हो जाता है। मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब की जनता के कल्याण के एजेंडा से कभी समझौता नहीं कर सकता हूं। उन्होंने आगे लिखा, इसलिए मैं पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं।
मैं कांग्रेस की सेवा करता रहूंगा। उनके इस्तीफे के बाद कैप्टन अमरिंदर ने अपनी पहली प्रतिक्रिया ट्वीट के माध्यम से दी। उन्होंने लिखा कि मैंने तो पहले ही कहा था कि यह आदमी स्थिर नहीं है और सीमावर्ती राज्य पंजाब के लिए सिद्धू सही नहीं है।
पंजाब की राजनीति में उलटफेर जारी है। मंगलवार को पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात पर अटकलों का सिलसिला खत्म भी नहीं हुआ था कि नवजोत सिद्धू ने इस्तीफा देकर नया धमाका कर दिया। वहीं सूत्रों के अनुसार, सिद्धू इकबाल प्रीत सहोता को डीजीपी बनाए जाने से नाराज थे।
पार्टी की जीत के साथ ही शुरू हुए थे विवाद..
आपको बता दे कि आज पंजाब कांग्रेस जिस समस्या से जूझ रही है, उसकी शुरुआत 2017 चुनाव में पार्टी की जीत के साथ ही हुई थी। बता दे कि नवजोत सिंह सिद्धू 2017 चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे। बेबाक अंदाज वाले सिद्धू राहुल और प्रियंका वाड्रा की पसंद थे। पार्टी जीती तो सिद्धू को डिप्टी सीएम बनाने की चर्चाएं तेज हो गई।
लेकिन जब कैप्टन सीएम बने तो उन्होंने साफ कर दिया कि पंजाब को डिप्टी सीएम की जरूरत नहीं है। राजनीति के जानकार मानते हैं कि अति महत्वाकांक्षी सिद्धू के लिए ये पहला झटका था और कैप्टन सिद्धू विवाद की शुरुआत यहीं से हो गई थी।
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की हुई शुरुआत..
देश-विदेश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत की। इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया भी मौजूद रहे। वहीं इस मौके पर पीएम मोदी ने जनता को भी संबोधित किया और इस मिशन के बारे में जानकारी दी। उनका कहना हैं कि कि 21वीं सदी में आगे बढ़ते हुए भारत के लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। बीते 7 वर्षों से देश की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने का जो अभियान चल रहा है, वो आज से एक नए चरण में प्रवेश कर रहा है।
आपको बता दे कि आज से आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन भी पूरे देश में शुरु किया जा रहा है। ये मिशन देश के गरीब और मध्यम वर्ग के इलाज में जो दिक्कतें आती हैं, उन्हें दूर करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा। तीन साल पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती के अवसर पर पंडित जी को समर्पित आयुष्मान भारत योजना पूरे देश में शुरू हुई थी। जिसके बाद आज से आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन भी पूरे देश में शुरू किया जा रहा है।
पीएम मोदी का कहना हैं कि बीते तीन वर्षों में आयुष्मान भारत पर जो हजारों करोड़ रुपये सरकार ने वहन किए हैं, उससे लाखों परिवार गरीबी के कुचक्र में फंसने से बचे हैं। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, अब पूरे देश के अस्पतालों के डिजिटल हेल्थ सोल्यूशंस को एक दूसरे से कनेक्ट करेगा। इसके तहत देशवासियों को अब एक डिजिटल हेल्थ आईडी मिलेगी। हर नागरिक का हेल्थ रिकॉर्ड डिजिटली सुरक्षित रहेगा।
पुराने रिकॉर्ड भी किए जा सकेंगे चेक- पीएम मोदी..
पीएम मोदी ने जानकारी देते हुए कहा कि डिजिटल हेल्थ आईडी के माध्यम से मरीज भी और डॉक्टर भी पुराने रिकॉर्ड को जरूरत पड़ने पर चेक कर सकता है। इसमें डॉ, नर्स, पैरा मेडिक जैसे साथियों का भी रजिस्ट्रेशन होगा। देश के जो अस्पताल हैं, क्लीनिक हैं, लैब्स हैं, दवा की दुकानें हैं ये सभी भी रजिस्टर होंगी।
जानिए क्या है इस मिशन का लक्ष्य..
इस मिशन का लक्ष्य देश के प्रत्येक नागरिक का का यूनिक हेल्थ कार्ड बनाना है। यह कार्ड पूरी तरह से डिजिटल होगा जो देखने में आधार कार्ड की तरह ही होगा। इस कार्ड पर आपको एक यूनिक नंबर मिलेगा, जैसा कि आधार कार्ड में होता है। इस नंबर के द्वारा व्यक्ति की पहचान कर ली जाएगी जिससे स्वास्थ सेवा में और आसानी हो जाएगी। इस नंबर के जरिए डॉक्टर के पास भी लोगों का पूरा रिकॉर्ड रहेगा।
अब DL-RC साथ रखने की अनिवार्यता पूरे देश से खत्म, डिजी-लॉकर होगा मान्य..
देश-विदेश: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली-एनसीआर सहित देश के सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में अब वाहन चालकों को ड्राइविंग लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट साथ लेकर चलने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब सड़क पर वाहन चालक ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग को डिजी-लॉकर प्लेटफॉर्म या एम-परिवहन मोबाइल ऐप में डिजिटल रूप में रखे दस्तावेजों को दिखा सकते हैं। केंद्रीय परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आदेश के बाद अब सभी राज्यों में एम-परिवहन एप और डिजी लॉकर में मौजूद दस्तावेजों को मानना होगा। अब इसको कानूनी मान्यता भी प्रदान कर दी गई है।
अब यदि आपका ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन के रजिस्ट्रेशन का कार्ड एम-परिवहन मोबाइल ऐप और डीजी लॉकर में मौजूद है तो वह देशभर में मान्य होगा।अब तक एम-परिवहन ऐप पर यह दस्तावेज उपलब्ध थे, लेकिन उन्हें कानूनी मान्यता नहीं दी जा रही थी, लेकिन अब इसे कानूनन मान्य कर दिया गया है। डीजी लॉकर में रखे दस्तावेजों को अब देश के सभी राज्यों औऱ केंद्रशासित प्रदेशों में मान्य कर दिया गया है।
ट्रांसपोर्ट विभाग अब एम परिवहन मोबाइल ऐप और डीजी लॉकर में रखे गए दस्तावेजों को मान्यता देने के लिए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। अभी तक कई राज्यों के परिवहन विभाग की वेबसाइट, एम परिवहन मोबाइल ऐप से लिंक न होने के कारण सभी दस्तावेज उस पर दिखाई नहीं दे रहे थे, लेकिन अब अगर आपको सड़कों पर ट्रैफिक पुलिस या ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारी रोक कर लाइसेंस दिखाने के लिए बोलते हैं तो आप इन दो तरीकों से भी अपना दस्तावेज दिखा सकते हैं।
आईटी अधिनियम 2000 के प्रावधानों में भी मान्य..
अब डिजी-लॉकर अथवा एम-परिवहन पर उपलब्ध ड्राइविंग लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट का इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड भी सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के प्रावधानों के अनुसार मूल दस्तावेज के समतुल्य माना जाएगा. इसलिए ट्रैफिक पुलिस तथा परिवहन विभाग की प्रवर्तन विंग ड्राइविंग लाइसेंस तथा रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट के इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म को विधिवत स्वीकार करेंगे। साथ ही परिवहन विभाग के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अगर ड्राइविंग लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की सॉफ्ट कॉपी, जो किसी अन्य प्रारूप में रहता है तो वह मूल रिकॉर्ड के रूप में स्वीकार्य नहीं होगा।
क्या होता है डिजी-लॉकर..
डिजीटल लॉकर या डिजीलॉकर एक तरह का वर्चुअल लॉकर है, जिसे पीएम मोदी ने जुलाई 2015 में लॉन्च किया था। डिजीलॉकर को डिजिटल इंडिया अभियान के तहत शुरू किया गया था। डिजीलॉकर खाता खोलने के लिए आपके पास आधार कार्ड का होना अनिवार्य है। डिजीलॉकर में देश के नागरिक अपने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जैसे पैन कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट और अब ड्राइविंग लाइसेंस या और भी कई महत्वपूर्ण सरकारी प्रमाणपत्र स्टोर कर सकते हैं।
जापान ने 6 देशों के लिए जारी किया अलर्ट,नागरिकों को दी सुसाइड अटैक की चेतावनी..
देश-विदेश: जापान के विदेश मंत्रालय ने अपने नागरिकों से सोमवार को कहा कि वे छह दक्षिण एशियाई देशों में धार्मिक और भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहें, क्योंकि ऐसे स्थानों पर हमला हो सकता हैं। विदेश मंत्रालय का कहना हैं कि उसे सूचना मिली है कि ऐसे स्थानों पर आत्मघाती हमला किया जा सकता है। इंडोनेशिया, फिलीपीन, सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड और म्यांमार जाने वाले जापानियों के लिए यह परामर्श जारी किया गया है।
हालांकि, इन देशों ने इस परामर्श पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि उन्हें ऐसे किसी खतरे या जापान को यह सूचना कहां से मिली, इसकी जानकारी नहीं है। थाईलैंड के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता तानी संग्रत का कहना हैं कि जापान ने इस चेतावनी के पीछे की जानकारी का स्रोत नहीं बताया है। उनका कहना हैं कि जापानी दूतावास ने सिर्फ इतना कहा कि यह केवल थाईलैंड के लिए नहीं है, और इससे ज्यादा जानकारी नहीं दी। थाईलैंड की पुलिस ने भी ऐसे किसी खतरे की सूचना होने से इनकार किया है। इसी प्रकार, फिलीपीन के विदेश मंत्रालय ने भी इसकी जानकारी नहीं होने की बात कही।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देशों के क्रम में पार्टी की महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष वानथी श्रीनिवासन ने मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिवों को विभिन्न प्रदेशों की जिम्मेदारी सौंपी है। इसके साथ ही मोर्चा ने आगामी कार्यक्रमों की घोषणा भी की है।
राष्ट्रीय महामंत्री दीप्ति रावत भारद्वाज को गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, चंडीगढ़, दिल्ली, जम्मू कश्मीर व लद्दाख के प्रभारी का दायित्व सौंपा गया है।
राष्ट्रीय महामंत्री इंदुबाला गोस्वामी को अरूणाचल, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैण्ड, सिक्किम, त्रिपुरा, उड़ीसा झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश का जिम्मा सौंपा गया है।
राष्ट्रीय महामंत्री सुखप्रीत कौर को अंडमान एंड निकोबार, केरल, पांडिचेरी, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, लक्षदीप, महाराष्ट्र, दादर नगर हवेली, दमन दीव व पंजाब का प्रभार दिया गया है।
महिला मोर्चा ने अपने आगामी कार्यक्रमों की घोषणा भी की है, जिसमें 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाएगा। 15 अगस्त को आजादी का अमृत महोत्सव मनाया तथा रक्षाबंधन के अवसर पर 22 से 28 अगस्त तक 1 हफ्ते का कार्यक्रम चलाया जाएगा।
इधर, महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष वानथी श्रीनिवासन व महामंत्री दीप्ति रावत भारद्वाज दो दिवसीय दौरे पर शनिवार को जम्मू पहुंची। जम्मू एयरपोर्ट पर महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष और महामंत्री का भव्य स्वागत किया गया। दीप्ति रावत भारद्वाज ने कहा कि संगठन ने जिस आशा के साथ में यह दायित्व कार्यभार दिए हैं वह उनको पूर्ण निष्ठा के साथ निभाएंगी।
कोरोना से बचाव को लेकर देश में वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है। वैक्सीन को लेकर राजनीति भी हो रही है, विपक्षी दलों के नेता केंद्र को तो निशाना बना रहे हैं, लेकिन अपने दल द्वारा शासित राज्यों में अव्यवस्थाओं पर कुछ नहीं बोल रहे। उदाहरण, कांग्रेस नेता राहुल गांधी बार-बार केंद्र से वैक्सीन का मुद्दा उठा रहे हैं, यह भी पूछ रहे हैं कि हमारे बच्चों की वैक्सीन कहां गई? लेकिन, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड, राजस्थान में वैक्सीन की बर्बादी को लेकर चुप हैं। जहां उनकी या उनके सहयोगियों की सरकार है. झारखंड (37 %) और छत्तीसगढ़ (30 %) कोरोना वैक्सीन की बर्बादी में पहले तीन राज्यों में शामिल हैं।
राजस्थान में भी वैक्सीन की बर्बादी के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार 8 जिलों के 35 वैक्सीनेशन सेंटरों पर 500 वायल में लगभग 2500 से भी ज्यादा डोज तो केवल डस्टबिन में मिले हैं। ये वायल 20-75% तक भरे हुए थे। 16 जनवरी से लेकर 17 मई तक राज्य में 11.50 लाख से भी अधिक कोविड-19 वैक्सीन की डोज बर्बाद हुई हैं।
राहुल गाँधी जी पूछ रहे थे हमारे बच्चों के #Vaccine कहाँ हैं ?@RahulGandhi जी,कचरे के डिब्बों में हैं हमारे बच्चों के वैक्सीन
आकर देखिये राजस्थान में👇 pic.twitter.com/5NussFjPjg— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) May 31, 2021
सबसे बुरी स्थिति राजस्थान के चूरू जिले की है। जिले में 39.7% वैक्सीन की डोज बर्बाद कर दी गई। हनुमानगढ़ में 24.60 प्रतिशत वैक्सीन तो भरतपुर में 17.13%, कोटा में 16.71%, चित्तौड़गढ़ में 11.81%, जालौर में 9.63%, सीकर में 8.83%, अलवर में 8.32% और धौलपुर में 7.89% वैक्सीन बर्बाद की गई। जयपुर प्रथम में 4.67% और द्वितीय में 1.31% वैक्सीन की डोज बर्बाद कर दी गई।
राजस्थान में 2500 कोविड की डोज कचरे में !आपदा के समय क्या ये निंदनीय नही है।@Rahulgandhi @priyankagandhi
इस पर भी बोलिये राजस्थान की जनता भी भारत की जनता है।हां ये अलग बात है यहा कांग्रेस की सरकार है pic.twitter.com/FytspbOC70— Dr. Alka Gurjar (@alka_gurjar) May 31, 2021
माना कि बड़ी वैक्सीनेशन ड्राइव में कुछ सीमा तक वैक्सीन की बर्बादी होती है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में वेस्टेज होने पर जवाबदेही तो बनती है। एक ओर कांग्रेस व राज्य सरकार वैक्सीन की कमी बताते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है और दूसरी ओर स्वयं इस तरह की बर्बादी भी नहीं रोक पा रही। वैक्सीन की एक डोज की वेस्टेज का अर्थ है, एक जीवन को सुरक्षा कवच नहीं दे पाना।
राजस्थान सरकार का कोरोना प्रबंधन का मॉडल देखिये
कचरे में वैक्सीन
कबाड़ में वेंटिलेटर
फाइलों में ऑक्सीजन प्लांट
इंजेक्शन व दवाइयों की कालाबाजारी
कोरोना से मौत के आंकड़ों की जादूगरी
चिरंजीवी योजना में निःशुल्क इलाज का झूठा दावा#GehlotWastedVaccine— Arjun Ram Meghwal (@arjunrammeghwal) May 31, 2021
महामारी की दूसरी लहर ने बता दिया कि वैक्सीन का कितना महत्व है। वेस्टेज से लोगों का सुरक्षा कवच तो प्रभावित होता ही है, सप्लाई चेन पर भी खासा असर पड़ता है। वैक्सीन वेस्टेज यदि बहुत अधिक है तो इसकी मांग बढ़ती जाएगी और गैर-आवश्यक मात्रा में इसे खरीदना पड़ेगा। आज जब सवा अरब नागरिकों का वैक्सीनेशन होना है तो ऐसे में एक डोज के महत्व व उसकी कीमत को आसानी से समझा जा सकता है।
Negligence or politics ..? @INCIndia has to answer for this total failure of its Rajasthan State Govt . They keep preaching the whole world about vaccination . pic.twitter.com/XvM0PNpFll
— B L Santhosh (@blsanthosh) May 31, 2021
राजस्थान में वैक्सीन की बर्बादी ट्वीटर पर मुद्दा बन गई है। केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेगवाल, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बी.एल.संतोष समेत भाजपा की राष्ट्रीय सचिव अलका गुर्जर, मेजर सुरेंद्र पूनिया आदि तमाम लोगों ने ट्वीट कर कांग्रेस से इस पर सवाल पूछा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने इन ख़बरों को गंभीरता से लेते हुए राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा को पत्र लिख कर मामले की जांच करने को कहा है।
राजस्थान के कुछ ज़िलों में कोरोना वैक्सीन की बर्बादी की ख़बरों को गंभीरता से लेते हुए मैंने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्री @RaghusharmaINC जी को पत्र लिखकर मामले की जांच करने को कहा है।
मैंने वैक्सीन की बर्बादी रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर बेहतर योजना बनाने को कहा है।@PMOIndia pic.twitter.com/nBsfGGAhtN
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) May 31, 2021
उधर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि राज्यों से लगातार आग्रह किया जा रहा है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके यहां सप्लाई की गई कुल वैक्सीन में से एक प्रतिशत से भी कम बर्बाद हो। जिन राज्यों में वैक्सीन की अधिक बर्बादी हो रही है, वे टीकाकारण अभियान को सही तरीके से चलाएं। इन राज्यों को वैक्सीनेशन में किसी भी प्रकार की लापरवाही से बचना चाहिए. एक वैक्सीन बर्बाद होने का अर्थ है कि कोई व्यक्ति इसकी डोज से वंचित रह जाएगा।
मोदी सरकार के 7 वर्ष पूरे होने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिनंदन किया है। शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने विकास, सुरक्षा, जनकल्याण और ऐतिहासिक सुधारों के समांतर समन्वय का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
https://twitter.com/AmitShah/status/1398886002769285123
केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने ट्वीट कर कहा कि “इन 7 वर्षों में मोदी जी ने एक ओर देशहित को सर्वोपरि रखकर अपने दृढसंकल्प और सर्वस्पर्शी व कल्याणकारी नीतियों से गरीब, किसान व वंचित वर्ग को विकास की मुख्यधारा से जोड़कर उनके जीवन को बेहतर बनाया है तो वहीं दूसरी ओर अपने मजबूत नेतृत्व से भारत को एक सशक्त राष्ट्र बनाया”।
https://twitter.com/AmitShah/status/1398886031173193730
शाह ने यह भी कहा कि “विगत 7 साल से देश की जनता ने मोदी जी की सेवा और समर्पण पर निरंतर अपना अटूट विश्वास जताया है, जिसके लिए मैं देशवासियों को नमन करता हूँ। मुझे पूर्ण विश्वास है कि मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में हम हर चुनौती पर विजय प्राप्त कर भारत की विकासयात्रा को अविरल जारी रखेंगे”।
https://twitter.com/AmitShah/status/1398886048789196801
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही वन स्टॉप सेंटर (ओएससी) योजना से अब तक 3 लाख से अधिक महिलाओं को सहायता प्रदान की जा चुकी है।
वन स्टॉप सेंटर तहत महिलाओं को किसी भी प्रकार की हिंसा के खिलाफ लड़ने के लिए एक ही स्थान पर पुलिस, चिकित्सा, कानूनी सहायता व परामर्श और मनोवैज्ञानिक सहायता सहित कई सेवाओं के लिए तत्काल सहायता प्रदान की जाती है। यह योजना 1 अप्रैल, 2015 से पूरे देश में राज्य सरकारों के माध्यम से क्रियान्वित की जा रही है। अब तक, देश के 35 राज्यों में 701 सेंटर चालू किए जा चुके हैं।
https://twitter.com/PIBWCD/status/1396027720899776519
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार कोविड महामारी के कारण बनी मौजूदा स्थिति में, जो महिलाएं संकट की स्थिति में हैं या हिंसा से प्रभावित हैं, वे त्वरित सहायता और सेवाओं के लिए निकटतम ओएससी से संपर्क कर सकती हैं। मंत्रालय ने सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों/प्रशासकों और सभी जिलों के डीसी/डीएम को निर्देश दिया है कि वे लॉकडाउन अवधि के दौरान वन स्टॉप सेंटरों को चालू रखें।
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, इन केन्द्रों के सुचारू संचालन के लिए, कानूनी परामर्श, चिकित्सा सहायता, मनोवैज्ञानिक – सामाजिक परामर्श आदि प्रदान करने के लिए पैनल में शामिल एजेंसियों अथवा व्यक्तियों की नियुक्ति की जिम्मेदारी संबंधित राज्यों के जिला प्रशासन के पास है।
भारत सरकार ने देश में रेमेडिसविर की कमी को दूर करने के लिए दूसरे देशों से इस महत्वपूर्ण दवा का आयात शुरू किया है। इसके तहत शुक्रवार को रेमेडिसविर की 75,000 शीशियों की पहली खेप भारत पहुंचेगी।
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में जानकारी गई है कि भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड ने अमेरिका के मेसर्स गिलियड साइंसेज इंक और मिस्र की मेसर्स ईवीए फार्मा को रेमेडिसविर की 4,50,000 शीशियां बनाने का ऑर्डर दिया है। अमेरिका से अगले एक या दो दिनों में 75,000 से 1,00,000 शीशियां भारत पहुंचेगी। इसके अलावा 15 मई से पहले एक लाख शीशियों की आपूर्ति की जाएगी। साथ ही ईवीए फार्मा शुरुआत में लगभग 10,000 शीशियों की आपूर्ति करेगी, जिसके बाद हर 15 दिन या जुलाई तक 50,000 शीशियां मिलेंगी।
https://twitter.com/DVSadanandGowda/status/1388069953547374594
सरकार ने देश में भी रेमेडिसविर की उत्पादन क्षमता को बढ़ा दिया है। 27 अप्रैल तक सात लाइसेंस प्राप्त घरेलू निर्माताओं की उत्पादन क्षमता प्रति माह 38 लाख शीशियों से बढ़कर 1.03 करोड़ शीशियों प्रति माह हो गई। पिछले सात दिनों में दवा कंपनियों द्वारा देश भर में कुल 13.73 लाख शीशियों की आपूर्ति की गई है। दैनिक आपूर्ति 11 अप्रैल को 67,900 शीशियों से बढ़कर 28 अप्रैल को 2.09 लाख शीशियों तक पहुंच गई है। गृह मंत्रालय द्वारा रेमेडिसविर आपूर्ति को सुचारू रूप से करने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एडवाजरी जारी की गई थी।
सरकार ने भारत में इसकी उपलब्धता बढ़ाने के लिए रेमेडिसविर के निर्यात पर भी रोक लगा दी। आम लोगों के बीच इंजेक्शन की लाभप्रदता सुनिश्चित करने के लिए, एनपीपीए ने इस माह 17 अप्रैल को संशोधित अधिकतम खुदरा मूल्य जारी किया, जिससे सभी प्रमुख ब्रांडों की लागत 3500 रुपये प्रति शीशी से नीचे आ गई।
रेमेडिसविर के उत्पादन तेजी से बढ़ाने और उपलब्धता को आसानी से सुनिश्चित बनाने के लिए, राजस्व विभाग ने 20 अप्रैल को अधिसूचना जारी कर रेमेडिसविर इंजेक्शन पर सीमा शुल्क की पूरी तरह से खत्म करने का ऐलान किया था। इसके साथ ही रेमेडिसविर के निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले एपीआई और बीटा साइक्लोडोडेक्सट्रिन पर भी यह छूट दी गई थी। सीमा शुल्क में यह छूट इस वर्ष 31 अक्टूबर तक लागू रहेगी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसस) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि कोरोना के क्रूर प्रहार से देश के कई हिस्से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस महामारी से निपटने में समाज के सभी लोगों का सहयोग आवश्यक है। कोरोना के प्रकोप पर शासन-प्रशासन व समाज के समन्वित प्रयास से ही भारत विजय प्राप्त करेगा।
आंबेकर ने नयी दिल्ली में डिजिटल माध्यम से आयोजित प्रेस वार्ता में संघ तथा सेवा भारती द्वारा चलाए जा रहे सेवा कार्यों के संबंध में जानकारी दी और कहा कि हमेशा की तरह संघ व सेवाभारती सहित अन्य संगठन व संस्थाएं प्रभावित क्षेत्रों व परिवारों में राहत पहुंचाने के काम में जुटे हैं। संघ की पहल पर आवश्यकता के अनुसार अभी बारह प्रकार के कार्य प्राथमिकता से प्रारंभ हुए हैं।
उन्होंने कहा कि कोविड के संभावित लोगों हेतु आइसोलेशन केंद्र व पॉज़िटिव रोगियों हेतु कोविड केअर (सेवा) केंद्र, सरकारी कोविड केंद्र व अस्पतालों में सहायता, सहायता हेतु दूरभाष (हेल्पलाइन नंबर), रक्तदान, प्लाज्मादान, अंतिम संस्कार के कार्य, आयुर्वेदिक काढ़ा वितरण, समुपदेशन (काउंसलिंग), ऑक्सीजन आपूर्ति व एम्बुलेंस सेवा, भोजन, राशन व मास्क तथा टीकाकरण अभियान व जागरूकता जैसे आवश्यक कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर तत्काल कई प्रांतों में स्वयंसेवकों द्वारा प्रारंभ किया गया है। स्थानीय प्रशासन की भी हर संभव सहायता की जा रही है ताकि सभी मिलकर इस चुनौती पर विजय प्राप्त कर सकें।
उन्होंने बताया कि इंदौर में संघ की पहल पर शासन, निजी अस्पताल, राधा स्वामी संत्संग आदि के सहयोग से दो हज़ार बिस्तर का कोविड केंद्र शासन व समाज के समन्वित कार्य का उत्कृष्ट उदाहरण बन गया है। संघ के स्वयंसेवकों द्वारा अभी 43 प्रमुख शहरों में कोविड सेवा केंद्र चलाए जा रहे हैं तथा अन्य 219 स्थानों पर कोविड अस्पतालों में प्रशासन का सहयोग किया जा रहा है। टीकाकरण हेतु दस हजार से अधिक स्थानों पर जागरूकता अभियान के साथ 2442 टीकाकरण केंद्र अभी तक प्रारंभ किए गए हैं।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि आवश्यकता के अनुसार प्लाज्मा व रक्तदान में सहयोग किया जा रहा है। कुछ स्थानों पर संभावितों की सूची भी बनी है। दिल्ली में रक्तदाताओं की सूची उपलब्ध है। पूणे में जनजागरण अभियान के माध्यम से 600 लोगों ने प्लाज्मा डोनेट किया, जिससे 1500 लोगों का जीवन बचाने में सहायता मिली। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि विभिन्न शहरों में बुजुर्गों व अकेले रहने वालों को ध्यान में रखते हुए हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं। इनके माध्यम से जरूरतमंदों को आवश्यक सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि संघ कोरोना की महामारी में दिवंगत सभी को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों, ऑक्सीजन आदि सामग्री की आपूर्ति में लगे कर्मचारी, सुरक्षा व स्वच्छता कर्मियों सहित सभी कोरोना योद्धाओं का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमारे समाज की संवेदना व सक्रियता अद्भुत है। अपनी जान जोखिम में डालकर संकट की स्थिति में कार्य कर रहे हैं। परिस्थिति भले ही विकट हो, भारत में समाज की शक्ति भी विशाल है।