शनिवार तक देशभर में 9.80 करोड़ से अधिक लोगों को कोविड-19 के टीके की खुराक दी जा चुकी है। पिछले 24 घंटे के दौरान 34 लाख से अधिक टीके की खुराकें दी गई। वहीं दूसरी तरफ कोरोना महामारी की स्थिति चिंताजनक बनती जा रही है। पिछले 24 घंटे में 1.45 लाख से अधिक नये मामले दर्ज किए गए।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अब तक लगभग 89 लाख स्वास्थ्य कर्मियों ने टीके की पहली खुराक और 54 लाख से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों ने टीके की दूसरी खुराक ले ली है। कोरोना महामारी में जुटे अग्रिम मोर्चे के लगभग 98 लाख से अधिक कार्यकर्ताओं को टीके की पहली व 46.59 लाख कार्यकर्ताओं को दूसरी खुराक मिल चुकी है। 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले 3.86 करोड़ लाभार्थियों ने पहली खुराक व 15.90 लाभार्थियों ने दूसरी खुराक और 45 से 60 वर्ष की उम्र के 2.82 लाभार्थियों ने पहली व 5.8 लाख लाभार्थियों ने टीके की दूसरी खुराक ली है।
टीकाकरण मुहिम के 84वें दिन शुक्रवार को 34 लाख से अधिक टीके लगाए गए। वैश्विक स्तर पर दैनिक खुराकों की संख्या के मामले में, भारत प्रतिदिन औसत 38,93,288 टीके की खुराक दिए जाने के साथ शीर्ष पर बना हुआ।
देश में दैनिक नये मामलों का बढ़ना जारी है। पिछले 24 घंटे में 1.45 लाख से अधिक नये मामले दर्ज किए गए। दस राज्यों- महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में दैनिक नये मामलों में वृद्धि दिखाई दे रही है। नये मामलों का 82.82 प्रतिशत इन्हीं दस राज्यों में ही है।देश में कुल सक्रिय मामलों का 51.23 प्रतिशत अकेले महाराष्ट्र से है।
महाराष्ट्र में सबसे अधिक 58,993 दैनिक नये मामले दर्ज किए गए हैं। इसके बाद छत्तीसगढ़ में 11,447 जबकि उत्तर प्रदेश में 9,587 नये मामले दर्ज किए गए हैं।
भारत में सक्रिय मामलों की कुल संख्या 10,46,631 तक पहुंच गई है। यह देश में कुल पॉजिटिव मामलों का अब 7.93 प्रतिशत है। पिछले 24 घंटों में कुल सक्रिय मामलों की संख्या में से 67,023 मामले कम हुए।
देश में शनिवार तक कुल स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या 1,19,90,859 है। राष्ट्रीय स्तर पर रिकवरी दर 90.80 प्रतिशत है। पिछले 24 घंटे में 77,567 मरीज स्वस्थ हुए।
दैनिक मौतें की संख्या में लगातार उछाल देखा जा रहा है। पिछले 24 घंटों में 794 मौतें दर्ज की गई। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा मौतें (301) दर्ज हुईं हैं। जिसके बाद छत्तीसगढ़ में 91 दैनिक मौतें दर्ज की गई हैं।
#Unite2FightCorona#LargestVaccineDrive
India's Cumulative Vaccination Coverage exceeds 9.80 Crores (9,80,75,160).https://t.co/RO5nPqhvEx pic.twitter.com/Ls1D6PytXR
— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) April 10, 2021
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को वर्चुअल माध्यम से देश में इन्टेग्रेटेड हेल्थ इन्फॉर्मेशन प्लेटफार्म (आई.एच.आई.पी.) लांच किया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा लांचिंग कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। आई.एच.आई.पी. पोर्टल के अन्तर्गत अभी 33 तरह की बीमारियों को जोड़ा गया। इस पोर्टल के माध्यम से विभिन्न प्रकार की बीमारियों की ऑनलाईन रिपोर्टिंग होगी। किसी राज्य के किसी भी क्षेत्र में फैल रही बिमारियों के बारे में इस सिस्टम के माध्यम पता चलेगा, जिससे उसको जल्द नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि कहा कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की दृष्टि से यह देश में एक ऐतिहासिक कदम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के संकल्प की दिशा में स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह एक महत्वपूर्ण प्रयास है। उन्होंने कहा कि आई.एच.आई.पी को विकसित करने के लिए अनेक प्रयास किये गए हैं, इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी पूरा सहयोग मिला। आने वाले समय में इसके तहत अन्य बीमारियों को शामिल किया जायेगा, ताकि उनकी भी सतत निगरानी हो सके। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों से भी आई.एच.आई.पी में पूरा सहयोग मिल रहा है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि आई.एच.आई.पी के शुरू होने से विभिन्न प्रकार की बीमारियों को जल्द नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। यह स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आई.एच.आई.पी के क्रियान्वयन के लिए राज्य में 1282 टेबलेट उपलब्ध कराये गए हैं। एएनएम, आशा और लेब टैक्निशियन को प्रशिक्षण दिया गया है। न्याय पंचायत स्तर तक प्रशिक्षण दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अभी कोविड के 03 हजार केस एक्टिव हैं, राज्य में कोविड का रिकवरी रेट 95 प्रतिशत है। जिन राज्यों में पिछले कुछ दिनों में कोरोना के अधिक मामले आये, उन राज्यों से उत्तराखण्ड आने वाले लोगों को कोविड नेगेटिव रिपोर्ट लाने पर ही प्रवेश दिया जा रहा है। हरिद्वार कुंभ राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती है, कुंभ में केन्द्र सरकार की कोविड गाईडलाईन का पूरा पालन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री से राज्य को जल्द 05 लाख और कोविड वैक्सीन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।
इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम से विभिन्न राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव भारत सरकार राजेश भूषण आदि उपस्थित थे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसस) के सह-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले को सर्वसम्मति से संगठन का नया सरकार्यवाह चुना गया है। वे सुरेश (भैय्याजी) जोशी का स्थान लेंगे।
बेंगलुरु में संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की दो दिवसीय बैठक के अंतिम दिन शनिवार को होसबाले के नाम पर मुहर लगी। वे वर्ष 2009 से संघ के सह-सरकार्यवाह के दायित्व का निर्वहन कर रहे थे। संघ में सरसंघचालक के बाद
दूसरा सबसे महत्पूर्ण पद सरकार्यवाह (महासचिव) का होता है।
प्रत्येक तीन वर्ष में होता है चुनाव
संघ में सरसंघचालक के पद पर नियुक्त व्यक्ति आजीवन पद पर बने रहते हैं। किसी अपरिहार्य परिस्थिति में वे अपने उत्तराधिकारी का चयन स्वयं करते हैं। मगर सरकार्यवाह के पद पर प्रत्येक 3 वर्ष में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में चुनाव होता है। निवर्तमान सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी इस पद पर लगातार चार बार निर्वाचित हुए।
Bangaluru : Akhil Bharatiya Pratinidhi Sabha of RSS elected Shri Dattatreya Hosabale as its ‘Sarkaryavah’. He was Sah Sarkaryavah of RSS since 2009. pic.twitter.com/ZZetAvuTo4
— RSS (@RSSorg) March 20, 2021
कौन हैं दत्तात्रेय होसबाले
संघ के नए सरकार्यवाह नियुक्त हुए दत्तात्रेय होसबाले की पहचान एक विचारक के रूप में होती है। उनका का जन्म 1 दिसंबर 1954 में कर्नाटक के शिमोगा जिले के होसबाले गांव में हुआ। उन्होंने बेंगलूरु यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर तक की शिक्षा ग्रहण की।
13 वर्ष की आयु में बने संघ के स्वयंसेवक
होसबाले 1968 में 13 वर्ष की आयु में संघ के स्वयंसेवक बने और 1972 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से जुड़े। वर्ष 1978 में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल करने के पश्चात पूर्णकालिक बने। विद्यार्थी परिषद में विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करने के पश्चात वे वर्ष 1992 से 2003 तक 11 वर्षों तक राष्ट्रीय संगठन मंत्री रहे। वे वर्ष 2003 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह-बौद्धिक प्रमुख बने और वर्ष 2009 में सह-सरकार्यवाह के पद पर नियुक्त हुए।
आपातकाल में 14 माह तक जेल रहे
होसबाले 1975 में आपातकाल के दौरान चले आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और लगभग 14 माह तक ‘मीसा’ के अंतर्गत जेल में रहे।
कई भाषाओं के हैं ज्ञाता
होसबाले अपनी मातृभाषा कन्नड़ के अतिरिक्त अंग्रेजी, तामिल, मराठी, हिंदी व संस्कृत सहित अनेक भाषाओं के ज्ञाता हैं। वे कन्नड़ मासिक पत्रिका असीमा के संस्थापक संपादक भी रहे।
होसबाले भारत में पढ़ रहे विदेशी छात्रों का संगठन विश्व विद्यार्थी युवा संगठन (WOSY) के संस्थापक महामंत्री रहे।उन्होंने अमेरिका, यूरोप सहित विश्व के अनेक देशों का भ्रमण किया है।
कार्यकारिणी में हुआ ये बड़ा बदलाव
डॉ. कृष्ण गोपाल, डॉ. मनमोहन वैद्य, सीआर मुकुंद, अरुण कुमार, रामदत्त चक्रधर को सह-सरकार्यवाह की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
राम लाल को अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख, सुनील अम्बेकर को अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख व आलोक कुमार को अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नियुक्त किया गया है।
निवर्तमान सरकार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी, निवर्तमान सह-सरकार्यवाह सुरेश सोनी व वी भगैया, सुहास राव हिरेमथ, इंद्रेश कुमार, प्रो अनिरुद्ध देशपांडे व उदय कुलकर्णी को केंद्रीय कार्यकारिणी मंडल का सदस्य बनाया गया है। इसके साथ ही भाजपा में राष्ट्रीय महामंत्री रहे राम माधव को भी कार्यकारिणी मंडल में रखा गया है।
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तीन वर्ष में एक बार आयोजित होने वाली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सर्वोच्च इकाई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की दो दिवसीय बैठक 19 व 20 मार्च को बेंगलुरु में आयोजित होगी। बैठक में संघ की पिछली तीन साल की गतिविधियों व कार्यक्रमों और आगामी तीन वर्षों का रोडमैप तय किया जाएगा। बैठक में नए सरकार्यवाह के चुनाव की प्रक्रिया भी संपन्न होगी।
संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने बेंगलुरु में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कहा कि हर तीन साल में हम कार्य की समीक्षा करते हैं। पिछले तीन वर्षों संघ कार्य के विस्तार, ग्राम विकास, पर्यावरण संरक्षण (विशेषकर जल संरक्षण, पौधारोपण, प्लास्टिक का कम से कम उपयोग), सामाजिक परिवर्तन को लेकर योजना तय की थी। प्रतिनिधि सभा में तीन साल में किए कार्य को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा होगी कि हम कहां तक पहुंच पाए। सामाजिक परिवर्तन (सोशल ट्रांसफ़ॉर्मेशन) के कार्य में कितना आगे बढ़ सके। इसके साथ ही आने वाले तीन सालों की योजना पर भी चर्चा होगी, हमारी दिशा क्या होनी चाहिए, इस पर भी बैठक में चर्चा होगी।
उन्होंने बताया कि प्रतिनिधि सभा की बैठक पिछले वर्ष आयोजित होनी थी। मगर कोरोना महामारी के चलते बैठक स्थगित कर दी गयी थी। प्रतिनिधि सभा में 1500 लोग अपेक्षित रहते हैं, लेकिन कोरोना का संकट अभी समाप्त नहीं हुआ है। इसलिए 450 प्रतिनिधियों को ही बैठक में बुलाया गया है। साथ ही तीन दिन के बजाय बैठक दो दिन की रखी गयी है। उन्होंने कहा कि संघ कार्य की दृष्टि से 44 प्रांत बनाए हैं। इन प्रांतों के संघ के निर्वाचित प्रतिनिधि व अन्य लगभग 1000 लोग 44 स्थानों से ऑनलाइल माध्यम से बैठक में जुड़ेंगे।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल के एक साल में भले ही संघ की प्रतिदिन की गतिविधियां कम थीं। मगर संघ के स्वयंसेवकों व कार्यकर्ताओं ने लगातार समाज से व्यापक संपर्क बनाए रखा। इस दौरान अनेक सामाजिक- धार्मिक संगठन, समाज के लिए कार्य करने वाले लोग हमारे निकट आए, हमसे जुड़े, हम अनेक नए स्थानों पर पहुंचे। इन सभी को साथ लेकर समाज जागरूकता के लिए क्या-क्या कर सकते हैं, इसे लेकर भी बैठक में चर्चा होगी।
संघ को मिल सकते हैं नए सरकार्यवाह
यहां यह भी बता दें कि संघ के सबसे बड़े दूसरे पद सरकार्यवाह का हर तीन साल में चुनाव होता है। 20 मार्च को सरकार्यवाह के चुनाव की प्रक्रिया संपन्न होगी। सूत्रों के अनुसार संघ के वर्तमान सरकार्यवाह सुरेश (भय्या जी) जोशी अपनी आयु को देखते हुए पद को छोड़ना चाहते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस बैठक में उनके उत्तराधिकारी का भी चुनाव होगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि हमारे देश में सेक्युलर शब्द बहुत प्रचलित है। सेक्युलर शब्द विदेशी अवधारणा से उत्पन्न हुआ है। रोम के थियोक्रेटिक स्टेट (धर्मसत्ता) के कार्यकाल में उत्पन्न हुआ यह शब्द भारत में प्रासंगिक नहीं है।
गुजरात के कर्णावती में माधव स्मृति न्यास द्वारा धर्मचक्र प्रवर्तनाय विषय पर आयोजित दो दिवसीय व्याख्यान के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ वैद्य ने कहा कि सूरत के केटी शाह ने संविधान सभा में प्रस्ताव दिया था कि भारत को सेक्युलर सोशलिस्ट रिपब्लिक कहा जाए। लेकिन उस समय के विद्वानों ने शाह का यह प्रस्ताव नामंजूर किया था। तत्कालीन विद्वानों का मानना था कि भारतीय सभ्यता में इस शब्द की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि भारतीय समाज और सभ्यता सभी को स्वीकार करती है।
सेक्युलर शब्द की उत्पत्ति पर डॉ. वैद्य ने कहा कि कहा कि कबिलों में बंटा यूरोपियन समाज सबसे पहले तीसरी शताब्दी में रोमन साम्राज्य के विस्तार के साथ एक छत के नीचे आया। यरूशलम से चलने वाली पोप की सत्ता खिसक कर वेटिकन में चली गई। वहीं राजा के आश्रय के कारण बिशप का महत्त्व बढ़ गया था। छठी शताब्दी में रोमन साम्राज्य समाप्त होने के बाद समाज को जोड़े रखने के लिए सत्ता पोप के हाथों में आई। पोप द्वारा चलाए जाने वाले इस राज्य को थियोक्रेटिक स्टेट कहा जाता था। यह राज्य लगभग एक हजार वर्ष तक बरकरार रहा। तत्कालीन रोमन समाज के लोग भौतिक चीजों को धर्म सत्ता से दूर रखना चाहते थे। नतीजतन धर्म से जुड़ी व्यवस्था के लिए रिलीजन और अन्य चीजों के लिए सेक्युलर शब्द का इस्तेमाल किया जाने लगा।
सह सरकार्यवाह ने कहा कि भारत में आपातकाल के दौरान 1976 में बिना चर्चा के भारतीय संविधान में 42वां संशोधन किया गया। इस संशोधन के तहत संविधान की प्रस्तावना में बेवजह सेक्युलर शब्द जोड़ा गया। संविधान के जानकार कहते हैं कि, संविधान की प्रस्तावना में कोई बदलाव नहीं हो सकता, इसके बावजूद प्रस्तावना में सेक्युलर शब्द अनावश्यक रूप से जोडा गया।
डॉ.वैद्य ने कहा कि सेक्युलर शब्द को भारत में जिस तरह से परिभाषित किया गया, वह अपने आप में विचित्र है। उन्होंने कई उदाहरण देते हुए बताया कि, हिन्दू धर्म और आस्था की बात करना हमारे देश में सांप्रदायिक माना जाता है। अन्य धर्मों के लोगों द्वारा मजार पर चादर चढ़ाना सेक्युलर है। लेकिन मंदिर में घंटी बजाना सांप्रदायिकता कहलाता है। भारतीय सेक्युलरिज्म के तहत आप ओवैसी के साथ मंच साझा कर सकते हैं। लेकिन, योगी आदित्यनाथ के साथ मंच पर बैठे तो आप को सांप्रदायिक कहा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के किसी भी मुस्लिम देश में हज यात्रा के लिए सब्सिडी नहीं दी जाती। लेकिन सेक्युलर कहलाने वाले भारत में हज पर सब्सिडी मिलती है। प्रधानमंत्री रहते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यक समुदाय का है। प्रधानमंत्री का यह वाक्य अपने-आप में सांप्रदायिक था। लेकिन सेक्युलर देश में किसी ने उस वाक्य पर आपत्ति दर्ज नहीं कराई।
धर्म की परिभाषा पर डॉ. वैद्य ने कहा कि
धारणात धर्मं इत्याहू: तस्मात् धारयते प्रजाः।
यः स्यात् धारणसंयुक्तः स धर्म इति निश्चयः।।
अर्थात जो धारण करता है, एकत्र करता है, उसे धर्म कहते हैं। उपासना और अध्यात्म धर्म से जुड़ा होता है। नतीजतन कई लोग उपासना पद्धति को धर्म मान लेते हैं। लेकिन धर्म की परिभाषा इतनी सीमित नहीं है। हमारे देश की संसद में धर्मचक्र प्रवर्तनाय लिखा हुआ है। व्यक्ति से समाज को जोड़ने का नाम धर्म है। हमारे राष्ट्रध्वज में जो चक्र है, उसे लोग अशोक चक्र कहते हैं। वास्तव में यह धर्मचक्र है, जिसे सम्राट अशोक ने स्वीकारा था। समाज में दूसरों के प्रति योगदान देना, मैं से हम तक की यात्रा का नाम धर्म है। धर्म के इस विस्तारित अर्थ को ध्यान में रख कर हमें धर्मचक्र को गतिमान रखने में योगदान देना चाहिए।
रेल मंत्रालय ने मीडिया में चल रही उन खबरों का खंडन किया है, जिनमें आगामी अप्रैल माह से सभी रेल गाड़ियों को फिर से शुरू किए जाने की बात कही गई है।
मंत्रालय ने फिर से दोहराया है कि सभी रेल गाड़ियों को फिर से शुरू किए जाने के संबंध में ऐसी कोई तिथि अभी निर्धारित नहीं की गई है।
एक आधिकारिक बयान में मंत्रालय ने कहा है कि रेलवे अपनी रेलगाड़ियों की संख्या वृद्धि अवश्य कर रहा है लेकिन यह वृद्धि चरणबद्ध ढंग से की जा रही है।
वर्तमान समय में 65% रेलगाड़ियां चल रही हैं। जनवरी महीने में 250 रेल गाड़ियों को शुरू किया गया। इसी तरह से आने वाले समय में भी क्रमशः रेल गाड़ियों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
गाड़ियों की संख्या बढ़ाए जाने के निर्णय में सभी आवश्यक एहतियाती उपायों को ध्यान में रखा जा रहा है और सभी पक्षों की राय ली जा रही है।
मंत्रालय ने इस संबंध में किसी तरह की अटकलबाज़ी को नजरअंदाज करने की अपील की है और कहा है कि जब भी ऐसे निर्णय लिए जाएंगे मीडिया के माध्यम से जनता को विधिवत सूचित किया जाएगा।
निर्माणाधीन दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून आर्थिक गलियारा (Economic Corridor) के बन कर तैयार हो जाने पर दोनों शहरों के बीच की दूरी 235 किलोमीटर से घटकर 210 किलोमीटर हो जाएगी। दोनों शहरों के बीच यात्रा अवधि जो अभी लगभग 6.5 घंटा है वह केवल 2.5 घंटा हो जाएगी। यह देश का पहला राजमार्ग होगा जहां वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए 12 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर होगा।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार इस परियोजना को ईपीसी (Engineering, Procurement and Construction) मोड के तहत पूरा करने का निर्णय लिया गया है। पूरे कॉरिडोर को न्यूनतम 100 किमी प्रति घंटा की गति के साथ ड्राइविंग के लिए डिजाइन किया गया है।
इस कॉरिडोर पर ड्राइविंग करने वाले को बेहतर अनुभव देने के लिए हर 25-30 किमी की दूरी पर विभिन्न सुविधाओं का प्रावधान किया गया है। इस सड़क पर वाहन चालकों को टोल टैक्स के रूप में उतना ही भुगतान करना होगा, जितना की वो दूरी तय करेंगे। इसके लिए राजमार्ग पर क्लोज्ड टोल मैकेनिज्म को अपनाया जाएगा।
मंत्रालय के अनुसार इस कॉरिडोर के विकास से इसके आसपास के क्षेत्र में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। विशेष रूप से उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। परियोजना के कार्यान्वयन के लिए दिल्ली के अक्षरधाम से देहरादून तक के इस राजमार्ग को 4 खंडों में विभाजित किया जाएगा।
खंड-1 में छह लेन के साथ छह लेन सर्विस रोड विकसित की जा रही है। इसे 2 पैकेजों में विभाजित किया गया है। पैकेज 1 दिल्ली के हिस्से में है यह 14.75 किमी में है और जिसमें से 6.4 किमी एलिवेटेड है। पैकेज 2 यूपी में 16.85 किमी की लंबाई में पड़ती है और यह 11.2 किमी एलिवेटेड है। इन दोनों पैकेजों की निविदा प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। यह खंड डीएमई के पास अक्षरधाम मंदिर से शुरू होगा और गीता कॉलोनी, खजुरीखास, मंडोला आदि से होकर गुजरेगा। इस राजमार्ग का उद्देश्य उत्तर पूर्वी दिल्ली पर जाम के बोझ को कम करना है। साथ ही ट्रोनिका सिटी, यूपी सरकार की मंडोला विहार योजना की विकास क्षमता को भी बढ़ाना है।
खंड-2 पूरी तरह से 6 लेन ग्रीनफील्ड योजना है जो बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर जिलों से गुजरती है। डीपीआर का काम पूरा हो गया है और चार पैकेजों में निविदा प्रक्रिया शुरू की गई है। भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया चल रही है और वन / पर्यावरण मंजूरी के लिए आवेदन दिए गए हैं।
खंड-3 सहारनपुर बाईपास से शुरू होता है और गणेशपुर पर समाप्त होता है। हाल ही में पूरी लंबाई को एनएचएआई ने चार लेन में पूरा किया है। न्यूनतम 100 किमी प्रति घंटे की गति को प्राप्त करने के लिए इसे पूरी तरह से नियंत्रित करने के लिए आवश्यक अंडरपास और सर्विस रोड की योजना बनाई जा रही है।
खंड-4 में छह लेन है जिसमें पूर्ण अभिगम नियंत्रित है। यह खंड मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्य में आरक्षित वन से होकर गुजरता है। 20 किमी में से, 5 किमी का विस्तार ब्राउनफील्ड है, और 15 किमी में से वन्य जीवन गलियारे (12 किमी) के लिए एलिवेटेड और सुरंग (340 मीटर) है। वन्यजीव की चिंताओं के कारण सामान्य तौर पर आरओडब्ल्यू 25 मीटर तक सीमित है। वन और वन्यजीव की मंजूरी मिल गई है। मूल्यांकन के तहत 3 पैकेजों में बोलियां प्राप्त हुई हैं।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली में किसानों के अराजक प्रदर्शन के दौरान घायल हुए पुलिसकर्मियों का बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने हालचाल पूछा। अमित शाह ने दिल्ली के तीरथ राम अस्पताल और सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर जाकर घायल पुलिस जवानों से मुलाकात की। घायल जवानों से मुलाकात का ट्विटर पर वीडियो जारी करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि हमें उनके साहस व बहादुरी पर गर्व है।
उल्लेखनीय है कि नए कृषि कानूनों के विरोध में लम्बे समय से आंदोलनरत किसानों ने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर रैली आयोजित करने की अनुमति मांगी थी। दिल्ली पुलिस ने कुछ शर्तों के साथ रैली को अनुमति दी थी। इन शर्तों में रैली को एक निर्धारित रुट से ले जाना भी शामिल था। मगर आयोजकों ने अनुमति की किसी भी शर्त का पालन नहीं किया। उल्टा प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली में तोड़फोड़, हिंसा व अराजकता का नंगा नाच किया। सरेआम तलवारें लहराई गईं। लाल किले पर तिरंगे का अपमान कर एक अन्य ध्वज फहराया गया।
किसानों के नाम पर हुए इस हिंसक प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस ने बेहद संयम का परिचय दिया और अराजक तत्वों के मंसूबो को कामयाब नहीं होने दिया। प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस के करीब 400 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे, जिनमें से कुछ गंभीर रूप से घायल हैं। बुधवार को अमित शाह इन घायल जवानों को मिलने अस्पताल पहुंचे।
गृह मंत्री शाह द्वारा ट्विटर पर जारी वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि वे न केवल घायल जवानों की कुशल क्षेम पूछ रहे हैं, अपितु डॉक्टरों से भी बातचीत कर रहे हैं और जवानों के कंधों पर हाथ रख कर उन्हें ढांढस बंधाते भी दिख रहे हैं। शाह ने जवानों के फल भी वितरित किए। शाह ने घायल जवानों से मुलाकात का वीडियो अपने ट्विटर हैंडल पर जारी करते हुए घायल पुलिस कर्मियों के लिए लिखा है कि – ”हमें उनके साहस और बहादुरी पर गर्व है”।
वित्त मंत्री ने कहा दिल्ली पुलिस का अनुकरणीय संयम
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गृह मंत्री शाह के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए उनके द्वारा घायल जवानों के हालचाल पूछे जाने की सराहना की। अपने ट्वीट में निर्मला ने यह भी कहा कि दिल्ली पुलिस ने अनुकरणीय संयम दिखाया। वित्त मंत्री ने ड्यूटी के दौरान घायल हुए जवानों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना भी की है।
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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने गणतंत्र दिवस पर सुनियोजित हिंसाचार, राष्ट्रीय धरोहर लालकिला प्रांगण में हुई तोड़फोड़, पुलिस व अर्धसैनिक बलों पर तलवारों, फर्से व लाठियों से लैस भीड़ के संगठित हमले तथा राष्ट्रीय प्रतीकों के अनादर में सम्मिलित अपराधियों पर शीघ्र कार्रवाई की मांग की है।
एक बयान में ABVP ने कहा है कि कथित किसान नेताओं ने वकील प्रशांत भूषण तथा दुष्यंत दवे के माध्यम से उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर कर आंदोलन के शांतिपूर्ण ढंग से आयोजित होने का आश्वासन दिया था, लेकिन शुरूआती दौर से ही यह कथित किसान आंदोलन बिल्कुल भी शांतिपूर्ण नहीं रहा। ट्रैक्टरों पर तोड़फोड़ करने वाले यंत्रों को लगाने आदि से इस आंदोलन की सुनियोजित हिंसा के षड्यंत्र का अनुमान लगाया जा सकता है।
किसान आंदोलन की आड़ में जिस प्रकार से लाल किले की प्राचीर से तिरंगा का अपमान कर अन्य पताकाओं और अलगाववादी खालिस्तानी व वामपंथी पार्टियों के झंडे लहराए गए, तथा दिल्ली पुलिस व अर्धसैनिक बलों के जवानों के साथ भीड़ ने भीषण हिंसा की, उसके अलग-अलग वीडियो सार्वजनिक हैं। इन वीडियोज की पड़ताल कर दंगाइयों तथा देशविरोधी तत्त्वों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
ABVP की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा, “राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को फेंक उसके अनादर के वीडियो लोगों के बीच सार्वजनिक हो चुके हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस तरह राष्ट्रीय प्रतीकों के अनादर से देश गुस्से में है। इस पूरी हिंसा की निष्पक्ष जांच कर सरकार को अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी। गणतंत्र दिवस जैसे पावन दिन पर अशांति फैलाकर आंदोलन के पीछे की ताकतों की वास्तविकता स्पष्ट है।”
दो महीनों से किसानों की खाल ओढ़कर बैठे भेड़ियों की असली शक्ल गणतंत्र दिवस पर देश के सामने आ गई। आखिरकार वही हुआ जिसकी संभावना बीते कई दिनों से जताई जा रही थी। दिल्ली पुलिस बताती रही कि किसानों के आंदोलन में उपद्रवी तत्व घुस चुके हैं, इंटेलीजेंस बताता रहा कि पाकिस्तान से आन्दोलन को भड़काने की कोशिश कर रही है लेकिन अपने मद में चूर किसान नेता पुलिस की बात को अनसुना करते रहे। पुलिस समझाती रही और किसान नेता कहते रहे कि हम तिरंगा लहराएंगे लेकिन 26 जनवरी को तस्वीरें तलवार लहराने की सामने आईं। मीडिया पर तैर रही तमाम तस्वीरें और वीडियो किसी को भी यह सवाल पूछने के लिए विवश कर देंगे कि क्या यह मेरे देश का किसान है?
तोड़े सारे नियम
पहले तो किसान अपनी मांगों को लेकर सरकार के सामने अड़ गए। सरकार ने नरम रुख अपनाया। मगर फिर भी उनकी जिद में कहीं से कोई कमी नहीं आई। फिर किसानों ने जिद पकड़ी कि उन्हें 26 जनवरी को परेड निकालनी है। पहले तो पुलिस ने समझाया। बाद में पुलिस ने कुछ शर्तों के साथ उन्हें रैली की इजाजत भी दे दी, लेकिन जब रैली का दिन आया तो उन्होंने सारी शर्तों को धता बता दिया। सारे नियम तोड़ डाले गए। पुलिस के बैरिकेड माचिस की तीलियों की तरह तोड़ दिए गए और देश की राजधानी पर इस तरह से हमला किया गया है मान लो मुगलों की फौज दिल्ली लूटने आई हो।
जगह-जगह हिंसा
मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से इन कथित किसानों की अराजक तस्वीरें व वीडियो सामने आए हैं। एक वीडियो में एक निहंग सिख खुलेआम पुलिस वाले पर तलवार भांजता दिखाई दे रहा है। कहीं पुलिस वालों के सर से बहता हुआ खून है तो कहीं खिलौने की तरह नाचती हुई बस। पुलिस के ऊपर लाठियां चलाई जा रही है। साथ हीं जगह-जगह पत्थर भी बरसाए जा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने अराजकता की सारी सीमाओं को पार किया। महिला पुलिसकर्मियों से बदसलूकी की गई।
मोदी विरोधी ताकतों की मंशा पर फिरा पानी
जिस तरह तलवारें लहराई गयी, ईंट पत्थर फेंके गए, ट्रैक्टर से पुलिस वालों को कुचलने की कोशिश की गई, पुलिस ने तब भी संयम बरतते हुए अपनी जान बचाई, यह पूरे देश ने देखा है। मोदी विरोधी ताकतें पूरी उम्मीद में थीं कि मोदी के सब्र का बांध कभी तो टूटेगा और सरकार और उत्पाती आमने-सामने होंगे। लाशें गिरेंगी और इन्हें लोकतंत्र के नाम पर बकैती का अवसर हाथ आएगा। लेकिन सरकार के संयम ने इनकी इस मंशा पर भी पानी फेर दिया।
कथित किसानों का दांव उल्टा पड़ा
किसान आंदोलन के नाम पर कुछ लोग केंद्र सरकार को तानाशाह साबित करने पर तुले थे। मगर केंद्र सरकार ने संयमित रुख अपनाते किसानों की खाल में छिपे असामाजिक तत्वों की अराजकता को पूरी दुनिया के सामने नुमाया कर दिया और सिद्ध कर दिया कि यह पूरा आंदोलन एक बड़े षड्यन्त्र का हिस्सा था और इसके पीछे राष्ट्र विरोधी ताकतों का दिमाग और पैसा था।