वाइस एडमिरल संदीप नैथानी, अति विशिष्ट सेवा मेडल (AVSM), विशिष्ट सेवा मेडल (VSM) को युद्धपोत उत्पादन और अधिग्रहण नियंत्रक (Controller Warship Production and Acquisition) के पद पर तैनात किया गया है। नैथानी राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (National Defence Academy), खडकवासला पुणे के स्नातक हैं। उन्हें 01 जनवरी 1985 को भारतीय नौसेना की विद्युत शाखा में कमीशन प्राप्त किया था। एडमिरल नैथानी मूलरूप से उत्तराखंड के पौड़ी (गढ़वाल) के निवासी हैं।
एडमिरल नैथानी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली से रडार एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएट हैं। वे डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (DSSC) और नेशनल डिफेंस कॉलेज (NDC) के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने अपने साढ़े तीन दशक के शानदार नौसैनिक करियर के दौरान विभिन्न चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है।
नैथानी ने विमान वाहक पोत विराट पर विभिन्न सेवाएं दी हैं। उन्होंने मुंबई और विशाखापत्तनम में नौसेना डॉकयार्ड, नौसेना मुख्यालय के स्टाफ, कार्मिक और मैटरियल शाखाओं में महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। इसके अलावा उन्होंने नौसेना के प्रमुख विद्युत प्रशिक्षण प्रतिष्ठान, आईएनएस वलसुरा की भी कमान संभाली।
एक फ्लैग ऑफिसर के रूप में, एडमिरल नैथानी ने नौसेना मुख्यालय में सहायक चीफ ऑफ मैटरियल (आधुनिकीकरण), चीफ स्टॉफ ऑफिसर (टेक्निकल), नौसेना डॉकयार्ड मुंबई के एडमिरल सुपरिटेंडेंट, मुंबई में डायरेक्टर जनरल नेवल प्रोजेक्ट आदि विभिन्न पदों पर काम किया किया है।
नई दिल्ली। अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत के भाषणों का संकलन यशस्वी भारत का लोकार्पण जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी ने किया। इस अवसर पर संघ के सह-सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि अब भारत पुन: अंगड़ाई ले रहा है और अपनी खोई अस्मिता व प्रतिष्ठा अर्जित करने के पथ पर अग्रसर है।
डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि हमें संपन्न, सामर्थ्यवान, शक्तिशाली तो बनना है, लेकिन इससे आगे भारत को यशस्वी बनना है। उन्होंने कहा कि यश तब आता है, जब कोई परमार्थ करता है। प्राचीन भारत का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हम 18वीं शताब्दी तक दुनिया की आर्थिक महाशक्ति थे, शक्तिशाली भी थे। लेकिन हमारी प्रतिष्ठा सर्वे भवन्तु सुखिनः की हमारी नीति और सभी को ईश्वर का अंश मानने के हमारे भाव के कारण थी।
उन्होंने मिस्र, बेबीलोन, स्पार्टा आदि देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि बर्बर, हिंसक और क्रूर सभ्यताएं सौम्य सभ्यताओं का नाश कर देती हैं। उन्होंने कहा कि हमने कोई हजार वर्षों तक ऐसे आक्रमणों से स्वयं को भी बचाया और धर्म की भी रक्षा की। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत के सभी उद्बोधनों का मूल स्वर यही है कि कैसे हम सब भारतीय जाति-धर्म-भाषा के भेद मिटाकर भारत की यशस्विता और सर्वांगीण समेकित विकास में सहभागी बन सकें। हम अपने गौरवशाली अतीत का स्मरण करें जब भारत ‘विश्वगुरु’ था और एक नायक की भांति विश्व का नेतृत्व करता था। अब भारत पुन: अंगड़ाई ले रहा है और अपनी खोई अस्मिता व प्रतिष्ठा अर्जित करने के पथ पर अग्रसर है।
स्वामी अवधेशानंद गिरी ने कहा कि स्थितियां बदल रही हैं। जाति की जकड़, स्त्रियों की स्थिति, समाज के चिंतन में बदलाव आया है। संन्यास परंपरा का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अब तथाकथित छोटी जातियों से भी संन्यासी बन रहे हैं और किसी को कोई आपत्ति भी नहीं है। हिन्दू दूसरों का धर्म परिवर्तन नहीं कराते। कोरोना काल में दुनिया में जितने लोगों ने योग, आयुर्वेद और दूसरी भारतीय पद्धतियां अपनाईं, उससे भारतीय विचार का पूरे विश्व में व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ है। मोहन भागवत के चिंतनपरक उद्बोधनों में भारत के स्वर्णिम भविष्य के निर्माण का मार्ग है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि भारत के पूर्व नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (CAG) राजीव महर्षि ने भी हिन्दू कौन विषय को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि संघ और सरसंघचालक मोहन भागवत के चिंतन में सदैव ‘राष्ट्र’ रहता है और इसीलिए इस वैश्विक संगठन की स्वीकार्यता समाज में निरंतर बढ़ रही है।
पुस्तक में सरसंघचालक मोहन भागवत के अलग-अलग अवसरों पर दिए गए 17 भाषणों का संकलन है। प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित 286 पृष्ठों की पुस्तक का संपादन लोकसभा टीवी के संपादक श्याम किशोर ने किया है। पुस्तक की प्रस्तावना संघ के पूर्व अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख, प्रखर चिंतक-विचारक एमजी वैद्य ने लिखी है।प्रभात प्रकाशन के निदेशक पीयूष कुमार व प्रभात कुमार ने उपस्थित अभ्यागतों का स्वागत किया।
वरिष्ठ पत्रकार, हिन्दुत्व के भाष्यकार, चिंतक एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेता माधव गोविंद वैद्य (बाबू राव वैद्य) का शनिवार को महाराष्ट्र के नागपुर में निधन हो गया। वे 97 वर्ष के थे। वे पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थे, और अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था।
वैद्य के पुत्र व RSS के सह सरकार्यवाह डॉ मनमोहन वैद्य ने ट्वीट कर उनके निधन की जानकारी दी। उनका अंतिम संस्कार रविवार को होगा। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, RSS के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत, सरकार्यवाह सुरेश (भय्या) जोशी, भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा समेत तमाम लोगों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
माधव गोविंद वैद्य का जन्म महाराष्ट्र के वर्धा जिले की तरोड़ा तहसील में 11 मार्च, 1923 को हुआ था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा तरोडा व माध्यमिक शिक्षा नील सिटी हाई स्कूल, नागपुर से पूर्ण की। नागपुर के मॉरिस कॉलेज से महाविद्यालयी शिक्षा प्रथम श्रेणी में पूरी की और शिक्षण कार्य से जुड़ गए।
संस्कृत के ख्यात शिक्षक जो अनूठी शिक्षण शैली और विषय पर पकड़ के कारण न केवल छात्रों, अपितु विरोधी विचारधारा के लोगों में भी लोकप्रिय रहे। वर्ष 1966 में संघ की योजना के तहत नौकरी छोड़ दैनिक तरुण भारत, नागपुर से जुड़े। समाचार चयन की तीक्ष्ण दृष्टि और गहरी वैचारिक स्पष्टता के कारण पत्रकारिता के क्षेत्र में भी उन्होंने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। कालांतर में इसका प्रकाशन करने वाले नरकेसरी प्रकाशन का नेतृत्व किया।
कुछ वर्षों बाद वैद्य ने पत्रकारिता से राजनीति के क्षेत्र में पदार्पण किया। वर्ष 1978 से 1984 तक वे महाराष्ट्र विधान परिषद् के लिए मनोनीत किये गए। वे RSS में अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख, अखिल भारतीय प्रवक्ता, तथा वर्ष 2008 तक अ. भा. कार्यकारी मंडल के निमंत्रित सदस्य रहे। वैद्य संघ शोधकों, सत्यशोधकों और विरोधी विचारधाराओं के जिज्ञासा समाधान के लिए हमेशा तत्पर और उपलब्ध रहे।
उन्होंने वैचारिक अधिष्ठान प्रदान करने वाली अनेक पुस्तकों का लेखन किया। उन्हें महाराष्ट्र सरकार का ‘महाकवि कालिदास संस्कृत साधना पुरस्कार’, राष्ट्रसन्त तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय का ‘राष्ट्रसन्त तुकडोजी जीवन गौरव पुरस्कार’ सहित दर्जन भर पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
- रजनीश कुमार
दिल्ली की सीमा पर किसानों का आंदोलन जारी है। सरकार के प्रयासों से किसान संगठनों और सरकार के बीच संवाद भी जारी है। स्वस्थ लोकतंत्र में संवाद की महत्ता हमेशा से रही है, हमारे यहां पुरानी उक्ति है – वादे वादे जायते तत्वबोध: अर्थात् संवाद से तत्व का ज्ञान होता है। हालांकि किसान संगठन बिल वापस लेने पर अड़ गए हैं। वहीं सरकार का कहना है – जहां आपत्ति होगी, संशोधन करेंगे। किसान संगठनों ने तर्क दिया कि नए कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा, सरकार लिखित आश्वासन देने को तैयार है।
संगठनों ने एपीएमसी यानि मंडियों के समाप्त होने की चिंता प्रकट की, सरकार ने कहा – लिखित में दे देंगे कि मंडियां समाप्त नहीं होंगी। डर जताया कि किसानों की जमीन बिक जाएगी, सरकार ने कहा कि किसानों की फसल की बिक्री होगी, जमीन का कोई एग्रीमेंट नहीं होगा। किसानों ने डर व्यक्त किया कि विवाद की स्थिति में कोर्ट का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। सरकार ने उनके डर को दूर करते हुए कहा कि सिविल कोर्ट जाने का अधिकार देंगे, फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाएंगे।
अब इसके बाद किसान प्रदर्शनरत संगठन कह रहे हैं प्रस्ताव मंजूर नहीं, सरकार संवाद को प्राथमिकता देते हुए कह रही है – कोई और समस्या हो तो बताइए। अब किसान संगठन मांग कर रहे हैं कि बिल वापस लो …!
सम्प्रति कहां क्या हो रहा है, कुछ ना उसको ज्ञान है
वायु कैसी चल रही, इसका न कुछ भी ध्यान है
राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त ने किसानों के मनोभाव को समझते हुए यह पक्तियां लिखी थीं। ये पंक्तियां आज कुछ ज्यादा ही प्रासंगिक हो गई हैं।
किसान बहुत भोले-भाले होते हैं, दूसरों के प्रति भी उनकी दृष्टि बहुत सरल-सहज होती है। शायद इसी कारण से किसानों के इस आंदोलन में अराजकतावादियों ने घुसपैठ कर दी है। अराजक शक्तियों का उद्देश्य स्पष्ट है – देश में अशांति और अराजकता का माहौल स्थापित करना। दुःखद है – किसानों को इस साजिश का कोई भान नहीं है, अशान्ति के अंदेशे का कोई ध्यान नहीं है।
खुफिया सूत्रों के अनुसार किसान आंदोलन से जुड़ी एक रिपोर्ट सरकार को भेजी गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अल्ट्रा-लेफ्ट नेताओं और प्रो-लेफ्ट विंग के चरमपंथी तत्वों ने किसानों के आंदोलन को हाईजैक कर लिया है। विश्वसनीय खुफिया इनपुट है कि ये तत्व किसानों को हिंसा, आगजनी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाने की योजना बना रहे हैं।
अराजक वामपंथी-इस्लामी गठजोड़ के कारण देश में आंतरिक असुरक्षा का माहौल बनने का अंदेशा है। दिल्ली की सीमा पर भारतीय किसान यूनियन (उगराहा) ने दिल्ली दंगे के आरोपी उमर खालिद और शरजील इमाम के साथ-साथ अर्बन नक्सल सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वर्नोन गोंसाल्वेस, अरुण फरेरा और वरवरा राव को रिहा करने की मांग की है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस आंदोलनकारी किसान संघ ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस समारोह में कम से कम 20 व्यक्तियों को रिहा करने की मांग की, जिन्हें दिल्ली दंगे और भीमा कोरेगांव हिंसा में उनकी कथित भूमिका पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जेल में डाला गया है।
ये लोग पिछले वर्ष दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगे के आरोपी की रिहाई की मांग कर रहे हैं, उनके मानवाधिकार की बात कर रहे हैं। नक्सल-आतंकी विचारों के पोषक एक किसान संगठन का कहना है कि ये सभी मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं और उनको सलाखों के पीछे से बाहर करवाना उनके संगठन का लक्ष्य है।
यह देश की सज्जन शक्ति के लिए खुली चुनौती के समान है। एक तरफ देश को विभाजित करने की मंशा पालने वाले लोगों के समर्थन में दिल्ली की सड़कों पर तख्तियां लहराई जाती हैं, दूसरी ओर देश को अखंड और अक्षुण्ण बनाए रखने वाली सज्जन शक्तियां अपने धैर्य का परिचय दे रही हैं।
यह विचार करने योग्य है कि आज भारतीय समाज के सामने ठीक वैसी ही परिस्थिति है, जैसी नागरिकता संशोधन कानून के समय थी। यह समझने की जरूरत है कि किसान आंदोलन की आड़ में अराजकता पैदा करने की मंशा रखने वाले ये लोग कौन हैं? आपने नागरिकता संशोधन कानून के वक्त भी देखा था, जब इन विभाजनकारी शक्तियों ने समाज में भय और भ्रम पैदा करने की कोशिश की थी।
ठीक वैसे ही कृषि कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी की व्यवस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन इन कानूनों को उनके विरुद्ध ही बताने की कोशिश की जा रही है। अब किसान संगठनों ने यह घोषणा कर दी है, सरकार से कोई वार्तालाप नहीं होगा, कोई विमर्श- संवाद नहीं होगा। आंदोलनकारियों ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है, आंदोलन को तेज करने का फैसला किया है। संगठनों ने संवाद का अंत कर दिया है, विषय विवाद की तरफ बढ़ रहा है। (विश्व संवाद केंद्र सेवा)
जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य कर रहे व्यक्तियों और संगठनों को प्रोत्साहन और मान्यता देने के लिए भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण विभाग ने वर्ष 2020 के राष्ट्रीय जल पुरस्कारों के लिए प्रविष्टिया आमंत्रित की हैं।
इन श्रेणियों में मिलेंगे पुरस्कार
जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार ग्यारह श्रेणियों में कुल 52 पुरस्कार दिए जाएंगे। ये श्रेणियां हैं – श्रेष्ठ राज्य, श्रेष्ठ जिला, श्रेष्ठ ग्राम पंचायत, श्रेष्ठ शहरी स्थानीय निकाय, श्रेष्ठ मीडिया (प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक), श्रेष्ठ विद्यालय, श्रेष्ठ संस्थान/रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन/परिसर उपयोग के लिए धार्मिक संगठन, श्रेष्ठ उद्योग, श्रेष्ठ एनजीओ, श्रेष्ठ उपयोगकर्ता एसोसिएशन तथा सीएसआर गतिविधियों के लिए श्रेष्ठ उद्योग।
प्रथम पुरस्कार में मिलेंगे 2 लाख रूपये
श्रेष्ठ जिला तथा श्रेष्ठ ग्राम पंचायत श्रेणी में उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और उत्तर-पूर्व को क्षेत्रवार पुरस्कार दिए जाएंगे। श्रेष्ठ राज्य तथा श्रेष्ठ जिला पुरस्कारों के अतिरिक्त शेष 9 श्रेणियों के लिए प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय पुरस्कार विजेताओं को क्रमशः 2 लाख रुपये, 1.5 लाख रुपये तथा 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
10 फरवरी तक कर सकते हैं आवेदन
प्रविष्टियां प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 10 फरवरी, 2021 है। आवेदन MyGov प्लेटफॉर्म के माध्यम से https://mygov.in पर या केन्द्रीय भू-जल बोर्ड (Central Ground Water Board, CGWB) को nationalwaterawards@gmail.com पर भेजे जा सकते हैं। केवल ऑनलाइन आवेदनों पर ही विचार किया जाएगा। पुरस्कारों के लिए विस्तृत गाइड लाइन यहां देखी जा सकती हैं।
जल संसाधनों का बेहत्तर प्रबंधन है उद्देश्य
पुरस्कारों का उद्देश्य गैर-सरकारी संगठनों, ग्राम पंचायतों, शहरी स्थानीय निकायों, जल उपयोगकर्ता एसोसिएशनों, संस्थानों, कार्पोरेट, व्यक्तियों सहित सभी हितधारकों को प्रोत्साहित करना है, ताकि वर्षा जल संरक्षण और कृत्रिम रिचार्च द्वारा भू-जल की स्थिति मजबूत बनाने के नवाचारी व्यवहार अपनाए जा सकें। नवाचारी व्यवहारों में जल उपयोग क्षमता, रिसाईक्लिंग तथा जल का दोबारा उपयोग है। इसका उद्देश्य फोकस वाले क्षेत्रों में लोगों की भागीदारी के माध्यम से जागरूकता पैदा करना है जिससे स्थायी जल संसाधन प्रबंधन हो सके।
ई-अदालत परियोजना के तहत देश भर के लगभग 2927 अदालत परिसरों को अभी तक तीव्र गति वाले वाइड एरिया नेटवर्क (WAN) से जोड़ा जा चुका है। परियोजना के तहत 2992 अदालत परिसरों को तीव्र गति WAN से जोड़े जाने का लक्ष्य रखा गया था, जिसका 97.86 प्रतिशत हासिल किया जा चुका है। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि विधि विभाग ने BSNL के साथ मिलकर शेष अदालत परिसरों को भी संपर्क मुहैया कराने के काम में संलग्न है।
इन अदालत परिसरों को ऑप्टिक फाइबर केबल (OFC), रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF), वैरी स्मॉल अपरचर टर्मिनल (V-SAT) इत्यादि से जोड़ा जाना था। मई, 2018 में इन सभी परिसरों को मैनेज्ड एमपीएलएस–वीपीएन सेवा से जोड़ने का कार्य BSNL को सौंपा गया था।
ई-अदालत परियोजना के तहत आने वाले बहुत से अदालत परिसर ऐसे दूरदराज के इलाकों में स्थित हैं जहां संपर्क उपलब्ध कराने के लिए स्थलीय केबल का उपयोग नहीं किया जा सकता। ऐसे इलाकों को तकनीकी तौर पर नहीं जुड़ने योग्य (TNF) कहा जाता है। विधि विभाग ने इस डिजिटल डिवाइड को समाप्त करने के लिए इन TNF स्थलों पर RF और V-SAT आदि जैसे वैकल्पिक माध्यमों से संपर्क उपलब्ध कराया।
कोविड-19 महामारी के माहौल में संपर्क का महत्व बहुत ज्यादा है, क्योंकि अदालतों पर मामलों की ऑनलाइन सुनवाई करने का बहुत भारी दबाव पड़ रहा है। विधि विभाग ने इसके लिए बीएसएनएल, एनआईसी, ई-कमेटी आदि के प्रतिनिधियों की एक समिति का गठन किया है, जो इस बदले हुए माहौल में बैंडविड्थ की आवश्यकता की समीक्षा करेगी।
विधि विभाग ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति के साथ मिलकर डिजिटल अंतरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है और न्याय तंत्र में बदलाव तथा आम नागरिक की न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया है।
सरकार ने ई-अदालत परियोजना के पहले चरण के दौरान 14,249 जिला एवं अधीनस्थ अदालतों को कम्प्यूटरीकृत करने की मंजूरी दी थी। ई-अदालत परियोजना का लक्ष्य वादी, वकीलों और न्याय तंत्र को देश भर की जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के जरिए न्याय तक उचित पहुंच बनाने के लिए सेवाएं मुहैया कराना था।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने देश भर की सभी अदालतों के पूर्ण कम्प्यूटरीकरण के जरिए भविष्य में और अधिक ICT पहुंच बढ़ाने की परिकल्पना के साथ दूसरे चरण को जुलाई, 2015 में मंजूरी दी थी। यह कार्य 1670 करोड़ रुपये की लागत से किया जाना था और इसके तहत 16845 अदालतों का कम्प्यूटरीकरण किए जाने का लक्ष्य रखा गया था।
देश में कोविड-19 के सक्रिय मामलों की संख्या में गिरावट का रुख जारी है। शुक्रवार को कुल सक्रिय मामलों की संख्या महत्वपूर्ण रूप से घटकर 3,63,749 हो गई। 146 दिनों के बाद यह सबसे कम संख्या है। 18 जुलाई को कुल सक्रिय मामलों की संख्या 3,58,692 थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी है।
वर्तमान सक्रिय मामले देश के कुल पॉजिटिव मामलों के केवल 3.71 प्रतिशत हैं। पिछले 24 घंटों के दौरान 37,528 मरीज ठीक हुए हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई है। इससे कुल सक्रिय मामलों की संख्या में 8,544 की गिरावट आई है।
पिछले 24 घंटों के दौरान 30,000 से भी कम दैनिक नये मामले सामने आए हैं। यानी दैनिक नये मामलों की संख्या 29,398 रही है।
कुल ठीक हुए मरीजों की संख्या अब लगभग 93 लाख (92,90,834) हो गई है। ठीक हुए रोगियों और सक्रिय मामलों के बीच अंतर लगातार बढ़ रहा है। आज यह बढ़कर 89 लाख से अधिक हो गया है। वर्तमान में यह संख्या 89,27,085 हो गई है। नये मामलों की तुलना में नई रिकवरी अधिक होने से रिकवरी दर बढ़कर 94.84 प्रतिशत हो गई है।
72.39 प्रतिशत नये मामले दस राज्यों के हैं। केरल में सबसे अधिक दैनिक नये मामले दर्ज हुए हैं। यहां 4,470 दैनिक नये मामलों का पता चला है। इसके बाद महाराष्ट्र में 3,824 नये मामले सामने आए।
पिछले 24 घंटों में 414 मरीजों की मौत होने का पता चला है। 79.95 प्रतिशत मौत के नये मामले दस राज्यों से हैं। महाराष्ट्र में सबसे अधिक 70 मरीजों की मौत हुई है। दिल्ली और पश्चिम बंगाल में क्रमश: 61 और 49 दैनिक मौत मामले दर्ज हुए हैं।
जैविक खेती में नाम कमाने वाले प्रगतिशील किसान पद्मश्री भारत भूषण त्यागी ने कहा कि जो लोग किसानों के कथित समर्थन में अपने पुरस्कार वापस कर रहे हैं, उन्हें खेती में ये पुरस्कार नहीं मिला है। महज़ झूठी ख्याति प्राप्त करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि कानून को द्विपिक्षीय स्वरुप में समझने की ज़रूरत है। बिचौलियों की अंधेरगर्दी कृषि कानून से ही समाप्त होगी। कृषि क़ानून को लेकर सरकार की मंशा में कोई खोट नहीं है, बल्कि इससे खेती के नए विकल्प खुल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी अफवाह ये फैली है कि मंडियां खत्म हो जाएंगी, एमएसपी खत्म हो जाएगी और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के ज़रिए किसानों की ज़मीनें हड़प ली जाएंगी। ये सरासर गलत है, क्योंकि सरकार ने बार-बार आश्वासन दिया है कि एमएसपी बराबर बनी रहेगी। वस्तु अधिनियम में भंडारण को संरक्षित करने की बात भी कही गई है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में ज़मीन का कोई मुद्दा नहीं है। इसे किसानों को समझने की ज़रुरत है।
उन्होंने आंदोलन करने वाले किसानों से निवेदन किया कि वो बातचीत के दौरान विरोध की मानसिकता से न जाएं, क्योंकि अगर हम विरोध की मानसिकता से बातचीत करते हैं तो कभी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आते हैं। उन्होंने कहा कि मंडी और बाजारों के जरिए किसानों को फसलों की पूरी कीमत नहीं मिलती थी। इसलिए इसे लेकर सार्थक पहल की ज़रुरत थी जो इस क़ानून में रहेगा। जिन किसानों को ये भ्रम है कि इससे उनका नुकसान होगा तो वो सरासर गलत है।
देशभर में जैविक खेती में नाम कमाने वाले किसान भारत भूषण त्यागी को वर्ष 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। बुलंदशहर जनपद की स्याना तहसील क्षेत्र के गांव बीहटा निवासी प्रगतिशील किसान भारत भूषण त्यागी ने जैविक खेती कर और देश-प्रदेश में किसानों को जैविक खेती के लिए जागरूक कर अपनी अलग छाप छोड़ी है। (विश्व संवाद केंद्र सेवा)
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने मातृभाषा में तकनीकी शिक्षा प्रदान करने के लिए रोडमैप तैयार करने के उद्देश्य से कार्यबल का गठन किया है।
शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि केंद्रीय उच्च शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में गठित यह कार्यबल विभिन्न हितधारकों द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार करेगा और एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देगा।
एक उच्च स्तरीय बैठक में शिक्षा मंत्री डॉ निशंक ने यह निर्णय लिया। बैठक में उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के निदेशक, शिक्षाविद और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस अवसर पर डॉ निशंक ने कहा कि आज की बैठक प्रधानमंत्री की इस सोच को हासिल करने की दिशा में विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में मेडिकल, इंजीनियरिंग और कानून आदि व्यावसायिक पाठ्यक्रम की पढ़ाई कर सकें।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसी भी विद्यार्थी पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी। मगर यह प्रावधान जरूर किए जाएंगे, जिससे कोई भी होनहार विद्यार्थी इसलिए तकनीकी शिक्षा से वंचित न रह जाए कि वह अंग्रेजी भाषा नहीं जानता था।
लव जिहाद या रोमियो जिहाद अर्थात मुस्लिम पुरुषों अथवा युवकों द्वारा हिन्दू महिलाओं या युवतियों को छल-कपट और बहला-फुसलाकर प्रेम का स्वांग रचाकर इस्लाम कबूलने के लिए विवश करना है। मुस्लिम युवा अपनी पहचान छिपाकर न सिर्फ हिन्दू समुदाय की लड़कियों को बहलाते फुसलाते हैं, बल्कि घर से भगा कर उनका यौन शोषण करते हैं। शादी के लिए मजबूर कर जबरन धर्म परिवर्तन के लिए भी बाध्य करते हैं।
पहली बार वर्ष 2009 में केरल और कर्नाटक में लव जिहाद की अवधारणा सामने आई और आज एक दशक पूरा होने के बाद पूरे देश में चिंता का बड़ा सबब बन गयी है। भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन में इस्लामी जिहादी ताकतें सैकड़ों लव जिहाद के मामलों को अंजाम दे चुकी हैं।
पाकिस्तान में आए दिन अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़ी हिन्दू, सिक्ख और ईसाई नाबालिग बच्चियां शिकार बन रही हैं। भारत के विभिन्न राज्यों में 2009, 2010, 2011 और 2014 से लगातार बढ़ रहे लव जिहाद के मामलों से हिन्दू, सिक्ख और ईसाई संगठन बेहद चिंतित हैं। केरल हाईकोर्ट वर्षों पूर्व लव जिहाद के बढ़ते मामलों को बड़ा खतरा बता चुका है।
भारत के अन्य राज्यों के साथ देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में लव जिहाद की घटनाएं प्रशासन के लिए सरदर्द और सामाजिक वैमनस्यता का कारण बन गयी हैं। देश के सभी राज्यों में लव जिहाद पर नियन्त्रण के लिए ठोस क़ानून की मांग के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में 24 नवम्बर को हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 को मंजूरी दे दी गई है।
इस कानून के लागू होने के बाद छल-कपट व जबरन धर्मांतरण के मामलों में एक से दस वर्ष तक की सजा हो सकती है। खासकर किसी नाबालिग लड़की या अनुसूचित जाति-जनजाति की महिला का छल से या जबरन धर्मांतरण कराने के मामले में दोषी को तीन से दस वर्ष तक की सजा भुगतनी होगी।
धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश को स्वीकृति देकर जबरन धर्मांतरण के मामलों में दो से सात साल तक की सजा के प्रस्ताव को सरकार ने और कठोर करने का निर्णय किया है। सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में भी तीन से 10 वर्ष तक की सजा होगी। जबरन या कोई प्रलोभन देकर किसी का धर्म परिवर्तन कराया जाना अपराध माना जाएगा। दूसरे धर्म में शादी से दो माह पहले नोटिस देना अनिवार्य हो गया है। इसके साथ ही जिला अधिकारी की अनुमति भी जरूरी हो गई है। नाम छिपाकर शादी करने पर 10 साल की सजा होगी।
उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहसिन रजा ने अध्यादेश का स्वागत करते हुए कहा कि बच्चियों को बहलाने-फुसलाने वालों के खिलाफ हम लगातार सख्त हैं। लव जिहाद के सिंडीकेट का खुलासा हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने किया था। दिनेश, रमेश, सुरेश नाम रखने वालों की जब जांच हुई तो वे मुख्तार, अंसार, रईस निकले। जो इस प्रकार का षड्यंत्र कर रहे थे, उनके खिलाफ कानून लाया गया है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी पिछले दिनों अपने एक निर्णय में स्पष्ट किया कि शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन जरूरी नहीं है। लव जिहाद की व्याधि से परेशान राज्य चाहे कर्नाटक हो, मध्यप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, बिहार अथवा केरल या पश्चिम बंगाल हो, देर-सवेर सभी को इस्लामी जिहाद की इस घिनौनी चाल को रोकने के लिए ठोस क़ानून बनाना ही होगा।
इसमें किसी समुदाय विशेष को टार्गेट करने की कोई बात नहीं है। यह क़ानून व्यक्तिगत विवाह की स्वतंत्रता को भी बाधा नहीं पहुंचाएगा। बल्कि यह बेटियों को सुरक्षा और अधिकार देगा। संवैधानिक व्यक्तिगत स्वतंत्रता में शादी के बाद जबरन धर्म परिवर्तन को कैसे जायज माना जाए। जब क़ानून बनेगा तो उसमें भारत के सभी नागरिक आएंगे, फिर मुस्लिम समुदाय की चिंता की बात ही क्यों?